मैं 24 साल का हूँ और एक बहुत ही सुंदर लड़का हूँ, मेरा शरीर बहुत ही स्वस्थ है। मैं दिल्ली सीमा के पास हरियाणा के एक बहुत ही छोटे से गाँव में रहता हूँ। मेरा गाँव 90 के दशक में आधुनिक नहीं था। मैं उन दिनों अपनी 10वीं कक्षा में था। हमारा स्कूल को-एड वाला था। मेरी कक्षा में नेहा नाम की एक सुंदर लड़की थी। Village Virgin Girl Chudai
उसका घर मेरे घर के पास था। हम साथ में स्कूल जाते थे और लगभग साथ में खेलते थे। मैं आपको बताना चाहूंगा कि नेहा बहुत सुंदर लड़की थी, जिसका फिगर बहुत अच्छा था और वह हमारी कक्षा में लगभग बहुत ही सुंदर थी। हम उसे गाँव की सुंदरी कहते थे। मैं हमेशा उसके सपने देखता हूँ। अब मैं आपको बताता हूँ कि यह कैसे हुआ जिसके बारे में मैं नेहा के बारे में सोच रहा था।
हमारे १०वी के पेपर ख़तम हो चुके थे. मार्च के महीने में पेपर ख़तम करके हम अपनी छुट्टियों का आनंद ले रहे थे. उन दिनों खेत पर भी ज्यादा काम रहता है. सुबह ही जल्दी खेत पर चले जाते थे. दोपहर को ही वापस आते थे. दोपहर में नहाकर आराम करते थे. नेहा का घर पास होने के कारण दिन में वहां चला जाता था.
वो और मैं उनके घर पर खेलते थे. मैं बस नेहा को देखने के लिए ही वहां जाता था. खेल खेल में मैं उसके शरीर को छु लेता था बड़ा मज़ा आता था. ऐसे दिन बितते गए और मैं रोज यही इंतजार करता की कब मौका मिले और नेहा को चोदा जाये. नेहा भी अपने पूरे यौवन पर थी.
गाँव में लड़की को ज्यादा नहीं पढ़ते सो नेहा के शादी की बात होने लगी और जल्दी ही उसकी सगाई कर दी. सगाई के बाद मैं नेहा के घर गया और नेहा से बोला की सगाई की मिठाई कब खिला रही हो. वो बोली की का मिठाई अभी कोई शादी की उम्र है मुझे तो और पढ़ना है.
मैं बात बदलते हुए बोला नेहा तेरा मंगेतर कैसा है. नेहा बोली मैंने नहीं देखा, मैं बोला की बिना देखे ही शादी करने जा रही हो तो बोली क्या करूँ. मैंने हलके से नेहा के शरीर को छुआ और बोला की अब तो शादी होनी है सब कुछ सीख लेना. वो बिन बोले ही अंदर चली गयी.
मैं भी वापस आ गया. अब मैं बस मौका देखते ही नेहा को छेड़ देता था. नेहा आजकल कुछ नहीं बोलती थी और हंस देती थी. एक दिन दोपहर में मैं नेहा के घर गया तो वो अपने बाथरूम में थी. घर के सब लोग खेत पर थे. मैंने नेहा के बाथरूम में होल से उसको नंगा देखा तो मेरा लंड भी जोर करने लगा और उस दिन मुट्ठी मार कर ही गुजरा किया.
उसके बाद तो मौका मिलते ही नेहा को नहाते देखने लगा. एक दिन जब मैं नेहा के बाथरूम में देख रहा तो उसकी नजर मुझ पर पड़ी उसी समय वापस आ गया और कई दिन तक उसके घर नहीं गया. एक दिन वो खेत पर मिली तो बोली की बड़ा छुप के देखा है. मैं इसी इंतजार में था मैंने खेत में ही उसको पकड़ लिया और गाल पे पप्पी ले ली.
वो छुड़ा कर घर आ गयी. मुझे इशारा मिल गया और जब भी मौका मिलता उसको पकड़ कर पप्पी लेता. अब तो दिन पर दिन मैं नेहा को चोदने के सपना लेने लगा. एक दिन मैं खेत में जा रहा था नेहा मुझे रस्ते में मिली मैं बोला आजा खेत पर चले वो बोली कुओं कोई खास बात है.
मैं बोला ऐसी ही तड़पोगी अब रहा नहीं जाता तो बोली शादी कर ले मैं बोला की तू कर ले पहले तो बोली की मेरी तो होने वाली है बोला की शादी से पहले सिख तो ले कहीं बेचारे को पता ही न हो क्या करना है. वो हँसी और बोली के तू तो सब जानता है न, मैंने कहा की देख ले आजमा कर. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
वो जाने लगी तो मैंने कहा की मैं खेत पर तेरा इंतजार करूँगा. मैं खेत पर जाकर नेहा के बारे में सोच सोच कर मुठी मारने लगा. करीब एक घंटे के बाद मैंने देखा की नेहा आ रही है तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा और नेहा को चोदने के सपने देखने लगा. थोड़ी देर में नेहा अपने सरसो के खेत में थी.
मैं अपनी चादर कंधे पर डाल कर नेहा के खेत की और चल दिया. सरसो के खेत में चारो और हरयाली ही हरियाली और सरसों के पीले फूल. मैं तो बस नेहा को चोदने के लिए व्याकुल होने लगा. नेहा भी शायद मेरे मन को समझ गयी. मैं खेत के बीच में जाकर बैठ गया.
थोड़ी देर में नेहा भी आ गयी अब तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा. जैसे ही नेहा मेरे पास आयी मैंने उसको पकड़ लिया और उसको अपने देहाती अंदाज में छेड़ने लगा. नेहा भी आज पूरे मूड में थी. मैंने अपनी चादर को खेत में बिछाया और नेहा को अपनी बाँहों में भर लिया और पागलों की तरह चूमने लगा.
नेहा ने भी मुझे चूमना शुरू किया. बस फिर का था आज तो मेरा सपना पूरा होने वाला था. मैंने नेहा को कहा की आज सारा मजा लेले तो वो बोली की आज मुझे जी भरकर चोद दे. मैं बोला की आज जो मैं कहूँ वो ही करना तो उसने सर हिला दिया. मैंने नेहा के सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े नेहा को उतारने को कहा. अब हम बिलकुल नंगे वो भी सरसो के खेत में.
अब तो मैंने नेहा को ऊपर से नीचे तक चूमा और फिर नेहा ने मुझे. मैंने अपनी एक ऊँगली नेहा की कुंवारी चूत में डाली और दूसरे हाथ से उसके गोल गोल मम्मी को दबाने लगा. उसने भी अपने हाथ से मेरा कड़क लंड पकड़ा और ऊपर निचे करने लगी. नेहा की सिसकारी आने लगी हाय ईईईई अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अरे मेरे जानू आजा मेरी प्यास बजा दे. मैंने नेहा को घोड़ी बनाया और पीछे से जोरदार झटका दिया तो मेरा पूरा लंड नेहा की कुंवारी चूत में था.
और पूरा जाते ही नेहा चीखी हाय मररररररररर गयी और फिर देने लगा देसी झटके. कुछ देर ऐसे ही चुदाई की फिर लंड बाहर निकला और नेहा के मुंह में दे दिया. नेहा उसे दसहरी आम की तरह चूसने लगी. फिर नेहा को सीधा लिटाया और उसके हाथ और चारो और सरसो के तीन चार पेड़ो से बांध दिए और अब सारा लंड पेल दिया व लगाने लगा झटके. आपको बता दे यदि किसी भी औरत के हाथ पैर बांध दो तो वो चोदने वाले को अपनी बाँहों में भरने के लिए ज्यादा तड़पती है.
बस नेहा मुझे अपनी बाँहों में भरने के लिए छटपटाने लगी और मैंने अपने झटके जारी रखे. बस नेहा की सिसकारी और आहे निकलती रही. अब तो मेरा भी वीर्य छूटने वाला था मैंने अपने लंड देवता को बाहर निकाल दिया और नेहा के मुंह पर लगा दिया. नेहा मेरे सारे मल को चूस गयी. मैंने नेहा के हाथ पैर खोले और वो तो जैसे इसी इंतजार में थी खुलते ही मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया और चूमने लगी. कुछ देर बाद हमने अपने कपडे पहने और चल दिए उसके बाद मैंने कई बार नेहा को चोदा. आज भी नेहा मुझे भूल नहीं पाई है.
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