पवन और ज्योति को दिया शादी का तोहफ़ा

मैं और पवन बचपन से दोस्त थे। हम लोग पास ही पास रहते थे और साथ खेलते थे। हम दोनों ही पढ़ने में बहुत तेज थे और हमेशा क्लास में पहली या दूसरी पोजीशन लाते थे। इंटर पास करने के बाद हम दोनों का दाखिला एक ही इंजीनियरिंग कॉलेज में हो गया और हम दोनों एक ही कमरे में रहते थे। Bhojpuri Hero Sex Story

हम दोनों अच्छे नंबरों से पास होते चले गए और इंजीनियरिंग पास करने के बाद हम दोनों को ही मल्टीनेशनल कंपनियों में बहुत अच्छी नौकरियाँ मिल गईं। फिर कुछ दिनों बाद पवन ने नौकरी छोड़ दी और अपनी फैक्ट्री मुंबई में लगा ली। उसका अच्छा कारोबार जम गया।

फिर उसने एक मकान भी खरीद लिया। उसके पास मोटर गाड़ियाँ भी हो गईं। यद्यपि हम लोग मिल नहीं पाए, पर एक-दूसरे का हाल फोन से पता लगाते रहते थे। पवन की देखा-देखी मैंने भी अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी फैक्ट्री दिल्ली के पास बल्लभगढ़ में लगाली।

भगवान की कृपा से मेरी भी फैक्ट्री अच्छी चल निकली और मैंने भी अपना मकान बना लिया। मेरे पास भी कई मोटर-गाड़ियाँ हो गईं। एक दिन पवन का फोन आया कि वह शादी करने जा रहा है, लड़की का नाम ज्योति है और उसने मुझे अपनी शादी में आने के लिए बुलाया।

पर उन दिनों मुझे हिंदुस्तान से बाहर अपने बिजनेस के सिलसिले में जरूरी काम से जाना था, इसलिए मैं शादी में न जा सका। उसने बताया कि ज्योति बहुत ही सुंदर है। मैंने उससे कहा कि जैसे ही मुझे समय मिलेगा, मैं उनसे मिलने मुंबई जरूर आऊँगा।

मैं कई महीने उन दोनों से मिल तो न पाया, पर उन दोनों से अक्सर फोन पर बातें होती रहती थीं। फिर उनका एक दिन फोन आया कि अगले महीने मैं मुंबई उनके पास कम से कम एक हफ्ते के लिए जरूर आऊँ। मैंने वादा कर लिया कि मैं जरूर आऊँगा। अगले महीने मैं मुंबई उनके पास एक हफ्ते के लिए गया।

एयरपोर्ट पर वे दोनों यानी पवन और ज्योति मुझे लेने आए। ज्योति को देखते ही मैंने उनसे कहा, “सच भाभी, आप बहुत सुंदर हैं।” पवन ने मुझसे कहा, “जरूर था कि आप बहुत सुंदर हो, पर आज आपको देखकर जरूर कह सकता हूँ कि वाकई आप बहुत सुंदर हैं। पवन की पसंद की मैं दाद देता हूँ।”

भाभी अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हुईं। घर आकर दोनों ने मेरी बहुत आवभगत की। फिर दोनों मुझे मुंबई दिखाने ले गए और रात में मुझे एक बढ़िया रेस्तरां में खाना खिलाने ले गए। दूसरे दिन वे दोनों मुझे एलिफेंटा केव्स दिखाने ले गए। जब शाम को देर से लौटे तो पवन ने पूछा, “थकावट मिटाने के लिए व्हिस्की पियोगे?”

मैंने कहा, “जरूर पियूँगा।”

तब उसने जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल की बोतल निकाली और दो गिलास, सोडा और बर्फ लाने के लिए ज्योति से कहा। ज्योति दो गिलास, सोडा और बर्फ ले आईं।

मैंने कहा, “तीन गिलास लाइए, अगर आप नहीं पियेंगी तो मैं भी नहीं पियूँगा।”

पवन ने कहा, “खेसारी कह रहे हैं तो आज पी ही लो।”

ज्योति फिर एक गिलास और ले आईं।

पवन ने कहा, “स्नैक्स के बारे में तो मैं कहना भूल ही गया था।”

ज्योति फिर सॉल्टेड काजू और सॉल्टेड पिस्ता भी ले आईं। फिर हम तीनों ने जॉनी वॉकर पी और सब पर उसका असर होने लगा। पवन ने ज्योति से कहा, “ज्योति, एक बात तुम्हें बताएँ, हमारे सभी दोस्तों में इस खेसारी का लंड सबसे लंबा और मोटा है।”

भाभी बोलीं, “तुम्हें कैसे पता लगा?”

इस पर पवन ने कहा, “हम सभी दोस्त आपस में अपने लंड मिलाते थे और देखते थे कि किसका लंड सबसे लंबा और मोटा है। हॉस्टल में मैं और खेसारी तो साथ ही रहते थे और हम लोगों में कोई पर्दा नहीं था। हम दोनों अक्सर एक-दूसरे को नंगा भी देखते थे।” 

इस पर ज्योति भाभी बोलीं, “क्या तुम दोनों आपस में एक-दूसरे की गांड भी मारते थे? मैंने किताबों में पढ़ा है कि हॉस्टल में जो लड़के साथ-साथ रहते हैं, वे एक-दूसरे की गांड मारते हैं।”

इस पर पवन ने कहा, “हम दोनों ने तो कभी भी एक-दूसरे की गांड नहीं मारी। कहाँ यह पढ़ लिया है तुमने?”

इस पर ज्योति भाभी बोलीं, “हमारे हॉस्टल में किताबें वाले आते थे और गंदी-गंदी भाषा में लिखी किताबें और सेक्स की फोटो वाली मैगजीन लाते थे। हम लड़कियाँ वो किताबें और मैगजीन बड़े चाव से पढ़ती और देखती थीं। उन्हीं किताबों में यह सब लिखा था।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

पवन ने कहा, “ज्योति, सच तो यह है कि बहुत ही कम लड़के किसी लड़के की गांड मारते हैं। मैंने तो आज तक तुम्हारे अलावा किसी की भी गांड नहीं मारी।”

पवन की बात सुनकर मैंने भाभी से पूछा, “भाभी, गांड मराने में आपको कैसा लगा?”

भाभी बोलीं, “पहली बार जब पवन ने मेरी गांड मारी तो मुझे बड़ा दर्द हुआ और ऐसा लगा जैसे मेरी गांड ही फट जाएगी। दूसरी बार इतना दर्द नहीं हुआ। फिर तो दर्द कम और मजा ज्यादा आने लगा। अब तो अगर पवन कई दिनों तक मेरी गांड नहीं मारते हैं तो मैं उनसे गांड मारने के लिए कहती हूँ।”

मैंने भाभी से पूछा, “हॉस्टल में आप और आपकी दोस्तें भी आपस में कुछ करती थीं?”

भाभी बोलीं, “हम लोग एक-दूसरे की चूचियाँ चूसते थे और एक-दूसरे की चूत में उंगली करते थे। कभी-कभी एक-दूसरे की चूत चाटते, चूत में जीभ घुसेड़ते और एक-दूसरे की भगनासा (क्लिटोरिस) रगड़ते, चूसते और चाटते थे।”

अगले दिन पवन और ज्योति भाभी मुझे जहांगीर आर्ट गैलरी, तारापोरवाला एक्वेरियम और कई जगह ले गए। शाम को करीब 3 बजे सिंगापुर से फोन आया कि पवन का वहाँ पहुँचना बहुत जरूरी है। कुछ टेंडर पास करवाने के लिए उनका वहाँ रहना जरूरी है और पहली फ्लाइट से वहाँ पहुँच जाएँ। पवन पशोपेश में पड़ गए कि मुझे बुलाकर कैसे वहाँ चले जाएँ।

मैंने कहा, “मैं फिर आजाऊँगा, मगर टेंडर हाथ से न निकल जाए, इसलिए तुम सिंगापुर तो जरूर जाओ।”

मेरा कहा मानकर पवन पहली फ्लाइट से सुबह 7 बजे सिंगापुर के लिए रवाना हो गया। जाते समय ज्योति भाभी से कहता गया, “खेसारी का पूरा खयाल रखना।” पवन के जाने के बाद हम लोग एक रेस्तरां में खाना खाने के बाद घर लौट आए। पवन का जाना मुझे खल रहा था।

मैंने भाभी से कहा, “कल मैं भी चला जाऊँगा।”

भाभी बोलीं, “पवन तो चला गया, तुम भी चले जाओगे तो मुझे बहुत अकेला लगेगा। तुम तो एक हफ्ते के लिए आए हो, एक हफ्ते बाद ही जाओ, तब तक पवन भी लौट आएगा।”

भाभी के कहने पर मैं रुक गया। रात में मैंने भाभी से फिर व्हिस्की पीने के लिए कहा। पहले तो भाभी तैयार नहीं हुईं, मगर मेरे बार-बार इसरार करने पर मान गईं। फिर हम दोनों ने व्हिस्की पी और व्हिस्की का अच्छा-खासा नशा हम दोनों पर चढ़ गया। भाभी बहकी-बहकी बातें करने लगीं।

फिर भाभी उठीं और बोलीं, “मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।”

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और स्लीपिंग सूट पहन लिया। जब भाभी कपड़े बदलकर लौटीं तो मैंने देखा कि कपड़े बदलने के नाम पर उन्होंने अपने सारे कपड़े उतारकर एक झीना कपड़े की नाइटी पहन ली थी, जिसमें उनकी चूचियाँ, निप्पल और प्यूबिक हेयर साफ-साफ दिखाई दे रहे थे। उन्हें इस तरह देखकर मेरा लौड़ा एकदम खड़ा हो गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैंने भाभी से कहा, “तुम इस तरह के कपड़े मेरे सामने मत पहना करो।”

भाभी बोलीं, “क्यों?”

मैंने कहा, “इन कपड़ों में तुम्हें देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया है, अब इसे यहाँ कौन शांत करेगा?”

मैंने भाभी से कहा, “भाभी, जब आपकी चूचियाँ इतनी खूबसूरत हैं तो आपकी चूत कैसी होगी?”

भाभी बोलीं, “पहले तुम अपना लंड मुझे दिखाओ तो मैं तुम्हें अपनी चूत दिखा दूँगी। देखें, तुम्हारा लंड खड़ा भी है कि झूठ कह रहे हो।”

मैंने अपना पजामा उतार दिया और भाभी से कहा, “देखिए, मैं झूठ बोल रहा था कि सच।”

भाभी ने जब मेरा आठ इंच लंबा और मोटा लंड देखा तो बोलीं, “पवन सच कह रहा था, पवन का लंड तो तुम्हारे लंड के सामने कुछ भी नहीं है। जिस लड़की को भी इससे चुदवाने को मिलेगा, उस लड़की को मजा आ जाएगा।”

मैंने कहा, “आप भी चुदवाकर देखिए कि कितना मजा मिलता है।”

भाभी बोलीं, “चुदवाऊँगी तो नहीं, क्योंकि अगर पवन को पता लग गया तो बहुत बुरा होगा और वह पता नहीं क्या सोचेगा।”

मैंने कहा, “पवन को पता कैसे लगेगा? हम लोगों की चुदाई की बात केवल हम दोनों को ही तो मालूम रहेगी। न तुम बताओगी, न मैं बताऊँगा, फिर उसे कैसे मालूम होगा?”

मुझे लगने लगा कि भाभी चुदवाना चाहती हैं, पर उनकी हिम्मत नहीं हो रही है। इसलिए मैंने उनकी चूचियाँ चूसनी शुरू कर दीं। चूसने से उनकी चुदास बढ़ गई और उन्होंने अपनी नाइटी उतार दी और मेरे बाकी कपड़े भी उतार दिए। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए।

भाभी मेरा लंड पकड़कर खींचती हुई मुझे अपने बेडरूम में ले आईं और कहने लगीं, “हाँ, अब चोदो मुझे।” मैंने अपना लंड उनकी चूत में धीरे-धीरे करके पूरा घुसेड़ दिया और धक्के लगाने लगा। भाभी को तो बहुत ही मजा आने लगा। वे बोलीं, “मेरी चूची भी चूसो, चोदने के साथ-साथ।” मैंने खूब अच्छी तरह धक्के लगाए और भाभी और मैं साथ ही साथ झड़े।

भाभी बोलीं, “इतना मजा चुदाई में उन्हें कभी नहीं मिला।” फिर मैं दो दिन और उनके साथ रहा और उन दोनों दिनों में भाभी ने जमकर मुझसे चुदवाया। जाने से एक दिन पहले मैं उन्हें बाजार ले गया और उन्हें एक बढ़िया साड़ी, ब्लाउज, ब्रेसियर और पेटीकोट खरीदवाए और उनसे कहा, “कान के टॉप्स भी ले लीजिए।” फिर उन्होंने टॉप्स पसंद किए, जो मैंने उन्हें खरीद दिए और उनसे कहा, “अगली बार जब मैं आऊँ तो आप यही कपड़े और टॉप्स पहनकर मुझे लेने आइएगा। ये चीजें मेरी ओर से आपकी शादी का उपहार हैं।”

उस रात भाभी बहुत खुश थीं और भाभी ने मुझसे खूब चुदवाया। अगले दिन पवन वापस आ गए और सिंगापुर जाने के लिए मुझसे माफी माँगने लगे और पूछने लगे कि कोई परेशानी तो नहीं हुई। मैंने कहा, “भाभी के रहते परेशानी होने का सवाल ही नहीं होता। बड़े मजे से समय कट गया।” मेरी बात सुनकर भाभी मुस्कराईं। उसी रात को मैं दिल्ली की फ्लाइट से दिल्ली लौट आया। भाभी और पवन ने फिर मुंबई आने के लिए कहा। मैंने कहा, “अब जल्दी ही आऊँगा।”

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