देवर भाभी की चुदाई मेरे दोस्त अजीत की शादी के बाद मैं उसकी पत्नी कोमल से मिला। मैं रोज़ अजीत के घर जाता था। कोमल मुझसे बात करती थी, और हम साथ में समय बिताते थे। अजीत हमेशा मेरी तारीफ करता और अपनी पत्नी से कहता, “ये मेरा सबसे अच्छा दोस्त है।” यह मेरा रोज़ का रूटीन बन गया था कि मैं उनके घर जाऊँ, वहाँ बैठूँ, और इस जोड़े के साथ बातें करूँ, क्योंकि मैं अभी शादीशुदा नहीं हूँ। Used Bra Panty Story
कोमल बहुत अच्छी है और उसका शरीर आकर्षक है। वह ब्लाउज़, साड़ी, और कभी-कभी घाघरा पहनती थी। उसके बड़े स्तनों के कारण वह ब्रा नहीं पहनती थी। उसके स्तन बहुत कसे हुए थे, और ब्लाउज़ की फिटिंग के कारण उसके निप्पल हमेशा उभरे हुए दिखते थे।
उसका फिगर सामान्य रूप से बहुत आकर्षक था। उसके नितंब गोल और सुडौल थे, और चलते समय उनकी लयबद्ध हिलन-डुलन बहुत मोहक लगती थी। मैंने कभी गलत करने के बारे में नहीं सोचा था। दिन बीतते गए, और मैं कोमल को देखकर आनंदित होने लगा।
धीरे-धीरे मेरे मन में उसे और करीब से देखने की इच्छा जागने लगी। एक दिन मैं अजीत के घर गया और दरवाजा खटखटाया। कोमल ने सीढ़ियों के पास वाले साइड दरवाजे से जवाब दिया, “अंदर आ जाओ।” मैं अंदर गया और देखा कि वहाँ कोई नहीं था, सिवाय एक आंतरिक कमरे के।
मैं उस कमरे में गया। वहाँ कोमल भाभी अपने ब्लाउज़ को पहन रही थीं। एक पल के लिए मैं उनके बहुत करीब था, और उनके नंगे स्तन उनके शरीर पर लटक रहे थे। वह अपने ब्लाउज़ को ठीक करने की कोशिश कर रही थीं। मैंने उनके कसे हुए और सुडौल स्तनों को देखा। यह सब एक पल में हुआ, और मैं तुरंत वापस लौटकर कुर्सी पर बैठ गया।
“भाभी, अजीत कहाँ है?” मैंने पूछा।
“वो बस अभी आते होंगे, मैं अभी आती हूँ,” उन्होंने जवाब दिया।
“ठीक है, मैं बाहर इंतज़ार करता हूँ,” मैंने कहा।
मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कोमल भाभी के नंगे स्तनों को देख पाऊँगा, लेकिन उनकी एक झलक पाते ही मैं पागल सा हो गया। कितने बड़े, कसे हुए, और खूबसूरत थे उनके स्तन! मैं सोचने लगा कि कब मैं उन्हें फिर से देख पाऊँगा। उस दिन से मैं कोमल भाभी का दीवाना हो गया।
दिन-ब-दिन बीतते गए, लेकिन उनके स्तनों के प्रति मेरा आकर्षण बढ़ता ही गया। सच कहूँ तो मेरा पागलपन इस हद तक बढ़ गया कि जब भी कोमल मेरे सामने आती, मैं बार-बार उनके स्तनों को देखता रहता। एक दिन शाम के करीब 5 बजे मैं अपने दोस्त अजीत से मिलने गया। बहुत ठंड थी, फिर भी मैंने अपने सामान्य कपड़े पहने थे। मैंने घंटी बजाई।
कोमल ने दरवाजा खोला और मुझे अंदर बुलाया। हम घर के अंदर गए। कोमल ने मुझे कमरे में बैठने को कहा। घर में कोई नहीं था। मैंने अजीत के बारे में पूछा, तो उन्होंने बताया कि वह अपनी बहन के घर अपनी माँ के साथ गया है। कोमल ने मुझे चाय के लिए पूछा और मेरे जवाब का इंतज़ार किए बिना ऊपर चली गईं। मुझे लगा कि यह भाभी के करीब आने का मौका है।
मैंने दोनों दरवाजे बंद किए और ऊपर चला गया। “हाय भाभी, तुम्हारी चाय बहुत अच्छी लगती है,” मैंने कहा।
वह हँसी और बोली, “क्या, तुम रोज़ चाय ही पीते हो?”
“सच कहूँ भाभी, तुम्हारी हर चीज़ अच्छी लगती है, पर कैसे कहूँ?” मैंने सोचा।
भाभी ने कहा, “चाय पियो।”
मैंने मन में सोचा, “आज तो तुम्हें ही पूरा पी जाना चाहता हूँ।”
“क्या सोचते हो? कुछ नहीं, तबीयत तो ठीक है?” मैंने कहा।
“तुम्हारी जवानी को देखकर हर किसी की तबीयत खुश हो जाएगी। एक जलवा दिखा दे मेरी रानी,” मैंने सोचा।
वह मेरे सामने बैठ गई। उस वक्त मैंने देखा कि उनके सफेद ब्लाउज़ से उनके स्तनों की पूरी गोलाई दिख रही थी। मैंने चाय पी ली और कहा, “सचमुच भाभी, आज की चाय बहुत अच्छी थी।”
“जाओ हटो, ये भी कोई बात हुई? रोज़ तो ऐसे ही पीते हो,” उन्होंने कहा।
मैंने भाभी को गौर से देखा। “क्या देखते हो, जैसे कभी देखा न हो?”
“नहीं भाभी, ऐसा नहीं है।”
“तो क्या है?”
मैंने उनकी आँखों में आँखें डालकर कहा, “तुम्हें कुछ नज़र आता है?”
भाभी उठने लगीं। मैंने झट से उनका पल्लू पकड़ लिया और खींचने लगा। वह खड़ी हो गईं, और साड़ी सर्रर्र करती हुई निकलने लगी। करीब तीन-चौथाई साड़ी निकल चुकी थी, तभी भाभी को होश आया। उन्होंने साड़ी पकड़ते हुए कहा, “क्या कर रहे हो? हाय रे भैया, ये क्या किया?”
“कुछ नहीं भाभी,” मैंने कहा।
वह बोली, “छोड़ दो।”
हम दोनों के बीच खींचतान हुई, लेकिन मैंने साड़ी उनके शरीर से उतार दी। अब वह शरमा गईं और बोलीं, “ये क्या किया तुमने?”
वह ऊपरी मंजिल के दूसरे कमरे में जाने की सोच रही थीं, तभी मैंने उनका हाथ पकड़कर ज़बरदस्ती नीचे बिठा दिया। वह गुस्से में बुदबुदाने लगीं, “मुझे छोड़ दो!” लेकिन मेरे ऊपर उनके स्तनों को देखने का भूत सवार हो चुका था। मैंने कुछ सुना नहीं और पीछे से उन्हें ज़ोर से लिपट लिया।
मेरे दोनों हाथों में उनके मदमस्त स्तन आ गए। मैंने बिना रास्ता देखे उनके स्तनों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। वे बहुत बड़े और कसे हुए थे। भाभी ने खूब विरोध किया, लेकिन मैंने उनकी एक नहीं सुनी। मैंने उनके गले पर चूमना शुरू किया। वह अपने शरीर को हिलाकर मुझे दूर करने की कोशिश करने लगीं। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
तभी मैंने उनके स्तनों को ज़ोर से दबाया। वह चीखने लगीं। मैंने और ज़ोर से दबाया। उन्होंने पूरी ताकत लगाकर छूटने की कोशिश की। हमारे बीच हाँ-न ना की टक्कर होने लगी। मैंने धीरे-धीरे उनके स्तनों को दबाते हुए उनके निप्पल पकड़ लिए और हल्के-हल्के मसलने लगा।
वह मेरे हाथों को पकड़कर खींचने लगीं और कहने लगीं, “मुझे छोड़ दो, ये क्या कर रहे हो?” वह मना करती रहीं, लेकिन मैं उनके निप्पल और स्तनों को दबाता-सहलाता रहा। वह कभी हाथ-पैर मारकर मुझे दूर करने की कोशिश करती, लेकिन सफल नहीं हो पाई।
मैं उनके ऊपर झुक गया और उनके होठों को चूसना चाहता था, लेकिन उन्होंने ज़ोर का धक्का मारा। मेरे हाथों की पकड़ छूटने वाली थी। मैंने तुरंत अपने हाथ उनके स्तनों की दरार पर रख दिए। ब्लाउज़ का कपड़ा पतला था, और धक्का मारते ही वह दरार हटी। ब्लाउज़ फट गया, और मेरे सामने उनके दोनों स्तन खुलकर सामने आ गए।
वह समझ नहीं पाई कि क्या हुआ। उनके 38 इंच के गोरे स्तन, जिनके बीच भूरे रंग के निप्पल और उनके आसपास कामदेव की मुहर जैसे भूरे निशान थे, मेरे सामने थे। मेरे दबाने के कारण उनके स्तन और कड़े हो गए थे। वह शरमाते हुए थोड़ा झुक गईं, लेकिन उनके स्तन अभी भी कसे हुए थे।
मेरा सपना सच हो गया। वह खुद को संभालती हुई भागकर कमरे में चली गईं। मैंने देखा कि कमरा बिना दरवाजे का था। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगा हो गया। मेरा लंड पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था और उसे कोमल भाभी के साथ संभोग करने की चाह थी। मैं कमरे में गया।
भाभी पलंग पर लेटी थीं। बिना देर किए, मैंने उनके ब्लाउज़ को, जो थोड़ा-सा लिपट गया था, पकड़कर फाड़ दिया। भाभी चीखीं। मैंने तुरंत उनके घाघरे में हाथ डालकर उसकी डोरी खींची और एक ही झटके में कोमल भाभी का शरीर पूरी तरह नंगा कर दिया। वह चाहती थीं, लेकिन शरमाती भी थीं।
मैंने उनके नंगे शरीर पर हाथ फेरना शुरू किया। आखिरकार, मैंने उन्हें सीधा करने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानीं। मैं उनके ऊपर चढ़ गया। उनका शरीर काँपने लगा। मैंने उनके स्तनों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें चूसना शुरू किया। वह विरोध करती रहीं, लेकिन मैंने उनके शरीर को रगड़ना जारी रखा।
वह जान चुकी थीं कि अगर मैंने उन्हें सीधा लिटा दिया, तो मैं उन्हें बिना संभोग किए नहीं छोड़ूँगा। आखिरकार, मैंने उन्हें सीधा लिटा ही दिया। उनकी आँखें बंद थीं। मैंने उनकी पूरी नंगी जवानी को देखा। सचमुच, मैं देखता ही रह गया। उनके रसीले होंठ, मदमस्त स्तन, और पूरी तरह शेव की हुई, रोटी की तरह फूली हुई योनि—सब कुछ नंगा था।
मेरा लंड पूरी तरह तनकर खड़ा हो चुका था। आज मैं अपनी भाभी की उस चीज़ को छूने जा रहा था, जिसे उनके पति के सिवा किसी ने नहीं छुआ था। मैंने उनके स्तनों को दबाते हुए उनके ऊपर चढ़ना शुरू किया। विरोध तो था ही, लेकिन उसमें प्यार पाने की चाह भी थी।
मैंने उनके नंगे शरीर को जकड़कर उनके होंठों को चूमा। वह “ना-ना” करती रहीं, लेकिन मैं नहीं माना। मैंने उनके होंठों का रसपान किया। करीब पाँच मिनट तक मैं उनके स्तनों को दबाता रहा। जब मैंने उनकी योनि को छुआ, तो वह सिसकारियाँ भरने लगीं। “ये क्या कर रहे हो भैया?” उन्होंने कहा।
फिर उनकी योनि को चूमते ही वह मस्त हो गईं। मैं भी पागलों की तरह चूमने लगा। “आह्ह्ह्ह्ह… और जोर से… आह्ह्ह्ह्ह…” वह सिसकारियाँ भरने लगीं। “धीरे-धीरे दबाओ मेरे राजा,” आखिरकार भाभी खुल गईं। “अब मैं भाग नहीं पाऊँगी, जोर से…” वह पूरी तरह मेरे करीब आ चुकी थीं।
मैंने उनके पैरों को फैलाया और अपने लंड के सुपाड़े को उनकी योनि पर रगड़ना शुरू किया। वह जोश में पागल सी हो गईं और जोर-जोर से सिसकारियाँ भरते हुए बोलीं, “बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।” मैंने और तेज़ी से रगड़ना शुरू किया। दो-तीन मिनट में ही भाभी जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगीं और झड़ गईं।
उनकी योनि पूरी तरह गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी योनि की होंठों को फैलाकर अपने लंड का सुपाड़ा बीच में रखा। जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया, वह चीख उठीं और बोलीं, “राजा, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।” मैंने कहा, “बस थोड़ा सा बर्दाश्त करो।” मेरा लंड का सुपाड़ा उनकी योनि में घुस चुका था।
मैंने फिर से थोड़ा जोर लगाया, तो वह जोर-जोर से चीखने लगीं। वह रोने लगीं। मैंने उन्हें चुप कराते हुए कहा, “दर्द को बर्दाश्त करो, तभी तो तुम मज़ा ले पाओगी।” वह बोलीं, “बहुत तेज़ दर्द हो रहा है।” थोड़ी देर में वह शांत हो गईं। मेरा लंड उनकी योनि में 2 इंच तक घुस चुका था।
मैंने फिर से जोर लगाया, तो मेरा लंड और अंदर घुस गया, और उनकी सील मेरे लंड के रास्ते में आ गई। वह फिर से चीखने लगीं और बोलीं, “प्लीज, बाहर निकाल लो, मैं मर जाऊँगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी योनि फट जाएगी।” मैंने उनके स्तनों को मसलते हुए कहा, “बस थोड़ा सा और है।”
थोड़ी देर तक मैं उनके स्तनों को मसलता रहा और उन्हें चूमता रहा, तो वह शांत हो गईं। मुझे अब उनकी सील को फाड़ना था। मैंने उनकी कमर को जोर से पकड़ लिया और पूरी ताकत के साथ बहुत जोर का धक्का मारा। मेरा लंड उनकी योनि को फाड़ते हुए और अंदर घुस गया। वह इस बार बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगीं।
मैंने उन्हें चुप कराते हुए कहा, “बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आएगा।” वह बोलीं, “क्या पूरा अंदर घुस गया?” मैंने कहा, “अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।” वह बोलीं, “जब बाकी का घुसाएँगे, तो मुझे फिर से दर्द होगा।” मैंने कहा, “अब दर्द नहीं होगा, अब तुम्हें मज़ा आएगा।”
जब भाभी शांत हो गईं, तो मैंने धीरे-धीरे उनकी चुदाई शुरू कर दी। उन्हें अभी भी दर्द हो रहा था, और वह आहें भर रही थीं। उनकी योनि बहुत टाइट थी, इसलिए मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उन्हें चोदता रहा, तो कुछ देर बाद वह धीरे-धीरे शांत हो गईं।
अब उन्हें भी थोड़ा-थोड़ा मज़ा आने लगा था। उन्होंने सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दीं। मैंने पूछा, “अब कैसा लग रहा है?” वह बोलीं, “अब तो मज़ा आ रहा है। पूरा अंदर घुस जाने दे, तब तुझे और मज़ा आएगा।” मैंने उन्हें चोदना जारी रखा, तो थोड़ी देर बाद उन्होंने अपने चूतड़ भी उठाना शुरू कर दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
अब भाभी मेरा लंड एडजस्ट करती हुई चुदवाने लगीं। इससे हम दोनों एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए। भाभी ने अपनी बाहें फैलाकर मुझे अपने स्तनों पर जोर से दबा दिया। मैंने उनके शरीर को छू लिया था, और भाभी भी पूरी तरह मेरे करीब आ चुकी थीं। हम दोनों की साँसें तेज़ी से एक-दूसरे में समाने लगी थीं।
मैंने पूरा जोर लगाया, और मेरा लंड फक-फक करता हुआ उनकी योनि की गहराई को छूने लगा। पूरा जोश था। वह पागल सी बन चुकी थीं। थोड़ी देर की चुदाई के बाद भाभी फिर से झड़ गईं। उनकी योनि और मेरा लंड पूरी तरह गीले हो चुके थे। मैंने अपनी गति धीरे-धीरे बढ़ानी शुरू कर दी।
वह भी पूरे जोश में आ चुकी थीं। वह जोर-जोर से सिसकारियाँ भर रही थीं। मैंने हर 4-6 धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरू कर दिया। इससे मेरा लंड थोड़ा-थोड़ा करके उनकी योनि में और गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज़ धक्का लगाता, तो भाभी केवल एक “आह” सी भरती थीं।
वह इतने जोश में आ चुकी थीं कि उन्हें अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह उन्हें चोदता रहा। थोड़ी देर की चुदाई के बाद भाभी फिर से झड़ गईं। अब तक मेरा लंड उनकी योनि में 7 इंच अंदर घुस चुका था। मैंने अपनी गति बढ़ाते हुए उनकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड उनकी योनि में समा गया। जब वह पूरे जोश में आ गई थीं, तब मैं बीच-बीच में जोर का धक्का लगाता था, जिससे मेरा लंड थोड़ा-थोड़ा करके उनकी योनि के और अंदर घुसता जाता था।
वह जोश में थीं, इसलिए उन्हें कुछ पता ही नहीं चला। मैंने अपनी गति और तेज़ कर दी, क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। दो मिनट के अंदर ही मैं झड़ गया। आह और वाह का सिलसिला खत्म हुआ। भाभी शरमाती हुई बिस्तर पर बैठ गईं। मैंने उनके स्तनों को पकड़कर दबाते हुए कहा, “कैसा लगा मेरा पहला प्यार?” भाभी बोलीं, “ना-ना करते मैं प्यार कर बैठी। करना था इंकार, मगर इकरार कर बैठी। हाय रे मेरे भैया,” कहकर वह मुझसे पूरी तरह लिपट गईं और बोलीं, “क्या यही प्यार है?”
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