चाची और उनकी बहु दोनों को चोदा

मेरा नाम है किशोर. मैं 30 साल का हूँ. मैं और मेरी पत्नी गुजरात के एक गाँव में एक नाबालिग जमींदार के ट्रस्टी हैं. ये हमारी खुद की कहानी है. जब मैं छोटा था तब हम बहुत गरीब थे. पिताजी के पास चार पांच बीघा जमीन थी. दो साल की लम्बी बीमारी बाद पिताजी मर गए तब मैं सोलह साल का था. Antarvasna Hindi Sex Story

मैं और मेरी विधवा माँ अकेले रह गए कुछ बीस बाइस हजार रुपियों का कर्जा सर पे लिए. कर्जा देने वाली मेरी दूर की चाची थी केसर. दूसरे गाँव में रहती थी जहाँ उस की 200 बीघा जमीं थी और धीरधार का धंधा था. एक लड़का छोड़ कर चाचा कई साल से गुजर गए थे. लड़का मेरी उम्र का था उस का नाम था रणधीर.

चाची 40 साल की थी लेकिन दिखती थी 30 साल की. पढ़ी लिखी ज्यादा नहीं थी लेकिन अकेले हाथ सब कारोबार संभालती थी. पिताजी के देहांत के पांच साल बाद एक दिन केसर ने मुझे बुलाया. प्यार से चाय नाश्ता दिया और बोली “किशोर कितना कर्ज बाकी है?”

“होगा कुछ बीस हजार.”

“हर साल कितना भरता है ?”

“ज्यादा नहीं कुछ 500 रुपये.”

“ऐसे तो कर्जा कब ख़तम होगा, सूद जो चढ़ाता चलता है.”

“क्या करूँ चाची, आमदनी का और कोई साधन नहीं है मेरे पास.”

वो थोड़ा सोच कर वो बोली “है तेरे पास है. इसी लिए मैंने तुझे बुलाया है. बोल मेरे यहाँ नौकरी करेगा?”

“जरूर लेकिन मैं क्या कर सकता हूँ?”

“वो ही जो तुम वहां करते हो. मैं रहने को घर दूंगी खाना पीना दूंगी और ऊपर से हर महीने 500 रुपये नगद दूंगी. चलेगा?”

मैं खुश हो गया. ऐसा मौका फिर कहाँ मिलने वाला था. मैंने ऑफर स्वीकार ली. मैं और मेरी माँ आ गए नयी जगह पर. मैं सब काम करता था जो मुझे दिए जाते थे. मैं घर में भी काम करता था. एक महीना तक सब अच्छी तरह चला. बाद में केसर मुझ से छेड़छाड़ करने लगी. कभी मेरे बदन को छू लेती तो कभी हलकी चपत मार देती.

एक दो बार साडी का पल्लू गिरा के चोली में कैद अपने बड़े बड़े स्तन की झलक दिखा दी. मेरे पास मुठ मारने के सिवा और कोई इलाज न था. जैसे जैसे उस की हरकतें बढती गयी वैसे वैसे उस को चोदने की मेरी तरस भी बढती गयी. इक्कीस साल का हत्ता कट्टा जवान और क्या कर सकता था?

मुझे उस को चोदने का मौका मिले उस के पहले रणधीर की शादी आ गई. बड़ी धूमधाम से शादी हुई और बहु घर में आयी. सुहागरात के वास्ते एक बड़ा कमरा सजाया था. जब शाम हुई तब केसर ने कहा “किशोर आज बहुत काम बाकी है रात यहीं सो जाना.” रात को ग्यारह बजे सब सो गए तब केसर मेरे कमरे में आयी और दरवाजा बंद किया.

मेरे पलंग पर बैठी और बोली “किशोर जनता है रणधीर और कुंदन क्या कर रहें हैं.”

“चाची जानता हूँ.”

“तूने किसी लड़की को चोदा हूँ?”

मैं ताज्जुब रह गया. चाची के मुंह से चोदने की बात?

मैंने कहा “नहीं तो मेरे जैसे गरीब को कौन मिलेगी?”

“क्यों? गरीब हो तो क्या हुआ चोदने के वास्ते तो लंड चाहिए जो तेरे पास है… है ना?”

“उम्… है.. हाँ है है.”

“देखूं तो कैसा है” कह कर उस ने मेरे पजामा की नाड़ी खोल डाली.

मैंने शर्मा के पजामा पकड़ लिया और नाड़ी फिर बाँध दी.

वो बोली “अरे तू तो शर्माता है लड़की की तरह. चोदेगा कैसे ?”

“चाची की.. की.. किस को किस को?”

“पगला मैं यहाँ बैठी हूँ और पूछता है की किस को चोदेगा?”

“चाची ये तो पाप है.”

“पाप बाप कुछ नहीं है जब एक औरत और एक आदमी अपनी मर्जी से चुदाई करतें हैं. अब ये बता तेरी मरजी है या नहीं ?”

“उम्म्म.. है तो सही”

“तो बातें न बना.”

उसने साड़ी निकाल दी और चोली के हुक खोल दिए. उस के गोरे गोरे स्तन देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. “लेकिन मैं नहीं जानता की कैसे.. कैसे.. वो.. वो.. किया जाता है.” “कैसे चोदा जाता है वो ही ना डरना मत मैं तुझे दिखाउंगी.” इतना कह कर वो मुझ से लिपट गयी.

केसर का बदन गठीला था. उम्र के कारण थोड़ा सा फैट जमा था लेकिन उस का पेट सपाट था और कमर पतली थी. कूल्हे बड़े बड़े चौड़े थे. स्तन बड़े बड़े और गोल थे. जैसी हो वैसी मेरे वास्ते वो पहली औरत थी. इस उम्र तक छुआ तो क्या बालिग औरत का बदन देखा भी नहीं था मैंने.

केसर ने जो मेरा चेहरा सहलाया और किस किया की तुरंत मेरा लंड खड़ा हो कर चोदने को तैयार हो गया. उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने स्तन पर रख लिया. मुझे ज्यादा सीखने की जरुरत नहीं थी. दोनों स्तन को हथेलियों में लिए मैंने दबोच डाले. उसने मेरे मुंह पर किस की.

मैंने फटाफट चोली के हुक खोल दिए और नंगे स्तन थाम लिए. स्तन के बिच दो इंच की अरोला थी. उस के बीच आधा इंच लम्बी निप्पल्स थी. केसर ने मेरा चेहरा स्तन से लगाया. मैंने निप्पल मुंह में ली और चूसने लगा. थोड़ी ही देर में वो काफी गरम हो गयी.

और बोली “किशोर तेरे चाचा के जाने के बाद आज पहली बार मैं चुदवाने चली हूँ. तेरे चाचा के सिवा मैंने किसी के पास चुदवाया नहीं है. ये तो अच्छा है की तू घर का आदमी है. अब देर मत कर.” दिक्कत ये थी की मुझे पता नहीं था की क्या करना. हाँ मैं जानता था की चुदाई में लंड चूत में डाला जाता है लेकिन चूत कहाँ आयी मेरी ये समस्या पर वो है पड़ी. खुद उसने लीड लिया.

मेरे पजामा की नाड़ी खोल कर अंदर हाथ डाला और मेरा टाइट लंड मुट्ठी में पकड़ लिया. दो चार बार मुठ मार कर लंड को और खड़ा बनाया. मुंह से सी सी करते हुए वो झटपट पीठ के बल लेट गयी. एक हाथ में लंड पकड़ा हुआ था दूसरे हाथ से घघरी ऊपर उठा कर अपने पाँव पसारे. मुझे खिंच कर ऊपर ले लिया.

अपने आप लंड चूत पर रख दिया. मैंने कभी किसी को चोदा नहीं था लेकिन वैसे ही मैंने एक धक्का लगाया तो पूरा लंड चूत में उतर गया. केसर के मुंह से आआह निकल पड़ी. उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लिपटे. मुझ से रुका नहीं गया मेरे कूल्हे हिल पड़े धक्के शुरू हो गए.

गरमा गर्म गीली चूत में मेरा लंड तेजी से आने जाने लगा. वो नितम्ब हिला कर साथ देने लगी. उस ने कहा “जरा धीरे धीरे छोड़ मैं भाग जाने वाली नहीं हूँ.” लेकिन लंड मेरा कहा मानता नहीं था. तेज रफ़्तार से चोदने पर मैं ज्यादा टिका नहीं. दस बारह धक्के में मैं झड़ पड़ा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसने मुझे उतरने नहीं दिया. वो बोली “डरने की कोई बात नहीं है. अक्सर ऐसा होता है की पहली चुदाई में नौजवान जल्दी से झड़ जाता है. लेकिन वो तुरंत ही दूसरी बार चोद सकता है. देखो तुम्हारा लंड अभी भी तना हुआ है… है ना. वाकई लंड टाइट ही था. उसने चूत सिकोड़ कर लंड दबोचा. लंड ज्यादा अकड़ गया.

मैंने फिर से चोदना शुरू कर दिया. इस बार हर धक्के पर सारा लंड में से आनंद का फव्वारा छुटने लगा. बीस मीठे तक मैं रुका नहीं. एक सरीखी तेजी से पूरा लंड चूत में डाल निकाल के मैंने उस को चोदा. केसर दो बार जारी. आखिर मेरे लंड ने दूसरी बार पिचकारी छोड़ दी. किस करते हुए वो बोई “शाबाश मजा आया न?”

“बहुत मजा आया चाची.”

“चल अब देखें रणधीर और कुंदन क्या करतें हैं.”

कपडे पहन कर वो मुझे दूसरे कमरे में ले गयी. कमरे की दीवाल पर से एक पिक्चर उसने उतरा. वहां एक बड़ी सुराख़ थी जिस में से रणधीर का शयन खंड साफ़ दिखता था. आँख लगा कर पहले उस ने देखा बाद में मैंने देखा. रणधीर और कुंदन दोनों पलंग पर नंगे पड़े थे और नींद में खोये हुए थे.

मैं हट गया. केसर ने पिक्चर लगा दी और हम चले गए. उसने कहा “चुदाई कर के सो गए लगतें हैं.” मेरे कमरे में आ कर मैंने केसर को फिर एक बार चोदा. वो बहुत खुश हुई. उस दिन के बाद जी चाहे तब केसर मुझ से चुदवाती रही. एक कुंदन थी जो खोयी खोयी रहती थी उदास रहती थी.

मैंने ने एक बार उसे पूछा की क्या मामला है. वो शरमाई लेकिन कुछ बोली नहीं. मैंने उसे नंगा देखी थी. जब जब मैं उसे मिलता तब तब मेरी नजरें उसके कपड़े उतार देती थी और मेरा लंड जगाने लगता था. लेकिन ऐसी लड़की को छोड़ना मेरे नसीब में कहाँ उन दिनों में तो मैं केसर से ही खुश था. एक साल बित गया.

केसर आस लगाए बैठी थी की कुंदन को बच्चा हो. जब ये नहीं हुआ तब डॉक्टर की ऑफिसेस की विजिट चालू हो गयी. सब किस्म की जांच करवाई कुंदन पर लेकिन सब नार्मल आया. एक दिन केसर मुझे अकेले में ले गयी. मैंने सोचा की चुदाई होगी पर ऐसा नहीं हुआ. पहाड़ जैसी मजबूत केसर उस दिन फुट फुट कर रो पड़ी.

मैंने आश्वासन दिया और पूछा की क्या बात है “किशोर में क्या करूँ ये समझ में नहीं आता. आज डॉक्टर मेहता ने साफ़ साफ़ बताया की…की…” वो फिर से रो पड़ी. में पानी ले आया और उसे पिलाया और बोला “क्या बताया डॉ. मेहता ने?”

“किशोर रणधीर बाप नहीं बन सकता.”

“क्यों?”

“डॉक्टर ने बोला की उस को एपिलेप्सी नाम की बड़ी बीमारी है. उस के मरीज नामर्द होते हैं. इतना ही नहीं ऐसे मरीज तीस साल से ज्यादा जिन्दा नहीं रहते. डॉक्टर ने बताया की रणधीर को बच्चा हो भी जाये तो बच्चे को भी ये बीमारी जरूर होगी. हाय हाय मैं क्या करूँ इतनी जायदाद जमीन मकान सब होते हुए तेरे चाचा का नाम मिट जायेगा.”

“चाची हम दूसरे डॉक्टर को मिलेंगे.” कहते हुए मैंने उसे आलिंगन दिया.

“कोई फर्क नहीं पड़ेगा दूसरे डॉक्टर को दिखने से. मैं कोई रास्ता निकालूंगी.” उसने किस किया और बोली “जानता है किशोर इस सब जन्म में एक तू मेरा सहारा है ?”

“जानता हूँ अब बातें बंद.” मैंने किस करते हुए कूल्हे सहलाये और कपड़े ऊपर की और सरकाये.

“किशोर आज पीछे से.” वो चार पाँव हो गयी. मेरा लंड तैयार था. मैं पीछे से चढ़ा और एक धक्के से चूत में लंड घुसेड़ दिया. दस मिनट की अच्छी चुदाई हो गयी. दूसरे दिन केसर ने कहा “किशोर मैंने कुंदन से पूछा है. रणधीर ने उसे छोड़ा नहीं है. कुंदन अभी कुंवारी है.”

“तो क्या किया जाय अब?”

“एक रास्ता है.”

“वो क्या?”

“तू कुंदन को चोद और बच्चा पैदा कर. कोई नहीं जानेगा की बच्चा किस का है. तेरे चाचा का नाम रहेगा.”

मैंने कहा “ये तो पाप होगा चाची. मेरे छोटे भाई की बहु को में कैसे चोद सकूँ?”

“पाप कैसा? महाभारत के कुरुवंश में सब बच्चे ऐसे ही पैदा हुए थे ना? पाण्डु धृतराष्ट्र विदुर और उन के बाद पांडव भी. मैं तेरा सब कर्जा माफ़ कर दूंगी और ऊपर से सौ बीघा जमीन दूंगी. मेरे वास्ते और तेरे चाचा के वास्ते तू इतना करेगा ना.”

मैं उसे गिड़गिड़ाती नहीं देख सका. दूसरा ऑफर भी लुभावना था. तीसरे मेरे मन का शैतान कुंदन को चोदने के ख्याल से जाग उठा.

“लेकिन कुंदन का क्या? उसे पूछा ?”

“किशोर वो भी माँ बनाने को तरसती है. वो ना नहीं बोलेगी. रही चुदवाने की बात. एक बार तेरे लंड का स्वाद चखेगी तो बार बार मांगेगी.”

मैंने ऑफर स्वीकार ली. केसर ने कुंदन को मना लिया.

मैंने केसर से कहा “इसमें जल्दबाजी नहीं चलेगी. मैं संभाल के चोदुंगा जिससे कुंदन को ऐसा मजा आये की वो बार बार चुदवाने को तैयार हो जाए.”

केसर ने सब इंतजाम कर लिया. मेरी ‘सुहागरात’ आ गयी.

“किशोर सुबह तक हो सके इतना ज्यादा चोदना.”

कह कर केसर ने मुझे कमरे में धकेल दिया और दरवाजा बंद कर दिया. कमरा बड़ा था. रोशनी कम थी लेकिन दो पांच मिनट बाद मेरी आँखें सुब कुछ देखने लगी. कमरे की खिड़कियां बंद थी एक बाथरूम का दरवाजा खुला था जहाँ से लाइट आ रही थी. एक और बड़ा सा पलंग था.

पलंग पर सोया रणधीर खुर्राटें भर रहा था. दूसरी और छोटा पलंग था जिस पर कुंदन बैठी थी घघरी चोली और साडी पहने. दुल्हन की तरह वो सजी हुई तो ना थी लेकिन बैठी थी वैसे ही. मैंने देखा तो वो डर के मारे कांप रही थी. अब आप ही बताएं की ऐसी लड़की को कैसे चोदा जाए. मैं जा के उस के पास बैठा वो जरा दूर खिसकी. मैंने रणधीर की और इशारा कर के पूछा “इस का क्या?”

धीरे से वो बोली “दवाइयां ले कर सो गएँ हैं हर रोज की तरह. कल सुबह उठेंगे.”

उसे घबरायी हुई देख मैंने धीरे से कहा “कुंदन तेरी मुसीबत मैं समझता हूँ. तुझे मंजूर हो वो ही मैं करूँगा. तू ना कहे तो अभी मैं चला जाऊँगा मुझे बुरा नहीं लगेगा.”

वो कुछ बोली नहीं.

“तू जानती हैं हमें क्या करना है आज?”

 शरमा के उसने नाख़ून काटे और नजर नीची कर दी सर हिला कर हाँ कही.

मैं उस के पास सरका और कंधे पर हाथ रख बोलै “शरमाना नहीं. पहले ये बताओ की रणधीर ने तुझे चोदा है या नहीं.”

बिना बोले सर हिला के उसने ना कहां.

“इसका मतलब ये हुआ की तुम अभी भी कुंवारी हो.”

सर हिला के हाँ कहा.

“चोदना क्या होता है वो जानती हो ना?”

हाथों से अपना चेहरा छुपा कर फिर से सर हिलाके हाँ कही.

मैंने धीरे से उसके हाथ हटाए तो उस ने आँखें मुंद ली.

मैंने कहा. “कुंदन तेरी ये पहली चुदाई है. मैं सावधानी से चोदुंगा फिर भी तुझे कुछ दर्द तो होगा ही जानती हो ना  मुंह से बोलो.”

“हाँ.”

ठुड्डी के निचे उंगली रख कर मैंने उस का चेहरा उठाया. उस की आँखें अभी बंद थी. होठ कांप रहे थे. इतने नाजुक होठ मैंने कभी देखे नहीं थे. वैसे ही मैंने मेरे होठ उस के होठों से चिपका लिए. पहले तो कुछ हुआ नहीं लेकिन दो पांच सेकंड में उस के होठ हिले और मुझे इतना मीठा लगा की मैं टूट पड़ा.

मेरे होठों से उस के होठ पकड़ कर मैं चूसने लगा. वो जरा छटपटाई. मैंने उस का सर पकड़ रखा था इसलिए चूत न सकी. मैंने मेरी जीभ से उस के होठ टटोले और उसे खोल कर जीभ उसके मुंह में डाली. कुंदन ने अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाई. जब मैंने जीभ वापस ली तब उस ने मेरे साथ वो ही हरकत की जो मैंने उस के साथ की थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उस के मुंह से मीठी सुवास आ रही थी और उस की जीभ चूसना मुझे बहुत प्यारा लगता था. ऐसे माहौल में मुझे होश आया की मेरा लंड भी तन के खड़ा हो गया था. दोनों हाथों से चेहरा पकड़ कर मैं कुंदन का मुंह चूमता रहा. शुरू शुरू में जो हट जाने की कोशिश कर रही थी वो अब चुम्बन करने देने लगी.

चुम्बन चालु रखते ही मैंने उसे पलंग पर लेटा दिया और मैं बगल में लेट गया. मेरा एक हाथ अब उस के गले में डाला हुआ था और दूसरा उस के सीने पर जा पहुंचा. उसने पतले कपड़े की टाइट चोली पहनी थी जो साडी के पल्लू से ढकी हुई थी. कपड़ों के ऊपर से ही मैंने स्तन को छुआ.

उस ने मेरी कलाई पकड़ ली लेकिन मेरा हाथ हटाने की कोशिश नहीं की. मैंने हलके हाथ से कपड़ों के आर पार स्तन सहलाया और धीरे से दबाया. एक के बाद एक कर के दोनों स्तनों की खबर ली मैंने. कहाँ केसर के बड़े बड़े और नरम नरम स्तन और कहाँ कुंदन के छोटे छोटे और कड़े स्तन. जवान लड़की के स्तन सहलाने का ये मेरा पहला अनुभव था.

मैं एक्साइट हो रहा था मेरा लंड मानो फटा जा रहा था. वो भी एक्साइट होने लगी थी और जोर जोर से किश करने लगी थी. थोड़ी देर बाद मैंने उस की साडी का पल्लू खिंच निकाला और मेरी उगंलियाँ चोली के हुक्स खोलने लगी. मेरा हाथ हटाने की थोड़ी सी कोशिश की उसने. लेकिन वो नाकामयाब रही.

मैं हुक खोलता गया वो मुझे किस करती रही. सब के सब हुक खुल जाने पर मैंने चोली हटाई तो उसने हाथों से स्तन छुपा दिए. मैंने धीरे से उसके हाथ हटाए तो कबूतर की जोड़ी जैसे खूबसूरत स्तन दिखाई दिए. क्या स्तन थे उसके, बड़े आम की साइज के सम्पूर्ण गोल और कठोर. मुलायम चमड़ी मखमल जैसी चिकनी थी.

बराबर मध्य में छोटी सी अरोला थी जो जरा सी उभरी हुई थी. अरोला के बिच किशमिश के दाने जैसी कोमल कोमल निप्पल थी. दोनों निप्पल्स उस वक्त खड़ी हो गयी थी. मैंने पहले उंगलिओं की नोक से स्तन को छुआ और सहलाया. कुंदन के बदन पर रोएं खड़े हो गए.

स्तन के बाहरी भाग से ले कर मेरी उंगलियां निप्पल की ओर चली. जब वो अरोला तक पहुंची तब तक अरोला और निप्पल दोनों खड़े हो गए थे. मैंने निप्पल को चिपटी में लिया और दबाया. कुंदन के मुंह से आह निकल गयी. उस ने पांव भी ऊपर उठाये. मैं अपने आप को रोक नहीं सका. पूरा स्तन हथेली में ले कर मैंने जरा जोर से दबोचा.

कुंदन सिसकारियां भरने लगी. अच्छी तरह से स्तन के साथ खिलवाड़ कर के मेरा हाथ अब कुंदन के पेट पर उतर आया. साडी हटा कर उस का सपाट पेट मैंने सहलाया. एक उंगली नाभि में डाली तब कुंदन कूद पड़ी और बोली “गुदगुदी होती है.” पेट पर हाथ फिराते हुए मैंने निप्पल मुंह में ली और चूसने लगा.

धीरे धीरे मेरा हाथ उस की भोस की और जाने लगा. मैंने उस की साडी निकाल दी और चोली भी. अब वो अकेली घघरी में रह गयी. मैंने घघरी की नाड़ी को छुआ तो उसने जोर से नाड़ी पकड़ रखी मुझे छूने नहीं दिया. नाड़ी खोले बिना ही मैंने उंगलियां घघरी के अंदर डाली और झांट से ढकी उस की मोंस पर फिराई.

मोंस पर से भोस की दरार तक जाना आसान था. मेरी उंगली जैसे दरार में पड़ी की तुरंत क्लाइटोरिस को छू गयी. कुंदन कूद पड़ी. उस के पांव और ज्यादा उठ गए और उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया. वो मुझे रोक ले इससे पहले मैंने मेरा हाथ घघरी में से निकाला और झट से नाड़ी खिंच कर खोल डाली.

दोनों हाथों से कुंदन ने घघरी पकड़ रखी उतरने नहीं दी. तब मैंने उस के ऊपर उठे हुए घुटनो पर हाथ रख कर घघरी ऊपर सरका दी. रेशम की बनी घघरी सरक कर उस की कमर तक चढ़ गयी और उस की भोस खुली हुई. कुंदन की भोस बालिग थी लेकिन छोटी थी. काले घुंघराले झांट मोंस और बड़े होठ पर लगे हुए थे. बड़े होठ मोटे थे. बिच की दरार चार इंच लम्बी होगी.

एक्साईटमेंट की वजह से उस वक्त छोटे होठ दरार में से बहार निकल आये थे. दरार के अगले कोने में एक इंच लम्बी उस की क्लाइटोरिस थी जो उस वक्त लंड की तरह टाइट और मोटी बनी हुई थी. क्लाइटोरिस का छोटा मत्था चमक रहा था. सारी दरार काम रस से गीली गीली हो गई थी.

शर्म की मारी कुंदन ने हाथो से भोस ढकने का प्रयत्न किया. उसने पाँव सिकोड़े और मुझसे करवट बदल गयी. अब मैं उस की पीठ की और हो गया. मैंने उस की पीठ सहलाये. मेरे हाथ धीरे धीरे उस के नितम्ब पर पहुंचे. घघरी की नाड़ी खुली तो थी. मैंने घघरी उतारी तो इस वक्त उसने विरोध नहीं किया कूल्हे उठा कर सहकार दिया.

कुंदन के नितम्ब भारी और चौड़े थे. उसकी जांघें भरी भरी और गोल गोल थी. चूतड़ पर से सरकते हुए मेरे हाथ उस की जाँघों पर गए. जांघों के बीच से भोस को भी छुआ जा सकता था. मैंने एक उंगली भोस की दरार में डाली और उस की योनि का मुख टटोला. जैसे उंगली योनि में पड़ी वो फिर कूद पड़ी और पीठ के बल हो गयी.

मैंने उसे कान में कहा “तूने कभी मर्द का लंड देखा है?”

“हाँ उन का.”

रणधीर का देखा होगा. “ला तेरा हाथ पकड़ ये” कहके मैंने पजामा के ऊपर पर मेरा लंड उस के हाथ में थमा दिया. पहले उसने उंगलियों से पकड़ा जैसे डरती हो. मेरे दिखाने से बाद में मुट्ठी में लिया. लंड ने ठुमका लगाया तो उस ने छोड़ दिया.

“क्या हुआ?” मैंने पूछा.

“ये तो हिलता है.” वो बोली.

“डरना मत. पकड़ फिर से.” कह कर मैंने नाड़ी खोल पजामा उतार दिया और नंगा लंड उस के हाथ में थमा दिया. मैंने दिखाया की कैसे मुट्ठी में लिए मुठ मारी जाती है.

धीरे से मेरे कान में बोली “उन का ऐसा नहीं है.”

“कैसा है?”

“नरम नरम और छोटा सा.”

“ऐसे खड़ा नहीं हो पाया था?”

“ना.”

“कौन सा पसंद आया तुझे?”

जवाब में उसने जोर से मेरा लंड दबोचा. तब मुझे तसल्ली हुई की कुंदन का डर दूर हो गया था. मेरी उंगलियां कुंदन की भोस में खो गयी थी. चारो ओर से भोस सहलाने के बाद मैंने एक उंगली योनि में डाली. एक इंच अन्दर गयी और झिल्ली आते अटक गयी. उंगली गोल गोल घुमा कर मैंने योनि का मुंह चौड़ा किया और दूसरी ऊँगली भी डाली. ऐसे करते करते जब तीन उंगलियां आसानी से चूत में जाने लगी.

तब मैंने फिर कुंदन को कान में कहा. “कुंदन अब टाइम आ गया है लंड लेने का. ज्यादा देर करूँगा तो मैं बिना चोदे झड़ जाऊंगा. लेना है ना लंड?”

बेशरम हो कर वो मेरे कान में बोली “हाँ हाँ लेकिन इतना बड़ा कैसे अंदर जाएगा ?”

“जाएगा एक बार थोड़ा दर्द होगा लेकिन बाद में खूब मजा आएगा.”

“मुझे डर लग रहा है धीरे से डालना.”

मैंने उसे पीठ के बल लेटाया. उस ने खुद पाँव चौड़े किये और ऊपर उठाये. मैं उस की जाँघों बीच आ गया. भोस को लंड के लेवल में लाने के वास्ते एक तकिया उस के नितम्ब के निचे रखना पड़ा. केसर की भोस के बजाय कुंदन की इतनी छोटी और नाजुक थी की मुझे भी शक हुआ की कुंदन लंड ले पाएगी या नहीं.

बैठे बैठे हाथ में लंड पकड़ कर मैंने मत्था भोस की दरार में रगड़ा. जब क्लाइटोरिस को छुआ तब कुंदन के कूल्हे हिल पड़े. लंड का मत्था जब काम रस से लथपथ हो गया तब मैंने हौले से चूत के मुंह में डाला. अकेला मत्था अंदर गया और योनि पटल आने पर रुक गया. मैंने आगे झुका और अकेले मत्थे से चोदने लगा.

एक दो बार मत्था पूरा बाहर निकल गया तो फिर से लंड पकड़ कर अंदर डालना पड़ा. पांच छः धक्के बाद योनि में संकोचन होने लगा. मैंने कहा “कुंदन प्यारी जरा बर्दास्त कर न.” एक जोरदार धक्के से मैंने योनि पटल तोडा और आधा लंड चूत में घुस गया. कुंदन के मुंह से चीख निकल पड़ी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

कुंदन की आवाज से रणधीर ने आँखें खोली. डर के मारे मैं स्थिर हो गया. रणधीर ने फिर आँखें मूंद ली और करवट बदल कर फिर सो गया. मैंने हाथों के बल आधार हुआ तो देखा की आँखें पर अपना हाथ रखे कुंदन मुस्कुरा रही थी. मैंने हमारे पेट बिच देखा तो मेरा आधा लंड चूत से बाहर था और उस की छोटी सी भोस पूरी चौड़ी होकर लंड से चिपक गयी थी.

मैंने कहा “कुंदन देख तो जरा मेरा लंड बेचारा कैसा फसा है.”

उस ने सर उठा के देखा तो दंग रह गयी. वो बोली “बाप रे. अभी इतना बाहर है? फिर दर्द होगा?” “ना ना अब दर्द नहीं होगा. तू देखती जा मैं बाकी रहा लंड अंदर डालता हूँ.” वो देखती रही और एक सरीखे दबाव से मैंने लंड चूत में उतार दिया. उस की छोटी चूत पूरा लंड ले सकी इससे मैं ताज्जुब रह गया.

थोड़ी देर लंड को चूत की गहराई में दबाये रखने के बाद मैंने बाहर खिंचा. लंड का मत्था चूत में रहा तब मैं रुका और हौले से फिर अंदर डाला. जब मुझे तसल्ली ही की कुंदन का दर्द कम हो गया है तब मैंने लम्बे धक्के से उसे चोदना शुरू किया. केसर की चूत चौड़ी थी मेरे लंड को इधर उधर घूमने की उस में काफी जगह थी. मैं उसे कैसे भी धक्के से छोड़ सकता था.

कुंदन की चूत टाइट थी और मेरे लंड के साथ चिपकी हुई थी. मुझे सावधानी से लंड पेलना पड़ता था. कुछ पंद्रह बीस धक्के के बाद चूत जरा चौड़ी हुई और मैं तेजी से चोद सका. इस दौरान कुंदन खूब उत्तेजित हो गयी थी मेरे गले में बाहें डाल कर मुझ से चिपक गयी थी. अपने कूल्हे इतने हिलाती थी की एक दो बार लंड निकल पड़ा.

मैंने कहा “कुंदन इतना कूल्हे मत हिला. कहीं लग जाएगा.”

सिसकारियों के बीच वो बोली “मैं नहीं हिलाती अपने आप हिल जाते हैं.”

अब मैंने उसके पाँव सीधे कर दिए. दो भरी जांघें और ऊपर उठी हुई मोंस इन तीनों से एक खड्डा सा बन गया था जिसके ताल में उस की भोस थी मेरा लंड आठ इंच लम्बा होगा. इस पोजीशन में केवल दो इंच सरीखा ही चूत में जा पाया. लेकिन लंड की दिशा बदल जाने से वो अब सीधा क्लाइटोरिस के संपर्क में आने लगा.

दो तीन इंच से ज्यादा लंड इस्तेमाल नहीं हो सकता था लेकिन हर धक्के के साथ क्लाइटोरिस रगड़ी जा रही थी. मैंने पांच सात इसे धक्के लगाए की कुंदन झड़ पड़ी. ओर्गास्म के वक्त अपने आप उसकी जांघें खुल गयी और ऊपर उठ गयी नितम्ब भी ऐसे उठे की मेरा लंड पूरा चूत में उतर गया. फट फटाफट फट फटाफट चूत में फटाके हुए और मेरा बाँध भी टूट गया.

अपने आप मैं जोर जोर से धक्का देने लगा. मेरे लंड से न जाने कितनी पिचकारियां छूटी. कुंदन की छोटी सी चूत में जगह कहाँ थी. ढेर सारा वीर्य चूत से उभर आया. वीर्य छूटने के बाद भी लंड तना हुआ था और चूत उस को दबा रही थी. कुंदन के बदन में मानो बिजली का करंट दौड़ गया.

तीस सेकंड के ओर्गास्म के बाद वो शिथिल हो कर ढल गयी. मैंने उसे बाँहों में लिया और घुमा तो मैं नीचे आ गया और वो ऊपर. मैंने अभी लंड निकाला नहीं था. वो मेरे बदन पर लेट रही. मैं उस की पीठ सहलाता रहा. उसने खुद अपना चहेरा उठा कर फ्रेंच किश किया. मेरे हाथ उस के चिकने कूल्हे पर फिसलने लगे.

मेरा लंड जरा जरा नरम होने जा रहा था की उस की योनि ने संकोचन किया. लंड फिर से टाइट होने लगा. कुंदन ने नितम्ब इस तरह हिलाये की अपनी क्लाइटोरिस लंड के साथ घिसने लगी. मैंने कहा “कुंदन तेरी चूत का घाव अभी हरा है. दर्द नहीं होता तुझे जब तू चूत सिकोड़ती हो तब?”

“थोड़ा सा होता है लेकिन मजा ज्यादा आता है. तुम को मजा नहीं आता क्या?”

“आता है मुझे भी मजा आता है. तुझे दर्द ना हो इस की फ़िक्र करता हूँ.”

“दर्द नहीं होता देखो” कहते हुए उस ने चूत के स्नायुओं से लंड दबाया. देखते देखते में लंड तन गया.

मैंने कहा “तू ऊपर ही रह. नितम्ब उठा गिरा कर अपनी मरजी मुताबिक चोद.”

उस ने नितम्ब हिलाये और पूछा “ऐसे? ऐसे?”

लंड को पूरा चूत में ले कर कुल गोल गोल घुमा कर कुंदन मुझे चोदने लगी. थोड़ी ही देर में वो थक गयी और ढल पड़ी.

बांह में ले कर मैं फिर घुमा और ऊपर आ गया. उसने जांघें फैलाई और पाँव मेरी कमर पर लिपटाये. हौले हौले मैं उसे चोदने लगा तो वो बोली “जल्दी करो ना.” मैंने धक्के की गहराई और रफ़्तार बढ़ा दी. चूतड़ उछाल उछाल कर वो लंड लेने लगी. बीस मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ी. आखिर मैंने भी पिचकारी छोड़ दी.

मैंने कहा “तू अभी लेती रह जिस से सारा वर्य चूत से निकल न जाये. मैं चलता हूँ.”

कुंदन मुझ से लिपट गयी और बोली “यहीं सो जाओ न मेरे पहलू में.”

मेरी भी यही इच्छा थी. एक दूजे से लिपट कर हम सो गए. करीबन पांच बजे मैं जगा. कुंदन सोई थी. नींद में वो इतनी प्यारी लगती थी. उसे छोड़ के जाने को दिल नहीं होता था. जाने से पहले मैंने किश किया तो उस ने आँखें खोली. मुस्कुराके उस ने किस का जवाब किस से दिया. अब देखिये लंड का जादू. कल तक जो शरमाती थी और डरती थी वो लंड लेने के बाद बेशर्म और हिम्मतवान बन गयी थी. बैठ के उसने लौड़ा हाथ में लिया और गौर से देखने लगी.

“यहाँ तो काला तिल है.” वाकई मेरे लंड की टोपी पर काला तिल था ही.

“पसंद आया तिल वाला लंड? मैंने पूछा.

हल्का चपत लगा कर वो बोली “धत्त कैसा पूछते हो.”

इतनी देर में लंड खड़ा होने लगा था. मुट्ठी में लिए उसे दबाया और अपना होठ काट कर बोली “किशोर एक बार और चोदो ना जाने से पहले.”

मैं क्या करता रणधीर अभी खुर्राटें भर रहा था. कुंदन ने जांघे चौड़ी की और मैं चढ़ गया. उस की चूत अभी भी गीली थी इस से आसानी से लंड अंदर जा सका. फिर भी मैंने सावधानी से काम लिया. एक उंगली से क्लाइटोरिस को अच्छी तरह रगड़ा. जब योनि में फटाके शुरू हुए तब ही मैंने लंड अंदर बाहर करना चालू किया.

हौले हौले हमने बीस मिनिट की मजेदार चुदाई की. आखिर में अपने कमरे में चला गया. केसर ने मुझे दूसरे दिन हाल पूछा. मैंने सब हकीकत बताई. वो खुश हुई और बोली “अगली माहवारी तक हर रोज चोदना. भगवान कीकृपा से उस के पेट में गर्भ जम जाए.” वो पंद्रह दिन मेरी जिंदगी के सब से हसीन दिन थे.

दिन दौरान कुंदन मुझ से शरमायी रहती थी. उस के चेहरे पर एककिस्म की चमक आ गयी थी. मुस्कराते हुए सारा दिन कुछ गुनगुनाया करती थी. रात को बेशरम बन कर चुदवाती थी. मैंने हर रात कुंदन को चोदा कम से कम दो बार. केसर की इच्छा पूरी हुई. कुंदन की माहवारी नहीं आयी वो गर्भवती हुई.

केसर ने कहा “किशोर आज से कुंदन की चुदाई बंद. बच्चा निकल आये तब तक.”

“चाची मैं कहाँ जाऊँगा? मेरी शादी करवा दो.”

“अरे ठहर इतनी जल्दी भी क्या है? मैं जो हूँ ना. चाहे तब चले आना और चोद लेना.”

दोस्तों नौ महीनों तक मुझे कुंदन से दूर रहना पड़ा. केसर को चोदता रहा था लेकिन कुंदन कोचोदने के बाद केसर अब कुछ फीकी सी लगती थी. पुरे महीनों बाद कुंदन ने लडके को जनम दिया. केसर ने बड़ी धाम धूम से उत्सव मनाया और मिठाइयां बांटी. नाम रखा आदित्य. मौका मिलाने पर मैं कुंदन के पास दौड़ गया और उस पर चुम्बनों की बारिश बरसा दी. कुंदन ने कहा “तुम पर पड़ा है.”

“कैसे कह सकती हो?” मैंने पूछा.

“ये देखो.” वो बोली.

मैंने देखा. छोटी सी नुन्नी पर काला तिल था बराबर जैसे मेरे लौड़े पर था. मैंने कुंदन के स्तन छुए तो उस ने मेरा हाथ हटा दिया और बोली “दस दिन राह देखनी पड़ेगी. बाद में…..” बरसों बित गए हैं. लडके का जन्म बाद दो साल में ही रणधीर ने देह त्याग दिया. दरमियान कुंदन को एक लड़की हुई चांदनी. दोनों बच्चें मेरी आँखों के सितारे हैं.

केसर को स्तन का कैंसर हुआ और छः महीनों में मर गयी. विधवा कुंदन सब जायदाद की मालकिन बनी. केसर ने मुझे जो जमीन दी थी वो मैंने वापस कर दी. एक साल रुकने के बाद हमने शादी कर ली. शादी के बाद सब से पहला काम हम दोनों ने ये किया की सारी जायदाद आदित्य और चांदनी के नाम कर दी और हम ट्रस्टी बन गए.

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