माँ के मुंह को लंड के वीर्य से भरा 2

हेल्लो दोस्तों मैं आपका दुष्यंत, आप सब का फिर से स्वागत करता हूँ, मित्रों आपने मेरी कहानी के पिछले भाग माँ के मुंह को लंड के वीर्य से भरा 1 में पढ़ा होगा कि कैसे मैंने माँ को नींद की गोली के बजाय विटामिन की गोली खिला कर उनके मुंह की चुदाई की और ये बात माँ को पता थी पर वो नाटक करते हुए अपनी चुदाई का मजा लेती रही अब आगे – School Girl Blowjob

जब मेरे लण्ड ने पूरी पिचकरी छोड़ दी तब मैंने मां का चेहरा देखा उनकी आंखें खुली हुई थी। वह मुझे देख रही थी और मेरा लण्ड अभी भी उनके मुंह में ही था। मेरा लगभग सारा वीर्य वो गटक चुकी थी पर कुछ वीर्य की बूंदे उनके गालों पर बह रही थी।

मैंने मुस्कुराते वो हमसे कहा “मजा आया मा.”

मां ने कुछ बोलने के लिए मुंह खुला तो मैंने झट से उनके गालों पर लगे हुए वीर्य को उनके मुंह में डाल दिया।

मैंने कहा “मां इसे वेस्ट मत करो बड़ी मेहनत से निकाला है.”

मा उस बचे हुए वीर्य को भी पी जाती है।

मां “यह क्या किया तूने मेरे साथ.”

फिर मैंने कहा “प्यार किया है मां.”

मां बनावटी गुस्से से” शर्म नहीं आती तुझे ऐसा कोई अपनी मां के साथ करता है क्या?”

मैं ” बिल्कुल मां, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं। और प्यार कभी उम्र,रिश्ते- नाते, मान मर्यादा, समाज की ऊंच-नीच को नहीं मानता।”

मां “मैं भी तुझसे प्यार करती हूं बेटा पर जो तूने किया वह पाप है.”

मैं” नहीं मां मैंने कोई पाप नहीं किया। मैंने तो सिर्फ तुमसे प्यार किया और अपने प्यार की निशानी आपके मुंह में दिया.”

मेरा यह जवाब सुनकर मां के बनावटी गुस्से वाले चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। अभी भी हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे और मां लेटी हुई थी, मैं उनके पास बैठा हुआ था।

मैंने कहा “मां मुझे पता है कि आप नींद में नहीं थी और आपने हमारी चुदाई का पूरा मजा लिया.”

यह पहली बार था जब मां जाग रही थी और मैंने चुदाई शब्द का यूज किया था। मैं अब उन्हें और ओपन करना चाहता था ताकि उनकी बची कुची शर्म खत्म हो जाए।

मां” क्या कहा तूने?”

मैं “मुझे तो यह भी है जब मैंने दोपहर में आपके मुंह अपना मोटा लण्ड डालकर ठुकाई की थी उस समय भी आप जाग रहे थी.”

मां “तू बहुत कमीना है.”

मैं ” तो आप कुछ कम थोड़ी ना हो, मेरा नाम ले कर के अपनी चुत में ककड़ी डालती हो और वही ककड़ी मुझे खिला देती हो। मुझ में एक कामवासना आप से विरासत में मिली है.”

मां “हाय राम, तूने सब देख लिया था क्या.”

मैं “हां, इसलिए मैं तुम्हारे चुत की खुजली मिटाना चाहता था। सच बोलो मां आपको संतुष्टि हुई या नहीं.”

मां “हां बेटा, आज बहुत दिनों के बाद मुझे शांति मिली, पर तेरा लण्ड बहुत ही बड़ा और मोटा है बहुत ही कम लोगों का ऐसा होता है.”

मैं” आपकी गांड भी तो बहुत बड़ी और सेक्सी है, मैं तो आपकी मोटी गांड को देखते ही पागल हो गया था और तभी से आपकी गांड में लण्ड डालने के बारे में सोच रहा था.”

मां” हरामजादे, लण्ड डालने का मन कर रहा था या मेरी गांड फाड़ने का मन कर रहा था। बड़ी बेदर्दी से तूने मेरी गांड मारी है। अभी भी दर्द हो रहा है पर मजा भी बहुत आया।”

फिर मैंने मां से सवाल किया “मां, मैं एक बात बोलूं बुरा तो नहीं मानोगी.”

मां “तूने मेरी इतनी घमासान चुदाई कर ली तब मैंने बुरा नहीं माना तो तेरी बात का कैसे मानूंगी, चल बोल.”

मैं” मां जब मैंने आपके मुंह में लण्ड डाला था तो मेरे ख्याल से वह आपके गले के नीचे तक चला गया था, फिर भी आप उसे झेल गई। आप बड़ी माहिर खिलाड़ी लगती हैं लण्ड चूसने में। और तो और आप पूरा वीर्य पी गई, आप तो मुझे पूरी एक्सपर्ट लग रही हैं। कितनी बार लण्ड चूसने का एक्सपीरियंस है आपको.”

मां ” हरामजादे, मैं समझ गई। तुम मुझसे यह नहीं पूछ रहा कि मैंने कितनी बार लण्ड चूसा है तु मुझसे यह पूछना चाहता है कि मैंने कितनों का लण्ड चूसा है।”

मैं ” मां तुम तो बड़े समझदार निकली, चलो बता ही दो कितनों का चूसी हो और पहली बार किसका और कब चूसा था.”

मां ” कितनों का तो याद नहीं पर हां शायद 30-40 लण्ड तो चूसे होंगे मैंने.”

मैं ” पहली बार है याद है या नहीं.”

मां “पहला सेक्स अनुभव कोई भी जीवन में नहीं भूल सकता। मैं तब हिमांशी की उम्र की थी जब मेरे पड़ोस वाले भैया ने मुझे अपना अपने लण्ड को चुसाया था।”

मैं अपने लण्ड मसलते हुए ” मां का पूरा डिटेल में बताओ ना कैसे हुआ था.”

मां” मेरे पड़ोस में वेद भैया रहते थे वैसे तो उनका नाम वेदप्रकाश था पर सब उन्हें वेद ही बुलाते थे.”

कहानी मां की जुबानी।

मुझे फ्रूट खाने का बहुत शौक था पर मेरे पिताजी ज्यादातर खेतों में ही काम करते थे और बाजार कम जाया करते थे। वेद का परिवार हमारे पड़ोस में ही रहता था उनके और मेरे परिवार के बीच में पारिवारिक रिश्ता जैसा था।

तो अक्सर शाम को उनके घर जाया करती थी क्योंकि उस समय अंकल शहर से फ्रूट लेकर आते थे। जो मुझे मिलते नहीं थे घर पर। अंकल हमेशा मुझे कुछ ना कुछ दे देते थे। पर यह बात वेद भैया को पसंद नहीं थी। एक दिन दोपहर का समय था और मेरे माता पिता खाना खाकर कमरे में सो रहे थे।

मुझे अपने घर के पिछवाड़े किसी के आहट सुनाई दी। इतनी धूप मैं जल्दी कोई घर से बाहर नहीं निकलता। मैंने पीछे जाकर देखा तो पाया वेद भैया मम्मी की चड्ढी को अपने लण्ड पर लपेटकर मुठिया मार रहे थे। मुझे देखते ही वह हड़बड़ा गया। और तुरंत अपना लण्ड अपने पैजामा में डालकर मेरी मम्मी की चड्ढी सूखने के लिए तार पर डाल दिया।

मेरे पास आकर बोला ” यह बात किसी को मत बताना.”

मैं बोली” मैं तो बता दूंगी.”

तब उसने अपनी जेब से एक चॉकलेट निकाल कर मुझे दी और कहा “अब नहीं बोलेगी ना.”

मैंने ना में सिर हिला दिया।

उसके दूसरे दिन दोपहर में मैं फिर से घर के पिछवाड़े गई। पर आज वेद भैया नजर नहीं आए। मैंने उनका इंतजार किया। करीब आधे घंटे के बाद मैंने वेद भैया को आते देखा पर आज उनके हाथ में एक केला था।

मेरे पास आए और बोले” केला खाएगी?”

मैंने हां में सिर हिला दिया। भैया बोले ” अगर तुझे यह केला खाना है तो तुझे मेरा केला चूसना पड़ेगा.”

मैंने पूछा “आपका कौन सा केला?”

जैसे ही मैंने पूछा भैया ने अपने पजामे का नाडा खोला और अपना लण्ड निकाल के मुझे दिखाते हुए कहा “यह वाला.”

मैंने कहा ” यह तो आप की नुन्नी है.”

तब उन्होंने हंसते हुए कहा “इसे लण्ड कहते हैं, नुन्नी छोटे बच्चों की होती है.”

अरे हां उनका लण्ड एकदम काला था और उनका सुपाड़ा चमड़ी के अंदर था। जैसे ही उन्होंने चमड़ी हटाई उनका लाल सुपाड़ा टमाटर की तरह दिख रहा था। अब उन्होंने मुझे अपने पास आने का इशारा किया। मैं चुपचाप उनके पास चली गई फिर उन्होंने वह केला मुझे पकड़ा दिया। मैंने केला ले लिया।

भैया बोले “चल इसे पकड़” अपना लण्ड मेरे मुंह के पास ले आया।

मेरे एक हाथ में केला था तो मैंने दूसरे हाथ से उनका पकड़ा। लण्ड इतना मोटा था कि वह मेरे हाथ की मुट्ठी में नहीं समा रहा था।

फिर वह बोले” चल अब मुंह खोल और इसे लॉलीपॉप की तरह चूस.”

मैंने मुँह खोलकर लंड मुँह में डाला पर सिर्फ सुपाड़ा ही जा पाया और मेरा मुँह भर गया। मै सिर्फ उनका सूपड़ा चूसने लगी। तभी उन्होंने कहा पूरा मुँह में लेकर चुसो।

मैंने कहा पूरा नहीं जायेगा।

फिर वो बोले” ठीक है, पूरा लंड चाट अपनी जीभ से.”

मै जीभ से उनका लंड ऊपर सेकर नीचे तक चाटने लगी। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था। करीब आधे घंटे चाटने के बाद मैंने कहा मै थक गयी हु।

तब उन्होंने कहा “ठीक है तू कुछ मत कर सिर्फ मुँह खोलकर खड़ी रह.”

उन्होंने फिर से लंड मेरे मुँह में डाल दिया पर इस बार उन्होंने मुझे पकड़ने के लिए नहीं कहा बल्कि मेरे सर पकड़कर रखा सिर्फ सुपाड़ा ही मेरे मुँह में था फिर वो धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बहार करने लगे। मतलब मेरे मुँह से बहार निकलते और अंदर डालते।

कुछ देर के बाद अब वो सिर्फ थोड़ा सा ही निकालते मेरे मुँह में लंड हर धक्को में रहता ही था। अचानक से उन्होंने ने धक्को के स्पीड बढ़ा दी जिससे से उनका लंड मेरे गले को टकराने लगा। मै उन्हें मन करने के लिए बोल रही थी पर मेरे मुँह में लंड होने के कारन सिर्फ गूऊऊऊ गूऊऊऊ की आवाज ही निकल रही थी।

तभी उन्होंने एक जोर का झटका मारा और मेरे सर को अपने लंड पारा जोर से दबाया। उनका लंड मेरे हलक के निचे उतर गया था। और वो झाड़ गए उनका सारा वीर्य सीधा मेरे पेट में गया। फिर उन्होंने अपना लंड बाहर निकला कुछ वीर्य मेरे मुँह में था जो लंड के बहार एते ही बहार आ गया।

मुझे जोर की खासी आयी। मै खांसने लगी। जब मै नार्मल हुई तो देखा भैया अभी भी अपना लंड पकड़ कर खड़े है। वो मेरे पास आये और गाल से वीर्य पोछ कर मेर मुँह में डाल दिया बोले पूरा पि जा। जब मै वो पि गयी तो बोले चल अब इसे चाट चाट कर साफ़ कर। लंड के किनारे में भी कोछह वीर्य लगा था जो मैंने चाट चाट कर साफ़ किया।

फिर ये हमारा डेली का रूटीन हो गया था। वो हर दोपहर में कुछ न कुछ मुझे खिलाते और अपना लंड मुझे चुसाते। हम बिस्तर पर नंगे लेते हुवे थे। माँ की कहानी सुनकर मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। माँ उसे देख कर बोली “तेरा केला मेरे केले वाली कहानी सुनकर फिर से खड़ा हो गया। अब फिर से इसे शांत करना पड़ेगा।”

मैंने कहा “माँ इसे आप इस बार मुँह में लेकर ही शांत करो जैसे वेद अंकल का लिया था। क्यों बिलकुल उनके जैसा है ना ये.”

माँ ” तेरा लण्ड तो वेद भैया के लण्ड से भी मोटा है और बड़ा है।”

मै “पर माँ लण्ड बड़ा और मोटा हो तभी तो मजा आता है, अगर आपको पहली बार मेरे जैसा लण्ड मिलता तो ज्यादा मजा आता ना।”

माँ मेरे लण्ड को हाथो से सहलाते हुवे ” तेरा लण्ड तो सही में जबरजस्त है, पर उस समय मै वेद भाई का लण्ड ही मुश्किल से मुँह में ले पा रही थी तो तेरे जैसा कैसे ले पाती.”

फिर माँ मेरे पैरो के बीच में आ गयी। और उन्होंने मेरे लण्ड के सुपाड़े को प्यार से चूमा और कहा ” ये तो असल में मर्दाना लण्ड है.”

और मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चूमने और चाटने लगी, बीच- बीच में वो मेरे अंडो को भी चूसती थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था, माँ सच में एक बेहतरीन खिलाड़ी थी। उन्हें पता है की मर्द को कैसे खुश किया जाता है।

माँ ने कहा ” बेटा, मजा आ रहा है ना”।

मैंने कहा ” हाँ माँ बहुत मजा आ रहा है आप बहुत अच्छी हो,आय लव यू.”

माँ ” अभी और मजा आएगा बेटा.”

यह कहकर माँ ने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी वो लण्ड को मुँह में गले तक ले जाती फिर बहार निकालती। मै तो जन्नत की सैर कर रहा था। वो लण्ड को ५ इंच तक मुँह के अंदर ले जाती फिर बाहर निकलती फिर उतना ही अंदर लेती।

मेरा पूरा लण्ड उनको थूक से भीग गया था। करीब १५ मिनट तक उन्होंने मेरे लण्ड को ऐसे ही चूसा। उनके इस एक्शन से मुझे लगा की मै झड़ जाऊंगा। मै एक बार फिर से पूरा लण्ड उनके मुँह में देना चाहता था।

मैंने उनसे कहा ” माँ पूरा लो ना.”

उन्होंने कहा ” तूने कल बड़ी बेदर्दी मेरे मुँह में अपना पूरा लण्ड घुसाया था, चल आज मै ट्राय करती हु.”

यह कहकर उन्होंने पूरी ताकत से मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेना चाहा पर सिर्फ ६ इंच तक ही वो ले पायी १ इंच बाहर ही रह गया। फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाला, वो हाफने लगी थी। शायद लण्ड उनके गले तक चला गया था।

उन्होंने कहा ” बहुत मुश्किल है.”

मैंने कहा ” माँ मुश्किल है नामुमकिन नहीं , चलों फिर से ट्राय करो मै हेल्प करूँगा.”

फिर उन्होंने लम्बी सांस ली और लण्ड मुँह में लिया। इस बार मैंने उनका सर पूरी ताकत से दबा दिया और नीचे से भी लण्ड को झटका दिया। और लण्ड पूरा उनके गले के नीचे उतर गया। मै कुछ सेकंड ऐसे ही रुका फिर उन्हें छोड़ा। अब की बार माँ खांसने लगी और जोर जोर से साँसे लेने लगी।

जैसे ही वो थोड़ी नार्मल हुयी तो मैंने उन्हें इशारा किया लण्ड मुँह में लेने का। वे अपना मुँह खोलकर लण्ड लेने के लिए झुकी तो मैंने उनका सर पकड़कर लण्ड पेल दिया सीधा जड़ तक। मेरे इस हमले से वो पूरा हिल गयी।

मैंने उनके सर को थोड़ा ऊपर उठाया जिससे मेरा लण्ड उनके गले से निकलकर मुँह तक आ गया फिर मैंने उनके सर को जोर से दबा दिया और लण्ड उनके गले के नीचे उतार दिया। ऐसे ही ४ धक्को के बाद मेरा पानी निकल गया और सीधा माँ के गले के नीचे चला गया। जैसे ही मैंने अपना लण्ड निकाला माँ उठ बैठी और हाफने लगी। माँ की हालत बहुत खराब हो गयी थी। जब उनकी सांस नार्मल हुयी तो उनहोने कहा ” माधरचोद, बड़ा बेरहम है तू.”

मै हसने लगा।

माँ मुझे गालिया दे रही थी।

माँ ” हस रहा है, हरामजादे, मेरी सांस रुक जाती तो।”

मै ” सॉरी माँ.”

माँ” बहनचोद, पहले हालत ख़राब करता है फिर सॉरी बोलता है.”

मैंने मुस्कुराकर कहा ” माँ अभी तो मै सिर्फ माधरचोद बना हु , बहनचोद बनना अभी बाकि है.”

माँ” साले तेरी नजर दिशा पर भी है। कितना बड़ा कमीना है तू ” यह बोलकर वो हँसाने लगी. (दिशा मेरी बेहेन का नाम है.)

मुझे माँ के मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उन्हें कहा आपके मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा गाली देकर सेक्स करने में बहुत मजा आता है। मैंने उन्हें कहा आपके मुँह से गालिया सुनना बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा गाली देकर सेक्स करने में बहुत मजा आता है। जब मैंने घडी की तरफ देखा तो रात के १ बज रहे थे।

मैंने माँ से कहा ” माँ चलो अब सो जाते है बहुत रात हो गयी है.”

माँ “ठीक है, मेरी पेंटी और ब्रा कहा है.”

मैंने कहा “ऐसे ही सो जाओ माँ सुबह दूसरी पहन लेना।”

माँ ने कुछ नहीं कहा सिर्फ मेरी तरफ देखकर नॉटी वाली स्माइल दी। फिर हम दोनों नंगे ही सो गए एक दूसरे से चिपक कर। सुबह मेरी नींद ९ बजे खुली जब मैंने बेड पर देखा तो सिर्फ मै नंगे था और माँ नहीं थी रूम में। मै नंगे ही उठ कर सीधा किचन में गया। वहा माँ नाश्ता बना रही थी। माँ सुबह नाहा धोकर नयी साड़ी पहनी थी।

मै जाकर उनसे चिपक गया और बोलै ” माँ कपडे क्यों पहन लिए.”

माँ बोली ” तो फिर क्या मै नंगे रहु घर में.”

मै ” और नहीं तो क्या , जब तक मै रहुगा हम दोनों घर में नंगे ही रहेंगे.”

तभी डोरबेल बजी।

मैंने गुस्से में कहा ” कौन कम्बख्त आ गया इतनी सुबह अपनी गांड मरवाने.”

माँ हँसने लगी और बोली ” इसलिए कपडे पहनना जरुरी है.”

मै तुरंत अपने कमरे में जाकर कपडे पहनने लगा और माँ ने जाकर दरवाजा खोला। जब मै हाल में आया तो देखा की पड़ोस वाली स्नेहा आंटी आयी हुई है। मैंने उनका हाल चाल पूछा। तभी माँ ने मुझे आवाज लगाईं में कीचन में चला गया।

हां दोस्तों मैं उनका इंट्रोडक्शन दे देता हु। स्नेहा आंटी उम्र 40 साल, चुत्तड़ की गोलाई ३८ और चूची नाप ३६। उनका पति मेरे पिताजी के साथ काम करते थे। उनके और हमारे बीच में परिवार जैसा रिलेशन था।

मै माँ से ” ये आयी है गांड मरवाने, इनकी गांड मारने में तो बहुत मजा आएगा.”

माँ ” हट बदमाश कही का, हमेशा चुदाई ही दिखती है ” और मेरे गाल पर एक प्यार वाली चपत लगा दी.

फिर माँ ने मुझे नाश्ते की ट्रे पकड़ाई और खुद चाय का ट्रे लेकर हाल में आने लगी। हम हाल में बैठकर चाय पीते हुए बात करने लगे।

स्नेहा ” दुष्यंत तुम्हारी जॉब कैसे चल रही है.”

मै ” अच्छी चल रही है.”

सकुन्तला (मेरी माँ)” क्या अच्छी चल रही है हमेशा घर से दूर ही रहता है.”

स्नेहा ” दीदी ,इतनी अच्छी नौकरी नसीबवालों को मिलती है। अपना बेटा पढ़ने में इतनी मेहनत किया तभी उसे मिली है.”

मै ” थैंक यू आंटी.”

स्नेहा” बेटा , तुमसे एक बात करनी थी। वो विवेक सर है ना जो दामिनी को टूशन पढ़ाते थे, उनके दादाजी की डेथ हो गयी है और वो गांव चले गए है। तू घर पर ही है, अगर एकाध घंटे पढ़ा सकता है दामिनी को तो अच्छा रहता.”

दामिनी, उनकी एकलौती बेटी जो १० क्लास में पढ़ती थी और उसके बोर्ड के एग्जाम है। पढ़ने में वो बहुत ही कमजोर है उसके पढाई के लिए पर्सनल टुटर भी रखा है पर फिर भी वो जैसे तैसे पास होती है। और हां विवेक मेरे स्कूल का क्लासमेट था जो १२ के बाद बीएससी करने चला गया (और मै इंजीनियरिंग )वही दामिनी को टूशन पढ़ा रहा था।

मुझे बिलकुल भी उसे पढ़ाने का मन नहीं था, क्युकी उसे पढ़ाने का मतलब है पत्थर पर सर फोड़ना। मै कुछ कहता उससे पहले ही विमला(मेरी माँ) बोल उठी ” पढ़ायेगा , जरूर पढ़ायेगा जितने दिन है एकाध घंटे पढ़ा लिया करेगा और करना ही क्या है इसे.”

मै मन में ” तुम्हारी गांड मारनी है और क्या करना है.”

स्नेहा ” ठीक है बेटा आज दोपहर को आ जाना पढ़ाने.”

मै उदास मन से ” ठीक है आंटी.”

फिर वो चली गयी। उनके जाते ही मैंने माँ से कहा ” तुमने उनको ये क्यों कह दिया मै दामिनी को पढ़ाऊंगा, तुम्हे पता है उसके अकल में भूसा भरा है उसे कुछ समझ में नहीं आता। उसे पढ़ाऊंगा तो मै पागल हो जाउगा.”

तब माँ ने मुझे कहा ” हमारे गांव में कहावत है गाय को काबू में करने के लिए उसके बछड़े ( गाय का बच्चा ) को प्यार करना पड़ता है.”

मै ” क्या मतलब.”

माँ” तुझे अगर स्नेहा की गांड चाहिए तो तुझे दामिनी को पढ़ाना ही होगा” यह कहकर वो हसने लगी।

उनकी कमीनेपन वाली बात सुनकर मेरे अंदर का भी कमीनापन जाग गया और मेरे चहरे पर भी मुस्कान दौड़ गयी। मैं दोपहर को आंटी के घर पर गया। मुझे हॉल में बिठाया अभी दामिनी भी स्कूल से आई और वह स्कूल यूनिफॉर्म में ही थी।

आंटी ने उससे कहा “बेटी आज से दुष्यंत भैया तुझे बनाएंगे जब तक तुम्हारे विवेक सर वापस नहीं आ जाते हैं.”

दामिनी ने कहा ठीक है मां मैं भी हाथ मुंह धोकर आई। दामिनी सांवले रंग की दुबली पतली लड़की है। फिर वह हाथ पैर धोकर स्कूल ड्रेस में ही मेरे पास आकर बैठ गई बोली “भैया, मेरा मैथ बहुत कमजोर है। आज आप मैथ स्टार्ट करो ना.”

मैं मन में” पहले दिन मुझे पागल बनाई गई क्या.”

मैं “मैथ की बुक ओपन करो.”

आंटी “बेटा तुम लोग पढ़ाई करो मैं आराम करती हूं.”

मैंने दामिनी को पढ़ाना शुरू किया। एक सिंपल सा लेसन स्टार्ट किया। जो उसे थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा। फिर मैंने उसे कुछ प्रॉब्लम दिया कॉल करने को और कहा “अगर गलती हुई तो मैं पिटाई भी करूंगा पर आंटी को बताना मत। नहीं तो मैं कल से तुम्हें नहीं पढ़ाऊंगा।”

उसने हां में सर हिलाया। उसे मैंने पहले बहुत सिंपल प्रॉब्लम दिए थे, जिसे उसने सॉल्व कर लिया था। मैंने उसका हल देख कर उसे शाबाशी दी और थोड़े हार्ड प्रॉब्लम उसको दिया। इस बार वह उन्हें सॉल्व नहीं कर पाई। तो मैंने कहा अब तुम्हें मार पड़ेगी तो उसका मुंह लटक गया। और उसने अपने दोनों हाथों में मुट्ठी बांध ली। मुझे पता चल गया की इसकी स्कूल में बहुत पिटाई होती है इसलिए वह अपने हाथ छुपा रही थी।

मैंने उससे कहा “लगता है, तुम्हारे हाथों में बहुत पिटाई हुई है.”

दामिनी ने हां में सिर हिला दिया।

मैंने उससे कहा “मैं तुम्हें हाथों में नहीं दूसरी जगह मारूंगा.”

दामिनी” दूसरी जगह मतलब?”

मैं”तुम्हें पता है डॉक्टर हाथों में सुई लगाता है और जिन्हें वो हाथों में नहीं लगाता तो कहां लगाता है.”

मैंने एक चाल चली थी देखना यह था इसमें दामिनी फसती है या नहीं। उसने कुछ नहीं कहा।

मैं “समझी या नहीं.”

उसने इस बार फिर से हां में सिर हिलाया।

मैं “तो कहां खानी है मार.”

वह मेरे पास आकर झुक गई। मैं खुश हो गया आज कम से कम इसकी गांड थपड़ियाने का मौका मिला है। मेरे आज की ट्यूशन की फीस वसूल हो गई थी। तभी मैंने सोचा अभी अच्छा मौका है इसके चुत और गांड के दर्शन कर सकते हैं।

मैंने उसे कहा” ऐसे नहीं दामिनी, चलो सोफे पर घोड़ी बन जाओ.”

उसने वैसा ही किया। मैं उसके पीछे गया और उसकी स्कर्ट उठा दी। उसने पिंक कलर की फ्लावर वाली पैंटी पहनी थी।

दामिनी बोली “भैया, यह क्या कर रहे हो?”

मैं” डॉक्टर क्या कपड़े के ऊपर से सुई लगाता है?”

फिर उसने कुछ नहीं कहा और सर झुका कर घोड़ी बनी रही। उसका कोई विरोध ना पाकर मैं खुश हो गया। और मैंने उसकी पेंटी उसके घुटनों तक पहुंचा दी अब उसकी गांड मेरे सामने नंगी थी। मुझे उसकी गांड का छेद और चुत दोनों नजर आ रहे थे। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. मैं उसकी गांड निहार ही रहा था तभी दामिनी बोली “भैया, मारियेना। कब तक झुकाकर रखेंगे।”

मैं मन में “जब मैं मारने लगूंगा तब आधे घंटे तक तुम्हें झुकेही रहना पड़ेगा उससे पहले मेरा पानी नहीं निकलेगा.”

मैं दामिनी से “अरे, डंडा नहीं मिल रहा, किससे मारु.”

दामिनी” हाथ से ही मार लीजिए ना, डंडा से अगली बार मारिएगा.”

मै मन में बोला हाथ से नहीं लण्ड से मरूंगा आज तो।

मैं ” अरे हाँ, मेरे पास तो डंडा है 7 इंच का.”

“ऐसे ही झुकी रहो” फिर मैंने लोअर नीचे करके लण्ड निकाला और उसके चुत्तड़ो पर अपने लण्ड से मारने लगा। मेरा मन तो कर रहा था की अभी उसके गांड की छेड़ में लण्ड पेल दू। पर आंटी घर में थी। मुझे अपने आप पर कंट्रोल करना था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसके चुत्तड़ के दोनों गोलाई पर अपने लण्ड से १०-१० बार मारा। मैंने अपना लण्ड फिर से लोवर में डाल लिया और उसे बोला “हो गयी पिटाई तुम्हारी।”

वो मुस्कुराते हुवे बोली ” भइया आपके डंडे में तो दम ही नहीं है , मुझे तो बिलकुल दर्द नहीं हुआ.”

मै मन में ” मेरी जान अगर सही जगह पर मरता मेरे डंडे से तो तुम ठीक से दो दिन तक चल नहीं पाती, तब तुम्हे पता चलता डंडे का दम.”

मै सिर्फ मुस्कुरा कहा ” चलो अच्छा है तुम्हे मेरे डंडे से डर नहीं लगता, पर अगर तुम गलती करोगी तो इसी डंडे से तुम्हे मरूंगा फिर से.”

मैंने उसे थोड़ा और पढ़ाया फिर अपने घर आ गया। घर पर आने के बाद भी मुझे दामिनी की गांड ही नजर आ रही थी। मेरा लण्ड साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। मुझे अपना पानी जल्दी निकालना था और वो भी गांड में। और मेरे पास मरने के लिए सिर्फ माँ की ही गांड थी।

रात का खाना खाने के बाद मैंने माँ से कहा ” माँ जल्दी काम ख़तम करके नंगे ही बेडरूम में आओ अपना राउंड शुरू करना है.”

माँ ” बड़ा बेसब्र हो रहा है तू.”

मैंने उनकी बात का बिना जवाब दिए बैडरूम में चला गया। मैं अपने कपडे निकाल कर नंगा हो गया और नारियल का तेल लेकर लण्ड पर लगाने लगा और लण्ड को हिलाने लगा। जब माँ कमरे में आयी तो वो पूरी नंगी ही थी। जैसा मैंने उनसे कहा था वैसे ही थी।

मेरी ऐसे उतावलेपन को देखर वो बोली ” क्या हो गया है तुझे लण्ड पर तेल लगाकर बैठा है, क्या करने का इरादा है।

“माँ अभी तो तुम्हारी गांड मारनी है जल्दी से घोड़ी बन जाओ।”

माँ बिस्तर पर आयी और घोड़ी बन गयी। मै उनके पीछे गया और उनके गांड के चीड़ में नारियल का तेल लगाया फिर अपना लण्ड उनके टाइट गांड के छेद में रखकर एक जोरदार का शॉट लगाया और पूरा लण्ड सरसराता हुआ जड़ तक उनकी गांड में घुसा दिया।

माँ के मुँह से चीख निकल आयी ” आआह्ह्ह्हह………. मार………. डाला रे ……….गांड फाड़ दी रे… आराम से कर………. माधरचोद , मै कही भागी थोड़े जा रही हु ……..आआह्ह्ह्हह.”

मैंने उनकी बात सुनकर अनसुनी कर दी और तेज -तेज धक्के लगाने लगा।

” हरामजादे………. आआह्ह्ह्हह………. मेरी गांड फाड़ डालेगा क्या?”

मै ” हाँ रंडी आज तेरी गांड फाड़ डालूंगा.”

पहली बार मैंने माँ को गाली दी थी पर वो गुस्सा नहीं हुई बल्कि मुझे और गालिया देने लगी। “भड़वे , बहनचोद कल भी इतनी बेदर्दी से नहीं चोदा था जितनी बेदर्दी से आज चोद रहा है.” उनकी गांड बहुत ही टाइट थी, मुझे मजा आ रहा था।

मै ये सोचने लगा की माँ की गांड इतनी टाइट है तो दामिनी की कितनी टाइट होगी। दामिनी की गांड का ख्याल एते ही मेरा जोश और बढ़ा गया और मै बहुत तेज झटके मारने लगा। मै माँ के कमर को पकड़कर पूरा लण्ड निकलता फिर एक ही बार में जड़ तक घुसा देता। मेरे झटको साथ माँ पूरा हिल जा रही थी और उसकी आहे निकलने लगती थी।

माँ मुझे गालिया दे रही थी ” कमीने………. माधरचोद………. जंगली बन गया है क्या… “बहनचोद……आआह्ह्ह्हह…… जानवर बन गया है………… आआह्ह्ह्हह……… तू……… आआह्ह्ह्हह…………….. आराम से………. पेल……आआह्ह्ह्हह.”

मै दामिनी के ख्यालो में माँ की गांड का भुर्ता बना रहा था। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद मै झाड़ गया। मैंने 2-3 झटके और मारकर पूरा माल माँ की गांड में ही निकाल दिया। फिर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाला उनकी गांड के छेद से वीर्य की धार बहने लगी जो उनके चुत तसे होते हुवे बिस्तर पर गिरने लगा। मैंने जैसे उनके कमर को छोड़ा वो बिस्तर पर लुढ़क गयी पेट के बल। मै उनके बगल में जाकर लेट गया।

माँ मेरी तरफ देखकर बोली ” मजा आया बेटा.”

मैंने कहा “हां, और आपको.”

माँ ” मुझे भी बहुत मजा आया , तूने आज मेरी हालत ख़राब कर दी पर उसी में ज्यादा मजा आता है.”

मैं फिर दामिनी के गांड के बारे में सोचने लगा की कैसे उसकी गांड ली जाए क्युकी अंकल तो जॉब पर चले जाते है पर आंटी तो उस समय घर पर ही रहती है। फिर मेरे शैतानी दिमाग में आईडिया आया। क्यों ना माँ की हेल्प ली जाए इसमें।

मै ” माँ , तुम मेरी हेल्प करोगी स्नेहा आंटी की लेने में.”

माँ” कैसी मदद चाहिए तुझे.”

मै उन्हें अपना प्लान बताया। मैंने कहा की आप उन्हें अपने साथ बैठाकर सेक्स की बाते करके उत्तेजित करो और उन्हें मेरे लण्ड के साइज के बारे में भी बता दो उन्हें कह देना की तुमने सोते टाइम मेरा लण्ड देख लिया था और कितना बड़ा और मोटा है।

माँ ” समझ गयी, ये तो मै बड़े आराम से कर लुंगी। लेकिन ये सब तेरे सामने कैसे बात करुँगी.”

मै ” मै जब दामिनी को पढ़ाने जाओ तो आप उन्हें यहाँ बुला लो किसी बहाने फिर आप अपना काम करना और मै अपना।”

माँ ” तु कौनसा काम करेगा?”

मै ” बछड़ी (गाय की बच्ची ) को प्यार करना पड़ेगा ना गाय को काबू में करने के लिए.”

माँ हसने लगी।

फिर मैंने कहा ” जब आपको लगे वो मुझसे चुद जाएगी तो मै बिमारी का बहना बना कर घर पर रूक जाऊंगा और आप उन्हें मेरा ख्याल रखने के लिए बोलकर दीदी के यहाँ चले जाना। फिर मै उन्हें पेल दूंगा.”

माँ ने कहा ” तेर कमीने दिम्माग ने बहुत बढ़िया प्लान बनाया है.”

मै मन में ” मेरा पूरा प्लान सफल होगा तब तुम कहोगी की मैंने एक तीर से दो निशाने लगा दिए.”

मै माँ से ” थैंक यू माँ.”

मै “चलो अब सो जाते है कल बहुत काम है हमें।”

दूसरे दिन सुबह मैं उठ कर नहा धोकर तैयार हो गया। मेरे दिमाग में बहुत सारे आईडिया आ रहे थे कि कैसे दामिनी की गांड ली जाए। दोपहर होने का इंतजार करने लगा। जैसे ही दामिनी के स्कूल से आने का समय हुआ। मैंने मां से कहा “मैं स्नेहा आंटी के घर जाता हूं और उन्हें आपके पास भेज देता हूं,”

मां “ठीक है.”

जाने से पहले मैंने मां को एक 5 मिनट का लिप किस दिया। और उन्हें बेस्ट ऑफ लक बोल कर स्नेहा आंटी के घर चला गया। स्नेहा आंटी के घर। जब मैंने बेल बजाया तो दामिनी ने दरवाजा खोला। आज भी दामिनी स्कूल ड्रेस में थी। उसे देख कर मैंने उसे स्माइल दी और उसके उत्तर में उसने भी मुझे स्माइल दिया।

फिर मैंने उससे पूछा “आंटी कहां है.”

दामिनी “किचन में.”

मैं” आंटी को मम्मी ने बुलाया है.”

दामिनी “क्या काम है.”

मैं “पता नहीं, औरतों की बातें” और मैंने उसे आंख मार दी।

दामिनी मुस्कुरा दी। फिर उसने स्नेहा आंटी को आवाज लगाया “मम्मी, भैया आए हैं और आपको आंटी बुला रही हैं.” और उसने मुझे हॉल में बिठा दिया। आज दामिनी को सर्दी जुकाम हो गई थी। मैं मन में उदास हो गया इसकी तबीयत सही नहीं है आज तो कुछ कर ही नहीं पाएंगे।

तब तक स्नेहा आंटी आई और उन्होंने मुझसे पूछा ” क्या हुआ बेटा दीदी क्यों बुला रही है.”

मैंने कहा “पता नहीं आंटी वही जाने.”

स्नेहा ने कहा” ठीक है, मैं मिलकर आती हूं.”

स्नेहा आंटी दामिनी से ” एक काम करना शहद ले ले तुझे आराम मिलेगा.”

फिर आंटी चली गई।

दामिनी” भैया, आप बैठो में शहद खाकर आती हूं.”

शहद के बारे में सोचते ही मेरे दिमाग में एक और आईडी आया। मैंने दामिनी से कहा” शहद को खाने से ज्यादा उसका लेप लगाने से फायदा मिलता है.”

दामिनी आश्चर्य से “लेप लगाने से.”

मैं” हां, तुम शहद लेकर आओ मैं बताता हूं.”

किचन में गई और शहद लेकर वापस हॉल में आई। फिर मैंने उसे कहा” देखो अगर तुम शहद को खाया तो वह सीधा पेट में जाएगा, फिर वहां से वह धीरे धीरे अपना असर दिखाएगा और तुम्हारा सर्दी जुखाम कई दिनों में ठीक होगा.”

वह मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी।

मैं आगे कहता है गया” इसलिए अगर तुम शहद को मुंह और गले में ही रखो तो वह ज्यादा असर करेगा, क्योंकि मुंह और गले का कनेक्शन नाक से है और शायद तुम्हारी सर्दी 2 दिन में ठीक हो जाए.”

मैंने दामिनी की तरफ देखा उसको मेरी बातों पर विश्वास हो गया था और मैं खुश हो रहा था चलो स्टार्टिंग तो हो जाएगी आज।

दामिनी ” ऐसी बात है भैया.”

मै” हां लेकिन याद रहे शहद खाना नहीं है मुंह और गले में सिर्फ लगाना है.”

दामिनी” वह कैसे लगाऊं भैया.”

मैंने कहा” ला मैं तेरी हेल्प कर देता हूं.”

दामिनी” ठीक है भैया.”

मैंने शहद का बोतल खोली अपनी एक उंगली उसने डुबो दी।

मैं दामिनी से ” चलो मुंह खोलो.”

उसने मुंह खोला और मैं उंगली उसके मुंह में डाल के शहद को उसके मुंह के अंदर लगाने लगा। जब मैंने उंगली पूरी तरह से उसके मुंह में चारों तरफ घुमा ली तो मैंने उसे कहा “मुंह में लग गया। अब गले में लगाना बाकी है।” मेरे बात का जवाब देने के लिए उसने अपने मुंह का थूक गटक लिया और कहा “गले में कैसे लगाओगे.”

मैंने कहा” गलती कर दी ना, जितना भी शहद लगा था सब पी गई.”

दामिनी ” सॉरी भैया.”

दामिनी ” आप फिर से लगा दीजिए.”

मैं “नहीं, मुझसे बात करने के लिए शहद पूरा निकल जाओगी.”

दामिनी ” ठीक है भैया अब मैं नहीं बोलूंगी जब तक आप मुझे नहीं बोलेंगे तब तक, प्लीज.”

मैं ” वह सब तो ठीक है लेकिन मेरी उंगली तुम्हारे गले तक नहीं जा पाएगी, वहां पर कैसे लगाएं.”

दामिनी ” टूथब्रश यूज कर सकते हैं.”

मैं ” बेवकूफ, वह हार्ड होता है अगर गले में चुभ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, कोई नरम सी चीज डालनी पड़ेगी जो उंगली जैसी हो.”

दामिनी ” अब इतनी बड़ी उंगली किसकी है.”

मैं ” मुझे क्या पता.”

दामिनी ” इसका मतलब आप मेरी हेल्प नहीं करेंगे.”

मैं ” मैं कर सकता हूं, पर तुम बुरा मान जाओगी और अगर तुमने किसी और को यह बात बताई तो सब मुझे गलत समझेंगे, जाने दो.”

दामिनी ” भैया आप बताइए तो सही, मैं बुरा नहीं मानूंगी.”

मैं ” और किसी को बताओगी.”

दामिनी ” मैं कसम खाती हूं भैया मैं किसी को नहीं बताऊंगी.”

मैं ” मेरे पास एक लंबी चीज है उंगली जैसी.”

दामिनी ” यह तो अच्छी बात है भैया अपनी प्रॉब्लम सॉल्व.”

मैं ” पर यही तो प्रॉब्लम है.”

दामिनी ” क्या, मैं समझी नहीं.”

मैं ” मेरे पास जो चीज है उसे तो मुंह में नहीं लोगी.”

दामिनी ” क्यों भैया, गंदी है क्या, क्या उसे मुंह में नहीं ले सकते हैं.”

मैं ” गंदी नहीं है, लेकिन लोग उसे गंदी समझते हैं। और हां मुंह में तो ले सकते हैं.”

दामिनी ” तुम्हें भी ले लूंगी, आप सिर्फ शहद लगाइए, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है.”

मैं ” प्रॉमिस?”

दामिनी ” पक्का प्रॉमिस.”

मैं ” ठीक है उस चीज को देख लो शायद तुम अपना प्रॉमिस तोड़ दो.”

दामिनी ” दामिनी और प्रॉमिस तोड़े यह हो नहीं सकता.”

मैं ” गुड कॉन्फिडेंस.”

फिर मैंने अपना लोअर नीचे करके मुरझाया लण्ड उसके सामने दिखा दिया “यह है वह चीज.”

दामिनी ने शरमा कर सर नीचे झुका दिया।

मैं” लगता है तुम्हारा कॉन्फिडेंस गिर गया, चलो जाने दो भूल जाओ तुम्हारा प्रॉमिस.”

दामिनी” नहीं भैया मैं प्रॉमिस नहीं तोड़ सकती, पर आपका यह तो छोटा है मेरे गले तक नहीं जाएगा.”

मैं” मेरे पास जादू है तुम्हारे मुंह में लगाते लगाते हैं इसे तुम्हारे गले तक जाने जितना बड़ा कर दूंगा.”

दामिनी” लेकिन इससे गले में चुभेगा तो नहीं ना।”

मैं” इसे पकड़ कर देख लो कितना नरम है।”

उसने मेरे लण्ड को अपने कोमल हाथों से पकड़ा तो मेरा लण्ड धीरे धीरे बड़ा होने लगा।

वो बोली “भैया, तो बड़ा हो रहा है.”

मैं”मैंने कहा था ना यह इतना बड़ा हो जाएगा तुम्हारे गले तक चला जाएगा. चलो नीचे घुटनों के बल बैठ जाओ और मुंह खोलो मैं तुम्हें अच्छे से शहद लगा दू। ” और हां याद रहे अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है जब तक अच्छे से शहर लग ना जाए और वह अपना असर दिखाना शुरू ना कर दे.”

“ठीक है?”

दामिनी”ठीक है, भैया.”

मैं” हां और एक बात, मैं सोच रहा था की शहद लगाने के साथ साथ तुम्हारे गले की अंदर से मालिश भी कर दू, तुम्हें जल्दी आराम मिलेगा.”

दामिनी “ठीक है, भैया.”

मैं” आखरी बात, मुंह में लगा हुआ शहद बाहर मत आने देना बल्कि उसे पी जाना.”

दामिनी “ठीक है, भैया.”

मैं” ठीक है अब रेडी हो.”

दामिनी” हां, भैया.”

मैं” अब तुम्हें कुछ नहीं बोलना है याद है ना.”

इस बार दामिनी ने हां में सिर हिलाया और अपना मुंह खोल दिया। मैं शहद की बोतल लेकर उसके पास गया शहद में लण्ड का डूबा कर निकाला और सीधा दामिनी के मुंह में दे दिया। दामिनी के मुंह में लण्ड को मैं घुमाने लगा जैसे शहद को मुंह के अंदर सब जगह लगा रहा हूं। ऐसा करते करते मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया।

फिर मैंने दामिनी से कहा” शहद तो लग गया थोड़ी मुंह की मालिश कर दू। उसने फिर से हां में सिर हिलाया। फिर मैं धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह में धक्के मारने लगा। उसके मुंह में 3 इंच तक लण्ड आसानी से जा रहा था।

करीब 20 मिनट तक मैंने उसके मुंह को ऐसे ही चोदा प्यार से।उसके बाद मैंने अपना लण्ड उसके मुंह से बाहर निकाला और उसे अपना 7 इंच का लण्ड दिखाया। और दामिनी से कहा ” देखा कितना बड़ा हो गया है अभी तुम्हारी गले क्या, गले के नीचे भी जा सकता है.”

दामिनी ने हां में अपना सिर हिलाया। वह मेरे पूरे बात को मान रही थी जैसे अभी वह बिल्कुल चुप थी।

मैंने उससे कहा ” चलो अब शहद तुम्हारे गले में लगाने और गले की मालिश करने की बारी है.”

मैं पोजिशन चेंज करना चाहता था। मैंने नहीं मिला से कहा तुम सोफे पर पीठ के बल लेट जाओ और तुम्हारा सर सोफे के किनारे से नीचे झूलना चाहिए। उठ कर सोफे पर लेट गई और अपने सर को सोफे के किनारे से बाहर रखा जिससे उसका सर हवा में झूल रहा था।

मैंने फिर से अपने लण्ड को शहद में डुबाया और दामिनी को कहा ” अपना मुंह खोलो.”

उसने मेरी आज्ञा का पालन किया और अपना मुंह खोल दिया। मैंने शहद से भीगे हुए लण्ड को उसके मुंह में पेल दिया। मेरा मन किया कि अभी उसके सर को पकड़ कर पूरा लण्ड पेल दूं। पर मुझे वह कहानी याद आई लालच का फल बुरा होता है।

इसलिए मैंने उसे कहा “दामिनी मेरा डंडा थोड़ा मोटा है अंदर जाएगा तो शायद तुम्हें परेशानी हो अगर तुम्हें ज्यादा परेशानी हो तो मुझे बता देना हम रुक जाएंगे। लेकिन थोड़ी परेशानी होगी उससे तुम्हें ही फायदा है तुम्हारे गले की अच्छे से मालिश हो जाएगी। और इससे यह भी पता चलेगा की तुम में सहने की कितनी ताकत है.”

मैंने उसके ईगो को जगा दिया था। अब तो किसी भी कीमत पर उसे अपनी ताकत दिखानी थी।

मैंने उससे पूछा” मैं करूं.”

उसने हां में अपना सिर हिलाया। और मेरे चेहरे पर विजयी मुस्कान दौड़ पड़ी।

मैंने कहा”ओके.”

और उसके सर को पकड़ के लण्ड उसके मुंह के अंदर पेल दिया। मेरा लण्ड उसके गले तक पहुंच गया था वह पूरी तरह से हिल गई। मैंने लण्ड को पीछे की लेकिन सुपाडे को दामिनी के मुंह में ही रहने दिया।

मैंने कहा “लगता है तुमसे नहीं हो पाएगा” ऐसा है क्या मैंने उसके इगो को और बढ़ा दिया। फिर मैंने पूछा “हम रुक जाए.”

पहली बार उसने ना में सिर हिलाया था जो मेरी योजना को सफल बना रहा था। अब फिर से मैंने उसका सर पकड़ कर लण्ड अंदर पेल दिया तुरंत बाहर निकाला पर इस तरह सुपाडा उसके मुंह में ही रहे। और फिर दूसरा शॉट लगाया और बाहर निकाला। मैं ऐसे ही उसके मुंह की चुदाई करने लगा। मेरे हर झटके से उछल रही थी। मैंने इसी तरह तकरीबन 20 मिनट उसके मुंह की पिलाई की।

जैसा कि आप लोग मुझे जानते हैं जब तक मैं अपना पूरा लण्ड मुंह, चुत या गांड में नहीं घुसा लेता मुझे चैन नहीं मिलता। पर मुझे डर था अगर मैंने पूरा मुंह में दामिनी कर दिया तो अगली बार से यह मुझे कुछ करने नहीं देगी। फिर भी मैंने एक ट्राई किया। मैंने धक्के लगाने बंद किए। और दामिनी से कहा” तुम सच में बहुत बहादुर हो, और तुम्हारी सहनशक्ति भी बहुत है.”

दामिनी के चेहरे पर जीत की चमक आ गई। मैं अब तक समझ चुका था कि उसके अहंकार को चोट करो यह मेरा पूरा लण्ड भी ले लेगी। इसलिए मैंने उसे कहा ” लेकिन पता नहीं तुम्हें इसे पूरा लेने की ताकत है या नहीं” मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करके कहा।

हां दोस्तों मेरा लण्ड अभी भी उसके मुंह में था, मैंने धक्के देने बंद किए थे लेकिन लण्ड को उसके मुंह से निकाला नहीं था। इसलिए वह कुछ कह नहीं सकती थी। सिर्फ इशारों में बातें हो सकती थी। उसने हाथों से इशारा किया जिसे हम अंग्रेजी में कहते हैं थम्स अप। उसके अहंकार को और हिलाने के लिए मैंने कहा” मतलब नहीं ले पाओगी.”

दामिनी ने तुरंत ना में सिर हिलाया। जैसे वह मुझे चुनौती दे रही हो उससे भी बड़ा लण्ड हो तो उसे भी मुंह में ले लेगी।

मैंने कहा “चलो देखते हैं फिर.”

ऐसा कहकर मैंने उसके सर को पकड़ कर पूरी ताकत से अपने लण्ड पर दबाया और लण्ड को भी उसके मुंह में कोई ताकत से घुसा दिया। मेरी ताकत का नतीजा सामने था, मेरा लण्ड दामिनी के गले के नीचे उतर गया था। मैं अपनी जीत पर बहुत खुश हुआ पर इससे दामिनी की हालत बहुत खराब हो गई। मैंने तुरंत अपना लण्ड बाहर निकाला। दामिनी लंबी लंबी सांस लेने लगी। मैंने फिर से उसे मुंह खोलने का इशारा किया और कहा” वेल डन, मान गए तुम्हें। चलो अब सिर्फ मालिश करेंगे.” और फिर उसके मुंह की चुदाई शुरू कर दी। करीब 1 घंटे से हमारा यह खेल चल रहा था अब मैं झड़ने वाला था।

मैंने दामिनी को याद दिलाया” याद है ना मुंह का शायद बाहर नहीं आना चाहिए।”

दामिनी ने हा में सर हिलाया।

मैंने उसे और कहा” अभी मेरा यह क्रीम निकालेगा, वह बहुत ही पौष्टिक होता है। इसलिए उसे पूरा पि जाना।”

दामिनी ने हा में सर हिलाया। मैंने उसके मुंह में धक्के तेज कर दिया और फिर अपना पूरा माल उसके मुंह में छोड़ दिया। जिसे वह पी गई। मैं उठा और अपने लण्ड को लोवर में डाला। और उसे उठने का इशारा किया। वह भी उठी और अपने कपड़े ठीक किया और मेरे सामने बैठ गई।

मैंने उससे कहा” 1 घंटे हो गए हैं अब तुम बोल सकती हो.”

उसने कहा” भैया मेरी तो हालत खराब हो गई थी.”

मैं उसे प्रोत्साहित करते हुए” तुम्हें देख कर मुझे लगा नहीं था कि तुम्हारे में इतनी शक्ति है। मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा 7 इंच तक मुंह के अंदर ले लिया था.”

तो उसने अपना हाथ गले के नीचे रख कर कहा यहां तक आ गया था।

फिर मैंने उससे पूछा” इस बारे में तो किसी को कहोगी तो नहीं.”

दामिनी ने कहा ” दामिनी का प्रॉमिस मतलब पक्का प्रॉमिस.”

मैंने कहा “ठीक है” तुम्हें आराम करने की जरूरत है।

तो दामिनी बोली ” आराम बाद में कर लुंगी पहले कुछ पढ़ाई कर लू।”

मैंने कहा “ओके” उसके बाद मैंने उसे साइंस पढ़ाया और फिर घर आ गया। दोस्तों अभी कहानी जारी रहेगी.

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