प्यासी औरत को संतुष्ट किया स्वामी ने 2

नमस्कार दोस्तों, मैं अंजू आपकी रंडी. दोस्तों आपने मेरी कहानी का पहला भाग प्यासी औरत को संतुष्ट किया सवामी ने 1 पढ़ा होगा. जिसमे मैं एक स्वामी जी से अपनी चूत चुदवाई. और फिर हम बात कर रहे थे तभी मेरी बहन रागिनी भी वहाँ आ गई. अब आगे – Big Indian Lund

स्वामीजी को देख कर वो रुक गयी. अंजू ने दोनो का परिचाए करवाया,` स्वामीजी ये मेरी बेहन रागिनी है, रागिनी ये स्वामीजी हें प्रणाम करो`. रागिनी नें प्रणाम किया और बोली,` दीदी में ज़रा फ्रेश हो लूँ`. ` अंजू बोली ठीक है जा. स्वामीजी भी जाने वाले हें` रागिनी चली गयी.

स्वामी जी नें पूछा, `अंजू तुम इस लड़की की चुदाई की बात कर रही थी?`

` हां स्वामीजी`.

`मगर क्यूँ, ये तो कुँवारी है. मेने तुम्हें चोदा है इसका मतलब ये नही की में कुँवारी लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद करूँ. चुदाई मेरा पेशा नहीं है. में केवल उनें ही चोद्ता हूँ जो अपने विवाहित जीवन से निराश होती हैं. इसे चोदुन्गा तो इसकी सील टूट जाएगी चूत खुल जाएगी. ये इसके पति के साथ धोका होगा.

` स्वामीजी में आपकी भावनाओं की कदर करती हूँ मगर ये मेरी बेहन मेरी देवरानी बनने वाली है और मेरा देवर कमलेश भी मेरे पति लक्ष्मण की तरह नमार्द है. जहाँ तक सील का स्वाल है उसका लंड तो सील तक पहुचेगा भी नहीं फिर जब मेरी तरहा कल भी चुदाई बाहर से ही करवानी है तो आज ही क्यों नहीं. आप परेशान ना हों और अगली बार इसकी भी चुदाई करें.`

`अगर ये बात है तो ठीक है, में अपने एक चेले को भी ले कर आऊंगा. मगर एक बात बताओ, तुम्हे कैसे मालूम की कमलेश भी नमार्द है, क्या उससे भी चुदाई करवाई थी`.

`हाँ. स्वामीजी, जब लक्ष्मण मेरी प्यास नहें बुझा सका तो मेने कमलेश को फँसाया, पर वो भादुआ तो लक्ष्मण से भी बेकार निकला.`

` तो फिर तुम रागिनी की शादी इससे क्यों करवा रही हो`.

` स्वामीजी जी , ये मेरे सामने रहेगी तो दिल को तस्सली रहेगी. अगर कहीं और शादी हो गयी और भी कोई नमार्द ही मिल गया तो क्या होगा. अपनी हालत देख कर मन डरने लगा है. बस अब आप हम दोनो बहनों को चोद्ते रहिए`.

`ठीक है तो फिर अगले मंगलवार को अपने चेले के साथ आता हूँ फिर धीरे से बोले, ` मेरा चेला तुम्हारे लिए एक सर्प्राइज़ होगा`.

अंजू कुछ समझी नहीं. स्वामीजी चले गये. रागिनी बाहर आई,

` क्या स्वामीजी चले गये दीदी?` ` दीदी एक बात पूछूँ, आज बड़ी खुश लग रही हो क्या बात है?`

अंजू शरमाई, `नही बस ऐसे ही`.

`नही दीदी कुछ तो है , बताओ ना`.

` अरी कुछ नहीं, अच्छा एक बात तो बता, कॉलेज में तेरा कोई बाय्फ्रेंड है?`

रागिनी हैरान हो गयी. दीदी नें कभी उससे ऐसी बात नही की थी.

बोली,` नहीं दीदी.”

` पर आज कल तो सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड्स होते हैं`.

` हां पर मेरी शादी भी तो तय हो गयी है`

ये कहते हुए वो कुछ उदास हो गयी. वो कमलेश और लक्ष्मण जीजा जी के बारे में जानती और समझती थी.

` रागिनी, में जानती हूँ तू क्या सोच रही है. तेरे जीजा जी में मर्दानगी की कमी है और कमलेश भी ऐसा ही है. फिर भी में तुम दोनो की शादी करवा रही हूँ. रागिनी में ये इस लिए कर रही हूँ की इससे तुम मेरे पास तो रहोगी. कहीं दूसरी जगहा भी ऐसा आदमी मिल गया तो क्या होगा?

या तो फिर तुम ही अपने लिए कोई ढूंड लो जो पूरा मर्द हो. मगर एक बात है यहाँ ढेर सारा पैसा और आज़ादी है, कोई रोक टोक नही. अगर थोड़ा सोच समझ कर चलें तो सब ठीक हो सकता है. आ इधर मेरे पास आ. तू कह रही थी ना की आज में बहुत खुश हूँ, हां ये सच है, आज में खुश हूँ. तू मेरी बेहन ही नहीं मेरी सहेली भी है. हम दोनो एक ही नाव के सवार हें.

हमे एक दूसरे का राज़दार भी बनना है. ये जो स्वामी जी आए थे, ये आज मुझे दो बार चोद कर गये हैं. मेरी तस्सली हो गयी है. अगले मंगलवार को फिर आएँगे और साथ इनका एक चेला भी होगा. अगली बार में चाहती हूं की तू भी चुदाई करवा और मज़ा ले.`

`मगर दीदी………`

`नहिएं रागिनी, में तड़पति रही हूँ सेक्स के लिए, में तुझे तड़पने नहीं दूँगी.`

ये कह कर अंजू नें रागिनी को बाहों में ले लिया, और अंजाने ही उसके होंठ चूसने लगी……. अंजू औररागिनी देर तक एक दूसरे से लिपटी रही.अलग हुई तो दोनो की आँखें गुलाबी हो रही थी. दोनो कामुक थी, और चूत गीली हो रही थी.

अंजू को तो फिर स्वामीजी की याद आ गयी. चूत फिर लंड माँगनें लगी. बड़ी मुश्किल से अपने मन पर काबू किया. रागिनी को एक बार फिर चूमा और पूछा,` रागिनी सच सच बताओ, तुमने कभी चूत नही चुदवाइ?`

` नहीं दीदी, सच`.

`कभी दिल नहीं करता था ?`

` दिल तो करता था, पर मेरी सहेली रेखा और में मूली चूत में डाल कर मज़ा लेती थी.`

`मूलीइीईई, ` अंजू हैरानी से चिल्लाई और हँसने लगी, `मेने सुना था की जवान लड़किया केला चूत में लेती हैं या आजकल रब्बर या प्लास्टिक के लंड मिलते हैं, पर ये मूली ? में कुछ समझी नही इसका मतलब है कुछ भी डाल लो चूत में, लौकी, तौरई…कुछ भी?

`अर्रे दीदी, ये कोइ मामूली मूली नही होती, इसे स्पेशल बनाया जाता है`.

`स्पेशल बनाया जाता है, वो कैसे?`

`देखो दीदी, पहले तो अपनी चूत के साइज़ के अनुसार मूली मूली सेलेक्ट कर लो. फिर इसे 7-8 दिन के लिए कहीं रख दो. 7-8 दिन के बाद ये नरम हो जाएगी बिल्कुल लंड की तरहा नरम और फ्लेक्सिबल चूत को ना दुखाने वाली. बस मूली लंड तैयार है. क्रीम लगाओ और जितना चाहे अंदर लो और जैसे चाहे चोदो.`

`कमाल है, तू कितनी बड़ी मूली लेती है ?`

रागिनी नें हाथ से गोलाई और लंबाई बताई. अंजू नें देखा, मूली का लंड स्वामीजी के लंड बहुत छोटा था. अंजू को तस्सली हुई की रागिनी अभी चुड़दक़्कड़ नही हुई थी और स्वामी के लंड का पूरा मज़ा लेगी. बोली, ` बस इतना ही.`

`हां दीदी,में तो इतना ही लेती थी, पर रेखा काफ़ी बड़ी मूली लेती थी.` फिर शरारत से बोली,` दीदी आप भी ले कर देखो ना कभी.`

`हॅट, तू भी एक बार स्वामीजी से चुद जा, मूली भूल जाएगी.`

दोनो बहनें हँसनें लगी. दिन बीत गये. मंगलवार आ गया. सुभह से ही अंजू स्वामी जी का इंतेज़ार कर रही थी. 11 बजे डोरबेल बजी. अंजू भागी और दरवाजा खोला. स्वामी जी ही थे. अपने चेले के साथ. चेला भी अनिरुद्ध की तरह मस्त था. गोरा लंबा, लेकिन क्लीन शेव. अंजू सोचने लगी रागिनी की चुदाई मस्त होगी.

`आइए स्वामी जी स्वागत है.`

स्वामी जी अंदर आए और सोफा पर बैठ गये, और बोले `अंजू ये है हमारा चेला. हम डाल है तो ये पात. हम से दो कदम आगे.`

अंजू शर्मा गयी, और चेले की तरफ देख भी नहीं सकी.

स्वामी जी बोले, ` अंजू, वक़्त कम है, क्या कहती हो. रागिनी घर में है क्या ?`

`हाँ स्वामीजी`

` तो फिर देर किस बात की है.`

`वो शर्मा रही है स्वामीजी`

`ओह तो फिर में जा कर लाता हूँ`.

`नहीं स्वामी जी में जाती हूँ और ले कर आती हूँ.`

अंजू अंदर गयी और कुछ देर बाद रागिनी के साथ वापस आ गयी… अंजू रागिनी को ले कर आ गयी. स्वामी जी नें अपने पास जगह बनाते हुए कहा, ` आओ रागिनी मेरे पास बैठो.` रागिनी शरमाती शरमाती स्वामी जी के पास बैठ गयी.

स्वामी जी बोले, `रागिनी एक बात बताओ, क्या अंजू नें तुम्हें कुछ समझाया है, तुम समझ रही हो ना.`

रागिनी नें हां में सर हिलाया.

स्वामी जी बोले, ` तो फिर शरम का पर्दा उतार दो और पूरा मज़ा लो. क्या तुम तैयार हो रागिनी? में बार बार इस लिए पूछ रहा हूंकि में किसी लड़की पर कोई ज़ोर ज़बदस्ती नही करता, बोलो रागिनी.`

रागिनी नें स्वामीजी के तरफ देखा और हां में सर हिला दिया.

स्वामीजी बोले, `तो ठीक है अंजू हमे सॉफ सॉफ बात करने चाहिए. में रागिनी को चोदुन्गा और ये मेरा चेला तुम्हारी चुदाई करेगा.`

अंजू को अच्छा नहीं लगा. वो तो स्वामीजी का लंड लेना चाहती थी. स्वामीजी उसके चेहरे के भाव पढ़ गये,

“अंजू चिंता मत करो, ये हमारा चेला चुदाई में हमारा अनिरुद्ध है. मेने तुम्हें कहा था ना की में तुम्हारे लिए सर्प्राइज़ लाऊंगा, ये है वो सर्प्राइज़. दूसरी बात ये जवान है नातुज़रबेकार है रागिनी अभी नयी है, ये उसकी चूत को नुकसान पहुँचा सकता है. रागिनी को मुझे ही चोदने दो. और एक बार, इसका लंड ले कर तुम मेरा लंड भूल जाओगी.`

अंजू अनमने मॅन से बोली,` स्वामीजी में आपके लंड को भूलना नहीं चाहती, पर आप कहते हेँ तो ठीक है. मगर स्वामीजी आप दोनो हम दोनो को यहीं चोदोगे?`

स्वामी जी बोले,` यहीं ठीक रहेगा , अपनी चुदाई के साथ दूसरे की भी चुदाई देखो`.

ये कह कर उन्होंने अंजू को बाहों में भर कर चूम लिया और चेले से बोले, `लो आनंद, इनकी कामाग्नि को शांत करो`.और खुद उन्होंने रागिनी को बाहों में ले लिया. स्वामीजी नें रागिनी के और आनंद नें अंजू के कपड़े उतार दिए.

दोनो उन्हें बेतहाशा चूमने लगे. दोनो औरतें गरम हो गयी. अंजू नें तो नारारण का लंड हाथ में लिया और उसे एकदम शॉक लगा. स्वामी जी का लंड देखने के बाद वो सोच रही थी की इससे बड़ा लंड हो ही नहीं सकता, पर ये…..ये तो गधे के लंड जैसा था.

स्वामीजी ठीक ही कह रहे थे , ये लंड रागिनी की कुँवारी चूत को फाड़ सकता था. अंजू से रहा नहीं गया. वो जल्दी से जल्दी आनंद का लंड देखना चाहती थी. उसने आनंद के कपड़े उतार दिए. आनंद का लंड ऐसे था मानो संसार मे आनंद का लंड सिर्फ़ एक बड़ा लंड है.

अंजू नें एक नज़र स्वामी जी की तरफ डाली. दोनो की नज़रा टकराई. अंजू की आखों में ऐसा लंड देने के लिए स्वामीजी के लिए आभार था. स्वामी जी मुस्कुराए और रागिनी को गरम करने में जुट गये. रागिनी नें जब स्वामीजी का लंड देखा तो घबरा गयी.

उसने अंजू की तरफ देखा मगर वो आनंद के साथ मस्त थी. स्वामीजी रागिनी की उलझन को समझ गये. बोले ` रागिनी घबराओ मत. में तुम्हारी चूत में उतना ही लंड डालूँगा जितना तुम ले सकोगी. अब शरम उतार दो और मस्ती करो. देखो अंजू कैसी मस्ती कर रही है.`

रागिनी नें उधर देखा. अंजू आनंद का लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी, मगर इतना मोटा लंड मुँह में समा नही रहा था. रागिनी सोचने लगी अगर ये लंड मुँह में नही जा रहा तो चूत में कैसे जाएगा. जब रागिनी की ख्याल टूटा तो देखा की स्वामीजी अपना लंड उसके मुँह के पास ले आए है.

रागिनी नें सोचा जब चुदवाना ही है तो फिर शर्म कर क्या फाय्दा. स्वामीजी सही कह रहे थे. रागिनी ने स्वामी जी का लंड मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. पहली बार लंड मुँह में गया था, रागिनी तो निहाल हो गयी. उसे मालूम नही था कि लंड की चुसाइ इतनी मस्त होती है.

रागिनी ज़ोर ज़ोर से लंड चूसने लगी. स्वामीजी मस्ती में आ गये. रागिनी को लिटा कर उसकी चूत चूसने लगे. उधर अंजू के मुँह में आनंद का लंड समा नही रहा था. मगर वो इस जंबो लंड को अपनी चूत में महसूस कर रही थी अंजू ने लंड चूसना बंद किया और प्यासी नज़रों से आनंद को देखा.

आनंद समझ गया की अंजू अंदर लेना चाहती है. अब तक आनंद शांत था. जैसे ही चुदाई का टाइम आया वो जानवर बन गया. अंजू की टाँगें उठा कर उसने अपनें कंधों पर रख दी और एक ही झटके में लंड अंजू की चूत में घुसेड दिया. अंजू को लगा की कोई अंगारा उसकी चूत में चला गया हो.

वो ज़ोर से चीखी, `हाई में मर गयी, स्वामीजी मुझे बचाओ इससे, इसने मेरी चूत का कबाड़ा कर दिया, ये किस को ले आए आप. ये तो जानवर है.`

मगर आनंद चोदता जा रहा था. कोई तरस नही कोई रहम नही. आनंद के धक्के अंजू कीजान निकाल रहे थे. उधर अंजू की हालत देख कर रागिनी डर गयी. मगर स्वामीजी ने उसे हिम्मत बँधाई, ` डरो मत तुम्हारी दीदी अभी ठीक हो जाएगी. अब तुम भी अपनी टाँगें खोलो ओए मेरा लंड ले लो.

रागिनी अब तक पतली छोटी मूली ही चूत में लेती थी,इतना बड़ा लंड कैसे चूत में जाएगा समझ नही पा रही थी.स्वामी जी नें उसकी टाँगें फैलाई और अपना लंड रागिनी की चूत पर रख दिया (मगर अंदर नही डाला) कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे. रागिनी अंदर लेने की इच्छा करने लगी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी.

स्वामीजी जी नें लंड थोड़ा सा अंदर डाला और रुक गये. ऐसे ही कुछ देर चलता रहा. स्वामी जी का आधा लंड अंदर जा चुका था. रागिनी पेशोपश में थी के और लंड ले तो कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी? दिल तो चाह रहा था मगर दरद से डर रही थी.

मस्ती डर पर हावी थी. एक बार फिर लंड लेने के लिए हिली, और स्वामीजी नें एक ही झटके में पूरा लंड अंदर डाल दिया. बकरी को एक दिन तो हलाल होना ही था. `आआआआअ.. …….मर गइईई, डिडियीयैआइयीयिमिन मर गइईए. मेरी चूऊऊओत फाड़ दी स्वामीजी नें. दीदी प्लीज़ मुझे बचाओ.`

अंजू उसे क्या बचाती. उसकी तो अपनी चूत का भोसड़ा बन रहा था. आनंद वहशयों की तरहा अंजू की चुदाई कर रहा था.उधर स्वामीजी ने थोडा रुक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए. दर्द का अहसास कम हो रहा था. मस्ती दोनो बहनों पर हावी हो रही थी.

चीखो के जगहा सिसकारियों ने ले ली थी. दोनो बहनें बड़बड़ा रही थी, ` हाँ स्वामीजी मज़ा आ रहा हाइपर ज़रा धीरे चोदो. आआअहह. …स्वामी जी आआआ. पूरा जा रहा है. हाआन आनंद तुम आदमी हो की जानवर. कैसे चोद्ते हो. पर आहह ऐसे ही, ऐसे हीईई….. हन्न्न….

ऐसे ही चोदो. साले कितना मोटा है तेरा…..स्वामीजी ठीक ही कहते थे….. साले तू रागिनी की तो फाड़ ही देता. आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नारया……..ज़रा लंबे लगाओ.आआहहस्वँ ई जी आआहह क्या मस्त चला लाए हूऊ……. आआअहहस्वँ ईज़ी रागिनी को ज़बरदस्त चोदो. कोई हसरत ना रह जाए.`

उधर रागिनी चिल्ला रही थी, ` डीडीिईई…. म्ज़ा आआआअ…. गया मेरपयारी दीदी……क्या स्वरग की सैर करवाई है……स्वामीजी तो मस्त चोद रहे हैं आआआआ…. स्वामीजी …स्वामीजी …..करो स्वामीजी ज़ोर से करो…..हाए ये क्या हो रहा है…….स्वामीजी ….प्लीज़ स्वामीजी …….चोदो. …जैसे मेरी दीदी को चोदा था……..आआहह हौर रागिनी ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछालने लगी.

स्वामीजी समझ गये की लड़की गयी. उन्होंने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. टाइट चूत ने उन्हें भी मस्त कर दिया. उन्होंने भी मज़ा लेने का मंन बना लिया. रागिनी चिल्ला रही थी, ` स्वामी जी ज़ोर से चोदो आज तो कमाल हो गया. है दीदी अब हमेशा चुदवाउन्गि स्वामीजी ……स्वामीजी. …..स्वाआआआअ म्म्म्मीईज्ज्ज्जीइ. …. ..आआआआ आआआ`.

उधेर स्वामीजी भी झाड़ गये,`आबीयेयेयीयायग गग्ग्घगया …..अंजू तुम्हारी बेहन बड़ी सेक्सी है…….आआअहह हह`. अंजू और आनंद की कुश्ती जारी थी. अंजू उचक उचक कर चुदवा रही थी. पूरी चूत लंड से भरी हुई थी. रागिनी अंजू के पास आ कर बैठ गयी और चुदाई देखने लगी आनंद का मोटा लंड जब बाहर निकलता था तो चूत की स्किन भी बाहर आ जाती थी.

दोनो मस्ती में ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे दुनिया से बेख़बर. रागिनी ने स्वामीजी की तरफ देखा जो नंगे लेटे हुए थे. रागिनी नें उनका लंड चूसना शुरू कर दिया. अब वो भी अंजू की तराहा लंड की प्यासी थी. स्वामीजी से दोबारा चुदने के लिए तैयार….. रागिनी और अंजू चुद चुकी थी.

रागिनी तो एक बार स्वामीजी क़ा वीर्य पी भी चुकी थी. अंजू आनंद का मोटा लंड ले कर निहाल हो चुकी थी. हालाँकि उसकी चूत में जलन हो रही थी, फिर भी वो बोली,` स्वामी जी आप का चेला तो मस्त चुदाई करता है. एक बात बतायए स्वामी जी ऐसे कितने तीर हैं आप के पास.

स्वामीजी हंस दिए,` हां एक तीर है, विप तीर, विप लोगों के लिए.`

` उसकी क्या ख़ासियत है स्वामी जी ?`

`वो चुदाई महीने में एक बार करता है, और जब करता है तो जल्दी झाड़ता नहीं. जब झाड़ता है तो चूत वीर्य से भर जाती है. और वीर्य चूत से बाहर आने लगता है. और सब से बड़ी बात तो ये है की झड़ने के बाद भी उसका लंड खड़ा रहता है, जब तक वो चाहे, यही उसकी ख़ासियत है.`

अंजू बोली ,` स्वामीजी आप के चेले तो एक से बढ़ कर एक हैं, आप उसे ले कर आईए.`

` ठीक है अंजू, तुम्हारी और रागिनी की चुदाई से में बहुत खुश हूँ, अगली बार में उसे ले कर आऊंगा. उसके चुदाई का एक महीने का बनवास भी अगले महीने ख़तम होने वाला है अच्छा अब चलते हेँ.`

अंजू नें स्वामीजी को एक जोरदार किस दिया और अलविदा कहा. रागिनी भी स्वामीजी के लंड के ख़यालों में थी. अगले दिन कोमल आ गयी. वो 2 महीने में एक बार आती थी. घर में खुशी का महॉल था. अंजू भाबी बहुत खुश थी. अंजू की उदासी उससे देखी नहीं जाती थी.

वो अपने भाइयों के बारे में जानती थी और किसी भी तराहा अंजू को खुश देखना चाहती थी. कोमल हॉस्टिल में रहती थी और खुले दिमाग़ की लड़की थी. एक बाय्फ्रेंड भी था. जब मूड होता था चुदवाने से भी पीछे नहीं हटथी थी.

सेक्स टॉयस भी यूज़ करती थी और जब मंन करता था रबड़ का लंड चूत में खूब लेती थी. इस बार वो भाभी के लिए भी एक रबड़ का लंड ले कर आई थी. रागिनी कॉलेज जा चुकी थी. कोमल आ कर अंजू के पास आ कर बैठ गयी और बोली, ` भाबी इस बार आप बड़ी खुश हो, चेहरा भी दमक रहा है. बताओ ना भाबी क्या बात है ?`

` अर्रे कुछ नही रे.`

मगर कोमल से छुपा नहीं पाई और शर्मा गये. कोमल सोचने लगी की ऐसा नूर , ऐसी खुशी तो केवल चुदाई से ही आ सकती है, क्या भाबी नें किसी से चुदाई करवानी शुरू कर दी है ? कोमल नें पूछने का मंन बनाया और बात शुरू की.

`नहीं भाभी कुछ तो है. में आप की ननद भी हूँ और सहेली भी, आप के दरद को जानती हूँ. मुझे अपने भाइयों के बारे में पता है. ` फिर वो धीरे से बोली, ` भाबी में आप के लिए रबड़ का लंड ले कर आई हूँ, जब चाहो क्रीम लगा कर अंदूर डाल लो`.

` अर्रे कोमल ये कैसी बात कर रही हो, मुझे तो समझ नही आ रहा`.

`अर्र भाबी शरमाना कैसा, एक बात बताऊं, मेरा एक बाय्फ्रेंड है, जो कभी कभी मुझे चोद्ता है, और अगर मेरा मंन चुदाई का करता है और वो वहाँ नहीं होता तो में रबड़ के लंड से काम चला लेती हूँ.`

` कोमल तू तो बड़ी शरारती हो गयी है.`

` हां भाबी और में दिल से चाहती हूँ की आप भी कुछ शरारती बनें.

` फिर भाबी के पास आ कर बोली,` भाबी मुझे आप की खुशी में एक मस्त राज लग रहा है, और अगर ये सच है तो में बहुत खुश हूँ`.

` राज कैसा, अंजू नें नज़रें चुरा कर पूछा.`

` भाबी अब चुपाओ मत, मेरा ख्याल है की आप नें चुदाई करवाई है और वो भी मस्त.`

अंजू को जैसे शॉक लगा. उसने कोमल की आँखों में देखा, उसे वहाँ सच में ही प्यार और खुशी दिखाई दी.` अंजू नें कोमल को बाहों में भर लिया और सारी बात बता दी. `

हाई भाबी , रागिनी भी ?` कोमल बोली,

` फिर तो भाबी आप मुझे भी चुदवाओ, प्लीज़.`

` अर्रे इसमे प्लीज़ की कोई बात नहीं है. शायद ये तेरी किस्मत है की इस मंगलवार को स्वामी जी अपनें एक और चेले के साथ आ रहे हैं. मगर तू तो मंगल तक चली जाएगी.`

` नहीं भाबी अब तो में चुदवा कर ही जाऊंगी…. कोमल बोली`भाबी अब तो में चुदवा कर ही जाऊंगी.`

और कोमल नें दो दिन की छुट्टी ले ली.`

भाबी जिस तरहा के लंड आप नें बताए हैं, वाइज़ लंड से तो में ज़रूर चुदना चाहूँगी.`

मंगलवार आ गया, रागिनी नें भी छुट्टी लेली थी. 11 बजे के करीब स्वामीजी आ गये, और अंजू की तरफ देख कर बोले, ` ये है वो वीआइपी तीर अनिरुद्ध. केवल नाम का ही अनिरुद्ध नहीं, चुदाई का भी अनिरुद्ध. औरत को पूरा मज़ा देने के लिए महीने में केवल एक बार चुदाई करता है.`

अंजू ने देखा अनिरुद्ध भी स्वामीजी और आनंद की तरह सुन्दर था. लेकिन आनंद का एक और रूप वो देख चुकी थी. एक वाहशी चुड़दकड़ का. वो बात अलग है की उसकी चुदाई नें उसे मस्त कर दिया था अंजूकी आँखों के आगे आनंद की चुदाई घूम गई जो उसनें पीछे से की थे, लगता था जैसेचूत फॅट ही जाएगी.

स्वामी जी नें कोमल की तरफ देख कर कहा , ये कौन है?

` `स्वामीजी ये मेरी ननद है, कॉलेज में पढ़ती है छुट्टियो में घर आई है ये भी आपसे चुदवाना चाहती है आपको कोई ऐतराज तो नही

`नहीं मुझे कोई ऐतराज़ नहीं. `

स्वामीजी अनुभवी थे, स्मझ गये की लड़की चुदाई मजबूरी में नहीं, मज़े के लिए करवा रही थी, यानी खूब मज़ा देगी. स्वामीजी के चेलों ने कपड़े उतार दिए. उनके लंड खड़े हो गये थे. कोमल की नज़र आनंद के लंड से हट नही रही यही. चुदवाना अंजू भी उससे चाहती थी पर कोमल का मॅन देख कर वो स्वामीजी की तरफ मूड गयी.

पर स्वामीजी नें कहा ,` अंजू आज तुम अनिरुद्ध से चुदवाओ. में रागिनी को चोदुन्गा जिससे इसकी चूत आनंद का लंड लेने लायक हो जाए. और हां तुम सब जितना मज़ा लेना चाहो लेलो फिर अंत मे अनिरुद्ध तुम सब को एक एक बार फिर चोदेगा.`

सब बात को समझ गयी और सब नें कपड़े उतार दिए. उनके नंगे जिस्म और चिकनी चूते तीनों मर्दों को मस्त कर रही थे. उनके लंड फंफनाने लगे, जैसे फॅट जाएँगे. आनंद का लंड तो जैसे लंबा ही होता जा रहा था. रागिनी स्वामीजी की बाहों में चली गये.

अंजू नें अनिरुद्ध का लंड अपने हाथों में ले लिया और कोमल आनंद का लंड अपने मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. आनंद का लंड कोमल के मुँह में जा नहीं रहा था. कोमल नें आनंद को नीचे लिटा दिया और उसके लंड पर बैठ गयी.

एक हाथ से लंड पकड़ कर चूत में लेने की कोशिश की मगर लंड मोटा था, अंदर नहीं जा पाया. पर कोमल की ये हरकत आनंद को गरम करने के लिए काफ़ी थे. उसने कोमल के कंधे पकड़े और नीचे से उचक कर एक जोरदार धक्का लगाया, और पूरा लंड कोमल की चूत को चीरता हुआ अंदर घुसेड दिया.

आआआअ……मररर….गइई. मैईएन…..फाड़ दी मेरी चूत…….…भाबी मुझे बचाओ…… स्वामीजी.. …..आआहह. …..आनंद नहीं ……प्लीज़. …..नाआअ. करूऊओ. नहियियैआइयैयीन. ……निकालूऊओ ओ….हहााआ ईई…. मर …..गइईए.

मगर नरायण नहीं रुका. अंजू नें कोमल की तरफ देखा और उसे अपनी चुदाई याद आ गयी. सोचने लगी, ये कोमल अभी चिल्ला रही है अभी मस्त हो जाएगी. अंजू को अनिरुद्ध पीछे से चोद रहा था, बिना रुके धक्के लगा रहा था. अंजू गरम थी. चूत मे आग लग रही थी.

मुँह से आवाज़ें निकल रही थी,`…..हाँ …..अनिरुद्ध…..ज़ोर से….क्या चुदाई है…….वाह …उरू….तुम ….भी….. आआहह. ….स्वामीजी. ….आआप्प्प्प. और आआप …के चेलए……क्या. ….खूओब. …हैं .अरे…..कोमल… म्ज़ा आना शुरू हुआ की नही……..आह…….हाआअँ भाबी……..आअब्ब्ब्ब. …..आआ…रहा है……ये आनंद …….बड़ा. ….जालिम है.

रागिनी स्वामी जी का लंड पा कर निहाल थी. बस एक ही बात बोल रही थी….हाआअँ स्वामीजी……छोड़ो… …चिॉडो. ….ज़ोर …..से छोड़ो. सारे कमरे में सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दे रही थी. जल्दी ही सब को मज़ा आ गया. कमरा सिसकारियों की आवाज़ों से भर गया.

केवल अनिरुद्ध की ही आवाज़ नही थी. अब पार्ट्नर बदल गये. अनिरुद्ध कोमल को चोदने लगा. स्वामीजी अंजू की चोदने लगे. अंजू के जहाँ में तो आनंद का लंड था. मगर कुछ बोली नहीं. रागिनी स्वामीजी से चुदवाने के बाद सोच रही थी की आनंद का लंड और मस्ती देगा.

उसने सोच आनंद भी स्वामीजी की तराहा आराम से चोदेगा. खैर चुदाई का दूसरा दौर शोरू हो चुका था. अनिरुद्ध और कोमल मस्त थे. अंजू और स्वामीजी एक दूसरे में सामने की कोशिश कर रहे थे. आनंद रागिनी को पीछे से चोदने की तैयारी कर रहा था.

रागिनी की कमर कस कर पकड़ कर उसने एक वहशियाना धक्का लगाया और उसका लंड चीरता हुआ रागिनी की चूत मे घुस गया. रागिनी दरद के मारे चीख उठी. `स्वामीज्वी दीदी मुझे बचाओ, में मर जाऊंगी……ये आनंद मुझे मार देगा. पर किसी को उसकी चीखें सुनने की फ़ुर्सत नहीं थी.

आनंद चोद्ता रहा. रागिनी की चूत फूल कर छोटे गुबारे जैसी हो गयी. सब मस्त थे. सब झड़ने को थे. कमरा चीखो सिसकारियों से गूज़ रहा था. एक और दौर चुदाई का ख़तम हो गया. अब आनंद अंजू की तरफ मूड गया. स्वामीजी कोमल को चोदने लगे.

अनिरुद्ध रागिनी की तरफ बढ़ा की वो घबरा गयी. उसकी चूत दुख रही थी. मगर यहाँ हर कोई केवल चुदाई के बारे में सोच रहा था. अनिरुद्ध नें लंड धीरे से रागिनी की चूत पर रखा. चूत विर्य से भरी पड़ी थी. लंड फिसलता हुआ अंदर चला गया.

चुदाई का ये दौर भी ख़तम हो गया. अनिरुद्ध नें स्वामीजी की तरफ देखा, और स्वामीजी नें सर हिला कर इज़ाज़त देदी और कहा,` अब आखरी चुदाई होने वाली है. सब अनिरुद्ध के वीर्य का टेस्ट करेंगी, लेकिन साथ ही सेक्स का भी मज़ा लेंगी. अंजू आनंद के लंड पर बैठेगी, और कोमल मेरे लंड पर. रागिनी आज और लंड लेने के लायक नहीं है. इस तराहा तीनों अनिरुद्ध का लंड चूसेंगी और अनिरुद्ध का कमाल देखेंगी. सब तैयार हो गये. बड़ी मुश्किल से अंजू ने आनंद का लंड अपनी चूत में लिया.

कोमल स्वामीजी के लंड से मस्त थी. रागिनी अपनी सूजी हुई चूत में उंगली कर रही थी. एक बार फिर चुदाई का दौर शुरू हो गया. चुदाई के साथ चुसाइ भी चालू थी. लड़किया मस्त थी. आअन्न्न्नह. ……ग्लग. ……हुउऊन्न्ञणणन् न…….हम म्‍म्म्मम…..ग्लग. ……आआअहह ……आनंद. ….स अली………ग्लग…. …स्वामीजी. …..अहगलुग.. ..ऊउउउउउउउह एयायाययीयीयियी. …….ग्लग आबीयेएयययेया. और सारे झड़ गये.

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