नई बहु चुदाई की खिलाड़िन बनी

आज से 20 साल पहले की बात है। बिहार के एक शहर में रहती थी, माँ बाप गरीब थे, मेरी एक बहन और एक भाई था। 19 साल की उम्र मैं अमरीश से प्यार के चक्कर में पड़ गई थी। अमरीश ने वादा किया था कि वो मुझसे शादी करेगा। प्यार बढ़ता गया, अमरीश इंजीनियरिंग पढ़ रहा था। प्यार परवान चढ़ने लगा था। Dulhan Rasili Chut Porn

हर इतवार उसकी बाइक पर हम लोग सुनसान इलाके में पहुँच जाते थे और जवानी के मज़े लूटते थे। अमरीश के लंड को सहलाने और उससे चूचियाँ दबवाने की आदत पड़ गई थी। एक महीने के अंदर ही एक रविवार को अमरीश ने मेरी चूत की सील तोड़ दी, पहली चुदाई में बड़ा दर्द हुआ।

उसके बाद तो हम जल्दी जल्दी मिलने लगे थे, जब भी हम मिलते तो अमरीश मेरी चुदाई जरुर करता था। मुझे चुदने में मज़ा आने लगा था। मैं अब एक चुदक्कड़ लड़की हो गई थी। कुछ दिनों बाद लंड मेरे मुँह में भी घुस गया था, लंड चुसाई में मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था।

इसी तरह एक साल गुजर गया। अमरीश को बंगलौर में नौकरी मिल गई, उसने मुझसे शादी को मना कर दिया, वो बोला- तुम गरीब घर से हो! मैं किसी अमीर लड़की से शादी करूँगा। मेरी तो हवा निकल गई लेकिन अब मैं क्या कर सकती थी। मैं उसके लौड़े का शिकार हो चुकी थी।

एक महीने बाद से ही मेरी चूत की आग चुदने के लिये भड़कने लगी, दो दोस्त और बनाए दोनों ने मेरी चूत के मज़े लिए और एक साल के अंदर ही मुझे छोड़ गए। अब मैं खुद चुदने के लिए दोस्त बनाने लगी। एक दिन होटल में चुदते हुए पकड़ ली गई लेकिन मैं चुद कर ही छुट भी गई। मैं बदनाम भी हो गई थी।

घर में सब लोग दुखी थे। हम लोग गरीब थे मेरी शादी के लिए दहेज़ भी नहीं था। मेरी माँ ने एक लड़के से मेरी शादी तय कर दी, लड़का मुझसे 10 साल बड़ा था और लड़के के चेहरे पर जले के निशान थे। मैं दुखी थी। शादी से पहले मेरी मौसी घर आईं, उनकी उम्र 35 साल होगी मेरी वो एक अच्छी सहेली भी थीं.

रात में मेरे साथ सोईं और मुझे गले से लगाती हुई बोलीं- मुझे पता है कि तुझे प्यार में धोखा मिला है। तेरी चूत भी चुद चुकी है। बद अच्छा बदनाम बुरा। लड़का अच्छा है। एक दो चेहरे पर जले के निशान है लेकिन स्वस्थ है। घर के लोगों का लकड़ी का और खेती का काम है गाँव के अमीर लोगों में गिनती होती है।

मौसी बोलीं- तेरा बदन और चूचियाँ बड़ी रसभरी हैं, एक बार मस्त होकर अपनी पति को रस पिलाना और अपनी चूत का दीवाना बना लेना, तेरा गुलाम हो जाएगा। पुरानी बातें भूल जा और चुदाई की खिलाड़िन बन जा। चुदाई की खिलाड़िन औरतें रानी बन जाती हैं और इस खेल से अनजान घर में भोंदू बीवी या रंडियाँ बन जाती हैं!

इस खेल को समझ और खेल!मैं हज़ारों ऐसी शरीफ औरतों को जानती हूँ जिन्हें लोग सावित्री समझते हैं लेकिन वो अपनी चूत में पचासों लंड डलवाए हुई हैं। इस खेल में यह जानना जरूरी है कि किसको चूची दिखानी है और किस से छुपानी है, किससे लौड़ा घुसवाना है और किससे छुलवाना है।

चुदाई की खिलाड़िन बन! जिन्दगी भर खुश रहेगी और गरीबी भी भाग जाएगी। लेकिन जब भी लौड़ा अंदर ले तो पूरी रांड बनकर मजे करना! जवानी बार बार नहीं आती है। अब तू सब कुछ भूलकर शादी के बाद की रस भरी रातों का मज़ा लेने को तैयार रहना।

मौसी की बातों से मुझे कुछ राहत मिली। दस दिन बाद मेरी शादी थी। दस दिन बाद मेरी शादी हो गई मैं अपनी ससुराल आ गई। मेरी ससुराल गाँव में थी। गाँव में सास-ससुर, देवर रहते थे। रात को ऊपर के कमरे में मेरी सुहागरात मननी थी। नौ बजे सज़ धज कर मैं ऊपर आ गई।

चूत में एक सनसनाहट सी मच रही थी, मन में विचार घूम रहे थे कि इनका लंड मेरी फटी चूत में घुसेगा तो ये क्या सोचेंगे। दस बजे ये मेरे कमरे में आ गए। कुछ देर के बाद इन्होंने मेरे जेवर और साड़ी-ब्लाउज उतार दिया। अब मेरी ब्रा खुलने की देर थी।

ऊपर से दो तीन बार चूचियाँ दबाने के बाद इन्होंने मेरी ब्रा खोल दी, मेरी रस भरी कसी हुई चूचियाँ देखते ही ये पगला गए और उन्हें मसलते हुए बोले- प्रेमा रानी, वाह क्या माल संतरियाँ हैं। इन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी एक चूची दबाते हुए दूसरी चूसने लगे। इनके मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।

इनका लौड़ा खड़ा हो गया था। ये खड़े हो गए और इन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। ‘बाप रे बाप! क्या मोटा लंड था!’ देखकर मैं हैरान थी। अमरीश और मेरे पुराने चोदू दोस्तों के 5-6 इंच लंड के आगे यह 8 इंची गधे जितना मोटा लंड देखकर मैं हैरान थी, मुझे तो लगा आज तो मर जाउंगी।

आगे बढ़कर ये मेरा पेटीकोट उतारने लगे, मैं शर्माने का नाटक करते हुए बोली- बिजली बंद कर दीजिए ना!

इन्होंने बत्ती बंद कर दी और मेरा पेटीकोट उतार दिया, अब मेरी लसलसी मचलती चूत लंड घुसने का इंतज़ार करने लगी। मेरी जाँघों को थोड़ा चौड़ा करते हुए इन्होंने अपनी उँगलियों से मेरी चूत के दाने को जोरों से रगड़ दिया और उंगली अंदर घुसा कर मेरी चूत की मालिश करने लगे, चूत पूरी पानी से नहाने लगी थी। इसके बाद मेरे ऊपर चढ़ कर इन्होंने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह पर लगा दिया।

दो तीन धक्के मारने पर भी इनका मोटा लंड अंदर नहीं घुसा, ये जैसे बुदबुदाए- साली, बहन की लौड़ी! बड़ी कसी हो रही है!

और इन्होंने अपने हाथ से लंड पकड़ कर मेरी चूत की फलकों पर रगड़ते हुए अंदर घुसा दिया और एक झटके से मेरी चूत में लंड पेल दिया। मेरी चीख निकल गई थी लेकिन लंड अब मेरी गुफा के अंदर था।

मेरी चूचियाँ मसलते हुए बोले- बस थोड़ी देर का दर्द है, सहन करो!

और ये अपना लंड अंदर घुसाते गए। बाप रे बाप! ऐसा लग रहा था जैसे कि चूत चोदी नहीं खोदी जा रही हो! मेरा चिल्लाना जारी था। लंड पूरा अंदर तक घुस गया था। थोड़ी देर में लंड मेरी चूत चोदने लगा, बड़ा दर्द हो रहा था लेकिन अब मज़ा आ रहा था! आह.. उह.. ऊई.. ऊई.. उह.. उह.. से मेरी आनंदमयी आवाजें कमरे में गूंजने लगीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

20-25 धक्कों के बाद इन्होंने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे तिरछा कर दिया अब पीछे से मेरी चूत में लंड घुसा दिया और मेरी चूचियों का दबा दबा कर रस निकालने लगे। इनका मोटा लंड चूत फाड़कर अंदर तक घुसा हुआ था। मेरे दूधिया थनों की निप्पलें उमेठते हुए ये बोले- शुरू में दर्द होता है! अब तो मज़ा आ रहा होगा?

चुदाई की मस्ती में मैं नहा रही थी, बेशर्म होते हुए बोल पड़ी- और करिए ना!

गालों को चूमते हुए इन्होंने मेरी चूत में लंड दौड़ाना शुरू कर दिया। मुझे चोदते हुए इन्होंने मेरी निप्पलें उमेठ उमेठ कर कड़ी कर दीं। चूत बुरी तरह चुद रही थी। थोड़ी देर में ही पूरा वीर्य चूत में गिर गया। मेरी पूरी मटकी रस से भर गई थी। इसके बाद मैं सो गई।

सुबह छः बजे ही दरवाज़े पर खटखट हुई, बाहर से आवाज़ आई- मासी जा रही हैं, बाहर आ जाओ।

मैं और ये नंगे पड़े हुए थे।

मैं उठने को हुई तो इन्होंने मुझे रोक लिया और मेरे हाथ को अपने लंड पर रख दिया, ये बोले- जरा इसको रगड़ो ना!

मैंने हाथ में लंड लेकर उसे सहला दिया, थोड़ी देर में ही लंड तन गया। इसके बाद इन्होंने मेरी कमर के नीचे तकिया रखकर मुझे उल्टा कर दिया और मेरी चूत में अपना लंड पीछे से घुसा दिया।

“उह!”

क्या एक झटके में ही लंड अंदर घुस गया था। मुझे समझ में आ गया कि ये भी एक खेले खाए मर्द हैं। मुझे पीछे से दबाते हुए ये मेरी चूत मारने लगे। मुझे चुदाई का मस्त मज़ा आ रहा था, मैं तो भूल ही गई थी कि इनका चेहरा जला हुआ है। इन्होंने चोदना जारी रखा और दस मिनट तक मुझे उल्टा लेटा कर मेरी चूत चोदी।

इसके बाद उठकर इन्होंने मेरी दोनों नंगी चूचियाँ भोंपू की तरह बजाईं और बोले- अब तो तुम औरत बन गई हो, रोज़ चुदने को तैयार रहना। इसके बाद ये बाहर निकल गए। मैं भी अपने कपड़े बदलने लगी और मन ही मन सोच रही थी कि लंड तो इनका बड़ा मस्त है, चुदाई का मज़ा तो मस्त मिलेगा।

दोपहर में मुँह दिखाई का कार्यक्रम था, लंबा घूँघट डालकर मुझे बैठा दिया गया। सब औरतें एक एक करके गिफ्ट दे रही थीं। थोड़ी देर बाद सब हंसी मजाक करने लगे। तभी औरतों में से एक बोली- माधुरी, तेरी बहु तो बड़ी चिकनी और रसभरी है। मेरी बगल में मेरे पति गोरख की मौसी बैठी थीं, मेरी चूचियों पर हाथ फिराते हुए मेरी सास से बोलीं- दीदी, रंजना सही कह रही है! बहू की चूचियाँ तो पूरी रसीली हो रही हैं, गोरख के तो मज़े आ गए, रोज़ जी भर कर रस पीएगा।

सब हँसने लगे, तभी उनमें से एक बोली- रस पिलाना पड़ेगा, तभी तो रस निकलेगा।

मासी बोली- अरे गोरख गाँव का गबरू जवान है, पूरी मटकी रस से भर देगा। तू भी कभी ट्राई कर लिओ।

हंसी मजाक जारी था, मेरी सास बोली- मुझे इसका प्रेमा नाम पसंद नहीं है, मैं तो इसे रसीली कह कर बुलाऊँगी!

और उन्होंने मेरा नाम रसीली रख दिया। मुझे गाँव में सब लोग रसीली कह कर बुलाने लगे। कार्यक्रम 4 बजे ख़त्म हो गया। मैं गाँव की भाभी शोभा के साथ ऊपर के कमरे में आ गई। शोभा और मैं कमरा बंद करके बातें करने लगे, मैंने अपनी साड़ी उतार दी थी- शोभा को मैंने बताया कि मेरा बदन दुख रहा है।

शोभा ने मेरे गालों पर चुटकी काटी और बोली- रात भर आठ इंची लंड से चूत चुदवाई है, दर्द तो होगा ही!

उसने तेल की शीशी उठाई और मुझसे बोली- चल नंगी हो! तेरी तेल मालिश कर देती हूँ।

मैंने अपने ब्लाउज को उतारते हुए पूछा- तुझे कैसे पता कि इनका लंड आठ इंची लंबा है।

शोभा ने मेरी मेरी नंगी चूचियाँ हॉर्न की तरह बजाईं और हँसते हुए बोली- ओह महारानी मुझ पर ही शक कर रही हैं।

शोभा बोली- मेरे पति के लंगोटिया यार हैं, मुझे ओर भी बातें पता हैं, सब बता दूंगी!

और उसने मुझे नंगी कर दिया, मेरी मालिश करने लगी, मालिश में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मेरी मालिश करते हुए शोभा ने बताया कि मेरे ससुर असली ससुर नहीं हैं, वो हैं गोरख के चाचा हैं। गोरख के पिताजी की मृत्यु गोरख के जन्म के तीन साल बाद हो गई थी।

गोरख के चाचा रंगीन किस्म के आदमी हैं, अवैध संबंधों के चलते मेरी सास की शादी देवर से हो गई थी। उनसे मेरी एक ननद और एक देवर मनु है। ननद की शादी हो चुकी है। शोभा और मेरी बातें जारी थीं। शोभा अब मेरे चूतड़ों की मालिश कर रही थी मेरी मालिश करते हुए बोली पहली- सुहागरात में तो दर्द कम हुआ है दूसरी में असली दर्द होगा।

मैंने चौंकते हुए पूछा- दूसरी मतलब?

शोभा ने हँसते हुए मेरी गांड में उंगली डाल दी और बोली- दूसरी का मतलब गांड की चुदाई। चूत तो तेरी कल बज़ गई लेकिन गांड रानी अभी बजनी बाकी है। दर्द क्या होता है, ये तो जब गांड चुदती है तब पता चलता है। इन गाँव के मर्दों का पता नहीं कब गांड पेल दें.

सब साले शादी से पहले एक दूसरे की गांड चोद चोद कर गांड चोदने में पक्के हो जाते हैं। इन्होंने तो दो दिन बाद ही मेरी गांड मार ली थी। मैं तो बेहोश हो गई थी बहुत दर्द हुआ, सास ने जब 3 दिन गांड की सिकाई करी तब दर्द कुछ कम हुआ।

शोभा बोली- मेरे पास एक क्रीम है, जब तक तेरी गांड की सुहागरात नहीं मानती, तब तक रोज़ मालिश कर दूंगी। देख लेना तेरे पति 2-4 दिन मैं ही तेरी गांड फाड़ देंगे।

इसके बाद शोभा ने मेरी गांड मैं क्रीम डाल कर अपने हाथों से अच्छी मालिश कर दी। शोभा की बातों से मुझे पता चल गया था कि मेरे पति और ससुर औरतबाज आदमी हैं और उन्होंने कई औरतों और लड़कियों को चोद रखा है। पाँच बजे हम दोनों सो गए। रात को 8 बजे दरवाज़े पर आवाज़ हुई तब हम दोनों उठे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

शोभा उठ कर अपने घर चली गई और मैं कपड़े पहन कर नीचे आ गई। अगली दो रातें बड़ी रसभरी थीं। इन्होंने मुझे कई आसनों में लिटा और बैठा कर मेरी चूत का मर्दन किया। बड़ा मस्त मज़ा दिया इन्होंने चुदाई का! मैं तो इनके लौड़े की गुलाम हो गई। तीसरी रात इन्होंने मुझे नंगी करके अपनी जाँघों पर बेठा कर अपना मोटा लंड मेरे हाथ मैं पकड़ाया तो मैं दंग रह गई, लौड़ा पूरा तेल से नहा रहा था।

चिकना लौड़ा अपने हाथ से सहलाते हुए बोली- आज कालू राम का ज्यादा शैतानी का मन कर रहा है।

गोरख ने मेरी एक चूची मसलते हुए और दूसरी से मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए कहा- रसीली, तुम्हारी जवानी ने तो मुझे पागल कर दिया है।

इसके बाद मैं इनकी गोद में चिपक कर बैठ गई, मेरे स्तन इनके सीने से दब रहे थे और होंट इनके होंट चूस रहे थे। मेरे चूतड़ दबाते हुए गोरख ने अपनी एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी और बोले- बड़ी कसी गांड है कुतिया तेरी तो?

इसके बाद इन्होंने मेरी चूत में लंड घुसा दिया और मेरे चूतड़ दबाते हुए कहा- आज तुम्हें एक चीज़ दिखता हूँ। इन्होंने पास रखी एक मोटी मोमबत्ती पर कॉन्डोम लगाकर मेरी गांड के मुँह पर छुला दिया, मैं समझ गई कि आज मेरी गांड की शामत आने वाली है।

मैं बोली- ये क्या कर रहे हैं?

इन्होंने मोमबत्ती मेरी गांड पर लगा कर थोड़ी सी अंदर घुसा दी और बोले- घबरा क्यों रही हो? बड़ा मज़ा आएगा!

और ये उसे अंदर घुसाने लगे।

कसी हुई गांड को मोमबत्ती अंदर तक फाड़े जा रही थी, मैं चिल्लाने लगी- उइ! उह! उह! मर गई! बाहर निकालो!

लेकिन अब ये कहाँ सुनने वाले थे। इन्होंने 6 इंची लंबी और एक इंची मोटी मोमबत्ती मेरी गांड में ठूंस दी और गंवारों की तरह हँसते हुए बोले- सीधे सीधे लंड डाल दूंगा तो बेहोश हो जाएगी। मोमबत्ती से ये मेरी गांड चोदने लगे। मेरी चूत इनके लंड से फटी पड़ी थी और गांड मोमबत्ती से!

मेरी आँखों से आंसू बहने लगे। थोड़ी देर बाद इन्होंने तरस खाते हुए मेरी चूत और गांड को आजाद कर दिया। मैं कराहते हुए बोली- बड़ा दर्द हो रहा है!

ये हँसते हुए बोले- थोड़ा तेल डाल देता हूँ!

इन्होंने मेरे पेट के नीचे दो तकिये रखकर मेरी गांड में अंदर तक तेल भर दिया। इसके बाद मेरे चूतड़ सहलाते हुए मेरे चूतड़ों के ऊपर लेट गए। कुछ देर बाद इन्होंने अपना लौड़ा मेरी गांड के मुँह पर लगा दिया जब तक मैं समझती तब तक सुपाड़ा गांड में घुस चुका था।

मैं दर्द से चिल्ला उठी- उई मर गई! हरामजादे बाहर निकाल! उई मर गई! मर गई, गोरख छोड़ो! बहुत दर्द हो रहा है! बहुत दर्द हो रहा है!

लेकिन अब ये मेरी गांड के ड्राईवर थे, चिल्लाने का कोई फायदा नहीं हुआ लंड अपने सफ़र पर चल रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरे दोनों चूतड़ फट जाएँगे। मेरी गांड का गुदना जारी था, थोड़ी देर मैं इनका लंड पूरा अंदर घुस गया था। मैं तो मर सी गई थी।

इन्होंने मेरी कमर कस कर पकड़ ली और मेरी गांड चोदनी शुरू कर दी। शुरू के झटकों ने तो मेरी जान ही निकाल ली। जब लंड अच्छी तरह से गांड में दौड़ने लगा तो इन्होंने मेरे चुचे पकड़ लिए और मसलते हुए बोले- रानी, प्यार से मार रहा हूँ! मज़े लो! अतुल ने तो शोभा की गांड जब मारी थी, वो तो बेहोश हो गई थी।

मेरी चूचियों की मसलाई हो रही थी और मेरे चीखने चिल्लाने से बेखबर होकर ये मेरी गांड मारने का मज़ा ले रहे थे। जब इनका लंड गांड में झड़ा तब तक तो मैं अधमरी सी हो गई। गांड फाड़ने के बाद इन्होंने मुझे सीधा किया मेरे आंसू चूचियों तक आ रहे थे।

बेपरवाह होते हुए ये बोले- अब सो जा! शुरू में तो सब के दर्द होता है।

मेरे को इनका व्यवहार देखकर एक झटका लगा, मुझे अंदर एक चोट लगी, मुझे लगा कि ये मेरे पति जरूर हैं लेकिन इनका भी मन बस मुझे भोगने तक है।

रात को मेरे पति गोरख ने पहले मोमबती से फ़िर अपने विशाल लण्ड से मेरी गाण्ड मारी तो रात भर मैं दर्द से तड़पती रही, सुबह मैंने शोभा को बुलाया।

शोभा ने मुझसे बात की और बोली- ओह, तो हमारी दुल्हन की गांड चुद ही गई!

मैं बोली- बड़ा दर्द हो रहा है।

शोभा और मैं कमरे में अकेली थी, शोभा ने अपना सहारा देकर मुझे उठाया और कमरे में थोड़ा चलवाया। उसने एक दर्द की गोली खाने को दी और मेरी गांड की सिकाई गरम पानी से कर दी, मेरी चूत गांड सहलाती हुई शोभा मेरे साथ लेट गई।

शोभा बोली- अगली बार जब घुसेगा तब दर्द कम होगा! और थोड़ी चुदाई की खिलाड़िन बन नहीं तो ये मर्द रात को मारेंगे और सुबह भूल जायेंगे। मेरी गांड के दर्द को सही होने में तीन दिन लगे, इस बीच इन्हें सताने के लिए चार दिन मैं सास के पास सोई।

एक दिन मुझे अकेले देखकर इन्होंने दबोच लिया और मेरी चूचियाँ दबाते हुए बोले कि इतना क्यों तड़पा रही हो। आज तो चुदवा लो, लौड़ा तेरी चूत चोदने के लिए पागल हो रहा है। मुझे अब चुदाई की खिलाड़िन का मतलब समझ में आ गया था। मेरी चूत भी चुदने को कुनमुना रही थी, बिना देर किए मैं ऊपर कमरे में 10 मिनट बाद पहुँच गई।

सच बताऊँ तो 4-5 दिन तक एक नई दुल्हन की चूत में लौड़ा न घुसे तो चूत का बुरा हाल हो जाता है मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। इनके अंदर आने से पहले ही मैंने दो बटन वाली मैक्सी पहन ली थी। इनके कमरे में घुसते ही मैं इनसे चिपक गई।

गोरख ने मुझे हटाते हुए अपने कपड़े उतार दिए और मुझे नंगी करके अपनी जाँघों पर बैठा लिया, इनका लौड़ा पूरा तना हुआ था, मेरा हाथ अपने लौड़े पर रख दिया और मेरी चूचियाँ उमेठते हुए सिगरेट पीने लगे। गोरख का लौड़ा सहलाते हुए मैं बोली- चोदो ना! मुनिया में आग लगी हुई है।

गोरख मेरे बदन को सहलाते हुए सिगरेट पीने में मस्त थे, लौड़ा चिकना और ऊपर से रसीला हो रहा था। इनका लंड अभी तक मैंने चूसा नहीं था। मुझे लंड चूसना बहुत पसंद था, शादी से पहले मैं अपने 5-6 यारों का लंड चूस चुकी थी। मेरा बड़ा मन कर रहा था कि इनका सुन्दर लंड अपने मुँह में डालूँ। लेकिन मैं चाह रही थी कि गोरख खुद लौड़ा चूसने को बोले।

मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई, मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए ये बोले- रसीली, एक बार लौड़ा मुँह में लो ना! बड़ा मज़ा आएगा।

मैंने ना-नुकुर का नाटक किया।

गोरख मेरे दोनों स्तनों को मलते हुए बोले- रसीली एक बार लंड चूसो ना, मैं तुम्हें बदले में 2-2 तोले की 4 चूड़ियाँ सोने की दूँगा।

मन ही मन मेरे लड्डू फूट पड़े। न नुकुर करते हुए उठकर मैं इनकी जाँघों के बीच बैठ गई और मैंने अपना मुँह खोल दिया, इन्होंने लंड मेरे मुँह में घुसा दिया। सब कुछ भूल कर मैं लंड चूसने लगी। आह! क्या मज़ा था! इनका लंड चूसते चाटते हुए जन्नत की सैर का मज़ा आ गया।

सब भूल कर कभी लंड मुँह के अंदर बाहर करती, कभी सुपाड़ा चाटने लगती, मेरी चूत से चूत रस की धारा बह निकली थी। इनसे भी नहीं रहा गया, ये बोल ही पड़े- सच रसीली, मज़ा आ गया क्या मस्त लंड चूसा है तुमने। गोरख ने इसके बाद मुझे हटा कर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरी चूत को अपने लंड से बजाने लगे।

पुराने चोदू थे, 5-6 आसनों से इन्होंने मेरी चूत बजा बजा कर मेरे बदन के पुर्जे ढीले कर दिए और मेरी चूत अपने वीर्य से नहला दी। आह! चुदने के बाद मुझे बड़ी शांति मिली। अगले दो दिन मैंने इनका मस्त होकर लंड चूसा और और अपनी चूत कई आसनों से चुदवाई।

तीसरे दिन इन्होंने मुझसे कहा- रसीली, एक बार गांड की खिड़की में और घुसाने दो ना!

मैं बोली- पहले मेरी सोने की चूड़ियाँ लाकर दो, फिर ख़ुशी ख़ुशी गांड में डलवाऊँगी।

अगले दिन ही ये सोने की चूड़ियाँ ले आए, अब रात को मुझे गांड मरवानी थी, बड़ा डर लग रहा था। मैंने शोभा को बताया तो हँसते हुए बोली- दुखेगी, लेकिन तुझे मज़ा भी आएगा! आज और मरवा ले अगली बार तू खुद इनसे कह कर मरवाएगी। लेकिन तेल डलवा कर गांड मरवाना, अभी तो सिर्फ एक बार ही गांड चुदी है। रात को इनकी गोद में मैं नंगी लेट गई मेरी चूत के होंटों से खेलते हुए बोले- तुम्हारी मांग तो पूरी हो गई, अब अपना वादा पूरा करो।

मैं इतराती हुई बोली- घर से लौटूँगी, तब मार लेना ना! कोई गांड घर पर छोड़कर तो आऊँगी नहीं।

इन्होंने मेरी कोहनी मोड़ते हुए कहा- बदमाशी नहीं चलेगी! अगर मैं कुत्ता बन गया तो तू दो दिन तक नहीं उठ पाएगी। अपने गाँव के कई लड़कों और भाभियों की गांड चोद चुका हूँ, तेरी मैं तो दो मिनट मैं अंदर तक पेल दूंगा।

मैं हाथ के दर्द से कराहते हुए बोली- दे दूंगी! हाथ तो छोड़ो।

इसके बाद इन्होंने मेरी चुदाई कर दी। थोड़ी देर के लिए इनका लंड शांत हो गया था। हम लोग बातें करने लगे। रात एक बजे इन्होंने मुझे गांड चुदाई का इशारा किया, बकरी की माँ कब तक खैर मनाएगी, मैंने कहा- पहले मेरी गाण्ड में तेल डाल दो! इन्होंने पास रखी तेल की शीशी निकाली और मेरी गांड में तेल डाल दिया।

इन्होंने मुझे पलंग पर टांगें चौड़ी करके पेट के बल लेटा दिया था और मेरी गांड पर ढेर सारा थूक डाल कर उंगली से उसका छेद चौड़ा किया। बड़ी गुदगुदी हो रही थी। अब इनका लंड मेरी गांड के मुँह पर दस्तक दे रहा था पहला धक्का बड़ा तेज पड़ा, लौड़ा अंदर घुस चुका था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं चिल्ला उठी, इन्होंने मेरी कमर पकड़ कर मुझे अपनी कुतिया बना रखा था। इसके बाद धीरे धीरे लौड़ा अंदर घुसा कर मेरी गांड चोदनी शुरू कर दी। मैं दर्द भरी आहें भर रही थी लेकिन आज दर्द पहले से कम था। थोड़ी देर में ही इनका लंड मेरा सरपट गुदा मंथन कर रहा था। एक चुदती औरत की तरह मैं उह.. आह.. उह.. उह.. आह.. की आहें भर रही थी, आँखों से आँसू टपक रहे थे लेकिन आज थोड़ा मजा भी आ रहा था।

अगले 10 मिनट कुतिया चुदाई के थे, लौड़े के वार तेज हो गए थे, टट्टे गांड से टकरा रहे थे, आहें चीखों में बदल गई थी। ये बिल्कुल हैवान वाली चुदाई कर रहे थे, मेरी बेरहम गांड चुदाई हो रही थी, इनका मेरी गांड पर पूरा कब्ज़ा हो चुका था, लग रहा था गांड पूरी फट जाएगी। मैं गोरख की गुलाम बनकर चीखती हुई चुदवा रही थी। दस मिनट बाद जब गरम गरम वीर्य गांड में घुसा, आह! एक जबरदस्त मज़ा आया, उसके बाद बड़ी राहत मिली। इन्होंने अपनी बाँहों में मुझे सुला लिया। सुबह बदन दुःख रहा था और मैं लंगड़ा रही थी.

लेकिन मुझे लग रहा था अब आगे गांड चुदवाने में मुझे कोई डर नहीं लगेगा। अगली तीन रातें मस्त चुदाई में कटीं, चौथे दिन भाई लेने आ गया। चूत गांड मुँह सबमें लौड़ा घुस चुका था। दस हज़ार रुपए और सोने की चूड़ियाँ मैंने अपनी चूत के खेल से पा लिए थे, मुझे लगा अगर मैं चूत की सफ़ल खिलाड़िन बन जाऊँ तो अपने घर की गरीबी मिटा सकती हूँ। अगले दिन घर जाने की ख़ुशी थी लेकिन चूल भी उठ रही थी कि 15 दिन लौड़ा खाए बिना कैसे रह पाऊँगी। अगले दिन भाई के साथ मैं अपने घर चली गई।

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