ये मेरी पहली देहाती सेक्स स्टोरी है जो मैं आपको सुना रही हूँ. मेरा छोटा भाई जिसे मैं प्यार से मीनू मीनू कहती थी मेरा सबसे अच्छा दोस्त था. बचपन में हम साथ पढ़ते और साथ खेलते थे. धीरे धीरे हम दोनों बड़े हो गये. मैं भी १८ साल की जवान लडकी हो गयी. मैं बहुत सुंदर थी. Didi Ka Doodh Piya
जब मैं जवान हुई तो मेरी छातियाँ बड़ी बड़ी गोल गोल उभर आई और मीठे रस से भर गयी. इस रस को पाने और पीने के लिए कितने ही लडके बेक़रार थे. अपनी लडकी को जवान होते देख पापा को मेरी शादी की परवाह होने लगी. पर पापा दिल के मरीज थे. जादा भाग दौड़ वो कर नही पाते थे.
उनके दिल की धड़कन बढ़ जाती थी. इसलिए अब मेरा छोटा भाई मीनू पर ही मेरी शादी ढूंढने की जिम्मेवारी थी. अब मीनू हर हफ्ते मेरे लिए सही लड़का ढूंढने जाने लगा. पर एक सही लकड़ा ढूँढना इतना भी आसान नही था. बेचारा मीनू ४ साल तक यहाँ वहां जाकर लड़का ढूंढ़ता रहा तब जाकर लड़का मिला.
मीनू ने ही पूरी शादी निपटाई. हलवाई, टेंट, दहेज़ की शौपिंग सारी भागदौड़ मीनू ने ही की. बड़ी भागदौड़ की उसने. मेरी शादी हो गयी. सब कुछ अच्छे से चल रहा था. पर २ साल बाद ही मेरे पति गुजर गये. मेरी सास ने मुझे चुड़ैल, डायन बताकर घर से निकाल दिया. मैं वापिस घर आ गयी. मैं बहुत दुखी थी. मैं बस सारा दिन दरवाजे पर बैठी रहती और रोती रहती.
मेरे प्यारे भाई मीनू ने कितनी मेहनत करके मेरी शादी की थी, अब मैं फिर से अपने घर वापिस लौट आई थी. मैं खुद को घर पर बोझ मानने लगी थी. एक दिन मैंने बाथरूम में फिनायल पीकर जान देने की कोशिश की. एन मौके पर मीनू आ गया और उसने मेरे हाथ से फिनायल की बोतल छीन ली.
ये क्या कर रही हो दीदी?? तुम्हारा दिमाग ख़राब हो गया है क्या?? मीनू ने मुझे एक जोर का झापड़ मारा.
मैं मरना चाहती हूँ !! मैं मरना चाहती हूँ!! मैं तुम लोगों पर बोझ नही बनना चाहती!! मैं बोली और फूट फूट कर रोने लगी.
दीदी! तुम मेरी बड़ी दीदी हो! तुम मेरी सगी बहन हो! क्या कभी बहन भाई के लिए बोझ हो सकती है?? मीनू बोला और उसने मुझे गले से लगा लिया. “Didi Ka Doodh Piya”
बहुत देर तक मैं अपने भाई मीनू से गले लगकर रोती रही. अगर आज वो मुझे नही रोक लेता तो मैं जहर पीकर अपनी इहलीला आज समाप्त कर लेती. मैं मीनू की बातों को ध्यान से सुना और किसी तरह खुद को सम्हाला. मैं मन ही मन अपनी छोटे भाई की और जादा इज्जत , उससे और जादा प्यार करने लगी.
मैंने मन ही मन सोच लिया की मैं मीनू के किसी तरह से काम आ सकूं. अब मैं उसके सारे काम करने लगी, मीनू के कपड़े साफ करती, उसके कमरे में पोछा मारती, उसके कपड़ों को प्रेस करती, उसके जूते पोलिश करती. दोस्तों, एक दिन मीनू शाम के ९ बजे अपने कमरे में था. मैं उसके लिए खाना ले गयी थी, जैसे मैं अंदर गयी देखा मीनू मुठ मार रहा था.
दीदी??? वो बेहद डर गया और हाथ से अपना लौड़ा छुपाने लगा.
मैं तुरंत खाना रखकर भाग आई. कुछ दिने बीते तो मैंने मीनू से बात की.
‘भाई! तुम मुठ मत मारा करो. इससे तुम्हारा लौड़ा कमजोर हो जाएगा. तुम चाहो तो मेरी चूत मार लिया करो’ मैंने उससे कहा.
पर दीदी?? वो चौककर बोला.
हाँ! भाई, मैं बस तुम्हारे काम आना चाहती हूँ!!’ मैंने कहा.
धीरे धीरे हम भाई बहन में सेटिंग हो गयी. मैं जब नहाने जाती मीनू को इशारा करती की नहाने जा रही हूँ. आना है तो आ जाना. वो आ जाता. वो मुझसे सिर्फ १ साल छोटा था. हम दोनों खूब चुम्मा चाटी करते. धीरे धीरे हम दोनों प्रेमी प्रेमिक की तरह रहने लगा. एक दिन मीनू का मेरी बुर मारने का बड़ा मन था. “Didi Ka Doodh Piya”
दीदी !! चूत दो ना प्लीस. कितने दिन हो गये कोई चूत नही मारी! वो बोला.
लो भाई! मेरे चूत को तुम अपनी ही समझो’ मैंने कहा.
मैं भी चुदवाना चाहती थी. हम दोनों बाथरूम में आकर नहाने लगे. मैंने अपनी कमीज उतार दी. फिर मैंने अपनी ब्रा भी निकाल दी. मेरा भाई मीनू मेरी छातियाँ देखकर पागल हो गया. उसने मुझे गले से लगा लिया और मेरी छातियाँ को हाथ में लेकर दबाने लगा. हम दोनों भाई बहन बथरूम में जमीन पर लेट गये.
मीनू मेरे मम्मे देखकर दंग रह गया. ‘दीदी! तुम्हारे मम्मे कितने बड़े कितने सुंदर है??’ वो आश्चर्य से बोला. ‘पी ले भाई! मेरे मम्मे अब तेरे ही है! पी ले भाई!’ मैंने कहा. मीनू अब खूब मजे से हाथ से दबा दबाकर मेरे बूब्स पिने लगा. मेरी रसभरी बड़ी बड़ी छातियों को उसने मुँह में भर लिया. और मजे से पीने लगा.
मुझे भी बड़ी मौज आ रही थी. मीनू दांत से चबा चबाकर मेरे मम्मे पीने लगा. मुझे भी उसको अपनी गोरी गोरी मुलायम छातियाँ पीने में बड़ा मजा आ रहा था. भाई बड़े मजे से मेरे दूध पी रहा था. कुछ देर बाद मीनू ने मेरी सलवार का नारा खिंच दिया. वो मुझे गहरी नजरों से घूर रहा था.
मैं जान गयी थी की अब क्या होने वाला है. मैं जान गयी थी की भाई अब मुझे चोदने वाला था. मैंने कुछ नही कहा. मैं अपने होंठों को जल्दी जल्दी चबाने लगी. मीनू जान गया की मैं भी चुदासी हूँ और उनके लम्बे से लौड़े की दासी बनना चाहती हूँ. मीनू ने जब मेरी सलवार खोली तो मेरे पेडू को कुछ देर तक वो सहलाता रहा. “Didi Ka Doodh Piya”
फिर वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगा. सायद अंदाजा लगा रहा की हो बहना की चूत कैसी होगी, कितनी सुंदर होगी. मैंने इस दौरान अपनी आँखें बंद कर ली. कुछ देर बाद भाई ने मेरी पैंटी में हाथ डाल दिया. मैंने कुछ देर पहले ही अपनी झांटे साफ़ की थी. क्यूंकि मैं जानती थी की भाई अब जवान हो गया है. उसको बुर की तलाश है.
मैं ये बात जानती थी. मीनू का हाथ मेरी पैंटी में घुसा हुआ था, उसकी उँगलियाँ मेरी मुलायम चूत पर यहाँ वहां फिसल रही थी. कुछ देर तक मीनू मेरी चूत को सहलाता रहा. फिर वो नीचे बढ़ गया और मेरी चूत का छेद ढूंढने लगा. मैं भी चाहती थी की भाई मुझे चोदे. तो मैंने भी अपने दोनों पैर खोल दिए.
कुछ ही सेकेंड में मीनू को मेरी चूत का छेद मिल गया. उसने अपनी ऊँगली मेरे भोसड़े में डाल दी. मुझे हल्का दर्द हुआ. मीनू ने अपनी ऊँगली निकाली और उसपर खूब सारा थूक दिया. उसने फिर से अपनी थूक से सनी ऊँगली मेरी बुर में पेल दी. इस बार मुझे कम दर्द हुआ क्यूंकि ऊँगली गीली थी.
मेरा भाई मीनू मेरी चूत फेटने लगा, बड़ी जल्दी जल्दी मेरी बुर में ऊँगली चलाने लगा. मैं तो गर्म गर्म सिसकरी चोदने लगी. मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी. पर अब भाई पर तो कामदेव सवार हो चुके थे. मैं चाहकर भी उसको रोक नही सकती थी. मीनू का हाथ मेरी लाल रंग की पैंटी में घुसा था. “Didi Ka Doodh Piya”
वो मेरी चूत फेट रहा था. बड़ा मजा आ रहा था दोस्तों. मैं जन्नत के मजे ले रही थी दोस्तों. कुछ देर बाद भाई थक गया था. उसने हाथ निकाल लिया. उसने अब दूसरा हाथ मेरी पैंटी में डाला और मेरे भोसड़े में डाल दिया और फेटने लगा. उस दिन तो भाई ने रिकॉर्ड ही बना दिया था. घन्टों मेरी चूत उसने अपनी उँगलियों से फेटी. फिर मुझे पूर्ण रूप से उसने बाथरूम में नंगा कर दिया.
भाई !! जिस तरह तुम मुझको चोद रहे हो, बिलकुल वैसे ही तुम्हारे जीजा जी मुझको चोदते खाते थे’ मैंने कहा.
मीनू हस दिया. उसने अपने कपड़े निकाल दिया. बाथरूम में मेरे उपर लेट गया. मेरी दोनों टांगें उसने खोल दी. मेरी बुर में मीनू ने अपना बड़ा सा लौड़ा घुसा दीया. भाई का लौड़ा इतना बड़ा है, मैं नही जानती थी. मीनू अब मुझको चोद खा रहा था. मैं अपने सगे भाई से चुद रही थी. भाई मुझको चोद खा रहा था. “Didi Ka Doodh Piya”
मेरी रस भरी छातियों को वो आटे की तरह अपने हाथ से दबा दबा के गूथ रहा था. मुझे बड़ी मौज आ रही थी. कुछ देर बाद मीनू सचिन तेंदुलकर की तरह शानदार चौके चक्के जड़ने लगा. खप खप करके मुझे भाई बड़ी जल्दी जल्दी चोदने लगा. मैं आनंद के समुनदर में डूब गयी.
मीनू के जोरदार धक्कों से मेरी चूचियां लपर लपर करके स्लो मोशन में हिलने लगा. वो मेरी बड़ी शानदार ठुकाई कर रहा था. मेरे स्वर्गवासी पति जो मुझे दिन रात पेलते खाते थे, मीनू उसने भी जादा शानदार तरह से मुझे चोद रहा था. अपनी कमर जल्दी जल्दी वो मेरी चूत पर चला रहा था मुझे थोक रहा था. “Didi Ka Doodh Piya”
उस दिन दोस्तों, छोटे भाई ने मेरी बाथरूम में शानदार चुदाई की. फिर हम दोनों ने नहाया. पहले जहाँ मैं एक विधवा की तरह सदैव घर की चौखट पर उदास होकर बैठी रहती थी. अब मैं डिप्रेसन से बाहर आ गयी थी. मैंने मन ही मन अपने भाई मीनू को अपना पति मान लिया था.
जब रात में मम्मी पापा सोये रहते थे, मैं चुपके से भाई के कमरे में पलायन कर जाती थी. मीनू मुझे खूब चोदता था. ऐसी ही एक बात मैं अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी. फिर भाई से चुदवाने का जिया करने लग. मैं तुरंत मीनू के कमरे में रात में चली गयी. वो बेचारा चादर तानके सो रहा था.
मीनू!! भाई उठो! मैंने कहा.
मीनू आँख मींजकर उठा. क्या है दीदी ?? उसने पूछा.
भाई मेरी चूत को लौड़े की बड़ी तलब लगी है. प्लीस मुझे चोदो भाई! मुझे चोद चोदकर मेरी बुर की गर्मी को शांत कर दो!! मैंने भाई से कहा. मीनू कुछ देर तक वो आँखें ही मलता रहा. पर जैसी ही मैंने अपनी सलवार कमीज उतारी. जैसे ही मैं नंगी हुई मेरे भाई मीनू की सारी नींद छूमंतर हो गयी.
आओ दीदी मेरी बिस्तर पर लेटो!! यही तुमको चोदूगा. यही तुम्हारी चूत की गर्मी शांत करूँगा!! भाई बोला.
मैं चड्ढी उतारकर भाई के बिस्तर पर लेट गयी. मीनू ने अपना लम्बा सा लौड़े मेरे भोसड़े में डाल दिया. मेरे पैर खोल दिए. किसी खिलोने की तरह मुझको चोदने लगा. उसकी नजरें सिर्फ और सिर्फ मेरी बुर पर टिकी थी. वो कहीं और नही देख रहा था. गच्च गच करके वो मुझे ठोक रहा था.
मैं एक विधवा औरत थी. पति नही थे. पर छोटे भाई की कृपा से मुझे कोई खेद नही था. क्यूंकि मेरे गहरे भोसड़े के लिए लौड़े का इंतजाम तो भाई ने कर ही दिया था. इसलिए मुझे उपरवाले से अब कोई सिकायत नही थी. पति का लौड़ा नही तो भाई का लौड़ा ही सही. मेरा भाई मीनू मुझे गप गप करके पेल खा रहा था. “Didi Ka Doodh Piya”
वो मेरे गोरे गोरे गाल, नाक, गले को दांत से काट काटकर मुझे और उत्तेजित करके चोद खा रहा था. कुछ देर बाद भाई मेरे भोसड़े में ही झड गया. वो मुझे सीने से लगाकर मेरे बगल ही लेट गया.
मीनू ने मुझे बाहों में भर लिया. मेरे गोरे गोरे मलाई जैसे मम्मे भाई पीने लगा. मुझे बड़ी मौज आ रही थी. कुछ देर बाद उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया.
‘दीदी!! पैर खोल! तुमको और खाऊंगा! अभी एक बार में कुछ मजा नही आया’ मीनू बोला.
मैं भी और ठुकवाना चाहती थी. मीनू ने अपना लम्बा काला लौड़ा मेरे भोसड़े में फिर डाल दिया और मुझे गच हच करके पेलने लगा. दोस्तों, उस रात तो मौज आ गयी.
मीनू ने मुझे एक भी पकड़ा न पहेनने दिया. पूरी रात उसने मुझे नंगा ही रखा और कुलमिलाकर ६ बार मुझे पेला खाया. इतनी शानदार ठुकाई तो मेरे स्वर्गवासी पति ने भी की थी. वो मुझे बस ३ बार ही रात में ले पाते थे. पर मीनू अभी बिलकुल जवान था. उसका स्टैमिना जादा था. दोस्तों, मैं अपने भाई मीनू से अब पूरी तरह से फस गयी थी. जब भी मुझे लौड़े की तलब होती थी, भाई से जाकर बोल देती थी ‘भाई !! मुझे लौड़े की तलब लगी है! मुझे चोदो!! मैं मीनू से कहती थी. “Didi Ka Doodh Piya”
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