आंगनबाड़ी सहायिका प्रमोशन के लिए रखैल बन गई

प्रफुल्ल राय को सरकार में संयुक्त शिक्षा निदेशक बनाकर भेजा गया। ये पड़ सबसे बड़ा पद होता है। जिला विद्यालय निरीक्षक के ऊपर का पद है ये। प्रफुल्ल राय अभी केवल 28 साल के थे। वो पढ़ने में होनहार थे। इसलिए pcs की परीक्षा पास कर गए और संयुक्त शिक्षा निदेशक बना दिए गए। Sexy Badan XXX

प्रफुल्ल की गरीबी धूल गयी। अब वो हर दिन कई हजार कमाने लगे। जो भी बाबु, चपरासी, टीचर, प्रिन्सिपल उनके पास आता कुछ ना कुछ पैसे दे ही जाता। इस तरह प्रफुल्ल के पास अब पैसा ही पैसा था। पर वो जवान थे, खूबसूरत थे। उनके कुशीनगर जैसै छोटे शहर में दिल नही लगता था।

वो ट्रांसफर करवाके लखनऊ या वाराणसी आना चाहते थे। प्रफुल्ल का मन दोल ही रहा था कि एक सोमवार मनीषा पाण्डेय नामक बड़ी गजब की सामान उनसे उनके ऑफिस में मिलने आयी। वो आंगनवाड़ी में टीचर थी और मात्र 3000 रुपए महीने कमाती थी। उसकी चाल ढाल बड़ी मतवाली थी। छातियां बहुत बढ़ी बड़ी और बेहद पुस्ट थी।

मनीषा पाण्डेय में गजब का आकर्षण था। उससे मिलते ही प्रफुल्ल सब सुध भूल गए। वो मन्त्रमुग्ध हो गए और सपने के जाने के बाद वो मनीषा पाण्डेय के सिवा कुछ सोच ना सके। मनीषा से मिलने के बाद उन्हें अचानक ने कुशीनगर जैसै छोटे टाउन से प्यार हो गया। मनीषा गजब की सुंदरी थी। उनकी आँखे बड़ी तेज और कटीली थी।

प्रफुल्ल अब कुशीनगर में ही रहने की सोचने लगे। प्रफुल्ल ने मन ही मन ठान लिया कि अगर उनको मनीषा पाण्डेय मिल जाती है तो उनकी लाइफ सेट हो जाएगी। प्रफुल्ल राय जिनको सब राय साहेब कहकर पुकारते थे, उन्होंने मनीषा की फाइल खोली। उनको पता चला की मनीषा बहुत गरीब है।

उसके पिता किसान थे और 2000 रुपए महीना ही कमा पाते थे। मनीषा ने आंगनवाड़ी से कार्यकत्री बनने के लिए अप्लीकेशन दी थी। उसी दिन प्रफुल्ल सपने के केंद्र को चेक करने पहुँच गये। मनीषा बच्चों को पढ़ा रही थी। घर में बस एक ही कमरा था। उसके पिता जी बगल के खेत में फ़टे पुराने कपड़े पहन कर काम कर रहे थे।

अरे आप सर?? मनीषा उठ खड़ी हुई।

कल आप ऑफिस आइये प्रफुल्ल राय बोले और अपनी सरकारी बोलेरो गाडी में बैठकर चल दिए। वो शरमा गये थे। नही चाहते थे की और लोगों को उनके इरादे के बारे में पता चले की वो मन ही मन मनीषा को अपना दिल दे बैठे है और उससे प्यार करने लगे है।

अगले दिन मनीषा बैंगनी साड़ी पहन कर राय साहेब यानि प्रफुल्ल से मिलने पहुची। उनके केबिन में गयी। मनीषा जी, मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ। जब से आपको देखा है बस देखता ही रह गया हूँ! मुझे आपसे प्यार हो गया है प्रफुल्ल राय ने हिम्मत करके बोल दिया।

मनीषा के पैरों से जमीन निकल गयी। उसने दूसरी आंगनवाड़ियों से सुन रखा था कि बड़े बड़े अधिकारी बड़े चरित्रहीन और ठरकी होते है। अनाप शनाप पैसा होने के कारण ये इश्कबाज , लड़कीबाज, सिटियाबाज, और रंडीबाज हो जाते है। जहाँ जहाँ इन बड़े अधिकारियों का ट्रांसफर होता है वहां वहाँ ये अपनी एक रखेल बना लेते है।

फिर दूसरे शहर में ट्रांसफर और दूसरी रखेल। यही सिलसिला चलता रहता है। मनीषा अचानक से आग बबूला हो गयी। आप क्या समझते है कि मैं गरीब हुँ तो आप मेरी इज़्ज़त से खेलेंगे? ये हरगिज नही हो सकता। मैं भूखी मर जाऊंगी, पर आपको अपनी इज़्जत ने नही खेलने दूंगी मनीषा चिल्लाकर बोली और अपनी सैंडल्स को खटपट खटपट करती हुई प्रफुल्ल के केबिन से चली गयी।

प्रफुल्ल हक्के बक्के रह गए। वो तो सच में मनीषा से प्यार करने लगे थे। पर वो तो गलत समज गयी। मनीषा ने सोचा कि प्रफुल्ल उसे जमकर खाएंगे पिएंगे, चोद चोदकर उसकी बुर फाड़ देंगे और चलते बनेंगे। वो सकते में आ गए। कुछ दिन और बीते पता नही क्या गड़बड़ी हुई।

मनीषा के साथ काम करने वाली दिव्या यादव जो की बड़ी काली कलूटी और बदसूरत थी, हमेशा मनीषा से जलती थी। उसने झूठी शिकायत कर दी कि मनीषा केंद्र नही खोलती है। मनीषा का वेतन रुक गया। उसके भूखों मरने के दिन आ गए। एक बार फिरसे मनीषा प्रफुल्ल राय के पास आना पड़ा।

प्रफुल्ल अपने ऑफिस में बड़े गुमसुम उदास बैठे दिन काट रहे थे की मनीषा आ पहुची। उसे देखते ही उनका दिन बन गया। वो मारी खुशि के पागल हो गए और चपरासी ने चाय पानी लाने को कहा। मनीषा अब अपने बुरे दिनों के कारण थोड़ा दबने लगी। उसने समस्या प्रफुल्ल को बताई।

प्रफुल्ल तो कबसे मनीषा को दिल दे बैठे थे। उन्होंने मनीषा का वेतन पास कर दिया। साइन कर दिया। और चाय पानी के बाद मनीषा को एक लिफाफा भी पकड़ा दिया। मनीषा ने घर आकर लिफाफा खोला तो प्रेम पत्र था। प्रफुल्ल ने अपने टूटे दिल का हॉल बयान किया था।

अब मनीषा प्रफुल्ल को पसंद करने लगी। और मन ही मन चाहने लगी। एक दिन उसने प्रफुल्ल के मोबाइल पर आई लव यू वाला मैसैज भी भेज दिया। अगले दिन प्रफुल्ल ने अपने ड्राइवर को भेज दिया मनीषा को लाने के लिए। वो इतना खुश हुए जा रहे थे की उन्होंने शाम की चाय भी नहीं पी। कुछ देर में मनीषा पिली साड़ी और काले ब्लाऊज़ में प्रकट हुई।

प्रफुल्ल को बड़ा सा सरकारी बंगला मिला था। मनीषा बगला देककर बहुत खुश हुई। तरह तरह के फूल बगीचे में लगे थे। जैसे ही प्रफुल्ल से मनीषा को देखा उसके दिल की धड़कन बढ़ गयी। उन्होंने नौकरों को जाने को कह दिया। मनीषा सीधे अंदर चली गयी। प्रफुल्ल इस्क़बाजी तो जरूर करना चाहते थे पर ज़माने से छिपकर। वो शिक्षा विभाग के सबसे बड़े अधिकारी थे।

समाज में उनकी बड़ी इज़्जत थी। अंदर आते ही मनीषा जी भी पागल हो उठी। मनीषा कुंवारी थी और बिलकुल फ्रेश माल थी। आज प्रफुल्ल राय जैसा बड़ा अधिकारी उसका दिलबर बना दे। प्रफुल्ल सीधे साधे थे। कभी फैशन नही करते थे। वहीँ मनीषा बड़ी फैशन वाली थी। प्रफुल्ल से मनीषा को सीने से लगा लिया। मनीषा के परफ्यूम से उनका तन मन भीग गया।

मनीषा! आई लव यू! मनीषा! आई लव यू! प्रफुल्ल कहने लगे।

मनीषा ने भी आज पहली बार किसी पुरुष को बाँहों में कसा था। प्रफुल्ल मचल उठे। मनीषा को जगह जगह चूमने लगे। मनीषा उनका पूरा सहयोग करने लगी। पिली साडी और काले ब्लाऊज में मनीषा क्या कयामत ढा रही थी। उसने अपने बालों में जुड़ा बड़े सलीके से बांध रखा था।

प्रफुल्ल मनीषा पर लट्टु हो गए और बेडरूम में खीच ले गयी। आज मनीषा जैसी कुंवारी लौण्डिया चूदने वाली थी। वो चुदासी भी हो गयी थी। प्रफुल्ल उसे बेडरूम में ले गए और दरवाजा बंद कर लिया। मनीषा भी बिलकुल दीवानी थी और अपने नए नए दिलबर ने चूदने को बिलकुल तैयार थी।

प्रफुल्ल ने उसे मुलायम मखमली बिस्तर में पटक दिया और खूब भी मनीषा पर चढ़ गए। उन्होंने मनीषा के रसीले संतरे जैसे ओंठों को पीना सुरु कर दिया। मनीषा बहुत मेक अप करती थी। उसने ढेर सारी लाल लिपस्टिक अपने ओंठों पर लगा रखी थी। प्रफुल्ल मनीषा के ऊँठ चूसने लगे तो सारी लाल लिपिस्टिक उनके ऊँठ और चेहरे पर लगने लगी।

मनीषा प्रफुल्ल को पूरी तरह मदद करने लगी। वो आज सोचकर आयी थी की अगर उसका दिलबर आज उसे चोदने का निवेदन करेगा तो वो नखरे नही करेगी और आराम से चुदवा लेगी। प्रफुल्ल ने मनीषा के संतरे जैसे रसीले ओंठों को इच्छा भरके चूसा। अब मनीषा के गले की ओर बड़े। क्या सुराही जैसी लम्बी गर्दन थी। एक तिल भी गर्दन पर था।

प्रफुल्ल पागल हो उठे और उस तिल को चूमने चटने लगी। प्रफुल्ल के हाथ अब मनीषा जैसी विश्व सुन्दरी के पुस्ट मम्मो पर रेंगने लगे। वो अब मनीषा को जल्द से जल्द पाना चाहते थे। काले ब्लाऊज़ में मनीषा पाण्डेय के फुले फूले छातियां देखकर तो ब्रह्मा भी पागल हो जाता। प्रफुल्ल आपा खो बैठे और काले ब्लाऊज पर ही ऊपर से अपनी जीभ निकाल पर मनीषा के ढूध को पिने की कोसिस करने लगे।

अरे रुकिए जरा! इतनी भी क्या जल्दी? मनीषा बोली।

उनकी गोल गोल छःतियों की निपल काले ब्लाऊज पर बाहर से साफ साफ दिख रही थी। उभरी हुई चमक रहा थी। सायद तभी प्रफुल्ल होश गवां बैठे थे। मनीषा जान गई की उनके नए नए दिलबर राय साहेब उसे चोदे बिना नहीं मानेंगे। उसने अपना हाथ बढ़ाया और ब्लॉज़े के हुक खोल दिए।

मनीषा की बड़ी बड़ी छातियां जिनको आज तक किसी लकड़े ने नही हाथ लगाया था प्रफुल्ल के सामने प्रकट हो गयी। अचानक ने प्रफुल्ल का लण्ड खड़ा हो गया। उनका पानी बाहर लण्ड के सुपाड़े से बाहर आने लगा। मनीषा जैसी विश्व सुन्दरी को सफ़ेद ब्रा में देखकर प्रफुल्ल पागल हो गए।

मनीषा ने अपने हाथ लिचे किये और ब्रा के हक खोल दिए। ब्रा निकल गयी। उस विश्व सुन्दरी के लाल लाल बड़े बड़े चुच्चे अचानक से प्रफुल्ल के सामने प्रकट हो गए। सपनी की छःतियां इतनी दुधभरी, गोरी और सफ़ेद थी उसकी रगों में बह रहा लाल खून भी ऊपर से दिखाई दे रहा था।

एक बार तो प्रफुल्ल को लगा की कहीं को उसे चोदने से पहले ही ना आउट हो जाए। वो उसकी छतियों पर टूट पड़े। अपनी जबान निकली और सीधे मनीषा की छतियों को मुँह में ले लिया। और हपर हपर कर पिने लगे। मनीषा भी मस्त हो गयी। उसकी बेहद खूबसूरत छःतियों को आज पहली बार कोई आदमी पी रहा था।

उसे भी बड़ा सुख मिलने लगा। उनकी चिकनी चूत गीली और चिपचिपि होने लगी। प्रफुल्ल काफी देर तक मनीषा की सफ़ेद छातियां को पीते रहे। आज पहली बार उन्होंने किसी औरत को बाहुपाश में लिया था। मनीषा की निपल्स काली थी और उसके चारों ओर बड़े बड़े गोल गोल घेरे थे।

प्रफुल्ल मनीषा के रसीली छातियां पिने लगे और सारी दुनिया भूल गए। मनीषा की चूत पानी पानी हो गयी। उसका वीर्य मक्खन की तरह पूरी चूत में चुपड़ गया। प्रफुल्ल ने अपने कपड़े उतार फेके और सीधे मनीषा की साड़ी ऊपर उठा दी। एक ही पल में उनकी पिली रंग की पैंटी उतार फेंकी।

कुछ समय अपनी प्रेमिका की पैंटी सूंघते रहे। उफ़्फ़ उसकी चूत की मादक बेहोश कर देने वाली सुगंध पिली रंग की पैंटी में समा गई थी। रच बस गयी थी। जब मनीषा की रसीली चूत की सुगंध इतनी नशीली है तो चूत मारने में कितना मजा मिलेगा प्रफुल्ल सोचने लगे।

उन्होंने अपने ऊँठ जिनपर मनीषा जी लाल लिपस्टिक जगह जगह लग गयी थी, मनीषा की चूत पर लगा दिए और रेगिस्तान में किसी प्यासे की तरह बुर चाटकर पानी पीने लगे। मनीषा की चूत के मक्खन को वो देसी घी की तरह चाटने लगे। उफ्फ्फ! आज तक उन्होंने ऐसा नजारा नही देखा था।

ये चूत नही बल्कि किसी देवी की शक्तिपीठ थी। प्रफुल्ल को आज इस शक्तिपीठ की पूजा अर्चना करनी थी। आज उनको इस पर जल चढ़ाना था। मनीषा जैसी विश्व सुन्दरी की चूत कितनी रसीली और कितनी मखमली होगी सायद प्रफुल्ल ने इसका आकलन कर लिया था। वो अपनी जीभ मनीषा की शक्तिपीठ पर ऊपर से नीचे फिराने लगी।

मनीषा पागल होने लगी। वो और चुदासी होने लगी। अब वो जल्दी से जल्दी चुदवाना चाहती थी। पर प्रफुल्ल तो जैसे सुध बुद्ध खोकर उसकी चूत चाटने में लगे थे। बिलकुल नयी कुंवारी चूत, ऊपर से इतनी रसीली इतनी मक्खनी, इतनी मखमली। प्रफुल्ल भर भरके मनीषा की चूत चाटने लगे। मनीषा से रहा ना गया। वो अब चुदासी हो गयी। साथ ही बेचैन भी।

प्रफुल्ल जी चाटते ही रहेंगे या कुछ करेंगे भी?? मनीषा बोल पड़ी।

प्रफुल्ल को होश आया कि बुर चाटने के सिवा भी और भी बहुत कुछ होता है। उन्होंने अपना लण्ड देखा तो वो पत्थर हो गया था। प्रफुल्ल समज गये की उनकी नयी नयी प्रेमिका मनीषा जी खुद चुदवाने का निवेदन कर रही है।

वो तो अपनी नयी नवेली प्रेमिका को अभी और चूमना चाटना थे, पर उसने खुद ही चुदवाने का निमंत्रण दे दिया। प्रफुल्ल अब अपनी प्रेमिका को चोदने की तैयारी करने लगे। उन्होंने अपने लेदर पर्स से एक कंडोम निकाला और फाड़ने लगी।

अरे ये क्या प्रफुल्ल जी, ऐसे ही चोदिये। आप से कैसा परायापन? आप तो मेरे अपने है!! रूप की रानी मनीषा कहने लगी।

प्रफुल्ल असल में कोई रिस्क नही लेना ।चाहते थे। कभी कभार वो वेस्याओं को भी चोद लिया करते थे। वही पाजामा पहन कर चोदने वाली आदत थी। प्रफुल्ल बेहद खुश हो गए। उन्होंने मनीषा की दोनों चिकनी टांगों को पकड़ फैलाया दिया। लण्ड उसके खूबसूरत भोंसड़े पर रखा और गच्च से धक्का मारा।

मनीषा की नयी नयी सील टूट गयी। प्रफुल्ल उसे मजे से चोदते रहे। उन दिन प्रफुल्ल को स्वर्ग सा मिल गया। रात के 9 बजे तक मनीषा को खूब चोदा खाया। फिर उसे ढंग से साड़ी पहनकर, फिरसे सजा सावरकर ड्राइवर से घर भेज दिया। इस तरह मनीषा प्रफुल्ल के दिल में जा बैठा। ये मोहब्बत का सिलसिला चल निकला।

हर रविवार या सरकारी छुट्टी के दिन प्रफुल्ल अपना। ड्राइवर भेजकर मनीषा को बुलवा लेते और सूरज की रोशनी में दोपहर से शाम तक मनीषा पाण्डेय को खूब चोदते खाते। उसे महँगी महँगी साड़ियां, सोने की ज्वेलरी गिफ्ट करते। एक साल तक मनीषा पाण्डेय को खूब चोदने खाने के बाद प्रफुल्ल ने अपनी पावर से मनीषा को एक इंटर कॉलेज में सरकारी नॉकरी दे डी वो भी बिना टी ई टी पास किये।

अब मनीषा 40 हजार रुपए हर महीने कमाने लगी। उसकी लाइफ स्टाइल अब बदल गयी। अगले साल भी प्रफुल्ल उसे अपने बंगले पर ला लाकर चोदते खाते रहे। इस तरह 2 और साल गुजर गए। मनीषा ने अपनी नौकरी से बढ़ा खूबसूरत घर बना लिये वरना उसका किसान बाप तो उसे सारी जिंदगी झप्पर में भी रखता।

मनीषा के बाप, उसकी अम्मा भी प्रफुल्ल राज को बहुत मानने लगी। प्रफुल्ल मनीषा के घर जाते तो उसकी माँ उसे कभी बिना खाना खिलाये ना भेजती। एक दिन तो प्रफुल्ल मनीषा के घर गए। सिर्फ उसकी माँ थी। उसके पिता खेत में काम करने गए थे।

माँ जी प्रफुल्ल के लिये खाना बनाने लगी और प्रफुल्ल ने मौका पाकर मनीषा को उसी के घर में चोद लिया। मनीषा के पिताजी कभी 2 शक करते थे की कहीं मनीषा प्रफुल्ल से फस तो नही गयी है। फिर चुप्पी मार लेते थे। क्योंकि प्रफुल्ल की कृपा से ही उनकी दरिद्रता दूर हो गयी थी। अगर लकड़ी थोड़ा बहुत चुदवा भी ले तो कौन सा हर्ज है।

जवानी और खूबसूरती का फायदा तो इंसान सदियों से उठाता आ रहा है। उसके पिता सोचते थे। कुछ दिनों बाद प्रफुल्ल का बनारस ट्रांसफर हो गया। पर चुदाई का रिश्ता खत्म ना हुआ। मनीषा ने एक लल्लू बैंक क्लर्क से शादी कर ली। वो लल्लू सुबह 9 बजे बैंक जाता तो रात 12 बजे आता।

उसके पास अपनी विश्व सुन्दरी को पेलने और चोदन खाने का समय ही नही ना। मनीषा फ़ोन से पूरे पुरे दिन प्रफुल्ल से चिपकी रहती। बिच बिच में काम की बात कहकर बनारस चली जाती और प्रफुल्ल के नए बंगले पर खूब जी भरकर चुदवाती। कुछ दिनों बाद प्रफुल्ल की शादी हो गयी।

एक बड़ी सूंदर बीबी उसे मिली। पर प्रफुल्ल और मनीषा की चुदाई ना रुकी। 15 दिन में एक बार मनीषा बनारस जरूर आती थी। प्रफुल्ल अपनी सरकारी गाडी भेज देते थे। आकर खूब चुदती थी। 9 महीनो बाद मनीषा प्रेग्नेंट हो गयी। उसका पति थोड़ा हैरान था की वो तो कम ही चुदाई करता है। पर तेज तर्रार मनीषा ने कहा कि ये उसी का बच्चा है। उसका आदमी बिलकुल लल्लू था। हर बात पर विस्वास कर लेता था।

बच्चा होने के बाद एक दिन मनीषा फिर बनारस गयी। बिलकुल तुमको पड़ा है!! मनीषा बोली. प्रफुल्ल ने अपने लड़के को चूम लिया। लखनऊ में एक करोड़ का एक प्लाट उन्होंने अपने काले धन से लिया था। वो अपने नाजायज लड़के के नाम कर दिया। क्योंकि प्रफुल्ल मनीषा को सुरु से ही बहुत प्यार करते थे। उस दिन फिर से प्रफुल्ल ने मनीषा को नंगा करके जमकर उसकी चूत फाड़ी और सदा।सदा के लिए अपनी रखेल बना लिया।

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