दीदी की चुदाई स्टोरी ये मेरी असली कहानी है। अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो, तो कृपया मुझे माफ कर देना। हमारी फैमिली में सात लोग हैं: पिताजी (52 साल), माँ (44 साल), पहली बहन (26 साल), दूसरी बहन (22 साल), मैं (19 साल), और चौथी बहन (18 साल)। अब मैं आपको कहानी की ओर ले चलता हूँ। Sister Boobs Show
मेरे पिताजी सरकारी नौकरी करते हैं, जिसकी वजह से हमें हर छह महीने में घर बदलना पड़ता था। ये कहानी उन दिनों की है जब हमारा घर शहर से बाहर था। गर्मियों के दिन थे। घर में सभी सलवार-कमीज़ पहनते थे। मेरी माँ कभी-कभी नाइटी में पूरा दिन बिता देती थीं।
मेरी नज़र हमेशा माँ की छातियों पर रहती थी। माँ की छातियों का साइज़ 38DD था, और उनकी गांड इतनी मस्त थी कि जब माँ बाज़ार जातीं, तो लोग उनकी गांड को देखते और अपना लंड मसलते थे। जब माँ घर में पोंछा लगातीं, तो उनकी सफेद रंग की छातियाँ बाहर आ जाती थीं, और मैं उन्हें देखता रहता।
बाद में बाथरूम जाकर मुठ मारता। मई का महीना था, और हमें छुट्टियाँ थीं। माँ ने कहा, “तुम आज घर पर हो, तो हम तुम्हारे मामा के घर होकर आते हैं।” माँ जल्दी-जल्दी सफाई करने लगीं। मैं और मेरी बड़ी दीदी कैरम खेल रहे थे। मेरी बड़ी दीदी की उम्र 24 साल थी, और उनकी शादी नहीं हो रही थी क्योंकि वह मोटी थी।
उनकी छातियाँ माँ से भी बड़ी थीं, उनका साइज़ 40D था। जैसे ही माँ हमारे पास झुककर सफाई कर रही थीं, उनकी छातियाँ आधी बाहर निकली हुई थीं। मैं माँ की छातियों को देखने लगा। जब माँ बाहर गईं, तो दीदी ने कहा, “क्या देख रहा था?” मैं डर गया। मैंने कहा, “कुछ नहीं।” वह बोली, “कोई बात नहीं,” और हँस पड़ी।
थोड़ी देर बाद माँ, पिताजी, और दोनों छोटी बहनें मामा के घर जाने के लिए तैयार हो गए। माँ ने कहा, “समीर, तू नहीं चलेगा?” मेरे बोलने से पहले ही दीदी ने कहा, “इसे जाने दो, मैं अकेली बोर हो जाऊँगी।” दीदी ने मेरी ओर देखकर एक सेक्सी स्माइल दी। मैं समझा नहीं। माँ ने कहा, “ठीक है।” थोड़ी देर में वे लोग चले गए। अब मैं और मेरी दीदी घर में अकेले थे।
मैंने कहा, “चलो, खेलते हैं।”
दीदी बोली, “मैं बाथरूम होकर आती हूँ।”
जब दीदी बाथरूम से वापस आईं, तो हम कैरम खेलने लगे। मैंने देखा कि दीदी की आधी छातियाँ बाहर निकली हुई थीं। गौर से देखा, तो पता चला कि दीदी ने ब्रा नहीं पहनी थी।
तभी दीदी ने कहा, “क्या देख रहा है?”
मैं डर गया। मैंने कहा, “कुछ नहीं।”
वह बोली, “मेरी चूचियां देख रहा है?”
मैं हैरान रह गया। दीदी ने अपनी कमीज़ उतार दी। मुझे फिर से झटका लगा।
दीदी बोली, “डर क्यों रहा है? शर्म मत, देख।”
मैंने कुछ नहीं किया, तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी छातियों पर रख दिया और मसलने लगी। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता। दीदी को इस तरह देखना मेरे लिए एक नया और खुशगवार तजुर्बा था। दीदी के स्तन काफी बड़े और गोल थे।
फिर दीदी मेरे करीब आईं और मेरी टी-शर्ट उतार दी। उन्होंने मेरी जींस के ऊपर से ही मेरे लंड पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। फिर उन्होंने मेरी जींस भी उतार दी और अपने नर्म मुलायम हाथों में मेरा सख्त लंड थाम लिया। मैंने उन्हें अपनी बाहों में भर लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
थोड़ी देर बाद मैंने उनके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया। मैं एक स्तन चूस रहा था और दूसरे को अपने हाथों से सहला रहा था। दीदी मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं। उनके मुँह से “ओह्ह… आह्ह्ह्ह… ऊऊऊ… उफ्फ्फ…” जैसी सेक्सी आवाज़ें निकल रही थीं।
मैंने उनके स्तनों को दबाते हुए कहा, “दीदी, आपके स्तन बड़े ही शानदार और रसीले हैं। आपके निप्पल तो बहुत सख्त, खुशज़ायका, और मीठे हैं।”
दीदी ने मुझे सेक्सी अंदाज़ में देखा और अपनी आँखें बंद कर लीं। दीदी उस वक्त पूरी तरह गरम और सेक्सी हो रही थीं। मैंने अपनी ज़ुबान उनके स्तनों से हटाकर उनके नर्म-गुदाज़ पेट पर फेरनी शुरू की और धीरे-धीरे उनकी जाँघें मेरी पहुँच में थीं। मैंने उनकी टाँगें फैलाकर उनकी चूत में उंगली डाल दी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
उनकी चूत गीली हो रही थी। उन्होंने मुझे अपनी चूत चाटने के लिए कहा। मैंने उनकी गुलाबी चूत के होंठ खोलकर उन पर अपनी ज़ुबान फेरनी शुरू की। मेरी खुरदरी ज़ुबान जब उनके क्लिट से टकराती, तो उनके मुँह से बे-इख्तियार सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं उनकी चूत में अपनी ज़ुबान अंदर-बाहर करने लगा।
दीदी की चूत से लेसदार नमकीन शहद टपकने लगा। मैंने सारा नमकीन शहद पी लिया और अपनी ज़ुबान से दीदी को चोदता रहा। दीदी जोश में अपना सिर तकिए पर इधर-उधर पटक रही थीं और कह रही थीं, “प्लीज़… उफ्फ्फ… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… और करो, तेज़ी से… प्लीज़… आह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ… जान, ये तुमने कैसा जादू कर दिया है? मेरी चूत में आग सी लग गई है। ओह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… हाय… मर गई… अल्लाह, मेरी जान… आह्ह्ह्ह… जानी, प्लीज़ जल्दी, तेज़-तेज़…”
आखिरकार दीदी पूरी तरह फारिग हो गईं, और उनकी चूत ने बहुत सा नमकीन रस छोड़ दिया, जिसे मैंने सारा पी लिया। जब दीदी का होश कुछ बहाल हुआ, तो वह उठीं और मुझे गले लगाकर चूमने लगीं। उन्होंने कहा, “तुमने तो अपना काम खूब अंजाम दिया। अब देखो मैं क्या करती हूँ।”
फिर दीदी ने मेरे लंड की टोपी पर ज़ुबान फेरनी शुरू की। धीरे-धीरे उन्होंने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। दीदी बहुत अच्छा लंड चूस रही थीं। मैं उस वक्त लज़्ज़त और आनंद की इंतहा पर था। दीदी ने पहले धीरे और फिर तेज़ी से लंड चूसना शुरू कर दिया।
आखिर जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकालना चाहा, लेकिन उन्होंने इशारे से कहा, “मेरे मुँह में ही निकालो।” मैंने सारा पानी उनके गले में उड़ेल दिया। उन्होंने एक बूँद भी ज़ाया किए बिना सारा पानी पी लिया और फिर से लंड चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में मेरा लंड फिर तनकर खड़ा हो गया। मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था।
मैंने दीदी से कहा, “दीदी, मुझे कुछ हो रहा है, और मैं अपने आप में नहीं हूँ। प्लीज़, मुझे बताओ मैं क्या करूँ?”
दीदी बोलीं, “करो क्या, मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को।”
मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए उनकी छातियाँ मसलता रहा। उन्होंने अपना मुँह मेरे मुँह से सटा दिया और फुसफुसाकर बोलीं, “अपनी दीदी को चोदो।” दीदी ने हाथ से मेरे लंड को निशाने पर लगाकर रास्ता दिखाया, और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में सुपारा अंदर चला गया।
इससे पहले कि दीदी संभलतीं या आसन बदलतीं, मैंने दूसरा धक्का लगाया, और पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया। दीदी चिल्लाईं, “उई… माँ… हुह्ह्ह्ह… ओह समीर, ऐसे ही कुछ देर हिलना-डुलना नहीं… हाय! बड़ा ज़ालिम है तेरा लंड। मार ही डाला मुझे तूने मेरे राजा।”
दीदी को काफी दर्द हो रहा था। पहली बार इतना मोटा और लंबा लंड उनकी चूत में घुसा था। मैं अपना लंड उनकी चूत में घुसाकर चुपचाप पड़ा था। दीदी की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लंड को मसल रही थी। उनकी उभरी हुई छातियाँ काफी तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
मैंने हाथ बढ़ाकर दोनों छातियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा। दीदी को कुछ राहत मिली, और उन्होंने कमर हिलानी शुरू कर दी। दीदी मुझसे बोलीं, “समीर, अब चोदना शुरू कर।” उनकी चूत को चीरता हुआ मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। फिर दीदी बोलीं, “अब लंड को बाहर निकालो।”
लेकिन मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। फिर दीदी ने स्पीड बढ़ाने को कहा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। दीदी को पूरी मस्ती आ रही थी, और वह नीचे से कमर उठा-उठाकर हर शॉट का जवाब देने लगीं।
उनकी रसीली छातियाँ मेरी छाती पर रगड़ते हुए, उन्होंने अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे मुँह में जीभ ठेल दी। मेरी चूत में मेरा लंड समाए हुए तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुँच गया हूँ। जैसे-जैसे वह झड़ने के करीब आ रही थीं, उनकी रफ्तार बढ़ती जा रही थी।
कमरे में फच-फच की आवाज़ गूँज रही थी। मैं दीदी के ऊपर लेटकर दनादन शॉट लगाने लगा। दीदी ने अपनी टाँगों को मेरी कमर पर रखकर मुझे जकड़ लिया और जोर-जोर से चूतड़ उठा-उठाकर चुदाई में साथ देने लगीं। मैं भी दीदी की छातियों को मसलते हुए थक-थक शॉट लगा रहा था।
कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से भरा पड़ा था। दीदी अपनी कमर हिलाकर चूतड़ उठा-उठाकर चुद रही थीं और बोल रही थीं, “आह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… उह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… हाँ… हाय… मेरे राजा… मार गई रे… लल्ला, चोद रे, चोद… उई… मेरी माँ… फट गई रे… शुरू करो, चोद मुझे… ले लो मज़ा जवानी का मेरे राजा…” और अपनी गांड हिलाने लगीं।
मैं लगातार 30 मिनट तक उन्हें चोदता रहा। मैं भी बोल रहा था, “ले मेरी रानी, ले-ले मेरा लौड़ा अपनी ओखली में… बड़ा तड़पाया है तूने मुझे… ले-ले, ले मेरी मिठाई, ये लंड अब तेरा ही है… आह्ह्ह्ह… उह्ह्ह्ह… क्या जन्नत का मज़ा सिखाया तूने… मैं तो तेरा गुलाम हो गया…”
दीदी गांड उछाल-उछालकर मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थीं, और मैं भी पूरे जोश के साथ उनकी छातियों को मसल-मसलकर अपनी दीदी को चोदे जा रहा था।
दीदी मुझे ललकारकर कहतीं, “लगाओ शॉट मेरे राजा,” और मैं जवाब देता, “ये ले मेरी रानी, ले-ले अपनी चूत में।” “ज़रा और जोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मेरे राजा,” “ये ले मेरी रानी, ये लंड तो तेरे लिए ही है।” “देखो राजा, मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गई, और जोर से, और जोर से… आह्ह्ह्ह… मेरे राजा…”
“मैं गई रे…” कहते हुए मेरी दीदी ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया, और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया। अब तक मेरा लंड भी पानी छोड़ने वाला था, और मैं बोला, “मैं भी आया मेरी जान,” और मैंने भी अपने लंड का पानी छोड़ दिया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मैं हाँफते हुए उनकी छातियों पर सिर रखकर कसके चिपककर लेट गया। फिर मैं दीदी के ऊपर से हट गया और उनकी चूत से निकले पानी को उनकी गांड में डालने लगा, जिससे दीदी की गांड चिकनी हो गई। मेरा लंड दीदी की चूत के पानी से चमक रहा था।
कुछ देर बाद दीदी पलट गईं, और मैंने उनकी गांड में लंड डालना शुरू किया। लंड फिट करके एक धक्का मारा, मेरा थोड़ा लंड उनकी गांड में चला गया। फिर मैंने एक और धक्का मारा, और आधा लंड उनकी गांड में चला गया। दीदी को दर्द होने लगा। दीदी बोलीं, “आराम से गांड में लंड डालो, गांड फट जाएगी।” फिर मैंने एक और जोर का धक्का मारा, और पूरा लंड दीदी की गांड में चला गया। दीदी जोर से चिल्ला पड़ीं, उनकी आँखों में आँसू आ गए। मैं उनके ऊपर लेट गया और चूमने लगा।
मैंने कहा, “लंड निकाल लूँ क्या, दीदी?”
दीदी बोलीं, “नहीं, कुछ देर रुको, तुमने गांड की सील तोड़ दी है।”
कुछ देर बाद मैंने दीदी की गांड में धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। दीदी भी अपनी गांड ऊपर करने लगीं। दीदी को भी मज़ा आने लगा। तब मैंने दीदी की दोनों छातियों को दबाते हुए धक्के मारने शुरू किए। मैंने धक्कों को तेज़ कर दिया, और कुछ देर बाद मेरा पानी दीदी की गांड में निकल गया। फिर मैं और दीदी साथ में एक-दूसरे से चिपककर सो गए।
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