मैं धर्मेश एक बार फिर से आप सबके बीच में हाज़िर हूं। मैं 25 साल का नौजवान लौंडा हूं। मेरा मस्त हथियार 6 इंच लंबा है, जो किसी भी चूत की बखियां उधेड़ सकता है। मुझे अक्सर पकी-पकाई औरतें बहुत ज्यादा पसंद है, क्योंकि ऐसी औरते अपने अनुभव से लंड को बहुत ज्यादा मज़ा देती है। Pyasi Makan Malkin Chudai
मैं शादी से पहले कई अनुभवी औरतों को मेरा लंड दे चुका था। लेकिन शादी के बाद मैं सीधा सच्चा इंसान बन गया था। अब मैं और मेरी वाइफ हम दोनों सिटी में किराए पर कमरा लेकर रह रहे थे। मैं आराम से जॉब कर रहा था। हमारी जिंदगी अच्छी चल रही थी। तभी मेरी वाइफ प्रेग्नेंट हो गई। ये मेरे बड़ी खुशी की बात थी।
लेकिन धीरे-धीरे मेरा लंड चूत के लिए तड़पने लगा। जॉब पर जाने की वजह से मैं मेरी बीवी का अच्छे से ध्यान नहीं रख पा रहा था। फिर कुछ महीनों के बाद मैंने मेरी वाइफ घर भेज दिया। अब मैं रूम पर अकेला था, और मेरा प्यासा लंड चूत की तलाश में था।
मेरी मकान मालकिन यानि समीक्षा भाभी जी के साथ बहुत अच्छी बनती थी। समीक्षा भाभी जी के मकान में हम ही अकेले किरायेदार थे। समीक्षा भाभी जी लगभग 38 साल की मस्त बिंदास औरत है। उनका गोरा-चिट्टा रंग किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकता है।
भाभी जी एक-दम गदराई हुई सी है। भाभी जी के बोबे लगभग 34″ साइज के है। उनके मोटे-मोटे बोबों का उभार मेरे लंड को बार-बार उकसा रहा था। भाभी जी की चिकनी कमर लगभग 32″ साइज की है। कमर के नीचे भाभी जी की मदमस्त गांड लगभग 34″ साइज की है।
उनकी गांड की कसावट साड़ी में साफ-साफ झलकती है। भाभी जी की गांड को देख-देख कर मेरा लंड पागल हो उठा था। मेरी वाइफ के घर जाने के बाद समीक्षा भाभी जी मेरा अच्छी तरह से ध्यान रखने लगी। वो मेरे रूम की साफ सफाई कर दिया करती थी, और कभी-कभी वो मेरे लिए खाना भी बना देती थी।
मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही थी लेकिन चूत का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था। मेरा लंड चुदाई करने के लिए तड़प रहा था। ऐसे ही टाइम निकलता जा रहा था। एक दिन समीक्षा भाभी जी हॉल में पोछा लगा रही थी। उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था। तभी मेरी नज़र भाभी जी के बोबों पर पड़ गई।
भाभी जी के बड़े-बड़े बोबों को देख कर मेरा लंड बुरी तरह से तन गया। फिर मैं कमरे में जाकर लंड मसलने लगा। अब मैं सोचने लगा “धर्मेश क्यों नहीं समीक्षा भाभी जी को ही पटाया जाये। अगर ये पट गई तो फिर चूत का जुगाड़ हो जायेगा।”
अब मैं रोजाना समीक्षा भाभी जी को प्यास भरी नज़रो से देखने लगा। भाभी जी की मस्त फूली हुई गांड को देख-देख कर मेरा लंड आग बबूला हो जाता था। लेकिन आगे कुछ करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। अब एक दिन मैं कमरे में ही था। तभी भाभी जी मेरे कमरे में पोछा लगाने आई।
अब मैं बेड पर बैठा हुआ था, और भाभी जी पोछा लगा रही थी। तभी भाभी जी को देख-देख कर मेरा लंड पजामा फाड़ कर बाहर निकलने को तैयार हो रहा था। मैं भाभी जी को ताड़ रहा था तभी भाभी जी ने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया। तभी भाभी जी काम खत्म करके चली गई। फिर भाभी जी काम ख़त्म करने के बाद मुझे पोहे देने आई।
तभी मैंने सोचा “आज सही मौका है भाभी जी को दिल की बात बोल ही देता हूं।”
तभी मैंने भाभी जी से कहा “भाभी जी आप बहुत अच्छी हो जो मेरे लिये इतना सब कर रही हो। वरना इस ज़माने ऐसे मकान मालिक मिलना मुश्किल है।”
“अब तुम हमारे यहां इतने सालों से रह रहे हो, तो हमारे परिवार जैसे रिश्ते बन गए है। और इस टाइम इतनी हेल्प तो करनी ही चाहिए।”
“सच में आप बहुत अच्छी हो भाभी जी।”
तभी भाभी जी ने कहा, “धर्मेश जी आपको और किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो मांग लेना।”
तभी मैंने सोचा अब तो भाभी जी से बोल ही देता हूं। ये भी लाइन पर आ ही गई है। तभी मेंने हिम्मत की, “भाभी जी मुझे अब तो सिर्फ एक ही चीज़ की ज़रूरत है, और वो आप दे देते तो बहुत अच्छा रहेगा।”
“क्या चीज़?”
“भाभी जी आप सब जानती हो। इस टाइम मुझे किसकी ज़रूरत है। मैं बहुत महीनो से प्यासा हूं भाभी जी। बस अब तो आप मेरी प्यास बुझा दो।”
मेरी बात सुन कर भाभी जी सकपका गई। उनके चेहरे की हवाइयां उड़ गई। तभी मैं बेड से उठ कर भाभी जी के पास खड़ा हो गया और उनके कंधो पर हाथ रख दिया।
“बुझा दो ना भाभी जी मेरी प्यास।”
“धर्मेश जी आप ये क्या बोल रहे हो यार। ऐसा नहीं हो सकता। माना कि मैं आपकी परेशानी समझ रही हूं, लेकिन मैं…”।
“भाभी जी आप मेरे लिए इतना सब कर ही रही हो तो फिर ये भी कर दो ना। इसमें कौन सी बड़ी बात है। आपके पास टाइम भी है, मौका भी है। और घर मे सुरक्षा भी है।”
“नहीं यार धर्मेश जी मैं ये सब नहीं कर सकती। मैंने जिंदगी में ऐसे काम नहीं किये हैं। मैं एक अच्छे घर की बहु हूं।”
“भाभी जी अच्छे घर के तो सभी होते हैं। लेकिन ज़रूरत तो पूरी करनी पड़ेगी ना। अच्छे घर के होने के चक्कर में कब तक खुद को रोक कर रखे?”
“आपकी बात सही है धर्मेश जी लेकिन जो काम हो नहीं सकता उसके बारे में बात करना ही बेकार है।”
“आप चाहो तो सब हो सकता है भाभी जी।”
“मैं नहीं कर सकती यार।”
और भाभी जी इतना कह कर वापस अपने रूम में चली गई। इधर मेरा लंड तड़पता ही रह गया। उस दिन के बाद भाभी जी के हाव-भाव बदल गए। वो अब मुझसे कटी-कटी सी रहने लगी। तभी एक दिन भाभी जी मुझे खाना देने आई तभी मैंने भाभी जी को फिर से छेड़ दिया। “भाभी जी प्यास बुझा दो ना। बहुत तड़प रहा हूं मैं।”
“नहीं धर्मेश जी। मैं नहीं बुझा सकती।”
बाद भाभी जी तुरंत खाना देकर वापस चली गई। अब मैं जब भी मौका मिलता तो भाभी जी को पटाने की पूरी कोशिश करता, लेकिन भाभी जी पट नहीं रही थी। अब एक दिन भाभी जी उनके कमरे की साफ सफाई कर रही थी। तभी उनको हेल्प की ज़रूरत पड़ी और उन्होंने मुझे बुला लिया।
मैं तुरंत भाभी जी के पास चला गया। अब मैं सामान इधर-उधर उठाने मे भाभी जी की हेल्प करने लगा। मेरी प्यासी नजरे भाभी जी को ताड़ रही थी। वो भी मेरी प्यास को समझ रही थी। लेकिन भाभी जी कुछ कहने को तैयार नही हो रही थी। तभी मैंने आज फिर से भाभी जी को पटाने की हिम्मत की।
“भाभी जी आप कब मानोगी यार?”
तभी भाभी जी ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। वो साफ-सफाई करने में लगी हुई थी। मेरा लंड भाभी जी की गांड की कसावट को देख कर आग बबूला हो रहा था। अब मैं भाभी जी के पास जा कर खड़ा हो गया। अब जैसे ही भाभी जी मेरी तरफ मुड़ी, तो मैंने भाभी जी को मेरी तरफ खींच लिया।
अब भाभी जी कुछ कह पाती उससे पहले ही मैंने भाभी जी को धर दबोचा और मैं भाभी जी के रसीले होंठो को चूसने लगा। तभी भाभी जी मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने भाभी जी को ज़ोर से कस रखा था। मैं भाभी जी के होंठो को रगड़ कर चूस रहा था।
तभी मैं भाभी जी की साड़ी के पल्लू को एक तरफ हटा कर उनके बड़े-बड़े बोबों को दबाने लगा। मैं बलाऊज के ऊपर से ही भाभी जी के बोबों को ज़ोर-ज़ोर से कस रहा था। अब भाभी जी के बोबे और होंठ मेरी पकड़ में थे। मैं उनके होंठो को बुरी तरह से चूस रहा था।
तभी भाभी जी गर्म होने लगी। कमरे मे आउछ पुछ आउछ पूछ की आवाजे गूंजने लगी थी। अब मैंने भाभी जी के बोबों पर से हाथ हटा कर उनकी गांड पर ले गया, और मैं भाभी जी की मदमस्त गांड को मसलने लगा। आहा! बहुत ही गज़ब की गांड थी भाभी जी की। मैं भाभी जी की गांड को बुरी तरह से मसल रहा था।
इधर मेरा लंड भाभी जी की चूत फाड़ने के लिए बेताब हो रहा था। मैं भाभी जी के होंठों को खाते हुए भाभी जी की गांड को खूब कस रहा था। अब मेरा लंड भाभी जी की चूत फाड़ने के लिए बेताब हो रहा था। तभी मैंने भाभी जी को बेड पर पटक दिया। अब मैं भाभी जी के बलाऊज को खोलने लगा, लेकिन भाभी जी बलाऊज नहीं खोलने दे रही थी।
“धर्मेश जी अब आगे कुछ मत करो”.
“भाभी जी आज तो सब कुछ होगा ही।”
तभी भाभी जी और मेरे बीच बलाऊज को खोलने के लिए छीना-झपटी होने लगी। लेकिन फिर मेने भाभी जी के बलाऊज के हुक खोल हो दिए। बलाऊज के हुक खुलते ही भाभी जी उनके बोबों को दोनों हाथो से ढकने लगी। अब मैं भाभी जी के हाथों को दूर हटाने की कोशिश करने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“भाभी जी बच्चों की तरह कर रही हो आप? हाथ हटाओ।”
लेकिन भाभी जी ऐसे मान नहीं रही थी। फिर मैंने भाभी जी को ज़ोर का झटका दिया, और उनके हाथों को दूर हटा दिया। अब मैंने भाभी जी की ब्रा को एक तरफ हटाया, और भाभी जी के बोबों को कैद से बाहर निकाल लिया। लेकिन तभी ड़ोरबेल बज उठी। अब भाभी जी मुझे धक्का देकर तुरंत खड़ी हो गई और फ़टाफ़ट से उन्होंने बलाऊज के हुक लगा लिए।
अब भाभी जी साड़ी को ठीक करके गेट खोलने चली गई। देखा तो पडोसी आंटी आई थी। मुझे आंटी पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। आज इस आंटी की वजह से मेरा लंड पानी पीते-पीते रह गया। फिर आंटी भाभी जी के साथ जम कर बैठ गई। उसके बाद आंटी की लड़की स्कूल से वापस आ चुकी थी। फिर उस दिन तो मुझे भाभी जी को बजाने का मौका ही नहीं मिला। अब शाम को मैं भाभी जी के साथ बात-चीत करने लगा। भाभी जी बिल्कुल नॉर्मल लग रही थी।
“अगर आज आंटी नहीं आती तो मेरी प्यास बुझ जाती।”
“धर्मेश जी ये अच्छी बात नहीं है यार। मैं ये सब नही करना चाहती।”
“भाभी जी आप एक बार करने तो दो। बहुत मजा दूंगा आपको।”
“नहीं धर्मेश जी। आपके भैया को पता चल जायेगा यार।”
“कुछ पता नही चलेगा भैया को तो।”
अब भाभी जी मेरे लंड के नीचे आने को तैयार थी। तभी मैंने मौका देख कर भाभी जी की सेक्सी गांड पर दो चपेड़ मार दी। गांड पर चपेड़ मारते ही भाभी जी सिहार उठी।
“आईईईई सिस्सस्स।”
“बहुत ही मस्त है भाभी जी।”
फिर भाभी जी मुसकुराती हुई उनका काम करने लग गई। अब मैं अगले दिन का इंतज़ार करने लगा। फिर मैं तैयार होकर जॉब पर चला गया। लेकिन आज मेरा काम में मन नहीं लग रहा रहा था। मेरा लंड तो भाभी जी की चूत मांग रहा था। कल का नज़ारा बार-बार मेरी आंखों के सामने घूम रहा था।
तभी मैं जॉब से वापस आ गया। भाभी जी घर पर अकेली ही थी। वो हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी। तभी मैं भी तुरंत कपड़े बदल कर भाभी जी के साथ आ बैठा। भाभी जी बिल्कुल चुप थी। तभी मैं भाभी जी के साथ चिपकने लगा, और उनकी कमर को सहलाने लगा।
अब भाभी जी मेरे हाथ को दूर हटाने का नाटक करने लगी। शायद कल की घटना के बाद भाभी जी अब ठुकाई कराने के लिए तैयार थी। तभी मैं भाभी जी का हाथ पकड़ कर उन्हें बैडरूम में ले जाने लगा। तभी भाभी जी नखरे करने लगी।
“धर्मेश जी यार क्या कर रहे हो आप?”
“वो ही कर रहा हूं भाभी जी जो मुझे करना चाहिए।”
तभी भाभी जी चुप हो गई।
“ओह धर्मेश जी आप भी बड़े ज़िद्दी हो।”
“ज़िद्दी तो आप हो भाभी जी जो इतने नखरे दिखा रही हो। क्या बिगड़ रहा है आपका पानी पिलाने में? क्या आप एक प्यासे को पानी नहीं पिला सकती? बोलो?”
“पिला तो सकती हूं, लेकिन यार डर लगता है। किसी को कुछ पता चल गया तो?”
“किसी को कुछ पता नहीं चलेगा भाभी जी। आप चिन्ता मत करो।”
अब भाभी जी उनकी चूत फड़वाने के लिए तैयार हो चुकी थी। तभी मैं भाभी जी को बैडरूम में लेजा कर उनके रसीले होंठो को पर हमला बोल दिया। अब मैं भाभी जी के रसीले होंठो को बुरी तरह से चूसने लगा। तभी पुच्च ऑउच्च पुच्च की आवाज़े पूरे कमरे में गूंजने लगी।
भाभी जी बिल्कुल चुप थी। वो खुद को मुझे सौंप चुकी थी। अब मैंने भाभी जी के बोबों को पकड़ लिया और फिर भाभी जी के बोबों को जम कर मसलने लगा। आह्ह! आज तो मेरे लंड का भाग्य खुल चुका था। बहुत मेहनत के बाद आज भाभी जी के बोबों को दबाने का मौका मिल रहा था। भाभी जी धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।
तभी मुझे लगा ये ही सही मौका था, भाभी जी को बेड पर पटक दे और चढ़ जा भाभी जी पर, ठोक दे भाभी जी की चूत में लंड। तभी मैंने भाभी जी को उठा कर बेड पर बेड पर पटक दिया, और मैं झट से भाभी जी के ऊपर चढ़ गया। फिर मैं भाभी जी के चिकने गले पर किस करने लगा। तभी भाभी जी आतुर होकर मुझे बाहों में कसने लगी। मैं भाभी जी के गले पर ताबड़-तोड़ किस कर रहा था।
“ओह धर्मेश जी। उन्ह सिसस्ससस्स आह्ह।”
भाभी जी कसमसाते हुए मुझे बाहो में दबा रही थी। तभी भाभी जी ने मेरी टी-शर्ट खोल फेंकी। अब भाभी जी मेरी पीठ पर नाख़ून गढ़ाने लगी।
“उन्ह ओह सिससस्स आह्ह सिसस्ससस्स।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी के गले पर किस किये। अब मेरा लंड ज्यादा इंतज़ार करने के मूड मे नहीं था। तभी मैं फ़टाफ़ट से नीचे सरका और फिर भाभी जी की टांगे उठा कर उनकी चड्डी को खोल फेंकी। भाभी जी की चड्डी पूरी गीली हो रही थी। इसका मतलब भाभी जी का पहले ही पानी निकल चुका था। अब मैंने मेरा पाजामा खोल कर लंड बाहर निकाल लिया।
अब मैंने भाभी जी की टांगे खोल दी। तभी मुझे भाभी जी की चूत के दर्शन हुए। भाभी जी की चूत काली घनी झांटो से घिरी हुई थी। शायद भाभी जी ने सालों से अपनी फसल को नहीं काटा था। उनकी चूत में सफ़ेद पानी चमक रहा था। अब मैं लंड को भाभी जी की चूत में सेट करने लगा। तभी भाभी जी मेरे मोटे तगड़े लंड को देख कर डरने लगी।
“धर्मेश आराम से डालना। मुझे तो आपका बहुत बड़ा लग रहा है।”
“आप चिंता मत करो भाभी जी मैं आराम से ही डालूंगा।”
तभी मैं सोचने लगा। बस कैसे भी करके एक बार मेरा लंड आपकी चूत में घुस जाये फिर क्या धीरे? जम कर बजाऊंगा आपको। तभी मेने भाभी जी की टांगे पकड़ कर ज़ोर से भाभी जी की चूत में लंड ठोक दिया। मेरा मोटा तगड़ा लंड भाभी जी की चूत को फाड़ता हुआ एक ही झटके में पूरा अंदर घुस गया। तभी भाभी जी ज़ोर से चीख पड़ी।
“आईईईईई मम्मी। आईईईईई आईईईई ओह धर्मेश जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईईई। प्लीज लंड बाहर निकालो।”
तभी मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से भाभी जी की चूत में लंड पेल दिया। अब भाभी जी क्या कहती? अब मैं भाभी जी को झमाझम चोदने लगा। आज बहुत महीनो के बाद मेरा लंड चूत का स्वाद चख रहा था। मेरा लंड ताबड़-तोड़ भाभी जी की चूत के परखच्चे उड़ा रहा था।।
“आह्ह आह्ह आईईईई आह्ह ओह मर्रर्रर्रर्र गईईई उन्ह धीरे-धीरे चोदो धर्मेश जी। बहुत दर्द हो रहा है। अआईईई आईईईईई।”
“ओह भाभी जी चोदने दो। आह्ह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है। आह्ह बहुत ही मस्त चूत है आपकी तो, आह्ह।”
मेरे लंड के धक्कों से भाभी जी की हालत खराब हो रही थी। शायद भाभी जी पहली बार इतना मोटा तगड़ा लंड ठुकवा रही थी।
“ओह भाभी जी मुझे तो जन्नत मिल गई आज आह्ह। खूब बजाऊंगा आज तो मैं आपको आह्ह।”
“ओह्ह्ह मम्मी आह्हा आह्हा आईई आह्हा आईई।”
मैं भाभी जी को ताबड़-तोड़ चोद रहा था। मेरे लंड को भाभी जी की चूत में बहुत ज्यादा ठंडक मिल रही थी। मैं गांड हिला हिला कर भाभी जी की चूत में लंड पेल रहा था। भाभी जी की दर्द भरी सिसकारियां बैडरूम में गूंज रही थी।
“आह्ह आह्ह आह्ह उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
“ओह भाभी जी पहले ही चुदवा लेती ना। मेरा लंड इतना तो नहीं तड़पता आह्ह।”
“ओह धर्मेश जी आपने ही बहुत देर की पटाने में। पहले ही पटा लेते तो मैं आपके लंड को प्यासा नहीं रहने देती।”
“ओह भाभी जी, आह्ह आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है आह्ह।”
मैं भाभी जी को झमाझम चोद रहा था। भाभी जी जैसी रापचिक माल को बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर ताबड़-तोड़ ठुकाई के बाद भाभी जी की चूत के उबाल आ गया, और मेरा लंड भाभी जी के गरमा-गरम पानी में भीग गया।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह आह्ह। ओह धर्मेश जी आपने तो मेरा पानी निकाल दिया।”
“अभी तो और पानी निकलूंगा भाभी जी आपका आह्ह।”
“निकाल दो धर्मेश जी जितनी आपकी इच्छा हो। मैं भी सालो से बहुत प्यासी हूं।”
“आज मैं आपकी पूरी प्यास बुझा दूंगा भाभी जी।”
अब मेरा लंड चिकना होकर भाभी जी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। भाभी जी बुरी तरह से चुद रही थी। उनको बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह उन्ह सिससस्स आह्ह।”
तभी भाभी जी का पानी निकल गया। भाभी जी पसीने में भीग कर बुरी तरह से नहा गई। अब मैंने भाभी जी के पेटीकोट और साड़ी को खोल फेंका। अब भाभी जी नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी। उनकी चिकनी जांघे बहुत चमचमा रही थी। अब मैंने भाभी जी की टांगे पूरी मोड़ कर उन्हें फोल्ड कर दिया। अब मैं खड़ा होकर भाभी जी की चूत में झमाझम लंड पेलने लगा। मेरा लंड एक दम सीधा भाभी जी भाभी जी की चूत में प्रहार कर रहा था।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह मर्रर्रर्रर्र गईईईई आह्ह आह्ह।”
“ओह मेरी प्यारी भाभी जी आह्ह।”
मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी की चूत में जम कर लंड पेल रहा था। भाभी जी को फोल्ड कर बजाने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभी जी बस चुदती जा रही थी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह आह्ह।”
“ओह भाभी जी बहुत ही मस्त हो आप आह्ह।”
“आह्हा आहह आईई आह्हा आईई।”
भाभी जी की टांगे अब आगे की जगह उनके सिर से होते हुई पीछे जा चुकी थी। मैं भाभी जी को जम कर बजाए जा रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत में जम कर घमासान मचा रहा था।
“आह्हा आह्हा ओह्ह्ह आईई आह्हा उन्ह आह्हा आईई आह्हा।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को फोल्ड कर बजाया। अब मैंने भाभी जी को वापस सीधा कर लिया। भाभी जी की हालत खराब हो चुकी थी।
“ओह धर्मेश जी बहुत बुरी तरह से ठोका आपने तो। मेरी तो कमर ही दर्द करने लग गई।”
“कोई बात नहीं भाभी जी। मज़ा भी आया होगा ना?”
“हां वो तो आया है ना।”
अब मैं भाभी जी के बलाऊज के हुक खोलने लगा। अब आज भाभी जी मुझे नहीं रोक रही थी। तभी मेने भाभी जी के बलाऊज के हुक खोल उनकी ब्रा को ऊपर खिसका दिया।
“आह्ह भाभी जी बहुत ही रसदार बगीचा लग रहा है आह्ह।”
तभी मैं भाभी जी के बोबों को बुरी तरह से निचोड़ने लगा। आह्ह, भाभी जी के बोबों को कसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी भाभी जी दर्द से तड़पने लगी।
“आहा सिससस्स आह्ह उह ओह धर्मेश जी धीरे।”
“दबाने दो भाभी जी। आह्ह बहुत ही मस्त चुचे है आपके आह्ह, बहुत मज़ा आ रहा है।”
तभी भाभी जी ने कुछ नहीं कहा। मैं बुरी तरह से भाभी जी के बोबों को मसल रहा था। इधर भाभी जी का हाल बेहाल हो रहा था। वो दर्द के मारे उछल-उछल कर पड़ रही थी।
“आहा सिससस्स आह्ह उन्ह ओह धर्मेश जी। आह्ह सिसस्ससस्स मरर्रर्र गैईईईई।”
फिर मैंने भाभी जी के बोबों को मसल मसल कर लाल कर दिया। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। तभी मैंने भाभी जी के आम को मुंह में ले लिया और जम कर चूसने लगा। आह्ह, भाभी जी के आम बहुत टेस्टी लग रहे थे। अब मैं जम कर भाभी जी के आम चूस रहा था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“ओह भाभी जी आह्ह मज़ा आ गया आज तो।”
भाभी जी अपने अनुभव को दिखाते हुए आराम से बोबे चुसवा रही थी। उनके बोबों में बहुत सारा रस भरा हुआ था। भाभी जी भी उनके आमों का सारा रस पिलाने को बेताब हो रही थी।
“उन्ह आहा सिससस्स आह्ह ओह धर्मेश जी आह्ह।”
मैं सबड़-सबड़ कर भाभी जी के चूचों को चूस रहा था। भाभी जी अब आराम से मेरे बालो को सहला रही थी। मैं झंझोड़ कर भाभी जी के चूचों को चूस रहा था। फिर मेने थोड़ी देर में ही भाभी जी के चूचों को बुरी तरह से चूस डाला। अब मैंने फिर से भाभी जी की टांगे खोल दी। मैंने भाभी जी की चूत के लंड सेट कर दिया और फिर भाभी जी की चूत को भोसड़ा बनाने लग गया।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह। बहुत मोटा लंबा लंड है धर्मेश जी आपका।”
“हां भाभी जी, तभी तो ये मुझे चूत के लिए इतना परेशान कर रहा था। वो तो अच्छा हुआ कि आपने आज चूत दे ही दी वर्ना पता नहीं क्या होता।”
“हां चूत तो ज़रूर मांगता होगा ये।”
“हां भाभी जी”
मैं झमाझम भाभी जी को चोद रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत में लगातार अंदर-बाहर हो रहा था। अब मैंने भाभी जी को मुझसे चिपका लिया। अब भाभी जी की टांगे हवा में लहरा रही थी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह धर्मेश जी।”
अब भाभी जी फिर से पसीने में भीगने लगी थी। उनका गोरा चिकना जिस्म पानी पानी हो चूका था। मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी को बजाये जा रहा था।”
“भाभी जी अब तो मेरे लंड को सिर्फ आपका ही सहारा है।”
तभी भाभी जी मेरी बात समझ गई।
“हां धर्मेश, मौका मिलने पर मैं आपको पानी पिलाती रहूंगी।”
“हां भाभी जी।”
फिर ताबड़-तोड़ ठुकाई के बाद भाभी जी का पानी निकल गया। भाभी जी बुरी तरह से पानी-पानी हो गई। मैं भी अब भाभी जी के पसीने में भीग रहा था। मेरा लंड भाभी जी की चूत के लगातार घुस रहा था।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह ओह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह सिससस्स।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को ऐसे ही बजाया। भाभी जी की बुरी तरह से ठुकाई हो चुकी थी। उनका दो-तीन बार पानी निकल चुका था। अब मैंने भाभी जी की टांगे पकड़ कर उन्हें आगे की ओर खींच लिया, और फिर मैं थोड़ा आगे झुक कर भाभी जी के मुंह में लंड सेट करने लगा।
“धर्मेश जी, ये क्या कर रहे हो?”
“अब आपके मुंह मे डालूंगा।”
“नहीं धर्मेश जी। मुझे अच्छा नहीं लगता।”
“भाभी जी चुदाई में सब करना अच्छा लगता है। आप करो तो सही।”
“नहीं यार धर्मेश जी, मैंने कभी नहीं किया। बहुत गन्दा लगता है ये सब।”
“कुछ भी गन्दा नहीं लगता भाभी जी। आप एक बार कोशिश तो करो।”
“नहीं धर्मेश। आप तो रहने दो।”
भाभी जी मान नहीं रही थी। फिर बड़ी मुश्किल से मैंने भाभी जी को लंड चूसने के लिए पटाया। अब मैंने भाभी जी के मुंह में लंड रखा। अब भाभी जी आराम से मेरा लंड चूस रही थी।
“ओह भाभी जी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आह्ह ऐसे ही चूसो।”
भाभी जी धीरे-धीरे उनकी जीभ मेरे लंड पर घुमा रही थी।
“भाभी जी, क्या आप भी बच्चों की तरह कर रही हो। ज़ोर-ज़ोर से चूसो ना।”
तभी भाभी जी ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड को चूसने की कोशिश करने लगी। लेकिन भाभी जी से सही तरीके से लंड चुसाई का काम नहीं हो पा रहा था। फिर मैंने भाभी जी का मुंह पकड़ा, और झमाझम भाभी जी के मुंह में लंड पेलने लगा। अब मेरा लंड फूल स्पीड में भाभी जी के मुंह में अंदर-बाहर हो रहा था।
“ओह भाभी जी आहाहा बहुत मज़ा आ रहा है। आह बहुत दिनों के बाद आज मुझे इतनी ख़ुशी मिल रही है, आह्ह।”
मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी को चोद रहा था। भाभी जी के मुंह को बजाने में मुझे अलग ही मज़ा मिल रहा था।
“आह्ह ओह भाभी जी।”
फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी के मुंह में लंड पेला। अब मैं वापस भाभी जी की टांगो में आ गया और भाभी जी को वापस ऊपर सरका दिया। अब मैंने फिर से भाभी जी की चूत में लंड पेल दिया और भाभी जी की ताबड़-तोड़ ठुकाई करने लगा। भाभी जी की दर्द भरी सिसकारियां फिर से कमरे गूंजने लगी।
“आहा आह्ह सिससस्स आह्ह ओह उन्ह सिसस्ससस्स, आहा”
“ओह भाभी जी। अब मैं तो गया।”
तभी मैंने भाभी जी को ज़ोर से कस लिया और फिर भाभी जी की चूत को मेरे लंड के पानी से भर दिया। अब मैं पसीने में लथ-पथ होकर भाभी जी से लिपट गया। भाभी जी ने मुझे बाहों में कस लिया। फिर हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही पड़े रहे।
“ओह भाभी जी अब जाकर मेरे लंड को थोडी शान्ति मिली है।”
“हां धर्मेश जी बहुत भूखे लग रहे थे आप।”
“हां भाभी जी।”
“जब तक कोई नहीं आता तब तक आपकी भूख मिटा लो धर्मेश जी।”
आज भाभी जी मेरे ऊपर बहुत ज्यादा मेहरबान हो रही थी। तभी मैंने फिर से भाभी जी के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। मैं कस कर भाभी जी के होंठों को चूस रहा था। ऑउच्च पुच्च पुच्च ऑउच्च आवाज़ों से भाभी जी का बैडरूम फिर से गूंज रहा था। फिर मैंने भाभी जी के होठ चूस कर भाभी जी के बोबों को जा लपका। अब मैं भाभी जी के बोबों को दबा कर चूसने लगा।
“ओह भाभी जी आहा बहुत ही रसदार आम है आपके। उन्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”
मैं सबड़-सबड़ कर भाभी जी के बोबों को चूस रहा था। भाभी जी के बड़े-बड़े बोबे बड़ी मुश्किल से मेरे मुंह में आ रहे थे। मुझे तो भाभी जी के बोबों के साथ खेलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“ओह भाभी जी आहा बहुत ही गज़ब के चुचे है। उन्ह भाभी जी।
मैं भाभी जी के रसीले बोबों को बुरी तरह से झंझोड़ रहा था। भाभी जी मेरे बालो में हाथ चला रही थी।
“ओह धर्मेश जी सिसस्ससस्स उंह ओह आह्ह। बससस्स ऐसे ही चूसो।”
“हां भाभी जी।”
भाभी जी के बोबों को चूसने में मुझे जन्नत का सुख मिल रहा था। मैं भाभी जी के बगीचे को जम कर लूट रहा था। भाभी जी आज उनके बगीचे को मेरे हवाले कर चुकी थी। फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी के बोबों को चूसा। फिर मैंने भाभी जी को पलट दिया।
अब भाभी जी की गजराई पीठ और सेक्सी फुली हुई गांड मेरे लंड के सामने थी। तभी मैं भाभी जी के ऊपर चढ़ गया, और भाभी जी के मज़बूत कंधो और कलाइयों पर ज़ोरदार किस करने लगा। अब मैंने भाभी जी के बलाऊज और ब्रा को खोल फेंका। तभी भाभी जी को सुरसुरी होने लगी।
मैं भाभी जी के कंधो और कानों को चूम रहा था। फिर मैं भाभी जी की चमचमाती हुई पीठ पर ज़ोरदार किस करने लगा। भाभी जी की पीठ पर किस करने में मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था। मैं भाभी जी के कंधों को भी चूम रहा था। भाभी जी आहें भर रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“उन्ह आह आह ओह उन्ह आह ओह उन्ह।”
इधर मेरा लंड भाभी जी की गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था। भाभी जी को मैंने अच्छी तरह से दबा रखा था। मैं भाभी जी के जिस्म को कस कर मसल रहा था। अब मैं भाभी जी की पीठ पर किस करता हुआ उनकी सेक्सी गांड पर आ गया। फिर भाभी जी के चूतड़ों पर ताबड़-तोड़ किस करने लगा। अब भाभी जी इधर-उधर हिलने लगी। लेकिन मैंने भाभी जी को अच्छी तरह से दबोच रखा था।
“ओह भाभी जी आह्ह! बहुत ही सेक्सी चूतड़ है आपके आहा।”
भाभी जी के गौरे चिकने चूतड़ो पर किस करने में मुझे जन्नत का सुख मिल रहा था। मैं तो पागल सा हो रहा था। फिर मैंने भाभी जी की गांड पर बहुत देर तक किस किया। अब मैंने भाभी जी को पलट कर सीधा कर लिया। मैंने फिर से भाभी जी के बोबों को लपक लिया और ताबड़-तोड़ भाभी जी के बोबों को चूसने लगा।
“ओह भाभी जी आह्ह बहुत ही शानदार चुचे है, आह्ह।”
मैं भाभी जी के बोबों को बुरी तरह से चूस रहा था। भाभी जी के बोबे चूसने से बहुत शांति मिल रही थी। फिर भाभी जी के बोबे चूस कर मैं भाभी जी की टांगो में आ गया और उनकी टांगो को फैला कर भाभी जी की गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया।
अब मैं भाभी जी की चूत को चाटने लगा। मुझे भाभी जी की चूत चाटने में बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं भूखे कुत्ते की तरह भाभी जी की चूत चाट रहा था। भाभी जी अब चुप-चाप मेरे बालों को सहला रही थी। वो शांतिपूर्वक चूत को चटवा रही थी। तभी धीरे-धीरे भाभी जी की चूत में खलबली होने लगी।
“ओह आह्ह सिससस्स आह्ह ओह धर्मेश जी। आह्ह सिसस्ससस्स उन्ह।”
अब भाभी जी की चूत के सुरसुरी हो रही थी। तभी भाभी जी बेड शीट को मुट्ठियों में कसने लगी।
“ओह धर्मेश जी। उन्ह सिससस्स ओह आराम से।”
मैं तो भाभी जी की चूत का जम कर मज़ा ले रहा था। मुझे भाभी जी की चूत चाटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभी जी बहुत ज्यादा गर्म हो रही थी। अब भाभी जी को खुद को कंट्रोल करना ही मुश्किल हो रहा था।
“ओह धर्मेश जी उन्ह सिसस्ससस्स।”
तभी भाभी जी की चूत में उबाल आ गया और उनकी चूत से गरमा-गरम सफ़ेद माल बाहर आने लगा। अब मैं भाभी जी के पानी को चाट रहा था। भाभी जी के पानी को चाटने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
“ओह धर्मेश जी आह्ह।”
अब भाभी जी मेरे बालों को पकड़े हुए उनकी चूत चटवा रही थी। वो पसीने में भीगी हुई थी। मैं भाभी जी की चूत को सबड़-सबड़ कर चाट रहा था। मैंने बहुत देर तक भाभी जी की चूत चाटी। फिर मैंने भाभी जी की टांगो को फैला दिया, और भाभी जी की चूत में लंड ठोक दिया। अब मैं भाभी जी की जम कर ठुकाई करने लगा। भाभी जी फिर से मेरे लंड के कहर को झेलने लगी।
“आह्ह सिससस्स आह्ह उन्ह ओह सिसस्ससस्स आह्ह।”
मैं भाभी जी की टांगे पकड़ कर उन्हें जम कर चोद रहा था। आज मेरा लंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था। मेरा लंड भाभी जी के जिस्म के कतरे-कतरे को हिला रहा था।
“आह्ह सिससस्स आह्ह ओह धर्मेश बहुत बुरी तरह से ठोकते हो आप, आहाहा।”
“मेरा लंड ही ऐसा है भाभी जी। मैं भी क्या करूं?”
“पता नहीं आपके लंड को शिवानी कैसे झेलते होगी?”
“उसे तो आदत हो गई है भाभी जी। कुछ महीनों के बाद आपको भी आदत हो जायेगी।”
मैं गांड हिला-हिला कर भाभी जी की चूत में लंड पेले जा रहा था। भाभी जी भी जम कर चूत में लंड ठुकवा रही थी। भाभी जी को पूरी नंगी करके चोदने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर मैंने भाभी जी को ऐसे ही बहुत देर तक बजाया। अब मैंने भाभी जी से मेरे ऊपर आने के लिए लेकिन भाभी जी मना करने लगी।
“ओह धर्मेश जी, आप तो ऐसे ही कर लो ना।”
“ऐसे तो बहुत कर लिया मैंने भाभी जी। अब तो आप भी तो अपना अनुभव दिखाओ। मैं भी तो देखूं आपने कितना कुछ सीख रखा है?”
“चलो है ठीक है आती हूं मैं।”
तभी भाभी जी मुस्कुराती हुई मेरे ऊपर चढ़ गई, और मेरे होंठों को खाने लगी। भाभी जी धीरे-धीरे बहुत ज्यादा चुदासी हो रही थी, अब वो मेरे होंठो को रगड़ कर चूस रही थी। तभी ऑउच्च पुच्च पुच्च की आवाज़ों से भाभी जी का बैडरूम गूंज रहा था। फिर भाभी जी मेरी चेस्ट पर टूट पड़ी और जम कर किस करने लगी।
मैं भाभी जी की गदराई पीठ को सहला रहा था। भाभी जी भूखी शेरनी बन चुकी थी। भाभी जी को देख कर लग रहा था कि शायद भाभी जी की चूत बहुत टाइम से प्यासी थी। तभी भाभी जी को आज अपनी हवस मिटाने का पूरा मौका मिल रहा था। फिर भाभी जी किस करती हुई मेरे लंड पर आ गई और अब भाभी जी मेरे लंड से खेलने लगी। वो बुरी तरह से मेरे लंड को मसल रही थी।
“ओह धर्मेश जी बहुत ही गज़ब का लंड है आपका तो। आह्ह मज़ा आ गया।”
“अब से मेरे लंड को आप ही समभालोगी भाभी जी।”
“हां-हां क्यों नहीं। अब से आपके लंड को समभालने की जिम्मेदारी मेरी है। मैं बहुत अच्छे से सेवा करुंगी इसकी।”
भाभी जी कस कर मेरे लंड को मसल रही थी। भाभी जी को मेरा लंड कसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। फिर भाभी जी ने मेरा लंड बुरी तरह से मसल डाला। अब भाभी जी झुक गई और मेरे लंड को चूसने लगी।
“आह्ह भाभी जी बहुत अच्छा लग रहा है। आह्ह ऐसे ही चूसो। ओह सिससस्स।”
भाभी जी लबालब मेरे लंड को चूस रही थी। भाभी जी को मेरा लंड चूसने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभी जी को देख कर लग रहा था कि भाभी जी को भी लंड की सख्त ज़रूरत थी।
“ओह भाभी जी आप तो बहुत तगड़ी खिलाड़ी निकली। आह्ह बससस्स ऐसे ही चूसती रहो, आह्ह।”
भाभी जी मेरे लंड को चूस-चूस कर लोलीपोप बना रही थी। भाभी जी की थूक से मेरा लंड पूरा भीग चूका था। इधर दीवार पर लगी तस्वीर से भाईसाहब उनकी स्वीटहार्ट को मेरा लंड चूसते हुए देख रहे थे। फिर भाभी जी ने बहुत देर तक मेरे लंड को चूसा। अब भाभी जी मेरे लंड पर बैठ गई और फिर उन्होंने चूत में लंड सेट कर लिया। अब भाभी जी झटके दे-दे कर चुदने लगी।
“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह ओह धर्मेश जी बहुत मज़ा आ रहा है, आह्ह।”
“मिटा लो भाभी जी आपकी चूत की आग। आप भी तो बहुत प्यासी हो।”
“हां धर्मेश जी आज तो खूब चुदूंगी मैं। आह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आपसे चुदाने में आहा आह्ह।”
“हां भाभी जी जम कर चुदो। जितनी मर्ज़ी हो उतनी। मुझे कोई दिक्कत नहीं।”.
भाभी जी ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रही थी। हर झटके से भाभी जी के मोटे-मोटे बोबे बुरी तरह से हिल रहे थे। अब धीरे-धीरे भाभी जी पसीने में भीगने लगी थी।
“आह्ह आहा सिससस्स आह्ह ओह धर्मेश जी। उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह।”
“बससस्स लेती रहो लंड भाभी जी।”
भाभी जी झमाझम चुद रही थी। आज तो भाभी जी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। भाभी जी ज़ोर-ज़ोर से मेरे लंड के ऊपर कूद रही थी। फिर भाभी जी का पानी निकल गया और भाभी जी थक हार कर मुझसे लिपट गई। फिर थोड़ी देर भाभी जी मेरे ऊपर पड़ी रही। अब मैंने भाभी जी को वापस नीचे पटक दिया, और भाभी जी की टांगे खोलने लगा। अब मैं भाभी जी की टांगो को कंधो रख कर फिर से भाभी जी की चूत की बखिया उधेड़ने लगा।
“आह्ह आह्ह अआईईई सिससस्स ओह धर्मेश जी अहा आह्ह।”
“ओह भाभी जी, बहुत मज़ा आ रहा है। अहा।”
मैं भाभी जी की जम कर ले रहा था। आज मेरा लंड महीनों की प्यास को बुझाना चाहता था। मैं धमा-धम भाभी जी को बजा रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी को ऐसे ही बजाया। अब मैं भाभी जी को बेड से उतार कर नीचे ले आया। अब मैंने भाभी जी से घोड़ी बनने के लिए कहा। अब भाभी जी भला कैसे मना करती? वो तो खुद ही लंड ठुकवाने के लिए तड़प रही थी। तभी भाभी जी बेड पकड़ कर घोड़ी बन गई।
“लो धर्मेश जी, अब चढ़ जाओ आपकी घोड़ी पर।”
“हां भाभी जी।”
तभी मैं भाभी जी की चूत में लंड सेट करने लगा। फिर मैंने भाभी जी की कमर पकड़ कर ज़ोर से भाभी जी की चूत में लंड घुसा दिया। अब मैं भाभी जी की कमर पकड़ कर भाभी जी को झमाझम चोदने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आहाहा आहा सिससस्स उन्ह ओह आह्ह ओह आह्ह।”
“ओह भाभी जी आह्ह मज़ा आ रहा है। आहा।”
“बससस्स ऐसे ही चोदे जाओ धर्मेश जी आह्ह। बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है मुझे चुदवाने में आह्ह।”
“हां भाभी जी आज तो मैं आपको रगड़ कर बजाऊंगा आह्ह।”
अब मैं भाभी जी को दे दना दन बजा रहा था। भाभी जी को बजाने में मेरे लंड को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। भाभी जी घोड़ी बन कर बहुत अच्छी तरह से चुद रही थी।
“आईईईई आहा आह्ह आह्ह सिसस्ससस्स उन्ह आहा आहा ओह ओह आहा मर गईईई आह्ह अहह।”
मैं भाभी जी को घोड़ी बना कर झमाझम चोद रहा था। मेरे लंड को भाभी जी की चूत में बहुत ज्यादा आराम मिल रहा था। भाभी जी तो आज खुद को मुझे सौंप चुकी थी। मैं भाभी जी की चूत में झमाझम लंड पेल रहा था।
“आह्ह अआहः अहह ओह आहा आहा आईईईई सिसस्ससस्स आहा उन्ह आह्ह आह्ह आह।”
“ओह भाभी जी आहा बहुत मज़ा आ रहा है, आहा आहा।”
सामने लगी तस्वीर में भाई साहब उनकी स्वीटहार्ट को घोड़ी बन कर बजवाते हुए हुए देख रहे थे। आज मैं भाई साहब की घोड़ी को जम कर पेल रहा था। तभी थोड़ी देर की धुआंधार ठुकाई के बाद भाभी जी पानी-पानी हो गई। अब उनकी चूत से रस टपकता हुआ नीचे गिर रहा था। मैं ज़ोर-ज़ोर से भाभी जी को बजा रहा था। आज तो भाभी जी की चूत की खैर नहीं थी। मैं तो भाभी जी की चूत की धज्जियां उड़ा रहा था।
“अआह आह्ह आह्ह उन्ह आहा आह मर गईईई आहा”
मैंने भाभी जी को घोड़ी बना कर बुरी तरह से बजा दिया था। अब मैं भाभी जी की गांड के छेद को खोलना चाहता था। तभी मैं भाभी जी की चूत मे से लंड निकाल कर भाभी जी की गांड में लंड सेट करने लगा। तभी भाभी जी बिदक गई। वो गांड में लंड ठुकवाने से मना करने लगी।
“नहीं धर्मेश जी मैं गांड में नहीं लूंगी।”.
“भाभी जी मैंने आपको अच्छी तरह से बजा लिया है बस एक गांड ही तो बाकी रह गई है। अब उसे भी बजा लेने दो ना।”
“नहीं धर्मेश जी गांड में बहुत दर्द होता है। मैं गांड में तो नहीं डालने दूंगी।”
“भाभी जी ऐसे मत करो यार। गांड के बिना तो मज़ा ही अधूरा रहता है।”
“नहीं धर्मेश जी मैं गांड की रिस्क नहीं ले सकती। वैसे भी आपका हथियार बहुत मोटा तगड़ा है। मेरी तो गांड ही फाड़ देगा।”
“अरे भाभी जी आप तो पहले से ही बहुत ज्यादा डर रही हो। पहले एक बार तो गांड में लंड डलवा लो।”
“नहीं धर्मेश जी। मैं गांड में तो नहीं डालवाऊंगी।”
मैं भाभी जी को गांड मराने के पटाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन भाभी जी गांड में लंड लेने के लिए तैयार नहीं हो रही थी। तभी मैं भाभी जी की गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा। लेकिन भाभी जी बेड पर भाग गई। तभी मैं भाभी जी की टांगे पकड़ कर उन्हें वापस नीचे खीच लाया। भाभी जी एक बार ही झटके में नीचे आ गई।
तभी भाभी जी मुस्कुराने लगी “क्या है यार धर्मेश जी। मैंने आपको चूत दे दी, फिर भी आप मेरी गांड के पीछे पड़े हो।”
“हां भाभी जी। अब आप जल्दी से घोड़ी बनो।”
“आप मेरी गांड फाड़ कर ही मानोगे।” तभी भाभी जी बेड पकड़ कर घोड़ी बन गई। अब मैं भाभी जी की गांड में लंड सेट करने लगा।
“धर्मेश जी, ऐसे ही गांड मारोगे क्या मेरी? थोड़ा तेल तो लगाओ।”
रूको मैं तेल लगाता हूं। तभी मैं भाभी जी की ड्रेसिंग से तेल ले आया और फिर भाभी जी की गांड को तेल लगा कर अच्छे से मसल दिया। फिर मैंने तेल लगा कर मेरे लंड को भी चिकना कर लिया। अब मैंने झट से भाभी जी की गांड में लंड सेट किया, और फिर भाभी जी की गांड में लंड सरकाने लगा। तभी मेरा लंड भाभी जी की गांड में थोड़ा सा घुस गया। बस जिसमें ही भाभी जी चीख पड़ी।
“आईईईईई उन्हह मर गईईई। ओह धर्मेश जी बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई प्लीज बाहर निकाल लो यार।”
भाभी जी की टाइट गांड में मेरा मोटा तगड़ा लंड बहुत भारी पड़ रहा था। अब मैं धीरे-धीरे भाभी जी की गांड में लंड हिला-हिला कर गांड में जगह बना रहा था। फिर कुछ देर बाद मैंने ज़ोर का झटका दिया, और मेरा लंड एक ही झटके में भाभी जी की गांड को फाड़ता हुआ उनकी गहराई में उतर गया। बस मेरे लंड के इसी झटके से भाभी जी बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।
“आईईईई मर गईईईई आईईईई उन्हहह आईईईईई मम्मी, बहुत दर्द हो रहा है, आईईईई।”
तभी मैंने फिर से ज़ोर का झटका देकर भाभी जी की गांड में लंड ठोक दिया। अब तो भाभी जी बुरी तरह से हिल गई। उनको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। शायद पहले कभी भाभी जी की गांड में लंड नहीं गया होगा। अब मैं कस कर भाभी जी की गांड मारने लगा। भाभी जी बुरी तरह से चीख रही थी।
“आईईईई आईईईई उन्ह आहाहा आह्ह सिससस्स ओह मर्रर्रर्र गईईई।”
“ओह भाभी जी आहा बहुत मस्त गांड है आपकी, आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”
“अआईईई आईईईई आहाहाह यहां मेरी जान निकल रही है, बहुत दर्द हो रहा है। आईईईई।”
“दर्द तो होने दो भाभी जी। बिना दर्द के मज़ा भी नहीं आता है भाभी जी।”
“आहाहा सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
मेरा लंड भाभी जी की गांड के परखच्चे उड़ा रहा था। भाभी जी की गांड में उतर कर मेरा लंड फूल मज़े कर रहा था। मैं भाभी जी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था। भाभी जी दर्द से कराह रही थी।
“आह्ह आह्ह आहाहा सिसस्स उन्ह आह्ह आह्ह अआईईई आह्ह आह्ह धीरे गांड मारो धर्मेश जी।”
“धीरे-धीरे ही मार रहा हूं भाभी जी। बहुत टाइट गांड है आपकी।”
“हाँ धर्मेश जी।”
तभी भाभी जी खुद को रोक नहीं पाई, और पानी-पानी हो गई। उनकी चूत रस से लबालब भर चुकी थी। अब मेरे लंड के हर एक झटके के साथ पच्छ पच्छ पाछ पच्छ की आवाज़ें आने लगी। मेरा लंड फूल स्पीड में भाभी जी को बजा रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक भाभी जी की गांड मारी।
गांड ठुकाई से भाभी जी बहुत बुरी तरह से थक चुकी थी। अब और ज्यादा देर तक लंड ठुकवाने की भाभी जी की बस की बात नहीं थी। अब भाभी जी उठ कर तुरंत बेड पर लेट गई। तभी मैं फिर से भाभी जी की टांगे खोलने लगा।
“ओह धर्मेश जी बहुत बुरी तरह से ठोक दिया आज तो आपने।”
“आपकी तगड़ी ठुकाई तो होनी ही थी भाभी जी। बहुत दिनों से मैं आपको बजाने के लिए तड़प रहा था।”
तभी मैंने भाभी जी की चूत में फिर से लंड ठोक दिया। अब मेरा लंड भाभी जी की चूत में फिर से गोते लगाने लगा। मैं कस कर भाभी जी को बजा रहा था। भाभी जी अब तो बुरी तरह से नसते-नाबूत होकर लंड ठुकवा रही थी।
“आह्ह सिससस्स आहा आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह सिससस्स।”
भाभी जी की हालत अब तो ऐसी हो चुकी थी, कि वो सही तरीके से कराह भी नहीं पा रही थी। मैं भाभी जी को ताबड़-तोड़ बजा रहा था। आज तो भाभी जी मेरे लंड के नीचे आकर बुरी तरह से पिघल कर पानी पानी हो चुकी थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आह्ह सिससस्स आह ओह धर्मेश जी सिससस्स आह्ह।”
“ओह भाभी जी मज़ा आ रहा है।”
“ओह धर्मेश जी आपने तो थका ही दिया आह्ह आह्ह आह्ह।”
“ये तो होना ही था भाभी जी।”
फिर धमा-धम ठुकाई के बाद मेरा लंड पिघलने लगा। तभी मैंने भाभी जी को ज़ोर से दबा दिया और मेरे लंड का सारा पानी भाभी जी की चूत के उड़ेल दिया। अब मैं भाभी जी से लिपट गया। आज भाभी जी को बजा कर मैं बहुत ज्यादा खुश था। लंबे इंतज़ार के बाद आज मेरे लंड को चूत चोदने का मौका मिला था। भाभी जी भी मुझसे चुदवा कर बहुत खुश नज़र आ रही थी। उनका चेहरे पर खुशी साफ-साफ झलक रही थी।
“ओह धर्मेश जी बहुत पानी निकाल दिया आपने मेरा।”
“वो तो निकलना ही था भाभी जी।”
“हां आपने इतनी ज़बरदस्त ठुकाई की है, तो फिर इतना पानी तो निकलना ही था। लेकिन आप से चुदवा कर मज़ा आ गया।”
“मुझे भी आपको चोदने में बहुत मज़ा आया भाभी जी। बहुत शानदार हो आप। मेरा लंड को आपसे बहुत ज्यादा खुश हैं भाभी जी।”
“चलो अच्छा है। अब तो आपको शांति मिल ही गई होगी?”
“हां भाभी जी। बहुत-बहुत शुक्रिया आपका।”
फिर भाभी जी उठी और चड्डी उठा कर पहनने लग गई। फिर भाभी जी ने ब्रा, बलाऊज पहन कर पेटिकोट पहन लिया। अब भाभी जी साड़ी पहन कर तुरंत बैडरूम से बाहर निकल गई। मैं भी कपड़े पहन कर बाहर निकल आया। अब भाभी जी आगे और पीछे से लंड ठुकवा कर वापस अपने काम में लग चुकी थी। मैं फ्री बैठा हुआ था। भाभी जी के बच्चे अभी तक नहीं आये थे। तभी मैं वापस भाभी जी के पास गया।
“भाभी जी बच्चे तो अभी तक नहीं आये है?”
“हां शायद आज उनकी एक्स्ट्रा क्लास है।”
तभी मैंने भाभी जी पर तगड़ा पंच मारा। “तो फिर मैं भी आपकी एक्स्ट्रा क्लास ले लूं भाभी जी?”
“धर्मेश जी आप तो पहले ही मेरी हालत खराब कर चुके हो। अब क्या मुझे घायल करने का इरादा है क्या?”
“हां इरादा तो यही है भाभी जी।”
“नहीं धर्मेश जी अब और नहीं। एक बार में ही आपने मुझे दिन में तारे दिखा दिए। अब नहीं।”
“अरे भाभी जी बस एक बार और।”
भाभी जी मान नहीं रही थी। मैं भाभी जी को फिर से पटाने की कोशिश कर रहा था। मेरा लंड भाभी जी को फिर से बजाने के लिए उतावला हो रहा था। तभी मैं भाभी जी का हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगा।
“धर्मेश जी यार ये क्या हरकत है?”
“सब सही है भाभी जी। बस एक बार और ठुकवा लो।”
“धर्मेश जी यार अब बच्चे आ जायेंगे।”
“बच्चों की एक्स्ट्रा क्लास है भाभी जी।”
तभी मैंने भाभी जी को फ़टाफ़ट से बेड पर पटक दिया और भाभी जी की चड्डी खोलने लगा।
“धर्मेश जी आप बहुत ज़िद्दी हो।”
“कोई बात नहीं भाभी जी।”
अब मैंने फ़टाफ़ट से मेरा लंड निकाला और भाभी जी की चूत में ठोक दिया। अब मैं फिर से भाभी जी को बजाने लगा।
“ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आहा ओह धर्मेश जी।”
“ओह भाभी जी, आपको चोदने में तो अलग ही मज़ा आ रहा है, आह्ह।”
मैं ताबड़-तोड़ भाभी जी को बजा रहा था। भाभी जी का चमकीला चेहरा फिर से पसीने-पसीने होने लगा था। उनके होंठो को लिपस्टिक बहने लगी थी। तभी एक बार फिर से भाभी जी का पानी निकल गया।
“आह्ह आहा सिससस्स आह्ह ओह उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह।”
मैं मज़े से भाभी जी को चोद रहा था। आज मिले मौके का मैं जम कर फायदा उठा रहा था। फिर मैंने भाभी जी को बहुत देर तक बजाया और फिर भाभी जी की चूत को मेरे लंड के गर्म पानी से भर दिया। अब भाभी जी ने उठ कर तुरंत चड्डी पहन ली।
“बहुत कमीने निकले आप। मुझे चोद कर ही माने।”
“अब तो रोज आपकी ठुकाई करूंगा भाभी जी।”
“ठोक लेना लेकिन धर्मेश जी थोड़ा सब्र रखना। कहीं आप बच्चों के सामने ही मुझे बजाने लग जाओ।”
“हां, किसी दिन ऐसा भी हो सकता है भाभी जी।”
“देखती हूं मैं।”
फिर भाभी जी वापस अपने काम में लग गई।
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