बचपन की दोस्त की नशीली चूत चोदी

मेरा नाम दिव्यांश सिंह है। आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी और मेरी बचपन की दोस्त छाया की है। मैं कानपूर का रहने वाला हूँ, उम्र 19 साल, और दिखने में काफी स्मार्ट हूँ। मेरी बॉडी ठीक-ठाक है, और मेरा लंड 6 इंच का है—जो किसी भी लड़की को पूरी तरह संतुष्ट करने के लिए काफी है। Horny Friend Mast Chudai

छाया बरेली में रहती है, और ये कहानी दो महीने पुरानी है, जब मैं अपने एक एग्जाम के सिलसिले में बरेली गया था। पापा ने कहा था, “बरेली में मेहता की बेटी छाया रहती है, तेरी बचपन की दोस्त। उसके पास रुक जाना।” मैंने हामी भर दी। अगले दिन मैं बरेली पहुँच गया। छाया मुझे स्टेशन लेने आई थी।

जब मेरी नजर उस पर पड़ी, तो मैं देखता रह गया। वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि बस मन में आग सी लग गई। उसका फिगर करीब 38-28-30 का होगा—गोरी चमकती त्वचा, भरे हुए स्तन, पतली कमर और उभरे हुए चूतड़। उसने मुझे देखकर मुस्कुराया और हमने एक-दूसरे को गर्मजोशी से गले लगाया।

उसकी खुशबू और उसके बदन की नरमी ने मेरे होश उड़ा दिए। फिर हम उसके फ्लैट के लिए निकल पड़े। फ्लैट में उसकी एक सहेली भी रहती थी, जो उन दिनों अपने घर गई हुई थी। फ्लैट में सिर्फ दो रूम थे। छाया ने कहा, “तू इस रूम में सो जा।”

मैंने अपना सामान रखा, नहाया, और कपड़े बदलकर बाहर आया।

छाया मुझे देखकर बोली, “यार दिव्यांश, तू तो बहुत स्मार्ट हो गया है। मन कर रहा है तुझे अभी चूम लूं।”

मैंने हँसते हुए कहा, “मजाक मत कर, चल मॉल घूमने चलते हैं।”

लेकिन उसने कहा, “मॉल छोड़, आज यहीं पार्टी करते हैं।”

मैंने कहा, “ठीक है।”

उसने म्यूजिक सिस्टम ऑन किया, एक रोमांटिक गाना चलाया, और हम कपल डांस करने लगे। मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था, और उसकी गर्मी मेरे बदन में उतर रही थी। उसकी सांसें मेरे चेहरे को छू रही थीं, और मेरा मन कर रहा था कि उसे अभी बाहों में कस लूं और चोद दूं।

लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया। डांस करते-करते मैंने उसे प्रपोज कर दिया। उसने हाँ कह दी। फिर मैंने पूछा, “क्या मैं तुझे किस कर सकता हूँ?” उसने शरमाते हुए हाँ में सिर हिलाया। मैंने उसके रसीले होंठों को अपने होंठों से छुआ, और धीरे-धीरे चूमना शुरू किया।

पहले वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन फिर उसने मुझे टाइट पकड़ लिया और जोश में मेरे होंठ चूसने लगी। 10 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठों का रस पीते रहे। उसकी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, और मेरा लंड धीरे-धीरे सख्त होने लगा था।

फिर वो चाय बनाने किचन में गई। मैं पीछे से गया और उसे कमर से पकड़कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा। उसकी सिसकियाँ निकलने लगीं। वो पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने उसके भरे हुए बूब्स को दबाना शुरू किया—वो इतने बड़े और मुलायम थे कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे थे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया, और मैंने उसे अपनी गोद में उठाकर रूम में ले गया। बेड पर लिटाते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। मैंने उसकी साड़ी उतारी, फिर अपने कपड़े फेंके। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। उसका गोरा, नरम बदन मेरे नीचे था, और उसकी आँखों में वासना की चमक साफ दिख रही थी।

मैंने उसके बूब्स को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। उसके निप्पल सख्त हो गए थे, और वो मादक आवाजें निकाल रही थी— “आह्ह… दिव्यांश… और चूसो!” उसकी सिसकियाँ मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थीं। फिर मैं नीचे सरका और उसकी टाँगें फैलाकर उसकी चिकनी चूत को देखने लगा।

वो गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली और चाटना शुरू किया। उसका स्वाद नमकीन और मादक था। वो जोर-जोर से सिसक रही थी— “आह्ह… ओह्ह… दिव्यांश!” कुछ ही देर में वो झड़ गई, और मैंने उसका सारा रस पी लिया।

अब मैंने उसे खड़ा किया और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर लपेट रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। 20 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा, और फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया।

वो मेरा सारा वीर्य निगल गई, और फिर हम दोबारा किस करने लगे। उसने मेरे लंड को हाथ में लिया और हिलाना शुरू किया। 5 मिनट में वो फिर से तन गया। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया। एक जोरदार धक्का मारा—मेरा टोपा अंदर चला गया।

वो चिल्लाई— “आह्ह… मर गई!” मैंने रुकने का नाम नहीं लिया और एक और धक्के से पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया। वो जोर-जोर से चीख रही थी— “निकालो… आह्ह… चोदो मुझे!” मैंने धक्के शुरू कर दिए। वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी।

उसकी चूत टाइट थी, गर्म थी, और मेरा लंड उसकी गहराइयों में समा रहा था। 45 मिनट तक मैंने उसे चोदा, और फिर उसकी चूत में अपना सारा वीर्य डाल दिया। हम दोनों पसीने से तर थे, और नंगे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए। अगले दिन हमने सुबह से शाम तक चुदाई की। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

हर कोने में, हर पोज में—उसकी चूत और मेरे लंड की भूख खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। लेकिन दो दिन बाद उसकी सहेली आराध्या आ गई, और हमें रुकना पड़ा। फिर एक रात जब छाया सोने की तैयारी कर रही थी, मैंने कहा, “जान, तेरी गांड मारनी है।”

उसने हाँ कह दी, लेकिन बोली, “आराम से, आराध्या को पता न चले।” मैंने उसे बेड पर लिटाया, उसके बूब्स को चूसा, और उसकी चूत को चाटा। वो सिसक रही थी, और उसकी आवाजें रूम से बाहर जा रही थीं। मैंने उसे गोद में उठाया और अपना लंड उसकी चूत में डालकर ऊपर-नीचे करने लगा। वो भी अपनी कमर हिला-हिलाकर मेरा साथ दे रही थी। 20 मिनट बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी गांड को चूसना शुरू किया। उसकी गांड गोल और टाइट थी।

मैंने अपने लंड को उसकी गांड पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। वो चिल्लाई—”आह्ह… फट गई!” दो-तीन धक्कों में मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। मैंने तेज-तेज धक्के मारे, और 35 मिनट तक उसकी गांड चोदने के बाद मैं झड़ गया। अब जब भी मौका मिलता है, मैं बरेली जाता हूँ। हर हफ्ते दो दिन छाया की चुदाई करता हूँ, कभी उसकी चूत, कभी उसकी गांड। उसकी वासना और मेरी भूख हमें हर बार एक-दूसरे के करीब ले आती है। उसकी मादक सिसकियाँ और उसका नरम बदन मेरे लिए किसी नशे से कम नहीं।

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