मेरा नाम पवन है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। मेरी उम्र 44 साल की है। मेरे आकर्षक और सुडौल शरीर पर लडकिया फ़िदा हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ था जब मैं दिल्ली आया हुआ था। मेरी शादी मेरे मालिक की बेटी से हो गयी थी जिसके घर मै काम करता था। मालिक की बेटी का नाम राजलक्ष्मी था। जैसा नाम वैसे थी भी। Kamsin Kali Jism Porn
उसको पहली बार ही देखते ही मैं फ़िदा हो गया। उस समय उसकी चूंचिया बहुत विकसित नहीं हुई थी। लेकिन फिगर तब भी बड़ा लाजबाब लग रहा था। वो हुस्न की मालिका लग रही थी। उसके जैसी बीबी पाकर मेरी किस्मत खुल गई। शादी के के बाद राजलक्ष्मी से मैंने खूब सेक्स किया और मेरी बेटी भी पैदा हो गई। बिलकुल माँ पर गई थी।
मैंने उसका नाम पड़े प्यार से मनु रखा। समय के साथ साथ वो बदलती जा रही थी। अब वो तेजी से बड़ी हो रही थी और उसके छोटे छोटे बूब्स अब बड़े हो गए थे। कद में वो मेरे बराबर की हो गई। मेरे मन में अपनी बेटी को ही देखकर बहुत बुरा ख्याल आने लगा। अब वो 19 साल की कमसिन कली बन चुकी थी। मै भी भौरे की तरह उसका रस निकालना चाहता था।
एक दिन वो नहा कर तौलिया लपेट के बाहर निकल रही थी। अचानक उसका तौलिया नीचे खुलकर गिर गया। मैंने उसके संतरे जैसे बूब्स को देख लिया। वाह क्या गजब की माल लग रही थी!! अपनी बेटी थी तो थोड़ा डर रहा था। मेरा लंड खड़ा हो गया। मै उसे चोदने की प्लानिंग बनाने लगा।
मेरी बीबी कुछ दिन के लिए अपने मायके गई हुई थी। मै और मेरी बेटी मनु दोनों लोग घर पर थे। मैंने उस दिन उसे अपने रूम में लेटने को कहा। वो रात में लेटने के लिए मेरे बिस्तर पर आ गयी। मै उसे सुहागरात के सेज पर आई दुल्हन की नजरो से देख रहा था। आज मेरा फूल मूड उसकी चूत फाडने का था।
मैं रात को उसके सोने का इंतजार कर रहा था। मनु करीब 11 बजे वो बाते करते करते सो गई। मेरे इन्तजार की घड़ी खत्म हो चुकी थी। मै उसे निहारने लगा। उसके पैर से लेकर सर तक देखने लगा। उसने हॉफ लोवर और टी शर्ट पहन रखी थीं। मनु का फिगर 34 28 30 का अब हो गया था।
अब वो चुदने को पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी। उसका जिस्म किसी मीठे आम की तरह पक गया था। उसकी लंबी लंबी गोरी गोरी टांगो को देखकर मेरा लंड उफान मारने लगा। उसकी टांगो को मुर्गी की लेग पीस की तरह नोच नोच कर खाने का मन करने लगा। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था।
मैंने उसके पैर पर अपना मुह लगा दिया। उसके पैर के तलवे को किस करते हुए चाट रहा था। मनु सोने में मस्त थी। कुछ देर बाद मैं उसके टी शर्ट को गले के पास उठाकर देखने लगा। मुझे आज दोबारा उस संतरे के दर्शन हो गया। उसने मनु ने गुलाबी रंग की ब्रा में समेट रखा था।
मैं बहुत ही बेचैन होने लगा। मैंने चादर ओढ़ ली उसको भी अंदर कर लिया। मैंने धीरे से अपनी टांग उठाकर उसके ऊपर रख दिया। मनु सोती रही। मैंने अपना पैजामा निकाल दिया। अब मैं सिर्फ नाड़े वाले कच्छे में था। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने फिर से पैर उठा कर रख दिया। इस बार मेरा लंड उसके गांड में लग रहा था।
मैं जान बूझकर अपना लंड गड़ाने लगा। मनु थोड़ा अंगड़ाते हुए देखने लगी कि क्या चुभ रहा है। उसने चादर के नीचे मेरा लंड छुआ। वो मेरे लंड को जड़ तक टटोटने लगी। कुछ देर बाद उसने चादर उठा कर देखा तो मेरा कच्छा तना हुआ था।
मनु चौंक कर मुह पर हाथ लगा ली। मै सब कुछ थोड़ी सी आँख खोलकर देख रहा था। उसने मेरे लंड को धीरे से अपने अंगुली से छुआ। मेरा लंड टन से खड़ा हुआ। मेरे लंड को छू छू कर मजा ले रही थी। मैंने अपनी आँखे खोल दी।
मै- “मनु ये क्या कर रही हो??”
मनु- “पापा वो… वो.. चुभ रहा था तो मैं देख रही थी क्या चुभ रहा है.”
मैं- “देख लिया या अभी देखना बाकी है.”
मनु शर्माते हुए बोली- “नहीं देखना है.”
मैं- “आज मै अपनी प्यारी सी बच्ची को दिखा देता हूँ. इसके बारे में बता देता हूँ.
मैनें अपना 8” का मोटा लंड निकाला। वो देखकर चौक गई। कहने लगी- “पापा ये तो साँप जैसा लगता है.”
मै- “नहीं बेटा ये मेरा लंड है। इसी की वजह से तो तुम पैदा हुई हो.”
मनु- “कैसे पापा मैं पैदा हो गई??”
मैंने फ़ोन निकाल कर उसे ब्लू फिल्म दिखाया। उसमे किये गए सारे कार्यक्रम को बताया। वो समझ गई। जबरदस्त चुदाई देखने के बाद उसका भी मूड बनने लगा।
मनु- “पापा मैंने अभी तक ऐसा नहीं किया है। कैसा लगता है?
मै बहाने मारते हुए कहने लगा- “वो तो बेटा करने पर पता चलता है.”
मनु- “कर लो ना पापा। मुझे भी सीखना है.”
मै- “ठीक है आज मैं तुझे कली से फूल बनाता हूँ। लेकिन ये बात किसी को बताना नहीं.”
मनु- “नहीं बताऊंगी पापा.”
मैने उसे अपने जाल में फंसा लिया। वो ख़ुशी ख़ुशी अपनी चूत देने को तैयार थी। मैंने अपना कच्छा भी निकाल दिया। अब मेरा लंड अच्छे से झांटो समेत दिख रहा था।
मनु- “पापा क्या ये लंड हमेशा ही खड़ा रहता है??”
मै- “नहीं बेटा जब हम किसी की चुदाई करने का मन करते है तब खड़ा हो जाता है। बाकी समय ये सिकुड़ कर छोटा सा रहता है.”
मैं मनु का हाथ अपने लंड पर रख कर उसे सहलाने को कहा। अपनी नाजुक नाजुक हाथो से वो मेरा लंड सहला रही थी। मैंने कहा- “इसे चूसो!!!” उसने मना किया.”
मैं- “चूसो बेटा बहुत मजा आएगा.”
बहुत कहने पर धीरे धीरे वो मजे ले ले कर चूसने लगी। मेरे लंड के सुपारे को मुह में भर लिया। लॉलीपॉप की तरह चाट चूस रही थी। मुझे भी अब कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैंने 5 मिनट तक लंड चुसाने के बाद मनु के बालो को पकड़ कर लाल लाल होंठ पर अपना होंठ जमा दिया।
उसकी होंठ बिना लिपस्टिक के खूब लाल लाल गुलाब की तरह लग रहे थी। मैंने चूस चूस कर गुलाबी कर दिया। बहुत मजा आ रहा था उसकी होंठो को चूसने में। मैंने कहा- “बेटा अब तू अपनी टी शर्ट निकाल दे.” मैं उसके गुलाबी रंग की ब्रा में ही संतरो को दबा दबा कर निचोड़ने लगा।
मनु की मस्त मुलायम चूंचियो को दबाने में बहुत मजा आ रहा था। वो गर्म होकर बिस्तर को दबा रही थी। मैंने अपना मुह उसके निप्पलों पर लगा दिया। छोटे छोटे 34” के निप्पलों को मुह से पकड़कर खींच खींच कर पी रहा था।
वो जोर जोर “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअ अअ अ….आहा …हा हा हा” की सिसकारी भरने लगी। मैंने कुछ देर तक मनु की चूंचियो का रस निचोड़ कर सारा रस पी गया। उसके बाद धीरे धीरे से नीचे की तरफ किस करते हुए बढ़ा।
उसकी नाभि पर पहुचते ही मैंने जोर का किस करते हुए उसे चाटने लगा। वो अपना पेट सिकोड़ कर मेरा सर अपने पेट में दबा रही थी। मैं भी बहुत उत्तेजित हो रहा था। मैंने उसके लोवर में हाथ डालकर उसकी चूत को मसलने लगा। वो “पापा …पापा आह आह” बोलकर मुझसे चिपकने लगी।
मै- “मनु तुम्हारी चूत तो बहुत ही मुलायम है। मसलने में बहुत मजा आ रहा है.”
मनु- “पापा ऐसे न करो कुछ कुछ होने लगता है। मुझे बहुत अजीब लग रहा है.”
मै- “थोड़ा शब्र रखो मेरी जान अभी तुम्हे बहुत मजा आएगा.”
मै जो भी करता वो चुपचाप करने देती थी। मैंने धीरे धीरे उसके लोवर को नीचे सरकाना शुरू किया। आज उसने कोई चड्डी न पहनी थी। उसकी साफ़ चिकनी चूत का दर्शन मुझे होने लगा। वो नंगे ही बिस्तर पर पड़ी मछली की तरह तड़प रही थी। उसकी सुनहली झाँट चूत पर बहुत ही लाजबाब लग रही थी।
मुझे भी अब रहा नही जा रहा था। मैंने चूत को सहलाते हुए अपना मुह लगा दिया। उसकी रसभरी चिड़िया का रस चखने के लिए मैंने एक एक टुकड़े को मुह में भरकर पीना शुरू किया। मुझे चूत की मनमोहक खुशबू बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी रसीली चूत को चाटने में बहुत मजा आ रहा था।
वो भी “……अई…अई…. अई…… अई…. इसस्स्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाज के साथ चटवाने में बहुत मस्त थी। नाखूनों को मेरे गले में गडा गड़ा कर मेरा सर दबा रही थी। मनु की चूत ने पानी छोड़ दिया। मैनें उसकी चूत को चाट चाट कर लाल लाल कर दिया। चुदवाने की तड़प और वासना उसकी आँखों में झलक रही थी।
मेरे लंड को वो बहुत चुदासी नजरो से देख रही थी। मैंने चूत से निकले रस को चाट कर भरपूर आनंद लिया। अब चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। दोस्तों मेरे ताकतवर लंड का आकार 7” का था। मैंने चूत में लगाकर धक्का मार दिया। लंड उसकी चुद्दी में घुस ही नही रहा था।
बार बार की कोशिशों के बाद आखिर लंड का सुपारा घुस ही गया। वो जोर से उछल“……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकाल रही थी। मेरी बेटी मनु मुझसे अपनी चूत छुड़ाकर भागने लगी। मैंने उसे किसी तरह से समझा बुझाकर चुदने को फिर से तैयार कर पाया।
फिर से मेहनत करके अपना लंड फिर से घुसाया। अबकी बार मेरा आधा लंड 4” उसकी चूत में घुस गया। वो दर्द से तड़प रही थी। मैंने मनु के मुह पर हाथ रखकर दबा लिया। जोर का झटका लगाते हुए इस बार पूरा लंड उसकी चूत में समाहित कर दिया। मनु दर्द भरी आँखों से मुझे देख रही थी।
उसकी चूत से खून निकल रहा था। वो डर गई। मैंने उसे समझाया- “तुम आज पहली बार चुदवा रही हो। आज तुम्हारी सील टूटी है। वो कुछ नही बोल रही थी। मैं काम लगाना शुरू कर दिया। अब उसकी आवाज में कुछ परिवर्तन होने लगा। वो अब “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..पापा पापा!!” की साथ चुदाई करवा रही थी।
उसकी योनी अब खुल गयी थी। मैंने उनकी चूत को अच्छे से देखा। चूत के होठ अब किनारे किनारे चले गये थे। मैंने मनु को और जोर जोर से चोदना शुरू किया। वो मेरे लंड के साथ चुद्दम चुद्दी का खेल खेल रही थी। बहुत दिनों बाद इतनी टाइट चूत चोदने को मिली थी। अब उसे भी चुदने में मजा आने लगा।
चूत को उठा उठा कर चुदवाते देखकर मेरी भी स्पीड बढ़ गई। मेरा लंड उसकी चूत में घच…घच..करके कूद रहा था। कुछ देर तक लेटकर सम्भोगरत रहा। मैंने अब मनु को गोद में उठाकर अपना लंड उसकी चूत में डालकर घुसा दिया। जोर जोर से उछाल उछाल कर चोदने लगा। मेरा गला पकड़ कर वो झूला झूलकर चुदाई करवा रही थी।
वो जोर जोर से “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” की जोशीली आवाज के साथ चुदवा रही थी। मनु को नीचे उतार कर कुतिया बना दिया। उसे कुत्ते की तरह उसकी कमर पकड़ कर चोदने लगा। जोर जोर से चिल्लाकर कुछ ही देर में वो झड़ गई। मनु की चूत से फेना जैसा निकलने लगा।
चूत का मंथन करके मक्खन निकाल दिया। मेरा लंड अब आसानी से अंदर बाहर होकर मनु की चुदाई कर रहा था। उसकी चूत ढीली हो गयी। मुझे अब बिलकुल भी मजा नहीं आ रहा था। मैंने अब लंड बाहर निकाल लिया। मैंने कुछ देर तक आराम किया। फिर लिंग पर लगे माल की मालिश करके फिर से अच्छे से खड़ा करके टाइट करने लगा।
20 मिनट आराम करने के बाद मैने उसे फिर से झुका दिया। मनु गांड मेरे तरफ करके झुकी थी। मैंने उसके गांड की छेद पर थोड़ा सा थूक लगाया। अपना लंड बार बार उसकी गांड की छेद में घुसाने की कोशिश कर रहा था। मनु की गांड तो चूत से भी ज्यादा टाइट थी। मेरा लंड घुस ही नही रहा था।
मैंने भी गुस्से में जोर का झटका मार दिया। इस बार मेरा सुपारा उसकी गांड में घुस गया। मनु जोर से चिल्लाई। मैं उसकी दर्द भरी आवाजो को न सुनकर धक्के पर धक्का लगाए जा रहा था। मनु की गांड में अब मेरा आधा लंड घुस चुका था। मैंने और पूरी कोशिश की और मेहनत की और किसी तरह गांड के छेद में घुसा दिया।
पूरी गांड फट गयी। मनु के मुह से जोर जोर की “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की आवाज निकल रही थी। दर्द से उसका मुह लाल पीला हो रहा था। मै बिना किसी झिझक के जबरदस्त चुदाई स्टार्ट कर दी। उसकी दोनों चूंचियां आम की तरह लटकी हुई लहरा रही थी।
अपनी बेटी मनु की गांड पर तेज तेज से हाथ मार कर उसे उत्तेजित करके सम्भोग कर रहा था। कुछ देर तक सम्भोग होने के बाद वो सहज हो गयी। अब गांड का छेद फ़ैल गया। अब दर्द नही हो रहा था। वो चक्की की तरह गांड मटका मटका कर चुदवाने लगी।
मै भी अपना डंडा पूरा का पूरा घुसा घुसा कर निकाल रहा था। कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मनु के पेट को पकड़कर मै भी फुल रफ़्तार में अपना लंड पेलने लगा। इस बार की ठुकाई ने गांड को चोद कर भरता बना डाला। जबरदस्त चुदाई के डर से उसकी गांड दुप दुपाने लगी। घच्च पच की आवाज से पूरा कमरा भर गया। मनु थक कर बेहाल हो गयी। हम दोनों के पसीने छूट गये। किसी तरह से वो दीवाल के सहारे झुकी थी।
वो भी मस्ती में “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” की मीठी दर्द भरी आवाज निकाल रही थी। मैं भी अब झड़ने वाला हो गया। मेरा थोड़ा सा माल मनु की गांड में ही छूट गया। मैंने जल्दी से अपने लंड को निकाल लिया। मेरे लंड को निकालते ही वो बिस्तर पर तुरन्त ही लेट गयी। कुछ दिनों बाद मेरी बीबी अपने मायके से लौट आई। मेरी बीबी राजलक्ष्मी को इस ठुकाई के बारे में कभी पता नही चला।
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