बात सर्दियों के दिनों की हैं! मैं अपनी जॉब बदलने की कोशिश कर रहा था। मैं नॉएडा की एक बहु-राष्ट्रीय कम्पनी में साक्षात्कार देने के लिए गया था। साक्षात्कार के समय पर मेरी मुलाकात कंपनी की HR कोमालिका से हुई। उसकी शोर्ट स्कर्ट देख कर ही मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था! Desi Maal Sex
मैं पागलों की तरह बस उसकी चूचे और गांड को देख रहा था। उसकी गांड और चूचों को देख कर मेरा लण्ड एकदम तन गया था। मैंने टांग के ऊपर टांग रख कर उसे दबाने की कोशिश की पर लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। तभी मेरा नाम बोला गया। मैंने सामान्य होने की कोशिश करते हुए अंदर प्रवेश किया पर मेरा खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिखाई दे रहा था.
और कोमालिका की निगाह अब मेरे लण्ड पर लग चुकी थी। गुड मॉर्निन्ग मैडम कह कर मैं लण्ड को छुपाते हुए कुर्सी पर बैठ गया। मैं कोमालिका से निगाह नहीं मिला पा रहा था। निगाह ना मिलाने का एक कारण उसकी चूचियाँ थी जिसकी वज़ह से मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। पर कोमालिका शायद लण्ड की प्यासी थी.
उसने मुझसे कहा- आप को बैठने के लिए किसने बोला था?
मैंने कहा- माफ़ करें मैडम! मैं मजबूर हूँ!
उसने मुझे खड़े होने के लिए कहा और खुद भी अपनी सीट से खड़ी हो गई। लेकिन मैं खड़ा नहीं हुआ। अब वह खड़ी होकर मेरे लण्ड को निहार रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो लण्ड से खेलना चाहती थी। मैंने हाथ से लण्ड को नीचे कर दोनों टांगों के बीच में लण्ड को दबा लिया। अब मैं अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहा था और उसी दशा में मैं सीधा खड़ा भी हो गया।
उसने मेरा नाम पूछा और कहा- तुम क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हो? भगवान ने इसे छुपाने के लिए नहीं बनाया है।
मैं उसकी बात सुनकर सकपका गया और मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया.
मैंने कहा- कुछ नहीं मैडम!
उसके बाद मैं सामान्य हो गया पर कोमालिका के मन में कुछ और था और वह खुल कर बोलने लगी- तुम लण्ड क्यों छुपा रहे हो?
मैं ऐसा सुन कर मन ही मन में सोचने लगा- आज तो भगवान मुझ पर मेहरबान हैं!
मैंने कहा- मैडम, आपकी चूची और गांड को देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया है और अब यह बैठने का नाम नहीं ले रहा है! और आप इन्टरव्यू लेने की बजाए मुझे छेड़ रही हैं! बस इसी वज़ह से मैं ना तो आपसे निगाह मिला पा रहा हूँ और लण्ड को छुपा रहा हूँ। असल में मैंने आपको जब टेस्ट के समय देखा था तभी से भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि आपकी चूत मारने का मौका दिलवा दे!
कोमालिका ने कहा- मुझे तुम्हारी निडरता अच्छी लगी।
तब मैंने कहा- और मेरा लण्ड?
उसने कहा- तुम उतने शरीफ नहीं हो जैसा मैं सोच रही थी। तुम काफ़ी शरारती हो! तुम इस नौकरी के लिय चुन लिए गए हो! आज शाम 11 बजे मुझे इस पते पर मिलो!
मैं फूला नहीं समा रहा था और मुझे वो कहावत याद आ रही थी- जब भगवान देता है तो छप्पर फ़ाड़ कर देता है!
मैंने धन्यवाद मैडम!
कह कर कोमालिका से हाथ मिलाने के बहाने उसकी चूची पर चुटकी भर दी और वह चहुंक उठी। वो कौन सी पीछे रहने वाली थी, उसने आगे बढ़कर सीधा लण्ड को पकड़ कर सहला दिया। मैं सावधानी बरतते हुए जल्दी से वहाँ से निकल लिया और बस रात का इंतज़ार करने लगा।
आखिर रात भी आ गई और मैं उसके बताये स्थान पर पहुँच गया। उसने नाईटी पहन रखी थी और वह घर पर अकेली थी। वो अपनी सहेली के साथ कमरे में रहती थी। उसकी सहेली बाहर पार्टी में गई थी। उसकी नाईटी में से सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। दरवाजे पर ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैंने भी उसका पूरा साथ दिया और जम कर उसके होंठों को चूसा और एक हाथ से दरवाजा बंद कर दिया। अब धीरे-2 उसके चूचे दबाने लगा। इतनी ठण्ड होने के बावजूद हम दोनों गरमाने लगे थे। धीरे-2 दोनों नंगे हो गए। कोमालिका पहले से खेली-खाई लग रही थी और वह सीधा लण्ड को पकड़ कर चूसने लगी।
मैं भी उसके बालों को पकड़ कर उसके मुँह को अपने लण्ड से चोदने लगा। 30-35 झटकों के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था कि सुबह मैं जिसकी चूत मारना चाह रहा था, वो अब मेरे लण्ड को चूस रही है। थोडी देर बाद ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और इस बार में उसके स्तन मुँह में लेकर चूस रहा था और हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ रहा था।
कोमालिका एकदम गरम हो चुकी थी और कह रही थी- अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा है, मेरी चूत को चोद दो!
मैंने भी उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया, अपने लण्ड को उसकी चूत के छेद पर लगा कर सीधा जोर लगाया और आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। उसकी चूत कसी थी और उस झटके से उसके मुँह से चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर उसे रोका।
थोड़ी देर में ही उसे मजा आने लगा और गांड हिला-2 कर खुद चुदने लगी। धीरे-2 मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसके मुँह से आह ऊह्ह आः उछ स सी की आवाज़ निकल रही थी। मुझे अब अनुभव हो रहा था कि धरती पर कही स्वर्ग है तो चूत मारने में ही है।
करीब 25-30 झटकों में वो और मैं दोनों एक साथ झड़ गये और काफी देर तक एक दूसरे से लिपटे रहे। कुछ देर बाद फिर से हम दोनों एक दूसरे को वासना भरी नजरों से देख रहे थे। इस बार मेरी निगाह उसकी गांड पर थी पर वो इससे अनजान थी। मैंने ढेर सारी क्रीम लेकर उसकी गांड के छेद पर लगाई।
वो बोली- यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारी गांड देख कर ही मेरा लण्ड सुबह तन गया था।
अब वह समझ चुकी थी कि गांड चुदने का समय आ गया है।
उसने कहा- मैंने अभी तक गांड नहीं मरवाई है।
मैंने कहा- अब मरवाओ ना !
इतना कह कर मैंने लण्ड का सुपारा उसकी गांड के छेद पर लगाया और हल्का सा धक्का लगाया। सुपारा छेद में चला गया। गांड बहुत ज्यादा तंग थी। दर्द के साथ-2 बहुत मजा आ रहा था। वह भी दर्द के मारे अ आ या ऊह रहने दो! चिल्ला रही थी।
थोड़ी देर में ही वह सामान्य हो गई और उसे भी मजा आने लगा। अब मैं भी पूरा लण्ड उसकी गांड में बार बार अंदर-बाहर कर रहा था। काफी देर तक चुदाई करने के बाद मैं उसकी गांड में झड़ गया। इस तरह उसकी गांड और चूत की चुदाई पूरी रात चलती रही। उसके बाद उसने मुझे अपनी सहेली यानि रूम पार्टनर से भी मिलवाया। उसकी चुदाई की कहानी बाद में!
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