मैं नॉएडा में रहती हु, मेरे पति कॉलेज में प्रोफेसर थे, पर एक रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई, मैं माँ बेटी इस दुनिया में रह गए सारे जल्लत झेलने के लिए, पर कई बार ऐसा लगता है की कोई मसीहा आया है ज़िंदगी में और वो ज़िंदगी को वो नहीं खुशियों की मुकाम तक ले जायेगा, ऐसा ही हुआ. Damad Ne Choda Sas
जब मेरे पति ज़िंदा थे तभी एक लड़का था जो की इनके पास आया करता था, पढाई करने के लिए, वो बहुत ही मिलनसार था और धीरे धीरे वो मेरे परिवार से काफी घुलमिल गया, मेरे परिवार को लगता ही नहीं था की वो कोई अलग है, वो लगता था मेरे परिवार का ही सदस्य है.
जब मेरे पति हॉस्पिटल में थे तब वो खूब सेवा किया था, वो हमलोग के दिल में घर कर गया था. मेरे पति की मृत्यु हो गई, वो मेरा अपना मकान था नॉएडा में, और वो दिल्ली में लॉज में रहता था, मेरा ऊपर का फ्लोर खाली था, तो मैंने सोचा की क्यों ना सुबोध को यही रहने के लिए कह दू, घर में एक मर्द भी हो जायेगा नहीं तो अकेली औरत की फैमिली को तो आप समझ सकते है.
तो मैंने सुबोध को कह दिया की सुबोध तुम चाहो तो ऊपर बाले फ्लोर पे रह सकते हो, तुम्हारा लॉज का किराया भी बच जायेगा, और वो यही आ गया रहने के लिए, लड़का बहुत ही अच्छा था तो हमलोग को लगा की ये हमलोग का सहारा हो जायेगा.
मेरी बेटी जो की 22 साल की है उसका नाम है निशा वो यूनिवर्सिटी से एम ए कर रही है, और सुबोध भी एम ए कर रहा है दोनों का सब्जेक्ट राजनीती शास्त्र है, तो दोनों को काफी हेल्प होने लगा, वो लोग आपस में बातचीत करते और पढाई भी करते.
मुझे भी अच्छा लगने लगा की जो मेरी फूल सी बेटी हमेशा पापा के जाने के बाद उदास रहती थी उसके चेहरे पे हसी थी, मुझे भी अच्छा लगा. एक दिन की बात है मेरा भाई जो की गुडगाँव में रहता है उसके अचानक तबियत खराब हो गई, तो मैं वही चली गई.
निशा को भी बोली की चलो तो वो बोली मुझे नोट्स सबमिट करने है कॉलेज में तो मैं नहीं जा पाऊँगी, तो मैं अकेली ही चली गई, उस दिन तो वापस नहीं आ पाई, दूसरे दिन दोपहर को आई, गर्मी का दिन था, मैं गेट सटाया हुआ था, अंदर से कुण्डी नहीं लगी थी तो मैं समझ गई की निशा कही आस पास कोई दुकान गई होगी, इस वजह से खुला है.
मैं अंदर चली गई, जब अंदर गई अपना बैग ड्राइंग रूम में राखी और बाथरूम से वापस आके बैडरूम में जैसे ही एंटर करने के लिए सोची मेरे होश उड़ गए. मैं परदे के पास छिप गई और देखने लगी, क्या बताऊँ आपलोग को मेरी बेटी निचे नंगी थी और सुबोध उसको चोदे जा रहा था. “Damad Ne Choda Sas”
हरेक झटके पे निशा आअह आआह आआह आआह आआह कर रही थी, निशा की बड़ी बड़ी चूचियाँ हरेक झटके पे हिलती और सुबोध हरेक झटके पे एक गाली देता ले साली ले ले साईं ले, मैं अवाक् रह गई, मैं सुबोध को देख रही थी किस तरह से निशा के चूचियों को मसल रहा था.
पर मेरी बेटी भी कम नहीं थी वो सुबोध के चूतड़ को पकड़ के अपने चूत से सटा रही टी और हाय हाय हाय कर रही थी, कह रही थी चोद मुझे चोद, चोद मुझे चोद, निशा आअह आअह आअह कर रही थी, मैं वही से चुपचाप खड़ी होकर सारा माजरा देख रही थी, वो वो दोनों शांत हो गए. सुबोध अपना लंड से सारा माल निशा के मुझ पे डाल दिया.
मैं वापस हो गई और घर से बाहर आ गई, ताकि वो लोग को लगे की मैं अभी आ ही रही हु, करीब १० मिनट बाद आई और बेल्ल बजाय निशा निकली बाल बिखरे थे कपडे भी अस्त व्यस्त मैंने पूछा क्या हुआ निशा तो बोली सो रही थी मैं, अंदर आई तब तक सुबोध ऊपर जा चूका था. मैं सब समझ गई, उस दिन निशा को कुछ भी नहीं बोली. “Damad Ne Choda Sas”
दूसरे दिन मैं सुबोध को मैं पूछी की सुबोध ये सब क्या हो रहा है, कल मैं जब वापस आई तो तुम लोग को सब कुछ करते हुए देख ली, मैंने तुम्हे अपने घर में जगह दिया ताकि तू मेरी हेल्प कर सको पर तुमने तो विश्वासघात किया, तुमको मैं अपने घर का सदस्य मानती थी पर तुमने को निशा को कही का नहीं छोड़ा, तुमने तो मेरा घर बर्बाद कर दिया, वो चुपचाप सब बात को सुनता रहा.
तभी निशा आ गई जैसे वो अंदर आई वो वोमेटिंग करने लगी, और कहने लगी जी मिचला रहा है, मुझे लगा की ये सब तो तब होता है जब कोई लड़की प्रेग्नेंट हो, मैं चुप चाप मेडिकल से प्रेगनेंसी टेस्ट करने की किट लाइ और निशा को बोली निशा मुझे बताओ टेस्ट कर के. “Damad Ne Choda Sas”
तब निशा बोली की मम्मी टेस्ट करनी की कोई जरूरत नहीं, मैं सुबोध के बच्चे की माँ बनने बाली हु, ऐसे भी मैं आपको बताने ही बाली थी, तो मैंने कहा निशा अभी तुम इसका एबॉर्शन करवाओ, पर वो नहीं मानी, मैंने कहा सुबोध से सुबोध तुम अब इज्जत बचाओ, मैं कही की रहने बाली नहीं रहूंगी मैं बदनाम हो जाउंगी, तुम शादी कर लो निशा से.
सुबोध तैयार नहीं हो रहा था, उसने एक शर्त रखी. की मैं शादी तभी करूँगा जब आप मुझसे सेक्स सम्बन्ध बनाओगे, मैंने कहा ये क्या कह रहे हो, तो बोला हां मैं सही कह रहा हु, अगर आप मेरे से सेक्स सम्बन्ध बनाते हो तो मैं निशा से शादी करने के लिए तैयार हु. मैंने काफी समझाने की कोशिश की पर वो नहीं माना उलटे बोला की मैं आप लोग को छोड़कर चला जाऊंगा, मैं डर गई मुझे बदनामी का डर था, मैंने हां कर दिया, निशा और सुबोध की शादी कोर्ट में करवा दी, उसने निशा के साथ साथ मेरे साथ भी सुहागरात मनाया,
क्या बताऊँ दोस्तों मैं सुबोध की रखैल बन कर रही हु, मैं अपनी चुदाई की वर्णन क्या करूँ, वो रात भर मेरी बेटी को चोदता है और दिन भर मुझे चोदता है, यहाँ तक की ये बात निशा को भी पता चल गया है, की मेरी माँ को भी सुबोध चुदाई करता है, अब तो सब कुछ खुले आम हो रहा है, सुबोध को जब जिसके साथ सोने का मन करता है उसके साथ सोता है, मैं भी खुश हु, मैंने अपने हालात से समझौता कर लिया है.
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