पान वाले ने मस्त रंडी का इन्तेजाम किया 1

यह कहानी मेरी अपनी कहानी.. मेरे खुद की जुबानी.. मेरे दिल के बिलकुल करीब..और आप ये समझिये मेरे दिल की धड़कन है..! मैं एक इंजिनियर हूँ… अच्छी कंपनी में अच्छी नौकरी करता हूँ.. मेरा अच्छा खासा परिवार है, मुझ से प्यार करने वाली पढ़ी लिखी पत्नी है, दो सुंदर और मुझे जान से प्यारी बेटियां हैं.. अब तो दोनों की शादी हो चुकी है. उनका अपना परिवार है… Asli Sex Ka Matlab

ये कहानी उन दिनों की है जब मेरी बेटियां छोटी थीं… और मेरी पोस्टिंग एक ऐसी जगह हो गयी जहाँ अछे स्कूल नहीं थे.. मैंने अपने परिवार को यानि अपनी पत्नी और अपने बच्चों को उनके नानी के यहाँ, जो एक काफी बड़े शहर में है.. छोड़ दिया और खुद वापस अपनी नौकरी में आ गया!

शुरू के कुछ दिन तो नयी जगह और नयी पोस्टिंग में अपने को adjust करने में निकल गए! समय कैसे बीत गया कुछ पता ही नहीं चला. बीबी बच्चों की याद तो आती थी पर उसका कुछ खास असर नहीं होता था.. काम की मसरूफियत में सब कुछ भूल जाता था! अकेलापन कभी कचोटता नहीं..

सुबह जल्दी निकल जाता था और घर वापस आते काफी रात हो जाती थी… नौकर खाना बना कर टेबल पर लगा कर चला जाता था, पास में ही servant quarter था, वहीं रहता था, रामू, मेरा नौकर! करीब एक महीने तक ऐसा ही चलता रहा.. और फिर जब धीरे धीरे मैंने वहां का काम संभाल लिया..

काम कम होता गया और मेरे पास समय की कमी या काम का बोझ नहीं रहा! शाम को अब मैं घर जल्दी अ जाता था.. पर अकेलापन मानो पहाड़ जैसे लगता था.. बीबी और बच्चों की याद आती… समय काटे नहीं कटता.. उन दिनों मोबाइल और std जैसी सुवुधाएं भी नहीं थींI घर में telephone था, पर STD की सुविधा नहीं थी इसलिए trunk कॉल करना पड़ता था..

और आपको मालूम होगा trunk कॉल से बात करना भी अपने आप में भारी मुसीबत होती थी… ऐसे में अकेलापन और भी कचोटता था..! मैं वहां का seniormost ऑफिसर था इसलिए बाकि junior ओफ्फिसर्स से ज्यादा घूल मिल भी नहीं सकता.. शहर भी छोटा था, समय बीताने के कुछ और साधन भी नहीं थे.. बस ऑफिस, और घर और कभी कभी पिक्चर देख लेता था वहां के एकलौते हाल में !

इसी अकेलेपन ने मुझे एक अजीब मोड़ पे ला कर खड़ा कर दिया.. मैं एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा जो अनजान होते हुए भी ऐसा लगा मेरे हमसफ़र नए नहीं.. मेरे जाने पहचाने.. मेरे करीबी, मेरे बिलकुल अपने.. जब की किसी से भी मेरी कभी मुलाकात नहीं हुई… इस नए मोड़ ने, इस नयी राह ने और इस सफ़र के हम सफ़र ने मेरी जिंदगी को झकझोर दिया..!

मैं ऐसे दो राहे पर था जहाँ पीछे थी मेरी जिंदगी और सामने था मेरा दिल..! मैं यहाँ बता दूं मुझे सब सागर साहेब कह कर बुलाते हैं…मेरा नाम प्रीतम सागर है ! और हाँ मुझे पान खाने का बड़ा शौक है.. खाना खाने के बाद लंच हो या डिनर मुझे पान जरूर चाहिए.. मेरे पानवाले को मालूम है मुझे कैसा पान पसंद है.

मेरे जाते ही मेरे पसंद का पान बड़े प्यार से लगा कर देता था.! उस से काफी अच्छी पहचान हो गयी थी और हम लोग काफी घूल मिल भी गए थे.. उसे मालूम था की मैं यहाँ अकेला ही रहता हूँI एक दिन की बात है… मुझे अपनी बीबी बच्चों की बहोत याद आ रही थी.. मैं काफी उदास था… डिनर के बाद उसी उदास मूड में ही पान खाने निकला.. सोचा बाहर घूम आऊं. थोडा दिल बहल जायेगा.. पानवाले ने मुझे देख कर कहा : “लगता है साहब का आज मूड कुछ ढीला है..”

मैंने कहा ” हाँ यार ढीला तो है..बस तुम आज ऐसा पान बनाओ मूड tight हो जाये…!”

उसने जवाब दिया ” साहब कब तक सिर्फ पान से मूड tight करोगे..?? मूड तो आपका tight हो भी गया तो क्या ? आप के अन्दर वाला तो ढीला ही रहेगा..!” और जोरों से हंस पड़ा !!

“क्या मतलब..??” मैं जरा serious होता हुआ बोला !

पानवाला कोई कच्चा खिलाडी नहीं था, जल्दी हार मानने वाला नहीं !

उसने कहा “क्यों बनते हो साहब ? आप कहो तो आपके अकेलेपन का इलाज कर दूं ??”

तब तक मेरा पान लग चूका था.. यह सब बातें उस ने पान लगाते लगाते ही कहा..

मैंने उस के हाथ से पान ली. मुंह में डाला और कहा “देखो यार मैं समझता हूँ तुम क्या कहना चाह रहे हो. पर फिर भी..”

“सोच लो साहेब.. कोई जल्दी नहीं.. बस इतना समझ लो मेरे पास शर्तिया इलाज है..!”

मैं उस की ओर पान चबाता हुआ देखा, मुस्कुराया और कहा “ठीक है ठीक है… अभी मेरा मर्ज़ ला इलाज नहीं.. यार जब उस हालत पे होगी तो देखा जायेगा.”

पानवाले ने भांप लिया… उस ने पहली बाज़ी जीत ली थी ! काश मैं उस दिन उस से ज्यादा बातें नहीं की होती…!!!! पान का आनंद लेते हुए मैं घर वापस आ गया. थोड़ी देर टीवी देखा, फिर बिस्तर पर लेट गया… पर नींद तो आज कोसों दूर थी.. मैं करवटें लेता रहा, पर सो नहीं पाया.. एक अजीब भारीपन.. मन में उदासी, बेचैनी, तड़प..बड़ा ही अजीब माहौल थाI

किसी को बाँहों में ले कर, उसे अपने से चिपका कर एक जोरदार किस करने का मन करता.. कभी मन करता किसी की चूत फैला कर उसकी गुलाबी फांकों को अपने होठों से चूस लूं.. उन्हें ऊपर नीचे चाटता रहूँ, जब तक उसकी चूत से पानी की धार न बह जाये… फिर अपने तने हुवे लंड को अन्दर पेल दूं.. लगातार, बार बार उसकी चूतडों को ऊपर उछाल उछाल कर चोदता रहूँ…

यह सब सोचते सोचते मेरा लौड़ा एक दम टून्न हो गया.. ७ इंच और मुठी भर का लौड़ा, जो मेरी बीबी के हाथों में भी समां नहीं पाता, वोह दोनों हतेलियों से उसे सहलाती थी.. और बड़े प्यार से उसे मुंह में ले कर चूसती थी.. पर अभी बेचारा बीना किसी सहारे के फूंफकार रहा था, उसकी मजबूरी कोई सुनने वाला नहीं था..

मैंने अपने लौड़े अपनी मुठी में लिया और सहलाने लगा. थोडा अच्छा लगा… और भी टन्ना गया, जैसे अपने जड़ से उखड ही जायेगा… मुझ से रहा नहीं गया. मैंने अपने सब से मुलायम तकिये से अपने लंड को, करवट ले कर, बिस्तर से दबा दिया, और अपने कमर हीला हीला कर लंड को तकिये और बिस्तर के बीच रगड़ने लगा… आः..

कुछ राहत मिली, मैंने जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए.. जैसे किसी की चूत फाड़ने जा रहा हूँ… आः..ऊऊह्ह, सही में बड़ा मजा आ रहा था… धक्के की रफ़्तार बढती गयी… मेरा लौड़ा जैसे छील ही जानेवाला हो. पर मैंने ध्यान नहीं दिया, लगातार धक्के लगता रहा.. लगाता रहा और फिर… मेरे लंड से पिचकारी की तरेह वीर्य निकल पड़ा…

झटके के साथ मैं झाड़ता रहा.. चादर और तकिया पूरी तरेह गीली हो गयी.चिपचिपी हो गयी..पर मन शांत हो गया..थोडा शुकून मिला,, चूत न सही पर लौड़े को कोई जगह तो मिली, रगड़ने को ! और थोड़ी देर हांफते हुए लेट गया… नींद कब आ गयी मुझे पता ही नहीं चला..!

सुबह उठते ही मेरी नज़र गीले तकिये और चादर पर गयी..जो अब सूख गया था और पपड़ी जमी थी वहां.. पर आखिर कब तक..?? मैंने मन बना लिया अब कुछ करना है… कुछ शर्तिया इलाज करानी है लौड़े की बीमारी का… और ऑफिस जाते जाते मैं ने पानवाले की तरफ अपनी कार मोड़ दी…

कार मैंने पान दूकान के पास रोक दी, और उतर कर दूकान के पास गया…कुछ खास भीड़ नहीं थी, पर फिर भी कुछ लोग वहां थे.. मोहन ने (पानवाला) मुझे देख सलाम ठोंका और कहा.” बस इन्हें जरा निबटा लूं “, सामने खड़े ग्राहकों की ओर इशारा किया !

“कोई बात नहीं, आराम से.. मुझे भी आज जल्दी नहीं.”

और मैं खड़ा रहा अपनी बारी की इंतज़ार में I छोटे शहर में रहने के बहोत फायदे हैं तो सब से बड़ा नुकसान भी है के कोई भी बात बहोत जल्दी फैल जाती है, सब एक दूसरे को जानते हैं.इसलिए मोहन के शर्तिया इलाज से मैं जरा घबडा रहा था, कहीं बदनामी न हो जाये. और पता नहीं कैसी जगह और किस रंडी के यहाँ मुझे भेज दे.. बीमारी का डर भी था.

मैं काफी उधेड़ बून में था, उसे कहूं या न कहूं..?? कहीं एक बीमारी के इलाज में दूसरी कई बीमारियों का शिकार न हो जाऊं.. और इधर हमारे मोहन भाई दनादन हाथ मारते हुए अपने सभी ग्राहकों को फटाफट निबटाया, फिर पानी से अपने हाथ धोये.

और मेरे लिए पान के चार सब से अछे पत्ते चूने, उन्हें कैंची से बड़ी सावधानी से कुतरते हुए मेरे से कहा “सागर साहेब, आप मेरे स्पेशल ग्राहक हो, आपको जनता छाप पान कैसे दूं..?? आप के लिए जरा सफाई से ही काम करना पड़ता है न.. और सुनाइए.. कुछ इलाज़ के बारे सोचा आपने ??” और ये कहते हुए उस ने आँख मारी और जोरों से हंस पड़ा !!

“यार इलाज़ तो चाहिए.. पर गुरु तुम कुछ ऐसी वैसी जगह तो नहीं भेज रहे मुझे..?? ” यह कहते हुए मैंने अपने अगल बगल देखा.. कोई नहीं था उस वक्त वहां..

उस ने पान लगाते हुए कहा “क्या बात कर रहे हो साहेब.. जैसे पान आपका स्पेशल छांटता हूँ मैं. आपके लिए वैसी ही स्पेशल चीज़ भी चुन रखी है.. बस एक बार आजमा के तो देखो साहेब.. अपना हथियार आप उस के अन्दर से निकालना ही नहीं चाहोगे…” और फिर जोरों से हंस पड़ा…!!

“ऐसी बात है..?? ” मैंने पूछा.

“बिलकुल.. एक दम चुम्बक है सर, उस के साथ आप ऐसे चीपकोगे जैसे शहद से मक्खी.. पूरे का पूरा चूस लो..”

उसकी बातों से मेरा मन भी डोल गया… और मैं मीठे शहद की कल्पना में खो गया… “ये शाला है बड़ा चालू, लगता है मेरी इलाज कर के रहेगा..” मैंने सोचा. शहद चूसने की बात से मेरे पैंट के अन्दर कुछ हलचल सी हुई.. तब तक मोहन पान लगा चूका और एक पान मुझे थमाया और बाकि के तीन पैक कर दिया मेरे ऑफिस के लिए ! पान मैंने मुंह में दबाया और बोला… “देख यार बातें तो तू बड़ी बड़ी कर रहा है.. पर सही में सब कुछ वैसा ही है जैसा तू बता रहा है.. ??”

“आप से मैं झूटी बात क्यूं करूंगा सर..?? मुझे क्या आप से अपना रिश्ता तोडना है..?? मैं इतना घटिया इंसान नहीं हूँ सागर साहेब.. एक बार चीज़ को चख तो लो साहेब.. अगर पसंद नहीं आये तो चार जूतियाँ मारना मुझे…”

उसकी इन बातों से मैं काफी इम्प्रेस हो गया.. चलो, मैंने सोचा, “एक बार ट्राई मारने में क्या हर्ज़.. ये शाला झूठ बोल कर जायेगा कहाँ..??”

“ठीक है.. बोलो क्या करना है और कब..??” मैं ने अपनी रजामंदी दे दी !!

मोहन की आँखों में चमक आ गयी… उस ने कहा “शुभ काम में देर किस बात की..मैं आज शाम के लिए सब सेट कर देता हूँ.. अगर पसंद आ गयी तो बस रात भर का इंतज़ाम हो जायेगा…”

“ठीक है.”

और मैं पान का पैकेट ले कर अपनी कार की ओर चल पड़ा.. कार स्टार्ट की और ऑफिस पहुँच गया..! दिन भर मैं शाम की रंगीनियों के बारे सोचता रहा..कैसी रहेगी..?? इस तरेह की चुदाई का ये मेरा पहला मौका था… मेरा रोम रोम सीहर उठा.. एक रोमांच सा दिल में होने लगा..जैसे तैसे काम निबटा क़र घर पहुंचा.

हाथ मुंह धो कर फ्रेश हुआ. थोडा हल्का सा नाश्ता किया और चल पड़ा आज के adventure की तरफ.. मोहन के पान दूकान की ओर.. ये मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदम था…! मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे और साथ में कुछ घबडाहट भी थी..पता नहीं शाला कैसी माल दिखायगा.. कोई ऐसी वैसी रंडी होगी.. जो साली अपनी चूत खोल और फैला के लेट जाएगी.. और चूत कम भोंसडा ज्यादा होगा..

फिर मज़ा क्या आयेगा.. उस से अच्छा तो अपना तकिया रगड़ना है.. खैर अब जब ओखल में सर दिया तो मूसल का क्या डर.. चल बेटा प्रीतम सागर.. लगा शाली चूत की सागर में गोते… कुछ मोती तो मिल ही जायेंगे.. हा हा हा !! इन्ही सब सोच में मेरी कार दूकान के पास आ गयी..

मैंने दूकान से थोड़ी दूर पर कार रोकी और चल पड़ा मोहन की तरफ.. उसकी दूकान पर कुछ लोग थे.. इसलिए मैं वहां पहुंचते ही चुपचाप एक कोने में खड़ा हो गया.. मोहन ने मुझे देख लिया और एक हलकी मुस्कान दी और कहा “बस सर.. थोडा वेट कीजिये न.. मैं इन्हें निबटाया और आपको पान खिलाया..” और उस ने धीरे से आँख भी मार दी… मैं भी उसके जवाब में मुस्कुरा दिया..

थोड़ी देर बाद एक शख्श को छोड़ बाकि सभी चले गए.. इसलिए मैं आगे तो बढा पर उस शख्श की ओर शक की निगाह से देखा.. मोहन मेरे मन की बात भांप गया और तुरंत बोला “सर यह हमारे करीबी गोपाल सिंह हैं… आज आप के काम की जिम्मेदारी इन्ही की है..”

और गोपाल की ओर मुखातिब हो कर उस से कहा “अरे भैय्या गोपाल, ये हमारे सागर साहेब हैं.. हमारे बहोत ही खास, आज इनकी खातिरदारी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए.. बेटा अगर इनसे कोई शिकायत हुई तो फिर तू जानता है न तेरा क्या हश्र होगा..” और जोरों से हंसने लगाI

मोहन का पान लगाना और बातें करना दोनों हमेशा साथ ही होते हैं… हँसते हुए उस ने मेरी ओर पान बढाया और कहा “ई पान भी आज स्पेशल है साहेब, आप भी क्या याद रखेंगे.. पान खाइए और गोपाल के साथ जाइये.. लूटिये मज़े.. बेफिकर..” और एक और जोरदार ठहाका..!

मैंने मुंह में पान डाला और गोपाल से कहा “चलो बैठो मेरी कार में, कहाँ जाना है..?? “

पर गोपाल ने मेरी कार की ओर ऐसे देखा जैसे कोई मालगाड़ी हो.. और उसमें बैठना उस की इज्जत के खिलाफ हैI

मैं पूछा “क्या हुआ, कार देख कर घबडा क्यूं गए यार..? छोटी है क्या..??”

” अरे नहीं नहीं, साहेब बात दर असल ये है.. मैं जहाँ रहता हूँ वहां लोग कार में कम ही आते हैं.. और आज तो काम काफी देर तक चलेगा.. है न..? और आपकी कार बाहर खड़ी रहेगी.. लोगों को बेकार में शक होगा..”

“फिर क्या किया जाये..??” मैंने पूछाI

“मेरे पास बाइक है, आप को ऐतराज नहीं तो आप अपनी कार अपने घर छोड़ दें, आपका घर तो पास ही है और बाइक पर चलते हैं..”

मतलब गोपाल ने मेरे बारे सब कुछ मालूम कर लिया थाI

“तुम्हें मेरे घर के बारे कैसे मालूम.. यार तुम तो बड़ी चालू चीज़ हो.??” मैंने कहाI

“अब सर इस धंधे में सालों से टीका हूँ.. चालू तो होना ही पड़ेगा..”

“ठीक है यार मैं समझता हूँ, मैं आगे कार से जाता हूँ, तू मेरे पीछे बाइक ले के आ..”

और मैं कार अपने गैराज में रखा और गोपाल की बाइक के पीछे हो गया सवार और चल पड़ा अपनी बरबादी या आबादी(?) की ओरI जैसा की आम ख्याल होता है ऐसी जगहों का.. मेरे दिमाग में भी यही ख्याल था कि गोपाल मुझे तंग और भीड़ भरी गलियों से होता हुआ किसी छोटे से दो या तीन मंजिले मकान के किसी अँधेरे बंद कमरे में ले जायेगा, पर यह तो कोई और ही रास्ता था..

जहाँ हम पहुंचे वो एक साफ सुथरी कालोनी थी.. जैसा कि राज्य सरकार के हाऊसिंग बोर्ड होते हैं.. एक छोटे से बंगलेनूमा घर के बाहर गाड़ी रुकी, गोपाल ने मुझे उतरने को कहा और बोला “येही है मेरा गरीबखाना, सर. आज आप मेरे खास मेहमान हैं.”

“पर यार…” मैं आगे कुछ बोल पाता के सामने देख मेरी बोलती बंद हो गयी, मैं एक टक देखता ही रह गया ! सामने एक खूसूरत सांवली लम्बी जवान औरत गेट खोल रही थी.. जवान इसलिए के उसकी उम्र कोई 25 – 26 की होगी और औरत इसलिए के उसके सही जगह बिलकुल सही उभार था..

जैसे किसी शादी शुदा औरत जो अपनी फिगर संभालना जानती हो, का होता है.. न मोटी न दुबली.. बस एक दम ऊपर से नीचे भरी भरीl सांवला रंग होते हुए भी एक अजीब चमक थी.. जो किसी को भी अपनी और खींच ले.. हल्का सा मेक अप और होठों पे हलकी लिप स्टिक…चेहरा कटीला, जैसा किसी मॉडल का होता है… नाक तीखे… मैं बस देखता ही रहा…

“भारती.. ये हैं सागर साहेब, आज हमारे खास मेहमान…”

गोपाल की आवाज़ से मैं अपनी चकाचौंध से वापस आया और भारती की ओर मुखातिब हुआ.. भारती ने मुझे मुस्कुराते हुए नमस्कार किया और हमें अन्दर आने का इशारा किया, और हम तीनों घर की ओर चले.. आगे आगे गोपाल उसके पीछे भारती अपनी कुल्हे मटकाती, कमर लचकाती चल रही थी ओर मैं उसे देखता हुआ मन ही मन यह दुआ करता हुआ के आज अगर ये मिल जाय तो बस अपने लौड़े क़ी तो चांदी ही चांदी.. आगे बढ़ रहा थाl

उसने टाईट सलवार कमीज़ पहन रखी थी, जिस से उसके जवान बदन का निखार उभर उभर कर मेरे दिल दीमाग और लौड़े पर हथोड़े मार रहा था..! क्या गांड थी, और क्या कमर की लचक..! हम लोग अन्दर आये,ये शायद ड्राइंग रूम था गोपाल का..बड़े करीने से सजा था.. जैसे किसी मध्यम वर्गीय परिवार का होता है…मैं और गोपाल वहीँ सोफे पर अगल बगल बैठ गए और भारती अन्दर चली गयी l

“अरे भाई गोपाल क्या येही जगह है..?? चलो यार जल्दी से माल के दर्शन कराओ…” मैं कहाl

“अरे सर, अभी तक जिसे आप आँख फाड़े देख रहे थे वोही तो है… !!”

“एएँ.क्या बक रहे हो गोपाल, वो तो तुम्हारी बीबी है न..??…”

“सर आप आज ज्यादा सवाल न करें धीरे धीरे आप सब समझ जाओगे… आज बस आप मस्ती लूटें l अभी वो न किसी की बीबी है न किसी की मां न किसी की बहेन.. वो जितनी देर आप यहाँ हो आपकी है, बस आपकी.. आप जैसे चाहे उस से मजे लो..” उसने जोरदार ठहाका लगाया “आप मेरी बात समझ रहे हैं न..? अब मैं जाता हूँ, काफी थक गया हूँ.. आराम करूंगा, भारती आती ही होगी.. आपका ख्याल रखने…” उसने मुझे आँख मारी और झट अन्दर चला गया..!

गोपाल की बातों से मैं अवाक रह गया… कहाँ तो मैं किसी ऐसे वैसे जगह और लड़की के बारे सोच रहा था, और कहाँ एक दम घरेलु, खूबसूरत, सुघड़ और सेक्सी औरत हाथ लग रही है.. मन में झूर्झूरी सी होने लगी.. भारती किसी भी एंगल से ऐसी औरत नहीं लगती थी जो धंधा करती हो.. आखिर क्या मजबूरी थी इस के साथ… ??

फिर मैंने सोचा “छोड़ यार भारती की मजबूरी.. अभी अपने लौड़े की मजबूरी का ख्याल कर और अपने पैसे की कीमत वसूल, ऐसी माल रोज हाथ नहीं लगती… भारती की मजबूरी आज नहीं तो कल मालूम कर ही लेंगे…” पर फिर भी… मेरे मन में भारती का रहस्य जानने ने की इच्छा जाग उठी..

और रहस्य तभी जाना जा सकता है जब की उसका दिल जीतो.. और दिल जीतने का सब से सहज तरीका है उसकी चूत… जो मुझे मिल रही है… और फिर भारती को ताबड़तोड़ चोदने के ख्याल से मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.पैंट के अन्दर हल चल होने लगी… मैं बेसब्री से उसका इंतज़ार करने लगा..! ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे..एक अजीब मदहोशी छाई थी, एक झुरझुरी सी हो रही थी, जब से भारती के दीदार हुए और मुझे यह पता चला की आज की रात भारती के साथ गुजारनी है.. उसकी मस्त जवानी मेरे क़दमों पे होगी..उसे मैं अपनी बाँहों में लूँगा… उसे चूमूंगा, चूसूंगा..चाटूंगा.. आह इसकी कल्पना से ही मेरा लंड फूंफकार रहा था..

मैं मस्ती की आलम में था कि तभी रूम में पर्दा हिलने की सरसराहट हुई.. देखा सामने आज के रात की रानी भारती हाथ में ट्रे लिए अन्दर आ रही है.. मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी… साँस ऊपर की ऊपर ही रह गयी..सामने का नज़ारा ही ऐसा था..

भारती मुस्कुराते हुए अन्दर आ रही थी.. हाथ में ट्रे था और बदन पे एक महीन, पारदर्शी नाइटी.. रंग लाल, उसके अन्दर और कुछ नहीं.. सिर्फ उसकी जवानी.. उसकी भरी चूचियां.. उसकी गदरायी जिस्म.. उसके केले के थम्ब जैसी जांघें.. मैं बस देखता ही रहा.. नाइटी का जिप सामने था…

मैं उसे एक टक देख रहा था, उसकी हर कदम पे उसकी चूचियां हिलती थीं.. मांसल जांघें थरथराती थीं और मेरे दिल की धड़कन तेज़ और तेज़ होती जाती थी… पूरा कमरा उसकी परफ्यूम की खुशबू से भर उठा.. बहोत ही हलकी खुशबू थी परफ्यूम की, पर होश उड़ाने के लिए काफी. मैं जैसे किसी और ही दुनिया में खो गया.. मेरे होशोहवास गुम थे…

भारती मेरे पास आई, मेरी तरफ झुक कर ट्रे टेबल पर रखा.. झूकी भी बेझिझक… उसकी नाइटी का उपरी हिस्सा चूचियों से सरक गया.. चूचियां नंगी हो गयीं, उसने उन्हें सँभालने की कोशिश किये बगैर मेरे साथ बैठ गयीl ट्रे में दो ग्लास में पानी था… और एक प्लेट में कुछ बिस्किट और नमकीन थे.. मैंने सीधा पानी का ग्लास उठाया और एक ही घूँट में पूरा ग्लास खाली कर दिया..मेरा गला पहले ही भारती कि दीदार से सूख गए थे…

“लगता है आपको प्यास जोरों की लगी है..” भारती के मुंह से यह पहले शब्द थे…

“आपने ठीक ही कहा.. भारती जी, मैं बहोत प्यासा हूँ…”

“ये लो कहाँ तो आप मेरे पास अपनी प्यास बुझाने आये हो और मुझसे आप और जी बोल रहे हो..” और वो जोरों से खिलखिला उठी..

उसकी खिलखिलाहट ने मेरी सारी झिझक दूर कर दी.. मैंने दूसरा ग्लास उठाया, उसकी ओर हाथ बढाया.. और कहा “चलो भारती, मेरे हाथों से तुम भी अपनी प्यास बुझा लो…” और उस ने अपने हाथ से मेरे हाथ पकड़ लिए और ग्लास अपने मुंह में लगाते हुए एक घूँट में पूरा ग्लास ख़ाली कर दिया.. ख़ाली ग्लास ट्रे पर रख दिया और फिर जोरों से खिलखिला उठी..

“क्यों क्या बात हो गयी…जरा मैं भी सुनूं ये खनकती हंसी किस बात पर हुई..???”

“आप बात तो बड़ी मजेदार करते है.. काम भी मजेदार होगा..” और एक खिखिलाती हुई हंसी फूट पड़ी..

“देखो भारती तुम अपनी पानी पीने कि हंसी के बारे बताओ न, क्या बात थी..? और हाँ तुम भी मुझे तुम ही कहोगी…”

“अरे कुछ नहीं.. वो तुम ने कहा न कि तुम्हारे हाथ से मैं अपनी प्यास बुझाऊँ…??”

“तो इसमें हंसी की क्या बात थी..” मैंने हैरान होते हुए पूछा..

” अरे भोले राजा.. मेरी प्यास तुम आज क्या अपने हाथ से ही बुझाओगे..??” और फिर दिल खोल कर खिलखिला उठी..

मैं भी उसकी बातों कि गहराई समझते हुए हंस पड़ा और कहा “तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में.. आज तो मुकाबला जोरदार है… रानी तुम्हारी प्यास तो मैं अपने किस किस चीज़ से करूंगा बस देखती जाओ…”

“अच्छा.. लगता है आज तुम्हारी तैय्यारी पूरी है..बैटरी तुम्हारी फुल चार्ज है…ही…ही…ही..” और उसकी हंसी के साथ साथ उसकी चूचियां भी ऐसी हिल रहीं थीं जैसे वो भी उसकी हंसी में शामिल हों..

इस हंसी मजाक ने माहौल को हल्का बना दिया और मेरी पूरी झिझक दूर कर दी भारती नेl अब मैं उस के बिलकुल करीब आ गया, उसकी जांघें और मेरी जांघें चिपकी थीं.. मैं धीरे धीरे अपनी जांघ से उसकी मांसल जांघ को रगड़ रहा था… और वो भी पूरा साथ दे रही थी..

अब मैंने अपने एक हाथ से उसकी दूसरी जांघ थाम कर सहलाने लगा और दुसरे हाथ से एक चूची कि घुंडी हलके से मसलने लगा… भारती मस्ती में में डूब गयी. उसकी आंखें बंद हो गयीं.. वो हलकी हलकी सिसकारी ले रही थी.. मैं भी मस्ती में था, मेरा लौड़ा पैंट फाड़ कर बाहर आने की नाकाम कोशिश कर रहा था…

अब मैं उसकी दूसरी चूची अपने मुंह में ले कर हलके हलके चूसने लगा. भारती के मुंह से सिसकी निकल गयी. “हाय..ऊओह…” उसने अपनी उँगलियों से मेरे लौड़े को पैंट के ऊपर से सहलाना चालू कर दिया… मैं भी बेकाबू हो रहा था, मैंने भारती को अपने हाथों से जकड लिया बुरी तरेह, अपने से चिपका लिया और उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए.. उसे चूसने लगा गन्ने कि तरह..

भारती सिसकने लगी.. “हाय ऊओह्ह..इस..उई मां…” उसके नाक फड़क रहे थे… होंठ कांप रहे थे.. मुझे जकड लिया.. और मेरे पैंट कि जिप खोल दी उस ने.. और हाथ अन्दर डाल दिया, underwear के ऊपर से लौड़ा मुट्ठी में लिया और हलके हलके दबाने लगी…”आह…” मैं भी मस्ती में आ गया…

मैं उसे चूम रहा था, उसके होंठ चूस रहा था और वो मेरे लौड़े से खेल रही थी, उसे भींच रही थी.. मेरे मोटे लौड़े को भींचने का पूरा मज़ा ले रही थी.. दोनों कराह रहे थे…सिसक रहे थे.. कि तभी उस ने मुझे उठने को इशारा किया.. मेरे लौड़े को जकड़ते हुए… मैंने भी उसके होठों को चूसना और चूचियों को मसलना जरी रखा… दोनों उठ गए… और उस ने सामने रूम कि ओर चलने का इशारा किया..

हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए उसके बेड रूम कि ओर चल पड़े… अपने खेल को और आगे और मस्ती और मज़े के आलम की ओर बढाने… मैं लगातार उसका निचला होंठ चूस रहा था..और वोह मेरे लौड़े को थामे थी, अपनी मुट्ठी से जकड रखा था, और उसे दबाती जा रही थी और साथ में मुझे लौड़े के साथ बेड़ रूम की और खींच रही थी, अजीब मस्ती का आलम था, दोनों हांफ रहे थे..

मैं उसे अपने से चिपकाए था.. मेरे लगातार होंठ चूसने से भारती की सांसें अटक रही थी, अपने चेहरे को मेरे होठों से छुडाया.. और एक लम्बी सांस ले कर मेरे नीचले होंठ को अपने होंठों से दबाया और जोरों से चूसने लगी और मुझे खींचते हुए बेड़ पर लेट गयी, मैं उसके ऊपर था, मैं उसे उसके पीठ से जकड़ा था और अपने सीने से चिपका रखा था..

उसने मुझे धीरे से धक्का देते हुए ऊपर किया और अपनी नाइटी के जिप को एक झटके में खोला, अपने बदन से अलग करते हुए बेड़ के एक कोने में फ़ेंक दिया, और उसने मेरे पैंट की ओर इशारा किया, मैं अपने हाथ उसकी चूची से हटाया और कमर उठा कर अपने पैंट के बेल्ट को खोला, नीचे किया और घुटनों के नीचे करते हुए पैर बाहर निकाल लिया…पैंट फर्श पर ढेर हो गया..

भारती ने शर्ट के बटन खोले और मैंने अपने को शर्ट से आजाद किया.. अब भारती बिलकुल नंगी थी और मैं बनियान और underwear में था.. भारती ने कहा.. “जानू, मेरे आज के राजा.. हमारे बीच का पर्दा तो हटाओ न..” और मैंने बनियान उतार दी और उसने मेरी चड्ढी कमर से खींच कर पैरों से नीचे कर दिया…

अब दोनों बिलकुल नंगे थे.. एक दूसरे को देख रहे थे… मस्ती में हांफ रहे थे… भारती लम्बी,लम्बी सांसें ले रही थी.. नाक फड़क रहे थे.. मैंने उसे फिर से अपने सीने से चिपका लिया.. मेरे नंगे सीने, बालों से भरे.. उसकी नंगी चूचियों को दबा रहे थे.. उसके हाथ नीचे मेरे तन्नाये लौड़े को सहला रहे थे…

और मैं फिर से उसके होंठ चूसने लगा, और उसे और जोरों से अपने सीने से चिपका लिया “आआआअह..इतने जोरों से ना दबाव राजा, मैं मर जाऊंगी.. ऊओह..” भारती सिस्कारियां ले रही थी.. मैं ने अपनी जकड ढीली की, पर होंठों का चूसना चालू रखा.. उसके मुंह से लार मेरे मुंह में लगातार जा रहा था और मैं उस अमृत को पूरे का पूरा गटक रहा था..

अब मैंने अपनी जीभ भी अन्दर डाल दी उसके मुंह में, उसकी तालू, उसके अन्दर के गाल, उसके दांत चाटने लगा… उसे चाट रहा था भारती को चाट रहा था.. भारती एक दम मस्ती के आलम थी, उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया था.. मेरी बाँहों में… दोनों हांफ रहे थे.. भारती धीरे धीरे कराह रही थी..

अब मैंने अपने गीले और उसकी लार से भरी जीभ उसकी चूची की घुंडी पर घुमाने लगा, जो पहले से ही मस्ती में कड़क हो गया था.. भारती एक दम चीत्कार उठी..”हाय राजा.. जानू…” उसका पूरा बदन सीहर उठा.कांप उठा.. मेरी जीभ के स्पर्श से.. उसकी घुंडी और भी टाईट हो गयी.. मेरी जीभ को भी उसका अहसास हुआ..

मैं अपना एक हाथ उसके पेट पर ले गया, सहलाने लगा, बड़े गुदाज़ थे… मेरी पूरी हथेली उसके मुलायम पेट को धीरे धीरे सहलाने लगी..भारती उछल पड़ी… “उई..आह… क्या कर रहे हो मेरी जान..मैं तो मस्ती में बिना चूदे ही मर जाऊंगी..माआअ.. आः.. ” वोह हांफ रही थी..

और मैं उसकी घुंडी चूस रहा था, उसके पेट सहला रहा था, उसे जकड रखा था.. और उसने अभी भी मेरा लौड़ा थामे रखा था अपनी मुट्ठी में.. मस्ती में उसकी चमड़ी आगे पीछे कर रही थी… उसे बड़ा अच्छा लग रहा था.. मेरा लौड़ा सहलाना… मोटे और लम्बे लौड़े औरतों को थामने में बड़ा मजा आता है.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

हम दोनों मस्ती के भरपूर आलम में थे… मेरे लौड़े से लगातार पानी निकाल रहा था.. उसकी चूत का भी येही हाल था.. मेरी जांघें उसकी चूत के पानी से भींग गए थे… उसकी बेड़ की चादर गीली हो गयी थी… वो सिस्कारियां ले रही थी, हांफ रही थी.. कराह रही थी… आंखें बंद किये मंद मंद मुस्कुरा रही थी.. और मैं पागल हो रहा था. “पूरे बेड़ रूम में ‘ अआः ऊऊह्ह..हाय..माँ रे माँ..का आलम था..”

अब मैंने अपना मुंह उसकी चूची के घुंडी अलग किया.. पर उसकी चूची फड़क रही थी.. अजीब समां था.. अंग अंग फड़क रहे थे.. पुकार रहे थे. हमारी जुबाने बंद थीं, बदन, शरीर से बातें हो रही थीं, स्पर्श की भाषा चल रही थी… भावनाओं का तूफ़ान उमड़ रहा था… हम एक दूसरे में खोये थे…

अपना मुंह मैं उसके पेट पर ले गया.. जीभ से चाटने लगा.. उसकी नाभि पर फिराया.. भारती चिल्ला उठी.. सीहर उठी… कांपने लगी..”.: हाआआ…. ऊऊऊऊऊह आः आआ… उई मां..क्या हो रहा है.. मर जाऊंगी आज मैं….. माआआआआआ.” उसके कमर ने झटका खाया.. चूत से पानी की धार निकल पड़ी..

मेरी जांघें भीग गयीं.. मैं पेट का चूसना जारी रखा.. अब मेरी भी बुरी हालत थी.. उसके हाथों की गर्मी से मेरा लौड़ा मस्त था… ऐसा लगा मैं भी झड जाऊँगा..मैंने अपने कमर को थोडा ऊपर उठाया, ओर अपने लौड़े को उसके हाथों से आजाद किया… लौड़ा मेरा फूंफकार रहा था.. झटके खा रहा था…

भारती समझ गयी मैं भी क्या चाहता था.. उसने अपने पैरों को फैलाया, मुझे इशारा किया, मैं उसके पैरों के बीच आ गया. उस ने मेरा लंड बड़े प्यार से थामा औए अपने चूत के मुंह पर टीकाया.. उसकी चूत का मुंह पूरा खुला था..उसकी मुलायम चूत का स्पर्श पाते ही मैं चिल्ला उठा..’आआआआआआआह.. भारती..” मेरे पूरे बदन में सीहरन भर उठी..

उधर भारती भी लंड के सुपाड़े का स्पर्श अपनी चूत में महसूस करते चिल्ला उठी.. “हाय ;;आह कितना गरम है जानू…” ओर फिर उसने जो कमाल किया, उसके समान अनुभवी ही कर सकता है… उस ने मेरा लंड थामे अपने कमर को जोर से ऊपर उछाला.. इतनी जोर से की मेरा लंड उसकी गीली चूत में धंस गया..

मैं एक दम सीहर गया इस अचानक के धक्के से.. अगर मैं लंड अन्दर पेलता तो भी इतना मज़ा नहीं आता.. इस अचानक के झटके ने एक बिलकुल नया ही मज़ा दिया.. मैं मस्त हो गया.. ओर अब खुद धक्के लगाने लगा.. भारती ने दोनों टांगें ऊपर कर ली थीं ओर मैं उसकी चूतड़ों को जकड़ते हुए लगातार धक्के लगाय जा रहा था.. धक्के पे धक्का..

हर धक्के पे भारती ऊपर उछल जाती ओर “हाय” कर उठती.. मैं पागल हो उठा था.. मेरी पूरी मस्ती अब लौड़े पर थी.. ओर भारती की पूरी मस्ती उसकी चूत में समायी थी.. मैं धक्के लगा कर मस्ती ले रहा था.. वोह कमर उछाल उछाल कर.. दोनों मस्ती की चरम सीमा की ओर बढ़ते जा रहे थे..

मेरा धक्का लगाना ओर उसका कमर उछालना दोनों में एक अजीब ताल मेल हो गया था..हर धक्के में मेरा लौड़ा पूरे जड़ तक उसकी चूत में घूस जाता..वो चिल्ला उठती..”हाय.. राजा.. वाह.. जानू… ऊऊऊऊऊऊऊऊ… तुम तो नाम के नहीं काम के भी प्रीतम हो.. प्रीतु… मेरे चूत के प्रीतु… आआआआआह्ह चोदो… राजा चोदो.. आज तो मैं गयीईईईईईईईईई…”

मैं समझ गया भारती अब झड़ने वाली है.. मैंने धक्के की रफ़्तार में जोर और तेज़ी लाया.. भारती के कमर की उछाल भी तेज़ हो गए.. पूरे माहौल में फच..फच..थप थप की आवाज़ गूँज रही थी.. दोनों अपने होशोहवास खो बैठे थे… और कुछ धक्कों के बाद मैंने भारती को जकड लिया और जोरों से अपना लंड उसकी चूत में डाले रखा…

मैं झटके खाने लगा.. मेरा लौड़ा उसकी चूत में झटके खाने लगा और भारती भी अपनी कमर उछालती रही.. दोनों झड़ते रहे..झड़ते रहे.. झड़ते रहे… उसकी चूत में मेरा लौड़ा सिकूड कर फक से बाहर आ गया. और उसकी चूत से मेरा वीर्य और उसका रस.दोनों मिल कर रिसने लगे… बाहर आने लगे.. मस्ती की गंगा बह रही थी भारती की चूत से…

मैं भारती के ऊपर ढेर हो गया.. उसके सीने पर अपना सर रख कर लेट गया..हांफने लगा..भारती भी हांफ रही थी…और उसकी चूत कांप रही थी… दोनों एक दूसरे की बाँहों में खो गए… इस चूत कंपाई और लंड घिसाई चूदाई के बाद काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके लेटे रहे…

मैं भारती के बदन से निकलती उसके पसीने और परफयूम की मिली जूली मादक खुशबू का आनंद ले रहा था.. खोया था.. लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था.जैसे पूरी खुशबू मेरे अन्दर समां जाये.. भारती भी मेरे सीने से सर चिपकाये आँखें बंद किये चूदाई का मज़ा अपने दिलो दिमाग में जज़्ब कर रही थी…

थोड़ी देर बाद वो उठी और बाथरूम, जो कमरे से attached था, गयी, पेशाब किया और अपनी चूत को साफ कर फिर से अपनी पतली झीनी नाइटी पहन कर मेरे बगल में लेट गयी.. मैंने भी अपने लंड को वहां पड़े एक छोटे तौलिये से पोंछा और उसके जांघों पर अपने पैर रख उसकी ओर मुंह घूमा कर और हाथ उसके पेट पर रख उसे अपनी तरफ हलके से खींच लिया.. और कहा “भारती, कैसी रही मेरी चूदाई..??”

उस ने मेरी ओर अपना सर किया और मेरी आँखों में एक टक देखने लगी.. और थोड़ी सिरिअस हो गयी..

मैंने कहा..”अरे क्या हुआ मेरी रानी..अच्छा नहीं लगा..??”

उस ने कहा “सच कहूं..?”

“हाँ, बिलकुल सच्ची कहो.. अगर अच्छा नहीं भी लगा तो कोई बात नहीं.. मैं बुरा नहीं मानूंगा.. मैं जानता हूँ, मैं ही पहला मर्द नहीं जिस ने तुम्हें चोदा है, एक से एक लंड तुम ने अपनी चूत में लिया होगा… इसलिए बेफिक्र हो कर जो सोच रही हो बोल दो..”

न जाने मुझे क्यों उसकी इच्छा जान ने का मन हुआ.. क्योंकि वो तो एक हाई क्लास कॉल गर्ल थी, उसे पैसे से मतलब और मुझे चोदने से, उसे अच्छा लगे या न लगे…पर मैं दिल से चाहता था कि उसे संतुष्ट रखूँ… उसे खुश रखूँ… मुझे भी इस से खुशी होती… मैं उसकी ठुड्डी पकड़ कर कहा “बोलो न मेरी जान…” मेरे बोलने में इतनी मीठास थी, भावना थी और सब से ज्यादा उसकी इच्छाओं का सम्मान था.. भारती भावुक हो उठी और उसकी आँखों से आंसू टपक पड़े..

गरम गर्म बूँदें मेरे सीने पर टपके..

“अरे क्या हुआ भारती.. मैं कुछ गलत कहा..??”

“नहीं आप ने…”

मैं उसे फौरन टोका “आप नहीं तुम…”

उसके चेहरे पे हलकी मुस्कान आई और उस ने बोलना जारी रखते हुए कहा “तुम ने कुछ गलत नहीं कहा..जानू.. सब सही कहा..मैं  इस लिए रो पड़ी.. के आज तक किसी मादरचोद ने मेरी पसंद का, कभी ख्याल नहीं किया.. सभी साले अपना लंड आधा पूरा डाल मां के लौड़े आधे रस्ते में मेरी चूत में पानी टपका के चल देते..

किसी को मतलब नहीं था मेरा क्या होता है.. मैं कितना तड़पती हूँ अपनी चूत क़ी भूख मिटाने को, आप पहले मर्द हो जिस ने मेरा ख्याल किया.. और भगवन कसम चूदाई भी ऐसी की तुम ने.. मुझे इतना मज़ा कभी नहीं आया.. मैं शायद जिंदगी में पहली बार झड़ी…”

मैं उस क़ी बातें सुन अवाक् रह गया… गुलाब के फूल में खुशबू तो है.. पर कांटे भी. और कांटे भी ऐसे जो फूल को भी चुभते हैं.. अगर उन्हें समय पर नहीं कुतरा जाये..

“पर भारती तुम्हारा पति गोपाल क्या तुम्हें चोदता नहीं..” मैं पूछा..

“उस क़ी तो बात ही मत करो.. शाला भडुवा है मादरचोद, बीबी क़ी चूदाई क़ी कमाई खाता है… शाला मुझे क्या चोदेगा..? उसका तो ३” का लौडा आज तक कभी खड़ा ही नहीं हुआ.. बस मेरे सामने मूठ मार के पानी छोड़ देता है हरामी… एक दो बार घूसाने क़ी कोशिश की पर बहेनचोद आधे रास्ते में उसके लौड़े ने उलटी कर दी… स्साला नामर्द..”

मैंने मन ही मन सोचा जो दीखता है सामने सारा सच वोही नहीं है.. और भी काफी कुछ है..मैं तो सोचता था क़ी यह लड़की रोज़ एक से लंड लेती होगी और कितना मज़ा करती होगी.. पर यहाँ तो बात बात ही कुछ और है.. मतलब ये कि इसकी कहानी कुछ और ही है. काफी कुछ देखा होगा इस ने अपनी छोटी सी जिंदगी में.ऐसे आदमी से इसकी शादी कैसे हुई.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

इसने यह सब बातें अपने मां बाप को क्यूं नहीं कहा.. इसके मां बाप कहाँ हैं, क्या करते हैं.. आदि आदि.. इन सब सवालों का जवाब भारती के पास ही था.. मैंने ठान लिया आज नहीं तो कल इसकी पूरी कहानी जरूर सुनूंगा,इसी क़ी जुबानी..पर यह निश्चित था के आज नहीं… आज तो इसका दिल और चूत को पूरी तरेह जीतना था मुझे..

“ह्म्म्म..तो यह बात है.. कोई बात नहीं भारती, लो अब मैं हूँ न तुम्हारी चूत कि प्यास बुझाने.. और मैं भी एक बात बोलूँ मेरी रानी..??”

“हाँ हाँ, राजा बोलो न..”

“रानी मुझे भी आज तक अपनी बीबी को चोदने में इतना मज़ा नहीं आया.. तुम ने ऐसे चुदवाया जैसे अपने आप को तुम ने मुझे सौंप दिया. सिर्फ तुम्हारी चूत ही नहीं तुम्हारा पूरा शरीर मेरे लौड़े से चुदवा रहा है..”

“सच्च..??”

“हाँ मेरी रानी..”, मैंने उसके गालों को चूमते हुए कहा,” बिलकुल सच…”

ऐसा सुनते ही उस ने अपना सर मेरे सीने से और भी चिपका लिया..मुझे चूमने लगी.. मेर होठों को, मेरे गालों को l मेरे बालों से भरे सीने में हथेली घूमाने लगी.. मैं मस्ती में कराहने लगा… हमारी आज की चूदाई का दूसरा लेवल और दूसरा दौर शुरू हो चुका था…

भारती मेरे सीने में हाथ फिराते हुए मुझे चूमने लगी.. हम दोनों करवट लिए एक दुसरे की ओर मुंह किये लेटे थे.. मेरा एक हाथ उसकी कमर को जकडते हुए अपनी ओर चिपकाए था… मेरा लौड़ा उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसकी चूत में जोरदार दस्तक दे रहा था.. मेरा एक पैर उसकी जांघ के ऊपर था.. और उसे जकड रखा था…

उसका चूमना जारी था. मेरे होंठ.. मेरे गाल… बारी बारी से चप चप चूमे जा रही थी.. चूसे जा रही थी… फिर उस ने अपनी जीभ मेरे मुंह में एक बार ही डाल दिया.. लप लपाता हुआ अन्दर गया और उस ने मेरे मुंह के अन्दर चाटना शुरू कर दिया.. और अब वोह अपनी जीभ अन्दर डाले ही suddenly मेरे ऊपर आ गयी…

मैं नीचे था… उस ने अपने हाथों से मेरे चेहरे को प्यार से जकड लिया और ऊपर उठाते हुए अपनी जीभ से सीधे मेरे कंठ चाटने लगी… मैं एक अजीब सिहरन से भर उठा.. मेरा अंग अंग कांप उठा.. मैंने सोचा येही मज़ा है एक experienced काल गर्ल का… और जब की कॉल गर्ल पूरी तरेह गर्म हो… मैं मज़े में आः आह कर रहा था.. कराह रहा था और वोह मेरे मुंह से मेरे लार को चूसे जा रही थी…

मैं पागल हो उठा था, मेरा लौड़ा फन फना रहा था, उसकी चूतड और जांघों के बीच.. मैंने भी धीरे धीरे कमर उठा उठा कर लौड़े को एक हाथ से थामे उसकी चूत से गांड तक घीस रहा था. मेरा लौड़ा और उसकी चूत बराबर पानी टपका रहे थे… भारती मस्ती में थी… आआआआअह… उम्म्मम्म्म्मम्म्म्म.. माँ… जाअन्नूउ… सिसक रही थी कराह रही थी..

और मुझे चूमे, जा रही थी, चूसे जा रही थी चाटे जा रही थी… मैं लौड़े से उसकी चूत की घिसाई कर रहा था…मेरा पूरा लौड़ा गीला हो गया था…एक दम से तन्नाया था फूंफकार रहा था… छटपटा रहा था… मुझे लग रहा था मेरा लौड़ा अब जड़ से उखड जायेगा.. कभी भी… भारती अपनी पूरे जोश में थी… पिछली चूदाई का हिसाब बराबर कर रही थी…

उस ने अपनी नाइटी एक झटके में उतारा और फ़ेंक दिया… मेरे सीने को अपनी नंगी चूचियों से चिपका लिया और बडबडाने लगी “जान इस रंडी को तो सभी ऐरे गैरे ने चोदा है..लो मेरे राजा आज ये रंडी तुम्हें चोदेगी…तुम्हारा लौड़ा खा जाएगी… मेरी प्यासी चूत… मेरी गहरी चूत… इसे भोंसडा बना दो.. मेरी जान.. हाँ भोंसडा.. इसकी सारी खुजली मिटा दो…”

और वोह मेरे पहले से ही तन्न लौड़े पर अपनी गीली और पानी से सराबोर चूत टीकाया और एक झटके में उसे अन्दर ले लिया…”हाय.. मैं आज मर जाऊंगी..मार दो मेरे राजा..” जोरदार धक्के लगाने लगी मेरे ऊपर.मेरे लौड़े पर..मैं भी नीचे से कमर उठा उठा कर उसकी चूत पेल रहा था… दोनों ही मस्ती की चरम सीमा पर थे…

उसके हर धक्के पे उसकी चूचियां उछालती थीं… वोह सर झटकती थी..बाल झटकती थी जैसे किसी जादू के असर में हो.. वोह चूदाई में खो चुकी थी.. मैं भी मज़े में सिहर रहा था.. मेरा रोम रोम सिहर उठा था… उसकी जांघें कांप रहीं थीं.. मैंने महसूस किया उसके धक्के में काफी जोर के झटके आ रहे थे… चूत रस की नदी बहा रही थी..

मैं भी थाप पे थाप लगा रहा था.. उसकी गांड और जांघें मेरे जांघों से थप थप आवाज़ के साथ टकरा रहा था… मैं समझ गया अब दोनों झड़ने ही वाले हैं.. मैंने उसे अपने नीचे किया और उसके होंठ अपने होंठ से जकड लिया..उसकी पीठ के नीचे हाथ डाल कर अपने सीने से चिपका लिया, और सिर्क कमर उठा उठा कर जोरदार धक्के लगाने लगा..

उसकी चूत के अन्दर तक लौड़ा धंस रहा था.. भारती चिल्ला उठी “हाँ जानू.. हाँ हाँ.. मारो मेरी चूत… पेल दो साली को.. फाड़ दो आज.. आज मैं मर भी गयी तो कोई बात नहीं… मार दो.. चोदो राजा चोदो.. आज पहली बार चुदा रहीं हूँ… साले सब भडुवे चूत के बाहर ही उलटी कर देते… आह ऊउई आज मेरी चूत के अन्दर भी लौड़ा गया है.. लम्बा लौड़ा… मोटा लौड़ा… हाआआआ..मार.. मार…”

उसकी बातों से मैं भी जोरों से चोदने लगा… : हाँ रानी लो मेरा लौड़ा.. लो लो ले लो.. ऊऊह अआः और दो तीन और धक्कों के बाद मैंने उसे जकड लिया, पूरा लौड़ा अन्दर तक पेल दिया और उसे अपने लौड़े के जड़ तक उसकी चूत में घुसेड़े रखा… मैं झड रहा लौड़ा झटके पे झटका खा रहा था, उसकी चूत में खाली हो रहा था..

मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अन्दर से कुछ निकल रहा है, झरने के सामान, मैं खाली हो रहा हूँ… आआआह ऊऊऊऊह्ह.. और उधर भारती की चूतड भी झटके पे झटका खा रही थी.. लगातार पानी छोड़े जा रही थी उसकी चूत से रिस रिस कर पानी बह रहा था..

मेरा लौड़ा सिकूड कर बाहर आ गया एक पक्क की आवाज़ के साथ… भारती पैर फैलाये लेटे थी.. लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी, मैं भी हांफ रहा था.. और उसकी चूत से रिस रिस कर मेरे वीर्य और उसका रस दोनों मिल कर उसकी जांघों, उसके चूतड़ों को गीला करते हुए बिस्तर पर जमा हो रहे थे…

भारती शांत हो गयी थी..मंद मंद मुस्कुरा रही थी मैं उसके सीने से चिपका आँखें बंद किये लेटा था..और मेरा एक हाथ उसकी चूत के गीलेपन को महसूस कर रहा था.. एक अजीब ही तजुर्बा था ये.. न गर्म न ठंडा.. बस चिप चिप..जैसे हम दोनों की चूदाई का mixture.. लौड़े और चूत की मिलन का तरल रूप.. मैं उस चिप चिप का मज़ा लेता रहा आँखें बंद किये…

मैं और भारती अगल बगल लेटे थे.. उस ने अपनी टांगें फैला दी थी और सीधे लेटी थी, अपने आप को एक दम बेसुध छोड़ दिया था… मैं सीधा लेटा था.. और अपनी हथेली से उसकी चिप चिपी चूत सहला रहा था.. धीरे धीरे.. इतनी घनघोर चूदाई के बाद की चूत को सहलाना भी एक अपने आप में मज़ेदार अनुभव है.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

चूत ढीली हो जाती है… मुलायम हो जाती है.. लौड़े के धक्के से… हथेली पर ऐसा महसूस होता है जैसे किसी मक्खन की टिकिया के अन्दर धंसा जा रहा है.. और चिप चिपा होने का भी मज़ा और ही था… थोड़ी देर बाद मैंने भारती की और मुंह किया.. और चिप चिपे हथेली से उसकी अब तक ढीली हो गयी चूचियों को सहलाते हुए कहा ; “भारती देखो न चूदाई करते करते टाइम का कुछ पता ही नहीं चला.. १२ बज चुके हैं.. और मुझे तो जोरों की भूख लगी है…”

“हाँ जानू…” उस ने लेटे लेटे मेरे ढीले लौड़े को मुठी में जकड़ते हुए कहा, “तुम्हारी चूदाई थी ही ऐसी.मैं भी किसी और ही दुनिया में थी… क्या चोदते हो… एक दम मस्त.. मैंने सैकड़ों लंड लिए हैं अपनी चूत में.. पर तुम्हारी लंड की बात ही कुछ और थी.. इतने दिनों मैं साले हरामखोरो के लंड की भूख मिटाती थी, मेरी चूत भूख से तड़पती रहती.. आज पहली बार, मेरे राजा.. तुम ने मेरे चूत की खुजली और भूख मिटा दी…”

“हम्म… भारती रानी..तुम्हारे चूत की भूख तो मिट गयी, पर इस पापी पेट का भी तो कुछ ख्याल करो…” मैंने हँसते हुए कहा…

“ओह, बस एक मिनट रुको राजा, मैं अभी करती हूँ इसका इंतज़ाम…” और मेरे लौड़े को जोरों से जकड़ा उसे मसला और फिर उठ गयी… नाइटी पहना और गांड मटकती हुई kitchen की और चली गयी..

“मेरी जान जल्दी आना.”

“बस गयी और आई…” कहते हुए बेडरूम से बाहर निकल गयी..

मैं सोच रहा था.. यह किसी भी angle से कॉल गर्ल नहीं लगती… एक दम घरेलू लगती है… और मन ही मन अपने मोहन पानवाले को दुआएं देने लगा.. मेरे पसंद की चूदाई का इंतज़ाम करने को और फिर मन बना लिया भारती को ही चोदूंगा आगे भी… लड़की कितनी सेक्सी है… मस्त चुदवाती है और सब से बड़ी बात..

बातें कितनी अच्छी करती है.. जैसे कोई पढ़ी लिखी करे, किसी अच्छे घर से हो.. पर ऐसी लड़की इस धंदे में आई कैसे.?? आज पहली बार ही मिले हैं.. पर ऐसा लग रहा था जैसे हम एक दूसरे को कब से जानते हैं… हमारी चूदाई भी सिर्फ चूदाई नहीं.. पर एक दूसरे में खो जाने वाली थी..

एक दूसरे तक अपनी भावनाओं को पहूँचाने का एक जरिया… हम दोनों जैसे अपने शरीर से बातें कर रहे थे… दोनों छू छू कर बातें समझ रहे थे… स्पर्श की भाषा… ऐसा कैसे हुआ.. मेरी समझ से परे था… वो भी एक अनजान कॉल गर्ल से… इसका अंजाम क्या होगा.??

मैं ये सब बातें सोच ही रहा था के तब तक भारती एक प्लेट हाथ में लिए अन्दर आई.. और मेरे बगल बैठ गयी…

“ठीक है मैं हाथ धो कर आता हूँ..” मैंने बिस्तर से उठते हुए कहा..

मैंने भी अब तक अपने कपडे पहेन लिए थे. भारती ने फौरन प्लेट बिस्तर पर रखा और मेरे हाथ अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और खींचते हुए अपने बगल में बिठा लिया “जानू तुम ने मेरे लिए इतनी मेहनत की.. आओ तुम्हें अपने हाथों से खीलाऊंगी.. खाओगे न… हाथ वाथ क्या धोना.. तुम्हारे हाथ में तो तुम्हारा और मेरा अमृत है जानू.. इसे धोना मत.. लाओ अपना हाथ मुझे दो..”

और उस ने मेरा हाथ अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ से चाट चाट कर पूरा साफ़ कर दिया… ओह… उसकी जीभ ऐसे चाट रही थी.. मेरा रोम रोम सिहर उठा… उँगलियों के बीच.. हथेली के ऊपर.. सभी जगह जीभ फिरा फिरा कर.. तुम्हारे हाथों में जादू है, क्या चूत मसलते हो..क्या चूची मसलते हो.” और फिर मेरी हथेली चूमने लगी.

“मेरी जान अब जरा अपने हाथों का भी तो कमाल दिखाओ.. मुझे खिलाओ न.. जोरों की भूख लगी है..”

“ओह सॉरी… ये लो…” और उस ने अपनी एक टांग बिस्तर पर मोड़ कर रख लिया और मेरे पास और करीब आ गयी. और अपने हाथों से निवाला मेरे मुंह में डाल डाल के खिलाने लगी.. “डार्लिंग.. तुम भी खाओ न..” और मैंने भी अपने हाथों से उसे खिलाना शुरू कर दिया..

एक निवाला वो मेरे मुंह में डालती, फिर दूसरा निवाला मैं उसके मुंह में… और दोनों एक दूसरे को देखते हुए धीरे धीरे चबा चबा चबा कर खा रहे थे.. जैसे हमारे मुंह में खाने का निवाला नहीं हो बल्कि उसकी चूत या फिर मेरा लंड हो.. वोह मेरे और करीब आ गयी और चिपक गयी.

खाना चालू था.. मस्ती का आलम था… खाने में मज़ा आ रहा था.. जैसे एक दूसरे को चोद रहे हों..खाना बिस्तर पर चूदाई मुंह से… थोड़ी देर में प्लेट खाली हो गया और भारती अन्दर गयी प्लेट रखने. और मुझे कहते गयी “तुम हाथ नहीं धोना…मैं बस आई..”

उसने आते के साथ मेरे जूठे हाथ अपने मुंह में डाला और पहले तो चूसा, दो तीन बार फिर जीभ से चाट चाट कर साफ कर दिया और फिर मैं पानी पिया और लेट गया…उस ने भी पानी पिया और मुझ से सट कर लेट गयी… थोड़ी देर लेटने के बाद मुझे नींद आने लगी..

भारती भी चूदाई के मारे थक गयी थी.. और ऐसी चूदाई के बाद काफी relaxed फील कर रही थी… उसे भी नींद की झपकियाँ आने लगी… मैंने उसे अपनी बाँहों से जकड लिया,उसका मुंह अपनी तरफ कर लिया..उसके होंठ चूसते चूसते सो गया… उसके नशीले होंठ चूसते चूसते मैं नींद के नशें में कब खो गया कुछ पता ही नहीं चलाl

मुझे सोते हुए काफी देर हो गए.. अचानक मुझे कुछ अजीब सा लगा..जैसे मेरा मुंह कुछ गीले और मुलायम चीज़ में धंसा हो.. और जीभ में एक अजीब खट्टा और नमकीन सा स्वाद टपक रहा हो… और इतना ही नहीं.. मेरे जांघों के बीच, लौड़े को भी ठंडी हवा का झोंका लगा और लगा जैसे लौड़े में कुछ लप लप करती मुलायम और गीली वस्तु ऊपर नीचे हो रही है..

मेरी नींद खुली.. नज़ारा देख मैं अवाक रह गया… भारती पूरी नंगी थी और अपनी चूत मेरे मुंह पर धीरे धीरे घिस रही थी और मेरे लौड़े को अपनी लपलपाती जीभ से चाटे जा रही थी.. बुरी तरेह हांफ रही थी.. जैसे.उसके चाटने की रफ़्तार इतनी तेज़ थी और इतनी मदमस्त थी जैसे पूरा लौड़ा ice cream की तरेह चाट चाट कर मुंह में भर लेगी.. मैं पागल हो रहा था…

उस ने मेरी नींद में ही मेरा पैन्ट और मेरी चड्ढी कब उतारी मुझे पता ही नहीं चला… पर लगता है उसकी नींद खुल गयी और मुझे सोते देख मुझे जगाने की कोशिश किये बगैर मुझ पर टूट पड़ी… और जगाने का शायद इस से अच्छा तरीका भी नहीं हो सकता… मैंने भी मन ही मन खुश होते हुए इस 69 position का आनंद उठाने की सोची..

मेरा मुंह उसकी गुदाज़ जांघों औए चूतड़ों के बीच था.. और उसकी चूत का रस पान कर रहा था.. मैंने अपने हाथों से चूतड़ों को धीरे से जकड लिया और उसे हलके दबोचते हुए थोडा ऊपर किया. थोड़ी जगह बनी मेरे मुंह और उसकी चूत के बीच.. मैं ने अपनी जीभ उसकी चूत के नीचले हिस्से से फेरना शुरू किया और उसकी गांड तक ले गया…

भारती चीख पड़ी… उसकी जांघें सीहरन से कांप उठी थरथराने लगी..मैं ने अपनी पकड़ उसकी चूतडों पर और जोर कर दी और जीभ का दबाव भी… आआआआआअह ऊऊऊऊओह क्या चूत थी, मुलायम जैसे मखन की टिकिया.और जैसे मखन पिघल कर पानी बनता है..

उसकी चूत से भी जैसे पिघल पिघल कर नमकीन पानी मेरे मुंह में जा रहा था.. मैं पूरा मुंह में ले रहा था.. चाट रहा था.. मैं पागलों की तरह भारती की चूत पर टूट पड़ा था.. भारती सिसकियाँ ले रही थी कराह रही थी उसकी टांगें थरथरा रही थी.. उसका पागलपन मेरा लौड़ा झेल रहा था…

उसकी मस्ती मेरे लौड़े का सुपाडा सह रहा था… वोह जितनी मस्ती में आती जा रही थी उसका चूसना भी उतने ही जोरों से बढ़ता जा रहा था… उसने अपने हाथों से मेरे लौड़े को थाम रखा था.. कभी दबाती कभी सहलाती कभी जोरों से जकड लेती… मैं भी मस्ती की आलम में झूम रहा था… और उसकी चूत पर अपनी मस्ती निकाल रहा था…

मैं बार बार उसकी चूतडों को जकड कर ऊपर उठाता और अपने मुंह पर घिसता.. कभी अंगूठे से उसकी चूत की घुंडी दबा देता.. भारती हाय.हाय कर उठती…”राजा… ऊओह हाय मैं मर गयी आज.. मार दो मुझे चूस चूस कर.. मेरी सारी मस्ती निकाल दो मेरे राजा.. आः आः ऊओह्ह..” और फिर वो मेरे लौड़े पर उतनी ही मस्ती में टूट पड़ती..

मेरे लौड़े पर उसके होटों की पकड़ और मजबूत हो जाती… मेरे लौड़े की जड़ तक चूस लेती.. मैं भी मस्ती में कांप रहा था.. कराह रहा था.. तड़प रहा था भारती के मुंह में… उसके experienced हाथों में जादू था, होठों में मस्ती थी, जीभ में शीतलता… दोनों एक दूसरे के अंगों का भरपूर मजा ले रहे थे..एक दूसरे में खोये थे…

फिर हम जोर और जोर और जोरों से चूत और लौड़े पे टूट पड़े..चुसाई, घिसाई, चटाई की रफ़्तार में तेज़ी आने लगी..जैसे मैं उसकी चूत खा जाऊं और वो मेरा लौड़ा हज़म कर ले…”अआः भारती मेरी रानी,,खा जाओ मेरा लौड़ा, चबा जाओ… ऊऊऊऊओह…”

“हाँ जानू तुम भी चूस लो चाट लो.. खा जाओ मेरी चूत… चूसो.. चूसो.. और जोर से चूसो… चूस मेरे राजा चूस…”

और फिर जो हुआ उसकी कल्पना मात्र से मैं आज भी सिहर उठता हूँ… भारती ने अपनी जांघें पूरी फैला दी और मेरे मुंह पर अपनी चूत बिलकुल रख दिया… अपने आप को छोड़ दिया..पर मैंने अपने हाथों से उसकी चूतड को इस तरह जकड रखा के चूत और मुंह के बीच थोडा gap रहे… और वो मेरे लौड़े को जोरों से चूसते हुए अपन कंठ तक ले गयी और घीसने लगी अपने throat से…

इस अचानक आक्रमण से मैं पागल हो उठा.. और लगा जैसे मेरा लौड़ा उसके मुंह में फंसा ही रहेगा… और मेरे लौड़े को अपने कंठ से चोदने लगी… एक अजीब मस्ती से मैं भर गया..लगा जैसे मेरा लौड़ा अन्दर ही अन्दर फैलता जा रहा हो उसके मुंह में.. रस मेरे पूरे शरीर से वहां इकठ्ठा हो रहा हो.. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैं चिल्ला उठा “भारती.. भारती आआआअह मैं.. मैं… ऊऊऊऊओह…” भारती समझ गयी… उस ने मेरे लौड़े को कंठ से निकाला और हाथों से थाम कर दो चार जोर दार झटके दिए मुंह की और रखते हुए.. मेरे लौड़े ने पिचकारी की तरह पानी छोड़ना चालू कर दिया…

उसके मुंह में, उसके गालों में, उसकी चूचियों पर, और वोह मेरे लौड़े को थामे रही हलके हलके पुचकारती रही हाथों से.. और इधर जैसे ही मेरे लौड़े से पिचकारी निकली भारती ने मेरे लौड़े को जकड़ा धीरे से और खुद भी झड़ने लगी. कमर और चूतड कांपने लगे.. मेरा मुंह उसके पानी से भर गया… मेरे होंठ..मेरे गाल… वहां से टपकते हुए मेरे सीने पर… आआआआआअह एक अजीब ठंडक सी महसूस हुई…

भारती की गीली चूत मेरे मुंह में थी और मेरा गीला लंड उसकी मुंह में… काफी देर तक लंड और चूत मुंह में लिए रहे दोनों… फिर उठने के पहले मैंने उसकी चूत चाट चाट कर साफ़ कर दी और उस ने मेरा लंड… फिर आमने सामने एक दूसरे की बाँहों में लेट गए.. दोनों के चेहरों पर एक अजीब मस्ती थी.. मुस्कान थी और एक शिथीलता.. relaxation.. भारती ने अच्छी तरेह समझा दिया की सेक्स का मजा सिर्फ चोदने में ही नहीं…

“भारती, ” मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा “आज तक मैं सिर्फ चोदने को ही मज़ा और सेक्स समझता था..पर वह चुसाई का मज़ा भी कुछ और ही है…”

वो मुस्कुराने लगी और कहा..” मेरे राजा ये तो आज मैंने ट्रेलर दिखाई..असली फिल्म तो बाकि है…”

“अच्छा..??.” मैंने उसकी चूची को हलके से मसलते हुए कहा “फिर तो मैं फिल्म का मज़ा जल्दी ही लेना चाहूँगा..”

“हाँ राजा.. मेरी चूत तो तुम्हारे लिए हमेशा मुंह खोले खड़ी है.जब चाहो घूसा लो जानू… तुम ने भी मेरा पूरा साथ दिया… वरना कोई शाला मादरचोद इतनी देर टिकता ही नहीं. मेरे मुंह में लेते ही शाले पानी छोड़ देते.. लौड़ा ढीला हो जाता.लटक जाता… और मैं तड़पती रह जाती…”

उस ने मेरे लौड़े को सहलाते हुए कहा… बड़े प्यार से सहला रही थी और बातें भी कर रही थी…” मेरे राजा, और एक बात.. भारती का भरपूर मज़ा लेना है न जानू.. तो भारती को बीअर की दो बोतल पिलाओ, फिर देखो भारती कैसे उछल उछल कर चुदवाती हैं..”

“अरे मुझे पहले किसी ने बताया नहीं.. ठीक है अगली बार से बिना बीअर के हमारी मुलाक़ात होगी ही नहीं.. दोनों साथ साथ बैठ कर पियेंगे… आह क्या मज़ा आयेगा..रानी…” मैंने कहा और उसके होंठों को चूम लियाl

“हाँ मेरे राजा तुम्हारे साथ पीने का मज़ा कुछ और ही होगा..” उस ने ऐसा कहते हुए मेरे लौड़े को हलके से दबाया और सहलाने लगी..

“रानी देखो न मेरा लौड़ा तुम्हारे हाथ लगते ही कितना मस्त हो जाता है.. तुम्हारे हाथों में जादू है मेरी रानी..”

“हाँ वो तो मैं देख रही हूँ, देखो न कैसे फुंफकार रहा है, बिल में घुसने को.. लो घूसा लो न जानू.. मेरी चूत भी तो कितनी पनिया गई है…”

फिर उसने अपनी टांग ऊपर उठाई और मेरे कमर पर रख दिया. और मैं भी उसकी ओर करवट लिया.उस ने मेरे लौड़े को अपनी चूत में हलके हलके घिसना शुरू कर दिया… उसकी चूत अब तक पूरी तरह गीली हो चुकी थी.. सुपाडे को चूत का स्पर्श मिलते ही मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गयी..

मैं सिहर उठा, भारती भी मस्त हो गयी… दो चार घिसाई के बाद मुझे ऐसा लगा मेरा लौड़ा फूल के पंचर हो जायेगा… मैंने भारती को अपने हाथों से जकड़ते हुए उसे अपने नीचे कर लिया.. और उसके होंठ चूसने लगा, अपने से बुरी तरेह चिपका लिया.. भारती कराह उठी. उसकी चूचियां मेरे सीने में चिपक कर फ्लैट हो गयी. इतनी जोरों से मैंने दबाया “आह राजा.. जरा धीरे धीरे.. मैं यहीं हूँ न.. कहीं भागी नहीं जा रही…”

“भारती मुझे मन करता है हम दोनों एक दूसरे में समां जायें, तू मेरे अन्दर और मैं तेरे अन्दर…” और मैंने उसे फिर से चिपका लिया… मेरा लौड़ा भी उसकी चूत पर जोरदार दबाव डाल रहा था, जैसे उसके अन्दर जाने को जोर से दस्तक दे रहा हो…

“हाँ.. हाँ आओ न मेरे राजा मेरे अन्दर.. आः देर मत करो. आओ… आओ.” और उस ने अपनी टांगें फैला दीं… मेरे ट्टण लौड़े को.. मोटे लौड़े को अपनी मूठी में भर लिया और अपनी चूत के मुंह पे रख लिया. मेरा सुपाडा उसकी चूत की छेद पर था.. उस ने फिर से हलके से घिसाई की अपने चूत की और अपनी कमर और चूतड ऊपर उठाते हुए मेरे लौड़े को चूत के अन्दर गप्प से ले लिया..

उसकी चूत तो एक दम गीली थी और मेरा लौड़ा एक दम बुरी तरेह tight, फक से आधा लंड अन्दर घूस गया..”आआआआआह..ऊओह्ह..” मैं चिल्ला उठा… और बाकि का लंड मैंने भारती की कमर और चूतड को अपने हाथों से ऊपर लेते हुए पेल दिया… एक झटके में पूरे का पूरा लौड़ा भारती की चूत में था…

पूरे जड़ तक.. मेरा अंड तक.. भारती का रोम रोम सिहर उठा.. वो चीख पड़ी…”ऊऊऊऊऊओह..आआः..हाँ…हाँ..अब चोदो..” उस ने अपनी टांगों को पूरा ऊपर कर दिया. चूत का दरवाजा अच्छे से खुला था..मैंने भी उसकी टांगों को अपने हाथों से जकड कर जम के धक्के लगाने शुरू कर दिए.. थप..थप फच फच…हर धक्के में…

उसकी कमर उचल पड़ती..वो चीख पड़ती… “हाँ हाँ राजा..आज तो मेरी चूत का भूरता बना दो.. चोद लो.. फाड़ दो इसे.. भर तो इसको अपने मोटे लौड़े से…आआआआअह उईईइ.ऊऊऊऊऊऊह्ह..पेलो…” और मैं धक्के पे धक्का लगाता जा रहा था… उसकी चूत की गर्मी, उसका गीलापन.. उसकी अन्दर की मुलायम पकड़…

ये सब मेरे लौड़े को मस्ती दे रहे थे..मैं भी मस्ती में झूम झूम के चोद रहा था… लौड़े को अन्दर बाहर कर रहा था… उसकी जांघें अपने हाथों से भींच लेता.. सीने से चिपका लेता… फिर उस ने अपनी टांगें मेरे कमर के गिर्द कर लिया और कमर को जोरों से जकड लिया और अपनी चूत की ओर खींचने लगी..

मैं उसकी ओर झुक गया धक्का लगाते और उसकी चूचियां मसलने लगा.. उसके होठों को चूसने लगा.. उसकी मुंह से लार टपक रही थी, मैं उसे चूसे जा रहा था… उसकी जीभ चूस रहा था और कमर उठा उठा कर लौड़े से चूत का रस भी महसूस करा रहा था… ”ऊह्ह्ह.मां.. उईईई क्या चोद रहे हो राजा… मुंह.. चूत चूची सब एक साथ.. हाय. हाय मेरे राजा… मेरे बालम… चोदे जाओ.. मजा आ रहा है.. इतना मजा कभी नहीं आया… राजा तुम्हारा लौड़ा और मेरी चूत… ऊऊऊऊओह…”

भारती की चूत से पानी लगातार बहता जा रहा था… मस्ती का दरिया… फच फच की आवाज़ और उसकी सेक्सी आवाजों, सिस्कारियों और कराहटों से रूम गूंज रहा था… मैं अब उसके पीछे गांड की तरफ आ गया और एक पैर अपने हाथों से ऊपर कर लिया, उसकी चूत का मुंह खुला और मैंने पीछे से चोदना चालू कर दिया.

इस position में मेरा लौड़ा उसकी पूरी चूत को उसकी घुंडी के साथ छूता हुआ अन्दर जाता.. और वोह मस्ती में कराह उठती.. मुझे भी मज़ा आ रहा था, मेरी जांघें उसकी भरी भरी चूतडों को थप थप झटके मारता जाता… और दूसरा हाथ.उसके पीठ के नीचे से जा कर चूचियां मसल रहा था.. ऐसी चूदाई… भारती चीखती.. चिल्लाती और अपने को बिलकुल ढीला छोड़ दिया था उस ने, उसने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया था…

मैं उसके शरीर, उसकी चूत, उसकी चूचियों से मन मुताबिक खेल रहा था,, चोद रहा था.. चूस रहा था.. चाट रहा था.. उसके गालों.. पर मेरे थूक लगे थे.. उसकी चूचियों पर मेरा लार टपका था… और वोह आंखें बंद किये आः ऊऊह, मां… मां किये जा रही थी… सिस्कारियां ले रही थी…

मैं भी अपनी मस्ती की चरम सीमा की और अग्रसर हो रहा था.. पूरी मस्ती मेरे लौड़े पर आ गयी थी.. भारती का कराहना. सिसकना बढ़ने लगा… मैं अब फिर से उसके ऊपर आ गया… और उसको जकड लिया ”चिपका लिया और जोर दार धक्के लगाना शुरू कर दिया… स्पीड बढती गयी…धक्के का दबाव बढ़ता गया… भारती की चीख भी बढती गयी “..बस बस माआआआआन मैं गयीईईईईईईए…मेरा पानी छूट रहा है..आआआआआअह..”

और भारती की चूतड उछलने लगी चूत झटके खाने लगी.. और जबरदस्त पानी छोड़ दिया उस ने, जैसे पिचकारी से ठंडा पानी निकल रहा हो मेरा लौड़ा, मेरी जांघें उसकी चूत के पानी से भीगता जा रहा था.. अब मुझ से भी रहा नहीं गया.. मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत में धंसा दिया.. एक दम जड़ तक और उस से चिपक गया.

झटके के साथ मैं भी उसकी चूत में झड़ने लगा..मेरे वीर्य की गर्मी से भारती मस्त हो गयी..आंखें बंद कर मुस्कुरा रही थी..” उईईईईई माँ… आआआह.. उम्म्म्मम्म्म्मम्म.ऊँऊँ ऊँ…” की सिस्कारियां ले रही थी.. और मैं झड़ता जा रहा था, उसकी चूत में, मेरा लौड़ा झटके पे झटका खा रहा था… पूरा माल उसकी चूत में ख़ाली हो गया.. मैं हांफता हुआ उसकी चूचियों पर अपना सर रख कर पड़ गया..

वोह भी हांफ रही थी.. कांप रही थी, उसकी चूत अभी भी थरथरा रही थी.. क्या आलम था… काफी देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे.. मेरा लौड़ा सिकुड़ कर बाहर आ गया था, उसकी चूत से उसका रस और मेरा वीर्य रिसते जा रहे थे, बह रहे थे, उस ने टांगें फैला रखी थी.. फिर मैं उठा… घडी देखा तो सुबह के 5 बज चुके थे… मैं उठा, बाथरूम गया.. हाथ मुंह धो कर कपडे पहने, भारती वैसे ही लेटी थी.. उसे मैंने अपनी बाँहों में जकड कर उठा लिया और चूमने लगा.. “भारती अब मैं जाऊँगा.. पर सच बताऊँ.. तुम्हें छोड़ने का मन नहीं करता..”

उसने मुझे अपने बाँहों में जकड लिया, अपने हाथ मेरे गर्दन के गिर्द ले कर “हाँ राजा.. मुझे भी ऐसा ही लग रहा है..” पर मजबूरी थी.. मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया.. और उसकी चूत को एक बार चूम लिया. और फिर बाहर आ गया.. तब तक गोपाल भी जग गया था… उस ने अपनी बाइक निकाली.. और मुझे मेरे घर छोड़ दिया.. यह थी मेरी और भारती की चूदाई की पहली कहानी… जिसने मेरी जिंदगी में हलचल मचा दी.. मैं पागल हो उठा था.. मेरे रोम रोम में उसकी सांसें.. उसकी सिस्कारियां, उसकी मस्ती भरे चीख थे.. भूले न भूलते..

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