मेरा नाम लालू है। ये बात कोई पाँच साल पहले की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। मेरा बदन एकदम गठीला हुआ करता था। मैं अपने गाँव से पढ़ाई पूरी करने के लिए दिल्ली आया था। उस वक्त मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे, इसलिए मैं पढ़ाई के साथ-साथ कोई काम भी ढूंढ रहा था। Naukar Malkin Chudai Kahani
मुझे एक अमीर परिवार में नौकर का काम मिल गया। मैं वहाँ साफ-सफाई और गाड़ी धोने का काम करता था। मेरी उम्र को देखते हुए मुझसे ज्यादा काम नहीं लिया जाता था, और मेरा पूरा ध्यान रखा जाता था। उस परिवार में सिर्फ पाँच लोग थे:
साहब – राजीव सक्सेना, जो एक कॉलेज में प्रोफेसर थे; मेमसाहब – दिशा, जो एक गृहिणी थीं और उन्हें पार्टियों में जाने का बहुत शौक था; बड़ा बेटा – कुनाल, जिसका अपना बिजनेस था और वह ज्यादातर दिल्ली से बाहर रहता था; बड़ी बेटी – शनाया, जो कॉलेज में पढ़ती थी; और छोटी बेटी – वामिका, जो 12वीं कक्षा में थी। घर में मेरे अलावा एक महाराज रामू था, जो खाना बनाता था, और एक ड्राइवर था।
दोनों बहनें बहुत आकर्षक थीं; बड़ी जितनी चंचल थी, छोटी उतनी ही समझदार। एक दिन की बात है, जब साहब एक हफ्ते के लिए बेंगलुरु गए थे। उस समय घर में सिर्फ मैं, मेमसाहब और ड्राइवर थे। मेमसाहब ने ड्राइवर और महाराज को किसी काम से बाहर भेज दिया था।
मैं अपना कुछ काम कर रहा था, तभी मेमसाहब ने मुझे आवाज लगाई। मैं काम छोड़कर उनके कमरे में गया, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। मैंने फिर मेमसाहब को आवाज दी, तो उन्होंने मुझे बाथरूम में बुलाया। मेरा दिल धड़क रहा था। मैं हिम्मत करके बाथरूम में गया, तो देखा कि मेमसाहब बाथटब में थीं, उनके चेहरे पर साबुन लगा हुआ था।
उन्होंने कहा, “लालू, मेरी पीठ पर साबुन लगा दो।” मैंने साबुन लगाना शुरू किया, तभी मुझे अहसास हुआ कि उन्होंने कुछ नहीं पहना था। मेरा दिमाग गरम हो गया, और मैं जल्दी-जल्दी साबुन लगाने लगा। अचानक मेरा हाथ उनके सीने से जा टकराया।
मैंने तुरंत हाथ पीछे खींच लिया और उनकी पीठ पर साबुन लगाने लगा। तभी मेमसाहब ने कहा, “लालू, जरा मेरी छाती पर भी थोड़ा साबुन लगा दो।” मैं और क्या चाहता था! मैंने तुरंत उनकी छाती पर साबुन लगाना शुरू किया। उनके स्तन इस उम्र में भी एकदम सख्त और गोल थे, जैसे संतरे।
मैं धीरे-धीरे दबाने लगा। तभी मेरे लंड से एक पिचकारी मेरी निकर में छूट गई, और वह छोटा हो गया। अचानक मेमसाहब ने मुझे पकड़कर बाथटब में खींच लिया और मेरे होंठ चूसने लगीं। वह इतनी जोर से चूस रही थीं कि मेरे होंठों से खून निकलने लगा।
मुझे भी धीरे-धीरे मजा आने लगा, और मैं भी उनके होंठ चूसने लगा। करीब पाँच मिनट तक हम एक-दूसरे के स्तनों को दबाते रहे। वह सिसकारियाँ भरने लगीं, “आह्ह्ह… आह्ह्ह…” फिर मैंने उनकी चूत को छुआ, तो वह और मस्त हो गईं। मैंने उनके पैरों को फैलाया और उनकी चूत को चूमने लगा।
वो सिसकने लगी अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह रे उररररर आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आआआआआ हाय रे मर जाआआओगी धीरे धीरे दबाओ मेरे राजा आखिर मैं खुल ही गया मैं जोओओररर से ओह्ह्ह्हह आह्ह्हह्ह हाय्यय्य्य रे दबाओ मेरे शेर अह्ह्हह्ह्ह्हाह आआआह्ह्ह्ह. वो झड़ गई. मैंने उसके पैरो को दूर दूर फैला दिया.
कुछ देर बाद महाराज वापस आ गया। मेमसाहब ने मुझसे कहा, “आज रात को मेरे कमरे में आना, मैं तुम्हें और मजा दूँगी। महाराज से नजर बचाकर आना, और किसी को इस बारे में मत बताना।” रात को करीब 11:30 बजे मैं उनके कमरे में गया। वह पूरी तरह नग्न लेटी हुई थीं, एक हाथ से अपनी चूत में उंगली कर रही थीं और दूसरे हाथ से अपने स्तनों को सहला रही थीं।
मुझे देखते ही वह मस्त हो गईं और तुरंत मुझे भी नग्न कर दिया। फिर वह मुझे चूमने लगीं। कुछ देर बाद उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। मुझे बहुत मजा आ रहा था। अचानक मेरा सारा वीर्य उनके मुँह में निकल गया, और उन्होंने उसे चाट लिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने उनके नितंबों पर हाथ फेरा; उनके नितंब काफी सख्त और सुडौल थे। मैं स्वर्ग का आनंद ले रहा था। मेमसाहब ने अपनी आँखें बंद रखी थीं। उनकी चूत अभी सूखी थी और मेरे लंड को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी। मैंने एक मिनट तक अपने लंड को उनकी चूत और नितंबों पर फेरा।
फिर मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उनकी चूत के मुँह पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। लंड फिसलकर एक तरफ हट गया। फिर मेमसाहब ने अपने हाथ से लंड को उनकी चूत के मुँह पर लगाया और कहा, “अब मारो धक्का।” मैंने जैसे ही धक्का दिया, आधा लंड उनकी चूत में घुस गया।
वह धीरे से चीखीं श्ह्ह्हह्ह्ह। दूसरे धक्के में पूरा लंड उनकी चूत में था। लंड पूरा घुसने के बाद मैं रुका और उनके स्तनों को पकड़कर मसलने लगा। मैं उन पर पूरी तरह झुका हुआ था, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में था। मेरा पेट उनके गोल-मटोल नितंबों से सटा हुआ था।
उनके निपल्स को अपनी उंगलियों से मसलते हुए मैं अपने लंड को उनकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मेमसाहब मेरे हर धक्के पर सिसकारियाँ भर रही थीं ऊऊऊह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्होओओओओह्ह्ह्हह्ह आआआअह्ह्ह्ह। साथ ही वह भी धीरे-धीरे कमर हिला रही थीं। मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने उनसे पूछा, “मेरी रानी, कैसा लग रहा है?”
वह बोलीं, “बहुत मजा आ रहा है। छह महीने बाद आज मेरी चूत को प्यार मिला है। बोलो मत, सिर्फ चुदाई करो। मेरी चूत को आज फाड़ डालो। क्या शानदार लंड है तुम्हारा!”
दो मिनट बाद मेमसाहब ने कहा, “लालू, मेरे राजा, तेज-तेज करो, और तेज…” कहते हुए वह अपनी कमर को आगे-पीछे करने लगीं। अगले ही पल वह झड़ गईं, जिसका अहसास मुझे उनकी काँपती देह से हुआ। जैसे मेरे लंड ने उनकी देह में करंट सा फैला दिया हो।
झड़ने के बाद वह बोलीं, “छह महीने बाद लंड का स्वाद मिला है। सारा उत्साह इकट्ठा हो रखा था। तुम्हारे लंड से दो मिनट में ही मस्ती सी आ गई, और मैं स्वर्ग में पहुँच गई। मेरे राजा, क्या तुम मुझे रोज यही सुख दोगे? मैं तुम्हारी दासी बनके रहूँगी।”
मैंने कहा, “हाँ, मेमसाहब, मैं रोज तुम्हारी इस प्यारी सी चूत को अपने लंड से सुख दूँगा।”
ये कहते हुए मैंने अपनी रफ्तार तेज कर दी, क्योंकि मेरे लिए उनकी चूत नई थी, और मैं भी झड़ने के कगार पर था। उनकी चूत का पानी छूट चुका था, इसलिए वह बहुत नरम हो गई थी। मेरे हर धक्के पर “फच…फच” की आवाज आ रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने पूछा, “मेमसाहब, मैं झड़ने वाला हूँ, बाहर झड़ूँ या…”
मेरी बात पूरी होने से पहले ही वह बोलीं, “प्लीज… मेरी चूत से लंड बाहर मत निकालना। झड़ना है तो मेरी चूत में ही झड़ जाओ, और मेरी चूत को गरमागरम पिचकारी से नहला दो।” मेरे लंड से निकला वीर्य उनकी चूत को सुख देने लगा। वह जोर-जोर से अपनी कमर को आगे-पीछे कर रही थीं। मैंने लंड बाहर निकाला और उन्हें खड़ा किया। मेरा लंड लाल हो चुका था, और उसकी खाल फटने से खून भी निकल रहा था। मेमसाहब ने अपनी नाइटी से उसे साफ किया और घुटनों के बल बैठकर उसे अपने मुँह में ले लिया। वह एक मिनट तक उसे अंदर-बाहर करती रहीं।
मेरा लंड, जो अब तक छोटा हो गया था, फिर से सख्त हो गया। मैंने उनके होंठों में अपने होंठ डालकर चूमना शुरू किया और उनकी चूत में खड़े-खड़े ही लंड डालने की कोशिश की। मेमसाहब ने कहा, “नहीं, अभी नहीं। कुछ देर रुक जाओ, थोड़ा आराम कर लो।” अपने वादे के मुताबिक, मैंने उन्हें करीब एक घंटे तक जी भरकर चोदा। उस रात मैंने पहले उनके मुँह में अपना लंड दिया, फिर घोड़ी बनाकर दो बार बहुत ही जोरदार तरीके से चोदा। वह चार बार झड़ीं, और मैं दो बार। इस तरह हम करीब सात-आठ दिनों तक चुदाई करते रहे, और किसी को पता भी नहीं चला।
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