भाभी ने मुझे भैया से चुदवाने की मंजूरी दी 2

दोस्तों मैं आपकी दोस्त नव्या आप सभी का हमारी वासना पर स्वागत करती हूँ. दोस्तों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग भाभी ने मुझे भैया से चुदवाने की मंजूरी दी 1 में पढ़ा था की मैं भैया और भाभी की चुदाई देख कर चूत सहला रही थी. तभी भाभी का बेटा जग गया और रोने लगा और मैं उसे चुप कराने लगी. अब आगे – Threesome Fuck

शायद भाभी को उसके रोने की आवाज सुन गई थी तो उन्होंने मुझे आवाज लगा कर कहा- नव्या, उसे मेरे पास ले आओ।

मैं उठी और उनकी बेटी को लेकर उनके कमरे में गई तो भैया कमरे में नहीं थे और भाभी नंगी ही बिस्तर पर बैठी थी। मैंने उनकी बेटी को उन्हें दिया, भाभी उसे दूध पिलाने लगी, मैंने भाभी से पूछा- कैसी रही आपकी चुदाई? हो गई या अभी बाकी है?

तो भाभी ने बताया- हाँ, हो गई है, अभी वो बाथरूम में हैं, आएँगे तो हम फिर से करेंगे !

फिर भाभी ने कहा- नव्या, तुम भी अपनी रगड़ाई करवा लो ना इनसे !

तो मैंने कहा- भाभी, पहले आप तो चुद लो जी भर के ! मेरी तो बाद की बात है !

यह बात भईया पीछे खड़े सुन रहे थे तो भैया ने आकर मुझे फिर पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स को दबाने लगे, उनका लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में घुस रहा था। मैंने थोड़ा विरोध करना चाहा पर कर न सकी और वो मेरे चूचों को जोर जोर से मसल रहे थे।

फिर उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगे। मैं तो पहले से ही अन्तर्वासना की अग्नि में झुलस रही थी तो मैं भी भईया का साथ देने लगी और उन के होंठों को चूमने लगी। भाभी बिस्तर पर बैठी अपनी बेटी को दूध पिला रही थी।

फिर भैया ने मेरी नाइटी उतार दी और मेरा हाथ उनकी छाती से होता हुआ उनके लंड की तरफ जाने लगा, मैं उनके लंड को अपने हाथ से सहलाने लगी। अब भईया ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे उरोज चूसने लगे।

मैं भी मस्त हुई जा रही थी, मैं अपने दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ कर अपने वक्ष में दबाने लगी और भईया जोर जोर से मेरे चुचूक चूसे जा रहे थे। फिर वो चूमते-चाटते नीचे आने लगे, मेरी नाभि को चूमने लगे और दोनों हाथों से मेरे स्तन दबाने लगे।

अब भैया ने अपना हाथ मेरी चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगे, फिर मेरी पेंटी को उतार दिया और कहा- नव्या, तुम्हारी चूत तो बहुत ही सुन्दर है ! अब उन्होंने अपने होंठों को मेरी चूत के ऊपर रख दिया और चूत को चूसने लगे। मैं सिहर उठी और मेरे मुँह से जोर से आअह्ह्ह की आवाज निकली।

भाभी जो वहीं बैठी अपनी बेटी को दूध पिला रही थी, उन्होंने कहा- कैसा लगा नव्या?

मैं कुछ न बोल सकी, बस आहें भरे जा रही थी। भैया मेरी चूत को बुरी तरह चूसे जा रहे थे। मेरी चूत गीली हो चुकी थी तो भईया कहने लगे- नव्या, तुम्हारी चूत का स्वाद बहुत अच्छा है।

काफी देर तक चूत चूसने के बाद वो उठे और मेरे ऊपर आकर अपने लंड को मेरे दोनों बूब्स के बीच में रख और मुझ से कहा- नव्या, तुम अपने बूब्स को बगल से बीच में दबाओ ताकि मेरा लण्ड तुम्हारे बूब्स के बीच में फंस जाये।

मैंने वैसा ही किया। अब उनका लण्ड मेरी वक्ष घाटी में फंस चुका था और भैया मेरे बूब्स की चुदाई करने लगे। ऐसा करते हुए जब उनका लण्ड आगे आता तो वो मेरे होंठों को छू जाता। यह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, मैं अपनी जीभ निकाल कर लन्ड के अग्र भाग का स्वाद चख रही थी।

थोड़ी देर बूब्स चुदाई के बाद भैया ने लण्ड को मेरे मुँह पर रख दिया और कहा- लो नव्या, अब चूसो इसे, बहुत बेसबरी हुई जा रही हो इसके लिए !

मैंने भी देर न करते हुए उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं उनके लण्ड को किसी लॉलीपॉप के तरह चूस रही थी। भईया अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड पर दबाने लगे जिससे उनका लण्ड मेरे गले तक जा रहा था।

वो लंड से मेरे मुँह की चुदाई करने लगे तो भैया के मुँह से भी अह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह की आवाज आने लगी और उन्होंने अपना गर्मागर्म वीर्य मेरे मुँह में ही छोड़ दिया। वो ढीले होकर बिस्तर पर लेट गए और मुझ से लिपट कर मेरे होंठों को चूमने लगे।

अब भाभी उठी और अपनी बेटी को वहीं रखे पालने में सुला कर हमारे पास आकर भैया के लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी भैया का लंड फिर से खड़ा होने लगा। अब भैया बिस्तर पर सीधे लेट गए और मुझे अपनी छाती पर बिठा लिया और मेरी चूत को अपने मुँह के पास रख कर चूसने लगे और भाभी भैया का लण्ड चूसे जा रही थी।

मेरे मुख से बेतहाशा आअह आअह्ह्ह ओह्ह की सिसकारियाँ निकल रही थी, मैंने भईया से कहा- मैं झड़ने वाली हूँ !

तो वो और जोर जोर से चूत को चूसने लगे फिर मैं उनके मुँह पर ही झड़ गई। फिर भैया ने मुझे बिस्तर पर गिरा दिया, लण्ड को भाभी के मुँह से निकाल कर मेरे पैरों को फैला दिया और लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और लंड से ही मेरी चूत को सहलाने लगे।

मैं बोली- भैया, अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा है !

तो उन्होंने लण्ड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया। उन्होंने एक ही झटके में अपना आधा लण्ड मेरी चूत में सरका दिया। मैं जोर से चील्लाई- आआईईईईईइ !

और कहा- भाभी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

तो भाभी ने भैया को कहा- थोड़ा धीरे करो इसे !

और मुझसे कहा- नव्या, थोड़ा सा दर्द होगा, इसे सहन कर लो, फिर बाद में नहीं होगा, तुम्हें बहुत मजा आयेगा !

भैया थोड़ी देर वैसे ही लण्ड को मेरी चूत में फ़ंसाये मेरे ऊपर ही लेट गए। फिर थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया हो उन्होंने एक और झटका मारा पर उनका लण्ड अभी तक पूरा अन्दर नहीं गया था, पर मेरा दर्द कम हो गया था तो उन्होंने और दो तीन झटके मारे तो उनका लण्ड पूरा चूत के अन्दर चला गया।

मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया जिसकी चिकनाई से अब भैया का लण्ड आसानी से अन्दर बाहर होने लगा था और मुझे अब मजा आने लगा था। अब भैया ने मेरी ठकाठक चुदाई करनी चालू की, वो मुझे चोदे जा रहे थे और मैं आहें भरे जा रही थी। अब

मुझे चुदाई का और ज्यादा मजा आने लगा, मैं कहने लगी- और जोर से चोदो।

तो भैया ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। फिर उन्होंने मेरे पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रखा और भाभी उठ कर उनके होंठों को चूमने लगी। इधर भईया मेरी चुदाई कर रहे थे और भाभी उनके होंठों को चूम रही थी। इस चुदाई के दौरान मेरी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी; फिर भैया ने भाभी को अपने से अलग किया और मेरी चुदाई की स्पीड और तेज कर दी। 4-5 मिनट की चुदाई के बाद भैया कहने लगे- मैं झड़ने वाला हूँ !

तो भाभी ने कहा- नव्या की चूत में मत झड़ना ! नहीं तो दिक्कत हो जाएगी !

तो फिर उन्होंने लण्ड को चूत से निकाला, उनकी पिचकारी छुट गई, मेरे भईया के लौड़े से निकली मलाई मेरे बदन पर आकर गिरी। भाभी ने जल्दी से उनके लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं बिस्तर में ही लेटी थी और बहुत थक चुकी थी, मेरा सारा बदन दर्द कर रहा था।

मैं उठ कर जाने लगी तो भाभी बोली- कहाँ जा रही है?

मैंने कहा- बाथरूम में?

वो बोली- क्यों?

“इसे साफ़ करने !” मैंने अपने बदन पर पड़े वीर्य की तरफ़ इशारा किया।

“अरे, यह तो मेरा है, आ मेरे पास, मैं साफ़ करती हूँ !” यामी भाभी बोली और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने पास खींच कर मेरे बदन पर गिरे भईया के वीर्य को चाट कर साफ़ कर दिया।

कुछ ही देर बाद बाहर कमरे से आवाजें आने लगी- जोर से चोदो मेरे राजा, जरा जोर जोर चोदो !

मैं बाथरूम से बाहर निकली तो देखा कि अब भैया भाभी की चुदाई कर रहे थे। मैं उनके पास जा कर बैठ गई तो भाभी ने कहा- नव्या, कैसा लगा चुदाई करवा कर? कैसा चोदते हैं ये?

तो मैंने कहा- भाभी, मुझे तो बहुत मजा आया ! भैया बहुत मजेदार चुदाई करते हैं।

मैंने कहा- भाभी, आप बहुत लकी हो जो आपको इतनी अच्छी चुदाई करने वाला पति मिला है।

फिर भैया ने कहा- नव्या, मुझे भी तुमको चोद कर मजा आ गया !

भाभी कहने लगी- और चुदाई करवाना चाहोगी क्या नव्या?

मैंने हाँ कर दी। उस रात भैया ने भाभी और मेरी चार बार चुदाई की। इसी तरह चुदाई करते करते हमें 5 बज चुके थे और हम तीनों वैसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गये। फिर सुबह 9 बजे के लगभग मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि भाभी बिस्तर पर नहीं थी और भैया मुझसे लिपटे हुए सो रहे थे।

मैंने भैया को अपने से दूर किया और अपने कपड़े ढूंढने लगी। मुझे मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने वहीं पर रखा भाभी का गाऊन ही पहन लिया और भाभी को आवाज लगाई- भाभी, कहाँ हैं आप?

तो भाभी की आवाज आई- नव्या, मैं किचन में हूँ।

मैं रसोई में गई तो देखा कि भाभी ने कोई भी कपड़ा नहीं पहना था, वो पूरी तरह नंगी थी। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुझे कमरे में मेरे कपड़े नहीं मिल रहे थे तो मैंने आपका यह गाउन पहन लिया।

फिर मैंने कहा- भाभी आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने?

तो भाभी के कहा- नव्या, अभी जब तुम्हारे भैया उठेंगे न, तो वो मेरी एक बार फिर से चुदाई करेंगे ! तो मुझे फिर कपड़े उतारने पड़ते ! इसलिए मैंने कपड़े पहने ही नहीं !

फिर भाभी ने कहा- नव्या तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए कॉफी बनाती हूँ !

मैंने कहा- हाँ ठीक है !

और मैं वही किचन में डायनिंग टेबल पर बैठ गई, फिर भाभी ने मुझे कॉफी बना कर दी और हम वहीं डायनिंग टेबल पर ही बैठ कर

बात करने लगे। भाभी मुझसे कहने लगी- नव्या, रात में कैसा लगा? सब ठीक रहा न ! तुम्हें अच्छा तो लगा न?

मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आया था !

तभी भैया की आवाज आई- यामी, कहाँ हो?

तो भाभी ने कहा- मैं यहाँ किचन में हूँ।

तब भैया रसोई में आए तो भैया ने भी कपड़े नहीं पहने थे, वो भी नंगे थे, मेरी नजर उनके लंड के तरफ गई जो छोटा सा सिकुड़ा हुआ नीचे लटक रहा था, उनके चलने से दाएं बाएं हिल भी रहा था। भैया आकर डायनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठ गए और कहा- यामी, चाय तो पिलाओ यार !

तो भाभी ने कहा- दूध तो खत्म हो गया है, मैंने और नव्या ने अभी अभी कॉफी पी ली है।

तब भैया भाभी पर गुस्सा करने लगे- तुम्हें पता है न कि मुझे सुबह सुबह चाय पीने की आदत है?

तो भाभी ने कहा- थोड़ी देर रुक जाओ ना, दूध वाला आता ही होगा, फिर बना दूंगी चाय, तब तक आप मेरा दूध पी लो !

और भाभी भैया की गोद में बैठ गई और अपने एक स्तन को भैया के मुँह में डाल दिया और कहने लगी कि इनमें बहुत सारा दूध भर गया है, तो ये भारी हो गए हैं, तुम ही दूध पीकर कुछ कम कर दो! तब भैया भाभी के चूचे को चूस कर उससे दूध पीने लगे, भाभी उनके बालों में हाथ फिराते हुए उनके सिर को अपने वक्ष में दबाती जा रही थी।

अब भैया ने अपने एक हाथ से भाभी के दूसरे उभार को दबाते हुए हाथ को नीचे लाए और उनकी चूत पर रख कर चूत को सहलाने लगे। भाभी मस्त हुए जा रही थी। फिर भैया ने अपने हाथ की दो उंगलियाँ भाभी की चूत में डाल दी। तब भाभी के मुँह से एक जोर की आआहह्ह्ह निकली और फिर भैया उंगली को चूत में आगे-पीछे करने लगे और भाभी आहें भर रही थी।

फिर बाहर दरवाजे की घंटी बजी और आवाज आई- दूध वाला !

तो भाभी ने मुझसे कहा- नव्या जाओ जाकर दूध ले लो ! मैंने कपड़े नहीं पहने हैं और तुम्हारे भैया दूध पी रहे हैं तो मैं नहीं जा सकती,

तुमने कपड़े पहने हैं तो तुम जाकर दूध ले लो !

तो मैं उठ कर दूध लेने चली गई। मैंने दूध वाले से दूध लिया और रसोई में आकर दूध को गर्म करने के लिए गैस पर रख दिया।

तो फिर भाभी ने भैया को अपने से अलग किया और कहा- बस करो, कुछ दूध मिनी के लिए भी रहने दो। सारा दूध तुम ही पी लोगे तो मैं मिनी को क्या पिलाऊँगी, मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूँ, तुम चाय पी लो।

मिनी उनकी बेटी का नाम है।

और भाभी चाय बनाने लगी, तब उनकी बेटी की रोने की आवाज आने लगी तो भाभी ने मुझसे कहा- नव्या तुम चाय बना दो, मैं मिनी को दूध पिला कर आती हूँ, उसे भूख लगी होगी।

भाभी चली गई और मैं चाय बनाने लगी। मैं चाय बना रही थी कि भैया मेरे पास आए और मुझे पीछे से ही अपने आप से चिपका लिया और मेरी कमर में हाथ डाल कर मेरी गर्दन को चूमने लगे। मुझे उनका लंड मेरे नितम्बों के बीच की दरार में महसूस हो रहा था जो कुछ हद तक खड़ा हो चुका था पर पूरा खड़ा नहीं हुआ था।

वो एहसास मुझे बहुत अच्छा लग रहा था पर मैंने भैया से कहा- छोड़ो मुझे, अभी चाय तो बना लेने दो !

मैंने उन्हें चाय बना कर दी और वो डायनिंग टेबल पर बैठ कर चाय पीने लगे, फिर मैं नाश्ते की लिए ब्रेड पर जैम लगाने लगी, तभी भैया ने अपनी चाय खत्म की और फिर से आकर मुझ से चिपक गए, कहने लगे- नव्या, तुमने यह गाउन क्यूँ पहना है? देखो मैंने और यामी ने कपड़े नहीं पहने हैं तो तुम भी उतार दो इसे ! हम तीनों घर में अकेले हैं।

और भैया ने मेरा गाउन उतार दिया। भैया ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मुझे अपने सीने से लगा कर मेरे होंठों को चूमने लगे, मेरा हाथ उनकी पीठ से होता हुआ उनके नितम्बों पर आ गया और फिर मैं अपने हाथ को सामने लाकर उनके लंड को पकड़ कर सहलाने लगी।

भैया मेरे होटों को चूसे जा रहे थे और मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर मैं उनके होंठों को चूमते हुए उनकी छाती के निप्पल को चूमने लगी और धीरे धीरे नीचे आकर मैंने भैया के लंड को अपने मुँह में ले लिया। कुछ देर मैंने भैया का लंड चूसा, फिर भैया ने मुझे उठाया और डायनिंग टेबल पर मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगे.

फिर उन्होंने मेरी चूत को डायनिंग टेबल के किनारे पर किया और खुद मेज से नीचे उतर कर मेरी चूत को चूसने लगे। भैया पूरे जोश में आ चुके थे, वो पागलों की तरह मेरी चूत को चूसे जा रहे थे, मैं आ आअह्ह अहह उइ उइ उइ करके सिसकारियाँ लेने लगी और कहने लगी- भैया, थोड़ा धीरे धीरे चूसिये, मुझे दर्द हो रहा है !

तो भैया कहने लगे- दर्द में तो मजा आयेगा नव्या मेरी जान !

फिर भाभी रसोई में आ गई, मैंने भाभी से कहा- भाभी, भैया को कहो न कि वो थोड़ा धीरे धीरे करें।

भैया ने भाभी से कहा- यामी, जरा जैम की बोतल में से थोड़ा सा जैम तो निकाल कर दो, इस ब्रेड पर लगाना है !

फिर भैया ने मेरी चूत पर जैम लगा दिया और फिर से उसे चूसने लगे। उधर भाभी भी डायनिंग टेबल के नीचे घुटनों के बल बैठ कर भैया का लंड चूसने लगी। काफी देर तक भैया मेरी चूत को चूसते रहे और भाभी भैया का लंड चूसती रही। मेरे मुँह से तो लगातार आआह्ह्ह ईइआअ आआअह्ह की सीत्कारें ही निकल रही थी।

भाभी ने लंड को जब अपने मुँह से बाहर निकाला तो भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और भाभी से कहा- चलो डार्लिंग, बेडरूम में चलते हैं।

और हम तीनों बेडरूम में आ गये। भईया ने मुझे बेड पर लिटा दिया, भाभी भी बेड पर बैठ गई और भैया फिर से मेरी चूत को चाटने लगे। भाभी ने एक हाथ मेरे वक्ष पर रखा और दबाने लगी और दूसरे हाथ को उन्होंने मेरी चूत के पास लेजा कर चूत सहलाने लगी, भैया भी चूत को चुसे जा रहे थे।

मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गई, मुझे और मजा आने लगा था। मेरे मुँह से लगातार आ आह्ह्ह्ह्ह ओआअह्ह आआम्म म्मम्म की आवाजें निकल रही थी। अब भैया को चुदाई की जल्दी थी, उन्होंने चूत पर से मुँह हटाया और मेरे पैरों को फैला दिया। मैं उनके सामने अपनी चूत खोले लेटी हुई थी.

भैया मेरे दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गए और अपने लंड का सुपारा मेरी चूत पर लगा दिया, भाभी मेरे चूचे दबा रही थी और चूत को ऊपर से सहला रही थी, मैं तो पागल हुए जा रही थी और मचल रही थी। अब भैया ने लंड का सुपारा मेरी चूत पर टिका कर एक झटका मारा तो उनका लंड मेरी चूत में थोड़ा सा अन्दर चला गया और मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली।

भाभी कहने लगी- नव्या, मजा तो आ रहा है ना?

तब मैंने कहा- हाँ भाभी, बहुत मजा आ रहा है !

फिर भैया ने एक और जोर का झटका मार कर पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। भैया मेरी चुदाई करने लगे और भाभी जो मेरे बूब्स दबा रही थी, उन्होंने अब मेरे बूब्स को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगी।

इधर भैया जोर जोर से धक्के लगा कर मेरी चुदाई कर रहे थे और मेरी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। 5 मिनट की चुदाई के बाद भाभी अपनी चूत को हाथों से फैलाते हुए खड़ी हुई और चूत को भैया के मुँह पर लगा दिया।

मैं जान गई थी कि अब भाभी को भी लंड अपनी चूत के अन्दर लेना है। इस 5 मिनट तक हुई एकधार चुदाई से मैं थक चुकी थी और मेरा पानी भी निकल चुका था। तो भैया ने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल कर भाभी को बेड पर लिटा दिया और एक झटके में ही उनका लंड भाभी की चूत में चल गया.

क्यूँकि यह लंड और चूत तो जोर के ही मित्र हैं। अब भैया भाभी को चोदने लगे और मैं भाभी की बगल में ही लेटी हुई थी तो मैंने भी भाभी के बूब्स को दबाना शुरु किया। उनके बूब्स बड़े थे, मैं बूब्स को दबा रही थी तो उनमें से दूध निकल रहा था।

भाभी ने कहा- नव्या, जोर से दबाओ इन्हें ! मुझे इनमें बहुत दर्द हो रहा है। तुम दबा रही हो तो मुझे अच्छा लग रहा है।

तो मैं भी उनके बूब्स को और जोर-जोर से दबाने लगी और भैया भाभी की जोरदार चुदाई कर रहे थे, भाभी की अब चीखें निकल रही थी, उनकी आवाजों से साफ पता चल रहा था कि वो अब क्लाइमेक्स के बिल्कुल करीब पहुँच चुकी हैं और उधर भैया की भी हालत खराब थी, उन्हें भी चरम सुख के समय किसी को जोर से भींचने की इच्छा हो रही थी.

तो उन्होंने मुझे पकड़ कर भाभी के बूब्स के ऊपर बैठा दिया, मेरे बाल पकड़ कर मुझे आगे झुका दिया और मेरे कूल्हे ऊँचे कर दिए। मेरी यह स्थिति बहुत ही उत्तेजक और शर्मनाक हो गयी थी पर मैं उन दोनों का चरम सुख बिगाड़ना नहीं चाहती थी इसलिए जैसे भैया ने चाहा, मैंने वैसे ही अपने चूतड़ उन्हें सौंप दिए।

भैया मेरे कूल्हों पर चांटे मारने लगे और उन्हें चूमने लगे। फिर जब भैया और भाभी एक साथ डिस्चार्ज हुए तो भाभी ने मेरी चूत अपने मुँह में ले ली और भैया ने मेरे चूतड़ नौंच डाले और फिर हम तीनों ही एक दूसरे पर निढाल होकर पड़ गए और काफी देर तक ऐसे ही नंगे पड़े रहे।

वो पूरी रात और सुबह मेरे लिए कमाल सेक्स और क़यामत की रही, हम तीनों ने बेशर्मी की सारी सीमाएँ लांघ दी। रात की चुदाई के बाद हम सुबह देर से सो कर उठे, 10 बज चुके थे। उठने के बाद हम तीनों फ्रेश हुए और साथ में नाश्ता किया तो लगभग 12 बज चुके थे।

तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी तो भाभी ने मुझे कहा- नव्या, जरा जाकर देखो तो, कौन आया है।

मैंने दरवाजा खोला तो बाहर भैया की ही उम्र का एक आदमी खड़ा था, मैंने उनसे पूछा- किससे मिलना है?

तो उन्होंने कहा- मुझे विकाश जी से मिलना है।

तब मैंने भैया को आवाज लगाई- भैया कोई आपसे मिलने आए हैं।

भैया ने कहा- नव्या, तुम उन्हें अन्दर बुलाओ, मैं अभी आता हूँ।

मैंने उनको अन्दर बुला कर बिठाया और मै अंदर चली गई। तब भैया बाहर हॉल में आए और उन्हें देखते ही कहा- अरे नितेश? तू यहाँ कैसे? बहुत दिन बाद मिल रहा है।

वो भैया के दोस्त थे।

नितेश- यार, मैं यहाँ काम के सिलसिले में आया हूँ तो सोचा तुझसे मिल लूँ इसलिए आ गया, और आज शाम की मीटिंग है।

भैया- चल अच्छा है, अब आया है तो यहीं रुकना। शाम को किस टाइम मीटिंग है?

नितेश- 5 बजे।

भैया- अभी तो बहुत टाइम है, तू फ्रेश हो जा और फिर खाना खाकर जाना मीटिंग के लिए।

तभी भाभी बाहर आई, नितेश ने भाभी को नमस्कार किया। तभी नितेश ने भैया से कहा- भाभी से तो मैं मिल चुका हूँ ! पर ये मोहतरमा कौन हैं?

उन्होंने मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।

तब भैया ने बताया कि यह मेरे अंकल की बेटी नव्या है। मैं भी अभी घर से बाहर था तो यह यामी से साथ रह रही थी, मैं भी तो कल ही लौटा हूँ।

तब भाभी ने कहा- मैं कुछ नाश्ता लेकर आती हूँ !

मैं और भाभी रसोई में आ गये, हम सबने थोड़ा नाश्ता किया, फिर नितेश ने भैया से कहा- यार मेरी कार बाहर खड़ी है, उसे कहाँ पार्क करना है?

तो भैया ने कहा- तू कार की चाबी मुझे दे, में कार को पार्क कर देता हूँ।

भैया ने नितेश का सामान गेस्टरूम में रखा और उनसे कहा- तुम आराम से फ्रेश हो जाओ, फिर हम खाना खाते हैं।

मेरा समान भी उसी रूम में था, मैं और भाभी दोपहर के खाने की तैयारी करने लगे। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मेरा समान भी उसी रूम में है जिस रूम में नितेश है और पूरा समान बिखरा है, मेरे कपड़े पूरे खुले पड़े हैं।

तब भाभी ने कहा- तुम जाओ और कपड़ों को समेट कर अपने बैग में भर कर मेरे रूम में लाकर रख दो।

मैं गेस्ट रूम में गई, जैसे ही मैंने गेस्ट रूम का दरवाजा खोला, मैंने देखा कि नितेश सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे, मेरे दरवाजा खोलने से उनको कुछ आवाज हुई तो वो मेरी तरफ मुड़े तो उनके हाथ में मेरी ब्रा थी। नितेश ने जैसे ही मुझे देखा तो ब्रा को वहीं नीचे फेंक दिया और मेरी तरफ आकर कहा- नव्या तुम?

तो मैंने कहा- मैं अपना सामान लेने आई हूँ।

तो उन्होंने कहा- यह तुम्हारा सामान है।

मैंने हाँ में अपना सर हिलाया और अपने कपड़े उठाने लगी। मैं चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी क्यूंकि वो सिर्फ अन्डरवीयर में थे और उनकी अन्डरवीयर में लंड का उभार काफी बड़ा लग रहा था। मैं जानबूझ कर धीरे धीरे कपड़े उठा रही थी और चोर नजरों से उनकी तरफ देख रही थी।

फिर नितेश ने कहा- नव्या, तुम अपने कपड़े उठा लो, मैं नहा कर आता हूँ।

मैंने अपने सारे कपड़े समेट लिए, मेरा मन बार बार नितेश को देखने को कर रहा था। तब मुझे याद आया कि मेरी एक ब्रा-पेंटी बाथरूम में ही है, तो मैंने सोचा कि अगर मैं वो नितेश से मांगूगी तो उसे बाथरूम का दरवाजा खोलना पड़ेगा जिससे मैं उसे देख सकती हूँ।

मैं बाथरूम के पास गई और कहा- नितेश जी, मेरे कुछ कपड़े अन्दर हैं, क्या आप मुझे वो दे दोगे?

तो नितेश ने कहा- नव्या तुम्हारे यहाँ कोई कपड़े नहीं हैं।

तो मैंने कहा- आप ध्यान से देखो, होंगे !

मैंने कहा- मेरी ब्रा-पेंटी है अन्दर, वो मुझे दे दो।

तो नितेश ने कहा- हाँ वो हैं।

और उसने बाथरूम का दरवाजा खोला और मुझे ब्रा पेंटी दी। दरवाजा खुलते ही मैंने उसकी ओर देखा तो उसने अभी भी अंडरवीयर पहनी हुई थी जो पानी से गीली हो चुकी ही और उसकेशरीर से चिपक गई थी तो उसके लंड का उभार मुझे और भी आकर्षक लग रहा था।

मेरी नजरें उस पर से हट नहीं रही थी। फिर मैंने उसके हाथ से ब्रा-पेन्टी ली और उसे अपने बैग में रख कर रूम से बाहर आकर भाभी के रूम में अपना बैग रख दिया और किचन में आकर खाना बनाने में भाभी की मदद करने लग गई।

बातों ही बातों में मैंने भाभी को बताया- भाभी जब मैं गेस्टरूम में गई तो नितेश सिर्फ अन्डरवीयर में खड़े थे और उनके हाथ में मेरी ब्रा थी, उन्होंने मुझे देख कर ब्रा को नीचे फेंक दिया, शायद मेरे अचानक वहाँ जाने से वो घबरा गए थे तो उन्होंने ब्रा को नीचे फेंक दिया था और फिर वो बाथरूम में चले गये पर भाभी, मैं उन्हें सिर्फ अंडरवीयर में देख कर उनकी तरफ आकर्षित हो गई थी, वो मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे, उनका लंड उनकी अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था।

तब भाभी ने मुझे ऐसे ही कहा- क्यूँ नव्या, नितेश से भी चुदाई करवाने का मन कर रहा है क्या?

तो मैंने भाभी से कहा- क्या भाभी, आप भी कुछ भी बोल रही हो? कल ही तो मैंने भैया के साथ चुदाई की थी।

तभी भाभी ने कहा- नव्या अगर तुम्हारा मन नितेश से भी चुदवाने का कर रहा हो तो बता दो, मैं तुम्हारे भैया को कह दूँगी तो वो उसे नितेश से कह देंगे ! वैसे भी वो नितेश भी कम नहीं है, जहाँ लड़की देखी नहीं कि उसे चोदने के सपने देखने लगता है। तुम्हारे भैया ने मुझे बताया है उसके बारे में ! मुझे तो लगता है कि शायद वो तुम्हें चोदने का सपना देख ही रहा होगा इसलिए वो रूम में सिर्फ अंडरवीयर में था और तुम्हारी ब्रा उसके हाथ में थी।

फिर भाभी और मेरी ऐसे ही बातें होती रही। खाना बन चुका था तो भाभी ने मुझे कहा- नव्या तुम इसे डाइनिंग टेबल पर लगाओ, मैं अभी आती हूँ !

और भाभी अपने रूम में चली गई, मैं डाइनिंग टेबल पर खाना लगाने लगी। खाना लगाने के बाद जब मैं भाभी के रूम में जाने लगी तो मैंने भैया और भाभी को बात करते सुना, भाभी भैया से कह रही थी- नव्या जब गेस्ट रूम में अपने कपड़े समेटने के लिए गई थी न, तो नितेश वहाँ सिर्फ अंडरवीयर में था और उसके हाथ में नव्या की ब्रा थी.

यह बात मुझे नव्या ने बताई, और वो कह रही थी कि उसका लंड अंडरवीयर में काफी बड़ा लग रहा था और नव्या को वो बहुत आकर्षित लग रहा था, और जब मैंने नव्या से पूचा कि क्या तुम उससे चुदना चाहती हो तो उसने मुस्कुरा कर बात को टाल दिया, मुझे तो लगता है कि नितेश भी कहीं नव्या को चोदने की फ़िराक में तो नहीं है?

तो भैया ने कहा- हाँ हो सकता है ! फिर मैं रूम के अंदर गई और भैया भाभी को कहा- चलो, मैंने टेबल पर खाना लगा दिया है ! तो भैया ने कहा- चलो, मैं नितेश को बुला लाता हूँ ! भैया चले गए और हम भी किचन में आ गए। मैंने भाभी से कहा- भाभी, आपको यह बात भैया को बताने की क्या जरुरत थी? मैंने आपकी बातें सुन ली हैं ! तभी भैया और नितेश भी आ गए। हमने खाना खाया, खाना खाने के बाद नितेश और भैया तो हॉल में जा कर टीवी देखने लगे.

और इधर भाभी और मैं टेबल को साफ करने लगे। उसके हम दोनों रूम में चले गए, वहाँ भाभी ने फिर मुझसे कहा- नव्या, तुम्हें नितेश अच्छा लगा न? तो मैंने बात को पलटते हुए कहा- भाभी मैं अभी आती हूँ। मैं जब रूम से बाहर आई तो मैंने हॉल में नितेश और भैया की फिर बातें सुनी। भैया और नितेश क्या बाते कर रहे थे, क्या नितेश मेरी गरम चूत में अपना लौड़ा घुसना चाहता है, ये सब जानने के लिए आप सभी कहानी का अगला भाग पढ़े…

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