पडोसी आंटी को नंगी नहाते देखा मैंने

ओल्ड यंग चुदाई स्टोरी ये मेरी पहली कहानी है। ये बात आज से 13 साल पहले की है। उस वक्त मैं कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुका था। मैं 5 फीट 9 इंच का तंदुरुस्त जवान हूँ, मेरा लंड 8 इंच लंबा और बहुत मोटा है। मेरे सामने वाले घर में एक खूबसूरत आंटी रहती थी। वह 32 साल की थी, 5 फीट 4 इंच लंबी और थोड़ी मोटी थी। Free Antarvasna Kahani

उसके बॉल (स्तन) बहुत ही मस्त थे। उसकी साइज करीब 34 इंच थी। उसका फिगर 34-30-36 था। वह बहुत ही सेक्सी दिखती थी। उसका नाम रेखा था। उसका घरवाला 40 साल का था। उनके दो बच्चे भी थे। मैं ज्यादातर बाहर गाँव में पढ़ाई करता था, इसकी वजह से मेरी उनसे ज्यादा मुलाकात नहीं हो पाई थी।

लेकिन अब मेरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी, इसलिए मैं घर पर रहने आया था। जब सुबह मैं नहाने के बाद अपने रूम में आया और कपड़े बदलने लगा, मैंने अपना तौलिया निकाल दिया और चड्डी पहनने लगा। अचानक मैंने अपनी खिड़की से देखा तो सामने वाली आंटी अपने बरामदे में खड़ी थी और झाड़ू लगा रही थी।

उसकी और मेरी नजर एक हुई। उसने मुझे अंडरवियर पहनते हुए देखा। मैं एकदम शरमा गया और वहाँ से दूर हो गया। फिर मैंने फटाफट कपड़े पहने और बाहर चला गया। जब मैं घर वापस आया, तो वो आंटी मेरे घर में मम्मी के पास बैठी थी। उसने मुझसे पूछा, “संजू, कब आया तू? तू तो बहुत बड़ा हो गया है अब।” ऐसा कहकर वह हँसने लगी।

मैं फिर शरमा गया और कुछ नहीं बोला। फिर अगले दिन मैं सुबह नहाकर निकला और अपने रूम में कपड़े पहनने गया। आज मैंने पहले खिड़की से देखा तो आंटी नजर नहीं आई। इसलिए मैं आराम से तौलिया निकालकर आराम से कपड़े बदलता रहा। अचानक सामने वाली खिड़की से आवाज आई, तो मेरी नजर उस खिड़की पर पड़ी।

मैंने देखा तो वो आंटी वहाँ खड़ी-खड़ी मुझे कपड़े बदलते देख रही थी। अब की बार मैं नहीं शरमाया, लेकिन मुझे भी मजा आया। अगले दिन जब मैं नहाकर निकला, तो मैंने जानबूझकर खिड़की खुली कर दी और सामने देखा तो वो आंटी बरामदे में नीचे झुककर झाड़ू लगा रही थी।

तो उसके बूब की दरार बहुत साफ दिख रही थी। अब उसने ऊपर देखा तो हमारी नजर एक हुई, तो वो मेरे सामने हँस पड़ी। तो मेरी भी हिम्मत खुल गई, मैंने भी स्माइल दिया। फिर वो वहाँ खड़ी-खड़ी झाड़ू लगाती रही और मुझे देखती रही। फिर मैंने भी हिम्मत जुटाकर मेरा तौलिया निकाल दिया और मेरा लंड उसके सामने दिखा दिया।

वो ये देखकर एकदम घबरा गई और अंदर भाग गई। मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ। अब मुझे भी ये सब करना अच्छा लगने लगा। फिर मैं अपने मकान की छत पर गया और वहाँ बैठकर अपनी किताब पढ़ने लगा। अचानक मेरी नजर सामने वाले मकान के कंपाउंड में पड़ी।

मैंने देखा तो वो आंटी चोकड़ी में कपड़े धो रही थी। उसने अपनी साड़ी को घुटनों तक ऊपर चढ़ा रखा था। उसके पैर बहुत ही सुंदर और सेक्सी दिख रहे थे। अब मैंने पढ़ाई छोड़कर उसे देखने लगा। वो आंटी कपड़े धोते-धोते पूरी भीग गई थी और उसका हाथ जब ऊँचा-नीचा होता था, तो उसके बॉल मोहक अदा में हिल रहे थे, जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया और धीरे-धीरे पूरा 8 इंच लंबा हो गया।

आंटी ने कपड़े धोने के बाद वहीं चोकड़ी में ही नहाने लगी। बाद में उसने अपनी साड़ी निकाल दी और पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर नहाने लगी। नहाते-नहाते उसने अपना पेटीकोट अपनी जाँघ तक ऊपर कर दिया। मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गईं। मैं जिंदगी में पहली बार ये जलवा देख रहा था।

मेरा लंड मेरे काबू में नहीं रहता था। अब मैं पूरी तरह से आंटी को नंगा देखना चाहता था और ये आशा भी मेरी जल्दी ही पूरी होने वाली थी। अब आंटी ने धीरे से अपना ब्लाउज भी निकाल दिया और उसे भी धोने लगी। तब मैंने उसके बड़े-बड़े बॉल देखे, तो मेरी आँखें बड़ी हो गईं और मुँह से पानी टपकने लगा।

वो आंटी बहुत ही सेक्सी दिख रही थी। अब उसने अपने शरीर पर साबुन घोलना शुरू किया, लेकिन ब्रा की वजह से वह आराम से अपने शरीर को घोल नहीं पा रही थी। इसलिए उसने अब ब्रा को भी अपने शरीर से उतार फेंका। अब मरने वाली बारी मेरी थी। उसके बॉल देखकर मेरा तो जी मेरे गले में अटक गया।

अह्ह्हा अह्ह्ह्हा, क्या नजारा था। आज तक मैंने अपनी जिंदगी में इससे अच्छा नजारा कभी नहीं देखा था। अब मेरा लंड मेरे काबू में नहीं था। वो मेरे पैंट की चेन तोड़कर बाहर आने के लिए उछल रहा था। मैंने भी जल्दी ही लंड की इच्छा पूरी की और लंड को पैंट की चेन खोलकर बाहर खुली हवा में छोड़ दिया और आंटी को देखकर मुठ मारना शुरू कर दिया।

अब आंटी नहा चुकी थी। वो खड़ी हो गई और अपने शरीर को तौलिए से पोंछने लगी। फिर अंत में उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और तुरंत तौलिया लपेट लिया। लेकिन उसके बीच में आंटी की भोस की एक झलक मैं देख चुका था और मेरी मुठ मारने की स्पीड डबल हो गई और अंत में मैंने अपना पूरा माल बाहर निकाल दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अब मेरे दिमाग में आंटी को चोदने के ही विचार आने लगे। अब मैं किसी भी तरीके से आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा। अगले ही दिन मैंने अपनी पूरी खिड़की खोल दी और आंटी को बरामदे में आने की राह देखने लगा। जब आंटी बरामदे में झाड़ू लगाने के लिए आई, तो मैंने उसे स्माइल दी और धीरे से मेरा तौलिया निकाल दिया और मेरे लंड को हवा में खुला छोड़ दिया।

मेरे 8 इंच लंबे और मोटे लंड को हवा में लहराता देखकर आंटी का तो होश ही उड़ गया। वो मेरे लंड को देखती ही रह गई। फिर मैंने आंटी के सामने लंड को पकड़कर मुठ मारने का स्टाइल मारने लगा। आंटी शरमा गई और झट से अपने रूम में चली गई और खिड़की से मेरा नजारा देखने लगी।

अब मैंने मेरे दोनों गोली को पीछे खींचकर लंड की पूरी लंबाई आंटी को दिखाई। वो बिना पलक झपकाए मेरे लंबे और तगड़े लंड को आराम से देख रही थी। अब मैंने आंटी को फ्लाइंग किस किया। वो कुछ नहीं बोली। फिर मैंने आंटी को अपने बूब्स दिखाने के लिए कहा।

वो मना कर रही थी, लेकिन मैंने बार-बार उसे इशारा किया। आखिर उसने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर अपने बड़े-बड़े बूब्स बाहर निकाले और मेरे सामने दिखाने लगी। मेरा तो खून बहुत तेजी से दौड़ने लगा। फिर मैंने उसे अपना पेटीकोट उठाने के लिए कहा। पहले तो वो ना-ना कर रही थी, लेकिन आखिरकार मेरी जिद के सामने उसने हार मान ली और अपना चनिया ऊपर उठा लिया।

वाह, मेरे तो भाग्य ही खुल गए। मेरे सामने करीब 12 फीट की दूरी पर एक मादक चूत मेरे लंड का इंतजार कर रही थी। उस वक्त मेरे घर में कोई नहीं था, सिर्फ मैं अकेला ही था। तो मैंने आंटी को अपने घर में आने के लिए इशारा किया, तो आंटी ने मना कर दिया।

फिर मैंने बताया कि मेरे घर में मेरे सिवा और कोई नहीं है। तब वो बोली, “मैं थोड़ी देर में आती हूँ।” अब मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। और बैठे भी क्यों? अब तो उसे चोदने के लिए मादक भोस मिलने वाली थी। फिर थोड़ी देर में डोरबेल बजी। मैं तुरंत दरवाजा खोला, तो सामने वाली आंटी खड़ी थी।

वो बहुत ही मोहक स्माइल कर रही थी और बड़ी सेक्सी अदा में खड़ी थी। वो सुंदर नीले रंग की साड़ी पहनकर आई थी और हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था। मैंने तुरंत उसे अंदर बुला लिया और डोर बंद कर दिया। वो बोली, “संजू, क्या काम है? मुझे क्यों यहाँ बुलाया है?” वो जानबूझकर भोली बन रही थी।

मैंने भी उसे उसी अदा में जवाब दिया, “आंटी, तेरे आम का रस चूसने का बहुत मन हो रहा था, इसलिए तुझे यहाँ बुलाया है।” ये सुनकर वो मुझे मारने के लिए मेरे पीछे पड़ गई और मैं अंदर बेडरूम की ओर भाग गया। तो वो मेरे पीछे आ गई और मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोली, “क्या बोला, मेरे आम का रस चूसना है? तो चल, जल्दी फटाफट चूसना शुरू कर।”

ये सुनकर मैंने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया। वो भी पीछे हटने वाली नहीं थी। उसने भी मेरे होंठों को जोरों से चूसना शुरू कर दिया और मेरे मुँह के अंदर अपनी जीभ फिराने लगी। इससे मेरे अंदर सेक्स का लवरस बहने लगा।

मैंने भी उसे कसकर पकड़ लिया और उसके मादक बॉल को सहलाने लगा। मैंने आंटी को धीरे से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। अब मैं उसके होंठों को चूसता रहा और जोर-जोर से उसके बॉल को दबाने भी लगा। वो भी जबरदस्त मूड में आ गई थी और पूरा सहयोग देने लगी थी।

अब मैंने धीरे से उसकी साड़ी निकाल दी, फिर उसका ब्लाउज भी उतार दिया। उसने लाल रंग की ब्रा पहनी थी। उसमें से उसके सफेद बूब्स उछल-उछलकर बाहर आने के लिए मचल रहे थे। अब मैंने भी अपना शर्ट और पैंट उतार फेंका। उसका पेटीकोट उसने खुद ही निकाल दिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

अब मैं पागलों की तरह उसे चूमने लगा। वो भी मुझे एकदम चिपक गई थी। मैंने उसके होंठों को छोड़कर धीरे से उसके कंधे पर से पीठ पर किस करने लगा और पीछे से ब्रा का हुक खोल दिया, तो ब्रा फटाक से उछलकर निकल गई और उसके मादक बॉल हवा में लहराने लगे। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

मैंने एक पल भी गंवाए बिना तुरंत अपने मुँह में बॉल को लेकर आम की तरह चूसने लगा। अब वो अपने मुँह से बुरी तरह सिसकारियाँ भर रही थी। वो अब बहुत ही एक्साइटेड थी। मैं बारी-बारी दोनों बॉल को लगातार चूसने लगा। वो भी अब, “अह्ह्ह्ह्हा राजा, जोर-जोर से चूसो। ये आम तुम्हारे लिए ही हैं। इन आम को आज तक किसी ने भी तुम्हारी तरह नहीं चूसा है। मुझे आज जन्नत का सुख मिल रहा है। अह्ह्ह्हा अह्ह्ह्हा, और जोर-जोर से चूसो।”

मैंने भी कहा, “अरे मेरी प्यारी आंटी, अभी जन्नत का सुख तो बाकी है। ये तो सिर्फ शुरुआत है। अभी देखती जाओ, आगे-आगे होता है क्या…” और फिर मैंने जोर से उसकी पैंटी को फाड़कर निकाल दिया और उसकी भोस को अच्छी तरह से सहलाने लगा।

अब तो वो और जोर से मचल पड़ी, “अह्ह्ह्हा आआआह्ह्हा, क्या मजा आ रहा है।” “अरे राजा, और जन्नत का सुख दो। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है…” और ये बोलते-बोलते उसने मेरा लंड बाहर निकाल दिया और अपने हाथ में मसलने लगी। फिर वो लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, तो मुझे भी बड़ा मजा आने लगा। मैं बोला, “ओ मादरचोद आंटी, बहुत मजा तू दे रही है। अब तो मैं हमेशा तुझे चोदूंगा और मजा कराऊँगा।”

फिर मैंने भी उसकी भोस चाटना शुरू कर दिया। अब तो वो मधोश हो जा रही थी। वो बोली, “अरे राजा, जल्दी अपना लंड मेरी भोस में डालो। अब तो रहा नहीं जाता। भोस का हाल बुरा होता जा रहा है।” मैं भी पूरे जोश में आ गया था। मैंने अपना 8 इंच लंबा और तगड़ा लंड आंटी की भोस पर रखकर पूरे जोश से धक्का मारा. तो आंटी दर्द के मारे चिल्ला उठी, “अरे मेरे नन्हे शेर, जरा धीरे से चोदो। ये बुर तुम्हारे लंड जितनी बड़ी नहीं है।”

मैंने भी अब धीरे से अपना सुपाड़ा भोस पर रगड़ा और धीरे-धीरे अपना लंड आंटी की भोस में डालने लगा। अब धीरे से पूरा लंड आंटी की भोस में डालने के बाद मैंने कहा, “आंटी, कैसा लग रहा है?” वो बोली, “यार, बड़ा मजा आ रहा है। आज के बाद जब भी चांस मिलेगा, तो हम जरूर ये खेल खेलेंगे। अब जोर-जोर से तेरी आंटी की भोस की तड़प मिटा दे।” अब मैं भी जोश में आ गया था और धनाधन धक्के मारने लगा। तो आंटी चिल्ला रही थी, “आह्ह्हा, इतना मजा जिंदगी में पहली बार आ रहा है।

जल्दी-जल्दी मेरे राजा, चोदो। मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझा दो।” “मेरी चूत की चटनी बनाओ। बहुत ही आनंद मिल रहा है…” मुझे भी स्वर्ग का सुख मिल रहा था। अब मैं भी फटाफट मेरे लंड को आंटी की भोस के अंदर-बाहर कर रहा था। वो भी मुझे एकदम चिपक गई थी। अब मैंने मेरा पूरा जोर लगाकर उसकी भोस में वीर्य का फुहारा छोड़ दिया। वो भी मेरे साथ चोट गई और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया। अब हम दोनों बिस्तर में हाँफते हुए पड़े रहे और फिर ये चोदने का सिलसिला हमेशा के लिए शुरू हो गया।

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