शादीशुदा महिला की चुदासी चूत

में मनोरमा एक नया अनुभव लेकर आपके समक्ष आयी हु। मेरी उम्र अब 47की हो गयी है पर पता नही मेरी रुची कामक्रीड़ा में बहुत रही शुरू से ही। ये कहानी सच्ची अनुभव है जो मेरी दुनिया मे इंटरनेट और सामाजिक बंधनो से बाहर निकल कर जीने का है। मैं अपने पति के नकारात्मक जीवन शैली से तंग आ चुकी थी उसके लिए केवल अपने मित्र और पैसा जरूरी था। उसके लिए संभोग केवल बच्चे पैदा करने का साधन था। Antarvasna Group Sex Kahani

समय के बदलाव ने मुझे बदल दिया मगर और मेरे पति वही पुराने ज़माने मे जी रहे थे। मेरे पति ने एक पुराना कंप्यूटर खरीदा था और इंटरनेट भी लगवाया था बच्चो के लिए। पर बच्चे आज के जमाने के है और कंप्यूटर आदम काल का सो वैसा ही पड़ा रहता था।

बाद में बच्चो ने उस डब्बे को हमारे कमरे में उसे रख दिया क्योकी इस्तेमाल करना किसी को पसंद नही था। मेरा तो दिन रात अकेले ही गुजरता था. क्योकी पति रांची में रहने लगे थे और कभी कभार घर आते थे। और आये भी तो कभी मन हुआ तो आये मेरे पास और थोड़ा बहुत जो करना हुआ कर बाहर वाले कमरे में जाकर सो जाते।

मैं ज्यादातर अकेली रहती थी किताबे और पत्रिका ही मेरी सहेलियां थी। इसी बीच बच्चो ने मुझे हल्के फुल्के कंप्यूटर चलाना सीखा दिया। मैं अपने पति के बराबर ज्यादा शिक्षित हु और मुझे अंग्रेज़ी लिखना और पढ़ना आता था सो मुझे कोई परेशानी नही हुई। धीरे धीरे मेरा समय कंप्यूटर पर बीतने लगा समय काटने के लिए रात को कभी कोई खेल खेलती तो कभी फ़िल्म देखती।

समय के बदलते इंटरनेट का जमाना गया और ऑनलाइन खेलो का चलन आया। धीरे धीरे मैं इंटरनेट पे समय बिताने लगी। इस बीच कुछ ऐसे साइट्स भी थे जो वयस्क लोगो के लिए था। फिर एक दिन मेरे बेटे ने मेरी एक सोशल मीडिया आईडी बना दी क्योकी वो बाहर जा रहा था पढ़ने।

उसने कहा के इसमें वो मुझसे वीडियो पर बात कर सकता है। उसके होस्टल जाने के बाद हर रविवार वो मुझे वीडियो पर बाते करता। बाकी के दिनों मैं खाली बैठी रहती। एक रात ऐसे ही मैं ऑनलाइन थी तो मेरी नजर एक जगह गयी। वो जगह ऑनलाइन चैटरूम था मैं वहां गयी तो एक के बाद एक संदेश आने लगे मुझे।

मुझे कुछ समझ नही आया के क्या हो रहा और मैंने उसे बंद कर दिया। अगली रात फिर मैंने खोला तो उसी प्रकार से संदेश पर संदेश आने शुरू हो गए। तभी एक संदेश पर एक स्त्री का नाम देख उसे उत्तर दिया। फिर हमारी जान पहचान शुरू हुई और फिर दो घंटे बातें हूई। वो भी एक मेरी ही उम्र की महिला थी और गृहस्तनी थी।

धिरे धीरे हम खुल के बातें करने लगे और उसने बताया के अगर वयस्को की तरह समय बिताना चाहती हो तो एक साइट पे चली जाओ। उस साइट का नाम एडल्ट फ्रेंड फाइंडर है और मैं वहां चली गयी। पहले तो बहुत अटपटा से लगा पर जब मै सदश्य बन गयी तो धीरे धीरे उसके तौर तरीके, नियम और लोगो के बारे में जान गई।

फिर यही से मेरी इंटरनेट से असल वयस्क जीवन शुरू हुई। इस साइट पे मैं २०२० से हु और मेरे बहुत से मित्र बने और कुछ लोगो से मिली भी। ये कहानी एक मेरी इसी साइट से मिली सहेली और एक दंपति की है जिन्हें मैंने ऑनलाइन संभोग करते देखा था। तीनो को संभोग करते देख मेरी भी वासना जग गयी और उसके बाद जो हुआ आगे बताती हु मैं अब।

मेरी सहेली का नाम मोना है जो 38 साल की है और दंपति में पुरुष टॉम 57 और महिला कबीर 55 की है। उस रात वो लोग संभोग के बाद क्या करने लगे ये तो नही पता पर में सो गई थी। दो दिन तक उनसे बात भी नही हुई थी क्योंकि मैं घर के कामो में उलझ गयी थी। जन्माष्टमी सामने थी सो सब उसी में लगे थे और मैं भी घरवालो के साथ व्यस्त हो गयी थी।

दो दिन के बाद मेरे बड़े भाई की लड़की और उसका पति आया सो सब मेहमान नवाजी में लग गए। दोपहर तक मुझे थोड़ा आराम करने का मौका मिला सो मैं अपने कमरे में सोने चली गई। अकेले थी सोची के देखु ऑल्ट साइट पे क्या चल रहा। मैन मोना और टॉम का संदेश देखा टॉम ने मुझसे मिलने की इच्छा जताई थी तो वही दूसरी तरफ मोना ने लिखा था के वो मुझसे मिलने आरही है।

मैन मोना की बात को मजाक में लेते हुए जवाब दिया के जब मर्ज़ी चली आना। टॉम को मैंने जवाब दिया के मुझे सोचने का समय चाहिए मेरे लिए घर से निकल पाना मुश्किल है। कुछ पलों के बाद मुझे संदेश आया के कबीर ऑनलाइन है और वो भी मुझसे मिलने के लिए वयकुल है।

कबीर ने दोबारा संदेश दिया के उसके घर कोई मेहमान आया है और उसने अपना कैमरा चालू कर मुझे आग्रह किया के देखु। मैंने देखा तो सामने बिस्तर पर एक नीग्रो दम्पति था। कबीर ने बताया के वो उनके अमरिकी मित्र है। टॉम दफ्तर गया है और वो तीनो ही ही सिर्फ घर पर थे।

दोनो मर्द और स्त्री निर्वस्त्र थे और एक दूसरे के साथ आलिंगन कर रहे थे जबकी कबीर अपने कैमरे के सामने मुझसे बातें कर रही थी। नीग्रो दंपति बहुत ही काले थे, और स्त्री काफी मोटी ओर लंबी चौड़ी वही मर्द का शरीर किसी पेहलवा की तरह था। मुझे लगा आज फिर कुछ रोचक दृश्य दिखेगा।

में बहुत उत्सुक हो गयी तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया मैंने तुरंत मोबाइल बन्द कर दिया और दरवाजा खोला तो देखी के हमारा नाती (बड़े भाई साहब की लड़की का बेटा) जो के 2साल का है खड़ा था। मैंने उसे गोद मे उठाया और प्यार करने लगी। मेरे दिमाग से सब अब निकल चुका था और पीछे से हमारी भतीजी भी गयी तो हमदोनो कमरे में जाकर बात चीत करने लगे।

दिन बस ऐसे ही निकल गया दोबारा मोबाइल पर धयान नही गया। अगले दिन टॉम का फिर से संदेश आया और उसने मुझे पूछा के क्या हम मिल सकते है। मैंने सोचा तो नही था कभी के ऐसा हो सकता है। पर बार बार टॉम और कबीर द्वरा पूछने पर अब मेरे दिल मे हलचल सी होने लगी। अंदर से डर भी लगने लगा।

दिन भर मेरे दिमाग मे बस यही बात चलती रही के क्या जवाब दु। रात हुई तो मोना का भी संदेश आया के चलो पिछली बार की तरह फिर से कुछ किया जाए। मैंने सीधा उत्तर दिया के मेरी विडंबना वो जानती है मैं जल्दी बाहर नही जा सकती। उसपर उसने कहा के पिछली बार की तरह ही वो मुझे बाहर निकाल लेगी।

मुझे थोड़ा यकीन आया क्योकि मेरे घरवाले मोना से मिल चुके है तो बाहर जाने से मना नही करेंगे। पर अब ये सोचने लगी के बहाना क्या बनाउंगी। मैंने शांलिनी को कहा के मैं सोच कर बताऊंगी। तबतक कबीर का भी संदेश गया और पूछी के कब मिलने का सोचा है। पता नही क्यो मेरे अंदर से बात निकल गयी और मैन उसे उत्तर दे दिया के सोच कर बताऊंगी।

अगले दोपहर मैंने मोना को संदेश भेजा के किसके साथ मुझे मिलवाना चाहती है। उसने उत्तर दिया टॉम ओर कबीर से। मै समझ गयी ये तीनो मिलकर ही साथ मे योजना बना रहे थे। फिर मैंने पूछा के कहा मिलने की योजना है। मोना ने उत्तर दिया के मैं परेशान न होऊ टॉम सारा इंतेज़ाम कर लेगा और सुरक्षित जगह पर ही मिलेंगे और दिन में ही मिलेंगे ताकी मेरे घरवालों को कोई आपत्ती न हो।

उसकी बातें सुन कर भरोसा हुआ। पर जब उसने कहा के कब मिलना है तो मैं सोच में पड़ गयी। मैंने कहा सोच कर बताऊंगी। अब मैं ये सोचने लगी के आखिर ये सब होगा कैसे वो लोग तो मुक्त थे पर मेरी अपनी परेशानियां थी। दिन भर सोचने के बाद मैंने तय किया के उनको माना कर दूंगी। पर रात को सोचते सोचते पता नही अचानक मैंने निश्चय कर लिया के मिलूंगी।

शायद ये मेरे अंदर की वासना थी जो जागृत हो गयी थी। कैसे मिलु कैसे मिलु सोचते सोचते मुझे खयाल आया के जन्मास्टमी के दिन कोई बहाना बना कर निकाल सकती हूं दिनभर के लिए। करीब 2 बजे रात को मैन मोना को संदेश भेज सारा बता दिया और सो गई। अगले दोपहर मेरे पास संदेश आया के सब तैयार है और मोना मुझे अपने साथ दिनभर के लिए ले जाएगी।

मुझे पूरी तरह से यकीन नही था और अंदर से डर भी लग रहा था। बस एक हफ्ते की बात थी पर मेरे मन बहुत बैचैन हो रहा था तरह तरह के ख्याल मन में आ रहे थे। कभी घरवालो का डर होता तो मनोबल टूटने लगता तो कभी टॉम का खयाल से डर क्योकि मैं उससे पहले कभी मिली नही थी और न ही वो हमारी प्रजाती से था।

मैं खुद नही बता सकती के मेरे भीतर क्या चल रहा था। मैंने अपनी सारी व्यथा उन तीनों से कहनी शुरू की उन्होंने मेरा हौसला बढ़ना शुरू किया पर मेरी स्तिथी मुझे बेहतर कोई नही जानता था। इन्ही खयालो बातो से एक हफ्ता बीतने को हो गया और जन्मास्टमी से एक दिन पहले उन्होंने मुझे एक संदेश भेजा के वो मेरे सहर के पास आ गए है।

मेरे तो जैसे होश ही उड़ गए दिनभर सोचते हुए रात मैंने उन्हें मिलने से मना कर दिया। मोना पूरी तरह से नाराज हो गयी। मोना ने मुझसे कहा के वो सब इतनी दूर से आये है पैसा खर्च किया और अब मैं नाटक करने लगी। उसने करीब 2 बजे रात तक मुझे मनाया फिर मैं भी उनकी बातें सुन मां गयी।

रात बहुत देर से नींद आयी। पर सुबह जल्दी खुल गयी। 10बजे मोना मेरे घर पहुच गयी मेरे घरवालो को कुछ हैरानी नही हुई क्योकि सभी मोना से मिल चुके थे। जब मैंने कहा के में उसके साथ उसके घर जा रही तो बड़ी जेठानी ने केवल इतना कहा के ज्यादा रात मत करना और अगर देर हूई तो अगले सुबह जल्दी आ जाना।

जेठानी की बात सुन कर मोना तो जैसे खुसी से झूम गयी पर उसने अपने आव भाव किसी को पता नही चलने दी। मेरा भी हौसला मजबूत हो गया सुन कर और मैंने कहा मोना जल्दी चलो रात होने से पहले वापस आना है। हम बाहर निकल ही रहे थे तो छोटी देवरानी ने टोका मेरा दिल बैठ स गया।

मैंने भगवान को याद करना शुरू कर दिया और पूछा क्या हुआ। देवरानी ने पूछा क्या हम बाज़ार जा रहे?मोना ने जवाब दिया हा थोड़ा पूजा का सामान लेने जाना है। तब देवरानी ने एक पर्ची दी और पैसे और कहा के ये सामान ले आना। मैंने पर्ची देखी तो सृंगार का सामान लिखा था.

मैंने बोला अगर देर नही हुई तो जरूर ला दूंगी। देवरानी ने बड़े प्यार से विनती की के कृपा कर केला देना इधर मिलता नही ये सब जो में इस्तेमाल करती हूं और आपके देवर ध्यान भी नही देते। तभी जेठानी भी बाहर आने लगी तो मोना ने तबाक से जवाब दिया हा सबसे पहले तुम्हारा ही सामान ले लेंगे ताकी जल्दी बाज़ार से निकल सके।

जेठानी ने पूछा क्या हुआ गई नही देर करोगी क्या?

देवरानी ने उत्तर दिया के दीदी बाजार जाएगी तो मैंने भी समान मंगवा लिया उसने साथ ये भी बता दिया के किस जगह आसानी से मिल जाएगी। हमने समय ज्यादा न बर्बाद कर तुरंत गाड़ी में बैठ निकल आये। मोना स्वयं गाड़ी चला रही थी, मैने उससे पूछा के टॉम और कबीर कहा है और मिलने की जगह सुरक्षीत तो है?

मोना ने तुरंत जवाब दिया फिक्र मत करो इसबार ऐसी जगह पर सारा इंतेज़ाम है के दिल खुश हो जाएगा और किसी प्रकार का कोई भय नही रहेगा। मैंने कहा पहले देवरानी का सारा सामान ले लेते है और हम बाज़ार चले गए सारा सामान खरीदा। करीब दोपहर के दो बजे गए थे काफी देर हो चुकी थी इसलिए अब घबराहट भी होने लगी थी।

उधर टॉम और कबीर से मिलने की उत्सुकता भी थी और भय भी के आज क्या होगा। मोना ने कहा बस आधे घंटे का रास्ता है परेशान न हो। पता नही उसे इस सेहर का पता इतना ज्यादा कैसे था। बहुत ही भयहीन औरत है मोना, सही मायने में वो आज के युग की महिला थी। करीब 3-4 कीलोमीटर सेहर से बाहर निकल मुख्य सड़क पे आने के बाद उसने एक कच्ची सड़क पकड़ी जो सीधा जंगल के भीतर जा रहा था।

मैं और भी ज्यादा भयभीत होने लगी के आखिर ये कहा जा रही थी। थोड़ी दूर और अंदर जाने पे पता चलने लगा के ये राष्ट्रीय उद्यान है और ये पीछे की तरफ ले जा रही थी मुझे। मैन मोना से कहा यहाँ कहा जा रही हो अंदर जंगल के सिवा कुछ नही है। और यहां काफी लोग आते है घूमने तुम मुझे वापस मेरे घर छोड़ दो।

मोना ने कहा तुम बहुत डरती हो थोड़ा सब्र कर लो तो बात पता चलेगी। मेरे पास कोई विकल्प नही था। उस कच्ची सड़क से दूर कुछ लोग दिखने लगे थे जो घूमने आए थे। मुझे बहुत घबराहट होने लगी के कोई पहचान का व्यक्ती न मिल जाये तो मेरी सारी असलियत बाहर आ जायेगी।

कुछ दूर और चलने पे पूरा सुनसान जंगल और घने पेड़ दिखने लगे। थोड़ी दूर और चल कर एक रास्ता बाड़ के भीतर जाने का दिखा। हम भीतर चले गए तो देखा एक गेस्ट हाउस था। ऐसा दिख रहा था जैसे भूतिया हवेली हो और दूर दूर तक कोई नही था केवल पेड़ो पर बंदर ओर चिड़िया हलचल कर रहे थे।

मैंने मोना से पूछा क्या यही जगह है, उसने उत्तर दिया है। में डर गई और बोली मुझे वापस घर ले चलो मुझे डर लग रहा है। उसने मुझे बताया के फिक्र करने की कोई बात नही ये बाहर से ऐसा है भीतर चलो तो असली नज़ारा दिखेगा। मोना ने गाड़ी से उतरने के बाद बताया के ये वन विभाग का गेस्ट हाउस है पर बन्द था।

टॉम के एक जानकार ने इसे साफ सफाई करवा कर यहां ठहरने की अनुमती दी है। टॉम ने बहुत पैसा खर्च कर सारा इंतेज़ाम किया है और वन विभाग के चौकीदार को इधर आने से मना किया हुआ है। मैं समझ गयी के
टॉम किसी रसूकदार पद पर होगा तभी ये मिला क्योकी बहुत से विदेशी पर्यटक यहां आते तो है पर इतनी सुविधा सबको नही मिलती। जो भी आते है वो मुख्य द्वार से अंदर आते है और वही के गेस्ट हाउस में रुकते है।

ये गेस्ट हाउस बहुत पुराना था और इस तरफ काफी घाना जंगल था सो किसी के भी इधर आने की बहुत कम संभावना थी। मोना और मैं बातें करते हुए दरवाजे तक पहुचे, दरवाजा खटखटाया तो मेरी दिल की धड़कन दोगुनी हो गयी। तभी मोना ने अपने पर्स से एक रेडियो निकाला और उसमें अंग्रेजी में कहा हम गए है। उधर से टॉम की आवाज थी उसने कहा ओके।

मोना मेरी तरफ देखती हुई बोली यहां मोबाइल काम नही करता सलिये किसी भी मुसीबत में संपर्क करने का यही तरीका है। मोना की बात खत्म होते ही दरवाजा खुला। और सामने एक पहाड़ से व्यक्ती मुस्कुराता हुआ हमारा स्वागत कर रहा था। मैंने जैसा सोचा था ये सब वैसा नही था एक पल के लिए लगा क्या यही टॉम है या कोई हमसकल। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

करीब 7 फ़ीट का विशालकाय व्यक्ती, गेहुआ रंग, सुडौल कंधे, मजबूत बाजू, चिकनी चमड़ी। में तो केवल उसके पेट तक ही आरही थी। मैंने मोना से पूछा क्या ये ही टॉम है इतना लंबा चौड़ा। उसने बताया टॉम 6फ़ीट 6इंच का है पर शरीर की सुडौलता के कारण इतना भयानक दिखता है।

खैर इतना कहते ही टॉम ने बड़े शालीनता से मेरा स्वागत किया और भीतर आने का न्योता दिया। टॉम का स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगा, उसने मेरी तरफ करनी शुरू कर दी पर वो ज्यादातर अंग्रेज़ी में बोल रहा था तो मोना मुझे अनुवाद कर बता रही थी।

देखा जाए तो टॉम और मुझे एक समानता यह थी कि उसे हिंदी ठीक से आती नही थी और मुझे अंग्रेज़ी ठीक से नही आती थी। मइके केवल एक शार्ट पैंट में था बाकी पूरा बदन खुला था। हमदोनो बाकी सभी चीजों में विपरीत थे। उसने मुझे बैठने को कहा और पूछा कुछ पियोगी। मोना ने कहा के ये शराब नही पीती तो उसने मुझे ठंडा पीने के लिए कहा और एक तरफ जाने लगा।

जब वह चल रहा था मेरा ध्यान उसकी पैंट पर गयी, उसका लिंग झूल रहा था पैंट के अंदर में समझ गयी के उसने अंदर कुछ नही पहना और साथ ही अचंभित भी थी के जिसप्रकार लिंग झूल रहा काफी बड़ा लग रहा जब कि वो उत्तेजित भी नही था। मैंने कमरे को देखा काफी काम करवाया गया था, एक तरफ रसोई घर था जहाँ टॉम गया था, हम जहा बैठे थे वहां सोफे रखवाए गए थे हमारे पीछे एक गलियारा था शायद पीछे कुछ कमरे थे।

यही सब देखते हुए मैंने मोना से पूछा के कबीर नही आई है क्या?मोना ने तुरंत जवाब दिया टॉम और कबीर कभी अलग नही राह सकते। मैंने कहा तो वो कहा है, उसने कहा भीतर कमरे में होगी। मैंने कहा तो फिर चलो मिलते है उससे। एक औरत का दूसरी औरत से मिलने में ज्यादा हिचकिचाहट नही होती जैसा के मर्दो से मिलने में होती है।

मोना ने कहा हा चलो तबतक टॉम एक ठंडा और एक गिलास में मदिरा लेकर गया मदिरा मोना को दिया और ठंडा मुझे। टॉम ने कहा कबीर अंतिम कमरे में है और हम तीनों एक साथ चल पड़े। दरवाजे के सामने पहुचते ही किसी मर्द के कराहने की आवाज सुनाई दी मुझे।

मैंने मोना और टॉम की तरफ देखा दोनो मेरी और मुस्कुराते हुए देखने लगे और मोना ने दरवाजा खोला। भीतर जो नजारा था वो मैंने अपने जीवन मे पहले कभी नही देखा था। एक मर्द अपने घुटनों के बल कुत्तो के तरह बिस्तर पर झुक हुआ था और उसके पीछे कबीर मर्दो की तरह धक्के मार रही थी।

मेरे तो कुछ समझ नही आरहा था के ये आखिर हो क्या रहा। मोना ने मेरी दुविधा को समझ लिया और उसने मेरा हाथ पकड़ कर भीतर खिंचा। तभी कबीर ने धक्के मारते हुए मुझे हेलो कहा, और बोली आखिर हम मिल ही गये सुंदरी। वो मर्द भी अपना सिर उठा कर मुझे देख हेलो कहा।

मुझे लगा के में इस मर्द को देख चुकी हूं। मोना ने मुझे कबीर के ठीक सामने ले जाकर खड़ा कर दिया और कहा शौक बड़ी चीज है। जब गौर से देखा तो मैं अचंभित…. रह गयी कबीर एक प्रकार का रबर का लिंग एक बेल्ट के सहारे टिकाये हुए उस व्यक्ती के गुतांग में घुसा संभोग कर रही थी।

तब मोना ने मुझे समझाया के ये एक तरह का गुदा मैथुन है। जिसमे अप्राकृतिक लिंग के सहारे समलैंगिक महिलाएं एक दूसरे के साथ संभोग करते है। पर यहां तो एक मर्द और औरत उल्टा कर रहे थे। मोना ने मुझे बताया कुछ मर्द ऐसे भी होते है जिनको अपनी गुप्तांग में लिंग पसंद होता है। ऐसे मर्द समलैंगिक भी होते है।

मैंने तभी टॉम की तरफ देखा उसने तुरंत कह दिया मुझे कोई शौक नही ऐसा और न ही वो समलैंगिक है उसे केवल औरते ही पसंद है। मैंने देखा कबीर जहा उसे धक्के मार रही थी वही वो मर्द कराह रहा था और एक हाथ से अपना लिंग जोर जोर से हिला रहा था।

मैंने मोना से कहा मुझसे ये सब नही देखा जाएगा और बाहर जाने लगी तभी कबीर ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा रुको हम सब तुम्हारे लिए ही तो यहां आए है। फिर टॉम ने मुझे पकड़ कर वही एक सोफे पे बैठने को कहा, मोना भी मेरे साथ बैठ गयी।

कबीर ने उस व्यक्ति को कुछ कहा और वो व्यक्ति अपनी अवस्था से उठ कर पीठ के बल लेट गया। कबीर ने जो लिंग लगा रखा था वो काफी मोटा और लंबा था, उसने उस पर एक क्रीम चिकनाई के लिए लगाई और उसे फिर से उसके गुप्तांग में घुसा धक्के मारने लगी।

दोनो अब आमने सामने थे सो कबीर धक्के मारने के साथ साथ उसके लिंग को पकड़ जोर जोर से हिलाने लगी। 5मिनट के बाद वो मर्द और जोर जोर से कराहने लगा, और उसने भी कबीर का हाथ पकड़ अपने लिंग को और जोर जोर से हिलाने लगा। तभी अचानक एक तेज़ चीख निकली उसकी और एक तेज़ पिचाकरी छुटी उसके लिंग से।

उसका वीर्य इतनी तेजी से निकली के सीधा कबीर के मुख और छातियों पे जा गिरी। वीर्यपात होते ही वो व्यक्ति शांत हुआ और कबीर ने भी लिंग उसके गुप्तांग से बाहर खिंच लिया। वो व्यक्ती वही लेता रहा जबकी कबीर बिस्तर पर से उठ कर हमारे पास आई और बोली के सफाई कर कर आती हु। और वो स्नानागार की और चली गयी।

थोड़ी देर बाद वो व्यक्ति भी उठा और टॉम की तरफ देखते हुए बोला के उसकी पत्नी(कबीर)कमाल की औरत है, कास उसकी पत्नी भी वैसी ही होती। टॉम ने भी पूछा क्या तुम्हें मजा आया?उसने उत्तर दिया के ये उसका सबसे अच्छा पल था जीवन का। फिर उसने मुझे देखा और जो मेरी आईडी थी वयस्क साइट पर उसी नाम से मुझे पुकारा। मैं हैरान हो गयी के इसे कैसे पता चला।

तब उसने बताया के वो भी उस साइट पे है और मेरी मित्रो की सूची में भी है पर केवल एक बार बात हुई थी उससे, जिसमे उसने ये बात कही थी जो आज कबीर ने उसके साथ किया। और इसीलिए मैंने इस व्यक्ति से दोबारा बात नही की थी। मुझे कुछ याद नही पर शायद ये हुआ भी हो क्योकि ये व्यक्ती मुझे देकग देख सा लग रहा था।

वैसे भी उसने जो अपना शौक बताया वो मुझे अनपचा लगा सलिये ज्यादा रुचि नही लिया मैंने। मुझे बस ये पता करना था के वो कहा कि रहनेवाला है। बातों से पता चला के वो वन विभाग का ही अधिकारी है और इस सहर का नही बस उसकी पहचान का कोई है इस वन विभाग का अधिकारी।

अब मुझे समझ आया के कैसे टॉम ने सारा इंतेज़ाम किया होगा। वैसे टॉम को देख कर भी लग रहा था के काफी पैसेवाला होगा। खैर मुझे इस बात से कोई मतलब नही था पर मैं चाहती थी के वो व्यक्ती यहां से चला जाये। और हुआ भी ऐसा ही उसने कहा के उसे जाना है उसे जो चाहिए था वो मिल गया।

वो केवल इसी तरह का शौक रखता था तभी वो संतुस्ट लग रहा था उसने खुद को साफ किया कबीर के साथ कपड़े पहने और कबीर को चूम कर चला गया। टॉम उसे दरवाजे तक छोड़ आया और कुछ बातें भी की फिर दरवाजा बंद कर वापस हमारे पास चला आया।

कबीर भी अब बाहर आकर मेरे बगल में बैठ गयी और उसका वो रब्बर का औजार अभी भी उसकी टांगो के बीच लटक रहा था। मुझे उसे देख बहुत हसी आरही थी तब कबीर ने कहा के भारत मे ऐसा बहुत कम दिखता है पर विदेशो में खासकर फिलीपीन्स, थाईलैंड जैसे देशों में आम बात है।

उसने बताया के लोग अब केवल संभोग मात्र तक सीमित नही राह गए बल्कि संभोग का मजा बढ़ाने के तरीकों पे जोर देने लगे है। उसने ये भी बताया के बहुत से मर्द औरत और औरत मर्द बन जाते है सर्जरी करा कर। में मन ही मन सोचने लगी है भगवान दुनिया कितनी अलग है।

कबीर के रूप को बार बार निहार रही थी तो उसने फिर बताया के ये तो नकली लिंग है, बहुत से ऐसे लोग भी मिलते है जिनका आधा अंग मर्द का और आधा अंग औरत का होता है। मुझे उनकी बात पर यकीन नही हो रहा था। तब उसने अपना लैपटॉप खोला और एक वीडियो दिखाई जिसमे एक औरत की तरह दिखने वाली के योनी नही बल्कि लिंग था।

वो केवल 5मिनट का वीडियो था पर उसने मुझे दुनिया के एक नए पहलू से अवगत कराया। उस वीडियो में एक मर्द, एक औरत, और एक आधा मर्द और औरत संभोग कर रहे थे। वो मर्द और अर्धमहिला कभी एक दूसरे के साथ संभोग करते तो कभी महिला को एक साथ संभोग करते। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

कभी मर्द अर्धमहिला के गुप्तांग में अपना लिंग डालता तो कभी अर्धमहिला मर्द के गुप्तांग में। कभी दोनो उस पूरी महिला के योनी में लिंग डालते तो कभी उसकी गुप्तांग में। बड़ा ही अजीबो गरीब वीडियो था। अंत के दृश्य में मैं और भी हैरान रह गयी जब दोनों का वीर्यपात देखा।

मर्द का तो सही था पर उस अर्धपुरुष या अर्धमहिला जो भी था उसका वीर्य निकलते देख अचंभित हो गयी। खैर जबतक वो वीडियो खत्म हुआ कबीर ओर मेरे बीच अच्छी मित्रता हो गयी और काफी खुल गए। वो बार बार
मेरे बालो को सहला कर मेरी तारीफ किये जा रही थी, वो अपने जनन्नागो को मेरे जननांगों से बराबरी कर रही थी।

मेरा हर चीज़ उससे थोड़ा बड़ा था केवल वो मुझसे थोड़ी लंबी और ज्यादा गोरी थी। उधर मोना ने अपनी गिलास खाली कर के सामने लैपटॉप पर संगीत लगा दिया और झूमने लगी। उसने जीन्स और शर्ट पहन रखी थी जिसे उसने झूमते झूमते उतारना शुरू कर दिया। पहले उसने शर्ट उत्तरी फिर अपनी जीन्स और फिर ब्रा पैंटी में मदमस्त होकर झूमने लगी।

उसके स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे ब्रा में कोई कैदी और आज़ाद होना चाह रहे हो। वो पहले से काफी वजनी हो गयी थी, उसके जांघ और नितम्ब पहले से काफी बड़े और मोटे लग रहे थे। पर जिस प्रकार वो लंबी थी कोई कह नही सकता के वो मोटी दिखती है, बस भरा भरा बदन था जो किसी भी मर्द के मुह में पानी ला दे।

वो धीरे धीरे नाचते हुए टॉम की और आयी फिर टॉम के बाहो में झुक कर टॉम को चूमने लगी। इससे पहले तो मैने उन्हें अपने मोबाइल में देखा था पर आज संजोग से मेरे बगल में दोनों थे। एक तरफ कबीर मेरे बालो को सहलाते हुए मेरा पल्लू सरकाने लगी दूसरे बगल मोना और टॉम एक दूसरे से प्यार करने लगे।

कबीर ने मेरे कान में कहा तुम्हारी चमड़ी कितनी मुलायम है और तुम्हारे बदन की खशबू मुझे मदहोश कर रही। (कबीर की भाषा आधी अंग्रेज़ी और आधी हिंदी में थी)। उसने पल्लू मेरे स्तनों से नीचे सरका दिया और मेरे गले को चूम कर बोली “मैं तुम्हारा स्वाद चखना चाहती हु”।

ये सब्द बड़े अटपटे से लगे मुझे में सोचने लगी क्या कबीर मेरे साथ वो करना चाहती है जो कुछ देर पहले उस मर्द के साथ कर रही थी। मैं बहुत असमंजस में थी और स्वयं निर्णय नही कर पा रही थी के जो मेरे साथ हो रहा उसे रोकू या होने दु। मेरा मन और मस्तिष्क आपस मे ही लड़ रहे थे के मुझे अच्छा लग रहा या नही।

और मैं किसी तरह से कबीर का विरोध भी नही कर पा रही थी। अंत मे मैंने सोचा होने देती हूं जो हो रहा। कबीर ने मेरे सिर को दूसरी तरफ घुमा के मेरे गर्दन पर अपनी जुबान फिरानी शुरू कर दी। तभी मैंने देखा के टॉम बड़े गौर से मेरे स्तनों को घर रहा है।

पल्लू नीचे होने की वजह से मेरा आधा स्तन दिख रहा था, और बड़े होने की वजह से दोनो स्तनों के बीच की गहराई साफ दिख रहे थे… मोना टॉम के सीने को चूमती हुई नीचे झुक गयी और घुटनों के बल बैठ कर टॉम के लिंग को उसके पैंट के ऊपर से ही चूमने और सहलाने लगी।

मेरी उत्सुकता काफी बढ़ गयी टॉम के लिंग को देखने की क्योकी मैंने मोबाइल में देखा था इसलिए अंदाज नही लगा सकी थी उस समय। थोड़ा और सहलाने के बाद मोना ने टॉम का पैंट खिंच कर उसे नंगा कर दिया। मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी, भूल गयी के कबीर मेरे बदन से खेल रही है।

टॉम का लिंग किसी सामान्य व्यक्ती की भांति 3-4 गुना बड़ा था। उसका लिंग अभी उत्तेजित भी नही था पर उसकी मोटाई और लुम्बई देख मैं तो डर गई। मैंने मैन ही मन निश्चय किया कबीर जो चाहे मेरे साथ कर ले मगर टॉम को मैं कुछ नही करने दूंगी। मोना ने टॉम के लिंग को हाथ मे लेकर हिलाया डुलाया।

लिंग मोना की मुठ्ठी में नही आरहा था इतना मोटा था। अंदाज से कह सकती हूं कि 4इंच मोटाई होगी इस अवस्था मे और लंबाई करीब 6 से 7इंच। मोना के हाथ मे उसका लिंग ऐसे लग रहा था जैसे कोई काला नाग सोया हो जिसे मोना जगाने का प्रयास कर रही थी। मैंने दोबारा टॉम की और देखा तो अभी भी मेरे स्तनों को ललचाई नजरो से घूर रहा था।

तभी कबीर ने कहा मैं तुम्हे चख के देखती हूं। और उसने मेरी साड़ी ऊपर उठा दी कमर तक। टॉम की नजर तुरंत मेरी मोटी मोटी जांघो की और चली गयी। मैं एकदम से शर्मा गयी क्योकी टॉम से मेरी ये पहली मुलाकात थी और सहज होने में थोड़ा तो समय लगता ही है।

मैंने तुरंत अपनी साड़ी वापस नीचे कर ली इसपर कबीर ने कहा “अब शर्माओ मत इतने दिनों के बाद मिली हो थोड़ा देखने तो दो आखिर तुम्हारा स्वाद कैसा है”। टॉम ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा “प्लीज अब इतना भी न तड़पाओ हमे।” कबीर ने विनती भरे स्वर से दोबारा बात दोहराती हुई मेरी साड़ी धीरे धीरे ऊपर मेरी कमर तक उठा दी।

उसने मेरी जांघो को सहलाया फिर नाक लगा कर सूंघते हुए मेरी जांघो को चूमने लगी। मेरी जाँघे आपस मे चिपकी हुई थी उसने हौले हौले उन्हें फैलाना शुरू किया और छुमते हुए मेरी योनी के पास गई। उसने मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी योनी को छुआ फिर नाक लगा कर सुघने लगी।

उसने मेरी योनी में नाक लगा कर एक लंबी सांस खिंची और टॉम को देख कर बोली “बहुत मादक और सौंधी ख़ूबसू है, मेरे मुह में तो पानी गया”। फिर उसने मेरी योनी को पैंटी के ऊपर से ही चूम और मुझे मेरी योनी चाटने की विनती करने लगी। मैं चुप रही समझ नही रह था क्या जवाब दु। मेरा कोई उत्तर न पाकर उसने मेरी पैंटी स्वयं थोड़ा नीचे खिंचा और नाभि और योनी के बीच हिस्से को चूमने लगी।

अभी भी मेरी योनी नही दिख रही थी मैंने देखा के टॉम काफी उत्सुक था मेरी योनी के दर्शन को। उधार मोना ने टॉम का लिंग अपने मुह में भर लिया था। उसने दोबारा लिंग मुह से बाहर निकाला और दोनों हाथों से पकड़ लिंग के सुपाड़े को उसके ऊपर की चमड़ी पीछे खींच कर खोल दिया।

मोना ने उसके सुपाड़े को जीभ से चाट कर पूरा गिला कर दिया, फिर उसके मूत्र द्वार को जीभ से चाटने लगी। टॉम का लिंग धीरे धीरे उत्तेजीत होने लगा और उसका आकार भी बढ़ने लगा। टॉम का सूपड़ा भी काला था और उसके लिंग की चमड़ी कोयले सा काला था बस बदन गेहुआ रंग का दिख रहा था। मोना ने फिर से लिंग को मुह में भर कर उसे अंदर बाहर करने लगी।

कबीर ने मेरी पैंटी खिंचनी शुरू कर दी जिससे मेरी योनी दिखने लगी पर मैं बैठी थी इस वजह से पैंटी बाहर नही आ रही थी। मैंने अपनी चूतड़ थोड़ा उठा दी मेरी पैंटी सटाक से बाहर हो कर तलवो तक चली गई। टॉम ने जब मेरी योनी के दर्शन किये उसके चेहरे पे रौनक सी गयी। मैंने उसका मन पढ़ लिया वो भीतर से बहुत खुश हो गया था।

पर अभी भी उसे मेरी योनी ठीक से नही दिख रही थी केवल उसे मेरी योनी के दरार और फूली हुई योनी की ऊपरी हिस्सा ही दिख रहा था. क्योंकि वो मेरे बगल में बैठा था। उधर कबीर ने मेरी जाँघे फैला कर योनी पे हाथ फेरा तो मेरे बदन में करंट से दौड़ गया। उसने मेरी योनी की तरफ करनी शुरू कर दी।

टॉम से भी नही रहा गया और उसने भी मेरी योनी को छुआ और कहा “कितनी मुलायम और गर्म है”। कबीर ने अपनी जुबान मेरी योनी के ऊपरी हिस्से के दाने पर टिका कर उसे चाटने लगी। मैं अब उत्तेजित होने लगी पर खुद पे काबू किया और अपनी आंखें बंद कर सिर सोफे पे टिका दिया।

कबीर ने मेरी टांगो को ऊपर उठाया और अपने कंधे पे टिक कर दोनो हाथो से मेरी योनी को फैला कर दोनो तरफ की पंखुड़ियों को खोल दिया। मेरी योनी का छेद खुल गया था कबीर ने अपनी जुबान मेरी योनी के एकदम निचले वाले हिस्से पे रखा और चाटते हुए ऊपर दाने तक आयी और बोली “मममम कितनी प्यारी सुगंध है, और स्वाद भी लाजवाब है”।

उसके कहते ही मैंने कबीर की तरफ देखा वो अपना सिर उठाये मुझे देख मुस्कुराई और अपनी नजर मेरी नजर से मिलकर दोबारा योनी को नीचे से ऊपर तक चाटने लगी। कबीर के जीभ के पानी से मेरी योनी गीली हो गयी थी पर अब मेरी योनी में भी नामी आने लगी थी। जैसे जैसे वो मेरी योनी से खेल रही थी वैसे वैसे मेरी वासना की ज्वाला तेज़ होती जा रही थी।

मैंने कामुकता में आकर उसके सिर को दोनो हाथो से पकड़ लिया। कबीर ने अपनी दोनों हाथों की एक एक उंगलिया मेरी योनी के द्वार में घुसा कर योनी को पूरा खोल दिया और अपनी जीभ उसमे घुसाने का प्रयास करने लगी। मुझे ऐसा आभास हो रहा था जैसे कोई रुई का लिंग मेरी योनी से मैथुन कार रहा हो। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैंने टॉम की और एक बार देखा वो मुझे देख मुस्कुरा रहा था पर उसकी आँखों मे वासना की चमक थी। मैंने फिर मोना की तरफ देखा तो वो लिंग को चूस रही थी और लिंग पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। इस अवस्था मे लिंग इतना मोटा था के मोना के मुह में केवल सुपाड़ा ही घुस रहा था, और उसने दोनो हाथो से लिंग पकड़ रखा था।

थोड़ी देर और चूसने के बाद उसने टॉम से कहा के तुम्हारा हथियार तैयार हो गया है। दोनो हसने लगे इस बात पे फिर मोना ने कबीर को कहा “जरा मुझे भी तो चखने दो बहुत दिनों के बाद मिली है और मैंने कभी नही चखी इसकी योनी”। ये सुनते ही कबीर ने मुझे छोड़ दिया और मेरी टांगे नीचे रख अलग खड़ी हो गयी।

मोना मेरी तरफ आयी तो मैंने बिना कुछ कहे अपनी टांगे उठा कर सोफे पे रख टांगे फैला दी। मोना फिर झुक कर अपना मुह मेरी योनी में भिड़ा कर चाटने लगी। थोड़ा चाटने के बाद बोली “कितनी गीली हो चुकी है तुम्हारी योनी, भीतर से पानी रिस रहा, अब समझ आया के मर्द क्यो तुम्हे चाहते है”। अपनी तारीफ सुन कर में भीतर से बहुत खुश हुई पर सोच भी रही थी के कैसे भी में स्खलित हो जाऊं।

तभी टॉम का स्वर गरजा और ठीक मेरे सामने खड़ा होकर बोला “अब मेरी बारी है”। मैंने देखा उसका लिंग किसी लोहे के समान मेरी आंखों के पास टनटना रहा था। वो एक दानव की तरह दिख रहा था। मोना मेरी जांघो के बीच से अलग हुई तो टॉम नीचे बैठ गया और उसने भी मेरी योनी का स्वाद चखना शुरू कर दिया।

मोना और कबीर से कही ज्यादा ही उत्तेजना दिख रही थी टॉम में। टॉम भले ही बहुत उत्तेजित था पर बहुत अनुभवी भी था, वो अपनी उत्तेजना को काबू में करना जानता था। उसने मेरी जांघो को बहुत प्यार से पकड़ रखा था और योनी में अपनी जुबान ऐसे फिरा रहा था जैसे कोई बच्चा आइस क्रीम को चाट रहा हो।

मैं तो समझ गयी के कुछ देर अगर ये चला तो मैं उसके मुह पे ही अपना पानी उगल दूंगी। उधर मोना और कबीर खड़े होकर एकदूसरे को चूमने और प्यार करने लगे। टॉम वाकई में बहुत ही अनुभवी था उसने मेरी बदन की गर्मी और बदन की स्थिती से भाप लिया मुझे।

शायद वो नही चाहता था के मैं ऐसे झाड़ जाऊ इसलिए उसने मुझे छोड़ दिया। उसने खड़ा होकर अपना लिंग मेरे सामने कर दिया शायद ये इशारा था के मैं उसके लिंग को प्यार करू पर उसे देख तो मेरी कामुकता काम होने लगी और भीतर से डर भी गयी। टॉम समझ गया उसने मुझसे कहा “तुम्हे न तो शरमाने की जरूरत है ना ही घबराने की, मैं ऐसा कोई काम नही करूँगा जिससे तुम्हे तकलीफ होगी”…

उसकी बातों से साफ झलक रहा था के वो बहुत समझदार और अनुभवी मर्द है। उसने मुझे दोबारा कहा “जब से तुम्हारी फ़ोटो देखी तब से मिलना चाहता था आज मिली पर तुम खुल कर नही मिली”। उधर मोना और कबीर भी हमारी तरफ देखने लगे, मोना ने मुझसे पूछा अभी तो तुम अच्छी खासी थी अचानक क्या हुआ।

में चुपचाप थी और धीरे धीरे अपने कपड़े सही करती रही। मोना मेरे पास गई और मुझसे पूछने लगी के आखिर बात क्या थी। मेरी जगी हुई चिंगारी शांत हो गयी थी, में बहुत असमंजस में थी समझ नही आ रहा था क्या कहूं। तभी मैंने मोना से कहा टॉम मेरे साथ क्या करना चाहता है।

मोना की जगह टॉम ने खुद जवाब दे दिया के जिसके लिए वो आया है बस वही करना चाहता है। सीधे सब्दो में उसने खुल के कह दिया “ आखिर तुम्हारी तरह कामुक महिला किसी मर्द के साथ होगी तो संभोग करने की लालसा जागेगी ही, मैं भी सभोग करना चाहता हु और अगर तुम्हें नही पसंद तो मैं जबरदस्ती नही करूँगा”।

उसकी ये बात सुन कर तो मै भीतर से सिहर गयी मन मे केवल एक बात थी के इतना बड़ा लिंग मेरी छोटी सी योनी में कैसे जाएगा। मैंने मोना के कान में धीरे से कहा “टॉम का लिंग बहुत बड़ा है मैं बर्दास्त नही कर पाऊंगी”। इस पर मोना जोर जोर से हसने लगी और दोनो को बता दी के मैं टॉम के लिंग से डर गई।

टॉम और कबीर भी जोर जोर से हसने लगे। कबीर ने मुझे कहा तुम इतनी उम्र की हो फिर भी बच्चो जैसी बातें करती हो। उसने कहा अगर मजे करने है तो इन सब बातों को दिमाग मे नही लाना चाहिए, और असली मजा तो दर्द में ही है। उसने मुझे समझना शुरू कर दिया के औरत की योनी तो रब्बर की तरह होती है।

मैं भी हर बात जानती हूं पर पता नही उस वक़्त मैं सच मे डर गई थी शायद पहली बार किसी ऐसे मर्द को देख रही थी इसलिए। कबीर की बातें मुझे समझ गयी थी फिर भी मेरा मन नही माना। कबीर फिर बिस्तर पर गयी और एक डब्बा उठा लायी उसने मुझे दिखाते हुए बोला देखो ये चिकनाई के लिए प्रयोग करते है तुम्हें बस मजा आएगा दर्द बिल्कुल भी नही होगा।

उधर मोना ने मुझे ताने मारने शुरू कर दिए, उसने कहा जो औरत एक बार मे 4 मर्दो को गिरा सकती है छोटी सी बात पे दर गयी। तुम बहुत खुले विचारों की औरत हो और जीवन मे मजा करने के लिए जब इतना कष्ट उठा सकती हो तो यहां आकर रुक क्यो गयी। उसने मुझे कहा जीवन मे कुछ नया करना चाहिए क्या पता क्या कुछ मिल जाये।

एक न एक दिन सब खत्म हो जायेगा मौका है मजा कर लो। उसकी बातों से मेरे अंदर हिम्मत जगी और थोड़ा सोचने के बाद मैंने हाँ कर दिया। टॉम के तो जैसे चेहरे पे चाँद चमकने लगा। उसने खुसी दिखाते हुए मुझे झुक कर मेरे होठो को चूम लिया। उसने मुझे हाथ पकड़ कर उठाया और कहा “में तुम्हे जड़ भी तकलीफ नही होने दूंगा, पूरे आराम से करूँगा. ताकी तुम्हे ज्यादा से ज्यादा मजा आये”।

कबीर और मोना ने एक साथ कहा “तुम्हे चिंता करने की जरूरत नही”। मोना ने कहा “ हम सब तुम्हारे साथ है। हम दोनों देखेंगे तुमदोनो को मजे करते”। मोना मुझे पकड़ कर बिस्तर के पास ले गयी और मुझे निर्वस्त्र करना चाहा। मैंने उसे रोक लिया तब उसने मुझसे कहा बहुत जिद्दी हो तुम। मुझे हल्का धक्का देकर बिस्तर पर गिरकर टॉम के और चली गई।

वहां कबीर पहले से ही घुटनो के बल खड़ी होकर टॉम का लिंग चूस रही थी। मोना ने टॉम के गले मे हाथ डाल कर उसको चूमा और कहा “तुम्हारी मनोकामना पूरी होने वाली है”। टॉम ने भी जवाब में मोना की चूतड़ों को दबोच अपनी और जोर से दबाया फिर उसके ब्रा के हक खोल उसके स्तनों को आजाद कर स्तनपान करने लगा।

कबीर पूरी ताकत से टॉम के लिंग को पकड़ हिला हिला कर चूस रही थी। थोड़ी देर बाद मोना नीचे झुकी और कबीर के साथ लिंग को बारी बारी चूसने लगी। कुछ पल के बाद मोना नीचे घुटनो के बल खड़ी होकर चूसने लगी और कबीर उठ कर मेरी और आने लगी। वो अब भी उस रब्बर के लिंग को पहनी हुई थी, मुझे मन ही मन हसी आ रही थी।

मेरे पास आते ही उसने मेरे चेहरे को पकड़ मेरे होठो को चूम लिया फिर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मेरी टांगे बिस्तर से बाहर लटक रहे थे। कबीर ने पहले मेरे पल्लू को स्तनों के ऊपर से हटाया फिर ब्लाउज से बाहर स्तन के हिस्से को चूमती हुई बोली “तुम कितनी कामुक महिला हो तुम्हारा बदन ऐसा है के कोई भी मर्द तुम्हे पाने को पागल हो जाये”।

उसने धीरे धीरे मुझे छुमते हुए मेरी टांगो की तरफ चली गयी। फिर मेरी साड़ी को उसने उठा कर कमर तक कर दिया। मेरी टांगो को उठा उसने बिस्तर पर मोड़ कर टिका दिया। उसके बाद उसने मेरी जांघो को फैला कर मेरी योनी को दो उंगलियों से फैलाया और बोली “तुम तो ठंडी हो गयी हो गरम करने पड़ेगा”।

फिर क्या था उसने अपने जीभ और होठो के सहारे मेरी योनी से खेलना शुरू कर दी। सच कहु तो कबीर इस खेल में माहिर थी, उसे पता था कैसे किसी को उत्तेजित करने है। उसने जिस प्रकार से मेरी योनी को चाटना शुरू किया के कुछ ही पल में मुझे लगने लगा के में झड़ जाऊंगी।

उसने मेरी योनी के दाने पर तेज़ी से अपनी जीभ फिरानी शुरू की के में खुद ही उठ कर उसके सिर को पकड़ ली। कबीर समझ गयी के अब मैं काफी गरम हो चुकी हूं। उसने टॉम को आवाज दिया, मोना ने भी टॉम को कहा तुम अब तैयार हो जाओ उसे पूरा मजा दो। टॉम मेरी और आया तो कबीर उठकर मेरे बगल में बैठ गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

टॉम नीचे झुका और पहले उसने मेरी जांघो को चूम फिर योनी को चाटने लगा। में इतनी उत्तेजित हो चुकी थी के मैन उसके सिर को जोर से पकड़ लिया। मोना तभी मेरे दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और बोली “टॉम अब देर मत कर”। मैंने अभी तक टॉम के लिंग को हाथ नही लगाया था इतनी डर गयी थी मैं। टॉम उठकर मेरे ऊपर गया वो मुझे देख कर मुस्कुराया और बोला “तुम्हारा बदन कमाल का है, और योनी उससे भी ज्यादा कमाल का है”।

उसने बातें करते हुए मेरी जांघो को फैला बीच मे गया। मेरी नजर केवल उसके लिंग पर जा रही थी। टॉम इतना उत्तेजित था के उसका लिंग खुद ही ऊपर नीचे झटके ले रहा था। टॉम थोड़ा और झुका अपनी स्थिती बनायी संभोग के लिए वो इतना चौड़ा था के मुझे अभी से ही ऐसा लग रहा था जैसे मेरी जाँघे चिर रही। मैं अभी भी डरी हुई थी और जैसे जैसे उसका लिंग मेरी योनी के नजदीक रहा था मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी।

मैंने अपनी टांगे मोड़ ली और उसके पेट पर टिका दिया ताकी अगर उसने ज्यादा जोर लगाया तो मै रोक लू साथ ही मैंने दोनो हाथो से उसके कमर को भी पकड़ रखा था। मैंने भी खुद को तैयार कर लिया था, फिर दिमाग को समझने में लग गयी के जो होगा देखा जाएगा। टॉम ने अब अपना लिंग एक हाथ से पकड़ा और मेरी योनी की दरार में सुपाड़े को थोड़ा रगड़ा।

उसके लिंग के स्पर्श से मेरा पूरा बदन सिहर उठा, ऐसा लगा जैसे एक पतली सी बिजली का करंट मेरी योनी की निचली हिस्से से होता हुआ गर्भसाय से नाभी तक आया हो। उसका लिंग किसी पत्थर से व्यतीत हो रहा था मुझे, एकदम कठोर लग रहा था। उसने मेरी योनी द्वार फिर से टटोला और छेद मिलते ही उसने अपने लिंग को टिका कर धकेला।

सुपाड़ा बस थोड़ा घुसा के मुझे महसूस हुआ जैसे मेरी योनी चिर रही, मैंने कराहते हुए तुरंत उसका लिंग दाये हाथ से पकड़ रोक लिया उसे। ये पहली बार था जब मैंने उसके लिंग को पकड़ा, सच मे एकदम पत्थर की तरह कठोर था। केवल उसकी चमड़ी ही मुलायम लग रही थी और अंदर का हिस्सा उत्तेजित होकर बहुत कठोर हो गया था।

मेरे द्वारा लिंग को पकड़े जाने से टॉम रुक गया और बोला “माफ करना में शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी में था”। एक वयस्क और राजुर्बेदार मर्द की यही तो पहचान होती है की वो अपने साथी को हमेशा जताता है के उसका खयाल रखेगा। टॉम भी वैसे ही मेरे साथ कर रहा था।

टॉम के ऐसे बर्ताव से मैं भी पिघल सी गयी और मैंने खुद ही लिंग को सही रास्ता दिखाने लगी। मैन हाथ से ही पकड़ कर लिंग का सुपाड़ा अपनी छेद पे लगा दिया… पर लिंग का सुपाड़ा भी इतना मोटा था के केवल थोड़ा सा ही अंदर घुसा, मुझे मेरे योनी के किनारों पे किचाव महसूस होने लगा और दर्द भी।

मैंने लिंग टिका कर हाथ हटा लिया और फिर से पहले की अवस्था मे टॉम को पकड़ लिया। टॉम ने इशारा समझा और अपनी कमर को मेरी और धीरे धीरे धकेलना शुरू किया। मेरी योनी में धीरे धीरे लिंग घुसने लगा जिससे मुझे मेरी योनी के चारो तरफ तेज़ खिंचाव से दर्द होने लगा।

मैंने बहुत बर्दास्त किया और पूरा सुपाड़ा किसी तरह गुस गया। टॉम और दबाव दने लगा पर अभी सुपाड़े का पीछे का हिस्सा थोड़ा घुसा के मुझसे बर्दास्त नही हुआ और मैंने दोनो हाथो और टांगो की ताकत से टॉम को रोक लिया। टॉम समझ गया और उसने भी जोर लगाना बंद कर दिया।

टॉम काफी अनुभवी था इसलिए उसने कोई जल्दबाज़ी नही दिखाई, वो जानता था के कैसे किसी औरत को अपने वश में करना है। थोड़ी देर रुकने के बाद उसने हल्के हल्के सुपाड़े को ही मेरी योनी में अंदर बाहर करने लगा। पहले तो मुझे हल्के दर्द हुए पर कुछ देर के बाद ठीक लगने लगा। टॉम ऐसे धीरे धीरे और हिसाब से धक्के मार रहा था कि केवल उसका सुपाड़ा ही अंदर जा रहा था।

वैसे मैंने भी उसे रोक रखाथा इसलिए वो ज्यादा जोर लगा भी नही रहा था। टॉम मुझे देखे जा रहा था और अपनी कमर हिलाते हुए लिंग अंदर बाहर कर रहा था। मेरी नजर केवल नीचे की तरफ लिंग पर थी, मैं देख सकती थी के लिंग कितना अंदर जा रहा और कितना बाहर है।

अभी तो 90%लिंग बाहर ही था, धीरे धीरे मुझे राहत मिली तो मैंने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की, टांगो को भी हल्का छोड़ दिया। टॉम ने भाप लिया और हल्के से जोर लगाने लगा। उसने 2धक्के हल्के मारे और तीसरा धक्का थोड़ा जोर से दिया। मैं कुहक गयी, मेरी आधी चीख सी निकल गयी और मैंने फिर से उसे हाथो और टांगो से रोक लिया।

टॉम ने खुद को रोक और जितना लिंग अंदर घुसा था उतने में ही मुझे फिर से हल्के हल्के धक्के देने लगा। मैं थोड़ी देर सिसकती रही और धीरे धीरे शांत होने लगी, करीब 5मिनट उसने मुझे हौले हौले धक्के मारे होंगे कि मेरी पकड़ फिर ढीली हुई। टॉम कुछ देर ऐसे ही मुझे धक्के मारता रहा।

फिर जब उसे लगा कि अब और अंदर जाना चाहिए उसने फिर से जोर लगाया। लिंग का जो हिस्सा मेरी योनी से बाहर था पूरा सूखा था इसलिए जब थोड़ा और घुसा तो मुझे बहुत परेशानी हुई। मैंने अपना सिर बिस्तर पर पटक लिया, मेरी आँखें बंद हो गयी और मेरी कराह मेरे अंदर ही राह गयी।

मैंने थोड़ी सांस ली और सिर उठा कर टॉम को देखा उसने तुरंत अपना लिंग बाहर खिंच लिया और पास में पड़े चिकनाई वाली डिब्बी उठा ली। कबीर ने टॉम से वो डिब्बी चीन ली फिर बहुत सारा क्रीम निकाल कर टॉम के लिंग पर ऊपर से नीचे जड़ तक मल दिया और थोड़ा मेरी योनी के किनारों पर भी।

टॉम तुरंत संभोग की स्थिती में गया और मोना ने फट से टॉम का लिंग मेरी योनी से भिड़ा दिया। मैं सोचने लगी मोना और कबीर शायद शुरू से ही पूरी तैयारी के साथ आये थे की मुझे इस विशालकयी सांड के साथ संभोग करवाना है। मैं अभी भी उसी अवस्था मे टांगे ऊपर किये टॉम के पेट पर टिकाये दोनो हाथो से उसे पकड़ी हुई थी।

उसने लिंग पर दबाव दिया लिंग मेरी योनी को चीरता हुआ अंदर जाने लगा। में खिंचाव के साथ मेरी योनी की भीतरी दीवारों से लिंग के सुपाड़े का रगड़ना महसूस करने लगी। लिंग करीब 4इंच अंदर चला गया था। वैसे बता दु के खड़े होने पर टॉम का लिंग लगभग 9इंच का हो गया था।

टॉम का लिंग बीच मे थोड़ा और मोटा था और जैसे ही वो हिस्सा मेरी योनी की छेद तक पहुचा मैं फिर से कार्रह उठी और पूरी ताकतसे उसे रोक लिया। करीब आधा घंटा होने चला था और मैं अब थकान महसूस करने लगी थी, मैंने अपनी बहुत सी ऊर्जा केवल टॉम को रोकने में लगा दी थी। टॉम भी धक्के मार मार कर पसीने पसीने होने लगा था पर मैं उसका साथ नही दे पा रही थी।

अंत मे जब मेरी टांगो पे ज्यादा अकड़न होने लगी तो मैंने खुद ही कह दिया “इतने में ही कर लो और नही होगा मुझसे”। टॉम के चेहरे पे उदासीनता दिखी पर उसने कोई जबरदस्ती नही की। बल्की उसने हाँ में सिर हिला कर हल्के हल्के धक्के मारने शुरू कर दिए।

उसने हौले हौले काफी देर धक्का मारा मैं बस कराहती रही हर धक्के पे, धीरे धीरे मेरी योनी में उत्तेजना आनी शुरू हुई और मेरे अंदर से भी पानी आना शुरू हुआ। इस प्रक्रिया से मेरी योनी चिकनी हो गयी और योनी के किनारे भी धीरे धीरे फैलते चले गए। टॉम अब हाँफने लगा था पर वो लगातार मुझे खुद को काबू में रख धक्के मार रहा था जिससे मुझे ज्यादा तकलीफ न हो और मैं उसके झड़ने तक उसका साथ दे सकू।

मैंने हल्के हल्के अपने हाथो और टांगो को ढीला करना शुरु किया। टॉम भी हल्के हल्के धक्कों के साथ लिंग को और अंदर घुसाने का प्रयास करने लगा। थोड़ा थोड़ा कर के किसी तरह उसने आखिरकर अपना सबसे मोटा हिस्सा भी मेरी योनी के भीतर घुसा ही दिया। मैं हर धक्के पर सिसकी लेती रही और वो धक्के मारता रहा।

मुझे उसका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी के मुह पर महसूस होने लगा था। उसका लिंग मुझे बहुत गर्म लग रहा था, जैसे कोई तपता हुआ लोहा हो। मैं सोचने लगी के अब और भीतर कहा तक जाएगा मेरी अंतिम छोर तक तो वो भीतर अहि गया हौ। पर टॉम रुका नही उसने थोड़ा और जोर लगाया इस बार उसकी ताकत पहले के मुकाबले ज्यादा थी।

मैं कराहते हुए उठ बैठने जैसा हुई और मैंने फिर से दोनो हाथो और टांगो से पूरी ताकत से उसे पीछे धकेल कर रोकना चाहा। टॉम भले रुक गया था पर उसने मुझे अपनी ताकत से दबा लिया और मुझे उठने नही दिया। आकिर मैं एक औरत ऐसे मर्द के आगे कितना ताकत लगती जब उसके भीतर उतनी उत्तेजना थी।

मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी, योनी के चारो दीवारों के बीच बहुत खिंचाव महसूस हो रहा था मैं रोने जैसी हो गयी थी। मैंने सिर उठा के अपनी योनी की तरफ देखा लिंग अभी भी काफी बाहर था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी योनी फटने वाली है इतना ज्यादा खिंचाव हो रहा था। मैंने पूरी ताकत लगा दी और बोल पड़ी “बस अब और नही”।

टॉम थोड़ा रुका और मेरी आंखों में गौर से देखने लगा, उसकी आँखों मे अजीब सी भूख थी। मैं कुछ कहने वाली थी पर टॉम ने फिर से बहुत ही हौले और प्यार से अपने लिंग को मेरी योनी में घुमाने लगा। उसने मुझे मेरे कंधो से पकड़ लिया ताकि मैं उठ न सकू। उसकी ताकत मुझसे कही ज्यादा थी में पूरी ताकतलगा कर भी उसे हिला न पाई।

उसने धीरे धीरे लिंग को हिलाते हुए थोड़ा लिंग बाहर निकाला और फिर हौले से दोबारा उतना ही अंदर डाला जितना वो अंदर था। अब वो अपने अनुभव से काम ले रहा था, क्योकी उसे अब झड़ने की इच्छा शायद हो रही थी। वो पूरा पसीने से भर गया था, उसके माथे से पसीना चेहरे, सीने, पेट से होता हुआ उसके लिंग के सहारे मेरी योनी के किनारों से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा था।

मोना और कबीर को शायद मेरी स्तिथी देख बहुत उत्तेजना होने लगी थी दोनो मेरे बगल उठ आपस मे आलिंगन में लग गयी। मैं भगवान से मनाने लगी के टॉम जल्दी से झड़ जाए। पूरी प्रक्रिया के दौरान न जाने मैं कितनी बार उत्तेजित हुई और कई बार मेरी उत्तेजना शांत हो गयी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मेरी फिलहाल उत्तेजना शांत हो गई थी, पर ये टॉम के लिंग से निकलता चिकनाई वाला पानी था और क्रीम जिसकी वजह से मेरी योनी के भीतर नामी थी। उस चिकनाई का ही सहारा रह गया था के टॉम धीरे धीरे धक्के मारता रहा। टॉम का लिंग खून के दबाव से काफी गर्म और पत्थर से भी ज्यादा सख्त लगने लगा।

वो मुझे लगातार हल्के हल्के धक्के मारे जा रहा था और मैं कराहती हुई उसे झेल रही थी। उसे धक्के मारते हुए काफी देर हो चुकी थी और अब मेरा दर्द भी कम होने लगा था, मेरी योनी उसके लिंग के मोटापे के हिसाब से अपनी स्थिती बना ली थी। मुझे लगता है करीब एक घंटा होने को गया था, इतनी देर से मैन उसे रोक रखा था, पर जैसे जैसे उसने मेरी योनी में लिंग से जगह बनाई वैसे वैसे मेरी पकड़ ढीली होती रही।

उसका लिंग जैसे जैसे मेरी योनी की दीवारों से रगड़ता वैसे वैसे मुझे उत्तेजना पैदा होने सा लगता। थोड़ी देर में मुझे कुछ और अच्छा लगने लगा मैंने अपनी टांगो पर जोर देना कम कर दिया। टॉम ने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी पर लिंग उतना ही अंदर घुसा रहा था जितना अभी तक अंदर गया था।

उसने धीरे धीरे फिर अपने धक्कों की तेजी बढ़ाई, वो बिना रुके लगातार धक्के नियंत्रित तरीके से मार रहा था। उसका हांफना भी तेज होता जा रहा था… मैं समझ गयी के टॉम अब स्खलन की और बढ़ रहा। मुझे भी अब पीड़ा काम हो रही थी और धीरे धीरे मैं और उत्तेजित होने लगी।

कुछ देर और धक्के लगे तो मैं अपनी पीड़ा भूल कर आनंद लेने लगी। सच मे टॉम के पास काफी अनुभव था कामक्रीड़ा में, उसने मुझे पूरी तरह अपने वश में कर लिया था अब। उसने बहुत पीड़ा दी पर मुझे विरोध करने का भी अवसर नही दिया यही तो एक अनुभवी और प्रौढ़ मर्द की पहचान होती है।

उसने अपनी उत्तेजना और प्रक्रिया दोनो को ही बहुत ही नियंत्रण में रखा न उसने कोई जल्दबाज़ी दिखाई न ही कोई घबराहट। मैं अब उसने धक्कों से आंनदित होते लगी थी। मेरी टांगे और हाथो की पकड़ ढीली हो गयी थी और में बस अब सहारे के तौर पर उसे पकड़ी हुई थी। मेरी योनी में फिर से नमी आनी शुरू हो गयी, उसके लिंग की चमड़ी के रगड़ से मेरी योनी की दीवारों पर अब गुदगुदी सी होने लगी।

मैंने उत्तेजना में आकर हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके चूतड़ों को सहलाने में लगा दिया। कुछ और धक्के मारे उसने तो मैंने अपनी टांगे उसके आगे से हटा कर थोड़ा फैला दिया पर इतना भी नही फैलाया था के वो पूरा मुझसे चिपक सके। वो काफी तेज हाँफने लगा था, उसकी धड़कन तेज हो रही थी बदन तपने लगा था और पसीने से लथपथ हुआ जा रहा था।

मैंने उसके चेहरे की और देखा उसकी आँखों मे चरम शुख की तीव्र लालसा दुखी। में समझ गयी वो अब झड़ने वाला है। उसकी आँखों मे वासना देख मेरे अंदर भी अब चिंगारी आग बनने लगी थी। हमदोनो ने एक दूसरे की आंखों में देखा ऐसा जैसे हम अब आंखों से ही बातें करेंगे। वो लगातार तेज़ी से मुझे धक्के मार रहा था, और मैं मादक आवाजे निकाली हुई उसका साथ दें रही थी।

उसने शायद मेरी आँखों मे मेरी हामी पढ़ ली थी। वो मेरी तरफ और झुक कर धक्के मारने लगा। मेरे मुह से निकलती शिसकारी, दर्द भरी मादक कुहक, और गर्म सांसे उसे और ज्यादा उकसा रही थी। मैं भी अब मस्ती से भरते हुए उसके चूतड़ों को नाखुनो से चुभोने लगी थी। मेरी योनी ने टॉम के लिंग को स्वीकार कर लिया था।

मुझे महसूस होने लगा कि मेरी योनी टॉम के लिंग के अंदर जाते ही खुल जाती और बाहर आने से ऐसे सिकुड़ती जैसे लिंग को दबोच लेना चाहती हो। मैं भीतर से बहुत अधिक गर्म हो गयी थी और अब मेरे झड़ने का समय भी नजदीक था। टॉम धक्के पर धक्के मार रहा था मुझे तभी एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे कोई करंट मेरी नाभी से होकर योनी तक चला गया.

और मैंने भी टॉम के धक्कों के साथ अपनी कमर उचकानी शुरू कर दी। टॉम मेरी इस हरकत से समझ गया के अब उसके रास्ते मे कोई रुकावट नही है। हमदोंनो के कमर एक साथ आगे पीछे होने लगे, दोनो की साँसे आपस मे टकराने लगी। मैं जान गई थी उसे मेरी सांसो की खुश्बू और उतीजीत कर रही थी और मुझे भी उसके बदन से मर्दानगी की महक चरम सुख की और धकेलती जा रही थी।

इतनी उत्तेजना के बाद भी टॉम कितना संतुलित था उसने अपने धक्कों की सीमा वही तक रखी जहा तक उसका लिंग घुसा था। मुझे टॉम पर पूरा भरोसा हो चला था के वो मुझे अब केवल सुख देगा। और मेरे विश्वास के वजह से ही मैंने अब आनंद लेना शुरू कर दिया और उसका साथ भी खुल कर देनी शुरू कर दी।

टॉम को भी मुझपर भरोसा हो गया था उसने भी भाप लिया था के अब मैं भी झडने वाली हु मेरी योनी के भीतर बदलाव को देखर। उसे वाकई मेरी योनी के भीतर बहुत सुख मिल रहा था, इसलिए अब वो रुकना नही चाहता था। उसने मेरा पूरा समर्थन पाते ही एक पल के लिए धक्कों को रोक मेरे हाथों को अपने चूतड़ों से हटा कर बिस्तर पर रख दिया और फिर थोड़ा ऊपर होकर दोनो टांगो को हाथो से पकड़ पूरा फैलाना चाहा।

मैंने उसे रोकना चाहा पर उसने अपनी ताकत से उन्हें फैलाते हुए अपने जांघो पर चढ़ा लिया और मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे दोनो हाथो को पूरी ताकत से पकड़ बिस्तर पर दबा दिया। वो झुकते हुए बिकुल मेरे मुह के पास गया और हल्के और बड़े ही कामुकता भरे स्वर में बोल “भरोसा रखो”। उसके सब्दो ने मुझे बांध लिया और मैंने उसपर भरोसा कर लिया।

मैंने विपरीत ताकत लगाना बन्द कर दिया, अपनी टांगे उसके जांघो पर लाद दिया और लंबी सांस खिंचती हुई उसकी आँखों मे देख सांस छोड़ा। टॉम ने अपना वजन घुटनो और कोहनियों पर डाला, मेरे हाथी से हाथ मिलाकर मेरी हामी को स्वीकारते हुए हौले हौले अपने लिंग को मेरी योनी में धकेलने लगा।

उसने 4-6 हौले धक्कों से शुरुवात करनी शुरू की। उसके लिंग ने जैसे ही चलना शुरू किया मेरी योनी के भीतर मेरी कम होती अग्नी फिर से भड़कने लगी। मैं फिर से लंबी लंबी सांसे भरने लगी और मुख से कामुकता भरी सिसकी छूटने लगी। उसने अंदाज लगा लिया के अब मैं ज्यादा दूर नही झड़ने से।

उसने परिस्थिती का सही उपयोग करते हुए धक्कों की गाती बढ़ानी शुरू कर दी थी। उसका लिंग अभी भी करीब 2इंच बाहर ही होगा। मेरी मस्ती में कोई बाधा न हो इसलिए उसने शायद खुद को रोक रखा था एक सीमा तक। मैं पूरी तन और मन से अब संभोग सुख के सागर में डूबने लगी, मेरी सांसे, कराहने की आवाजें, सिसकारियां ऊपर से टॉम को जबरदस्त तरीके से टॉम और ज्यादा रोमांचित होकर धक्के मारने लगा।

मेरी योनी की मांसपेशियां तेजी के साथ हर धक्के पे सिकुड़ने और ढीली होने लगी। मेरे मन मे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मैं उसके लिंग को योनी से दबोच लू और बाहर न जाने दु। मेरी योनी में तेजी से पानी भरने लगा था। हमदोंनो के लिंग और यानी पूरी तरह से चिपचिपे हो गए थे जिससे टॉम के तेज़ धक्कों से छप छप छप की आवाज निकलने लगी थी।

टॉम पूरी नियंत्रण के साथ हाँफते हुए तेज़ी से धक्के मार मार के लिंग अंदर बाहर कर रहा था। उसके ये तेज़ धक्के मुझे चरम सीमा तक ले जा रहे थे। मेरे मन मे आवाज उठने लगी और और और तेज, और मैंने टॉम के हाथों को कस के पकड़ लिया साथ ही मैंने उसकी जांघो पर अपनी टांगो से दबाव बढ़ानी शुरू कर दी।

मैं तेज़ सांसे लेती हुई, कामुक सिसकारियां लेते हुए टॉम की आंखों में घूरने लगी। टॉम समझ गया के मेरा लक्ष्य आ गया और उसने भी मुझे पूरी ताकत से पकड़ लिया और दोगुनी तेज़ी से धक्के मारने शुरू किए। हमदोंनो बहुत तेज़ी के साथ सांसे लेने लगे साथ ही हाँफने भी लगे। धक्कों की बारिश सी शुरू हो गयी, दोनो पसीने से तर हो रहे थे।

कुछ और धक्के लगे के एक झटका से मेरी योनी के मुख के पास शुरू हुआ और तेज़ रफ़्तार से अंदर की और मेरे गर्भाशय के मुख से होता हुआ नाभी तक आने लगा। मैंने झपपट्टे से अपना मुह टॉम के मुह से चिपका लिया और अपनी जुबान बाहर निकाल दी। टॉम ने जरा भी देर न करते हुए मेरी जुबान को जुबान से लड़ाते हुए और जोरो से धक्के देने लगा।

मैं झड़ने लगी थी, मेरी योनी ने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया। उसका लिंग मेरे गर्भाशय में जोर जोर से चोट मार रहा था। लगातार एक करंट सी मेरी योनी से होता हुआ बच्चेदानी के रास्ते मेरी नाभी तक जा रहा था। मैं मजे से भर गई थी, मेरे बच्चेदानी का मुह फूल कर खुल गया था, मैनें पूरी ताकत लगा दी थी, और टॉम को पकड़ लिया था।

मेरे झड़ने के क्रम में चीखे नाक से निकल रही थी और मैं जैसे जैसे झड़ती गयी टॉम के जुबान को काटने चूसने लगी थी। अभी मैं पूरी तरह झड़ी भी नही थी के अचानक एक झटके से टॉम ने अपना बाया हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया और मेरे चूतड़ को कस के पूरी ताकत से पकड़ लिया। मुझे तो पता नही था के क्या होनेवाला था।

मैं अपनी चरम सीमा में मजे में खोई जा रही थी। मैं इतनी मगन थी के मैंने पूरी जाँघे फैला दी थी। मैं जबतक मस्ती की आखरी सांस लेती के टॉम के मुह से आवाज निकली “हहहह हहहह” और जोर जोर से तेजी से धक्के मारने लगा। मेरी तो एक पल में सांस जैसे रुक गयी, ऐसा लगा जैसे मेरी बच्चेदानी फट गई। मैं चीख भी नही पाई क्योकी टॉम ने अपनी पूरी ताकत से मेरे मुह से मुह चिपका लिया था।

मुझे उसने संभलने का एक मौका भी नही दिया और पूरा लिंग मेरी योनी की गहराई में घुसा दिया। मैंने अभी झड़ने का पूरा मजा लिया भी नही था के दर्द से तड़पने लगी। मैंने पूरी ताकत से टॉम से एक हाथ छुड़ाने तथा दूसरे हाथ से रोकने का प्रयास किया। पर टॉम की इतनी ताकत थी के उसने मुझे अपनी जगह से जरा भी हिलने नही दिया।

मैं फिर भी पूरी कोशिश करती रही, मेरे आंखों से आंसू निकल गए पर टॉम किसी खूंखार जानवर की तरह बिना किसी चीज़ की परवाह किये तेज़ी से धक्के मारता रहा। उसने 20 से 30 धक्के तेज़ी से मारते हुए मेरी योनी के भीतर ही झड़ना शुरू कर दिया। उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जबरदस्त चोट कर रही थी।

लगभग एक घंटे के इस सफर में मुझे ये 20 सेकंड का सफर किसी अग्नी परीक्षा से कम न लगा। टॉम 2 3 धक्के पूरी ताकत से और मारने के बाद शांत होने लगा, पर मैं रो गयी। उसने आखरी धक्का मारा और अपनी वीर्य की आखरी बून्द गिरा कर मेरे ऊपर सुस्त पड़ गया। उसका लिंग मेरी योनी की आखरी छोर तक चला गया था। थोड़ी देर में वो सिकुड़ने लगा तो मुझे धीरे धीरे राहत स महसूस होने लगा।

मुझे नही पता था के ये टॉम की कोई तकनीक थी, या मेरे अनुभव से जैसा लगा के टॉम झड़ने के क्रम में अपनी उत्तेजना पर नियंत्रण खो बैठा। वैसे ज्यादातर मर्द अपना नियंत्रण खो देते है झड़ने के समय पर ये मेरे लिए सबसे दुखदायी पल था। उसने मेरा बहुत खयाल रखा इतनी देर तक पर अंत मे उसने पीड़ा की हद पार कर दी। मैंने अपनी टांगे चाह कर भी बंद न कर पाई उसने एक पल का भी समय नही दिया। शायद मेरी ही गलती थी के मैंने उसे जगह दे दी थी जिससे उसे मौका मिल गया मेरे भीतर पूरी तरह से आने का।

मुझे अभी भी मेरे पेट से लेकर बच्चेदानी पर दर्द हो रहा था पर टॉम के लिंग के स्थूल होने से थोड़ा राहत था। वो कुछ देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा जबतक उसने थोड़ा सुस्ता न लिया। उसकी पकड़ मुझपर ढीली होते ही मैंने उसे धक्का देकर खुद से अलग होने का निर्देश दिया। टॉम हल्के हल्के हफ्ते हुए उठा और उसने अपना लिंग बाहर खिंच लिया। लिंग खीचते ही मेरी योनी से गाढ़ा वीर्य बह निकला और बिस्तर पर फैल गया। मैं अपनी आंखें बंद कर के दोनों टांगे चिपका कर लेटी ही रह गयी।

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