ससुराल की शादी में सलहज ने चुदवाया

मेरा नाम अभयानंद है। मैं 35 साल का नौजवान हूँ। सुन्दर लड़की को देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगता है और बेकाबू हो जाता है। चोदने की ईच्छा तीव्र हो जाती है। मन करता है कि उसके नर्म नर्म गालों को छू लूँ और उसके होठों को चूम लूँ। उसे अपनी बाहों में भरकर उसकी चूचियों को दबा दूँ और अपना लण्ड उसके बुर में डालकर चोद डालूँ। Jija Sali XXX Story

सर्दियों के दिन थे और शादी का माहौल था। मेरे तीसरे छोटे साले की शादी थी और हमलोग ससुराल में इके हुए। काफी लोग होने की वजह से हर कमरे में कई लोगों के सोने का इन्तजाम था। मेरी सलहज यानि पहले साले की बीवी का नाम था कोमल। गेहुआँ रगं भरा हुआ बदन 34 26 34 के आकंड़ों जैसा गदराया बदन थिरकती बड़ी बड़ी चूचियां मोटी मोटी केले के तने जैसी जांघें और गज़ब की सुन्दर।

इच्छा होती कि दबोच कर बस चबा ही डालूँ। इठलाती हुई जब चलती अपनी साड़ी को सामने हाथ से चूत के पास सम्भालती हुई तो मन होता की बस इसकी गर्म चूत को क्यों न मैं ही पकड़ लूँ और मसलता रहूँ। साड़ी से वह अपनी मस्त थिरकती बड़ी बड़ी तनी हुई चूचियों को भरसक ढकती रहती.

लेकिन वह बगल से ब्लाउज के माध्यम दिखता रहता। झुकी हुई निगाहों से देखती और मुस्कुरा देती। हमारा लौड़ा और खड़ा हो जाता। शाम के करीब चार बजे थे और मैं उसकी तरफ देखे जा रहा था। तभी खिलखिलाती हुई बोली क्यों जीजाजी़ क्या चाहिये.

मेरे मुहॅं से निकल पड़ा – “तुम।”

चौंक कर बोली –“क्या?

मैंने जवाब दिया मेरा मतलब तुम्हारे हाथ कि एक कप चाय। चाय पीकर जैसे तैसे शाम गुजरी और रात हुई। एक कमरे में ऊपर पलगं पर मर्दों‍ को सोने के लिये कहा गया और ठीक नीचे जमीन पर औरतों के लिये गद्दे लगाये गये।

किस्मत देखिये पलंग के जिस किनारे पर मैं था़ ठीक उस के नीचे जमीन पर सबसे पहले कोमल का बिस्तर था। मन में बड़ी गुदगुदी हो रही थी। लण्ड था कि उठे जा रहा था। मैंने ठान लिया कि बच्चू आज न चूकना। बस मौका देखकर पहल कर ही देना। फिर सोचा कि एक बार टोह तो लेकर देखूँ।

मैंने कोमल से पूछा़ – “कोमल ये मेरा तकिया एकदम किनारे में क्यों रख दिया़ पलंग पर बीच में रखती।”

वह बोली़ – “क्यों आप करवट बहुत ज्यादा लेते हैं फिर आहिस्ते से बोली़ प्लीज़ आप मेरे ऊपर मत गिर जाइयेगा।”

ये अन्दाज़ ऐसा था कि कोई बेवकूफ ही समझ न पाये। फिर क्या था़ मैंने चादर तानी़ लण्ड हाथ में लिया और लेटे हुए सबके सोने का इंतजार करने लगा। आखिर रात कुछ गुजरी और थके हुए सभी लोग एक एक कर गहरी नींद में सो गये़ सिवाय मेरे और कोमल के जो कि मैं जानता था।

हिम्मत जुटाकर मैं आहिस्ता से ऊपर पलंग के किनारे से उतर कर नीचे जमीन पर कोमल के बगल में लेट गया। कमरे में पहले से ही कोमल ने चतुरता से नाईट लैम्प निकाल लिया था और एकदम घुप अंधेरा था। मैंने पहले उसकी चादर हौले से अपने उपर ले ली और अपने बदन को उससे सटाया मानो कह रहा हूँ कि मैं आ गया।

वो चुपचाप रही और मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने अपना हाथ अब धीरे से उसके कमर पर रखा और उसकी नर्म लेकिन गर्म गर्म नाईटी पर सरकाते हुए उसकी चूची पर रख दिया। वह कुछ नहीं बोली। मैंने अब उसकी चूची को दबाया। वह शांत रही। और मैं मदहोश होने लगा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

लण्ड खुशी के मारे फड़फड़ाने लगा। लण्ड को मैंने उसके भारी चूतड़ों से चिपका दिया। और हाथ से दूसरी चूची को दबाने लगा। चाहत बढ़ी और मैंने अपने हाथों से उसकी नाईटी को ऊपर उठाया। अब मेरा हाथ उसके बदन पर था। हाथ को ऊपर लाते हुए और उसके नर्म नर्म बदन का मज़ा लेते हुए मैंने उसकी नंगी चूचियों को छुआ। गोल और एकदम सख्त।

नर्म लेकिन गर्म। निप्पल को दबाया और कसकसकर अब मैं चूचियों को दबा रहा था। होठों से मैं उसके गरदन को चूमने लगा। अब लण्ड चोदने के लिये बेताब हुआ जा रहा था। आखिर कब तक सहता। कोई आवाज भी नहीं कर सकते थे। एक हाथ मैंने उसकी गरदन के नीचे से घुसाकर उसकी चूची पर रखा और दूसरा हाथ मैंने सरकाते हुए उसकी चूत पर रख दिया।

चूत पर घने बाल थे लेकिन फिर भी एकदम गीली थी। यानि चुदवाने के लिये तैयार। लण्ड तो बुर में घुसने के लिये बेताब था ही। मैंने अपनी उंगली उसके बुर के दरार को छूते हुए अन्दर घुसा दी। उसने एक आह सी भरी। वो भी चुदवाने को एकदम तैयार थी।

उसके कानों के पास मुँह ले जाकर मैंने फुसफुसाकर कहा़ –“मैं बाथरूम में जा रहा हूँ तुम थोड़ी देर बाद धीरे से आ जाओ जानेमन।”

आहिस्ता से उठकर दबदबे पॉंव से मैं बाथरूम के अन्दर घुस गया और दरवाज़ा हल्का सा खुला रख इंतजार करने लगा। पॉंच मिनट बाद कोमल आयी और जैसे ही अन्दर घुसी मैंने गेट बन्द कर चिटकनी लगा दी। अब क्या था। मानों सहनशीलता का बांध बस टूट गया।

मैंने कस कर उसे अपनी बॉंहों में भरा और अपने होंठ उसके धधकते होंठो पर रख जोर जोर से चूसने लगा। क्या होंठ थे। जैसे गुलाब़ की पॅंखुडि़यॉं। ऐसा टेस्ट कि बस नशा आ गया। एक हाथ से मैंने उसके बाल पकड़ रखे थे चूमते हुए और दूसरे हाथ से मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था।

“कोमल रानी़ चुदवाओगी।” मैंने पूछा।

उसने एक हाथ से मेरी पीठ को अपनी तरफ दबा रखा था और दूसरे हाथ से मेरे लण्ड को पकड़कर बोली़ – “जी़जाजी़ जो भी करना है जल्दी कीजीये।”

बात करते हुए हमलोग अपने कपड़े उतारे जा रहे थे। एकदम नंगे होकर बदन से बदन टकराये। होंठो को लगातार चूमते हुए काटते हुए और चूसते हूए और उसकी सख्त लेकिन फूली हुई थिरकती बड़ी बड़ी उभरी हुई चूचियों को मसलते हुए़ मैंने उसे दिवार के सहारे लगाया और दाहिने हाथ से उसकी बायीं चूची को दबाता रहा और उसके दायीं चूची को अपने मुहॅं में ले लिया।

ऐसा स्वाद आ रहा था कि बस चूसते ही रहो। मैंने शरारत करते हुए कहा़ – “कोमल रानी तुम इतने दिन कहॉं छिपी थी।” मेरे शरारती प्रश्न के जवाब में बोली – “ज़ीजाजी जल्दी से डालिये ना।” मैंने भी देखा की अब ज्यादा देर करने में रिस्क है़ सो अपने लण्ड को उसके बुर के दरार पर रगड़ते हुए एक धक्का लगाया। लण्ड अन्दर घुस तो गया लेकिन मज़ा नहीं आया। चुदाई का मज़ा तभी है जब लड़की को लिटा कर चोदा जाय। बाथरूम के फर्श पर मैंने कोमल को लिटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।

मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों को फैलाया और उनके बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत के मुहाने को दो उंगलियों से फ़ैला अपना लण्ड रख धक्का मारा। होंठों को बिना आवाज किये चूसते हुए चूचियों को दबाते हुए मैंने चोदना शुरू किया और वो चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। ऐसा आनन्द आ रहा था कि मालूम ही नहीं पड़ा कि हम दोनों कब एक साथ झड़ गये। जल्दी से हमने कपड़े पहने और बाहर निकलने के पहले मैंने कोमल को कस कर अपनी बाहों में जकड़ा कर चूम लिया।

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