मैडम के हिप्स काफी चौड़े और मोटे थे

यह बात तब की है जब मैं 12 क्लास में था. मैं इंग्लिश के सब्जेक्ट में थोड़ा वीक था. हमारी इंग्लिश मैम का नाम वीना था. वो एक साउथ इंडियन थी. उनकी एज करीबन 40 साल थी. वो कुछ मोटी थी ख़ासकर उनके हिप्स काफ़ी मोटे थे. उनके ब्रेस्ट भी काफ़ी बड़े और भारी थे. Sexy Tamil Teacher XXX

वो एक टिपिकल इंडियन वोमेन लगती थी. 11 क्लास में मेरे इंग्लिश में बहुत कम मार्क्स थे इसीलिए मैने सोचा के 12 में आते ही इंग्लिश पर ज़्यादा ध्यान दिया जाए. 12 क्लास की समर वेकेशन से एक दिन पहले मैने छुट्टी में वीना मैम को अप्रोच किया.

गुड आफ्टरनून मैम”.

गुड आफ्टरनून अर्जुन”.

“मैम, आइ नीड सम गाइडेन्स”.

“या”.

“मैम, एज यू नो, माइ स्कोर इन इंग्लिश हैज नोट बीन वेरी गुड इंप्रेस्सिव इन 11”.

“यस , आइ नो दट ठाट ईज़ व्हाई आइ कीप टेल्लिंग यू टू वर्क हार्ड”.

“यस..मैम आइ डू नोट वॉंट टू रिपीट दा सेम रिज़ल्ट इन माइ बोर्ड एग्ज़ॅम्स”.

“सो यू हॅव फाइनली अवेकन..अट्लस्ट”.

“यस मैम…आइ नो दट आइ विल हॅव टू वर्क हार्ड. आंड आइ आम रेडी फॉर इट.. बट मैम आइ डू नो हाउ टू गो अबौट इट.. आइ मीन माइ बेसिक्स आर नोट स्ट्रॉंग अट ऑल.. सो मैम इफ़ यू कॅन गाइड मी फ्रॉम वहेरे टू स्टार्ट”.

“डेफनेट्ली अर्जुन. आइ आम योर टीचर आंड इट्स माइ ड्यूटी टू गाइड यू…यू डू वन थिंग यू टेक माइ फोन आंड एड्रेस एंड रिंग मी आफ्टर आ वीक”.

“ओके..थ्न्क्स मैम”.

फिर मैने मैम का फोन नंबर और एड्रेस ले लिया. एक हफ्ते बाद मैने मैम को फोन किया.

“हेलो, क्या वीना मैम से बात कर सकता हूँ?”

“बोल रही हूँ”.

“मैम, मैं अर्जुन बोल रहा हूँ..मैम आपने कहा था की एक हफ्ते बाद फोन कर लेना”

“हाँ याद है. फोन पर तो तुम्हारी प्राब्लम डिसक्स कर पाना मुश्किल है…तुम एक काम करो कल शाम 5 बजे मेरे घर आजओ..तभी तुम्हारी प्राब्लम डिसकस कर लेंगे…ठीक है”.

“ओके मैम..बाइ.”

“बाइ”

फिर अगले-ही दिन मैं शाम 5 बजे मैम के घर गया. मैने बेल बजाई और मैम ने दरवाज़ा खोला.

“हेलो मैम”.

“हेलो अर्जुन..आओ..अंदर आओ..बैठो.एड्रेस ढूँदने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई”.

“थोड़ी सी..क्योंकि मैं इस कॉलोनी में पहले कभी नहीं आया”.

“चलो..खैर.क्या लोगे.चाइ..कॉफी..कोल्डद्रिंक.”

“नोथिन्ग मैम.कुछ नहीं”.

“शरमाओ मत..तुम्हे कुछ ना कुछ तो लेना ही पड़ेगा”.

“ओके.कॉफफफी”.

“बस अभी लाती हूँ”.

फिर मैम कॉफी ले आई.

“ह्म.लो अर्जुन..कॉफी लो”.

“थॅंक्स”.

“बिस्कुट भी तो लो”.

“नहीं मैम, इसकी ज़रूरत क्या”.

“अर्जुन तुम बहुत शाइ लड़के हो..खैर हमने क्या बात करनी थी”.

“मैम आपको तो पता ही है कि मेरे इंग्लिश मे कैसे मार्क्स आते हैं”.

“ह्म..मेरे ख़याल से तुम्हारे 11थ क्लास में 50 से ज़्यादा मार्क्स नहीं आए”.

“यस मैम….और हाइयेस्ट मार्क्स 95 तक आते हैं..मैम मैं चाहता हूँ कि मेरे भी 90+ आए”.

“बिल्कुल आ सकते हैं.लेकिन उसके लिए तुम्हे काफ़ी हार्डवर्क करना पड़ेगा..क्या तुम करोगे”.

“यस मैम, मैं हार्डवर्क करूँगा…पर मेरे बेसिक्स ही क्लियर नहीं हैं और मेरी ग्राममेर बहुत वीक है”.

“अर्जुन तुम्हे सबसे पहले अपने बेसिक्स ही स्ट्रॉंग बनानी चाहिए..जिसके बेसिक्स स्ट्रॉंग नहीं उससे कुछ भी नहीं आता”.

“मैम तो बेसिक्स स्ट्रॉंग कैसे होंगे”.

“उम्म…मैं तुम्हे बेसिक्स स्ट्रॉंग करने में हेल्प कर दूँगी”.

“यस मैम.आप मुझे कुछ दिन- के लिए कोचैंग दे दी जीये”.

“ओके.तुम एक काम करो तुम कल से सुबेह 10 बजे आ जाया करो”.

“ओके मैम.”

“कॉफी तो पियो..ठंडी हो रही है”.

“येस मैम.मैम आपकी फॅमिली में कौन-कौन है”.

“मैं, मेरे हज़्बेंड और एक लड़की और एक लड़का”.

“मैम कहाँ हैं सब.कोई दिख नहीं रहा”.

“बच्चे तो अपनी नानी के यहाँ छुट्टियाँ बिताने गये हैं.आक्च्युयली मैं भी वहाँ से कल ही आई हूँ पर बच्चे वहीं रुक गये हैं..और हज़्बेंड 2 हफ्ते के लिए ऑफीस के काम से आउट ऑफ स्टेशन गये हैं”.

“बच्चे कब तक आएँगे”.

“वो भी दो-एक हफ्ते बाद आएँगे..यही तो दिक्कत है.अब मुझे मार्केट से कुछ भी लाना हो तो मैं नहीं ला सकती”.

“क्यों मैम”.

“मार्केट यहाँ से काफ़ी दूर है..रिक्शा से जाने में बहुत टाइम लगता है…और स्कूटर और कार मुझे चलानी नहीं आती”.

“मैम इस में प्राब्लम क्या.आपको जब कुछ चाहिए हो तो आप मुझे कह दीजिएगा”.

“नहीं ऐसी बात नही है..दट’स नाइस ऑफ यू…अर्जुन..तुम्हे कार चलानी आती है क्या”.

“यस मैम”.

“तुम मुझे कार चलाना सिखा सकते हो…आक्च्युयली मेरे हज़्बेंड तो सारा दिन बिज़ी रहते हैं…और आज कल तो हमारी कार खाली ही पड़ी है..हज़्बेंड तो ऑफीस की कार ले गये हैं”.

“यस मैम.इट वुड मी माइ प्लीज़र. मैं आपको कार सीखा दूँगा”.

“कितना टाइम लगेगा कार सीखने में”.

“करीबन एक हफ़्ता तो लगेगा ही”.

“तो ठीक है तुम मुझे कल से ही कार सिखाना शुरू कर दो”.

“ओके मैम.पर किस टाइम”.

“तुम 10 बजे मुझसे पढ़ने तो आओगे ही.. तुम्हे पढ़ाने के बाद मैं तुमसे कार सीख लिया करूँगी..पर अर्जुन. कोई बहुत बड़ा ग्राउंड है क्या…आक्च्युयली कोई मुझे सीखते देखे तो मुझे शरम आयगी..ऐसी कोई जगह हो जो एक दम खाली हो और जहाँ ज़्यादा लोग ना आते हो”.

“यस मैम..शहर से बाहर निकलते ही एक ग्राउंड है जो एक खाली रहता है”.

“ठीक है.तो वहीं चलेंगे कल दोपहर (नून) में”.

“पर मैम दोपहर (नून) में तो काफ़ी गर्मी होती है”.

“दोपहर में इस लिए की उस वक़्त लोगे बाहर नहीं निकलते और हमारी कार तो एयर कंडीशंड है..मैं क्या करूँ लोग मुझे कार सीखते देखें तो मुझे शरम आती है..बाइ दा वे.तुम्हे तो कोई प्राब्लम नहीं है ना”.

“बिल्कुल नहीं..तो मैम मैं कल आता हूँ 10 बजे”.

“ओके अर्जुन…बाइ”.

मैं अगले दिन ठीक 10 बजे मैम के घर पहुच गया. मैम ने उस दिन ग्रीन कलर का सूट पहना हुआ था. हलकी मैम थोड़ी मोटी और डार्क थी.लेकिन मुझे तो मैम सेक्सी लगती थी. मैम ने मुझे 10 से 1 बजे तक पढ़ाया. उसके बाद हम कार सीखाने शहर से बाहर एक ग्राउंड में गये. आस पास कोई भी नहीं था क्योंकि दुपहर का वक़्त था. ग्राउंड में पहुँच कर मैने मैम को कार सिखानी शुरू की.

“मैम पहले तो मैं आपको गियर डालना सीखाता हूँ”.

मैं कुछ देर तक मैम को गियर , आक्सेलरेटर, क्लच, ब्रेक एट्सेटरा. के बारे में बताता रहा.

“चलिए मैम.अब आप चलाइए”.

“मुझे डर लग रहा है”.

“कैसा डर”.

“कहीं मुझसे कंट्रोल नहीं हुई तो”.

“उसके लिए मैं साथ हूँ ना”.

फिर मैम ड्राइवर सीट पर बैठ गयी और मैं ड्राइवर की साथ वाली सीट पे आ गया. फिर मैम ने कार चलानी शुरू की लेकिन मैम ने एक दम से ही रेस दे दी तो एक दम से कार बहुत स्पीड में चल पड़ी. मैम घबरा गयी..

मैने कहा “मैम आक्सेलरेटर से पैर हटाइए”.

मैम ने पेर हटा लिया तो मैने स्टियरिंग पकड़ कर कार कंट्रोल में करी.

“मैने कहा था ना मुझ से नहीं चलेगी”.

“कोई बात नहीं मैम..पहली बार ऐसा होता है”.

“नहीं….मैं कार सीख ही नहीं सकती…मुझ से नहीं चलेगी”.

“चलेगी…चलिए अब स्टार्ट की जीए और फिर ट्राइ करिए.पर इस बार आक्सेलरेटर आराम से छोड़ना”.

“नहीं मुझे नहीं होगा”.

“मैम शुरू शुरू में ग़लतियाँ होती हैं..कोई बात नहीं”.

“नहीं मुझे डर लगता है”.

“अच्छा..एक काम करते हैं..मैं भी आपकी सीट पर आ जाता हूँ. फिर आपको डर नहीं लगेगा”.

“लेकिन एक सीट पर हम दोनो कैसे आ सकते हैं”.

“आप मेरी गोद (लॅप) में बैठ जाना. मैं स्टियरिंग कंट्रोल करूँगा और आप गियर कंट्रोल करना”.

“लेकिन कोई हमें देखेगे तो कैसा लगेगा”.

“मैम इस वक़्त यहाँ कोई नहीं आएगा..और वैसे भी आपकी कार मे यह शीशों पर फिल्म लगी है इससे अंदर का कुछ दिखाई नहीं देता”.

“चलो ठीक है”.

फिर मैं ड्राइवर सीट पर बैठा और मैम मेरी गोद में. जैसे ही मैम मेरी गोद में बैठी मेरे बदन से करेंट सा दौड़ गया. हम दोनो का यह पहला स्पर्श था. मैने कार स्टार्ट करी.

“रेडी मैम”.

“हां..मुझे से सिर्फ़ गियर ही संभालने हैं ना”.

“यस मैम.आज के दिन आप सिर्फ़ गियर ही सीखो”.

कार चलनी शुरू हुई. क्योंकि मेरे हाथ स्टियरिंग पर थे और मैम मेरी गोद में..इस लिए मेरी बाहें (आर्म्स) मैम के ब्रेस्ट के साइड से टच हो रही थी और मैम के ब्रेस्ट थे भी काफ़ी बड़े. मैम थोड़ा अनकंफर्टबल फील कर रही थी इस लिए वो मेरी जांघों (थाइस) पे ना बैठ के मेरी नीस के पास बैठी थी. जैसे ही मैं कार को टर्न करता तो मैम की पूरी ब्रेस्ट मेरी बाहें को टच करती थी. मैम गियर सही बदल रही थी.

“क्यों अर्जुन..ठीक कर रहीं हूँ ना”.

“पर्फेक्ट..मैम अब आप थोड़ा स्टियरिंग भी कंट्रोल कीजीए”.

“ओके”.

क्योंकि माँ मेरी गोद में काफ़ी आगे होकर बैठी थी इस लिए स्टियरिंग कंट्रोल करने में उन्हे प्राब्लम हो रही थी.

“मैम.आप थोड़ी पीछे खिसक जाईए..तभी स्टियरिंग सही कंट्रोल हो पाएगा”.

अब मैम मेरी जांघों(थाइस) पे बैठ गयी और हाथ स्टियरिंग पर रख लिए.

“मैम.थोड़ा और पीछे हो जाईए”.

“और कितना पीछे होना पड़ेगा”.

“जितना हो सकती हो”.

“ठीक है”.

अब मैम पूरी तरह से मेरे लंड पर बैठी थी. मैने अपने हाथ मैम के हाथों पर रख दिए और स्टियरिंग कंट्रोल कराना सिखाने लगा. जब भी कार टर्न होती तो मैम की हिप्स मेरे लंड में धँस जाती. मैम के ब्रेस्ट इतने बड़े थे कि वो मेरे हाथों को टच कर रहे थे. मैं जान बूझ कर उनके ब्रेस्ट को टच करता रहा.

“मैम अब आक्सेलरटोर भी आप संभालिए”.

“कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल ना हो जाए”.

“मैम अब तो मैं बैठा हूँ ना”.

मैम ने फिरसे पूरा आक्सेलरेटर दबा दिया तो कार ने एक दम स्पीड पकड़ ली. इस पर मैने एक दम से ब्रेक लगा दी तो कार एक दम से रुक गयी. मैम को झटका लगा तो वो स्टियरिंग में घुसने लगी. इस पर मैने मैम के ब्रेस्ट्स को अपने हाथों में पकड़ कर मैम को स्टियरिंग में घुसने से बचा लिया. कार रुक गयी थी और मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में थे.

मैम बोली “मैने कहा था ना कि मैं फिर कुछ ग़लती करूँगी (मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में हैं).

“कोई बात नहीं.कम से कम गियर तो बदलना सीख लिया” (मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में हैं).

“शायद मुझे स्टियरिंग संभालना कभी नहीं आएगा” (मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में हैं).

“एक बार और ट्राइ कर लेते हैं” (मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में हैं).

“ठीक है” (मैम के ब्रेस्ट मेरे हाथ में हैं).

मैम ने मुझे ऐहसास दिलाने के लिए मेरे हाथ उनके ब्रेस्ट पर हैं, मैम ने ब्रेस्ट को हल्का सा झटका दिया तो मैने अपने हाथ वहाँ से हटा लिए. मैने कार फिर से स्टार्ट करी. मैम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए और मैने अपने हाथ मैम के हाथो पर रख दिए.

“मैम आक्सेलरेटर मैं ही संभालूँगा.आप सिर्फ़ स्टियरिंग ही संभालीए”.

“यही मैं कहने वाली थी”.

कुछ देर तक मैम को स्टियरिंग में हेल्प करने के बाद मैं बोला.

“मैम अब मैं स्टियरिंग से हाथ उठा रहा हूँ.आप अकेले ही संभालीए”.

“ओक.अब मुझे थोड़ा कॉन्फिडेन्स आ रहा है. लेकिन तुम अपने हाथ रेडी रखना. कहीं कार फिर से आउट ऑफ कंट्रोल हो जाए”.

“मैम मेरे हाथ हमेशा रेडी रहतें हैं”.

मैने अपने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैम की ब्रेस्ट पर रख दिए. मैं तो मैम से डाँट (स्कोल्डिंग) एक्सपेक्ट कर रहा था लेकिन मैम ने कुछ ना कहा.

“अर्जुन मुझे कस के पकड़ना.. कहीं ब्रेक मारने पर मैं स्टियरिंग में ना घुस जाऊं”.

“यस मैम..कस के पकड़ता हूँ”.

मैने मैम के ब्रेस्ट दबा दिए तो मैम के मूह से आह..आ निकल गयी.

“अर्जुन. मेरे ख्याल से आज इतना सीखना ही काफ़ी है.चलो अब घर चलते हैं”.

“ओके मैम”.

मैम मेरी गोद से उठ कर अपनी सीट पर बैठ गयी और हम मैम के घर चल दिए.

“ओके मैम..मैं चलता हूँ”.

“रोटी खा के जाना”.

“नहीं मैम मैने मम्मी को कहा था कि रोटी के टाइम तक घर पर आजाऊंगा”.

“ठीक है …तो कल 10 बजे आओगे ना”.

“यस मैम..ऑफ कोर्स”.

मैं अगले दिन भी पूरे 10 बजे पहुँच गया. पढ़ने के बाद हम फिर से कार सीखने उसी ग्राउंड में आ गये.

“तो अर्जुन आज कहाँ से शुरू करेंगे”.

“मैम मेरे क्याल से आप पहले स्टियरिंग में पर्फेक्ट हो जाईए. उसके बाद और कुछ करेंगे”.

“ठीक है.कल जैसे ही बैठना है”.

“यस मैम”.

आज मैम ने सिल्क की सलवार कमीज़ पहनी हुई थी. मैम आज सीधे आकर मेरे लंड पर बैठ गयी. आज मैम की सलवार थोड़ी टाइट थी और मैम की हिप्स से चिपकी हुई थी. हमने कार चलानी शुरू की. मैम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए.

मैने अपने हाथ मैम के हाथों पर रख लिए. आज मैम की हिप्स मेरे लंड पर बार बार हिल रही थी. कुछ देर बाद मैने कहा. हमने कार चलानी शुरू की. मैम ने अपने हाथ स्टियरिंग पर रख लिए. मैने अपने हाथ मैम के हाथों पर रख लिए. आज मैम की हिप्स मेरे लंड पर बार बार हिल रही थी. कुछ देर बाद मैने कहा.

“मैम. अब मैं अपने हाथ स्टियरिंग से हटा रहा हूँ”.

“हां..अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लो”.

मैने हाथ स्टियरिंग से उठा कर मैम की ब्रेस्ट पर रख दिए..और वाह…मज़ा आ गया..मैम ने आज ब्रा नहीं पहनी थी..इससलिए आज मैम के ब्रेस्ट बड़े सॉफ्ट और मासल लग रहे तहे..मैने मैम के ब्रेस्ट को धीरे-धीरे दबाना शुरू कर दिया..

मैम की सिल्क की सलवार में उनके ब्रेस्ट को दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा..मैम ने अपनी टाँगें(लेग्स) वाइड करली और अब उनकी बुर मेरे लंड पर थी…मैने अपना एक हाथ मैम की कमीज़ में डाला और मैम की ब्रेस्ट को दबाने लगा..

“मैम.मज़ा.आ रहा है”.

“आ..आ..किसमे”.

“कार चलाने में”.

“हां.कार चलाने में भी मज़ा आ रहा है”.

“मैम.अब आपको स्टियरिंग संभालना आ गया”.

“ह्म”.

अब मैने अपना दूसरा हाथ भी मैम की कमीज़ में डाल दिया और उसको भी दबाने लगा.

“आहह..ह..अर्जुन तुम…आ.. यह क्या कर रहे हो”.

“मैम.आपको कार सीखा रहा हूँ”.

“अर्जुन.तुम्हारे हाथ कार के स्टियरिंग पर होने चाहिए”.

“पर मैम …आपके स्टियरिंग संभालने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है”.

“तुम्हे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए…..और वैसे भी मैं तो एक मोटी और काली औरत हूँ..मुझ में तुम्हे क्या अच्छा लगेगा”.

“मैम आपकी एक एक चीज़ अच्छी है”.

“अर्जुन मैं थोड़ा थक गयी हूँ..पहले तुम कार रोक लो…आगे जा कर थोड़ी झाड़ियाँ(बुशस) हैं..कार वहाँ ले चलो”.

“यस मैम”.

मैने कार झाड़ियों में जा कर रोक ली.

“बस थोड़ी देर आराम कर लेते हैं…हां तो अर्जुन इस मोटी और काली औरत में तुम्हे क्या अच्छा लगा होगा”.

“मैम.एक बात बोलूं”.

“हाँ बोलो”.

“मैम.आपके संतरे बहुत अच्छे हैं”.

“क्या..संतरे.मैं क्या कोई पेड़ (ट्री) हूँ जो मुझ में संतरे हो”.

“मैम यह वाले संतरे” मैने मैम के ब्रेस्ट को दबाते हुए कहा.

“आहह.आहह…”

“मैम आपके खरबूज़े भी बहुत अच्छे हैं”.

“क्या.खरबूज़े.मुझ में खरबूज़े कहाँ हैं”.

“मैम आइ मीन टू से युवर हिप्स”.

“झूट.मेरी हिप्स तो बहुत चौड़ी(वाइड) और मोटी हैं”.

यह कहकर मैम खड़ी हो गयी और अपनी सलवार नीचे कर दी. मैम ने पॅंटी नहीं पहनी हुई थी.

“देखो ना …कितनी बड़ी हैं मेरी हिप्स.”

मैं तो देखता ही रह गया. मैम की हिप्स मेरे मूँह के पास थी मैं मैम की हिप्स पर हाथ फेरने लगा.

“मैम मुझे तो ऐसी ही हिप्स अच्छी लगती हैं.बड़ी और डार्क”.

“मैम..आपके हिप्स की स्मेल बहुत अच्छी”.

यह कह कर मैं मैम की हिप्स पर किस करने लगा. मैं मैम के क्रॅक मे जीभ (टंग) मारने लगा.

“ओह..ऊओ.अर्जुन यह क्या कर रहे हो”.

“मैम…मुझे खरबूज़े बहुत अच्छे लगते हैं”.

“ओह्ह..और क्या अच्छा लगता है तुम्हे”.

“चूयिंग गम”.

“क्या..चूयिंग-गम.वो कौनसा पार्ट है”.

जवाब में मैं मैम की चूत दबाने लगा.

“ऊहह..आह.आह.अर्जुन….चूयिंग-गम को दबाते नहीं हैं”.

“मैम..इस पोजीसन से मैं चूयिंग-गम को छू नहीं कर सकता”.

“अर्जुन.कार की पिछली सीट पे चूयिंग-गम छुई जा सकती है”.

फिर हम दोनो पिछली सीट पर आ गये. मैम ने टाँगें(लेग्स) खोल ली और अपनी चूत पे हाथ रख कर बोली.

“अर्जुन.यह रही तुम्हारी चूयिंग-गम”.

मैं मैम की चूत चाटने लगा. मैम सीट पे लेटी हुई थी. मेरी जीभ मैम की चूत पे और मेरे हाथ मैम की ब्रेस्ट को दबा रहे थे. मैं करीब 10 मिनिट तक मैम की चूत पे जीभ मारता रहा.

“अर्जुन..क्या तुम्हारी पेन्सिल शार्पेंड है”.

“क्या मतलब”.

“बुद्धू..मेरे पास शारपनर है और पेन्सिल तुम्हारे पास है..”

“यस मैम..मेरी पेन्सिल को शार्प कर दीजीये”.

“लेकिन पहले तुम अपनी पेन्सिल दिखाओ तो”.

मैने अपनी जीन्स उतार दी. मैने अंडरवेर नहीं पहना था. मैं अपना लंड मैम के मूँह के पास ले गया तो मैम ने जल्दी से उसे अपने मूँह में ले लिया. कुछ देर तक मैम मेरा लंड चूस्ति रही.. फिर बोली “अर्जुन..तुम्हारी पेन्सिल काफ़ी अच्छी क्वालिटी की है”.

“मैम क्या आपका शारपनर भी अच्छी क्वालिटी का है”.

“यह तो पेन्सिल शार्प होने पर ही पता चलेगा”.

“तो मैम करलूँ अपनी पेन्सिल शार्प”.

“येस्स्स्स…अर्जुन..जस्ट डू इट..फक मी.यस फक मी हार्ड…चोद मी..स्क्रू मी..”

मैने अपना लंड मैम की चूत में डाल दिया और धक्के देने लगा.

“ओह्ह्ह..अर्जुन..माइ डार्लिंग..युवर पेन्सिल ईज़ फिट फॉर माइ शारपनर….आआहह..वेरी गुड..कीप डोइंगगगगगग…अर्जुन..मेरे संतरों को ना भूलो…इन्हे तुम्हारे हाथों की सख़्त ज़रूरत है”.

“मैम.आ.आपकी चूत मारने में बहुत मज़ा आ रहा है”.

“एयेए…हह..अर्जुन.बच्चे.अपनी मेडम के संतरों से मिल्क-शेक तो पियो”.

फिर मैं धक्के देने के साथ साथ मैम के निपल्स को मूँह में लेकर चूस्ता रहा. कुछ ही देर बाद मैम के बूब्स में से दूध निकलने लगा और मैं पीने लगा.

“आऐईए.अर्जुन..और तेज़..तेज़ तेज़ धक्का मारो..आज अच्छी तरह ले लो मेरी.मेरे मिल्क-शेक का फ़ायदा उठाओ..स्पीड बढ़ाओ”.

“मैने तेज़ तेज़ धक्के मारने शुरू कर दिए. करीब 15 मिनिट बाद एयेए.ओह्ह.….तेज़…मैं आने वाली हूँ”.

मैं और मैम एक साथ ही झाडे.

“आ.एयाया..आहा..आइ लव यू अर्जुन..मज़ा आ गया”.

“यस मैम..आपका शारपनर ग़ज़ब का है”.

“तुम्हारी पेन्सिल भी कमाल की है..”

“मैम मैं आपके पीछे वाले शारपनर को भी यूज़ करना चाहता हूँ”.

“पीछे वाला शारपनर..मैने कभी नहीं यूज़ करवाया”.

“लेकिन मुझे तो करने देंगी ना”.

“श्योर..लेकिन बाकी का काम घर चल कर..और फिर अभी तो मुझे कार सीखने में कुछ दिन और लगेंगे”.

तबसे मैं और मैम हर मौके पर चुदाई करते थे और मैम से ट्यूशन पड़ते वक़्त हम दोनो बिल्कुल नंगे होते थे.

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