पड़ोसी ने जान बचाने का इनाम लिया

मेरा नाम मधुमिता है. मेरा फिगर ३६″२७″ ३६″ है और मेरा रंग गोरा. मेरी शादी पिछले साल ही हुई है. मैं और मेरे पति अपनी फॅमिली दे दूर दुसरे शहर में रहते है. ये कहानी पिछले दिवाली वाले दिन की है. मेरे पति अक्सर ऑफिस से लेट ही आते है. उस दिन भी उनके ऑफिस में अब्रॉड का कोई क्लाइंट आया हुआ था इसलिए उनको छुट्टी नहीं थी. Real Choda Chodi Kahani

वो शाम को ९ बजे आने वाले थे. मैंने सोचा तब तक साड़ी तैयारी करके रखु. पहले मैंने थोड़ी बहुत सफाई की और फिर नहाने चली गयी. नहाने के बाद मैं अपने रूम में आयी और अपने सेक्सी जिस्म को शीशे में देखने लगी. मेरा जिस्म ऐसा है की कोई भी मर्द मेरे लिए पागल हो जाए. फिर मैंने अपनी नयी सिल्क की साड़ी निकाली जो मेरे पति ने ही मुझे गिफ्ट की थी. वो साड़ी गोल्डन कलर की थी और उसके साथ मैरून कलर का ब्लाउज था.

मैंने मैरून कलर की ब्रा और पेंटी निकाल कर पहन ली. फिर मैंने मैरून कलर का पेटीकोट पहन लिया. जब मैं साड़ी पहन कर शीशे के सामने गयी तो एक-दम क़यामत लग रही थी. अब ७ बज चुके थे और मैंने दिए जलना शुरू कर दिया था. आस-पास के लोग भी दिए जला रहे थे. मैंने घर के गेट पर दिए जलाये और अंदर आ गयी. जैसे ही मैं घर के अंदर आयी मुझे पीछे से एक घबराई हुई आवाज़ आयी.

आवाज़: भाभी बच के!

जब मैंने पीछे देखा तो वो मेरी पड़ोसन के पति मनीष थे. वो नीचे की तरफ इशारा कर रहे थे. जब मैंने नीचे देखा तो मेरी साड़ी के पल्लू में आग लगी हुई थी. मैं आग देखते ही घबरा गयी. मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या करू. मेरे हाथ में दियो की प्लेट थी वो नीचे गिर गयी जिससे आग और भड़क उठी. तभी मनीष मेरे पास आया और उसने मेरी साड़ी का पल्लू पकड़ कर मुझे पीछे धक्का दिया.

मैं घूमती गयी और मनीष ने मेरी साड़ी खींच कर निकाल दी. साड़ी निकलने के बाद पेटीकोट ने भी आग पकड़ ली. फिर मनीष ने मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरा पटकत भी निकाल दिया. अब मैं ब्लाउज और पेंटी में थी और डर के मारे रो रही थी. मनीष जल्दी से बाथरूम से पानी लेके आया और उसने जलते हुए कपड़ो पर पानी डाल दिया. अब आग बुझ चुकी थी और मनीष मुझे घूर-घूर कर देख रहा था.

फिर उसने मुझसे पुछा-मनीष: आप ठीक हो?

मैं बहुत डर गयी थी और मैंने उसको गले से लगा लिया. मैं भूल गयी थी की मैं सिर्फ ब्लाउज और पेंटी में थी. जब २ मिनट मैंने मनीष को नहीं छोड़ा तो वो अपने हाथ मेरी गांड पर ले गया. जब उसने मेरी गांड को दबाया तब मुझे होश आया. मैंने अपनी जांघो पर उसका खड़ा हुआ लंड महसूस किया.

उसने मुझे कस के हग कर लिया और मेरी गर्दन पर किश करने लगा. मैं भी थोड़ा मज़े में आ गयी थी. फिर मैंने अपना फेस ऊपर किया तो मेरे होंठ उसके होंठो के सामने थे. हमारी साँसे टकरा रही थी और तभी मनीष ने अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिया. मैंने भी उसको नहीं रोका.

अब ये हीट ऑफ़ थे मोमेंट कह लो या उसका मेरी जान बचाने का इनाम. वो मुझे पागलो की तरह किश करने लगा. मैं भी उसका साथ दे रही थी. फिर उसने मेरी क्लीवेज में अपना मुँह डाल लिया और चूमने लगा.वो साथ-साथ मेरा एक बूब दबा रहा था. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसने मुझे घुमा कर दीवार के साथ लगा लिया और नीचे बैठ कर मेरी पेंटी उतार दी. फिर वो मेरी गांड में मुँह मारने लगा और जीभ से मेरी गांड को चीर कर चाटने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. ऐसा तो मेरे पति ने भी कभी नहीं किया था. गांड चाटने के बाद उसने मेरी टांगो को खोल कर मेरी गांड को थोड़ा पीछे किया.

अब मेरे हाथ दीवार पर थे और मैं आधी घोड़ी बनी हुई थी. फिर उसने मेरी चूत में जीभ डालनी शुरू कर दी. मैं आहह आहह की सिसकिया लिए जा रही थी. फिर वो खड़ा हुआ और उसने मेरे ब्लाउज का हुक खोल दिया. उसने मेरी ब्रा भी साथ ही उतार दी और मुझे अपनी तरफ घुमा लिया.

फिर उसने मेरे एक बूब को अपने मुँह में डाला और मुझे अपनी बाहो में उठा लिया. बूब्स चूसते हुए वो मुझे बैडरूम में ले गया. वह जाके उसने मुझे बेड पर पटक दिया और खुद अपने सारे कपडे उतार दिए. उसका लंड पूरा तन्ना हुआ था और लगभग ७इंच का था. उसका लंड मेरे हस्बैंड के लंड से बड़ा था क्युकी मेरे हस्बैंड का लंड ५.५इंच का था.

फिर उसने मेरी जाँघे खोली और जांघो के बीच आ गया. अब उसका लंड मेरी चूत के मुँह के बिलकुल सामने था. उसने मेरी टांगो को थोड़ा ऊपर किया और लंड रगड़ते हुए मेरी चूत में डाल दिया. जब उसका आधा लंड मेरी चूत में गया तो मेरी आह्हः निकल गयी. फिर वो मेरे मुँह की तरफ झुका और मेरे होंठ चूसने लगा.

होंठ चूसते-चूसते वो नीचे से दबाव बनता गया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया. मुझे फर्स्ट नाईट जैसा दर्द महसूस हुआ क्युकी उसके लंड ने मेरी १.५ इंच चूत और फाड़ दी थी. फिर वो मेरे होंठ चूसते हुए धक्के मारने लगा. धीरे-धीरे उसकी स्पीड तेज़ हो गयी और मैं मज़े के सातवे आसमान पर पहुँच गयी. लगभग १५मिनट वो उसी पोजीशन में मुझे चोदता रहा.

उसने मेरे बूब्स को चूस-चूस कर लाल कर दिया था और मेरी गर्दन पर उसके दांतो के निशान थे. फिर वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और उसको हिला कर मेरे पेट पर अपना माल निकाल दिया. उसके बाद वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरे होंठ चूसने लगा. मुझे इतना मज़ा कभी अपने पति के साथ भी नहीं आया था. ५ मिनट में हम दोनों फिर से गरम हो गए.

मैं कब से अपनी गांड मरवाना चाहती थी लेकिन मेरे पति का इतना हार्ड कभी होता नहीं था. जब वो फिर से अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा तो मैंने उसको मेरी गांड मारने के लिए कहा. वो हँसा और उसने मुझे घोड़ी बना लिया. उसने पास पड़े दिए में से थोड़ा तेल मेरी गांड के छेद पे लगाया और अपने लंड से एक ज़ोर का धक्का मारा. उसके धक्का लगते ही मेरी आँखें बाहर आ गयी. मुझे नहीं पता था की इतना दर्द होगा. मैंने उसको लंड निकालने को कहा लेकिन वो धक्के मारता गया.

वो तब रुका जब उसका पूरा लंड मेरी गांड में था. २०-३० धक्को के बाद मुझे दर्द के साथ मज़ा भी आने लगा. फिर उसने मेरी गांड को चोदना शुरू किया और साथ में थप्पड़ मार कर लाल भी कर दिया. मैं कुतिया बन कर उससे चुद रही थी. १० मिनट बाद उसने अपना पानी मेरी गांड में निकाल दिया और कपडे पहन कर चला गया. फिर मेरे पति का फ़ोन आया और वो १५ मिनट में आ रहे थे. मैं जल्दी से बाथरूम में जाके नहायी और दोबारा से तैयार हो गयी. उस रात मैं अपने पति से नहीं चुदी क्युकी पहले ही ठुकाई बहुत हो चुकी थी.

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