हम लोग जहां रहते हैं वो एक पुराना मुहल्ला है। पुराने टाईप के घर है, आपस में लगे हुए। लगभग सभी की छतें एक दूसरे से ऐसे लगी हुई थी कि कोई भी दूसरे की छत पर आ जा सकता था। मेरे पड़ोस में कॉलेज के तीन छात्रों ने एक कमरा ले रखा था। तीनों ही शाम को छत पर मेरे से बातें करते थे, हंसी मजाक भी करते थे। Hot Padosan Group Chudai
उन तीनों लड़कों को देख कर मेरा मन भी ललचा जाता था कि काश ये मुझे चोदते और मैं खूब मजे करती। कभी कभी तो उनके सपने तक भी आते थे कि वो मुझे चोद रहे हैं। कभी कभी मौसम अच्छा होने पर वो शराब भी पी लेते थे, मुझे भी बुलाते थे चखने के लिये… पर मैं टाल जाती थी।
मेरे पति धन्धे के सिलसिले में अधिकतर मुम्बई में ही रहते थे। घर पर सास और ससुर जी ही थे। दोनों गठिया के रोगी थे सो नीचे ही रहा करते थे। आज मौसम बरसात जैसा हो रहा था। मैंने एक बिस्तर जिस पर मैं और मेरे पति चुदाई किया करते थे, उसे बरसात में धोने के लिये छत पर ले आई थी।
उस पर लगा हुआ वीर्य, पेशाब के दाग, क्रीम, और चिकनाई जो हम चुदाई के समय काम में लाते थे, उसके दाग थे, वो सभी मैं बरसात के पानी से धो देती थी। ऊपर ठण्डी हवा चल रही थी। शाम ढल चुकी थी। अन्धेरा सा छा गया था।
ठण्डी हवा लेने के लिये मैंने अपनी ब्रा खोल कर निकाल दी और नीचे से पेन्टी भी उतार दी। अब चूत में और चूंचियो में वरन सारे शरीर में ठण्डी हवा लग रही थी। दूसरी छत पर तीनों लड़के संदीप, अजय और राहुल दरी पर बैठे हुये शराब की चुस्कियाँ ले रहे थे।
“अरे दीदी आओ, देखो कितना सुहाना मौसम हो रहा है!” संदीप ने मुझे पुकारा।
“नहीं बस, मजे करो तुम लोग, राहुल, बधाई हो, 80 पर्सेन्ट नम्बर आये हैं ना!” मैंने राहुल को बधाई दी।
“दीदी आओ ना, मिठाई तो खा लो!” राहुल ने विनती की।
मैं मना नहीं कर पाई और उनके पास चली आई। मिठाई थोड़ी सी थी जो उन्होंने मुझे दे दी। मैं मिठाई खाने को ज्योंही झुकी मेरे बोबे उन्हें नजर आ गये। अब वो तीनों जानबूझ कर मेरी चूंचियां झांक कर देखने कोशिश करने लगे।
मैंने तुरंत भांप लिया कि वो क्या कर रहे हैं। पर मौसम ऐसा नशीला था कि मेरा मन मैला हो उठा। उन तीनों के लण्ड के उठान पर मेरी नजर पड़ गई। उनके पजामे तम्बू की तरह धीरे धीरे उठने लगे। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।
“दीदी, हमारे बीच में आ जाओ और बस राहुल के नाम एक पेग!”
मैंने इसे शुरुआत समझी और संदीप और राहुल के बीच में बैठ गई। इसी बीच राहुल ने मेरे चूतड़ पर हाथ फ़ेर दिया। मैंने उसे जान करके ध्यान नहीं दिया। पर एक झुरझुरी आ गई।
“लो दीदी, एक सिप…”
“नहीं पहले मैं दूंगा…।”
दोनों पहल करने लगे और उनका जाम छलक गया और मेरे कपड़ो पर गिर गया। राहुल ने तुरन्त अपना रुमाल लेकर मेरी छाती पोंछने लगा। बन्टी कहां पीछे रहने वाला था, उसने भी हाथ मार ही दिया और मेरी चूंचिया दब गई। मेरे मुख से हाय निकल गई।
मैंने भी मौका जानकर अपना हाथ राहुल के लण्ड पर रख दिया और दबाते हुई बोली, “अरे बस करो, मैं साफ़ कर लूंगी… ” और उसका लण्ड छोड़ दिया। तभी बारिश होने लगी। राहुल समझ नहीं पाया कि लण्ड को जानकर के पकड़ा था या नहीं।
“चलो चलो अन्दर आ जाओ…।” राहुल ने कहा।
हम काफ़ी भीग चुके थे, मेरा ब्लाऊज भी चूंचियो से चिपक गया था। सफ़ेद पेटीकोट भी चिपक कर पूरा गाण्ड का नक्शा दर्शा रहा था। पर मेरे मन में तो आग लग चुकी थी, बरसात भली लग रही थी। जैसे ही मैं खड़ी हुई तीनों मुझे बेशर्मी से घूरने लगे।
मैं दीवार को लांघ कर अपनी छत पर आ गई और झुक कर बिस्तर धोने लगी। मैंने देखा कि तीनों अन्दर जा चुके थे। अन्दर की आग धधक उठी थी। हाथ से चूत दबा ली और मुख से हाय निकल पड़ी। मैं ब्लाऊज के ऊपर से ही अपनी चूंचियाँ मलने लगी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरा पेटीकोट पानी के कारण चिपक गया था। बरसात तेज होती जा रही थी। मेरा बदन जल रहा था। ठन्डा पानी मुझे मस्त किये दे रहा था। इतने में मुझे लगा कि दीवार कूद कर कोई आया, देखा तो राहुल था।
“दीदी मैं धोने में मदद कर देता हूँ…! ” और बिस्तर धोने लगा। अन्धेरे का फ़ायदा उठा कर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“अरे छोड़ ना…” पर उसने मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया, और एक कोने में आ गया।
“दीदी, तुम कितनी अच्छी हो, बस एक किस और दे दो…” मुझ पर अपने शरीर का बोझ डालते हुए चिपकने लगा।
मैं कांप उठी, जिस्म कुछ करने को मचल उठा। इतने जवान लड़के को मैं छोड़ना नहीं चाह रही थी। मेरे होंठ थरथरा उठे, वो आगे बढ़ आया… उसके होंठ मेरे होंठो से चिपकने लगे। अचानक ही राहुल ने मेरे जिस्म को भींच लिया।
मेरे बोबे उसकी छाती से दब कर मीठी टीस से भर उठे। उसके लण्ड का स्पर्श मेरी चूत के निकट होने लगा। मैंने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर सेट करने लगी, और अब लण्ड मेरे बीचोबीच चूत की दरार पर लगने लगा था।
“राहुल, बस अब हो गया ना… चल हट!” बड़े बेमन से मैंने कहा।
पर जवाब में उसने मेरे बोबे भींच लिये और मेरा ब्लाऊज खींच लिया। उसने मेरे बोबे दबा कर घुमा दिये।
“दीदी, ये मस्त कबूतर! इनकी गरदन तो मरोड़ने दो…! ” मेरे मुख से हाय निकल पड़ी, एक सीत्कार भर कर उसका लण्ड पकड़ कर खींच लिया।
“राहुल, ये मस्त केला तो खिला दे मुझे… अब खुजली होने लगी है!” मेरे मुख से निकल पड़ा और राहुल ने मेरा पेटीकोट उठा दिया। उसने अपना पजामा भी उतार दिया। मुझे उसने धक्का दे कर गीले बिस्तर पर लेटा दिया और भीगता हुआ मेरी चूत के पास बैठ गया। मैंने अपनी दोनों बाहें खोल दी।
“आजा… राहुल… हाय जल्दी से आजा…!” उसने उछल कर अपनी पोजीशन ली और दोनों हाथ से मेरे बोबे भींच लिये और लण्ड को भीगती हुई चूत पर रख दिया और मेरे ऊपर लेट गया।
“लगा ना… अब प्लीज… अब मजा दे दे…” मैंने उसे चोदने का निमन्त्रण दिया और मेरे बदन में ठण्डे पानी के बीच उसका गरम लौड़ा मेरे जिस्म में समाने लगा।
मैं भी चूत ऊपर की ओर दबा कर पूरा लण्ड घुसेड़ने की कोशिश करने लगी… हाय रे… अन्दर तक बैठ गया। मन में आग पैदा होने लगी। जिस्म जलने लगा। बारिश आग लगाने लगी। हम दोनों जल उठे, गीला बदन… लण्ड पूरा अन्दर तक चूत की मालिश करता हुआ… मस्त करता हुआ… जिस्म एक दूसरे में समाने लगे। दोनों नंगे… उभारों को दबाते और मसलते हुए मस्त हो गये। धक्के और तेज हो गये…
“मजा आ गया बारिश का, चोद रे… जी भर के लगा लौड़ा… आज तो फ़ाड़ दे मेरी…”
“हां दीदी, तेरी तो मस्त चूत है… गीली और चिकनी!”
“हाय रे तेरे टट्टे, मेरी गाण्ड को थपथपा रहे है… कितना सुहाना लग रहा है…!”
“चुद ले, जोर से चुद ले… फिर पता नहीं मौका आये या ना आये…” जोश में उसकी कमर इंजन की तरह चलने लगी। मैं चुदती रही… मन की हसरतें निकलती गई… मैं चरम बिन्दु पर पहुंचने लगी… जिस्म में कसावट आने लगी। लग रहा था कि सारा खून और सारा रस खिंच कर चूत की तरफ़ आ रहा हो…
“आईईई… मर गई… हाऽऽऽऽऽय मेरी मां… चोद दे जोर से… लगा लौड़ा… सीस्स्स्स्स्स्सीईईईऽऽऽऽ… मेरी चूत रे… ” और सारा रस चूत के रास्ते बाहर छलक पड़ा। मैं झड़ने लगी थी। उसका लण्ड चलता रहा और मैं निढाल हो कर पांव फ़ैला कर चित लेट गई।
बरसात का पानी मुझे ठण्डा करने लगा। राहुल ने अपना लण्ड बाहर खींच लिया और मुठ मारने लगा और एक जोर से पिचकारी छोड़ दी… मेरे पेट पर एक बरसात और होने लगी… रुक रुक कर… चिकने पानी की बरसात… और आकाश वाले बरसात के पानी से सभी कुछ धुल गया।
बरसात अभी भी तेज थी। राहुल अब उठ खड़ा हुआ। उसका लौड़ा नीचे लटकता हुआ झूल रहा था। मैंने अपनी आंखें बरसात की तेज बूंदों के कारण बन्द कर ली। अचानक मुझे लगा कि मेरे बदन को किसी ने खींच लिया। दूसरे ही पल एक कड़क लण्ड मेरी गाण्ड से चिपक गया।
“दीदी, प्लीज… करने दो…” इतने में एक और कड़क लण्ड मेरे मुँह से रगड़ खाने लगा और मैंने उसे मुंह में भर लिया।
“दीदी चूस लो मेरे लण्ड को…” ये संदीप की आवाज थी।
ऊपर वाले ने मेरी सुन ली थी। तीनों अपना कड़क लण्ड लिये मेरी सेवा में हाज़िर थे। राहुल फिर से तैयार था, उसका लण्ड कड़क हो चुका था। राहुल मेरी गाण्ड चोदने वाला था।
“हाय… राहुल धीरे से…” राहुल का लण्ड गाण्ड के फूल को छू चुका था। मेरी गाण्ड लपलपाने लगी थी। बरसात से गांड का फूल चिकना हो रहा था।
“दीदी घुसेड़ दू लण्ड…?” राहुल फूल को दबाये जा रहा था। छेद कब तक सहता उसने अपने पट खोल दिये और लण्ड गाण्ड में घुस गया।
“आ जा अजय, मेरी छाती से लग जा…” अजय को मैंने छाती से दबा लिया और उसका लण्ड अपनी चूत पर रख दिया। मेरी चूत फिर से पानी छोड़ रही थी। मैंने अपनी टांगे खोल कर अजय पर रख दी। लण्ड को खुला रास्ता मिल गया और चूत में उतरता चला गया।
मैंने राहुल से कहा, “लण्ड निकाल और मेरी पीठ पर आ जा।” मैंने अजय को लण्ड समेत अपने नीचे दबा लिया और लण्ड पूरा चूत में घुसा लिया। राहुल ने पीछे से आकर मेरे चूतड़ों की फ़ांको को चीर कर फिर से छेद में लण्ड घुसेड़ दिया। संदीप ने फिर से अपना लण्ड मेरे मुख में घुसा डाला। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
“आह… मजा आ गया… अब चलो, चोद दो मुझे… लगाओ यार… पेल डालो!” मुझे मस्ती आने लगी। आज तो तीन तीन लण्ड का मजा आ रहा था। मौसम भी मार रहा था… बरसात की तेज बौछार… वासना की आग को और तेज करने लगी थी। बन्टी ने तभी मुँह से लौड़ा निकाला और मेरे चेहरे पर पेशाब करने लगा।
“पी ले दीदी… पी ले… मजा आ जायेगा!” मैंने अपना मुँह खोल दिया और पेशाब की तेज पिचकारी आधी मुँह में और आधी चेहरे पर आ रही थी। नमकीन पेशाब मस्त लग रहा था। अजय और राहुल चोदने लगे थे। जोरदर धक्के मार रहे थे। मैं भी अपनी कमर हिला हिला कर मस्त हुई जा रही थी।
“दीदी कितनी टाईट है आपकी गाण्ड… मैं तो गया हाय!” और राहुल हांफ़ता हुआ झड़ने लगा। लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य को बरसात में धो दिया और मेरी पीठ पर पेशाब करने लगा।
“दीदी मैं भी आया…” और संदीप ने भी पिचकारी छोड़ दी।
मैं भी अब अपने दोनों पांव खोल कर बैठ गई। “आ जाओ मेरे जिगरी… किस को मेरा पेशाब पीना है” और मैंने अपनी पेशाब की धार निकालनी चालू कर दी। संदीप तुरन्त मेरे आगे लेट गया और मेरे पेशाब को अपने मुंह में भरने लगा।
राहुल को मैंने खींच कर बाल पकड़ कर चूत से चिपका लिया और धार अब उसके होंठों को तर कर रही थी… गट गट करके दो घूंट वो पी गया… अजय जब तक इन दोनों को धक्का देता… मेरा पेशाब पूरा निकल चुका था। पर उसने छोड़ा नहीं, अपना मुंह मेरी चूत से चिपका कर अन्दर तक चाट लिया। मुझे राहुल ने पास में खींच कर मुझे लेटा लिया… अब हम चारों एक ही बिस्तर पर आड़े तिरछे लेटे हुये, तेज बरसात की बौछारों का मजा ले रहे थे…। बहुत ही मजा आ रहा था। बरसात और फिर तीन जवान लण्डो से चुदाई। मन में शांति हो गई थी।
बरसात की बूंदें बोबे पर और उन जवान लौड़ो पर गिर रही थी। ठंडी हवा शरीर को सहलाने लगी थी। इच्छायें फिर जागने लगी। बरसात फिर शरीर में चिन्गारियाँ भरने लगी… और एक बार और वासना उमड़ पड़ी। सोये हुए शेर फिर जाग उठे… । उनके तने हुए लण्ड देख कर मैं एक बार फिर तड़प उठी। लाल लाल लौड़ों ने फिर खाई में छ्लांग लगा दी… और सीत्कारें निकल उठी। इस बार सभी का निशाना मेरी प्यारी गाण्ड थी। एक के बाद एक तीनों लण्डों ने मेरी खूब गाण्ड मारी… और मैं मजा लूटती रही…।
Leave a Reply