घोड़े पर बैठा कर चोदा नेहा को

मैं गुजरात से हूँ। मैं 26 साल का हट्टा-कट्टा लड़का हूँ और मेरा लंड 8 इंच लंबा है। आज से करीब एक साल पहले की बात है, मैं गोवा में अपने अंकल के यहाँ गया था। मेरे अंकल होटल का बिजनेस करते हैं और उन्हें घोड़े पालने का बहुत शौक है। मैं जब भी उनके यहाँ जाता, घुड़सवारी करता था। Rich Lady Antarvasna Kahani

उस दिन जब मैं होटल पहुँचा, तो अंकल ने कहा कि उनके दोस्त और उनकी पत्नी आए हैं, और मुझे उन्हें घोड़े पर गोवा घुमाना है। मैंने कहा, “ठीक है, इस बहाने मैं भी घूम लूँगा।” करीब आधे घंटे बाद अंकल के दोस्त और उनकी पत्नी आए। उनकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी।

उसने जींस और टी-शर्ट पहनी थी, जिसमें से उसके बड़े-बड़े स्तन साफ दिख रहे थे। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। उसकी टी-शर्ट इतनी छोटी थी कि उसकी गहरी नाभि भी दिख रही थी। अंकल ने उनका परिचय कराया—उनका नाम रजत और नेहा था। फिर मैंने अपने पसंदीदा दो घोड़े निकाले।

मैंने पहले रजत को एक घोड़े पर बिठाया और फिर नेहा को उसके आगे बैठने को कहा। लेकिन नेहा घोड़े पर चढ़ नहीं पा रही थी, तो मैंने उसकी गांड पर हाथ रखकर उसे धक्का दिया। क्या नरम गांड थी! फिर मैंने रजत को घोड़े की रस्सी पकड़ने को कहा, जो नेहा की चूत को छू रही थी।

इसके बाद मैं दूसरे घोड़े पर बैठ गया और दोनों घोड़ों की लगाम अपने हाथ में ले ली। जैसे ही घोड़ा चलता, रजत का हाथ नेहा की चूत पर रगड़ता। नेहा को बहुत मज़ा आ रहा था और रजत को भी। मैं उन्हें गोवा के नज़ारे दिखा रहा था और बातें कर रहा था।

अब रजत ने एक उंगली नेहा की चूत पर रगड़ना शुरू किया और नेहा मुस्कुरा रही थी। जैसे-जैसे घोड़ा चलता, रजत अब पूरा हाथ उसकी चूत पर रगड़ लेता। थोड़ी देर बाद एक नदी के किनारे मैंने घोड़े को रोक लिया और उन दोनों से कहा, “अब थोड़ा यहाँ पैदल घूमते हैं।” उन्होंने कहा, “ठीक है।”

मैंने पहले नेहा को उतरने को कहा, लेकिन वो उतर नहीं पा रही थी। मैंने उसे दोनों हाथों से बगल से पकड़ा और नीचे उतारने को कहा। तभी उसके स्तन मेरे हाथों को छू गए। मेरे शरीर में तो जैसे करंट दौड़ गया। क्या नरम-नरम स्तन थे! मेरा लंड एकदम तन गया।

हम बातें कर रहे थे, तभी रजत ने कहा, “यार, मुझे भी घुड़सवारी सीखनी है। क्या तुम मुझे सिखाओगे?” मैंने कहा, “ठीक है।” फिर नेहा ने भी कहा, “मैं भी सीखूँगी।” बाद में हम फिर घोड़े पर बैठे और सीधे होटल चले गए। होटल पहुँचते ही मैंने नेहा को कमर से पकड़ा और उसे कूदने को कहा।

तभी मैंने जानबूझकर अपना हाथ फिसला दिया और मेरा हाथ सरककर उसके दोनों स्तनों पर आ गया। उसके दोनों स्तन मेरे हाथों में आ गए। फिर मैंने गलती का दिखावा करते हुए सॉरी कहा, तो वो मुस्कुराने लगी। अगले दिन सुबह करीब 8 बजे मैं, रजत और नेहा दो घोड़ों पर एक खुले मैदान में पहुँच गए। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

वहाँ मैंने कहा, “नेहा भाभी, आप नीचे उतर जाएँ।” वो तो तैयार ही थी। फिर मैंने उसे नीचे उतारा और रजत को सिखाने लगा। नेहा एक ओर खड़ी थी। थोड़ी देर बाद नेहा ने कहा, “मुझे भी सिखाओ।” मैंने कहा, “ठीक है।” रजत ने कहा, “तुम भी घोड़े पर बैठो, कहीं नेहा गिर न जाए।”

फिर मैंने नेहा को अपने आगे बिठाया। मेरा लंड उसकी गांड को छूते ही तन गया। अब मैंने घोड़े की लगाम नेहा के हाथ में दे दी और उसके हाथ पकड़कर सिखाने लगा। मैंने कहा, “अगर घोड़े को रोकना हो, तो लगाम को अपनी ओर खींचना चाहिए।” जैसे ही मैंने हाथ खींचा, मेरे दोनों हाथ नेहा के बड़े-बड़े स्तनों को छू गए और दब भी गए।

मुझे तो बहुत मज़ा आया। क्या स्तन थे! फिर मैंने घोड़े के गले पर बंधी रस्सी पकड़ ली, जो नेहा की चूत को छू रही थी। छूते ही मेरे हाथ को बहुत नरम-नरम लगा। मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा था। फिर जैसे ही घोड़ा एक ढलान से नीचे उतरा, मेरा 8 इंच का लंड उसकी गांड में घुस गया और मेरी एक उंगली उसकी चूत पर रगड़ गई।

मैं तो पूरी तरह उससे चिपक गया। क्या नरम गांड थी! अब मैंने घोड़े को थोड़ा तेज भगाना शुरू किया। जैसे ही घोड़ा भागता, मेरा लंड नेहा की गांड में अंदर-बाहर हो रहा था और मेरी उंगली उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। लेकिन तभी रजत ने कहा, “चलो, अब होटल चलना है।” और नेहा मेरे घोड़े से उतरकर रजत के घोड़े पर चली गई।

मुझे पूरी रात नींद नहीं आई। बार-बार वही दृश्य मेरी आँखों के सामने आ रहा था। एक बार तो मैंने हस्तमैथुन भी कर लिया, लेकिन फिर भी पूरी रात नींद नहीं आई। मैं बस यही सोचता रहा कि कब सुबह होगी। अगले दिन जब मैं उनके कमरे में पहुँचा, तो रजत ने कहा, “मुझे किसी जरूरी काम से बाहर जाना है। आज तुम सिर्फ नेहा को ले जाओ।”

मैं तो बहुत खुश हो गया। आज नेहा ने ट्राउजर और स्किन टाइट टी-शर्ट पहनी थी। मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो जाता था। नेहा ने मुस्कुराकर कहा, “चलो, चलते हैं।” मैंने कहा, “ठीक है।” आज मैंने भी ट्राउजर पहना था और नीचे कुछ नहीं पहना था। मेरा लंड ट्राउजर में साफ दिख रहा था और नेहा भी बार-बार मेरे लंड की ओर देख रही थी।

जैसे ही मैंने नेहा को अपने आगे बिठाया, मेरा लंड उसकी गांड से टकराया और वो पूरी तरह मेरी गोद में बैठ गई। मेरा पूरा लंड उसकी गांड के नीचे आ गया। तभी मुझे अहसास हुआ कि नेहा ने भी नीचे पैंटी नहीं पहनी थी। अब तो मैं बहुत खुश हो गया। मेरे लंड को बहुत मज़ा आ रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैंने लगाम नेहा के हाथ में दे दी और घोड़े के गले की रस्सी पकड़ ली, जो नेहा की चूत को छू रही थी। अब मैंने नेहा की चूत पर उंगली घुमानी शुरू की। मुझे उसकी चूत का पूरा आकार महसूस हो रहा था। फिर मैंने उसकी चूत के बीच में उंगली डाल दी और घुमाने लगा। क्या मज़ा आ रहा था!

एक ओर मेरा लंड उसकी गांड में मज़ा ले रहा था, तो दूसरी ओर मेरी उंगली उसकी चूत का मज़ा ले रही थी। तभी हम उस मैदान में पहुँच गए। अब नेहा की चूत गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली को भी उसका गीलापन महसूस हो रहा था। अब मैंने घोड़े को तेज भगाना शुरू किया और ज़ोर-ज़ोर से उंगली उसकी चूत में डालने लगा।

मेरा लंड उसकी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था और नेहा चिल्ला रही थी, “धीरे-धीरे!” तभी वो नीचे गिर गई। मैंने घोड़े को रोक दिया और नीचे उतरकर उसे उठाया। उसे कहीं चोट नहीं आई थी, लेकिन वहाँ मिट्टी ज्यादा होने से उसके कपड़े गंदे हो गए थे। मैंने कहा, “अब क्या करना है?”

वो बोली, “मेरे बैग में एक स्कर्ट पड़ी है, वो मैं पहन लेती हूँ।” फिर उसने एक दीवार के पीछे जाकर स्कर्ट पहन ली। स्कर्ट घुटनों के नीचे तक थी। फिर वो घोड़े पर बैठ गई और बोली, “अब धीरे-धीरे ही चलाना।” मैंने कहा, “ठीक है, मैं धीरे ही चलाऊँगा।” लेकिन उसकी स्कर्ट की वजह से मेरा लंड उसकी गांड तक नहीं पहुँच पा रहा था और मेरी उंगली भी उसकी चूत को नहीं छू पा रही थी।

थोड़ी देर तो सब शांत रहा, लेकिन फिर जैसे ही हवा का एक झोंका आया, नेहा की स्कर्ट थोड़ा ऊपर हो गई और मुझे उसकी गांड दिखाई दी। मैं तो खुश हो गया। अब मैंने धीरे से अपने हाथ पीछे ले जाकर स्कर्ट को और ऊपर उठा दिया। तभी उसकी गोरी-गोरी गांड मुझे दिखाई दी। मेरा लंड फिर से तन गया।

अब मैंने स्कर्ट को वैसे ही पकड़कर अपने लंड को उसकी गांड से सटा दिया और फिर से हाथ आगे उसकी चूत पर रख दिए। मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ स्कर्ट के नीचे से उसकी चूत तक पहुँचा दिया। अब उसकी चूत पूरी तरह नंगी थी। मैंने एक उंगली उसकी नंगी चूत में डाल दी और रगड़ने लगा।

अब धीरे-धीरे नेहा को भी मज़ा आने लगा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। अब नेहा के मुँह से आवाज़ें आने लगीं, “आह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह!” अब मैंने अपना लंड ट्राउजर से निकाला और नेहा की गांड के छेद में डाल दिया। जैसे ही घोड़ा आगे चलता, मेरा लंड उसकी गांड में थोड़ा और घुसता जाता।

मेरा लंड अंदर-बाहर होने लगा। मुझे तो स्वर्ग का अहसास हो रहा था। अब मैंने अपने हाथ नेहा की टी-शर्ट में डालकर उसके स्तन दबाने शुरू किए। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी। क्या नरम-नरम स्तन थे! अब मैं उसकी निप्पल पर अपनी अंगुली फेरने लगा। अब तो वो पूरी तरह कामुक हो चुकी थी। फिर वो बोली, “क्या पीछे ही करते रहोगे?” मैंने उसे उल्टा घूमने को कहा। जैसे ही वो उल्टा घूमी, मैंने उसके गुलाबी होंठ अपने मुँह में ले लिए और दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। फिर मैंने उसकी निप्पल चूसना शुरू किया।

उसके मुँह से अब भी आवाज़ें आ रही थीं, “आह्ह्ह्ह्ह चूस्स्स्स!” फिर मैंने अपना 8 इंच लंबा लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसने भी मेरा टी-शर्ट निकाल दिया। अब मैंने कहा, “मुझे कसकर पकड़ो।” और मैंने घोड़े को तेज़ी से भगाना शुरू किया। घोड़े की रफ्तार से मेरा लंड ज़ोर-ज़ोर से नेहा की चूत में अंदर-बाहर होने लगा। मैं भी थोड़ा धक्का लगाने लगा। नेहा चिल्ला रही थी, “पूरा डाल दे, फाड़ डाल मेरी चूत!” अब मैं भी जोश में आ गया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा। मेरा पूरा लंड अंदर-बाहर होने लगा। शायद आधे घंटे बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।

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