भाभी को मोटे लौड़े का दम दिखाया

बात उस समय की है जब मैं ग्रॅजुयेशन कर रहा था. मेरे घर के पास एक फॅमिली रहती थी, हज़्बेंड और वाइफ, जो रिश्ते मे मेरे कज़िन(बुआ के बेटे और उनकी पत्नी) भाई और भाभी लगते हैं. चुकी, भाभी भी कॉमर्स ग्रॅजुयेट थी, तो वो मुझे मेरी स्टडी मे हेल्प करती रहती थी. Desi Hot Adult Kahaniya

एसीलिए मेरा भी ज़्यादातर टाइम उनके ही घर पर पास होता था. मैं उन्ही के यहाँ ख़ाता और सो भी जाता था. कोई उसको बुरा या ग़लत भी नही कहता क्यूकी वो मेरे भाई और भाई थे. यहाँ तक कि उनके घर मे भी मेरा एक रूम हो गया था जिसे सिर्फ़ मैं यूज़ करता था. पढ़ने और सोने के लिए.

भाभी का नाम माधुरी है. वो बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी फिगर की महिला हैं. उस वक़्त उनकी उम्र 22 साल और मेरी 19 साल थी. उनका साइज़ उस समय 34ब-26-40 थी… पहले उनके लिए मेरे दिल मे कुछ भी नही था, लेकिन एक घटना ने मेरा नज़रिया बदल दिया.

मैं जब भी उनकी उभरी हुई ठोस चूचियाँ और गोल-गोल उभरे हुए चुतदो को देखता तो मेरे अंदर बैचैनि से होने लगती थी. क्या मादक जिस्म था उनका. बिल्कुल किसी एंजल की तरह. एक दिन की बात है. भाभी मुझे पढ़ा रही थी और भैया अपने कमरे में लेटे हुए थे. रात के दस बजे थे.

इतने में भैया की आवाज़ आई “मधु, और कितनी देर है जल्दी आओ ना”. भाभी आधे में से उठाते हुए बोली “सतीश बाकी कल करेंगे तुम्हारे भैया आज कुछ ज़्यादा ही उतावले हो रहे हैं.” यह कह कर वो जल्दी से अपने कमरे में चली गयी. मुझे भाभी की बात कुकछ ठीक से समझ नही आई.

काफ़ी देर तक सोचता रहा, फिर अचानक ही दिमाग़ की ट्यूब लाइट जली और मेरी समझ में आ गया कि भैया को किस बात के लिए उतावले हो रहे थे. मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी. आज तक मेरे दिल में भाभी को ले कर बुरे विचार नही आए थे, लेकिन भाभी के मुँह से उतावले वाली बात सुन कर कुछ अजीब सा लग रहा था.

मुझे लगा कि भाभी के मुँह से अनायास ही यह निकल गया होगा. जैसे ही भाभी के कमरे की लाइट बंद हुई मेरे दिल की धड़कन और तेज़ हो गयी. मैने जल्दी से अपने कमरे की लाइट भी बंद कर दी और चुपके से भाभी के कमरे के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया. अंदर से फूस फूसाने की आवाज़ आ रही थी पर कुछ कुछ ही सॉफ सुनाई दे रहा था.

“क्यों जी आज इतने उतावले क्यों हो रहे हो?”

“मेरी जान कितने दिन से तुमने दी नही. इतना ज़ुल्म तो ना किया करो मेरी रानी.”

“चलिए भी, मैने कब रोका है, आप ही को फ़ुर्सत नही मिलती. सतीश का कल एग्ज़ॅम है उसे पढ़ाना ज़रूरी था.”

“अब श्रीमती जी की इज़ाज़त हो तो आपकी बूर का उद्घाटन करूँ.”

“हाई राम! कैसी बातें बोलते हो. शरम नही आती”

“शर्म की क्या बात है. अब तो शादी को दो साल हो चुके हैं, फिर अपनी ही बीबी की बूर को चोदने में शरम कैसी”” बड़े खराब हो. आह..एयेए..आह हाई राम….ओई माआ……अयाया…… धीरे करो राजा अभी तो सारी रात बाकी है.”

मैं दरवाज़े पर और ना खड़ा रह सका. पसीने से मेरे कपड़े भीग चुके थे. मेरा लंड अंडरवेर फाड़ कर बाहर आने को तैयार था. मैं जल्दी से अपने बिस्तेर पर लेट गया पर सारी रात भाभी के बारे में सोचता रहा. एक पल भी ना सो सका. ज़िंदगी में पहली बार भाभी के बारे में सोच कर मेरा लंड खड़ा हुआ था.

सुबह भैया ऑफीस चले गये. मैं भाभी से नज़रें नही मिला पा रहा था जबकि भाभी मेरी कल रात की करतूत से बेख़बर थी. भाभी किचन में काम कर रही थी. मैं भी किचन में खड़ा हो गया. ज़िंदगी में पहली बार मैने भाभी के जिस्म को गौर से देखा.

गोरा भरा हुआ गदराया सा बदन, लंबे घने काले बाल जो भाभी के कमर तक लटकते थे, बारी बारी आँखें, गोल गोल बड़े ऑरेंज के आकर की चुचियाँ जिनका साइज़ 34 से कम ना होगा, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए चौड़े, भारी चूतड़ . एक बार फिर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी. इस बार मैने हिम्मत कर के भाभी से पूछ ही लिया.

“भाभी, मेरा आज एग्ज़ॅम है और आप को तो कोई चिंता ही नही थी. बिना पढ़ाए ही आप कल रात सोने चल दी”.

“कैसी बातें करता है सतीश, तेरी चिंता नही करूँगी तो किसकी करूँगी?”

“झूट, मेरी चिंता थी तो गयी क्यों?”

“तेरे भैया ने जो शोर मचा रखा था.”

“भाभी, भैया ने क्यों शोर मचा रखा था” मैने बारे ही भोले स्वर में पूछा. भाभी शायद मेरी चालाकी समझ गयी और तिरछी नज़र से देखते हुए बोली, “धात बदमाश, सब समझता है और फिर भी पूछ रहा है. मेरे ख्याल से तेरी अब शादी कर देनी चाहिए. बोल है कोई लड़की पसंद?”

“भाभी सच कहूँ मुझे तो आप ही बहुत अच्छी लगती हो.”

“चल नालयक भाग यहाँ से और जा कर अपना एग्ज़ॅम दे.”

मैं एग्ज़ॅम तो क्या देता, सारा दिन भाभी के ही बारे में सोचता रहा. पहली बार भाभी से ऐसी बातें की थी और भाभी बिल्कुल नाराज़ नही हुई. इससे मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी. मैं भाभी का दीवाना होता जा रहा था. भाभी रोज़ रात को देर तक पढ़ाती थी. मुझे महसूस हुआ शायद भैया भाभी को महीने में दो तीन बार ही चोद्ते थे.

मैं अक्सर सोचता, अगर भाभी जैसी खूबसूरत औरत मुझे मिल जाए तो दिन में चार दफे चोदु. दीवाली के लिए भाभी को मायके जाना था. भैया ने उन्हें मायके ले जाने का काम मुझे सोपा क्योंकि भैया को छुट्टी नही मिल सकी. बहुत भीड़ थी. मैं भाभी के पीछे रेलवे स्टेशन पर रिज़र्वेशन की लाइन में खड़ा था.

धक्का मुक्की के कारण आदमी आदमी से सटा जा रहा था. मेरा लंड बार बार भाभी के मोटे मोटे चुतड़ों से रगड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. हालाकी मुझे कोई धक्का भी नही दे रहा था, फिर भी मैं भाभी के पीछे चिपक के खड़ा था. मेरा लंड फनफना कर अंडरवेर से बाहर निकल कर भाभी के चूतरों के बीच में घुसने की कोशिश कर रहा था.

भाभी ने हल्के से अपने चूतरो को पीछे की तरफ धक्का दिया जिससे मेरा लंड और ज़ोर से उनके चूतरों से रगड़ने लगा. लगता है भाभी को मेरे लंड की गर्माहट महसूस हो गयी थी और उसका हाल पता था लेकिन उन्होनें दूर होने की कोशिश नही की. भीड़ के कारण सिर्फ़ भाभी को ही रिज़र्वेशन मिला. ट्रेन में हम दोनो एक ही सीट पर थे.

रात को भाभी के कहने पर मैने अपनी टाँगें भाभी की तरफ और उन्होने अपनी टाँगें मेरी तरफ कर लीं और इस प्रकार हम दोनो आसानी से लेट गये. रात को मेरी आँख खुली तो ट्रेन के नाइट लॅंप की हल्की हल्की रोशनी में मैने देखा, भाभी गहरी नींद में सो रही थी और उसकी साडी जांघों तक सरक गयी थी.

भाभी की गोरी गोरी नंगी टाँगें और मोटी मांसल जंघें देख कर मैं अपना कंट्रोल खोने लगा. साडी का पल्लू भी एक तरफ गिरा हुआ था और बड़ी बड़ी चुचियाँ ब्लाउस में से बाहर गिरने को हो रही थी. मैं मन ही मन मनाने लगा कि साडी थोड़ी और उपर उठ जाए ताकि भाभी की चूत के दर्शन कर सकूँ.

मैने हिम्मत करके बहुत ही धीरे से साडी को उपर सरकाना शुरू किया. साडी अब भाभी की चूत से सिर्फ़ 2 इंच ही नीचे थी पर कम रोशनी होने के कारण मुझे यह नही समझ आ रहा था कि 2इंच उपर जो कालीमा नज़र आ रही थी वो काले रंग की पॅंटी थी या भाभी के बूर के बाल.

मैने साडी को थोड़ा और उपर उठाने की जैसे ही कोशिस की, भाभी ने करवट बदली और साडी को नीचे खींच लिया. मैने गहरी सांस ली और फिर से सोने की कोशिश करने लगा. मायके में भाभी ने मेरी बहुत खातिरदारी की. दस दिन के बाद हम वापस लॉट आए.

वापसी में मुझे भाभी के साथ लेटने का मोका नही लगा. भैया भाभी को देख कर बहुत खुश हुए और मैं समझ गया कि आज रात भाभी की चुदाई निश्चित है. उस रात को मैं पहले की तरह भाभी के दरवाज़े से कान लगा कर खड़ा हो गया.भैया कुच्छ ज़्यादा ही जोश में थे. अंदर से आवाज़े सॉफ सुनाई दे रही थी.

“मधु मेरी जान, तुमने तो हमें बहुत सताया. देखो ना हमारा लंड तुम्हारी चूत के लिए कैसे तड़प रहा है. अब तो इनका मिलन करवा दो.”

” हाई राम, आज तो यह कुच्छ ज़्यादा ही बड़ा दिख रहा है. ओह हो! ठहरिए भी, साडी तो उतारने दीजिए.”

“ब्रा क्यों नही उतारी मेरी जान, पूरी तरह नंगी करके ही तो चोदने में मज़ा आता है. तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत को चोदना हर आदमी की किस्मत में नहीं होता.”

“झूट! ऐसी बात है तो आप तो महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही…”

“दो तीन बार ही क्या?”

“ओह हो, मेरे मुँह से गंदी बात बुलवाना चाहते हैं”

“बोलो ना मेरी जान, दो तीन बार क्या.”

” अच्छा बाबा, बोलती हूँ; महीने में दो तीन बार ही तो चोद्ते हो. बस!!”

” मधु, तुम्हारे मुँह से चुदाई की बात सुन कर मेरा लंड अब और इंतज़ार नहीं कर सकता. थोड़ा अपनी टाँगें और चौड़ी करो. मुझे तुम्हारी चूत बहुत अच्छी लगती है, मेरी जान.”

“मुझे भी आपका बहुत… अयाया… मर गयी… ऊवू… आ… ऊफ़.. वी मा, बहुत अच्छा लग रहा है… थोड़ा धीरे… हाँ ठीक है… थोड़ा ज़ोर से… आ..आह..आह .”

अंदर से भाभी के करहाने की आवाज़ के साथ साथ फूच..फूच..फूच जैसी आवाज़ भी आ रही थी जो मैं समझ नहीं सका.बाहर खड़े हुए मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका और मेरा लंड झाड़ गया. मैं जल्दी से वापस आ कर अपने बिस्तर पर लेट गया. अब तो मैं रात दिन भाभी को चोदने के सपने देखने लगा.

मैं पहले भी अपने आस पास की 3-4 लड़कियों को चोद चुका था एसलिए चुदाई की कला से भली भाँति परिचित था. मैने इंग्लीश की बहुत सी गंदी वीडियो फिल्म्स देख रखी थी और हिन्दी और इंग्लीश के कयि गंदे नॉवेल भी पढ़े थे. मैं अक्सर कल्पना करने लगा कि भाभी बिल्कुल नंगी होकर कैसी लगती होगी.

जीतने लंबे और घने बाल उनके सिर पर थे ज़रूर उतने ही घने बाल उन्ही चूत पर भी होंगे. भैया भाभी को कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोद्ते होंगे. एकदम नंगी भाभी टाँगें फैलाई हुए चुदवाने की मुद्रा में बहुत ही सेक्सी लगती होगी. यह सूब सोच कर मेरी भाभी के लिए काम वासना दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी.

मैं भी 5’7” लंबा हूँ. अपने कॉलेज का बॉडी बिल्डिंग का चॅंपियन था. रोज़ दो घंटे कसरत और मालिश करता हूँ. लेकिन सबसे खास चीज़ है मेरा लंड. ढीली अवस्था में भी 4 इंच लंबा और 2 इंच मोटा किसी हाथोरे के माफिक लटकता रहता है. यदि मैं अंडरवेर ना पहनूं तो पॅंट के उपर से भी उसका आकार सॉफ दिखाई देता है. खड़ा हो कर तो उसकी लंबाई करीब 7-8 इंच और मोटाई 3-1/2 इंच हो जाती है.

एक डॉक्टर ने मुझे बताया था कि इतना लंबा और मोटा लंड बहुत कम लोगों का होता है. मैं अक्सर वरांडे में तौलिया लप्पेट कर बैठ जाता था और न्यूसपेपर पढ़ने का नाटक करता था. जब भी कोई लड़की घर के सामने से निकलती, मैं अपनी टाँगों को थोड़ा सा इस प्रकार से चौड़ा करता कि उस लड़की को तौलिए के अंदर से झाँकता हुआ लंड नज़र आ जाए.

मैने न्यूसपेपर में छ्होटा सा छेद कर रखा था. न्यूसपेपर से अपना चेहरा च्छूपा कर उस छेद में से लड़की की प्रतिक्रिया देखने में बहुत मज़ा आता था. लड़कओं को लगता था कि मैं अपने लंड की नुमाइश से बेख़बर हूँ. एक भी लड़की ऐसी ना थी जिसने मेरे लंड को देख कर मुँह फेर लिया हो.

धीरे धीरे मैं शादीशुदा औरतों को भी लंड दिखाने लगा क्योंकि उन्हें ही लंबे, मोटे लंड का महत्व पता था. एक दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था कि भाभी ने आवाज़ लगाई, “सतीश, ज़रा बाहर जो कपड़े सूख रहे हैं उन्हें अंदर ले आओ. बारिश आने वाली है.”

” अच्छा भाभी!” मैं कपड़े लेने बाहर चला गया. घने बदल छाए हुए थे, भाभी भी जल्दी से मेरी हेल्प करने आ गयी. डोरी पर से कपड़े उतारते समय मैने देखा कि भाभी की ब्रा और पॅंटी भी तंगी हुई थी. मैने भाभी की ब्रा को उतार कर साइज़ पढ़ लिया; साइज़ था 34बी. उसके बाद मैने भाभी की पॅंटी को हाथ में लिया. गुलाबी रंग की वो पॅंटी करीब करीब पारदर्शी थी और इतनी छ्होटी सी थी जैसे किसी दस साल की बच्ची की हो.

भाभी की पॅंटी का स्पर्श मुझे बहुत आनंद दे रहा था और मैं मन ही मन सोचने लगा कि इतनी छ्होटी सी पॅंटी भाभी के चुतदो और चूत को कैसे धकति होगी. शायद यह कछि भाभी भैया को रिझाने के लिए पहनती होगी. मैने उस छ्होटी सी पॅंटी को सूंघना शुरू कर दिया ताकि भाभी की चूत की कुच्छ खुश्बू पा सकूँ. भाभी ने मुझे करते हुए देख लिया और बोली-

” क्या सूंघ रहे हो सतीश ? तुम्हारे हाथ में क्या है?”

मेरी चोरी पकड़ी गयी थी. बहाना बनाते हुए बोला- “देखो ना भाभी ये छ्होटी सी कछि पता नहीं किसकी है? यहाँ कैसे आ गयी.”

भाभी मेरे हाथ में अपनी पॅंटी देख कर झेंप गयी और छीनती हुई बोली “लाओ इधेर दो.”

“किसकी है भाभी ?” मैने अंजान बनते हुए पूछा.

“तुमसे क्या मतलब, तुम अपना काम करो” भाभी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली.

“बता दो ना. अगर पड़ोस वाली बच्ची की है तो लोटा दूं.”

“जी नहीं, लेकिन तुम सूंघ क्या रहे थे?”

“अरे भाभी मैं तो इसको पहनने वाली की खुश्बू सूंघ रहा था. बरी मादक खुश्बू थी. बता दो ना किसकी है?”3

भाभी का चेहरा ये सुन कर शर्म से लाल हो गया और वो जल्दी से अंदर भाग गयी. उस रात जब वो मुझे पढ़ाने आई तो मैने देखा कि उन्होनें एक सेक्सी सी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी थोड़ी सी पारदर्शी थी. भाभी जब कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मुझे सॉफ नज़र आ रहा था कि भाभी ने नाइटी के नीचे वोही गुलाबी रंग की पॅंटी पहन रखी थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

झुकने की वजह से पॅंटी की रूप रेखा सॉफ नज़र आ रही थी. मेरा अंदाज़ा सही था. पॅंटी इतनी छ्होटी थी कि भाभी के भारी चुतदो के बीच की दरार में घुसी जा रही थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. मुझसे ना रहा गया और मैं बोल ही पड़ा, “भाभी अपने तो बताया नहीं लेकिन मुझे पता चल गया कि वो छ्होटी सी पॅंटी किसकी थी.”

“तुझे कैसे पता चल गया?” भाभी ने शरमाते हुए पूछा.

“क्योंकि वो पॅंटी आपने इस वक़्त नाइटी के नीचे पहन रखी है.”

“हट बदमाश! तू ये सब देखता रहता है?”

“भाभी एक बात पूच्छू? इतनी छ्होटी सी पॅंटी में आप फिट कैसे होती हैं?” मैने हिम्मत जुटा कर पूच्छ ही लिया.

“क्यों मैं क्या तुझे मोटी लगती हूँ?”

“नहीं भाभी, आप तो बहुत ही सुन्दर हैं. लेकिन आपका बदन इतना सुडोल और गाथा हुआ है, आपके चूतड़ इतने भारी और फैले हुए हैं कि इस छ्होटी सी पॅंटी में समा ही नहीं सकते. आप इसे क्यों पहनती हैं? यह तो आपकी जायदाद को छुपा ही नहीं सकती और फिर यह तो पारदर्शी है , इसमे से तो आपका सब कुच्छ दिखता होगा.”

“चुप नालयक, तू कुच्छ ज़्यादा ही समझदार हो गया है. जब तेरी शादी होगी ना तो सब अपने आप पता लग जाएगा. लगता है तेरी शादी जल्दी ही करनी होगी, शैतान होता जा रहा है.”

“जिसकी इतनी सुन्दर भाभी हो वो किसी दूसरी लड़की के बारे में क्यों सोचने लगा?”

“ओह हो! अब तुझे कैसे समझाऊ? देख सतीश, जिन बातों के बारे में तुझे अपनी बीवी से पता लग सकता है और जो चीज़ तेरी बीवी तुझे दे सकती है वो भाभी तो नहीं दे सकती ना? इसी लिए कह रही हूँ शादी कर ले.”

“भाभी ऐसी क्या चीज़ है जो सिर्फ़ बीवी दे सकती है और आप नहीं दे सकती” मैने बहुत अंजान बनते हुए पूछा. अब तो मेरा लंड फंफनाने लगा था.

“मैं सब समझती हूँ चालाक कहीं का! तुझे सब मालूम है फिर भी अंजान बनता है” भाभी लाजाते हुए बोली. “लगता है तुझे पढ़ना लिखना नहीं है, मैं सोने जा रही हूँ.”

“लेकिन भैया ने तो आपको नहीं बुलाया” मैने शरारत भरे स्वर में पूछा.

भाभी जबाब में सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कमरे की ओर चल दी. उनकी मस्तानी चाल, मटकते हुए भारी चूतड़ और दोनो चूटरों के बीच में पीस रही बेचारी पॅंटी को देख कर मेरे लंड का बुरा हाल था. अगले दिन भैया के ऑफीस जाने के बाद भाभी और मैं बाल्कनी में बैठे चाय पी रहे थे. इतने में सामने सड़क पर एक गाइ( काउ) गुज़री. उसके पीछे पीछे एक भारी भरकम सांड़ हुखार भरता हुआ आ रहा था.

सांड़ का लंबा मोटा लंड नीचे झूल रहा था. सांड़ के लंड को देख कर भाभी के माथे पर पसीना छलक आया. वो उसके लंबे तगड़े लंड से नज़रें ना हटा सकी. इतने में सांड़ ने ज़ोर से हुंकार भरी और गाइ पर चढ़ कर उसकी बूर में पूरा का पूरा लंड उतार दिया. यह देख कर भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो सांड़ की रास लीला और ना देख सकी और शर्म के मारे अंदर भाग गयी. मैं भी पीछे पीछे अंदर गया. भाभी किचन में थी. मैने बहुत ही भोले स्वर में पूछा-

“भाभी वो सांड़ क्या कर रहा था?”

“तुझे नहीं मालूम?” भाभी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

“तुम्हारी कसम भाभी मुझे कैसे मालूम होगा? बताइए ना.” हालाँकि भाभी को अच्छी तरह पता था कि मैं जान कर अंजान बन रहा हूँ लेकिन अब उसे भी मेरे साथ ऐसी बातें करने में मज़ा आने लगा था. वो मुझे समझाते हुए बोली-

“देख सतीश, सांड़ वोही काम कर रहा था जो एक मर्द अपनी बीवी के साथ शादी के बाद करता है.”

“आपका मतलब है कि मर्द भी अपनी बीवी पर ऐसे ही चढ़ता है?”

“हाई राम! कैसे कैसे सवाल पूछता है. हां और क्या ऐसे ही चढ़ता है.”

“ओह! अब समझा, भैया आपको रात में क्यों बुलाते हैं.”

“चुप नालयक, ऐसा तो सभी शादीशुदा लोग करते हैं.”

“जिनकी शादी नहीं हुई वो नहीं कर सकते?”

“क्यों नहीं कर सकते? वो भी कर सकते हैं, लेकिन…” मैं तपाक से बीच में ही बोल पड़ा- “वाह भाभी तब तो मैं भी आप पर च्चढ़……..” भाभी एकदम मेरे मुँह पर हाथ रख कर बोली ” चुप, जा यहाँ से और मुझे काम करने दे.” और यह कह कर उन्होनें मुझे किचन से बाहर धकेल दिया.

इस घटना के दो दिन के बाद की बात आयी. मैं छत पर पढ़ने जा रहा था. भाभी के कमरे के सामने से गुज़रते समय मैने उनके कमरे में झाँका. भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई कोई नॉवेल पढ़ रही थी. उसकी नाइटी घुटनों तक उपर चढ़ि हुई थी. नाइटी इस प्रकार से उठी हुई थी की भाभी की गोरी गोरी टाँगें, मोटी मांसल जंघें और जांघों के बीच में सफेद रंग की पॅंटी सॉफ नज़र आ रही थी.

मेरे कदम एकदम रुक गये और इस खूबसूरत नज़ारे को देखने के लिए मैं छुप कर खिड़की से झाँकेने लगा. ये पनती भी उतनी ही छ्होटी थी और बड़ी मुश्किल से भाभी की चूत को धक रही थी. भाभी की घनी काली झांटें(चूत का बॉल) दोनो तरफ से कछि के बाहर निकल रही थी.

वो बेचारी छ्होटी सी पॅंटी भाभी की फूली हुई बूर के उभार से बस किसी तरह चिपकी हुई थी. बूर की दोनो फांकों के बीच में दबी हुई पॅंटी ऐसे लग रही थी जैसे हंसते वक़्त भाभी के गालों में डिंपल पर जातें हैं. अचानक भाभी की नज़र मुझ पर पड़ गयी . उन्होनें झट से टाँगें नीचे करते हुए पूछा ” क्या देख रहा है सतीश”.

चोरी पकड़े जाने के कारण मैं सकपका गया और ” कुच्छ नहीं भाभी” कहता हुआ छत पर भाग गया. अब तो रात दिन भाभी की सफेद पॅंटी में छिपी हुई बूर की याद सताने लगी. मेरे दिल में विचार आया, क्यों ना भाभी को अपने विशाल लंड के दर्शन कराऊ. भाभी रोज़ सबेरे मुझे दूध का ग्लास देने मेरे कमरे में आती थी.

एक दिन सबेरे मैं तौलिया लप्पेट कर न्यूजपेपर पढ़ने का नाटक करते हुए इस प्रकार बैठ गया कि सामने से आती हुई भाभी को मेरा लटकता हुआ लंड नज़र आ जाए. जैसे ही मुझे भाभी के आने की आहट सुनाई दी, मैने न्यूसपेपर अपने चेहरे के सामने कर लिया, टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर लिया ताकि भाभी को पूरे लंड के आसानी से दर्शन हो सकें.

और न्यूसपेपर के बीच के छेद से भाभी की प्रतिक्रिया देखने के लिए रेडी हो गया. जैसे ही भाभी दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई, उनकी नज़र तौलिए के नीचे से झाँकते मेरे 7-8 इंच लंबे मोटे हथोदे की तरह लटकते हुए लंड पे पड़ गयी. वो सकपका कर रुक गयी, आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी और उन्होनें अपना नीचला होंठ दाँतों से दबा दिया.

एक मिनिट बाद उन्होनें होश संभाला और जल्दी से ग्लास रख कर भाग गयी. करीब 5 मिनिट के बाद फिर भाभी के कदमों की आहट सुनाई दी. मैने झट से पहले वाला पोज़ धारण कर लिया और सोचने लगा, भाभी अब क्या करने आ रही है. न्यूसपेपर के छेद में से मैने देखा भाभी हाथ में पोछे का कपड़ा ले कर अंदर आई और मुझसे करीब 5 फुट दूर ज़मीन पर बैठ कर कुच्छ सॉफ करने का नाटक करने लगी.

वो नीचे बैठ कर तोलिये के नीचे लटकता हुआ लंड ठीक से देखना चाहती थी. मैने भी अपनी टाँगों को थोड़ा और चौड़ा कर दिया जिससे भाभी को मेरे विशाल लंड के साथ मेरी बॉल्स के भी दर्शन अच्छी तरह से हो जाएँ. भाभी की आँखें एकटक मेरे लंड पर लगी हुई थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उन्होनें अपने होंठ दाँतों से इतनी ज़ोर से काट लिए कि उनमे थोड़ा सा खून निकल आया. माथे पर पसीने की बूँदें उभर आई. भाभी की यह हालत देख कर मेरे लंड ने फिर से हरकत शुरू कर दी. मैने बिना न्यूसपेपर चेहरे से हटाए भाभी से पूछा-

“क्या बात है भाभी क्या कर रही हो?”

भाभी हडॅवाडा कर बोली “कुच्छ नहीं, थोड़ा दूध गिर गया था उसे सॉफ कर रही हूँ.” यह कह कर वो जल्दी से उठ कर चली गयी.

मैं मन ही मन मुस्काया. अब तो जैसे मुझे भाभी की चूत के सपने आते हैं वैसे ही भाभी को भी मेरे मस्ताने लंड के सपने आएँगे. लेकिन अब भाभी एक कदम आगे थी. उसने तो मेरे लंड के दर्शन कर लिए थे पर मैने अभी तक उनकी चूत को नहीं देखा था. मुझे मालूम था कि भाभी रोज़ हमारे जाने के बाद घर का सारा काम निपटा कर नहाने जाती थी.

मैने भाभी की चूत देखने का प्लान बनाया. एक दिन मैं कॉलेज जाते समय अपने कमरे की खिड़की (विंडो) खुली छ्चोड़ गया. उस दिन कॉलेज से मैं जल्दी वापस आ गया. घर का दरवाज़ा अंदर से बंद था. मैं चुपके से अपनी खिड़की के रास्ते अपने कमरे में दाखिल हो गया.

भाभी किचन में काम कर रही थी. काफ़ी देर इंतज़ार करने के बाद आख़िर मेरी तपस्या रंग लाई. भाभी अपने कमरे में आई. वो मस्ती में कुच्छ गुनगुना रही थी. देखते ही देखते उसने अपनी नाइटी उतार दी. अब वो सिर्फ़ आसमानी रंग की ब्रा और पॅंटी में थी. मेरा लंड हुंकार भरने लगा. क्या बला की सुन्दर थी. गोरा बदन, पतली कमर,उसके नीचे फैलते हुए भारी चूतड़ और मोटी जंघें किसी नमर्द का भी लंड खड़ा कर दें.

भाभी की बड़ी बड़ी चुचियाँ तो ब्रा में समा नहीं पा रही थी. ओर फिर वही छ्होटी सी पॅंटी, जिसने मेरी रातों की नींद उड़ा रखी थी. भाभी के भारी चूतर उनकी पॅंटी से बाहर गिर रहे थे. दोनो चूतरो का एक चौथाई से भी कम भाग पॅंटी में था. बेचारी पॅंटी भाभी के चूतरो के बीच की दरार में घुसने की कोशिश कर रही थी.

उनकी जांघों के बीच में पॅंटी से धकि फूली हुई चूत का उभार तो मेरे दिल ओ दिमाग़ को पागल बना रहा था. मैं साँस थामे इंतज़ार कर रहा था कि कब भाभी पॅंटी उतारे और मैं उनकी चूत के दर्शन करूँ. भाभी शीशे के सामने खड़ी हो कर अपने को निहार रही थी. उनकी पीठ मेरी तरफ थी.

अचानक भाभी ने अपनी ब्रा और फिर पॅंटी उतार कर वहीं ज़मीन पर फेंक दी. अब तो उनके नंगे चौड़े और गोल-गोल चूतड़ देख कर मेरा लंड बिल्कुल झरने वाला हो गया. मेरे मन में सोचा कि भैया ज़रूर भाभी की चूत पीछे से भी लेते होंगे ओर क्या कभी भैया ने भाभी की गांद मारी होगी.

मुझे ऐसी लाजबाब औरत की गांद मिल जाए तो मैं स्वर्ग जाने से भी इनकार कर दूं. लेकिन मेरी आज की प्लॅनिंग पर तब पानी फिर गया जब भाभी बिना मेरी तरफ़ घूमे बाथरूम में नहाने चली गयी. उनकी ब्रा और पॅंटी वहीं ज़मीन पर पड़ी थी. मैं जल्दी से भाभी के कमरे में गया और उनकी पॅंटी उठा लाया.

मैने उनकी पॅंटी को सूँघा. भाभी की चूत की महक इतनी मादक थी कि मेरा लंड और ना सहन कर सका और झार गया. मैने उस पॅंटी को अपने पास ही रख लिया और भाभी के बाथरूम से बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा. सोचा जब भाभी नहा कर नंगी बाहर निकलेगी तो उनकी चूत के दर्शन हो ही जाएँगे.

लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. भाभी जब नहा के बाहर निकली तो उन्होने काले रंग की पॅंटी और ब्रा पहन रखी थी. कमरे में अपनी पॅंटी गायब पा कर सोच में पड़ गयी. अचानक उन्होनें जल्दी से नाइटी पहन ली और मेरे कमरे की तरफ आई. शायद उन्हें शक हो गया कि यह काम मेरे अलावा और कोई नहीं कर सकता. मैं झट से अपने बिस्तेर पर ऐसे लेट गया जैसे नींद में हूँ. भाभी मुझे कमरे में देखकर सकपका गयी. मुझे हिलाते हुए बोली-

“सतीश उठ. तू अंदर कैसे आया?”

मैने आँखें मलते हुए उठने का नाटक करते हुए कहा “क्या करूँ भाभी आज कॉलेज जल्दी बंद हो गया. घर का दरवाज़ा बंद था बहुत खटखटाने पर जब आपने नहीं खोला तो मैं अपनी खिड़की के रास्ते अंदर आ गया.”

“तू कितनी देर से अंदर है?”

“यही कोई एक घंटे से.”

अब तो भाभी को शक हो गया कि शायद मैने उन्हें नंगी देख लिया था. और फिर उनकी पॅंटी भी तो गायब थी. भाभी ने शरमाते हुए पूछा “कहीं तूने मेरे कमरे से कोई चीज़ तो नहीं उठाई?”

“अरी हाँ भाभी! जब मैं आया तो मैने देखा कि कुच्छ कपड़े ज़मीन पर पड़े हैं. मैने उन्हें उठा लिया.” भाभी का चेहरा सुर्ख हो गया. हिचकिचाते हुए बोली.

“वापस कर मेरे कपड़े.”

मैं तकिये के नीचे से भाभी की पॅंटी निकालते हुए बोला “भाभी ये तो अब मैं वापस नहीं दूँगा.”

“क्यों अब तू औरतों की पॅंटी पहनना चाहता है?”

“नहीं भाभी” मैं पॅंटी को सून्घ्ता हुआ बोला… “इसकी मादक खुश्बू ने तो मुझे दीवाना बना दिया है.”

“अरे पागला है? यह तो मैने कल से पहनी हुई थी. धोने तो दे.”

“नहीं भाभी धोने से तो इसमे से आपकी महक निकल जाएगी. मैं इसे ऐसे ही रखना चाहता हूँ.”

“धात पागल! अच्छा तू कब्से घर में है?” भाभी शायद जानना चाहती थी कि कहीं मैने उसे नंगी तो नहीं देख लिया. मैने कहा.

“भाभी मैं जानता हूँ कि आप क्या जानना चाहती हैं. मेरी ग़लती क्या है, जब मैं घर आया तो आप बिल्कुल नंगी शीशे के सामने खड़ी थी. लेकिन आपको सामने से नहीं देख सका. सच कहूँ भाभी आप बिल्कुल नंगी हो कर बहुत ही सुन्दर लग रही थी. पतली कमर, भारी और गोल-गोल मस्त चूतड़ और गदराई हुई जंघें देख कर तो बड़े से बड़े ब्रहंचारी की नियत भी खराब हो जाए.” भाभी शर्म से लाल हो उठी.

“हाई राम तुझे शर्म नहीं आती. कहीं तेरी भी नियत तो नहीं खराब हो गयी है?”

“आपको नंगी देख कर किसकी नियत खराब नहीं होगी?”

“हे भगवान, आज तेरे भैया से तेरी शादी की बात करनी ही पड़ेगी”.

इससे पहले मैं कुछ और कहता वो अपने कमरे में भाग गयी. भैया को कल 6 महीने के लिए किसी ट्रैनिंग के लिए मुंबई जाना था. आज उनका आखरी दिन था. आज रात को तो भाभी की चुदाई निश्चित ही थी. रात को भाभी नींद आने का बहाना बना कर जल्दी ही अपने कमरे में चली गयी.

उसके कमरे में जाते ही लाइट बंद हो गयी. मैं समझ गया कि चुदाई शुरू होने में अब देर नहीं. मैं एक बार फिर चुपके से भाभी के दरवाज़े पर कान लगा कर खड़ा हो गया. अंदर से मुझे भैया भाभी की बातें सॉफ सुनाई दे रही थी. भैया कह रहे थे, “मधु, 6 महीने का समय तो बहुत होता है. इतने दिन मैं तुम्हारे बिना कैसे जी सकूँगा. ज़रा सोचो 6 महीने तक तुम्हारी बूर नहीं चोद सकूँगा.”

“आप तो ऐसे बोल रहें हैं जैसे यहाँ रोज़…”

“क्या मेरी जान बोलो ना. शरमाती क्यों हो? कल तो मैं जा रहा हूँ. आज रात तो खुल के बात करो. तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर दिल खुश हो जाता है.”

“मैं तो आपको खुश देखने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ. मैं तो ये कह रही थी, यहाँ आप कॉन सा मुझे रोज़ चोद्ते हैं.” भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुन मेरा लंड फंफनाने लगा.

“मधु यहाँ तो बहुत काम रहता है इसलिए थक जाता था. वापस आने के बाद मेरा प्रमोशन हो जाएगा और उतना काम नहीं होगा. फिर तो मैं तुम्हें रोज़ चोदुन्गा. बोलो मेरी जान रोज़ चुदवाओगि ना.”

“मेरे राजा, सच बताऊ मेरा दिल तो रोज़ ही चुदवाने को करता है पर आपको तो चोदने की फ़ुर्सत ही नहीं. क्या अपनी जवान बीवी को महीने में सिर्फ़ दो तीन बार ही चोदा जाता है?”

“तो तुम मुझसे कह नहीं सकती थी?”

“कैसी बातें करतें हैं? औरत ज़ात हूँ. चोदने में पहल करना तो मर्द का काम होता है. मैं आपसे क्या कहती? चोदो मुझे? रोज़ रात को आपके लंड के लिए तरसती रहती हूँ.”

“मधु तुम जानती हो मैं ऐसा नहीं हूँ. याद है अपना हनिमून, जब दस दिन तक लगातार दिन में तीन चार बार तुम्हें चोद्ता था? बल्कि उस वक़्त तो तुम मेरे लंड से घबरा कर भागती फिरती थी.”

” याद है मेरे राजा. लेकिन उस वक़्त तक सुहाग रात की चुदाई के कारण मेरी चूत का दर्द दूर नहीं हुआ था. आपने भी तो सुहाग रात को मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा था.”

“उस वक़्त मैं अनाड़ी था मेरी जान”.

“अनाड़ी की क्या बात थी? किसी लड़की की कुँवारी चूत को इतने मोटे, लंबे लंड से इतनी ज़ोर से चोदा जाता है क्या? कितना खून निकाल दिया था आपने मेरी चूत में से, पूरी चादर खराब हो गयी थी. अब जब मेरी चूत आपके लंड को झेलने के लायक हो गयी है तो आपने चोदना ही कम कर दिया है.”

“अब चोदने भी दोगि या सारी रात बातों में ही गुज़ार दोगि.” यह कह कर भैया भाभी के कपड़े उतारने लगे.

“मधु, मैं तुम्हारी ये पॅंटी साथ ले जाउन्गा.”

“क्यो? आप इसका क्या करेंगे?”

“जब भी चोदने का दिल करेगा तो इसे अपने लंड से लगा लूँगा.” पॅंटी उतार कर शायद भैया ने लंड भाभी की चूत में पेल दिया, क्योंकि भाभी के मुँह से आवाज़ें आने लगी…

” अया… ऊवू… अघ.. आह.. आह.. आह.. आह.”

“मधु, आज तो सारी रात लूँगा तुम्हारी”.

“लीजिए ना आआहह… कॉन… आह रोक रहा है? आपकी चीज़ है. जी भर के चोदिये… उई माआ…”

“थोड़ी टाँगें और चौड़ी करो. हां अब ठीक है. आह पूरा लंड जड़ तक घुस गया है.”

“आआआ… ह, ऊवू.”

“मधु, मज़ा आ रहा है मेरी जान?”

“हूँ. आआआ..ह.”

“मधु.”

“जी.”

“अब 6 महीने तक इस खूबसूरत चूत की प्यास कैसे बुझओगि?”

“आपके इस मोटे लंड के सपने ले कर ही रातें गुज़ारुँगी.”

“मेरी जान तुम्हें चुदवाने में सच मुच बहुत मज़ा आता है?”

“हां मेरे राजा बहुत मज़ा आता है क्योंकि आपका ये मोटा लंबा लंड मेरी चूत की आग को बुझा देता है.”

“मधु, मैं वादा करता हूँ, वापस आ कर तुम्हारी इस टाइट चूत को चोद चोद कर फाड़ डालूँगा.”

“फाड़ डालिए ना, एयेए… ह मैं भी तो यही चाहती हूँ.”

“सच! अगर फॅट गयी तो फिर क्या चुदवाओगि?”

“हटिए भी आप तो ! आपको सच मुच ये इतनी अच्छी लगती है?”

“तुम्हारी कसम मेरी जान. इतनी फूली हुई चूत को चोद कर तो मैं धन्य हो गया हूँ. और फिर इसकी मालकिन चुदवाती भी तो कितने प्यार से है”.

“जब चोदने वाले का लंड इतना मोटा तगड़ा हो तो चुदवाने वाली तो प्यार से चुदवायेगि ही. मैं तो आपके लंड के लिए एयेए…ह.. ऊवू बहुत तरपुंगी. आख़िर मेरी प्यास तो ….आआ…. यही बुझाता है.”

भैया ने सारी रात जम कर भाभी की चुदाई की. सबेरे भाभी की आँखें सारी रात ना सोने के कारण लाल थी. भैया सुबह 6 महीने के लिए मुंबई चले गये. मैं बहुत खुश था. मुझे पूरा विषवास था कि इन 6 महीनों में तो भाभी को अवश्य चोद पाउन्गा. हालाँकि अब भाभी मुझसे खुल कर बातें करती थी लेकिन फिर भी मेरी भाभी के साथ कुच्छ कर पाने की हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

मैं मोके की तलाश में था. भैया को जा कर एक महीना बीत चुका था. जो औरत रोज़ चुदवाने को तरसती हो उसके लिए एक महीना बिना चुदाई गुज़ारना मुश्किल था. भाभी को वीडियो पर पिक्चर देखने का बहुत शोक था. एक दिन मैं इंग्लीश की बहुत गंदी सी पिक्चर ले आया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

और ऐसी जगह रख दी जहाँ भाभी को नज़र आ जाए. उस पिक्चर में, 7 फुट लंबा, तगड़ा काला आदमी एक 16 साल की गोरी लड़की को कयि मुद्राओं में चोद्ता है और उसकी गांद भी मारता है. जब तक मैं कॉलेज से वापस आया तब तक भाभी वो पिक्चर देख चुकी थी. मेरे आते ही बोली-

“सतीश ये तू कैसी गंदी गंदी पिक्चरे देखता है?”

“अरी भाभी आपने वो पिक्चर देख ली? वो आपके देखने की नहीं थी.”

“तू उल्टा बोल रहा है. वो मेरे ही देखने की थी. शादीशुदा लोगों को तो ऐसी पिक्चर देखनी चाहिए. हाई राम ! क्या क्या कर रहा था वो लंबा तगड़ा कालू उस छ्होटी सी लड़की के साथ. बाप रे !”

“क्यों भाभी भैया आपके साथ ये सब नहीं करते हैं?”

“तुझे क्या मतलब? और तुझे शादी से पहले ऐसी पिक्चरे नहीं देखनी चाहिए.”

“लेकिन भाभी अगर शादी से पहले नहीं देखूँगा तो अनाड़ी रह जाउन्गा. पता कैसे लगेगा कि शादी के बाद क्या किया जाता है.””तेरी बात तो सही है. बिल्कुल अनाड़ी होना भी ठीक नहीं वरना सुहागरात को लड़की को बहुत तकलीफ़ होती है. तेरे भैया तो बिल्कुल अनाड़ी थे.”

“भाभी, भैया अनाड़ी थे क्योंकि उन्हें बताने वाला कोई नहीं था. मुझे तो आप समझा सकती हैं लेकिन आपके रहते हुए भी मैं अनाड़ी हूँ. तभी तो ऐसी फिल्म देखनी पड़ती है और उसके बाद भी बहुत सी बातें समझ नहीं आतीं. आपको मेरी फिकर क्यों होने लगी?”

“सतीश, मैं जितनी तेरी फिकर करती हूँ उतनी शायद ही कोई करता हो. आगे से तुझे शिकायत का मोका नहीं दूँगी. तुझे कुच्छ भी पूछना हो, बे झिझक पूछ लिया कर. मैं बुरा नहीं मानूँगी. चल अब खाना खा ले.”

“तुम कितनी अच्छी हो भाभी.” मैने खुश हो कर कहा.

अब तो भाभी ने खुली छ्छूट दे दी थी. मैं किसी तरह की भी बात भाभी से कर सकता था. लेकिन कुच्छ कर पाने की अब भी हिम्मत नहीं थी. मैं भाभी के दिल में अपने लिए चुदाई की भावना जाग्रत करना चाहता था. भैया को गये अब करीब दो महीने हो चले थे.

भाभी के चेहरे पर लंड की प्यास सॉफ ज़ाहिर होती थी. एक बार सनडे को मैं घर पर था. भाभी कपड़े धो रही थी. मुझे पता था कि भाभी छत पर कपड़े सुखाने जाएगी. मैने सोचा क्यों ना आज फिर भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए जाएँ. पिछले दर्शन 3 महीने पहले हुए थे. मैं छत पर कुर्सी डाल कर उसी प्रकार तौलिया लपेट कर बैठ गया.

जैसे ही भाभी के छत पर आने की आहट सुनाई दी, मैने अपनी टाँगें फैला दी और अख़बार चेहरे के सामने कर लिया. अख़बार के च्छेद में से मैने देखा कि छत पर आते ही भाभी की नज़र मेरे मोटे, लंबे साँप के माफिक लटकते हुए लंड पे गयी. भाभी की साँस तो गले में ही अटक गयी. उनको तो जैसे साँप सूंघ गया. एक मिनिट तो वो अपनी जगह से हिल नहीं सकी, फिर जल्दी कपड़े सूखने डाल कर नीचे चल दी.

“भाभी कहाँ जा रही हो, आओ थोड़ी देर बैठो.” मैने कुर्सी से उठाते हुए कहा. भाभी बोली.

“अच्छा आती हूँ. तुम बैठो मैं तो नीचे चटाई डाल कर बैठ जाउन्गि.” अब तो मैं समझ गया कि भाभी मेरे लंड के दर्शन जी भर के करना चाहती है.

मैं फिर कुर्सी पर उसी मुद्रा में बैठ गया. थोड़ी देर में भाभी छत पर आई और ऐसी जगह चटाई बिछाई जहाँ से तौलिए के अंदर से पूरा लंड सॉफ दिखाई दे. हाथ में एक नॉवेल था जिसे पढ़ने का बहाना करने लगी लेकिन नज़रें मेरे लंड पर ही टिकी हुई थी.

8 इंच लंबा और 3-1/2 इंच मोटा लंड और उसके पीछे अमरूद के आकर के बॉल्स लटकते देख उनका तो पसीना ही छ्छूट गया. अपने आप ही उनका हाथ अपनी चूत पर गया और वो उसे अपनी सलवार के उपर से रगड़ने लगी. जी भर के मैने भाभी को अपने लंड के दर्शन कराए. जब मैं कुर्सी से उठा तो भाभी ने जल्दी से नॉवेल अपने चेहरे के आगे कर लिया, जैसे वो नॉवेल पढ़ने में बड़ी मगन हो. मैने कई दिन से भाभी की गुलाबी पॅंटी नहीं देखी थी. आज भी वो नहीं सूख रही थी.

मैने भाभी से पूछा… “भाभी बहुत दिनों से अपने गुलाबी पॅंटी नहीं पहनी?”

“तुझे क्या?”

“मुझे वो बहुत अच्छी लगती है. उसे पहना करिए ना.”

“मैं कॉन सा तेरे सामने पहनती हूँ?”

“बताइए ना भाभी कहाँ गयी, कभी सूख्ती हुई भी नहीं नज़र आती.”

“तेरे भैया ले गये. कहते थे कि वो उन्हें मेरी याद दिलाएगी.” भाभी ने शरमाते हुए कहा.

“आपकी याद दिलाएगी या आपके टाँगों के बीच में जो चीज़ है उसकी?”

“हट मक्कार! तूने भी तो मेरी एक पॅंटी मार रखी है. उसे पहनता है क्या? पहनना नहीं, कहीं फॅट ना जाए.” भाभी मुझे चिढ़ाती हुई बोली.

“फटेगी क्यों? मेरे चूतड़ आपके जितने भारी और चौड़े तो नहीं हैं”.

“अरी बुधहू, चूतड़ तो बड़े नहीं हैं, लेकिन सामने से तो फॅट सकती है. तुझे तो वो सामने से फिट भी नहीं होगी.”

“फिट क्यों नहीं होगी भाभी?” मैने अंजान बनते हुए कहा.

“अरी बाबा, मर्दों की टाँगों के बीच में जो वो होता है ना, वो उस छ्होटी सी पॅंटी में कैसे समा सकता है, और वो तगड़ा भी तो होता है पॅंटी के महीन कपड़े को फाड़ सकता है.”

“वो क्या भाभी?” मैने शरारत भरे अंदाज़ में पूछा. भाभी जान गयी कि मैं उनके मुँह से क्या कहलवाना चाहता हूँ.

“मेरे मुँह से कहलवाने में मज़ा आता है?”

“एक तरफ तो आप कहती हैं कि आप मुझे सब कुच्छ बताएँगी, और फिर सॉफ सॉफ बात भी नहीं करती. आप मुझसे और मैं आपसे शरमाता रहूँगा तो मुझे कभी कुच्छ नहीं पता लगेगा और मैं भी भैया की तरह अनाड़ी रह जाउन्गा. बताइए ना !”

“तू और तेरे भैया दोनो एक से हैं.मेरे मुँह से सब कुच्छ सुन कर तुझे खुशी मिलेगी?”

“हाँ भाभी बहुत खुशी मिलेगी. और फिर मैं कोई पराया हूँ.”

“ऐसा मत बोल सतीश. तेरी खुशी के लिए मैं वही करूँगी जो तू कहेगा.”

“तो फिर सॉफ सॉफ बताइए आपका क्या मतलब था.”

“मेरे बुद्धू देवर जी, मेरा मतलब ये था कि मर्द का वो बहुत तगड़ा होता है, औरत की नाज़ुक पॅंटी उसे कैसे झेल पाएगी ? और अगर वो खड़ा हो गया तब तो फॅट ही जाएगी ना.” “भाभी आपने वो वो लगा रखी है, मुझे तो कुच्छ नहीं समझ आ रहा.”

“अच्छा अगर तू बता दे उसे क्या कहते हैं तो मैं भी बोल दूँगी.” भाभी ने लाजाते हुए कहा.

“भाभी मर्द के उसको लंड कहते हैं.”

“हाया…..!, मेरा भी मतलब यही था.”

“क्या मतलब था आपका?”

“कि तेरा लंड मेरी पॅंटी को फाड़ देगा. अब तो तू खुश है ना.?”

“हाँ भाभी बहुत खुश हूँ. अब यह भी बता दीजिए कि आपकी टाँगों के बीच में जो है उसे क्या कहते हैं”.

“उसे? मुझे तो नहीं पता. ऐसी चीज़ें तो तुझे ही पता होती हैं. तू ही बता दे.”

“भाभी उसे चूत कहते हैं.”

“आआ! तुझे तो शरम भी नहीं आती. वही कहते होंगे.”

“वही क्या भाभी?”

“ओह हो बाबा, चूत और क्या.” भाभी के मुँह से लंड और चूत जैसे शब्द सुन कर मेरा लंड फंफनाने लगा. अब तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैने भाभी से कहा.

“भाभी इसी चूत की तो दुनिया इतनी दीवानी है.”

“अच्छा जी तो देवर जी भी इसके दीवाने हैं.”

“हां मेरी प्यारी भाभी किसी की भी चूत का नहीं सिर्फ़ आपकी चूत का दीवाना हूँ.”

“तुझे तो बिल्कुल भी शरम नहीं है. मैं तेरी भाभी हूँ.” भाभी झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली.

“अगर मैं आपको एक बात बताऊ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी?”

“नहीं सतीश. देवर भाभी के बीच तो कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. और अब तो तूने मेरे मुँह से सूब कुच्छ कहलवा दिया है. लेकिन मेरी पॅंटी तो वापस कर दे.”

“सच कहूँ भाभी, रोज़ रात को उसे सून्घ्ता हूँ तो आपकी चूत की महक मुझे मदहोश कर डालती है. जब मैं अपना लंड आपकी पॅंटी से रगड़ता हूँ तो ऐसा लगता है जैसे लंड आपकी चूत से रगड़ रहा हो.

“ओह ! अब समझी देवर्जी मेरी पॅंटी के पीछे क्यों पागल हैं. इसीलिए तो कहती हूँ तुझे एक सुन्‍दर सी बीवी की ज़रूरत है”.

“लेकिन मैं तो अनाड़ी हूँ. आपने तो प्रॉमिस कर के भी कुच्छ नहीं बताया. उस दिन आप कह रही थी कि मर्द अनाड़ी हो तो लड़की को सुहाग रात में बहुत तकलीफ़ होती है. आपका क्या मतलब था? आपको भी तकलीफ़ हुई थी?”

“हां सतीश, तेरे भैया अनाड़ी थे. सुहागरात को मेरी साडी उठा कर बिना मुझे गरम किए चोदना शुरू कर दिया. अपने 6 इंच लंबे और 2-1/2 इंच मोटे लंड से मेरी कुँवारी चूत को बहुत ही बेरहमी से चोदा. बहुत खून निकला मेरी चूत से. अगले एक महीने तक दर्द होता रहा.” मेरा लंड देखने के बाद से भाभी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी और बिल्कुल ही शरमाना छोड़ दिया था.

“लड़की को गरम कैसे करते हैं भाभी?”

“पहले प्यार से उससे बातें करते हैं. फिर धीरे धीरे उस के कपड़े उतारते हैं. उसके बदन को सहलाते हैं. उसके होटो को और चुचिओ को चूमते हैं. फिर प्यार से उसकी चुचिओ और चूत को मसल्ते हैं. फिर हल्के से एक उंगली उसकी चूत में सरका कर देखते हैं कि लड़की की चूत पूरी तरह गीली है. अगर चूत गीली है, इसका मतलब लड़की चुदने के लिए तैयार है.इसके बाद प्यार से उसकी टाँगें उठा कर धीरे धीरे लंड अंदर डाल देते हैं. पहली रात ज़ोर ज़ोर से धक्के नहीं मारते.”

“भाभी उस फिल्म में तो वो कालू उस लड़की की चूत चाटता है, लड़की भी लंड चूस्ति है. कालू उस लड़की को कयि तरह से चोद्ता है. यहाँ तक कि उसकी गांद भी मारता है”.

“अरी बुद्धू ये सब पहली रात को नहीं किया जाता, धीरे धीरे किया जाता है.”

“भाभी, भैया भी वो सब आपके साथ करते हैं?”

“नहीं रे! तेरे भैया अनाड़ी थे और अब भी अनाड़ी हैं. (भाभी के चेहरे पर थोड़ी सी उदासी झलक रही थी) उनको तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर पेलना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी किए बिना ही चोद्ते हैं. औरत को मज़ा तो पूरी तरह नंगी हो कर ही चुदवाने में आता है.”

“भाभी आपको नंगी हो कर चुदवाने में बहुत मज़ा आता है?”

“क्यों में औरत नहीं हूँ? अगर मोटा तगड़ा लंड हो और चोदने वाला नंगी करके प्यार से चोदे तो बहुत ही मज़ा आता है.”

“लेकिन भैया का लंड तो मोटा तगड़ा होगा. हां मेरे लंड की बराबरी नहीं कर सकता है”.

“तुझे कैसे पता ?”

“मुझे तो नहीं पता लेकिन आप तो बता सकती हैं”.

“में कैसे बता सकती हूँ? मैने तेरा लंड तो नहीं देखा है” भाभी ने बनते हुए कहा. मैं मन ही मन मुस्कुराया और बोला, “तो क्या हुआ भाभी. कहो तो अभी आपको अपने लंड के दर्शन करा देता हूँ, आप नाप लो किसका बड़ा है.”

“हट बदमाश!”

“अगर आप नहीं दर्शन करना चाहती तो कम से कम मुझे तो अपनी चूत के दर्शन एक बार करवा दीजिए. सच भाभी मैने आज तक किसी की चूत नहीं देखी.”

“चल नालयक! तेरी शादी जल्दी करवा दें? इतना उतावला क्यों हो रहा है?”

“उतावला क्यों ना होऊ? मेरी प्यारी भाभी को भैया सारी सारी रात खूब जम कर चोदे और मेरी किस्मत में उनकी चूत के दर्शन तक ना हों. इतनी खूबसूरत भाभी की चूत तो और भी लाजबाब होगी. एक बार दिखा दोगि तो घिस तो नहीं जाओगी. अच्छा, इतना तो बता दो कि आपकी चूत भी उतनी ही चिकनी है जितनी फिल्म में उस लड़की की थी?”

“नहीं रे, जैसे मर्दों के लंड के चारों तरफ बाल होते हैं वैसे ही औरतों की चूत पर भी बाल होते हैं. उस लड़की ने तो अपने बाल शेव कर रखे थे.”

“भाभी तब तो जितने घने और सुंदर बाल आपके सिर पर हैं उतने ही घने बाल आपकी चूत पर भी होंगे? आप अपनी चूत के बाल शेव नहीं करतीं?”

“तेरे भैया को मेरी झाँटें बहुत पसंद हैं इसलिए शेव नहीं करती.”

“हाई भाभी आपकी चूत की एक झलक पाने के लिए कब से पागल हो रहा हूँ, और कितना तडपाओगि ?”

“सबर कर, सबर कर ! सबर का फल हमेशा मीठा होता है.” यह कह कर बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराती हुई नीचे चली गयी.

मेरे लंड के दुबारा दर्शन करने के बाद से तो भाभी का काफ़ी बुरा हाल था. एक दिन मैने उनके कमरे में मोटा सा खीरा देखा. मैने उसे सूंघ कर देखा तो खीरे में से भी वैसी ही महक आ रही थी जैसी भाभी की पॅंटी में से आती थी. लगता था भाभी खीरे से ही लंड की भूख मिटाने की कोशिश कर रही थी. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मुझे मालूम था कि गंदी पिक्चर भी वो कयि बार देख चुकी थी. भैया को जा कर तीन महीने बीत गये. घर में मोटा ताज़ा लंड मौज़ूद होने के बावज़ूद भी भाभी लंड की प्यास में तडप रही थी. मैने एक और प्लान बनाया. बाज़ार से एक हिन्दी का बहुत ही गंदा नॉवेल लाया जिसमे देवर भाभी की चुदाई के क़िस्से थे.

उस नॉवेल में भाभी अपने देवर को चोदने के लिए पटाती है. वो जान कर कपड़े धोने इस प्रकार बैठती है कि उसके पेटिकोट के नीचे से देवर को उसकी चूत के दर्शन हो जाते हैं. ये नॉवेल मैने ऐसी जगह रखा जहाँ भाभी के हाथ लग जाए. एक दिन जब मैं कॉलेज से वापस आया तो मैने पाया कि वो नॉवेल अपनी जगह पर नहीं था.

मैं जान गया कि भाभी वो नॉवेल पढ़ चुकी है. अगले सनडे को मैने देखा कि भाभी कपड़े बाथरूम में धोने के बजाय बाहर के नल पर धो रही थी. उसने सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहन रखा था. मुझे देख कर बोली, “आ सतीश बैठ. तेरे कोई कपड़े धोने हैं तो देदे.”

मैने कहा मेरे कोई कपड़े नहीं धोने हैं और मैं भाभी के सामने बैठ गया. भाभी इधेर उधेर की गप्पें मारती रही. अचानक भाभी के पेटिकोट का पिछला हिस्सा नीचे गिर गया. सामने का नज़ारा देख कर तो मेरे दिल की धरकन बढ़ गयी. भाभी गोरी गोरी मांसल जाँघो के बीच में से सफेद रंग की पॅंटी झाँक रही थी. भाभी जिस अंदाज़ में बैठी हुई थी उसके कारण पॅंटी भाभी की चूत पर बुरी तरह कसी हुई थी.

फूली हुई चूत का उभार मानो कछि को फाड़ कर आज़ाद होने की कोशिश कर रहा हो. पॅंटी चूत की फांकों में धँसी हुई थी. पॅंटी के दोनो तरफ से काली काली झांटें बाहर निकली हुई थी. मेरे लंड ने हरकत करनी शुरू कर दी. भाभी मानो बेख़बर हो कर कपड़े धोती जा रही थी और मुझसे गप्पें मार रही थी. अभी मैं भाभी की टाँगों के बीच के नज़ारे का मज़ा ले ही रहा था कि वो अचानक उठ कर अंदर जाने लगी.

मैने उदास हो कर पूछा “भाभी कहाँ जा रही हो ?”

“एक मिनिट में आई.”

थोड़ी देर में वो बाहर आई. उनके हाथ में वोही सफेद पॅंटी थी जो उन्होने अभी अभी पहनी हुई थी. भाभी फिर से वैसे ही बैठ कर अपनी पॅंटी धोने लगी. लेकिन बैठते समय उन्होने पेटिकोट ठीक से टाँगों के बीच दबा लिया. यह सोच के कि पेटिकोट के नीचे अब भाभी की चूत बिल्कुल नंगी होगी मेरा मन डोलने लगा.

मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि भाभी का पेटिकोट फिर से नीचे गिर जाए. शायद ऊपर वाले ने मेरी दुआ जल्दी ही सुन ली. भाभी का पेटिकोट का पिछला हिस्सा फिर से नीचे गिर गया. अब तो मेरे होश ही उड़ गये. उनकी गोरी गोरी मांसल टाँगें सॉफ नज़र आने लगी.

तभी भाभी ने अपनी टाँगों को फैला दिया और अब तो मेरा कलेजा ही मुँह को आ गया. भाभी की चूत बिल्कुल नंगी थी. गोरी गोरी सुडोल जांघों के बीच में उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी. पूरी चूत घने काले बालों से धकि हुई थी, लेकिन चूत की दोनो फाँकें और बीच का कटाव घनी झांतों के पीछे से नज़र आ रहा था.

चूत इतनी फूली हुई थी और उसका मुँह इस प्रकार से खुला हुआ था, मानो अभी अभी किसी मोटे लंड से चुदी हो. भाभी कपड़े धोने में ऐसे लगी हुई थी मानो उसे कुच्छ पता ना हो. मेरे चेहरे की ओर देख कर बोली….. ” क्या बात है सतीश, तेरा चेहरा तो ऐसे लग रहा है जैसे तूने साँप देख लिया हो?” मैं बोला “भाभी साँप तो नहीं लेकिन साँप जिस बिल मे रहता है उसे ज़रूर देख लिया.”

“क्या मतलब ? कौन से बिल की बात कर रहा है?” मेरी आँखें भाभी की चूत पर ही जमी हुई थी.

“भाभी आपकी टाँगों के बीच में जो साँप का बिल है ना मैं उसी की बात कर रहा हूँ.”

“हाअ..एयेए !!! बदमाश !! इतनी देर से तू यह देख रहा था ? तुझे शरम नहीं आई अपनी भाभी की टाँगों के बीच में झाँकते हुए?’ यह कह कर भाभी ने झट से टाँगें नीचे कर लीं.

” आपकी कसम भाभी इतनी लाजबाब चूत तो मैने किसी फिल्म में भी नहीं देखी. भैया कितनी किस्मत वाले हैं. लेकिन भाभी इस बिल को तो एक लंबे मोटे साँप की ज़रूरत है.”

भाभी मुस्कुराते हुए बोली, “कहाँ से लाउ उस लंबे मोटे साँप को.?”

“मेरे पास है ना एक लंबा मोटा साँप. एक इशारा करो, सदा ही आपके बिल में रहेगा.”

“हट नालयक.” यह कहा कर भाभी कपड़े सुखाने छत पे चली गयी.. ज़ाहिर था कि ये करने का विचार भाभी के मन में नॉवेल पढ़ने के बाद ही आया था. अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भाभी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैं मोके की तलाश में था जो जल्दी ही हाथ आ गया.

तीन दिन बाद कॉलेज में बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन था. मैने खूब कसरत और मालिश करनी शुरू कर दी थी. भाभी भी मुझे अच्छी खुराक खिला रही थी. एक दिन भाभी नहा रही थी और मैं अपने कमरे में मालिश कर रहा था. मैने सिर्फ़ अंडरवेर पहन रखा था. इतने में भाभी नहा कर कमरे में आ गयी. वो पेटिकोट और ब्लाउस में थी.

मैने भाभी से कहा” भाभी ज़रा पीठ की मालिश कर दोगि?” भाभी बोली ” हाँ हाँ क्यों नहीं चल लेट जा” मैं चटाई पर पेट के बल लेट गया. भाभी ने हाथ में तैल ले कर मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. भाभी के मुलायम हाथों का स्पर्श बहुत अच्छा लग रहा था. पीठ पर मालिश करने के बाद चलने को हुई तो मैं बोला, “कर ही रही हो तो पूरे बदन की मालिश कर दो ना. आपके हाथ की मालिश होने पर मैं ज़रूर बॉडी बिल्डिंग कॉंपिटेशन में जीत जाउन्गा.”

“ठीक है कर देती हूँ, चल उल्टा हो कर लेट जा.” मैं पीठ के बल लेट गया.

भाभी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर टाँगों की शुरू कर दी. जैसे जैसे मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगी. मेरा लंड धीरे धीरे हरकत करने लगा. अब भाभी पेट पर और लंड के चारों तरफ जांघों पर मालिश करने लगी.

मेरा लंड बुरी तरह से फंफनाने लगा. ढीले लंड से भी अंडरवेर का कसा उभार होता था. अब तो ये उभर फूल कर दुगना हो गया. भाभी से ये छुपा नही था और उनका चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था.कनखियों से उभार को देखते हुए बोली- “सतीश, लगता है तेरा अंडरवेर फॅट जाएगा. क्यों क़ैद कर रखा है बेचारे पन्छि को. आज़ाद कर दे.” और यह कह कर खिलखिला कर हंस पड़ी.

“आप ही आज़ाद कर दो ना भाभी इस पन्छि को. आपको दुआएँ देगा.”

“ठीक है मैं इसे आज़ादी देती हूँ” ये कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर नीचे खैंच दिया. अंडरवेर से आज़ाद होते ही मेरा 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड किसी काले कोब्रा की तरह फनफना कर खड़ा हो गया. भाभी के तो होश ही उड़ गये. चेहरे की हँसी एकदम गायब हो गयी. उनकी आँखें फटी की फटी रह गयी. मैने पूछा, “क्या हुआ भाभी? घबराई हुई सी लगती हो.”

“बाप रे… ! ये लंड है या मूसल ! किसी घोड़े का लंड तो नहीं लगा लिया? और ये अमरूद? उस सांड़ के भी इतने बड़े नहीं थे.”

“भाभी इसकी भी मालिश कर दो ना.” भाभी ने ढेर सा तैल हाथ में लेकर खड़े हुए लंड पे लगाना शुरू कर दिया. बड़े ही प्यार से लंड की मालिश करने लगी. “सतीश तेरा लंड तो तेरे भैया से कहीं ज़्यादा बड़ा है. सच तेरी बीवी बहुत ही किस्मत वाली होगी.एक लंबा मोटा लंड औरत को तृप्त कर देता है. तेरा तो….”

“भाभी आप किस बीवी की बात कर रहीं हैं? इस लंड पे सबसे पहला अधिकार आपका है.”

“सच ! देख सतीश, मोटे तगड़े लंड की कीमत एक औरत ही जानती है. इसको मोटा तगड़ा बनाए रखना. जब तक तेरी शादी नहीं होती मैं इसकी रोज़ मालिश कर दूँगी.”

“आप कितनी अच्छी हैं भाभी. वैसे भाभी इतने बड़े लंड को लॉडा कहते हैं.”

“अच्छा बाबा, लॉडा. सुहागरात को बहुत ध्यान रखना. तेरी बीवी की कुँवारी चूत का पता नहीं क्या हाल हो जाएगा. इतना मोटा और लंबा लॉडा तो मेरे जैसों की चूत भी फाड़ देगा.”

“यह आप कैसे कह सकती हैं? एक बार इसे अपनी चूत में डलवा के तो देखिए.”

“हट नालयक.” भाभी बड़े प्यार से बहुत देर तक लंड की मालिश करती रही. जब मुझसे ना रहा गया तो बोला “भाभी आओ मैं भी आपकी मालिश कर दूं.”

“मैं तो नहा चुकी हूँ.”

“तो क्या हुआ भाभी मालिश कर दूँगा तो सारी थकावट दूर हो जाएगी. चलिए लेट जाइए.”

भाभी को मर्द का स्पर्श हुए तीन महीने हो चुके थे. वो थोड़े नखरे कर के मान गयी और पेट के बल चटाई पर लेट गयी.

“भाभी ब्लाउस तो उतार दो तैल लगाने की जगह कहाँ है. अब शरमाओ मत. याद है ना मैं आपको नंगी भी देख चुका हूँ.”

भाभी ने अपना ब्लाउस उतार दिया. अब वो काले रंग के ब्रा और पेटिकोट में थी. मैं भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर उनकी पीठ पर तैल लगाने लगा. चुचियो के आस पास मालिश करने से वो उत्तेजित हो जाती. फिर मैने ब्रा का हुक खोल दिया और बड़ी बड़ी चुचिओ को मसल्ने लगा.

भाभी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी. वो आँखें मूंद कर लेटी रही. खूब अच्छी तरह चुचिओ को मसल्ने के बाद मैने उनकी टाँगों पर तैल लगाना शुरू कर दिया. जैसे जैसे तैल लगाता जा रहा था, पेटिकोट को उपर की ओर खिसकाता जा रहा था. मेरा अंडरवेर मेरी टाँगों में फसा हुआ था, मैने उसे उतार फेंका.

भाभी की गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर बड़े प्यार से मालिश की. धीरे धीरे मैने पेटिकोट भाभी के चूतदों के उपर सरका दिया. अब मेरे सामने भाभी के बड़े बड़े, गोरे और गोल गोल चूतड़ थे. भाभी ने छ्होटी सी जालीदार नाइलॉन की पारदर्शी काली पॅंटी पहन रखी थी जो कुच्छ भी छुपा पाने में असमर्थ थी.

उपर से भाभी के चुतड़ों की आधी दरार पॅंटी के बाहर थी. फैले हुए मोटे चूतड़ करीब पूरे ही बाहर थे. चुतड़ों के बीच में पॅंटी के दोनो तरफ से बाहर निकली हुई भाभी की लंबी काली झटें दिखाई दे रही थी. भाभी की फूली हुई चूत के उभार को बड़ी मुश्किल से कछि में क़ैद कर रखा था.

मैने उन मोटे मोटे चुतड़ों की जी भर के मालिश की जिससे पॅंटी चूतरो से सिमट कर बीच की दरार में फँस गयी. अब तो पूरे चूतड़ ही नंगे थे. मालिश करते करते मैं उनकी चूत के आस पास हाथ फेरने लगा और फिर फूली हुई चूत को मुथि में भर लिया. भाभी की पॅंटी बिल्कुल गीली हो गयी थी. उनकी प्यासी बूर बहुत पानी छ्चोड़ रही थी.

“इसस्स…. आआ…. क्या कर रहा है. छ्चोड़ दे उसे, मैं मर जाउन्गि. तू पीठ पर ही मालिश कर नहीं तो मैं चली जाउन्गि.”

“ठीक है भाभी पीठ पर ही मालिश कर देता हूँ.”

मैं भाभी की टाँगों के बीच में थोड़ा आगे खिसक कर उनकी पीठ पर मालिश करने लगा. ऐसा करने से मेरा तना हुआ लॉडा भाभी की चूत से जा टकराया. अब मेरे तने हुए लंड और भाभी की चूत के बीच छ्होटी सी पॅंटी थी. भाभी की चूत का रस जालीदार पॅंटी से निकल कर मेरे लंड के सुपरे को गीला कर रहा था.

मैं भाभी की चुचिओ को दबाने लगा और अपने लंड से भाभी की चूत पर ज़ोर डालने लगा. लंड के दबाव के कारण पॅंटी भाभी की चूत में घुसने लगी. बड़े बड़े चूतादो से सिमट कर अब वो बेचारी पॅंटी उनके बीच की दरार में धँस गयी थी. भाभी के मुँह से उत्तेजना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी. मुझसे ना रहा गया और मैने एक ज़ोरदार धक्का लगाया. मेरे लंड का सुपरा भाभी की जालीदार पॅंटी को फाड़ता हुआ उनकी चूत में समा गया.

“आआआः…….ऊवू….उई माआ. ऊऊफ़.. यह क्या कर दिया सतीश. तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. छोड़ मुझे, मैं तेरी भाभी हूँ. मुझे नहीं मालिश करवानी” लेकिन भाभी ने हटने की कोई कोशिश नहीं की. मैने थोड़ा सा दबाव डाल कर आधा इंच लंड और भाभी की चूत में सरका दिया.

” अया …ऊवू तेरे लॉड ने मेरी पॅंटी तो फाड़ ही दी, अब मेरी चूत भी फाड़ डालेगा.” मेरे मोटे लंड ने भाभी की चूत के छेद को बुरी तरह फैला दिया था.

“भाभी आप तो कुँवारी नहीं हैं. आपको तो लंड की आदत है?”

“आआआः… मुझे आदमी के लंड की आदत है घोड़े के लंड की नहीं. चल निकाल उसे बाहर.” लेकिन भाभी को दर्द के साथ मज़ा आ रहा था. उसने अपने चूतदों को हल्का सा उचकाया तो मेरा लंड आधा इंच और भाभी की चूत में सरक गया. अब मैने भाभी की कमर पकड़ के एक और धक्का लगाया. मेरा लंड पॅंटी के च्छेद में से भाभी की चूत को दो भागों में चीरता होता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया.

“आआआआआः… आहह….आहह. मर गयी ! छ्चोड़ दे सतीश फॅट जाएगी. ऊवू…धीरे राजा. अभी और कितना बाकी है? निकाल ले सतीश, अपनी ही भाभी को चोद रहा है.” मैं भाभी की चुचिओ को मसल्ते हुए बोला-

“अभी तो आधा से थोड़ा ही ज़्यादा गया है भाभी, एक बार पूरा डालने दो फिर निकाल लूँगा.” “हे राम! तू घोड़ा था क्या पिछले जनम में. मेरी चूत तेरे मूसल के लिए बहुत छ्होटी है” मैने धीरे धीरे दबाव डाल कर 2 इंच और अंदर पेल दिया. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“भाभी, मेरी जान थोड़े से अपने इन मस्ताने चूतदों को और उँचे करो ना.” भाभी ने अपने मस्त गोल चूतदों को और उँचा कर दिया. अब उनकी छाती चटाई पर टिकी हुई थी. इस मुद्रा में भाभी की चूत मेरा लंड पूरा निगलने के लिए तैयार थी. अब मैने भाभी के चूतदों को पकड़ के बहुत ज़बरदस्त धक्का लगाया. पूरा 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक समा गया.

“आआआआआआआः… मार डाला… ऊवू…. अया….. अघ…. उई… सी…. आ… अया…. ओईइ… माआ…… कितना जालिम है रे..आह….ऐसे चोदा जाता है अपनी भाभी को? पूरा 8 इंच का मूसल घुसा दिया?” भाभी की चूत में से थोड़ा सा खून भी निकल आया. अब मैं धीरे धीरे लंड को थोड़ा सा अंडर बाहर करने लगा.

भाभी का दर्द कम हो गया था और वो भी चुतड़ों को पीछे की ओर उचका कर लंड को अंदर ले रही थी. अब मैने भी लंड को सुपरे तक बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत इतनी गीली थी कि उसमे से फ़च फ़च की मीठी आवाज़ पूरे कमरे में गूंज़्ने लगी.

“तू तो उस सांड़ की तरह चढ़ कर चोद रहा है रे अपनी भाभी को. ज़िंदगी में पहली बार किसी ने ऐसे चोदा है. अया… आ.. एयेए. ह… ऊवू..ओह.”

अब मैने लंड को बिना बाहर निकाले भाभी की फटी हुई पॅंटी को पूरी तरह फाड़ कर उनके जिस्म से अलग कर दिया ओर छल्ले की तरह कमर से लटकते हुए पेटिकोट को उतार दिया. भाभी अब बिल्कुल नंगी थी. चूतड़ उठाए उनके चौड़े नितंब और बीच में से मुँह खोले निमंत्रण देती, काली लंबी झाटों से भरी चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी.

भारी भारी चूतरो के बीच गुलाबी गांद के छेद को देख कर तो मैने निश्चय कर लिया कि एक दिन भाभी की गांद ज़रूर लूँगा. बिल्कुल नंगी करने के बाद मैने फिर अपना 8 इंच का लॉडा भाभी की चूत में जड़ तक पेलना शुरू कर दिया. भाभी की चूत के रस से मेरा लंड सना हुआ था. मैने चूत के रस में उंगली गीली करके भाभी की गांद में सरका दी.

“उूउउइई म्‍म्म्माआआआआ…… आ …क्या कर रहा है सतीश?”

“कुच्छ नहीं भाभी आपका ये वाला छेद दुखी था कि उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा. मैने सोचा इसकी भी सेवा कर दूं.” ये कह कर मैने पूरी उंगली भाभी की गांद में घुसा दी.

“आआआआआआह… ओओओऊऊओह… अघ… धीरे मेरे राजा, एक छेद से तेरा दिल नहीं भरा जो दूसरे के पीछे पड़ा है.” भाभी को गांद में उंगली डलवाने में मज़ा आ रहा था. मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. भाभी शायद दो तीन बार झार चुकी थी क्योंकि उनकी चूत का रस बह कर मेरे अमरूदों को भी गीला कर रहा था.

15- 20 धक्कों के बाद मैं भी झर गया और ढेर सारा वीर्य भाभी की चूत में उंड़ेल दिया. भाभी भी इस भयंकर चुदाई के बाद पसीने से तर हो गयी थी. वीर्य उनकी चूत में से बाहर निकल कर टाँगों पर बहने लगा. भाभी निढाल हो कर चटाई पर लेट गयी.

“सतीश आज तीन महीने तड़पाने के बाद तूने मेरी चूत की आग को ठंडा किया है. एक दिन मैं ग़लती से तेरा ये मूसल देख बैठी थी बस उसी दिन से तेरे लंड के लिए तडप रही थी. काश मुझे पता होता कि खड़ा हो कर तो ये 8 इंच लंबा हो जाता है.”

“तो भाभी आपने पहले क्यों नहीं कहा. आपको तो अच्छी तरह मालूम था कि मैं आपकी चूत का दीवाना हूँ. औरत तो ऐसी बातें बहुत जल्दी भाँप जाती है.”

“लेकिन मेरे राजा, औरत ये तो नहीं कह सकती कि आओ मुझे चोदो. पहल तो मर्द को ही करनी पड़ती है. और फिर मैं तेरी भाभी हूँ.”

“ठीक है भाभी अब तो मैं आपको रोज़ चोदुन्गा.”

“मैं कब मना कर रही हूँ? एक बार तो तूने चोद हि दिया है. अब क्या शरमाना? इतना मोटा लंबा लंड तो बहुत ही किस्मत से नसीब होता है. जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तेरे लंड का मैं ख्याल करूँगी.”

“इसको मोटा ताज़ा बनाए रखने के लिए मैं तेरे लंड की रोज़ मालिश कर दूँगी. अच्छा अब मुझे जाने दे मेरे राजा, तूने तो मेरी चूत का बॅंड बजा दिया है.”

उसके बाद भाभी उठ कर नंगी ही अपने कमरे में चली गयी. जाते समय उनके चौरे भारी चूतड़ मस्ती में बल खा रहे थे. उनके मटकते हुए चूतड़ देख दिल किया कि भाभी को वहीं लिटा कर उनकी गांद में अपना लॉडा पेल दूं.

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