मैं इंजीनियरिंग के लिए सेलेक्ट हो गयी थी और मुझे जिस कॉलेज में एडमिशन मिला था वो दूसरे शहर में था. मेरे पापा के एक बहुत ख़ास दोस्त थे जो उसी शहर में रहते थे. मेरे पेरेंट्स ने उन्हें मेरा लोकल गार्जियन अप्पोइंट किया और मैं उनके घर पे एक पेइंग गेस्ट की तरह रहने लगी. Hot Girl Antarvasna
उस घर में केवल अंकल और आंटी ही रहते थे क्योंकि उनके बच्चे एब्रॉड रहते थे. आंटी एक बहुत ही सिंपल और रिलीजियस टाइप की महिला थी जो मेरा बहुत ख्याल रखती थी. अंकल एक रिटायर्ड आर्मी अफसर थे जो बहुत ही डिसप्लिन्ड और वेल मैनटैनेड थे. उन्हें देख के कोई भी उनकी उम्र का अंदाज़ नहीं लगा सकता था.
मैं उन दोनों की बहुत रेस्पेक्ट करती थी. धीरे-धीरे समय बीतने लगा मैं वहां ठीक से एडजस्ट हो गयी थी. मेरा रूम फर्स्ट फ्लोर पे था और वो दोनों नीचे के रूम में सोते थे. एक दिन मैं कॉलेज से लौटी तो खाना खाते वक़्त आंटी मेरे पास आयी और बोली “बेटा मुझे कुछ दिनों के लिए गोरखपुर जाना पड़ेगा क्योंकि मेरे भाई की तबियत जरा ख़राब है. तुम्हारे अंकल यहीं रहेंगे. उन्हें कुकिंग नहीं आती तो क्या कुछ दिनों के लिए तुम घर संभाल लोगी”.
मैं आंटी से बोली की आप बिलकुल भी फ़िक्र मत करिये मैं सब संभाल लुंगी. आंटी नेक्स्ट डे ही दोपहर की ट्रैन से रवाना हो गयी. उस दिन मैंने और अंकल ने एक साथ डिनर किया और उनको कंपनी देने के लिए कुछ देर उनसे बातें भी करती रही. वैसे मैं नोर्मली जल्दी ही अपने रूम में चली जाती थी.
अगले दिन की शुरआत हुई. हम दोनों चाय पीते हुए बात कर रहे थे. अंकल भी शायद आंटी की एब्सेंस में मुझसे कुछ ज्यादा ही बातें कर रहे थे. मुझे उनसे बात करना बहुत अच्छा लगता था वो बहुत ही अच्छी तरह से एक फ्रेंड की तरह पेश आते थे. और आंटी के पीछे से तो वो मुझे अपने बेस्ट फ्रेंड लगने लगे थे.
वैसे हम लोगो में किसी गलत टॉपिक पे बात नहीं होती थी. उस दिन रात को मैं खाना बना लेने के बाद फ्रेश होने चली गयी और अंकल को कह के गयी की आप रेडी हो जाइए मैं 10मिनट में आती हु फिर डिनर करेंगे. जब मैं वापस आयी तो अंकल मेरा वेट कर रहे थे मैंने एक रेड टी-शर्ट और पैजामा पहन रखा था.
अंकल मुझे देखते ही कुछ सहम से गए. उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक दिखाई दी जो मेरे लिए बिलकुल अनोखी थी. डिनर के बाद हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते-2 अचानक अंकल ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पे रख दिया. थोड़ी देर में मुझे अपने कंधे पे अंकल की उंगलियां धीरे-2 रेंगती हुई महसूस हुई.
लेकिन मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी की ये किसकी शुरुआत है. मैं वैसे ही बैठी रही क्योंकि जो आदमी मेरे बगल में बैठा था मैं उसको इतना रेस्पेक्ट करती थी की उसकी इस हरकत में मुझे ज़रा भी गलत सोच नहीं लग सकती थी. लेकिन अंकल के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था.
कुछ देर बाद अंकल ने अपना हाट कंधे से हटाया और उसे मेरी एक जांघ पे रख दिया. और उनकी उँगलियों ने वहां भी वही शरारत करनी शुरू कर दी. इस बार मेरा ध्यान गया. मैं सोच रही थी की अंकल ने ऐसा पहले कभी मेरे साथ नहीं किया तो फिर आज क्यों? और वो भी आंटी की एब्सेंस में.
मेरा मन हुआ की वहां से उठ जाने में ही मेरी भलाई है. लेकिन मुझे ये लगा की कहीं अंकल को बुरा न लग जाये. हो सकता है की वो शायद सही में अनजाने में ही हाथ रख रहे हो और जब उन्हें पता चलेगा की मैं उनकी इस एक्टिविटी के कारण चली गयी तो उनको कितनी गिल्ट फील होगी. सो मैंने वहां बैठना ही सही समझा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
मेरे शांत बैठे रहने से अंकल का मनोबल और बढ़ गया. और अब उन्होंने अब मेरा एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे-2 उसे मसलने लगे. हम दोनों में से कोई भी पिछले 15-20 मिनट से कुछ नहीं बोल रहा था. आँखे टीवी की तरफ और ध्यान कहीं और. कुछ देर बाद अंकल ने मेरे हाथ पे एक किश किया.
मैं फिर शांत बैठी रही लेकिन अब मुझे उनके इरादे कुछ नज़र आने लगे थे. अंकल मेरी चुप्पी को मेरी परमिशन समझ रहे थे. और अचानक ही उन्होंने मेरे को अपनी बाहों में ले लिया और मेरे गाल पे एक किस कर दिया. उसके बाद वो मुझे से बिलकुल चिपका के पागलों की तरह फेस और गर्दन पे किस करने लगे.
मैं तो जैसे सहम गयी थी. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की ये हो की रहा है. मेरा दिमाग तो जैसे फ्रीज़ हो गया था और अंकल के एक्शन्स हर सेकंड अपनी लिमिट्स क्रॉस करते चले जा रहे थे. अब अंकल के एक्शन्स का मेरे शरीर पे कुछ असर भी होने लगा था जो मुझे और शिथिल बनाये जा रहे थे.
मैं एक अजीब अवस्था में पहुँच गयी थी. अंकल की गरम साँसों की आवाज़ मेरे कानो में बहुत करीब से आ रही थी. उनके होटों के स्पर्श अब मुझे जलने लगे. उनकी शरीर की खुशबु को मैं कैसे अपने अंदर ही महसूस कर रही थी. उनके मजबूत हाथो की जकड़न मुझे कसती ही जा रही थी.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अंकल का हाथ थाम के एक शांत सरोवर में चले जा रही हु जिसमे हर कदम के साथ पानी और गहरा होता जा रहा था. इस वक़्त तक अंकल मुझे सोफे पे लेटा के मेरे ऊपर थे और मेरी टी-शर्ट मेरे गले तक पहुँच चुकी थी और अंकल मेरी ब्रा के आस-पास सब तरफ किस कर रहे थे.
मैं आँख बंद किये हुए लेटी हुई थी. लेकिन इन सब के साथ मेरे दिमाग में एक और चीज़ थी जो मुझे वहां से उठ के भाग जाने को उकसा रही थी. मैं असमंजस में अपनी गर्दन हिला रही थी की अचानक मैंने अपनी चुप्पी तोड़ी और जोर से बोली “अंकल!!! ये क्या कर रहे हैं आप? छोड़िये मुझे.” और मैंने अंकल को अपने ऊपर से हटाया और जल्दी से अपने रूम में आ गयी.
मैं बहुत अजीब फील कर रही थी उस टाइम. उस दिन मुझे एहसास हो गया की मैं भी उन्ही सभी महिलाओं में से एक हु जिन्हे मेल केवल एक फीमेल की ही तरह देखते हैं. मैं अपने आपको बहुत अपमानित सा महसूस कर रही थी. जैसे-तैसे मैंने रात काटी. बात भी ऐसी हुई थी की जिसे अपने घरवालों को बताने की मुझमे हिम्मत भी नहीं हो पायी.
सो मैंने अंकल से दूरी बना के वही रहने का फैसला किया. नेक्स्ट मॉर्निंग मैंने चुप-चाप अंकल का नाश्ता बना के रख दिया और जल्दी ही अपने कॉलेज चली गयी और फिर शाम को आयी और अपने रूम में रही. जब मैं रात का खाना बनाने नीचे आयी तो अंकल मेरे पास आयी और उन्होंने मेरे से कल की लिए सॉरी कहा और बहुत शर्मिंदा भी हुए.
अंकल मेरी करीब आधे घंटे तक अपने सफाई देते रहे फिर मुझमे भी जरा नरमी आ गयी. और मैंने कहा की ठीक है आप जाइए मैं खाना बना लू. खाने के बाद हम दोनों कॉफ़ी पीते हुए बैठे थे और अंकल अब भी उसी की सफाई दे रहे थे अब मुझे उन पर दया आने लगी थी.
और लास्ट में वो बोले “पिंकी प्लीज ये किसी से मत कहना”. तो मुझे हंसी आ गयी और मैं कहा “डोंट वरी मैं किसी से नहीं कहूँगी”. ये सुन के अंकल मेरे पास आके मुझे हग कर लिया और मेरे माथे पे एक किस किया. मुझे अब भी उनकी हालत पे हंसी आये जा रही थी.
पिछले 2 घंटे में हम दोनों में जो बातें हुई थी उनसे मैं अब और करीब फील कर रही थी. अंकल मुझे हग किये खड़े रहे और पता नहीं कैसे मैंने भी धीरे से अपने हाथ उनकी कमर पे कस लिए. उनसे चिपकते ही मुझे पिछली रात की बातें याद आने लगी जिससे मेरे अंदर एक गुदगुदी से होने लगी.
इस बार अंकल को जरा डर था इस लिए उन्होंने कुछ स्टेप नहीं लिया. थोड़ी देर बाद वो मेरा चेहरा पकड़ के मेरी आँखों में देखने लगे. मैं भी उनकी आँखों को ज्यादा देर तक नहीं देख पायी और मुस्कराते हुए मैं अपना चेहरा नीचे कर लिया. बस अब क्या था अंकल को वो मिल गया जिसका वो वेट कर रहे थे.
ख़ुशी से भर के अंकल ने मुझे एक लम्बा सा लिप किश किया जिससे मेरा सर शरीर झनझना गया. और अब खड़े-खड़े ही अंकल मुझे किस करने लगे मैं इस बार सही में उनकी किस्सेस का मज़ा ले रही थी और मुझे उसमे बहुत मजा आ रहा था. कुछ मीन्स में ही अंकल ने मुझे अपनी सुध-बुध से बहुत दूर कर दिया था.
थोड़ी देर बाद मुझे अंकल ने अपनी गोद में उठा लिया और अपने बेड रूम की तरफ चल दिए. इस बार मुझे उन्हें रोकने का जरा भी मन नहीं हो रहा था. उस वक़्त मेरी उम्र केवल 19 साल थी. मेरी हाइट 5’2” थी और अंकल की 6’ थी. इसलिए मैं उनके सामने सही में बच्ची सी लग रही थी.
जैसे ही अंकल ने मुझे अपने बेड पे लेटाया तो सामने अंकल-आंटी का मैरेज का फोटो लगा हुआ था. मुझे एक बार जरा झटका सा लगा उसे देख के कि मैं ये क्या कर रही हु. मैं सोच ही रही थी की अंकल ने फिर मुझे किस करना शुरू कर दिया और उस फोटो को देखते-2 ही मैंने मजे में अपनी आँखे बंद कर ली. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
करीब आधे घंटे बाद मैं सिर्फ अपनी पेंटी में थी. मेरे बूब्स को देखने के बाद अंकल बोले “पिंकी तुम बहुत सुन्दर हो”. उनकी बालो से भरी चेस्ट को अपने शरीर से टच होने का एहसास आज भी याद है मुझे. अब अंकल मेरी पेंटी उतार रहे थे. मेरे लिए ये पहला मौका था जब मैं किसी को अपने शरीर को देखने दे रही थी.
मुझे शर्म जरूर आ रही थी लेकिन मैं उस दिन सब कुछ करने को उतारू थी. जैसे ही अंकल ने मेरी पेंटी उतारी उनके चेहरा तो जैसे खिल गया. वो सब छोड़ के उस जगह को निहार रहे थे. मैं बड़े गौर से उन्हें देख रही थी कि अचानक वो मेरे वहां पे अपने नाक से सूंघने लगे और आँख बंद करके ऐसे उसका मजा ले रहे थे मानो जैसे गुलाब की खुशबु ले रहे हो.
उनके इस एक्शन ने मुझमे कामुकता की एक लहर सी दौड़ा दी. और अब अंकल ने मेरे वेजाईना को जीभ से चाटना शुरू किया जिसमे मुझे अमेजिंग फीलिंग हुई. अब अंकल इन्सर्ट करने के लिए तैयार हो रहे थे तो उससे पहले उन्होंने मेरे को एक प्यारा सा लिप किश किया और बोला “पिंकी जरा सा दर्द होगा घबराओगी तो नहीं?”
मेरे लिए सेक्स बिलकुल नयी चीज़ थी सो मैं क्या बोलू समझ नहीं आया लेकिन एक लड़की होने के कारण विरासत में मिले कुछ गुण होते हैं जो अपने आप हमसे कुछ कराते हैं. मैं अपनी स्वीकृति देने के लिए उठी और उनसे लिपट गयी. मैं अंकल से बोली “लेकिन अंकल ये तो बहुत बड़ा है ये कैसे…..?”
अंकल ने जवाब दिया “सब चला जायेगा तुम देख तो सही”. थोड़ी ही देर में अंकल ने उसे मेरे शरीर में घुसना शुरू किया मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे प्राण ही निकल जायेंगे. करीब 3-4 में अंकल ने उसे धीरे-2 कर के आधे से ज्यादा अंदर कर दिया. मैं दर्द के कारण कांप रही थी. लेकिन कुछ ही देर में वो दर्द एक मीठे से एहसास में बदल गया. कुछ देर तक वो धीरे धीरे धक्के देते रहे लेकिन फिर उन्होंने फ्रीक्वेंसी बढ़ा दी.
और मैं तो उनके झटको से पूरी की पूरी हिल रही थी. उन झटको में हम दोनों सारी दुनिया भूल चुके थे. उस समय मुझे केवल अंकल ही दिखाई दे रहे थे और कोई चीज़ मेरे दिमाग में नहीं थी. कि अचानक अंकल ने अपने दोनों हाथों में मेरे बूब्स थाम लिए और सर को जरा पीछे करते हुए लास्ट के तेज़ झटके मारने लगे. अंकल एक सड़क छाप कुत्ते की तरह मेरे ऊपर कूदे जा रहे थे. इस वक़्त उनके झटको की रफ़्तार सबसे तेज़ थी कि अचानक ही उनके झटको को ब्रेक लगा गया.
और अपने अंदर पहुंचे हुए अंकल के ऑर्गन से मुझे अपने अंदर कुछ निकलता हुआ महसूस हुआ. ऐसा लग रहा था जैसे शुरू में अंदर घुसते हुए उसने जो जख्म बनाया था अब वो उसपे मरहम लगा रहा हो. बस धीरे से मेरे कान में अंकल ने कहा “पिंकी तू बहुत अच्छी हो” और मेरे बगल में लेट गए. थोड़ी देर में बातों बातों में उन्होंने बताया की उन्होंने लास्ट 14 सालों से सेक्स नहीं किया. उनकी आँखों में जो सैटिस्फैक्शन मुझे दिखा वो देख के मुझे अपने काम पे जरा भी गिल्ट फील नहीं हुआ.
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