पेंटी खोल कर लेट गई गैर मर्द के सामने

मैं पहली बार हिम्मत जुटा के आपको अपनी बात बताने जा रही हु, ज़िंदगी में कभी कभी कुछ चीज का ऐसा नशा हो जाता है जिसको छोड़ना बड़ा ही मुस्किल होता है, मेरे साथ भी वही हुआ था, मैं अपने पति को नापसंद करने लगी थी, और मेरा इंटरेस्ट दूसरे मर्दो में ज्यादा होता था, यहाँ तक की मुझे मेरे से काम उम्र के लड़को में ज्यादा रूचि होती थी. Bhabhi Vasna Sukh

मैं रोज रोज सेक्स करना चाहती थी, मैं सेक्स की भूखी रहती थी, ऐसा लगता था की मेरे चूत में हमेशा ही लंड आता जाता रहे, और मैंने कुछ गलत कदम भी उठाये थे वही मैं आज आपको बताने जा रही हु, आशा करती हु की आपको मेरी ये कहानी अच्छी लगेगी.

मेरा नाम दीपिका है, मैं दिल्ली में रहती हु, मैं २८ साल की हु, मेरे दो बच्चे भी है, पर मैं शरीर से बहुत ही सुन्दर और सुडौल हु, मेरा बूब्स की साइज ३६ है, और गोरी लम्बी हु, मुझे ब्लू फिल्म देखना और सेक्सी कहानियां पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है. बात आज से ३ साल पहले की है, मुझे कहानिया पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता था.

मैं रोज रोज हमारी वासना डॉट नेट पे आके लोगो की कहानी पढ़कर बहुत मजे करती थी, मुझे इस वेबसाइट के बारे में मेरे पति ने ही बताया था, पता नहीं क्या हुआ मुझे सेक्स करना बहुत ही अच्छा लगने लगा, मैं अपने पति से दिन में २ से ३ बार छोड़ने के लिए कहती, पर वो मुझे चोद नही पाटा था, तब से मैं घर से बाहर तलाश करने लगी जो की मेरी वासना की भूख को शांत कर सके.

मेरे फ्लैट के ऊपर के फ्लोर पे एक लड़का रहता था वो उत्तर प्रदेश का रहने बाला था, नाम था विवेक, अभी अभी शादी कर के दिल्ली आया था, उसकी पत्नी भी उसके साथ आई थी, देखने में बहुत ही खूबसूरत था, मुझे विवेक से चुदने का मन करने लगा, मैं लगी उसे पटाने सबसे पहले मैंने उसके वाइफ से अच्छी दोस्ती कर ली.

दोस्त भी बहुत ही जल्दी बन गयी क्यों की दिल्ली में वो नयी नयी थी, बात चित होने लगी, फिर क्या था, शाम को ठण्ड में हम चारो मैं पति पत्नी और वो दोनों देर रात तक ठण्ड के दिन में एक ही रजाई में बैठ कर मूंगफली खाया करते थे, कभी कभी मैं अपना पैर विवेक को छुआती और हलके हलके रगड़ती. “Bhabhi Vasna Sukh”

मैंने ऐसे कैसे कह दू की मैं तुमसे प्यार करती हु, और चुदना चाहती हु, तो मैंने एक दिन उसके पत्नी को बताया की, मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर सकता है, वो तीन चार महीने में एक बार मुझे चोद पाटा है, शायद विवेक की पत्नी ने विवेक को ये बात बता दिया फिर क्या था वो मुझे घूरने लगा, फिर ऐसे ही देखते देखते समय निकल गया होली आ गई थी.

होली के दिन मुझे रंग लगाते हुए विवेक ने मेरे बूब्स को दबाने लगा और मैं भी शांत हो गयी उस समय कमरे में कोई नहीं था, तो मैंने भी उससे अपनी चूचियाँ दबबा ली, उसने मेरे चूत को ही साडी के ऊपर से ही सहलाने लगा था फिर होठ को किश करने लगा था.

मैं सिर्फ यही बोल पायी “छोडो ना प्लीज कोई देख लेगा” पर ये तो सिर्फ ऊपर ऊपर से कह रही थी मन तो कर रहा था की उसका लण्ड अपने चूत में घुसा लू. थोड़े दिन बाद मैं वह से खली कर के कोई और मकान में आ गयी, दो तीन दिन बाद ही विवेक मुझसे अकेले ही मिलने आ गया, सुबह के दस बज रहे थे. “Bhabhi Vasna Sukh”

मेरे घर में कोई नहीं था, पति ड्यूटी गया था और बच्चे स्कूल, और नया मकान भी मेरा ऐसा था की मैं ही उसमे थी, तो कोई देखने बाला भी नहीं था, वो आके दरवाजा खटखाया मैं निकली, वो मुझे देख के बोला हाय क्या लग रही हो, ऐसा कहने का रीज़न भी था.

क्यों की मैं ब्रा नहीं पहनी थी नाईट भी चिकना कपडा था वो की मेरे शरीर में चिपका हुआ था इस वजह से मेरे शरीर के सारे अंग साफ़ साफ़ दिख रहा था, चूच का निप्पल तक पता चल रहा था कपडे पर से. मैंने बोली इस समय? तो बोला हां आपकी याद आ रही थी, वो अंदर आ गया, और मुझे अपनी बाहों में भर लिया.

मैंने अपना पेंटी खोल दी और पलंग पे लेट गयी, वो भी ऊपर चढ़ के नाईटी को ऊपर कर दिया और मेरे बूब्स को पिने लगा मेरा बूब भी बड़ा बड़ा था, वो एक हाथ से दबा रहा था एक हाथ से मेरे चूत में ऊँगली दाल दिया और फिर दांत से मेरे चूच के निप्पल को हलके हलके काट रहा था, उसकी ये अदा मुझे भा गई. “Bhabhi Vasna Sukh”

आज तक मुझे ऐसा फिल नहीं हुआ था, फिर वो ऊँगली घुसा घुसा के मेरे चूत से पानी निकाल दिया, मैं आह आअह के अलावा और कुछ भी नहीं कह रही थी. मेरे ऊपर चढ़ के अपना लण्ड मेरे चूत पे लगा के एक धक्का लगाया, और लास्ट तक पंहुचा दिया, और चोदने लगा, करीब २ घंटे तक चोदा फिर ड्यूटी गया. अब वो मेरे यहाँ रोज आ जाता था और चोद के मुझे जात्ता था, अब मुझे विवेक भी अच्छा नहीं लगने लगा, हद तो तब हो गयी जब मैं एक दिन कबाड़ी बाले से चुद गयी, उसके बाद फिर मैं अपने मकान मालिक से.

फिर मैं अख़बार बाले से, मुझे अब हरेक दस दिन में मर्द बदलना काफी अच्छा लगने लगा था, और मैं इस तरह से चुदने लगी थी, तभी मेरे पति का तबादला हो गया और हमलोग गुजरात चले गए, वह जाके मैं गैर मर्द से ना चुदने का कसम खा ली, और ठीक रहा भी मैंने अपने पति के अलावा मैं किसी को साथ नहीं सोई, पर क्या बताऊँ, पिचेल महीने फिर वापस दिल्ली आ गई हु, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, मैं फिर से गैर मर्द से चुदने के लिए तैयार हु, अभी मैं देख रही हु, जो की मेरे साथ रिश्ता बना सके.

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