मासूम अंकिता का घर टूटने से बचाया उसे चोद कर

मैं अखिलेश गोरखपुर से हूँ। मैं पेशे से एक प्राइवेट नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 30 साल है और मैं शादीशुदा हूँ। सो ज्यादा वक्त खराब न करते हुए सीधा आज की कहानी पे आते है। मेरी पड़ोसन अंकिता थी और 3 साल से शादीशुदा थी। लेकिन अब किसी वजह से मायके में ही रह रही थी। उसकी उम्र यही कोई 24 वर्ष होगी। Hot Fuck Desi

वो पूरे मायके परिवार की लाड़ली जो थी। उसकी शादी बड़ी धूम धाम से दिल्ली में हुई थी। उसके सुसराल में किसी भी चीज़ की कमी नही थी। एक कमी थी वो थी के उसका पति बेवड़ा टाइप का था। दारू पीकर मारता, पीटता था। इन 3 सालो में वो एक बार भी पेट से नही हुई।

उसके सुसराल वालो ने उसे बहुत से डॉक्टरों को दिखाया पर हर बार रिपोर्ट नार्मल आती। एक दिन अंकिता ने अपने पति से कहा,” यदि आप बुरा न मानो तो इस बार मेरी जगह अपना चेकअप करवाके देखलो। हो सकता है कमी आप में हो और हम पैसा मेरे चेकअप पे खर्च कर रहे हो। उसकी इतनी सी बात उसको अपनी “मर्दानगी पर वार” की तरह लगी और गन्दी गन्दी गालिया देकर उसे पीटने लगा और उसे घर से निकाल दिया।

अब अंकिता बेचारी अपने माँ बाप के पास आकर मायके में ही रहने लगी। सुसराल वालो ने यहां तक बोल दिया के औलाद होगी तो ही वहां रहने देंगे वरना यही रहे। लोगो ने बहुत समझाया लेकिन उसके सुसराल वालो के कान पे जूं न सरकी। मन मारकर वो बेचारी मायके में ही रहने लगी और ये सब बाते अंकिता से ही मुझे पता चली।

वो अपना जीवन व्यापन करने की खातिर पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। एक दिन क्या हुआ अंकिता की माँ उसे किसी जानकार डॉक्टर के पास लेकर गयी। डॉक्टर ने भी हर बार की तरह साफ बोल दिया क ये बिलकुल नॉर्मल है। इसके पति का चेकअप करवाओ।

अब ये बात उन्हें बोले तो कौन, क्योंके इसी बात के लिए तो उन्होने अंकिता को घर से निकाला था। वो बेकसूर ही सज़ा काट रही थी। एक दिन अंकिता बाज़ार गयी हुई थी तो उसे वहां डिंपल (मेरी बीवी) मिल गई। पड़ोस की होने की वजह से अच्छी जान पहचान थी। सो दोनो बाते करती ऑटो से घर पे आ गयी।

रात को मुझे डिंपल ने बताया के अंकिता की सारी रिपोर्ट नॉर्मल है। वो बेचारी खामखा ही जुदाई का दर्द झेल रही है. चाहे मुझे ये सब पहले से पता चल गया था। लेकिन मैंने एक बार भी ऐसे व्यक्त नही किया के मुझे सब पता है। फिर एक दिन मैं अपने बेटे आशु को अंकिता के यहां ट्यूशन छोड़ने गया।

उस वक्त वहां एक भी बच्चा नही आया था। तो अंकिता ने बोला के आप थोड़ी देर बैठ जाओ, क्योंके आपके बेटे को मैं अच्छी तरह से जानती हूँ। वो बड़ा शरारती है। ये यहाँ अकेला नही रुकेगा। जब 1-2 बच्चे आ जाये तब चले जाना।

मुझे उसकी बात जच गई और मैं उसके पास ही पड़ी दूसरी कुर्सी पे बैठ गया। यहां वहां की बातो के बाद हम उसके सुसराल की बात करने लग गए। मैंने भूमिका बांधते हुए ऐसे ही पूछ लिया। तो अंकिता फिर कब जा रही हो सुसराल? मेरी बात सुनकर वो थोडा उदास सी हो गयी और बोली, अब तो अखिलेश जी शायद ही जा पाऊ। क्यूकि न उनकी डिमांड पूरी होगी न मैं जा सकूँगी.

मैं – कैसी डिमांड अंकिता?

वो – आपको नही पता क्या?

मुझे चाहे सब पता था लेकिन फिर भी मैं उसके मुंह से सुनना चाहता था।

उसने बताया के जब तक मैं पेट से न होउंगी, तब तक तो नही जा सकती। अब आप ही बताइये ये कैसे सम्भव है? मेरा पति अपना इलाज़ करवा नही रहा। मेरी सब रिपोर्ट्स नॉर्मल है। तो इस हालात में कैसे माँ बन सकूँगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं – मेरे पास तुम्हारे सवाल के 2 जवाब है। अगर आज्ञा दो तो पेश करू।

वो – हांजी, आज्ञा क्यों मांग रहे हो। मैं कोई परायी थोड़ी न हूँ। आपके बीच में ही रहकर पली बड़ी हूँ। आप बोलो जो बोलना चाहते हो।

मैं – देखो अंकिता तुम्हारा दर्द मुझसे देखा नही जा रहा। तुम मुझे गलत न समझना प्लीज, मुझे तुम पर बहुत दया आ रही है। मेरी मानो तो एक बच्चा गोद ले लो या…

वो – या का क्या मतलब, मैं समझी नही?

मैं – अब कैसे बोलू, बोलने का दिल भी कर रहा है पर हिम्मत नही हो रही बोलने की? क्या पता आप बुरा ही न मान जाओ।

वो – नही नही आपका बुरा क्यों मानना। आप बोलो जो दिल में है।

मैं – या फिर किसी जान पहचान वाले से गर्भ ठहरालो।

मेरी बात सुनकर उसको एक दम झटका सा लगा। मैंने एक बार फिर सॉरी बोला। मेरा ये कहने का मकसद तुमसे फ्लर्ट करना नही है। बस महज़ एक दोस्त समझ लो, राय दी है।

मेरी बात सुनकर कुछ पल के लिए वो शांत सी हो गयी। फिर बोली, “ये ख्याल मेरे दिल में बहुत बार आया है। लेकिन ऐसा कोई भरोसे वाला इंसान कहाँ मिलेगा।”

हम ये बाते कर ही रहे थे के दो लोग और अपने बच्चो को छोड़ने आ गए तो हमने समय की नज़ाकत देखते हुए बात बदल ली और मैं घर आ गया। फिर 2 दिन बाद जब फिर अपने बेटे को उसकी ट्यूशन क्लास में छोड़ने गया तो अंकिता ने मुझसे मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया। घर पे आकर मैं सामान लेने बाज़ार चला गया। वहां जाकर एक नए नम्बर से मुझे कॉल आया। जब मैंने उठाया तो सामने से एक जानी पहचानी सी आवाज़ आई। हलो, क्या मैं अखिलेश जी से बात कर सकती हूँ।

मैं – हांजी, अखिलेश ही बोल रहा हूँ। आप कौन, माफ़ करना आपको मैंने पहचाना नही?

वो – बस भूल भी गए, रोजाना तो हम ट्यूसन क्लास में मिलते है। मैं आशु की मैडम बोल रही हूँ।

मैं – अच्छा, आप अंकिता हो!

वो – जी हाँ, शुक्र है, आपने पहचाना तो सही।

मैं – हांजी फरमाइए कैसे याद किया। बाजार गया हूँ, कुछ मंगवाना था क्या?

वो – जी नही, मेने आपकी बात को रात भर सोचा और विचार किया के आप मुझे वो इंसान ढूंढकर दो। जिसपे भरोसा कर सकू। जो मेरी इज्जत पे भी आंच न आने दे। आप समझ रहे हो न मैं क्या कहना चाह रही हूँ?

मैं – जी, जी सब समझ में आ रहा है। आप टेन्शन न लो समझ लो आपका काम हो गया।

वो – कोई गाय, बछड़ा नही लेना के समझो मिल गया। मैं एक अच्छी पर्सनैल्टी वाले शख्स का साथ चाहती हूँ। जो मुझे प्यार, इज़्ज़त भी दे और मेरी सूनी झोली भी भर दे। सच पूछो तो मुझे आपकी डिटो कॉपी चाहिये। दूसरे सरल शब्दों में क्या आप मेरा ये काम करोगे?

एक दम खुला सेक्स का न्यौता, मेरी जगह आप भी होते तो मना न कर पाते। मैंने उसे थोडा सोचने का समय लिया। फिर अगले दिन जब आशु को ट्यूशन छोड़ने गया तो आंखो के ईशारे से उसने मेरी राय जाननी चाही। मैंने भी आखे झुका के हाँ का जवाब दिया। अब मुश्किल थी तो जगह की, के इस काम को कहाँ अंजाम दिया जाये। एक दिन मैं दफ्तर से आकर घर पे आकर बैठा ही था तो मेरी बीवी कही रिश्तेदारी में जाने को तैयार हो रही थी। इतने में अंकिता भी आ गयी। उसने अनोखे तरीके से मुझे आँख मार कर हलो कहा।

फिर मेरी बीवी के गले मिली। मेरी बीवी ने हमारे लिए चाय बनाई और अपनी ट्रेन निकल जाने के डर से बोली, “आप लोग बाते करो, मैं जा रही हूँ। कल को वापिस आ जाउगी। अच्छा हुआ अंकिता भी आ गयी। ऐसा करना अंकिता शाम को आकर इनके लिए 3-4 रोटिया सेक देना। सब्ज़ी वगैरा फ्रीज़ में ही पड़ी है।”

वो – ठीक है, दीदी आप बेफिक्र होकर जाओ, मैं समय पे आकर खाना बना लूँगी।

मैंने बोला, “चलो डिंपल स्टेशन तक बाइक तक छोड़ आउ।”

वो बोली, “नही नही आप रहने दो। आप दोनों बाते करो, मैं खुद चली जाउगी। वैसे भी ट्रेन आने में अभी 20 मिनट पड़े है। तब तक तो पहुंच ही जाउगी। स्टेशन यहां पास ही तो है।”

इतना बोलकर वो और आशु घर से स्टेशन की और निकल गए। अब हम घर पे दोनो अकेले रह गए। मैंने उसे इशारे से पूछा, “क्या सोचा फिर?”

वो – अब भी नही समझे, कैसे बुध्धू किस्म के इंसान हो आप भी?

मैं – समझ तो गया लेकिन फिर भी अपने मुंह से बोलो।

वो – मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो, प्लीज़, आपका ये एहसान मेरी जिंदगी बदल देगा। मैं दुबारा घर गृहस्थी वाली बन सकूँगी। इसके लिए जो कहोगे करने को तैयार हूँ। बस एक बार इस सूनी कोख में औलाद का बीज डाल दो।

मैंने उसे शाम को यही आने का कह दिया, क्योंके दिन का वक्त होने की वजह से कोई भी घर पे आ सकता था। वो रात का वादा लेकर अपने घर चली गयी। इधर मैं भी शहर आकर मेडिकल से अच्छी सी ज्यादा समय लगाने वाली दवाई वही खा ली, और बियर की बोतल लेकर घर आ गया।

उधर अंकिता ने भी अपने घर पे बोल दिया के अखिलेश के घर पे आज अखिलेश नही है, वो आफिस के काम से बाहर गया है। तो उसकी बीवी घर पे अकेली है। आज मैं वहां उसके पास सोऊँगी। घर वालो ने भी आने की इजाजत दे दी। जब थोडा अँधेरा हुआ तो वो मेरे घर पे आ गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

उसने मुझसे खाने पीने का पूछा तो मैंने उसे हम दोनों का खाना बनाने को कहा। उसनें जल्दी से रोटिया सेंक दी और फ्रीज़ में रखी सब्ज़ी भी गर्म करके टेबल पे ले आई। हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और हल्का हल्का बियर का भी सेवन किया। उसने पहले कभी बियर को पिया नही था तो या डर से कही ज्यादा नशा न हो जाये, वो बड़ी मुश्किल से एक दो पेग ही लगा पाई।

वो भी इस मकसद से के ऐसा करने के शायद उसे शर्म न आये और वो बेशर्म होकर सेक्स का मज़ा ले सके। हमने खाना खत्म किया और हम मेरे बेडरूम में चले गए। एक तो गोली का नशा और एक बियर का नशा, उपर से कच्ची कली सी लड़की मेरे साथ बैठी थी। मैंने पहले उसे बेड पे लिटाया और उसके होंठो का रसपान किया।

अजनबी होने की वजह से पहले उसे थोडा अजीब लगा। परन्तु जब उसे ही मज़ा आने लगा तो वो मेरा साथ देने लगी। उसने हमारे हालात को मद्देनजर रखते हुए खुद ही अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मुझे भी इशारे से खड़ा होकर निवस्त्र होने का इशारा किया। देखते ही देखते मैं भी एक दम नंगा हो गया।

अब हम दोनों एक दूसरे को बाँहो में लेकर चूमने चाटने लगे। बियर के नशे में वो आज कुछ ज्यादा ही अडवांस चल रही थी। मेरे बिन बोले ही उसने मुझे लेटने का इशारा किया और मेरी टाँगो की तरफ से ऊपर आकर मेरे लण्ड को मुठी में लेकर सहलाने लगी।

उसके हाथ का जादू कहलो या दवाई का, 1 -2 मिनट में ही नागराज अपनी नींद से जाग गए और लगे मारने फुंकारे। उसने बिन समय गंवाए उसे मुंह में लिया और एक हाथ से पकड़कर लगी अपना सिर आगे पीछे करने। सच पूछो तो इतना मज़ा सेक्स में मुझे कभी नही आया। जितना आज आ रहा था।

अब मेरा लण्ड उसके थूक से सन गया था। अब मैंने उसे निचे लेटने को कहा। वो बोली थोडा रुक जाओ अभी मेरा दिल नही भरा है। जब भर जायेगा बता दूगी। तब तक आप आराम से लेटे रहो और मुझे अपना काम करने दो। मैंने भी उसकी मर्ज़ी के आगे हाथ खड़े कर दिए।

जब मुझे लगा के मेरा वीर्य निकलने वाला है तो मैंने उसे हट जाने का बोला। लेकिन वो काम में इतनी मगन थी के उसने मुंह मेरे लण्ड से हटाया नही और गटा गट सारा वीर्य पी गयी और आखरी बून्द तक चाटकर साफ करदी। फिर बोली,” अब बोलो क्या बोल रहे थे। अब दिल भरा है।

मैंने उसे लेटने का इशारा किया। वो बोली, “मैं चुदने के लिए तड़प रही हूँ। आप फालतू का समय इस फोरप्ले में व्यर्थ कर रहे हो। अब आप ये कहोगे के मुझसे अपनी चूत चटवाओ। तो उसके लिए जरा सा भी समय नही है। आप ऐसे करो बस अपना मूसल पेल दो बस और गर्म गर्म वीर्य से मेरी चूत सींच दो।”

मैंने इस बार भी उसकी मर्जी को अहमियत दी और उसकी टांग उठाकर कंधे पे रख ली और अपना अपना तना हुआ लण्ड उसकी चूत रस से सनी चूत के मुंह पे लगाकर रगड़ने लगा। जिस से वो मचलने लगी और गिड़गिडा कर लण्ड पेलने की विनती करने लगी। अब मैंने भी जरा सी पीठ पीछे करके हल्का सा झटका लगाया तो मेरे लण्ड का सुपाडा उसकी चूत में हल्का सा धंस गया।

जिस से उसकी पीड़ा का उसके मुह के हाव भाव से पता चल रहा था। फिर जब वो थोड़ी नॉर्मल हुई मेने फिर हल्का सा धक्का दिया। इस बार आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। काफी समय बाद सेक्स करने की वजह से शायद उसकी चूत टाइट हो गयी थी। इस लिए उसे ज्यादा दर्द महसूस हो रहा था।

उसने दबी सी आवाज़ में कहा, “आप मेरे दर्द की परवाह न करो, आप अपना काम करते रहो।”

मैंने अपना काम जारी रखा और इस बार के झटके से पूरा जड़ तक लण्ड अंकिता की चूत में घुस गया। दर्द की वजह से उसके आंसू निकल आये पर ममता में अंधी वो सब दर्द झेल गयी और मुझे ऊपर लेटकर कमर हिलाने का इशारा किया। मानो अब मेरा भी लण्ड दहकती भट्ठी में जा घुसा हो अंदर से गर्मी की वजह से जलन हो रही थी।

अब मैंने भी ऊपर लेटकर कमर हिलानी चालू करदी। मैं भी उसके होंठ चूसता, कभी उसके मम्मे तो कभी कान की पेपड़ी। इस पे वो ज्यादा मज़े में आकर निचे से गांड हिलाकर लण्ड लेने लगती। हमारी आधे घण्टे ही चुदाई में वो 3 बार झड़ गयी और मैं उसकी चूत में 2 बार झड़ा।

हमने थोडा आराम किया और आधी रात को 1 बजे एक राउंड फिर लगाया। इस बार भी मैंने अपना वीर्य अंकिता की चूत में ही छोड़ा। फिर हमने 2 घण्टे आराम करके 3 बजे फिर एक राउंड लगाया कुल मिलाकर वो बहुत ही मज़ेदार रात थी। अगले दिन जब बियर का नशा उत्तरा तो वो शर्म के मारे आँखे ही मिला नही रही थी। वो झट से उठी और कपड़े पहने और मुझे ही पकड़े पहनने का बोलकर खुद किचन में चाय बनाने चली गयी। जब चाय बनकर तैयार हो गयी तो वो बेडरूम में ही ले आई। हमने मिलकर चाय पी और उसने मुझे कई बार थैंक्स बोला।

मैंने उसको गले लगाकर सब ठीक हो जाने का भरोसा दिया। फिर वो बर्तन सम्भाल कर अपने घर चली गयी। करीब 9 बजे वो मेरे लिए अपने घर से खाना बनाकर लाई। इतने में मेरी बीवी भी रिश्तेदारी से आ गयी। तकरीबन हफ्ते बाद अंकिता ने फोन पे अपने गर्भवती होने का शुभ समाचार सुनाया। बाद में सुनने में भी आया के उसका पति उसको आकर ले गया और अब वो एक बेटी की माँ बन गयी है। अब वो अपनी ज़िन्दगी में बहुत खुश है और जब भी मिलती है तो बड़ी ख़ुशी से मिलती है।

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