रोज़ा के चूत की आग अनिल के लंड से शांत हुई

बस भीड़ से एकदम पैक थी। पैसेंजर एक दूसरे के बदन से एकदम सटे थे। किसी को भी हिलने की जगह नहीं थी। रोज़ा भी उस भीड़ में बुरी तरह फंसी थी। उसकी सहेली ने उसे बुलाया था। शौहर घर ना होने से वो आज अपनी सहेली के पास जाने निकली थी। जब भी उसे या उसकी सहेली को ऐसा वक्त मिलता तो वो एक दूसरे के घर एक रात आती-जाती थी जिससे उनका वक्त पास हो। Muslim Chudai

सहेली ने नया फ्लैट लिया था और आज पहली बार वो अपनी सहेली के नये घर जा रही थी। दिखने में रोज़ा बेहद खूबसूरत और सैक्सी थी और उसकी फिगर भी एकदम मस्त थी। आज ४२ की होने के बाद और शादी के इक्किस साल के बाद भी वो एकदम ३०-३२ की लग रही थी। आम तौर पे इस उम्र में औरतें शादी और बच्चे होने के बाद मोटी हो जाती है.

पर रोज़ा ने अपनी सेहत का काफी ध्यान रखते हुए ज़रा भी चर्बी चढ़ने नहीं दी अपने जिस्म पे। उसकी ५’४” की लंबाई पे ३६-२८-३६ का जिस्म बहुत अच्छा दिखता था। कंधों तक बाल, टाइट कसी साड़ी या चूड़ीदार सलवार कमीज़ और हल्का सा मेक-अप उसे भीड़ में अलग दिखाता था। रोज़ा के जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा था उसकी गाँड।

जब वो ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन कर चलती तो उसकी वो गाँड ठुमकती थी। टाइट गाँड होने से ठुमकने में एक मदहोशी थी। टाइट साड़ी या कसी हुई चूड़ीदार सलवार और ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहनने से उसकी वो गाँड और नज़र में भरती। आज रोज़ा ने एक क्रीम कलर की नेट की साड़ी पहनी थी।

क्रीम स्लीवलेस ब्लाऊज़ और सिर्फ़ मोतियों की माला थी। पैरों में गहरे ब्राऊन कलर के चार इंच ऊँची ऐड़ी की सैंडल थे। भीड़ की वजह से पसीना चू रहा था और वो कॉटन की साड़ी पसीने से कमर और पेट पे चिपकी थी। पसीने से ब्लाऊज़ भी तरबतर होने से उसमें से रोज़ा की ब्रा दिखायी दे रही थी। ऊपर हैंडल पकड़ने से उसके ब्लाऊज़ के अंदर की ब्लैक ब्रा और उनमें दबे मम्मों की रूपरेखा साफ़ दिखायी दे रही थी।

सिटी बस में १-२ ही लाईट जल रही थी। उस भीड़ में बाकी मर्दों में अनिल भी था और इत्तफ़ाक से वो एकदम रोज़ा के पीछे खड़ा था। अनिल एक २५-२६ साल का मर्द था। भीड़ में छेड़-छाड़ करने का उसका कोई इरादा ना था पर बार-बार पीछे के धक्कों से वो आगे वाली औरत से टकरा जाता था।

उस औरत ने जब १-२ बार मुड़ के ज़रा नाराज़गी से उसे देखा तो उसने सोचा कि मैं जानबूझ के कुछ नहीं कर रहा तो भी ये औरत क्यों बिगड़ रही है मुझ पे? वो उस औरत को पीछे से देखने लगा। उस औरत की टाइट साड़ी में लिपटी गाँड, पसीने से गीली कमर, ब्लाऊज़ से दिख रही ब्रा और बगलों से दिखते ब्रा में छिपे गोल मम्मे देख के उसकी पैंट में हलचल होने लगी।

अनिल ने सोचा कि कुछ किया नहीं तो भी ये औरत नाराज़गी दिखा रही है तो कुछ करके इसकी नाराज़गी लेना अच्छा है। यही सोचते हुए अनिल ने पीछे खड़े होते हुए हल्के से उस औरत की गाँड को छूते हुए खुद बोला, “उफ्फ साली कितनी भीड़ और गर्मी है, कितने लोग भरे हैं बस में… और ये बस भी कितनी धीरे चल रही है।”

इस बार गुस्सा होने के बजाय रोज़ा को लगा जैसे उसकी ही गलती है और वो थोड़ी नरमी से मुस्कुराते हुए बोली, “ओह आय एम सॉरी, भीड़ की वजह से मैंने आपको गुस्से से देखा।” उस औरत की बात सुन के अनिल ने भी कहा, “नहीं-नहीं कोई बात नहीं, पर खड़े रहने तक की जगह नहीं है इस भीड़ में।”

इतने में पीछे से भीड़ ने फिर धक्का मारा और अनिल पीछे से रोज़ा के जिस्म से पूरा चिपक गया। अनिल भीड़ को पीछे धक्का दते हुए बोला, “सॉरी मैडम लेकिन क्या करूँ? पीछे से इतनी भीड़ का धक्का आता है और आपसे टकरा जाता हूँ, आय एम सॉरी।” रोज़ा समझी कि अनिल सच कह रहा है, इसलिये वो भी बेबस हो कर मुस्कुराते हुए कुछ नहीं बोली।

अनिल को पीछे से उस औरत के पसीने से गीले ब्लाऊज़ से उसकी ब्लैक ब्रा दिखायी दी। पूरा पसीना पीठ पे था, पसीने की बूँदें बालों से टपक के पीछे और आगे से ब्लाऊज़ गीला कर रही थी। सहारे के लिये हाथ ऊपर होने से उसकी चूंची दिख रही थी। अब अनिल ज़रा बिंदास होकर उस औरत के पीछे चिपक के गरम साँसें उसकी गर्दन पे छोड़ने लगा। रोज़ा उस आदमी की साँसों से और उसके तने हुए लंड का स्पर्श अपनी गाँड पे महसूस करके मचली ज़रूर.

पर पीछे मुड़ के उसकी और नाराज़गी से देखते हुए अपनी नाखुशी जतायी कि उसकी हरकतें उसे पसंद नहीं। अनिल ने उसकी नज़र को पढ़ा पर ध्यान ना देते हुए, पीछे से उसे और दबाके अपना हाथ हल्के से उसके पसीने से गीले नंगे पेट पे रखते हुए बोला, “साला कितनी आबादी बढ़ गयी है देश की, ठीक से सफ़र भी नहीं कर सकते। ना जाने लोगों को इतने बच्चे पैदा करने का वक्त कैसे मिलता है।”

अपने पेट पे उस आदमी का हाथ पाके रोज़ा को कैसा तो लगा। उस मर्द का हाथ हटाने की उसके पास जगह भी नहीं थी इसलिये वो थोड़ा आगे होते हुए हल्की आवाज़ में बोली, “देश की आबादी और लोग क्या-क्या करते हैं… ये जाने दो आप! आप थोड़े पीछे खड़े रहो।” अब अनिल पीछे हटने वाला नहीं था।

वो भी थोड़ा आगे खिसकते हुए फिर उसके पसीने से गीले पेट को उँगली से मसलते हुए बोला, “अरे भाभी कैसे पीछे जाऊँ, देखो पीछे कितनी भीड़ है, आप तो सिर्फ़ पीछे से दब रही हो, मैं तो आगे आपसे और पीछे भीड़ से दबा हूँ… बोलो क्या करूँ?” रोज़ा पीछे हो कर थोड़ा उस आदमी के नज़दीक आके उसके पैर पे अपना ऊँची ऐड़ी का सैंडल रख के दबे होंठों से बोली, “अपना हाथ हटाओ।”

जैसे उसने कुछ सुन ही नहीं हो, अनिल अपना हाथ और रगड़ के पीछे से उससे चिपकते हुए बोला, “यार सबको क्या इसी बस से आना था! भाभी सॉरी… आपको तकलीफ हो रही है पर क्या करूँ?” फिर हल्की आवाज़ में रोज़ा के कान के पास आके अनिल बोला, “अरे भीड़ है तो ये सब चलता है।”

उस आदमी की बात से रोज़ा समझ गयी कि ये भीड़ का पूरा फायदा लेने वाला है और अब वो पीछे हटने वाला नहीं। इसलिये जैसे तैसे करके अपने आपको आराम देने की कोशिश करते हुए वो बोली, “कबीर मोहल्ला और कितनी दूर है पता नहीं, ये बस भी कैसे धीरे चल रही है। इससे तो अच्छा होता कि मैं रिक्शा ले लेती तो इस भीड़ से तो नहीं जाना पड़ता।”

अनिल ने सोचा कि इज़्ज़त की वजह से ये औरत कुछ नहीं बोल सकेगी। अपने हाथ से उसका पेट मसलते हुए, गरम साँसें गर्दन पे छोड़ते हुए और गाँड पे हल्के से लंड रगड़ते हुए वो बोला, “कबीर मोहल्ला अब २० मिनट में आयेगा, भाभीजी! आपका तो फिर भी ठीक है… मुझे तो गाँधी नगर जाना है, आपके स्टॉप से ३० मिनट आगे। आपके उतरने के बाद मुझे आधा घंटा इस भीड़ में आपके बिना गुजारना है।”

रोज़ा को भी पूरा एहसास हुआ कि वो आदमी इस भीड़ का फायदा उठा रहा है और वो कुछ नहीं कह सकती। बेबस हो कर अब कोई विरोध किये बिना अपना जिस्म ढीला छोड़ते हुए वो बोली, “वैसे ये कबीर मोहल्ला इलाका कैसा है? वहाँ से मुझे जामिया नगर जाना है।” अनिल अब बिंदास उस औरत को मसल रहा था।

उस औरत की नाभि में अँगुली डालते हुए वो बोला, “मोहल्ला तो अच्छा है लेकिन लोग हरामी हैं। ज़रा संभल के जाना, बहुत गुंडे रहते हैं वहाँ, खूब छेड़ते हैं बेटियों और औरतों को… अपने रिक्शा से ही जाना ठीक था।” हाथ अब उसके बूब्स के नीचे तक लाके और १-२ बार उसकी गर्दन हल्के से चूमते हुए अनिल आगे बोला, “भाभी तुम आरम से खड़ी रहो… पीछे भीड़ बढ़ भी गयी तो तुमको तकलीफ नहीं होने दूँगा। तुम्हारा नाम क्या है भाभी, मैं अनिल हूँ।”

रोज़ा के पास अब आगे जाने की जगह नहीं थी इसलिये वो अब अनिल की हरकतों का मज़ा लते हुए कोई विरोध नहीं कर रही थी। पर वो एक बात का ख्याल रख रही थी कि कोई ये देखे नहीं। इसलिये जब अनिल ने उसकी नाभि में उँगली डाली तो उसने सहारे का हाथ निकाल के अपना पल्लू पूरा सीने पे ओढ़ते हुए कहा, “ओह थैंक यू। मेरा नाम रोज़ा खान है। जामिया नगर जाने का कोई दूसरा रास्ता है क्या? आप मुझे पहुँचायेंगे वहाँ? आप साथ रहेंगे तो वो गुंडे मुझे तंग भी नहीं करेंगे।”

इशारे से रोज़ा अनिल को अपने साथ आने के लिये बोल रही थी… ये अनिल समझ गया और रोज़ा के पल्लू ओढ़ने से ये भी समझ गया कि ये औरत मस्ती चाहती है। वो समझा कि ये साली रोज़ा बेगम को मज़ा आ रहा है, कुछ बोल ही नहीं रही है, देखें कब तक विरोध नहीं करती।

अनिल ने पल्लू के नीचे से अपना हाथ रोज़ा के मम्मों पे रखते हुए कहा, “दूसरा रास्ता बड़ा दूर का है, तुम चाहो तो मैं छोड़ूंगा तुमको जामिया नगर, मैं मर्द हूँ, मेरे साथ कबीर मोहल्ले से आओगी तो कोई नहीं छेड़ेगा तुमको। तेरे लिये इतना तो ज़रूर करूँगा मैं रोज़ा।”

इस भीड़ में अपने मम्मों पे हाथ पाके रोज़ा ज़रा घबड़ा गयी और सिर पीछे करके दबे होंठों से अनिल से बोली, “शुक्रिया अनिल… पर तेरा इरादा क्या है? भीड़ का इतना भी फायदा लेने का… ऐसे? मैं कुछ बोलती नहीं… इसलिये ये मत समझो कि मुझे कुछ पता नहीं है, पहले पीछे से सट गये मुझसे, फिर पेट रगड़ा और अब सीने तक पहुँच गये। इरादा क्या है बता तो सही?”

अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा ही कुछ समझो रोज़ा, अब तुम लग रही हो इतनी मस्त कि रहा नहीं गया… पहले दिल में कुछ नहीं था पर छूने के बाद अब सब करने का इरादा है, अब तक पिछवाड़ा और पेट सहलाते हुए हाथ अब सीने तक पहुँचा है पर अभी नीचे जाना बाकी है, बोल तेरा इरादा क्या है? तू भी तो मज़ा ले रही है, बोल तू क्या चाहती है?”

अनिल का हाथ अब रोज़ा के ब्लाऊज़ के हुक पे आ गया। रोज़ा समझी कि अनिल ब्लाऊज़ खोलना चाहता है, इसलिये उसने झट से मुड़ कर अनिल का हाथ वहाँ से खिसका दिया पर ऐसा करने से अनिल का हाथ उसके पूरे कड़क मम्मों को छू गया।

अनिल को देखते हुए उसने कहा, “हुम्म छोड़ो उसे, जहाँ जितना करना है उतना ही करना। तुम लोगों कि यही तकलीफ है, थोड़ी ढील दी कि पूरा हाथ पकड़ लेते हो। ये लो मेरा स्टैंड आया। तुम चलते हो क्या मेरे साथ… मुझे जामिया नगर छोड़ने अनिल?” रोज़ा ने आखिरी शब्द आँख मारते हुए कहे।

अनिल रोज़ा के हाथ को पकड़ के बोला, “अब तेरी जैसी गरम माल मिले तो रहा नहीं जाता, इसलिये तेरा ब्लाऊज़ खोलने लगा था। तेरे साथ आऊँगा रोज़ा लेकिन मेरे वक्त की क्या कीमत देगी तू?” अनिल ने रोज़ा का हाथ कुछ ऐसे पकड़ा कि वो हाथ उसके लंड तो छू गया।

लंड को छूने से रोज़ा ज़रा चमकी। वो अब चाहने लगी थी कि इस मर्द के साथ थोड़ा वक्त बिताऊँ। वो भी गरम हो गयी थी। मुस्कुरा कर वो बोली, “अरे पहले बस से उतर तो सही, मुझे ठीक से पहुँचाया तो अच्छी कीमत दूँगी तेरे वक्त की। देख बस रुकेगी अब… मैं उतर रही हूँ… तुझे कुछ चाहिये इससे ज्यादा तो तू भी उतर नीचे मेरे साथ।”

रोज़ा का स्टॉप आया और वो झट से आगे जाके बस से उतरने लगी। रोज़ा का जवाब सुन के अनिल खुश हो कर उसके पीछे उतरा और ज़रा आगे तक दोनों साथ-साथ चलने लगे। अनिल रोज़ा को लेके चलने लगा। रोज़ा ने जानबूझ के अपना पल्लू ऐसे रखा जिससे अनिल को बगल से उसके मम्मों का तगड़ा नज़ारा दिखे और उसके मम्मों के बीच की गली साफ़ दिखायी दे।

आगे काफी सुनसान गली में पूरा अंधेरा था। अनिल रोज़ा की कमर में हाथ डालके कमर मसलते हुए बोला, “जामिया नगर में इतनी रात क्या काम है तेरा? किसको मिलने जा रही है तू इतनी रात रोज़ा।” घबड़ाते हुए रोज़ा अनिल का हाथ कमर से हटाते हुए बोली, “अनिल हाथ हटा कमर से, पता नहीं चलता यहाँ रासते में कितने लोग आते जाते हैं। मैं जामिया नगर अपनी सहेली के घर जा रही हूँ।”

अनिल ने हाथ फिर रोज़ा की कमर में डाल के उसे अपने से सटते हुए कहा, “रोज़ा जैसा अच्छा तेरा नाम है वैसा अच्छा तेरा रूप है। सुन रोज़ा इस अंधेरे में किसी को कुछ नहीं दिखता, वैसे भी इस वक्त कोई भी आता जाता नहीं यहाँ से… इसलिये तो डरना नहीं बिल्कुल।” ये कहते हुए अनिल अपने दूसरे हाथ को रोज़ा के नंगे पेट पे रखते हुए बोला, “इस वक्त सहेली के घर क्या काम निकाला तूने?”

किसी के देखने के डर से रोज़ा जल्दी-जल्दी अनिल के आगे चलते हुए सड़क से ज़रा उतर के सुनसान जगह में एक पेड़ के पीछे जाके खड़ी हो गयी। तेज़ चलने से उसकी साँसें तेज़ हो गयी थीं जिससे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था और पल्लू तकरीबन पूरा-पूरा ढल गया था।

जैसे ही अनिल उसके सामने आया तो वो बोली, “उफ्फ ओहह, तुम क्या कर रहे थे सड़क पे ऐसे? कोई देखेगा तो क्या सोचेगा? आज मेरी सहेली ने मुझे उसके नये घर बुलाया था, इसलिये मैं उसके घर जा रही हूँ।” अनिल रोज़ा के सामने खड़ा हो कर रोज़ा का बिना पल्लू का उछलता हुआ सीना देखते हुए एक हाथ से ब्लाऊज़ पर से मम्मे मसलते हुए.

और दूसरे हाथ से उसका पेट सहलाता हुआ बोला, “यहाँ कौन देखने आता है कि कौन मर्द कौनसी औरत के साथ क्या कर रहा है? अब वैसे भी कोई हमें देखे तो क्या होगा? वो भी वही करेगा जो मैं कर रहा हूँ तेरे साथ, है ना? या तो ये सोचेगा कि हम मियाँ बीवी हैं और घर में मस्ती करने को नहीं मिलती… इसलिये यहाँ आये हैं जवानी का मज़ा लने।”

रोज़ा अब कोई भी ऐतराज़ किये बिना अनिल को अपने जिस्म को मसलने देते हुए बोली, “हाय रब्बा कितना बेशरम है तू, बाप रे कैसी गंदी बात करता है? मैं उम्र में तुझसे पंद्रह-बीस साल बड़ी हूँ। वैसे भी हम मियाँ-बीवी तो बच्चों के सोने के बाद ही करते हैं ये सब… अगर बहुत रात हो जाये तो खेलते भी नहीं ये खेल कईं दिनों तक।”

रोज़ा का ढला पल्लू किनारे हटा के अनिल झुकके उसके मम्मों के बीच में मुँह से मसलते और ब्लाऊज़ से मम्मों को हल्के से काटते हुए बोला, “अब तेरी जैसी गरम औरत इतनी बिंदास होगी तो शर्म क्यों जान? बस में भी कितनी मस्ती से मसलवा रही थी जान… वैसे रात को देर हो जाये तो मस्ती नहीं करता तेरा शौहर तो तुझे बुरा नहीं लगता रोज़ा?”

जब अनिल झुकके उसके मम्मों को चूमने लगा तो रोज़ा अपने सीने को और ऊँचा उठा के उसके मुँह पे दबाते हुए बोली, “उम्म्म्म्म मैं बिंदास लगी तुझे… वो कैसे ये तो पता नहीं… बस में ऐतराज़ करती तो मेरी ही बे-इज़्ज़ती होती ना?” रोज़ा की चूचियाँ जीभ से चाटते हुए अनिल रोज़ा की साड़ी पेटिकोट से निकालने लगा।

रोज़ा का ज्यादा से ज्यादा क्लीवेज चाटते हुए अनिल ने अपना मुँह रोज़ा के ब्लाऊज़ में घुसाया जिससे रोज़ा के ब्लाऊज़ का एक हुक टूट गया और रोज़ा का ज्यादा क्लीवेज नंगा हो गया। मम्मों को नीचे से ऊपर दबाते हुए अनिल रोज़ा का सीना चाटते हुए बोला, “वैसे जान माना कि बस में ऐतराज़ करती तो तेरी बे-इज़्ज़ती होती… पर ये सच बता कि क्या तुझे ऐतराज़ करना था जब मैं तेरे जिस्म से खेल रहा था बस में?”

अनिल रोज़ा की साड़ी निकालने लगा तो रोज़ा उसे थोड़ा दूर करके अपने साड़ी पकड़ती हुई बोली, “अरे इतनी जल्दी क्या है जो विराने में तू सीधे पेटिकोट पे आ गया? पहले अच्छे से गरम तो कर। उफ्फ देख तूने मेरा हुक तोड़ दिया… अब मैं क्या करूँ? अनिल बस में तुझसे अगर ऐतराज़ करना होता तो तुझे इतना खेलने देती क्या मैं? मेरा शौहर रात को आके देखता है कि बेटियाँ सोयी नहीं तो बिना कुछ किये जाके सीधे खर्राटे लगाने लगता है।”

अनिल अपनी जीभ रोज़ा के क्लीवेज पे घुमाके पेटिकोट के नीचे हाथ डाल के एक हाथ से उसकी नंगी टाँगें सहलाते हुए और दूसरे हाथ से मम्मे ज़रा ज़ोर से मसलते हुए बोला, “जल्दी तो नहीं रानी, बस तेरा गरम और गोरा जिस्म नंगा देखने की ख्वाहिश है और कुछ नहीं।

अरे हुक टूटा तो क्या हुआ? जब यहाँ से जायेगी तो क्या पल्लू नहीं लेगी सीने पे जान तू? उम्म बड़ा गरम माल है तू। मुझे ये समझ में नहीं आता कि ऊपर वाला तेरी जैसी गरम माल को इतना ठंडा शौहर क्यों देता है। या शादी को इतने साल हो गये… इसलिये शौहर को दिलचस्पी नहीं रहती अपनी सैक्सी बीवी में।”

रोज़ा अपना सीना और तान के अनिल का सिर पकड़ के अपने मम्मों पे दबाते हुए बोली, “अरे अब तेरे पास हूँ तो नंगी करेगा ही ना, इतनी जल्दबाज़ी मत कर, या तूने किसी और को वक्त दे रखा है? अरे पल्लू तो डालूँगी पर उसके नीचे से खुला हुक लोगों को मुफ़्त का तमाशा दिखायेगा… उसका क्या?

रहा मेरी किस्मत का सवाल तो तू तो ऐसे बोल रहा है कि हर खूबसूरत औरत का शौहर ऐसा होता है। असल में मेरा शौहर काम की वजह से थकता है नहीं तो दो बच्चे कैसे पैदा करती मैं उसके साथ? आहह सुन इतना बेरहम मत बन, आराम से हौले-हौले मसल मेरा सीना।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

आधी खुली साड़ी, घुटनों तक ऊपर आये पेटिकोट और हुक टूटे ब्लाऊज़ में रोज़ा को एक बार देख के अनिल उसे नीचे बिठा के उसकी गोद में सिर रख के लेटते हुए और हल्के-हल्के उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “मैंने किसी को वक्त नहीं दिया जान… पर सोचा तुझे जल्दी होगी जाने की, वैसे जल्दी नहीं होगी तो रात भर रखुँगा तुझे।

तेरी जैसी गरम औरत का सीना हर दिन थोड़ी लोगों को देखने को मिलता है, एक दिन फ़्री में दिखाया तो क्या जायेगा तेरा? अब जो दो लड़कियाँ हैं… वो तेरी हैं पर उनका बाप कौन है रानी? तेरे चूतिया शौहर की ही निशानी हैं वो दोनों या किसी और की? तेरी जैसी गरम औरत को बेरहमी से ही मसलना चाहिये जिससे तुम और गरम हो कर चुदवाती हो, तेरी जैसी औरतों को खूब जानता हूँ मैं रोज़ा।”

नीचे बैठने से रोज़ा का पेटिकोट खराब हो गया। वो उठना चाहती थी लेकिन तब तक अनिल उसकी गोद में लेट गया था। अनिल के बालों में हाथ घुमाते हुए वो बोली, “अरे ये क्या अनिल, ये नीचे क्यों बिठा दिया? मेरी साड़ी पूरी खराब हो जायेगी, वैसे ही पसीने से भीगी थी… अब उसपे मिट्टी लगेगी। उम्म बस ऐसे ही मसल हौले-हौले मेरे मम्मे, आहह बहुत मज़ा आता है।

क्या तू ऐसे ही अपनी बीवी को भी मसलता है? तो उसे रोज़ जन्नत नसीब होती होगी? अरे मेरा सीना हर किसी को दिखाने के लिये थोड़ी है। हाँ ये बात और है कि तेरे जैसे लोग चोरी छिपे देख लेते होंगे। वैसे मेरा सीना कड़क है इसलिये तो तूने मुझे देखा ना…? रही बात मेरे बच्चों की तो अनिल वो दोनों मेरे शौहर के ही बच्चे हैं। मेरे शौहर ने ही मुझे अम्मी बनाया… इतनी ताकत है उसमें… भले आज वो पहले जैसा हर दिन मस्ती नहीं करता मेरे साथ।”

ये सब बोलने के बाद रोज़ा ने मोबाइल से अपनी सहेली को फोन करके बताया कि वो किसी काम में फंसी है… इसलिये उसे आने में देर होगी, लेकिन वो आयेगी ज़रूर। फोन पे हुई रोज़ा की बात सुन के अनिल खुश हुआ और रोज़ा को झुकाके उसके मम्मे बारी-बारी चूमते हुए अनिल बोला,

“ये अच्छा किया तूने कि सहेली से कहा कि तुझे देर होने वाली है। अब फ़ुर्सत से तुझे चोदुँगा रानी, तेरी जैसी मुसल्ली औरत को मस्ती से चोदना चाहिये… तब पूरा मज़ा मिलेगा। रोज़ा साड़ी खराब हुई तो क्या… तेरी चूत को तो मज़ा मिलेगा ना?”

अनिल मुड़कर पेटिकोट के ऊपर से चूत चूमते हुए बोला। “मेरी शादी नहीं हुई अब तक इसलिये तेरी जैसी गरम औरतों को ढूँढता हूँ। तुम मुसल्ली औरतें बहुत शर्मिली होती हो…. बुर्के में रहती हो लेकिन चुदवाने की इच्छा बहुत होती है… इसलिये जब मेरे जैसे मर्द के हाथ आ जाती हो तो ना-ना करते दिल खोल के चुदवाती हो।”

फिर वो ब्लाऊज़ के ऊपर से किस करते हुए बोला, “रोज़ा रानी! जैसे तेरे ये मम्मे हैं… वो देखके तो किसी की भी नियत खराब होगी जान, और उससे पहले तो तेरी मस्त गोल गाँड देखके मेरी नज़र तुझपे आ गयी। तुम औरतें ये ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन कर खूब अच्छा करती हो… इससे तुम्हारी गाँड और उभर जाती है। क्या ये सच है कि तेरे शौहर ने ही तुझे चोद के वो बच्चे पैदा किये… रोज़ा?”

अनिल से तारीफ और बातें सुन के रोज़ा को अच्छा भी लगा और शर्म भी आयी। अनिल द्वारा मम्मे और चूत चूमने से मस्त हो कर रोज़ा ने अपनी ब्लाऊज़ के हुक खोले और अनिल को अपने सीने का पूरा मुआयना करवाती हुई वो बोली, “हुम्म्म्म उम्म्म प्लीज़ और चूस… और चूस मेरे मम्मे और मसल भी उनको अनिल।

तू सच बोलता है, मेरी जैसी गरम औरत तेरे जैसे मर्द के हाथ आये तो पहले शर्माती है पर फिर दिल खोलके मज़ा लूटने देती है। अनिल तू पहला मर्द नहीं जो मेरा कसा जिस्म देखके मेरे पीछे पड़ा पर पिछले कईं सालों में तू वो पहला मर्द है जिसे मैंने पूरी लिफ़्ट दी है। शादी से पहले मैंने भी कई लंड लिये हैं। पर अनिल इतनी भी गाली मत दे मेरे शौहर को और उसे इतना भी निकम्मा मत समझ। मेरी दोनों बेटियों का बाप मेरा शौहर ही है अनिल।”

रोज़ा की ब्रा में भरे मम्मों को देख के अनिल चकाचौंध हो गया क्योंकि वो बड़े और कसे हुए मम्मे रोज़ा की ब्रा में भी नहीं समा रहे थे। उस टाइट ब्रा में कसे रोज़ा के मम्मे देखके पागल जैसे उनको चूसने, मसलने और हल्के-हल्के काटते हुए अनिल बोला, “आहह साली क्या मस्त चूचियाँ हैं, तेरा वो चूतिया शौहर ज्यादा चोदता या ज्यादा मसलता नहीं क्या तुझे… जो इतना मस्त जिस्म है तेरा अब तक?

साली तू एकदम गरम माल है जान, खूब मज़ा आयेगा तुझे चोदने में। क्यों गाली नहीं दूँ तेरे चूतिया शौहर को? साला घर में इतना गरम माल छुपाके रखता है, गाँडू कभी मिला मुझे तो उसकी गाँड मारूँगा।” रोज़ा के मम्मों से खेलते हुए अनिल ने रोज़ा का हाथ पकड़ के अपने लौड़े पे लाके रखा।

अनिल की गंदी बातें और चूत छूने से रोज़ा की चूत और गरम हो गयी। अनिल के लंड पे हाथ जाते ही रोज़ा को करंट सा लगा और उसके निप्पल काफी कड़क हो गये। अनिल का मुँह अपने मम्मे पे दबाते हुए वो बोली, “आहह… आहह ओहहह अल्लाह हाँ… और चूस… और चूस ले इनको… बहुत बेताब हूँ मैं राजा।

मेरे शौहर ने बहुत मसले हैं मेरे मम्मे, शादी से पहले भी मसलता था जब हम मिलते थे, अब मेरे मम्मों के साइज़ से तो अंदाज़ा लगा कि कितना मसलता था मुझे वो। बाप रे…! तेरे सामान की लंबाई और चौड़ाई तो काफी है, शादी क्यों नहीं की अब तक? ऐसे सामान वाले के नीचे कोई भी औरत सोने को तैयार हो कर पूरी-पूरी रात मज़ा ले ऐसे सामान का।”

अनिल ने रोज़ा की ब्रा खोल के उसके कड़क निप्पल देखे तो बेताबी से उनको मसलते हुए और फिर एक-एक को चूसते हुए बोला, “सामान क्यों बोलती है साली? क्या है इसका नाम? साली तेरे उस चूतिया शौहर का लंड सामान होगा… मेरा तो लौड़ा है लौड़ा… समझी? सिर्फ़ पैंट के ऊपर से छू कर क्या बोलती है, ज़िप खोल के बाहर निकाल के देख कैसा है मेरा लंड रोज़ा!

बहनचोद… इसे क्या मसलना बोलते हैं? गाँडू में ताकत है या नहीं? अब मम्मे मैं मसलूँगा… तब देख कैसे चींख-चींख के उछलेगी तू। साली शादी की तो एक ही चूत चोदने को मिलेगी लेकिन नहीं की तो तेरी जैसी मस्त गरम चूत मिलेगी… और तू इस लौड़े से चुदवाके तेरी सहेलियों को भी सुलायेगी मेरे नीचे… है ना?”

अनिल की ज़िप खोल कर रोज़ा ने अपने दोनों पैर घुटनों में मोड़ लिये जिससे उसकी साड़ी जाँघों से ऊपर खिंच गयी और अनिल को उसकी चूत दिखायी दी क्योंकि रोज़ा ने पेटिकोट के नीचे पैंटी ही नहीं पहनी थी। झटके से अनिल की पैंट खोल के रोज़ा ने अपने हाथ से उसका लंड निकाला। काले साँप जैसे सख्त गरम लंड को देख कर वो खुश हुई।

लंड के आजू बाजू में घनी झाँटें देख कर उसमें अपनी अँगुलियाँ घुमाती हुई वो बोली, “ओहह वॉओ! क्या मस्त लंड है तेरा अनिल। लंड बोलने में ज़रा शर्म आती थी इसलिये मैंने सामान बोला। सुन अनिल तेरा ये लंड का मज़ा सहेलियों में क्यों बाँटू? तेरा ये लंड तो मैं ही पूरा खाऊँगी और खाके थक गयी तो फिर किसी सहेली को दूँगी… मेरी सहेलियों को चोदना है तो मेरी मिन्नतें करनी पड़ेंगी… अनिल।”

रोज़ा कि नंगी गीली चूत देख कर उस पे हाथ रख कर मसलते हुए रोज़ा की साड़ी कमर तक उठा कर वैसे ही लेटे-लेटे उसकी चूत के पास आके उसकी चूत पे जीभ फेरने के बाद अनिल बोला, “अब अंजान मर्द से चुदवाने वाली है तो लौड़ा बोलने में कैसी शरम जान? एक हाथ से लंड सहला और दूसरे से मेरी गोटियाँ।

साली आज तुझे जन्नत की सैर करवाऊँगा। मिन्नतें तो क्या मेरी जान… मैं तो तेरा गुलाम हूँ… चाहे तो मुझे अपनी सैंडल की नोक पे रख… कहेगी तो तेरे सैंडलों के तलवे तक चाटूँगा अगर मुझे अपनी सहेलियों की चूत दिलवायेगी तो… वैसे तेरी बेटियों की उम्र क्या है रोज़ा? मेरा लंड तुझे इतना अच्छा लगा है तो देख आज तुझे कितना मज़ा दूँगा, वैसे मेरा लंड इतना अच्छा क्यों लगा तुझे रोज़ा जान?”

अपनी चिकनी चूत पे पहले अनिल का हाथ और फिर चूत को चाटने से रोज़ा को अच्छा लगा। वो अपनी चूत हल्के से अनिल के मुँह पे दबा कर अपनी उँगली पे अनिल के लौड़े का रस लेके बोली, “अब तेरा हाथ मम्मों पे पड़ा तो ये लगा मुझे कि मसलना किसको कहते हैं और मर्द का हाथ कैसा होता है।

मेरा शौहर आज तक मम्मे मसलता था पर उसमें वो बेरहमी नहीं थी जो तू दिखा रहा है। अनिल एक बात माननी पड़ेगी तुझे कि उसके दबाने या ना दबाने की वजह से मेरे मम्मे आज भी ढीले नहीं हैं और तने हुए हैं… जिससे मुझ में अपने आप कॉनफीडेंस आता है और दूसरी औरतों की तरह पुश-अप ब्रा नहीं पहननी पड़ती है।

देख तो सही तेरा लंड कैसा फुँफकार रहा है मेरे मम्मे देख कर… मानो मम्मे देखे ही ना हो… तू मेरे सैंडलों के तलवे चाटने की बात तो कर रहा है… साले… सोच ले… मैं भी बहुत कुत्ती औरत हूँ… सच में चटवाऊँगी अपने सैंडलों के तलवे… फिर मत कहना।”

रोज़ा की चूत चाट कर उसके मम्मे मसलते हुए अनिल रोज़ा की उँगली उसके मुँह में घुसाते हुए बोला, “साली ले मेरे लौड़े का पानी चाट ले… वो तेरे लिये ही है, अभी उँगली पे पानी लिया है फिर पूरा लंड तेरे मुँह में डालना है जान। साली तूने खुद को मेंटेंड रखा है जान, जिससे आज भी तू ३०-३२ साल की ही लगती है। ऐसा मस्त जिस्म तो नयी-नयी शादी हुई लड़कियों का ही होता है रोज़ा।

पर आज तेरे इस वेल-मेंटेंड जिस्म की चूत, गाँड, मुँह और मम्मों का भोंसड़ा बनाके रखुँगा समझी? बहनचोद इतना चोदुँगा तुझे कि तुझ में उठने का दम ही नहीं रहेगा। रोज़ा बहनचोद तेरी जैसी गरम औरत आज तक मेरे लौड़े ने नहीं देखी… इसलिये ऐसे फुँफकार रहा है… मुझे पता है कि तू बहूत कुत्ती औरत है पर मैं भी ज़ुबान का पक्का हूँ… कहे तो मैं अभी तेरी सैंडल के तलवे अपनी जीभ से चाट दूँ।”

अनिल की जीभ के बार-बार चूत चाटने से एक सरसराहट रोज़ा के जिस्म में दौड़ी। अपने होंठ काटते हुए रोज़ा अनिल का मुँह जोर से अपनी चूत पे दबाते हुए बोली, “उम्म्म हाँ और चाटो राजा। बड़ा मज़ा आ रहा है तुझसे चूत चटवाने में। अरे ऐसा लौड़ा मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार देखा, मूसल जैसा है… मानो किसी जानवर का हो।

और जब जानवर चूदाई करता है तब चूत, गाँड, मुँह और मम्मों का तो भोंसड़ा बनता ही है और मुझे भी वैसा ही चाहिये। अनिल तुझे जैसे चोदना है वैसे चोद मेरा ये जिस्म… तू मेरे सैंडलों के तलवे चाटने को तैयार है तो मैं भी कम नहीं… आज ये मुसल्ली रोज़ा सब करेगी तेरे लिये… क्योंकि मुझे आज पूरा मज़ा चाहिये तेरे जैसे मर्द से।”

रोज़ा की कमर में दोनों हाथ डाल कर उसकी चूत बेताबी से चाटते हुए पूरी जीभ चूत में घुसा के अनिल चाटने लगा। अच्छे से चूत चाट कर फिर बेरहमी से रोज़ा के मम्मे मसलते हुए वो बोला, “मज़ा आ रहा है ना रानी? कभी किसी मर्द ने ऐसे चाटी थी तेरी चूत जान? पहले तो तेरी चूत जीभ से चोदुँगा और फिर मैं जानवर जैसे उसमें लंड डाल कर कुतिया बनाके चोदुँगा।

बहनचोद तेरी जैसी सब औरतों ने यही कहा है मुझसे कि मेरे जैसा लंड देखा नहीं है उन्होंने। कितनों को चोद के भोंसड़ा बना चुका हूँ मैं… आज तेरी बारी है। सुन रोज़ा आज रात भर तुझे चोदुँगा, तेरी सहेली गयी भाड में। आज तुझे उसके घर जाने नहीं दूँगा, अभी यहाँ चोद कर फिर मेरे घर ले जाऊँगा समझी? बहनचोद साली तुझे बच्चों के बारे में पूछा तो जवाब क्यों नहीं देती हरामी।” गुस्से से अनिल ने रोज़ा के मम्मे ज़ोर से दबाये।

गालियाँ और बेरहमी से चूत मसलने से रोज़ा को बड़ा अच्छा लग रहा था। पहली बार एक जानवर जैसे मर्द से मस्ती करने में उसे मज़ा आ रहा था। अनिल की गोटियाँ मसलते हुए वो बोली, “आहहहह और चाट मेरी चूत और ऐसे ही मसल डाल मेरे मम्मे अनिल। आज तक शौहर ने इस तरह कभी मसला नहीं मेरा जिस्म और चूत भी चाटी नहीं उसने।

मेरे बदन से खूब खेलके फिर डाल अपना जानवर जैसा लंड मेरी चूत में। मैं भी बेताबी से तुझ से एक जंगली जैसी चुदवाने को तड़प रही हूँ। कईं बार अपनी चूत को केले से चोदते हुए गधे के लंड का तसव्वुर करती हूँ… तेरा लंड भी कम नहीं है… चाहे जो हो जाये आज… चाहे मेरी चूत फटे, मुँह सूजे, मम्मों से खून निकले या गाँड फटे, मैं तेरा लौड़ा आज ले लूँगी और पूरी तरह से लूँगी।

तू तो ऐसा बोल रहा है जैसे तूने बहुत चूतों को चोदा है, तेरी स्टाइल से और तेरे अंदाज़ से ये भी मानना ही पड़ेगा पर मैं घर जाके नहीं चुदवाऊँगी, मुझे यहीं चुदना है। घर तो अब आना जाना रहेगा ही… वो फिर कभी। तू तो मेरी बेटियों के बारे में मेरे पीछे ही पड़ गया है। मेरी बेटियाँ हैं… ये सुन के तेरी आँखों में चमक क्यों आ जाती है अनिल?” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अनिल खड़ा हो कर नंगा हुआ और फिर रोज़ा को भी खड़ी करके उसका पेटिकोट और साड़ी निकाल के उसको सिर्फ़ ब्लाऊज़ में खड़ी किया। दोनों हाथों से रोज़ा का ब्लाऊज़ वो खिंच के उतारने लगा जिससे ब्लाऊज़ फट गया। रोज़ा की ब्रा उतार के उसको पूरी नंगी कर दिया। अब वो सिर्फ ब्राऊन कलर के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने अनिल के सामने खड़ी थी।

रोज़ा की चूत में दो उँगली डाल के उसके मम्मे मसलते हुए अनिल बोला, “साली मुझे मालूम है तेरी जैसी रंडी गरम औरत को कैसे बेरहमी से गालियों और मार के साथ चोदना चाहिये। तेरी जैसी रईस औरत को काफी पसंद है जानवर जैसे चुदवाना। बहनचोद वैसे तो बुर्का पहन कर बहुत शरीफ बन कर रहती हो पर हमारे सामने एकदम राँड बन जाती हो तुम।

तेरी बेटियों की बात सुन के मेरी आँखों में इसलिये चमक आयी क्योंकि मुझे तो कमसिन लड़कियाँ भी बड़ी पसंद हैं। तेरी जैसी गरम मुल्लनी औरतों की जवान बेटियाँ भी गरम होती हैं और उनको चोदने में बड़ा मज़ा आता है। बहनचोद… तेरी कमसिन बेटियाँ हैं… ये सुन के लौड़े में और गरमी भर गयी, मादरचोद… उनकी उम्र और नाम तो बता।”

अपनी कमर आगे पीछे करके रोज़ा अनिल से चूत में उँगली करवाती हुई उसका लंड मसलते हुए बोली, “देख अनिल, तू गालियाँ दे या जो कुछ भी करे… मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, पर मार नहीं खाऊँगी। देख मैं बाकी औरतों जैसी नहीं हूँ। अब तुझसे चुदवाना है तो पूरा दिल खोल के चुदवा लूँगी, उसमें मेरा ब्लाऊज़ फटे या बाकी कपड़े गंदे हों तो भी कोई बात नहीं, मैं कुछ नहीं कहूँगी पर साले अब मेरी चूत को बराबार सहला.

मुझे बहुत मज़ा आता है जब तू ऊपर से सहलाते हुए चूत में उँगली करता है तो। अरे तेरा ऐसा मूसल जैसा लंड मैं छोड़ने वाली नहीं हूँ, तू जैसे चाहेगा वैसे चुदवा लूँगी आज तुझसे। मेरी बेटियाँ हैं और वो जुड़वां हैं पर तुझे क्या दिलचस्पी है उनमें ये तो बता? एक का नाम खुशबू और दूसरी का जोया है।”

रोज़ा की वो हल्की अकड़ देख के अनिल ने गुस्से से उसकी चूचियाँ बड़ी बेरहमी से मसलीं और निप्पल काटते हुए तीन अँगुलियाँ ज़ोर से चूत में घुसा दीं जिससे रोज़ा को बड़ा दर्द हुआ पर फिर भी रोज़ा ने उससे और लिपट के आहें भरीं। अपना लंड रोज़ा के हाथ में दे कर और उसके निप्पलों से खेलते हुए.

अनिल बोला, “तेरी माँ की चूत साली, मुझे मत सिखा कि क्या करूँ हिजाबी रंडी। मैं जैसे चाहुँगा तुझे चोदुँगा, जितना चहुँगा मारूँगा समझी? तेरी जैसी रंडी चूत को मार के चोदने से तुम हमेशा हमारे हमारे लंड की गुलाम रहती हो। मेरे सामने ज्यादा अकड़ना नहीं समझी? मैंने प्यार से तेरे सैंडल के तलवे छाटने की बात कही तो तू ज्यादा ही अकड़ने लगी…”

रोज़ा को एक झापड़ मार कर रोज़ा की चिकनी चूत सहलाते हुए अनिल ने नीचे बैठ कर उसको चाट कर कहा, “मुझे मालूम है तेरी जैसी गरम चूत मेरा तगड़ा लंड कभी नहीं छोड़ेगी लेकिन साली तुझे चोदने की कीमत चाहिये मुझे… और कीमत है तेरी वो दो जुड़वां बेटियाँ, आहहहहहह नाम भी क्या सैक्सी हैं उनके, खुशबू और जोया, उम्र क्या है तेरी उन बेटियों की रोज़ा?”

अनिल के झापड़ से रोज़ा के गाल पे लाल निशान आ गया। उसके बाल बिखर के चेहरे पे आ गये। उसने अपने बाल संवारे और उसका अनिल को दबाने का जोश कुछ ठंडा पड़ गया। जिस तरह अनिल उसकी चूत चाट रहा था उससे रोज़ा मदहोश हो कर अनिल का सिर चूत पे दबाते हुई बोली,

“आहहह चोद जैसे मर्ज़ी आये वैसे चोद। आज तू चाहे कुछ भी कर ले लेकिन ऐसा मस्त लौड़ा जाने नहीं दूँगी मैं। तू जी भरके गालियाँ दे… मार मुझे लेकिन जानवर बनाके चोद भी मुझे.. अनिल! पर बदले में तू भी मेरी गालियाँ सुनने और मेरी मार खाने के लिये तैयार रह…

मुझे भी चुदाई के वक्त वहशियानपन करना अच्छा लगता है… अनिल तू मेरी जैसी औरत को रंडी क्यों बोलता है? शौहर के अलावा मैं कई साल बाद किसी अजनबी से चुदवा रही हूँ… इसलिये रंडी बोलता है क्या मुझे? मेरी उम्र से तू ही अंदाज़ा लगा मेरी बेटियों की उम्र का। नहीं लगा सकता ना अंदाज़ तू? तो सुन दोनों अभी-अभी २० साल की हो गयी हैं।”

अनिल ने रोज़ा की चिकनी चूत चाट कर बाहर से पूरी गीली कर दी थी । रोज़ा की चूत को अंदर से भी अच्छे से चाट कर अनिल रोज़ा के मम्मों को पकड़ कर उनका सहारा ले कर खड़े होते हुए बोला, “देखा मादरचोद मुसल्ली राँड, एक झापड़ से कैसे तुझे तेरी औकात मालूम हुई? ये भी देखा ना तूने कि कैसे एक अंजान मर्द के साथ रासते में चुदवाने के लिये नंगी हुई है तू…

इसलिये तेरी जैसी चूदास औरतों को मैं राँड बुलाता हूँ, थोड़ा यहाँ और वहाँ हाथ लगाओ और साली तुम टाँगें फ़ैला कर चुदवाने को तैयार हो जाती हो, है ना सच बात?” रोज़ा के मम्मे निचोड़ कर अनिल ने रोज़ा को नीचे बिठाया और अपना लंड उसके मुँह पे घुमाते हुए बोला, “चल मादरचोद चूत!

अब मेरा लंड चूस अच्छे से, अब देख तुमसे क्या-क्या करवाता हूँ। बहनचोद बीस साल की मुल्लनी कमसिन चूत कभी नहीं चोदी मैंने और तेरे पास दो-दो कमसिन चूत हैं? तेरी माँ की चूत… खूब मज़ा आयेगा तेरी बेटियों को चोदने में, खूब चोदुँगा तुझे और तेरी बेटियों को।”

रोज़ा ने अनिल का लंड अपने चेहरे पे घुमा कर उसे ऊपर करके एक बार लंड के नीचे और गोटियों का पसीना चाट लिया। फिर प्यार से लंड को देख कर उसको चूमते हुए बोली, “हाँ हो गयी औकात पता मुझे मेरी अनिल एक झापड़ से। अरे अनिल गाँडू, तेरे जैसा अलबेला मर्द हो या कोई और मर्द हो, इतना गरम करोगे तो बर्फ जैसी कोई भी औरत नंगी हो जाये चुदवाने के लिये और फिर मैं तो खुद इतनी गरम हूँ और अभी जवान हूँ…

और ये इतना मस्त लंड देखूँगी तो क्या चुदवाने के लिये टाँगें फ़ैला कर तेरे नीचे नहीं लेटूँगी? तू देख तो… तेरा लंड मेरी नंगी जवानी देख कर कैसा फुँफकार रहा है। मानो इतनी मस्त नंगी औरत देखी ही ना हो। अरे बीस साल की चूत नहीं चोदी तो क्या हुआ? मेरा जिस्म और मेरी चूत भी तो वैसी ही है ना?”

रोज़ा के चाटने से अनिल को अच्छा लगा। उसे अब पेशाब आ रहा था। एक बार पेशाब करके फिर रोज़ा से लंड चूसवाना उसने बेहतर समझा। अनिल ने रोज़ा को ये बताया पर रोज़ा उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखती हुई उसका लटकता और तना लंड सहलाती रही, मानो वो कुछ कहना चाहती हो पर शर्म से कह नहीं पा रही हो।

अनिल ने एक मिनट रोज़ा को देखा और फिर उसके दिल की बात समझ गया। अपना लंड रोज़ा के मुँह की तरफ करके पेशाब करने लगा। अनिल के पेशाब से रोज़ा का मुँह भर गया तो फिर उसकी पेशाब मुँह से हो कर मम्मों को गीला करते हुए और फिर नीचे चूत को गीली करके ज़मीन पे गिरने लगा।

अपना लंड फिर रोज़ा की माँग पे निशना लगाकर उसमें पेशाब करते हुए अनिल बोला, “तेरी माँ की चूत हरामी राँड, आज तक किसी भी औरत की माँग ऐसे नहीं भरी थी, राँड तुझे पेशाब पिला कर और माँग भर के अब तुझे अपनी छिनाल बनाया है। रही बात गरम करने की तो क्या तूने आज तक अपने मर्द को भी तुझे इतना गरम करते देखा है?

तू तो चुदवाने के पहले ही राँड बन गयी है। मादरचोद तेरी जैसे मुल्लनी औरत को मेरे जैसा लौड़ा जब मिलता है तो तुम लाज शरम छोड़के किसी भी जगह नंगी हो कर रंडी होने का सबूत देती हो। तेरी चूत भी काफी मस्त है लेकिन साली बीस साल की लड़की का सील तोड़ना अलग बात है रोज़ा… इसी लिये मुझे उनको चोदना है राँड।”

रोज़ा जैसा चाहती थी वो अनिल ने समझ कर उसको अपने पेशाब से नहला दिया। उस गरम पेशाब से अपने मम्मे और बदन को नहला कर रोज़ा को अच्छा लगा। सबसे अच्छा उसे तब लगा जब अनिल ने उसकी माँग पेशाब से भरी। रोज़ा को अनिल का पेशाब अपनी माँग और पूरे बदन पे सोने के पानी जैसा लगा।

अपने नंगे जिस्म पे वो पेशाब मलते-मलते हौले-हौले अपने मम्मे दबाते हुए वो बोली, “हुम्म्म हाय, अनिल मादरचोद… कितना अच्छा लगा तेरे पेशाब से नहाने में। तेरे लंड की कसम अनिल भड़वे… ये इतने तने हुए निप्पल मेरे कभी नहीं हुये। आज पहली बार मुझे अपनी सैक्सी इमेज का एहसास हुआ। अरे मेरे जैसी औरत की बात छोड़, किसी भी औरत को ऐसा लंड मिले तो वो मस्त हो जाये और चुदवाये रंडी जैसे।”

पेशाब टपकता अनिल का लंड रोज़ा अपने मुँह में डाल कर मस्ती से चूसते हुए अपनी चूत और मम्मे सहलाने लगी। अनिल रोज़ा की बात सुन कर खुश हो कर उसका सिर पकड़ कर खड़े-खड़े उसका मुँह चोदते हुए बोला, “तेरी माँ की चूत, कसम से आज तक तेरी जैसी हरामी औरत नहीं देखी जो पेशाब अपने जिस्म पे लगा कर खुद उसे अपने मम्मे और चूत पर मसलते हुए लंड चूसती है।

ऐसे ही चूस रंडी, ज़ोर से चूस मेरा लौड़ा और गोटियाँ और ऐसे ही चूसते हुए चूत में उँगली करती रह रानी। मुझे पता है मेरा लंड देख कर किसी भी औरत की चूत गीली होगी रंडी… पर तेरी जैसी छिनाल औरत नंगी हो मेरे सामने तो मैं जानता हूँ कि वो औरत दोनों को खूब मज़ा देगी। अब मेरा ये लंड लेने के बाद अपनी बेटियों को कब सुलायेगी मेरे नीचे ये बता।”

ज़िंदगी में पहली बार इतना काला, मोटा और लंबा लंड देख कर रोज़ा खुश हो कर पहले उसे मसलने लगी। फिर अनिल की गोटियाँ सहला कर और उसकी तरफ़ देख कर रोज़ा ने जीभ निकाल कर दो-तीन बार लंड चाट लिया। अनिल के चेहरे पे फ़ैली मुस्कुराहट देख कर रोज़ा को बड़ा अच्छा लगा और उसने अनिल का लंड मुँह में डाल लिया। अनिल के बड़े लौड़े से रोज़ा का मुँह पूरा भर गया। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

लंड पे मुँह आगे पीछे करते हुए लंड बहुत मस्ती से चूसते हुए रोज़ा बोली, “अब मुझे लंड चूसने देगा या नहीं गाँडू? अब मेरी बेटियों के बारे में कुछ मत पूछना जब तक तू मेरी चूत में अपना पानी ना डाले। तब तक तू मेरे और अपने बारे में ही बात करना। उसके बाद मैं तुझे जो चाहे वो बताऊँगी उन दोनों के बारे में। कसम से इतना बड़ा लंड ज़िंदगी में नहीं चूसा। लगता है आज चूत के साथ मेरे होंठ भी सूज जायेंगे तेरा लंड चूसते-चूसते अनिल।”

रोज़ा कि बात और चुसवायी अच्छी लगने से अनिल हल्के-हल्के उसका मुँह चोदते हुए और बालों में हाथ फेरते हुए बोला, “ठीक है मादरचोद रंडी, अब पहले तेरी चूत का भोंसड़ा बनाने के बाद ही तेरी कमसिन बेटियों की बात करूँगा। रोज़ा रंडी…

पहले मेरा लंड और फिर मेरी गोटियाँ और बाद में मेरी गाँड चाट। फिर बाद में तेरी गाँड मारूँगा और फिर चूत। बहनचोद इतना बड़ा लंड देखा नहीं था तो पहले मिलती, खूब चोदता तुझे रंडी। अब देख तेरी गाँड कैसे फाड़ुँगा… पहले अच्छे से चूस कर बड़ा कर मेरा लौड़ा तेरी गाँड फाड़ने के लिये।”

रोज़ा खुशी से लंड चूस रही थी। मुठ मारती हुई वो लंड चाट कर मुँह में ले रही थी। चाटने से चेहरे पे आ रहे बालों को अनिल पीछे करके रोज़ा को लंड चूसते देख कर सिसकरियाँ भर रहा था। अच्छे से लंड चूसने के बाद रोज़ा ने ज़मीन पे लेट कर अनिल के दोनों जाँघों के एक दम नीचे उसके लंड के पास आते हुए उसे अपने मुँह पे बिठाया जिससे उसका लंड पूरा रोज़ा की गिरफ़्त में रहे और अनिल की झाँट, गोटियाँ और गाँड का छेद भी एकदम जीभ के पास हो।

अनिल की झाँट चाट कर वो बोली, “हाँ और लंबा करूँगी… चाहे जो हो जाये। बहनचोद तुझे तो वक्त का अंदाज़ा भी नहीं होगा कि पूरे दस मिनट से चूस रही हूँ तेरा लंड… देख कितना गीला हुआ है। गोटियाँ क्या चूसूँ, मुझे तो तेरी झाँटों से आती खुशबू में दिलचस्पी है, वही तो है जो मदहोश करती है मुझे… अनिल कुत्ते।”

रोज़ा की इस अदा पे अनिल खुश हुआ पर उसे और खुशी तब मिली जब उसे अपनी गाँड पर रोज़ा की जीभ महसूस हुई। आँखें बन्द करके रोज़ा के मम्मे ज़ोर से मसलते हुए वो बोला, “साली तेरा चूसना इतना मस्त है कि इतना वक्त तूने चूसा वो समझा ही नहीं।

कसम से तेरे जैसा मस्त लौड़ा आज तक किसी ने नहीं चूसा मेरा। तू सही में मर्द को गरम करना और उसे खुश करना जानती है रोज़ा। और फिर ये तेरा गाँड चाटना, उफ्फ्फ, मादरचोद अच्छे से मेरी गाँड चाटेगी तो ऐसे ही तुझे चोदुँगा और हमेशा खुश रखुँगा, चल चोद मेरी गाँड अपनी जीभ से रोज़ा।”

रोज़ा जीभ गाँड पे घुमा कर चाटने लगी। उसका एक हाथ लंड पे मुठ भी मार रहा था। अनिल मम्मे बड़ी मस्ती से मसल कर उसे और गरम कर रहा था। गाँड के छेद में जीभ घुसेड़ कर वो अनिल को और खुश कर रही थी। गाँड चाटने के बाद उसने लंड के आजु बाजू का इलाका थूक से पूरा का पूरा गीला किया, मानो अनिल के लंड से रस बहने लगा हो।

लंड को चेहरे पे घुमती हुई वो बोली, “हाँ और दे मुझे और दे तेरी झाँटें… लंड और गाँड, आज सब चाट डालूँगी मादरचोद। आज मैं पूरे मूड में हूँ, सब कुछ करूँगी। मेरा ये ऐसा नशीला मूड तूने ही बनाया है, अब तू जैसा चाहे वैसे चोद मुझे अनिल।

मुझे अच्छे से चोद और जब तक मुझे चोद रहा है… मेरी बेटियों के ख्यालों में खो मत जाना। अरे मेरी बेटियाँ भी मिलेंगी तुझे, उनको मैं ही चुदवाऊँगी तुझसे। वो भले ही बीस साल की हों पर जिस्म २३-२४ जैसा है उनका। खूब चोद मेरी बेटियों को भी अनिल।”

अनिल अब रोज़ा पे उल्टा लेट गया। इससे रोज़ा को लंड और गाँड चाटने में आसानी हो गयी और रोज़ा की चूत और गाँड अनिल के मुँह के पास हो गयी। अपने पैर घुटनों में मोड़ कर अनिल पैरो की अँगुलियों से रोज़ा के मम्मे मसलने लगा। अपने खुरदुरे पैरों से रोज़ा के चिकने और मुलायम मम्मे बेरहमी से रगड़ते हुए वो बोला,

“तेरी माँ की चूत साली… मुझे अपनी बेटियों का लालच देती है छिनाल? साली तू क्या उनकी दलाल है हरामी? बहनचोद मैं तो तेरी बेटियों को वैसे भी चोदुँगा रंडी। लेकिन अब पहले तेरे जिस्म को चोदना है अभी। आहहहहहह हरामी… जीभ से मेरी गाँड चोद, पूरी अंदर डाल अपनी जीभ।”

थोड़ा और नीचे हो कर अनिल की गाँड के दोनों गोलों को अलग करके उसके छेद पे अपनी जीभ रख कर रोज़ा पागल बिल्ली की तरह चाटने लगी। उस तीखी गंध से उसे अच्छा लगा तो वो पूरी गाँड पे जीभ फेरते हुए छेद में जीभ घुसा कर चाटने लगी। अपने मुलायम मम्मों पे अनिल के खुरदुरे पैरों से होता खिलवाड़ उसे अच्छा लगा.

और वो बोली, “हाँ साले… डालती हूँ! पहले झाँटों से तो स्वाद खतम करने दे। मैं बेटियों का लालच नहीं दे रही बल्कि इसमें तो मेरा ही फायदा है, मुझे तेरे जैसे मर्द का मूसल जैसा लंड मिले। अनिल… मैं तो यही चाहुँगी कि मेरी बेटियों को भी अच्छी चूदाई मिले इस लंड से। वैसे वो मेरी बेटियाँ हैं… इसलिए हो सकता है कि वो कॉलेज में लड़कों से चुदवाती हों।”

रोज़ा की चूत फ़ैला कर उसमें जीभ डाल कर अनिल चूत को जीभ से चोदने लगा। पूरी जीभ अंदर डाल कर चूत चाटने के बाद अपनी गाँड को चोद रही रोज़ा की जीभ का अच्छा एहसास होने पे अनिल बोला, “आआआआहहहहह साआआआआलीईईई क्या गरम जीईईईभभभ है तेरी रंडी.

इतनी गरम जीभ आज तक मेरी गाँड पे नहीं लगी, और चाट, चूस अंदर डाल जीभ, राम कसम… आज पहली बार इतना गरम माल मिला है, साली तू रंडी बनने के लायक है, तुझे तो किसी बड़े आदमी की रखैल बनना चाहिये रोज़ा। चूस और चोद मेरी गाँड रंडी, आहहहहह।”

अनिल फिर चूत को उँगली से फ़ैला कर चाटने लगा। रोज़ा की गाँड को सहला कर वो बीच-बीच में गाँड भी चाटने लगा। फिर अपनी जीभ से चूत को चोदते हुए उसने रोज़ा की गाँड में उँगली घुसा डाली। गाँड में उँगली घुसने से रोज़ा उचकी। वो भी अनिल की गाँड चाटने लगी मस्ती से। उन दोनों का ये खेल चलता रहा। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

अपना मुँह अनिल की गाँड से हटा कर रोज़ा बोली, “देखो अनिल, हम दोनों ने ये तजुर्बा पहली बार किया है। बहुत मज़ा आ रहा है तेरी गाँड चाटने में और तुझसे अपनी गाँड चाटवाने में। आहह अरे उँगली से क्या गाँड फाड़ेगा गाँडू? मेरी गाँड तेरे लौड़े से फटनी चाहिये।

ऊम्म्म्म्म और अंदर अपनी मर्दानी जीभ डाल मेरी गरम मुसल्ली चूत में अनिल कुत्ते। मेरे चोदु भड़वे, जी चाहता है कि आज रात की सुबह ही ना हो, तू ऐसे ही पेलता रहे मुझे रात भर। ओहहह… मेरे मम्मे पे अपने हथौड़े जैसे हाथ से मेहरबानी कर… बहुत दिनों से इनको तेरे जैसे मस्त मर्द ने छुआ और मसला नहीं है।”

अनिल उठ कर रोज़ा के सीने पे बैठ गया जिससे अब उसकी गाँड रोज़ा के मुँह पे आ गयी। रोज़ा अनिल की गाँड फ़ैला कर उसे चाटने लगी और अनिल उसके मम्मों को ज़ोर से मसलते हुए और निप्पलों को खींचते हुए बोला, “अरे बहनचोद रंडी, लौड़े से ही तेरी गाँड फाड़ूँगा रानी पर पहले तेरी गाँड में उँगली करके उसमें मस्ती तो भर दूँ।

साली इतनी क्यों उतावली हो रही है तू लंड के लिये? बहनचोद लंड घुसेगा तो देखुँगा कि कितनी मस्ती या दर्द से चुदवाती है तू। वैसे रंडी तेरे मम्मे सही में बड़े शानदार हैं, साली देख कैसे तन कर खड़े हैं तेरे निप्पल। बहनचोद… मम्मे बहुत दिनों से मसले नहीं ना किसी ने, आज देख तेरे मम्मों को कैसे नोच-नोच कर मसलता हूँ रंडी।”

रोज़ा में और मस्ती भर गयी मम्मों के मसलने से। अनिल उसके मम्मे मसल रहा था तो वो लंड पकड़ कर अनिल को दिखा कर हिलाती हुई उसकी मुठ मारने लगी जिससे उसमें से काफी रस निकले। एक हाथ से वो पतला सा रस ले कर उसे अपनी चूत पे रगड़ते हुए धीरे-धीरे रोज़ा उतावली हो कर अनिल की गाँड चाट रही थी। अब उसे एहसास हो रहा था कि उसकी चूत में लंड नहीं घुसा तो वो बेहद बेकाबू हो जायेगी।

अपनी चूत में उँगली डालते हुए वो अनिल से बोली, “उफ्फ बहनचोद, मैं सही में अब उतावली हो गयी हूँ तेरे लंड के लिये। तूने आज जैसे मुझे गरम करके रंडी बनाया है वैसे आज तक मैंने कभी नहीं किया था। तेरे इस दमदार लौड़े से दर्द भी हुआ तो भी अपनी गाँड को मैं चुदवाऊँगी, पर साले मादरचोद… अब चोद डाल मेरी चूत। बहुत तड़प रही है मेरी चूत तेरे लौड़े के लिये। दे मुझे अपना ये लौड़ा और शाँत कर मेरी जवानी।”

अपने नीचे लेटी रोज़ा की तड़प देख कर अनिल खुश हुआ। उस रंडी औरत को चूदाई के लिये इतनी बेताब बनी देख कर उसे और तड़पाने के लिये उसके मम्मे और भी बेरहमी से मसलते हुए निप्पल खींच कर उनको मस्ती से मरोड़ते हुए वो बोला,

“बहनचोद इतनी क्यों उतावली हो रही है कि लंड पे से मेरा पानी ले कर चूत में डाल रही है रंडी? अरे चूत में तो मेरा लौड़ा घुसेगा… तब मज़ा आयेगा तुझे… वो उँगली निकाल राँड। साली और थोड़ी मेरी गाँड चाट कर जीभ से चोद… उसके बाद तेरी चूत फड़ दूँगा मैं, चल और चाट मेरी गाँड मेरी रोज़ा रानी।”

“आहहहह… अब ये आग नहीं सही जाती, जल्दी मेरी चूत में डाल दे अपना मुस्टंडा लंड नहीं तो मैं मर जाऊँगी… बहन के लौड़े। एक बार मुझे शाँत कर… फिर तू कहेगा तो रात भर तेरी गाँड चाटूँगी मैं। लेकिन अब सहा नहीं जाता, अब गाँड चाटने को मत बोल, अभी मेरी चूत चोद डाल।”

रोज़ा उँगली से अपनी चूत चोदते हुए जोश में आकर दूसरे हाथ से अनिल के बाल पकड़ कर उसका सिर झंझोड़ डाला और उसकी छाती में एक मुक्का भी मारा। फिर उसका लंड सहलाने लगी जोश में। यह कहते हुए भी अनिल की गाँड को चूसती रही वो बहुत उतावली हो कर।

अनिल को पहले तो रोज़ा के मुक्के और अपने बाल खींचे जाने पर गुस्सा आया पर फिर रोज़ा पे रहम खा कर उसने उसकी चूत को झुक कर एक बार पूरी जीभ अंदर डाल के अच्छे से चाट लिया। फिर उसकी टाँगें फ़ैल कर उनमें बैठ के निप्पल खींच कर मम्मे बेरहमी से मसलते हुए बोला, “चल रोज़ा रंडी, पहले तेरी चूत फाड़ कर बाद में तेरी गाँड का भोंसड़ा बना दूँगा…

चल छिनाल मेरा लंड पकड़ कर अपनी रंडी चूत पे रख और चूत उठा कर मरे लौड़े से लगा। बहनचोद बहुत गरम हो गयी है… लगता है अब तेरी इस गरम मुल्लानी चूत में अपना मूसल लौड़ा डाल के तुझे नहीं चोदा तो तू जल जायेगी अपनी चूत की आग में। मादरचोद कैसे एक अंजान मर्द की गाँड चाट रही है तू साली भड़वी। राम कसम तेरे जैसी गरम माल देखी नहीं आज तक, चल रख मेरा लंड अपनी गरम चूत पे।”

अपना सीना ऊपर करके अनिल के हाथों में अपने मम्मे भर कर रोज़ा एक चुदक्कड़ बिल्ली की तरह झट से अनिल का लंड पकड़ कर अपनी चूत पे सटा कर खुद ही अपनी कमर ऊपर नीचे करती हुई लंड अंदर डालने की कोशिश करती हुई बोली, “आआहहहह… उम्म्म अब मुझे चैन मिलेगा भोंसड़ी के…, ले मैंने चूत पे लंड रख दिया, अब तू डाल अपना लौड़ा मेरी गरम चूत में बिंदास हो कर।”

रोज़ा ने लंड चूत पे जैसे ही रखा, अनिल ने हल्का धक्का दिया जिससे रोज़ा की तंग चूत का मुँह फ़ैला कर लंड की टोपी अंदर घुसी। रोज़ा की एक चूंची बेरहमी से मसलते हुए और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर अनिल बोला, “मादरचोद बड़ी चुदासी लगती है तू… रंडी अब देख तेरी चूत की क्या हालत करता हूँ। मादरचोद बड़ा गरम किया है तूने मेरा लंड छिनाल, बड़ी मस्ती से चोदुँगा तेरी चूत हरामी।”

जैसे ही अनिल का हाथ अपने लंड पे गया, रोज़ा अपने हाथों से खुद अपनी चूचियाँ मसलती हुई बोली, “उउम्म्म थोड़ा और जोर से मार ना… पूरा लेना है लौड़ा चूत में हरामी। तू दर्द की चिंता मत कर, जितनी बेरहमी से हो सके डाल अपना लौड़ा मेरी चूत में और चोद मुझे।” रोज़ा की इस बात पे अनिल ने भी जोश में आकर उसकी कमर में हाथ डाल कर एक ज़ोर दार धक्का दिया.

जिससे उसका मोटा लंड रोज़ा की चूत फैलाते हुए करीब-करीब आधा घुस गया। इतना मोटा लौड़ा घुसने से रोज़ा का सीना और माथा पसीने से लथपथ हो गया। दर्द से उसने आँखें बंद करके होंठ दाँतों में दबाये। रोज़ा के सीने का पसीना चाट कर अनिल बोला, “तेरी माँ की चूत चोदूँ, साली रंडी, क्या टाइट चूत है तेरी। लगता है तेरे शौहर का लंड ज्यादा बड़ा नहीं है जो मेरा लंड इतना टाइट जा रहा है।”

अपनी कमर हिला कर, पैर फ़ैलाते हुए रोज़ा अनिल के लंड का रास्ता और आसान करती हुई, अनिल के चौड़े सीने पे हाथ फेरती हुई बोली, “अरे मेरे शौहर की बात छोड़, तुझे मज़ा आ रहा है ना एक ४२-४३ साल की औरत की इतनी टाइट चूत में लंड डालने में?

यार तू अपनी सोच, मेरे बारे में बोल, शौहर का क्या काम है? उसका काम खतम हुआ जब उसने दो बेटियाँ दे दीं, मुझे अब उसका कोई काम नहीं है, साला पाँच मिनट में झड़ जाता है। तेरी कसम अनिल मुझे ये इतना पसीना इक्कीस साल की शादी में कभी नहीं आता था।”

दो-तीन बार लंड आगे पीछे करके अनिल ने फिर ज़ोर से धक्का देके लंड रोज़ा की चूत में घुसाया। इस बार पूरा लौड़ा अंदर घुसा तो रोज़ा चिल्लाने और तड़पने लगी। अपने मम्मे खुद मसलती हुई वो ज़ोर से आंहें भरने लगी। अनिल बिना रुके लंड चूत में ठेलते और मम्मे मसलते हुए बोला,

“मादरचोद उसकी बात तो आती रहेगी ही रंडी, तू मेरा लौड़ा और चूदाई की उससे तुलना करेगी ही ना? अब कैसे बोली कि इक्कीस साल में पहली बार ऐसा पसीना आया… वो भी आधा लंड घुसने से? तेरी माँ को चोदूँ राँड… ये सोच कि पूरा लंड घुसा कर जब जानवर जैसे तुझे चोदुँगा तब तेरा क्या हाल होगा?”

अनिल का पूरा लौड़ा अंदर घुसने पर रोज़ा जोर से ’ओहहह आहहह ऊफ़्फ़्फ़’ चिल्लाने लगी। वो खुद कमर ऊपर करके अनिल के लंड से भिड़ा रही थी। अनिल ने चूत आहिस्ता चोदते हुए रोज़ा के होंठों पे अपने होंठ दबा कर मस्ती से मम्मे मसलना शुरू किया। मम्मों से इतना खेलने से वो एकदम लाल हो गये थे।

रोज़ा अनिल को बाहों में ले कर उसको किस करके बोली, “अरे मैं तुलना करके उससे कहूँगी कि तेरे जैसे असली मर्द कैसे चोदते हैं। तू क्यों बीच में उसे लाता है, तू मेरी और अपनी बात कर ना। आज तुझे मौका मिला है तो कर ले इस जिस्म से अपने दिल की भड़ास पूरी। ऐसा मौका बार-बार नहीं आता कि मेरी जैसे गरम चुदास औरत तेरे जैसे तगड़े चोदू मर्द के नीचे हो।

हाँ ये बात और है कि तेरे जैसे मर्दों के गरम करने पर मेरे जैसी औरतें टाँगें फ़ैला देती हैं… लेकिन गरम होने में बहुत वक्त लेती हैं मेरे जैसी औरतें। आहहहहह आँआँ फाड़ दिया मेरी चूत को… गधी की औलाद… भोंसड़ी वाले… चोद…. और डाआआआल अपना लौड़ाआआआ अंदर आआआआ ओओओओआँआँआआआहहहहह।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

“ठीक है राँड अब तेरे हिजड़े शौहर की बात नहीं करूँगा। चोदने तक तेरी बात और उसके बाद तेरी सहेलियों और तेरी कमसिन बेटियों की बात करूँगा। आज रात भर तुझे ऐसे ही खुली हवा में चोदुँगा रंडी की तरह… और कोई भी आये तो मेरे बाद उससे भी तुझे चुदवाऊँगा समझी?

तेरी जैसी रंडी औरत को जब-जब मैं चाहता हूँ… अपने नीचे लेता हूँ, तेरी जैसी औरतें नखरे करके और शरमाके चुदवाती हैं इससे हम मर्द बड़े गरम होते हैं। तुम मुसल्लियाँ आराम से गरम होती हो और बेरहमी चुदा के ठंडी होती हो। मादरचोद लगता है ज़िंदगी में पहली बार लंड गया तेरी चूत में जो तू इतना चिल्ला रही है… हरामी ये तो शुरूआत है… अभी तेरी गाँड बाकी है छिनाल।”

जीभ रोज़ा के मुँह में घुसा कर उसके मम्मे मसलते हुए अनिल ने अब उसकी चूदाई ज़ोर से शुरू की। रोज़ा ने थोड़ा अपने होंठ अनिल के होंठों से अलग किये उसे जवाब देने के लिये और इसलिये उसने अपनी चूंची उसके मुँह में दे दी। अनिल का लंड ज्यादा से ज्यादा चूत में ले कर वो पैर फ़ैला के कमर उठा कर मस्ती से चुदवाने लगी।

अनिल का मुँह मम्मे पे दबा कर वो बोली, “ले मेरे मम्मे चूस कर मेरे दर्द को ज़रा तसल्ली दे। अनिल बहनचोद… मैं तो ऐसे चुदवाने को शादी की पहली रात से तड़प रही थी कि खुली हवा में चुदवाऊँ लेकिन मेरा शौहर, साले का लंड खुले में आते ही मानो ठंडा पड़ जाता है।

अरे अब शुरूआत ऐसी हो चुकी है तो अंत भी बड़ा ज़ालिम होना चाहिये। मुझे ऐसा लगना चाहिये कि ज़िंदगी में पहली बार चुदी हूँ। सुन अनिल गाँडू… तेरा रस मेरी चूत के एकदम अंदर डालना… मेरी बच्चेदानी पे… तभी मुझे सही में तसल्ली मिलेगी।”

रोज़ा के मम्मे पहले बच्चे की तरह चूस कर फिर जोश में आकर दोनों निप्पल बारी-बारी चूस कर, चबाते हुए पूरे लाल कर दिये अनिल ने। नीचे चूत में लंड घुसा-घुसा कर रोज़ा को चोदते हुए अनिल ने उसके मम्मे इतने चूसे कि उसके चबाने से रोज़ा के मम्मों से हल्का सा खून आ गया जिसे अनिल ने चाट लिया।

फिर मम्मे मसलते हुए अनिल बोला, “रोज़ा तेरे जैसी गरम माल के साथ ज़िंदगी भर खेलुँगा, तुझे अपनी राँड बना कर रखुँगा, तेरी जैसे गरम चूत आज तक नहीं मिली। रोज़ा शादी के इक्कीस साल रेगिस्तान में भटकने के बाद आज तुझे समंदर मिल रहा है, एक असली दमदार लंड से…

तेरा शौहर जल्दी झड़ता है… इस लिये मुझे शक है कि वो तेरी बेटियों का बाप नहीं है क्यों? बहनचोद चूदाई के अंत में तू लंड निकाल लेने के भीख माँगेगी… समझी छिनाल? बहनचोद तुझे चोदके फिर माँ बनाऊँगा और अपने बच्चे की सौतेली बहनों को और उसकी माँ को चोदता रहुँगा।”

रोज़ा अनिल का चेहरा चूमते हुए हाथ नीचे डाल कर उसकी गोटियाँ मसल कर बोली, “अरे-अरे ये गाली मत दे उसे… उसके साथ शादी के बाद आज पहली बार किसी पराये मर्द का लंड इस चूत को नसीब हुआ है पर शादी से पहले बहुत लंड लिये हैं मैंने अपनी चूत में। आज इस चूत को फाड़ कर अपनी रस की एक भी बूँद मेरी चूत के बाहर ना जाये… ये देखना। अच्छा लेकिन ये तो बता तुझे मुझ जैसी लजीज़ माल तो कई मिली होंगी ना?”

लंड करीब-करीब बाहर निकाल कर फिर बेरहमी से अंदर ठाँसते हुए और मम्मे नोचते मसलते हुए अनिल बोला, “बहनचोद तेरा चूतिया मर्द मिले तो उसकी गाँड मारूँगा, हरामी ने तेरी जैसी गरम चूत इतने दिन मुझसे जो छिपायी। तेरी माँ की चूत… साली तू तो बचपन से मेरी राँड होनी चाहिये थी।

तेरी माँ को चोदूँ राँड… अपने कीमती लंड के पानी की एक भी बूँद बाहर नहीं जाने दूँगा। तेरी गरम चूत की कसम… कईं चूतें चोदीं, पर तेरी जैसी माल आज तक नहीं मिली। तेरी जैसी गरम और हर बात में साथ देने वाली चूत नसीब वाले मर्द को ही मिलती है रंडी।”

“तू मेरी चूत चोदता रह… भड़वे। तेरी गाली, मार और लंड मुझे और मस्त बना रहे हैं अनिल। और ज़ोर से चोद मुझे, निकाल ले पूरी भड़ास गाँडू मेरी ये चूत चोद कर।” अनिल के लंड पे शायद भूत सवार था। वो तो बेरहमी से रोज़ा को चोद कर उसके मम्मे मसलते हुए दबा रहा था।

चूत चोदते हुए उसकी गाँड में उँगली घुसाते हुए उसमें घुमा कर निकाल के रोज़ा को चाटने के लिये देते हुए वो बोला, “ये बोल आज के पहले भी मर्दों ने तुझे भीड़ में मसला होगा तो उनसे क्यों नहीं चुदी तू राँड?” रोज़ा अनिल की उँगली शौकिया तौर पे एक रंडी जैसे चाट कर और फिर अपनी एक उँगली उसके लंड के साथ अपनी चूत में डाल कर निकाल के अनिल को चाटने के लिये देते हुए बोली,

“अरे कईं लोगों ने मुझे क्या कईं औरतों को मसला है… इसलिये तो हम औरतों को भीड़ में जाना पसंद नहीं। रही बात औरों से मसलवाने कि तो कईं बार मसली गयी हूँ पर किसी में तेरे जितना दम ही नहीं था इसलिये सिर्फ़ मसलने पे ही बात खतम हुई। तू जिस हिसाब से मेरी बात माने बिना भीड़ में ब्लाऊज़ खोलने लगा… तब मैंने फ़ैसला किया कि तुझे अपने साथ आने को कहूँगी।”

रोज़ा की उँगली पूरी चाट कर हल्के से चबाते हुए अनिल बोला, “क्या बोलती है? तेरी जैसी गरम रंडी औरत को भीड़ में जाना पसंद नहीं? अरे तेरी जैसी औरत को ही तो मैं भीड़ में ढूँढ कर गरम कर कर चोदता हूँ, तू मेरी ज़िंदगी में बस में मिली वैसे तीसरी चूत है। तूने भीड़ में सामने वाले को आज के पहले कितनी लिफ़्ट दी और वो कहाँ तक आया तेरे साथ?”

 अनिल अब चूत चोदते हुए रोज़ा की गाँड में एक के बाद दूसरी उँगली डालते हुए अब चूत और गाँड एक साथ चोदने लगा। रोज़ा पूरी मस्ती में आ कर अपनी कमर उछाल-उछाल कर चुदवाती हुई बोली, “और तेज़ भौंसड़ी के… और तेज़ डाल ना, मज़ा आ रहा है एक साथ चूत और गाँड चुदवाने में। उफ़्फ़्फ़ बड़ा ज़ालिम मर्द है तू… अनिल, और चोद मुझे गाँडू।”

रोज़ा की गाँड में तीसरी उँगली डाल के घुमाते हुए उसकी चूत को अनिल चोद रहा था। रोज़ा की चूत में लंड घुसने की ’थप थप’ की आवाज़ आने लगी और रोज़ा की सिसकरियाँ सुनायी देने लगी। अनिल फिर निप्पल खींचते हुए बोला, “ये ले रानी और ले और ले, तेरी माँ की चूत… आज तेरी गाँड और चूत फाड़ दूँगा। बोल तूने कहाँ तक लिफ़्ट दी है मर्दों को जब उन्होंने तेरा जिस्म भीड़ में मसला… रोज़ा रानी?”

कमर उछाल-उछाल कर चुदवाने से रोज़ा के मम्मे उछल रहे थे और फचक-फचक की आवाज़ आने लगी जब अनिल का लंड उसकी चूत में घुस कर बाहर निकलता क्योंकि दोनो बहुत गीले हुए थे। निप्पल खींचने से रोज़ा दर्द और मस्ती से बोली, “आहह आहहह और तेज़ गाँडू, मेरे जिस्म को बेरहमी से मसलते हुए चोद मेरी चूत।

अनिल मैंने तेरे से ज्यादा किसी को लिफ़्ट नहीं दी। लिफ़्ट तो बस भीड़ तक ही दी, जो दूसरे मर्दों ने किया, वो भीड़ में वहीं करने दिया पर तेरे सामने नंगी हो कर जैसे चुदवा रही हूँ वैसा मौका किसी भी मर्द को नहीं दिया। एक दो मर्दों ने भीड़ में ही अपना लंड पैंट की ज़िप खोल कर बाहर निकाल कर मेरी सलवार के ऊपर से गाँड पे रगाड़ा भी और मेरी पीठ और सलवार पर अपना वीर्य भी छोड़ा पर मैंने चुदवाया किसी से नहीं”.

रोज़ा का जोश और बढ़ावा देख कर खुश हो कर अनिल ने सोचा कि साली को सच में आज तक ऐसा लौड़ा नहीं मिला जो ये इतनी उछल कर चुदवा रही है। अब इसको और मज़ा दूँगा। वो रोज़ा की कमर पकड़ कर बोला, “सुन रंडी चूत… अब मैं नीचे आऊँगा और तू मेरे ऊपर आ कर मेरे लौड़े से तू चूत चुदवा ले अपनी… समझी रंडी?”

रोज़ा को बाहों में पकड़ कर घूम कर उसे अनिल अपने ऊपर ले कर बोला, “चल रंडी अब देखता हूँ… कितना दम है तुझ में।” रोज़ा के लाल मम्मों को अब और बेरहमी से मसलते हुए और निप्पल खींच कर उसे दर्द और मज़ा देते हुए नीचे से गाँड उठा कर उसके धक्कों का जवाब अनिल देने लगा।

इस पोज़िशन में आठ-दस धक्के खाने के बाद रोज़ा चूत से लंड निकाल कर घूम के अपनी पीठ अनिल की तरफ कर के लंड अपनी चूत में डाल कर चुदवाने लगी। ऐसा करने से अनिल को अपना लंड रोज़ा की चूत से अंदर बाहर होते दिखने लगा। साथ-साथ रोज़ा अपने मम्मे खुद दबा कर कईं बार अपनी चूत को सहलाते हुए सिसकरियाँ भरती हुई चुदवाने लगी।

रोज़ा के इस स्टाइल और बे-शर्मी से खुश हो कर अनिल उसकी चूत सहलाते हुए अब आराम से उसकी गाँड में भी उँगली करने लगा। बीच में उसके मम्मे भी खींच कर नोचते हुए वो बोला, “बहनचोद तू तो बड़ी मस्त रंडी है, क्या स्टाइल से चुद रही है राँड, ऐसा कभी देखा नहीं छिनाल, और ज़ोर से चुदवा ले रंडी, देखने दे तेरी चूत में कितनी गर्मी है छिनाल। आहहहहह साली और ज़ोर से उछल, लंड तेरी बच्चेदानी पे टकरा रहा है या नहीं रखैल?”

नीचे के धक्कों से रोज़ा भी अब अपना पूरा ज़ोर लगा कर उछलने लगी। काफी चूदाई के बाद उसकी चूत में अब सूजन महसूस होने लगी जिसका अनिल को भी एहसास हुआ। ज़ोर से उछलने और हिलने से रोज़ा के मम्मे हवा में झूल रहे थे और अनिल उनको बेरहमी से मसल रहा था।

अपनी चूत सहलाते हुए रोज़ा बोली, “हाँ अनिल… साले! तेरा लंड मेरी बच्चेदानी पे ठोकर दे रहा है। लगता है तेरे लौड़े को मेरी गरम चूत में झड़ कर इस चूदाई की निशानी छोड़नी है। तेरे लौड़े से चुदवाने से मेरी चूत सूज गयी है लेकिन अभी तक दिल नहीं भरा… मेरे चोदू राजा।”

रोज़ा के उछलते मम्मे मुठ्ठी में दबाते हुए अनिल बोला, “साली रंडी अब और चोदुँगा तुझे, ये तो नॉर्मल स्टाइल हुई… अभी तुझे कुत्तिया बनाके चोदना है। तेरी जैसी गरम औरत को कुत्तिया बनाके चोदने में बड़ा मज़ा आता है मुझे… रोज़ा छिनाल! इससे लंड को ठंडक पहुँचती है मेरे। देख मम्मे कैसे उछल रहे हैं हवा में, मादरचोद मज़ा आ रहा है तुझे चोदने में।”

अब रोज़ा की हालत बड़ी खराब होने लगी। इतना दर्द उसे पहले कभी नहीं हुआ था। वो कमर थोड़ी ऊपर करके अब अनिल का पूरा लंड चूत में ना लेते हुए बोली, “हाँ… हाँ… तुझे मज़ा आ रहा है भड़वे! पर मेरी हवा बिगड़ने लगी है तेरे लौड़े से।”

रोज़ा की कमर कस कर पकड़ कर चूत में लंड ठेलते हुए अनिल बोला, “तो क्या करूँ? तुझे नीचे ले कर आखिरी धक्के मार के तेरी चूत में अपनी निशानी छोड़ जाऊँ क्या रोज़ा रंडी?” रोज़ा को अब बोलने की ताकत नहीं रही थी इसलिये वो चिल्लाते हुए बोली, “आह आहहह आहहह ओहहह अल्लाह आहहह ओहहह मेरे मौला ओहहह अल्लाह चूत फट गयी ओहहहहह हाय गाँआँआँडू आहहहहह आहहह होओओओओ अल्लाह।”

जानवर बनके अनिल बिना रहम के उसको चोदते हुए बोला, “फटने दे रंडी, तुझे याद रहेगा कि असली मर्द के लंड से तेरी चूत फटी, ये ले… और ले… और ले साली।” बेरहमी से उसे चोदते हुए और फिर उसे अपने नीचे ले कर अनिल चोदते हुए बोला, “बोल मेरी रंडी बनेगी ना? तेरी बेटियाँ देगी ना मुझे रोज़ा?”

अब अनिल का लंड पूरा का पूरा रोज़ा की बच्चेदानी पर धक्के देने लगा था। अपना सीना अनिल के मुँह पे दबाते हुए रोज़ा बोली, “अरे बन गयी हूँ ना अब मैं तेरी रंडी अनिल और हाँ… दूँगी तुझे अपनी बेटियाँ भी। पर क्या मेरी बेटियाँ तुझसे चुदवा सकेंगी, ये तगड़ा लौड़ा उनकी चूत फाड़ नहीं देगा राजा?”

मुँह पे आये रोज़ा के मम्मे चूसते हुए और कमर कस के पकड़ कर चोदते हुए अनिल बोला, “नहीं ले सकी मेरा लंड तो चूत फटेगी और क्या होगा? पर असली मर्द से चूत फटने का मज़ा तो मिलेगा ना उनको? नहीं तो ना जाने कौनसे चूतियों से अपनी चूत चुदवाके अपनी जवानी बर्बाद करेंगी वो दोनों।”

रोज़ा अनिल के बाल संवारते हुए झड़ने के करीब होने से अपना जिस्म अनिल के बदन से रगड़ते हुए बोली, “ठीक है भोंसड़ी वाले! तुझे मैं अपनी बेटी को चोदने दूँगी में। तूने जो मुझे चोदके मुझ पर मेहरबानी की है उसके लिये तुझे अपनी बेटी जरूर दूँगी।”

अनिल भी झड़ने पे आया था। वो कस कर रोज़ा को पकड़ कर उसके निप्पल बेरहमी से चूसते चबाते और चूत चोदते हुए बोला, “मैं भी झड़ने वाला हूँ तेरी गरम चूत में, बहुत मज़ा आया जान, ले और ले रंडी। आहहहहहह ये ले रंडी साली मज़ा आया तुझे चोदने में रोज़ा।” ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.

रोज़ा जैसे ही झड़ने लगी तो चिल्लाती हुई बोली, “आहहहहह आआआहहहह आँआँआँआँहहहहह मैं तो ओओओओओओ गयीईईईई ऊऊईईईई अल्लाह आहहहह, मुझे कस कर पकड़ अनिल।” रोज़ा की उछल कूद से जैसे ही अनिल झड़ने लगा तो रोज़ा को कस कर पकड़ कर अपना लंड पूरा अंदर तक घुसाते हुए बोला, “ये ले छीनाआआआआल चूत आहहहहहहह क्क्याआआआआ चूत है तेरीईईईई।”

अनिल कस के रोज़ा को पकड़ कर लंड का पानी उसकी चूत में छोड़ने लगा। रोज़ा को वो गरम पानी अपनी बच्चेदानी पे गिरने का एहसास होने लगा। वो गरम-गरम लावा उसकी चूत में जाके उसकी चूत को ठंडक देने लगा। लंड का पानी चूत को भरने लगा और चूत भरने के बाद काफी वीर्य बाहर आकर रोज़ा की जाँघों को गीला करता हुआ नीचे गिरने लगा।

अनिल निप्पल चूस कर बोला, “ले जान आआआआआहहहहहह सालीईईईई पूराआआआआ पानी ले रही है तेरी चूत रोज़ा छिनाल।” रोज़ा ने अनिल का चेहरा पकड़ कर एक ज़ोरदार चुम्मा उसके होंठों पे सटाया। रोज़ा अब भी हाँफ रही थी और संतोष के मारे उसकी आँखें अभी भी बंद थी। पूरा झड़ने के बाद दोनों हाँफ रहे थे। जैसे ही अनिल का लंड चूत से निकला तो ’पॉप’ की आवाज़ हुई और लंड निकालने के बाद चूत में वीर्य बाहर बहने लगा।

रोज़ा की ब्रा से चूत साफ़ करके अनिल उठ कर घुटनों पे खड़ा हो कर लंड रोज़ा के होंठों के पास लाते हुए बोला, “मेरे इस मुस्टंडे लंड को कैसे साफ़ करेगी रोज़ा राँड?” लंड रोज़ा के होंठों पे घुमाते हुए अनिल आगे बोला, “ले रंडी चाट के साफ़ कर मेरा लंड… छिनाल रोज़ा।” रोज़ा थकान की वजह से यंत्रवत अपनी जीभ बाहर निकाल कर अनिल का लंड चाटने लगी। अनिल हौले-हौले अपना लंड रोज़ा के मुँह में डाल के साफ़ करते हुए बोला, “अच्छे से चूस कर साफ़ कर रंडी, ये तेरे हिजड़े शौहर का लौड़ा नहीं है, तेरे यार का लौड़ा है। ठीक से साफ़ कर इसे।”

रोज़ा के पूरा लंड चाट कर साफ़ करने के बाद वो दोनों उसी खुली हवा में थकान से निढाल हो कर लेट गये। उस रात अनिल से चुदवाने के बाद रोज़ा सहेली के घर जाने की बजाय वापस अपने घर गयी। उन फटे और गंदे कपड़ों में सहेली के घर जाती तो सहेली को पक्का शक हो जाता। फटे ब्लाउज़ में बिना ब्रा के सीने को गंदी साड़ी में लपेट कर, साड़ी बिना पेटीकोट के पैंटी पर बाँध कर वो घर आयी। अनिल रोज़ा को घर तक छोड़ने गया था। रोज़ा की बेटी सो रही थीं इसलिये उसे कुछ तकलीफ नहीं हुई घर में।

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