नमस्कार दोस्तों कैसे है आप सब लोग, उम्मीद है आप सब मस्त होंगे. दोस्तों आपने मेरी कहानी का पिछला भाग “शाजिया के जिस्म में कामुकता की आग लगी 1“ में पढ़ा होगा कि शाजिया एक शादीशुदा महिला है, और अपने पति के साथ एक किराये के मकान में रहती है. जहाँ उसका मकान मालिक शंभू अकेला रहता है. और शाजिया के ब्रा पेंटी पर मुठ मरता है. और शाजिया भी अब उससे चुदवाने का मन बना चुकी है. अब आगे- Chudasi Aurat Porn
शाजिया को यकीन नहीं हुआ की ये आदमी ऐसा है। उसे लगा था की इस तरह के कपड़े और अकेली पाकर वो पकड़कर शाजिया से बातें करने लगेगा और शाजिया उसकी मदद कर पाएगी उसके अंदर के जमे हुए गुबार को बाहर करने में उसे गुस्सा भी बहुत आया और फिर शाहिद की वही बात याद आई की इसे अपने उम्र की वजह से शर्म आती होगी, नहीं तो जी तो चाहता होगा उसका की तुम्हारे साथ खूब मस्ती करे।
शाजिया को बहुत जोर का गुस्सा आया। उसका मन किया की अभी शंभू पे बरस पड़े। वो वहीं खड़ी थी और शंभू सीढ़ियां चढ़ता हुआ ऊपर चला गया। शाजिया का मन हुआ की शंभू को खींचकर रोक ले और उससे पूछे की अगर अभी नजर उठाकर देख भी नहीं सकते, बात भी नहीं कर सकते तो दिन में क्या करते हो? लेकिन गुस्सा दिखना सही नहीं होगा। वो तो वही कर रहे हैं जो एक शरीफ इंसान को करना चाहिए।
फिर उसने सोचा की जाती हूँ ऊपर और अच्छे से बात कर ही लेती हूँ आज वो दो-तीन सीढ़ी चढ़ी भी लेकिन इससे आगे की उसकी हिम्मत नहीं हुई। वो सोचने लगी की इतनी रात को अगर मैं उनके रूम में जाऊँगी तो ये ठीक नहीं रहेगा। कल दिन में पूछ लूँगी। वो तो शरीफ इंसान हैं, लेकिन मैं क्यों रंडी जैसी हरकत कर रही हूँ? शाजिया कल दिन में कैसे क्या बात करेगी सोचती हुई अपने रूम में आ गई।
शाहिद ने आधखुली आँख से अपनी बीवी को अंदर आते देखा। उसे सदमा लगा। शाजिया उसे सोया हुआ मानकर दरवाजा खोलने की जो तैयारी कर रह रही थी। शाहिद वो सब अपनी अधखुली आँखों से देख रहा था। उसे अब यकीन हो चला था की उसकी कमसिन जवान बीवी उस बूढ़े शंभू के चक्कर में है। जितनी देर शाजिया रूम से बाहर दरवाजा के पास थी, शाहिद सोच रहा था की शंभू और शाजिया क्या कर रहे होंगे?
शाहिद के अनुसार शाजिया दरवाजा खोली होगी और शंभू के सामने उसकी गोल मुलायम गोरी चूचियां चमक उठी होंगी। शंभू देखता रह गया होगा। उसने अपनी नजरें नीची कर ली और शाजिया को थैंक्यू बोलते हुआ पीछे हटने बोला लेकिन शाजिया हटी नहीं और उससे सट गई। उसने चूचियां शंभू के सीने से दबा दी और शंभू को पकड़ लिया।
अब शंभू के लिए कंट्रोल मुश्किल था। वो शाजिया के होठों को चूमने लगा और नाइटगाउन की डोरी को खींच दिया। शाजिया की चूची बाहर आ गई और शंभू पागलों की तरह उसे मसलता हुआ चूसने लगा। शाजिया आहह…. उहह…. कर रही थी…” सोचते हुये शाहिद का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था। लेकिन शाजिया के अंदर आने से उसे बहुत बुरा लगा की उसकी इतनी हसीन बीवी को शंभू भाव नहीं दे रहा।
शाजिया को भी लगा था की अभी तो शंभू उससे बात करेगा ही और देखेगा ही लेकिन ऐसा हुआ नहीं। शाजिया सो गई और उसकी नाइटी ढीली हो गई जिससे उसकी चूचियां बाहर आ गई। शाहिद को नींद नहीं आ रही थी और उसका लण्ड टाइट था। शाजिया की चूची को देखकर वो उसे सहलाने और चूसने लगा।
शाजिया नींद में थी और गरम थी वो सपने देख रही थी की शंभू उसके साथ ऐसा कर रहा है। वो मुश्कुरा रही थी और शाहिद का पूरा साथ देते हुए वो पूरी गरम हो चुकी थी। शाहिद ने शाजिया की नाइटी को सामने से पूरा खोल दिया और शाजिया का गोरा जिश्म चमक उठा।
शाहिद ने लण्ड को शाजिया की चूत पे लगाया और अंदर डाल दिया। शाजिया कमर उठाकर और अंदर लेने के लिए उछलने लगी, लेकिन शंभू का लण्ड होता तब तो अंदर जाता था तो ये शाहिद का ही लण्ड। शाजिया की नींद खुल गई और उसका मूड आफ हो गया। वो शाहिद को हटाने लगी।
शाहिद पहले से ही पूरा टाइट था, लण्ड अंदर डालते ही 8-10 धक्के में उसने पानी छोड़ दिया। शाजिया को अब गुस्सा आ गया और उसका मन किया की शाहिद से खूब झगड़ा करे लेकिन रात थी इसलिए वो मन मसोसकर रह गई और शाहिद को अपने ऊपर से उतारकर बाथरूम चली गई।
शाजिया नाइटी उतार दी थी और नंगी ही बाथरूम गई थी। पेशाब करने के बाद वो चूत सहलाने लगी। सोचने लगी की कितना अच्छा सपना था की शंभू मुझे चूमते हुए मेरी चूची को सहला रहे थे, और फिर नाइटी की डोरी खोलकर नंगी चूचियों को सहला रहेज थे, और चूस रहे थे।
आहह कितना अच्छा होता की ये शंभू ही होते, शाहिद नहीं होता। आहह.. शंभू का लण्ड चूत में कितना अंदर तक जाता आह्ह… आहह… शंभू क्यों नहीं आपने पकड़ लिया मुझे दरवाजा पे? क्यों नहीं मुझे चूमने लगे? खोल देते मेरी नाइटी को और अच्छे से देखते मेरे नंगे जिश्म को देखते उस जगह को जहाँ में पैंटी ब्रा पहनती हूँ।
छू लेते उस जगह को चूमते मसलते मेरी चूचियों को जो वीर्य आप पैंटी ब्रा पे गिराते है वो उस जगह पे गिरते जहाँ मैं उन्हें पहनती हूँ। आहह…. शंभू जी चोद लेते मुझे मेरी चूत में डाल देते अपना मोटा लण्ड और गिरा देते वीर्य मेरी चूत में। आहह… उम्म्म्म……. शाजिया की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो हाँफती हुई बाथरूम से आ गई।
शाजिया को चोदने के बाद शाहिद सो गया था। शाजिया ने किचेन में जाकर पानी पिया और फिर सोने आ गई। पहली बार आज शाजिया नंगी सो रही थी। शाजिया सोचने लगी की ये क्या सोच रही थी वो? ये कैसा सपना था की उसका पति शाहिद उसे चोद रहा था लेकिन वो सोच रही थी की शंभू से चुद रही है। क्या मैं सच में शंभू से चुदवाना चाहती हूँ?
हाँ, तभी तो मैं दरवाजा पे ऐसे गई थी। अगर शंभू जी मुझे कुछ करते तो क्या मैं उन्हें रोक पाती ? बिल्कुल नहीं। मैं उनसे चुदवाना चाहती हूँ तभी तो उनके वीर्य की खुश्बू मुझे पागल कर देती है। और जो आदमी मेरी पैंटी ब्रा पे वीर्य गिराता है रोज तो वो मुझे चोदने का सोचकर ही वीर्य गिराता होगा, कोई भजन गाकर तो वीर्य नहीं ही गिरता होगा।
मुझे चोदकर ही शंभू जी रिलैक्स हो पाएंगे। नहीं तो वो शरीफ इंसान अंदर ही अंदर घुट-घुट कर मार जाएगा। कल मैं उनसे सीधी-सीधी बात करूँगी, और अगर वो मुझे चोदना चाहेंगे तो मेरा जिश्म पेश है उनकी मदद के लिए मेरी वजह से वो आदमी मर रहा है तो ये पूरी तरह मेरी जिम्मेवारी है की मैं उन्हें इससे बाहर निकालूं, चाहे भले इसके लिए मुझे उन्हें अपना जिश्म ही क्यों ना देना पड़े।
शाजिया के अंदर से आवाज आई- “तू रंडी हो गई है क्या? तू रंडी हो गई है क्या, जो दूसरे मर्द से चुदवाने की बात सोच रही है? तू ऐसा सोचकर भी पाप कर रही है। अपने पति को धोखा देगी तू? शंभू के बड़े लण्ड के लालच में तू शाहिद को धोखा देगी?”
अंदर से शैतान ने जवाब दिया- “धोखा वाली कौन सी बात हो गई? मैं तो शंभू की मदद करूँगी, क्योंकी वो मेरी वजह से दर्द सह रहा है। इतने सालों से वो अकेला है और अब मेरी वजह से तड़प रहा है, तो मेरा ही फर्ज़ है उसकी मदद करना। और मैं उससे चुदवाने नहीं जा रही हूँ। मैंने कहा की अगर मुझे अपना जिश्म देकर भी उसकी मदद करनी पड़ी को करूँगी। अगर मैं उससे चुदवाऊँगी ही तो कौन सा रोज चुदवाऊँगी?”
शाजिया सोचती सोचती नींद के आगोश में जा चुकी थी। सुबह जब नींद खुली तो नंगी थी शाजिया रोज सवेरे जागकर फ्रेश होती थी और फिर नहाकर इबादत करके फिर चाय बनाती थी और शाहिद को जगाकर चाय देती थी। शाजिया नंगी ही बेड से उठी और फ्रेश होकर नहाने चल दी।
पहली बार वो अपने घर में ऐसे नंगी घूम रही थी। नहाने के बाद वो एक साड़ी पहन ली और इबादत करने लगी। फिर चाय बनाकर उसने शाहिद को जगाया और फिर किचेन के काम में लग गई। शाजिया का ये सब डेली रुटीन था लेकिन शाजिया का ध्यान दोपहर पे था की आज वो शंभू से फाइनल बात करके रहेगी।
शाहिद आफिस चला गया और शाजिया एक बजे का इंतजार करने लगी। उसके मन में बहुत उथल-पुथल मची हुई थी। आज वो स्टोररूम में नहीं गई। उसका प्लान था की जब शंभू पैंटी ब्रा हाथ में लेकर मूठ मार रहा होगा तब वो ऊपर जाएगी और शंभू से क्लियर कट बात करेगी।
आज फिर उसका दिल तेजी से धड़क रहा था की क्या होगा? कहीं शंभू ने मुझे चोदने की बात कह दी तो क्या मैं उसी वक़्त चुदवा लूँगी? अगर उन्होंने मना कर दिया और गलती मानते हुए बोल दिया की आगे से ऐसा कभी नहीं करेंगे तो? नहीं नहीं। मैं उन्हें गलती नहीं मानने दूँगी। इस तरह तो वो और शर्मिंदगी महसूस करेंगे और अंदर-अंदर ही और घुटेंगे।
मुझे उन्हें समझाना होगा की आपने जो किया उसमें कुछ गलत नहीं है और आप तो बहुत महान हैं की बस ऐसा करके खुद को सम्हाल लेते हैं। मेरे सामने रहने पे भी मुझे देखते भी नहीं। आपकी जगह कोई और होता तो रोज जो दिन भर मैं अकेली होती हूँ, पता नहीं क्या करता? आपको घबराने शर्माने की जरूरत नहीं है। आप मुझसे बात कीजिए और मुझे बताइए की प्राब्लम क्या है?
दरवाजे से अंदर आते ही शाजिया के घर के दरवाजा को देखकर शंभू समझ गया की उसकी होने वाली रांड़ शाजिया आज ऊपर नहीं गई है। शाजिया का दरवाजा अंदर से बंद था। अगर वो ऊपर जाती तो दरवाजा या तो बाहर से बंद होता या फर खुला होता। उसे थोड़ा बुरा लगा की कहीं में ओवरएक्टिंग तो नहीं कर गया।
ऊपर पैंटी ब्रा अपनी जगह पे शंभू के वीर्य के इंतजार में टंगी पड़ी थी। शंभू रूम में गया और कपड़े चेंज करके शाजिया का इंतजार करने लगा की शायद वो आए लेकिन वो नहीं आई। शंभू अपने डेली के काम में लग गया, स्टोररूम के बाहर मूठ मारने का। उसने स्टोररूम में झाँक कर भी देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
आज शंभू का लण्ड टाइट ही नहीं हो रहा था। उसे लगने लगा की मैंने ओवर आक्टिंग कर दी है। रात में शाजिया रंडियों की तरह बिना ब्रा पहने क्लीवेज दिखाते सिर्फ गाउन लपेटे आई थी और बात भी करने की कोशिश की। लेकिन मैं सीधा ऊपर आ गया था। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कहीं रांड ने ये तो नहीं सोच लिया की मैं उसके हाथ नहीं आने वाला, और अब वो कहीं मुझसे दूर तो नहीं रहने वाली सही बात है यार, रोज-रोज कोई सिर्फ मुझे लण्ड हिलाता देखने क्यों आएगी? नहीं मेरी जान, मैं तुझे बिना चोदे नहीं छोड़ सकता। अगर मैं तुझे बिना चोदे मर गया तो मेरी रूह को भी शुकून नहीं मिलेगा। मुझे कुछ करना होगा। मैं तुझे खुद से दूर होने नहीं दे सकता।
शंभू ने पूरी कोशिश की और फिर मूठ मारकर वीर्य को पैंटी पे गिरा दिया और टांगकर रूम में चला गया। आज उसका मन तो नहीं था लेकिन इस चीज को वो छोड़ नहीं सकता था। शाजिया की पेंटी ब्रा पे वीर्य गिराना उसके प्लान का मुख्य हिस्सा है। इधर शाजिया अंदाजे से रूम से निकली की अब शंभू लण्ड को पैंटी ब्रा पे रगड़ रहा होगा।
वो आगे बढ़ने के लिए हुई लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हुई। कल रात की ही तरह आज भी उसके पैर नहीं बढ़े। कल रात में और अभी में अंतर बस इतना था की कल शाजिया एक सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाई थी और रूम में सोने चली गई थी। आज पहले दो सीढ़ी, फिर चार सीढ़ी और फिर छत के दरवाजे तक जाकर शाजिया रुक गई थी।
उसके मन में उठा तूफान शांत ही नहीं हो रहा था, और फिर वो नीचे आ गई। शाजिया बेचैन सी रही। शाजिया थोड़ी देर बाद हिम्मत करके उठी और सीधे धड़धड़ाते हुए छत पे चली गई, लेकिन तब तक शंभू रूम में जा चुका था। शाजिया अपनी पैंटी ब्रा को उठाई और वहीं पे उसे देखते हुए सूँघने लगी की अगर शंभू देख रहा हो तो उसकी हिम्मत उससे बात करने की हो जाए।
शाजिया पैंटी को सूँघते हुए वहीं पे वीर्य को चाटने लगी। उसकी हिम्मत ने जवाब दे दिया और वो नीचे आ गई, और अपनी पहनी हुई पैंटी को उतार दी और शंभू के वीर्य लगी पैंटी को पहन ली। वो पैंटी के ऊपर से अपनी चूत को सहला रही थी। शंभू का वीर्य उसकी चूत को भिगो रहा था और शाजिया के हाथों में भी लग गया था, जिसे शाजिया चाट ली।
शाजिया ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और “आह्ह… शंभू आप इतने शरीफ क्यों हैं? क्यों नहीं मुझे देखते, क्यों नहीं मुझसे बात करते? आपको क्या लगता है मैं गुस्सा करूँगी ? बिल्कुल नहीं करूँगी। मैं तो आपकी मदद करना चाहती हूँ। उफफ्फ … शंभू आपको लगता है की मेरे जैसी पढ़ी-लिखी शरीफ घर की औरत आप जैसे इतने बड़े उम्र के इंसान से दोस्ती क्यों करेगी?
ऐसा नहीं है शंभू अंकल मैं चाहती हूँ की आपसे बातें करूँ। अब आप ऐसे नहीं मानेंगे। अब मैं भी आपको मनाकर ही रहूंगी। आप मुझे शरीफ समझते हैं इसलिए बात नहीं करते ना? तो अब मैं रंडियों की तरह बिहेव करूंगी आपके सामने। तब तो आप मानेंगे ना?” शाजिया की चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल होकर सोफे पे पड़ी रही।
शंभू ने शाजिया को छत पे आता देखकर और पैंटी ब्रा ले जाता हुआ देखकर थोड़ी राहत की सांस ली। शाजिया को अपना वीर्य सूँघता और चाटता हुआ देखकर शंभू के मुर्दा लण्ड में फिर से जान आ गई थी। लेकिन फिर भी उसने सोचा की अब जल्दी ही कुछ कर लेना चाहिए।
आज शाहिद को भी आफिस में मन नहीं लग रहा था। वो अपनी बीवी की हरकतों के बारे में सोच रहा था। उसे शाजिया पे बहुत गुस्सा आ रहा था। कैसे शाजिया शंभू को डिनर पे बुलाई और कैसे उसके लिए तैयार हुई ? कैसे वो उसके सामने खुद को पेश कर रही थी? और कल रात तो वो रंडियों की तरह बिहेव कर रही थी।
मादरचोद कभी ब्रा पहन रही है तो कभी खोल रही है। अरे कुतिया चूत में इतनी ही आग है तो सीधे-सीधे जाकर चुदवा क्यों नहीं लेती हरामजादी और क्या पता चुदवाती भी हो, और चुदवा रही हो अभी दोपहर में दो घंटे रोज अकेले रहते हैं दोनों और सिर्फ दोपहर को ही क्यों, मेरे आते ही तो पूरा घर उनका उछल उछलकर चुदवाती होगी।
शंभू तो शरीफ इंसान है, लेकिन है तो मर्द अगर किसी मर्द को कोई इसके जैसी हसीन रंडी पटाए तो उसका लण्ड तो ऐसे ही टाइट हो जाएगा। शंभू भी अब तक चढ़ गया होगा रंडी पे। सोचते-सोचते शाहिद गुस्से में ही शाजिया और शंभू की चुदाई सोचने लगा। इंटरनेट पे उसने कई तरह के पोर्न देखे थे और स्टोरीस पढ़ी थी।
उसका लण्ड टाइट हो गया और वो अपनी बीवी की चुदाई शंभू के साथ एंजाय करने लगा। वो मन में सोचने लगा की शंभू ऐसे चोद रहा होगा तो वैसे चोद रहा होगा। शाहिद बाथरूम में जाकर मूठ मारने लगा, अपनी रंडी बीवी शाजिया के शंभू से चुदाई के नाम पे उसका शाजिया से गुस्सा खत्म हो गया था और उसने सोच लिया था की शाजिया को जो करना है करने देगा।
घर में कुछ जासूसी कैमरे लगवाकर वो अपनी बीवी को चुदवाते हुये देखेगा और जब उससे मन भर जाएगा तो उसे छोड़ देगा। रात में शंभू ने दरवाजा में नाक किया। शाजिया अभी खाना बना ही रही थी। शाहिद और शाजिया दोनों चकित हो गये की कौन आया, क्योंकी उनके यहाँ बहुत कम लोग आते जाते थे और जो आते भी थे उनके बारे में इन लोगों के पास पहले से खबर होती थी। शाहिद ने दरवाजा खोला तो सामने शंभू खड़ा था।
दरवाजा खुलते ही शंभू ने कहा- “नमस्कार शाहिद जी, पता नहीं कहाँ आज मेरे घर की चाभी खो गई है…”
शाहिद हँसने लगा और बोला- “अरे शंभू जी , तो इसमें इतना घबराने वाली कौन सी बात है? आप ही का घर है ये हम सिर्फ किराया देते हैं। आइए अंदर, यहीं रहिए। सुबह देखेंगे की चाभी का क्या करना है?”
तब तक शाजिया भी दरवाजा पे आ गई थी। उसके मन में तो लड्डू फूटने लगे की शंभू जी आए हैं और रात में यहीं रहेंगे। इससे पहले की शंभू शाहिद की बात पे कुछ बोलता, शाजिया चहकते हुए बोल पड़ी- “और नहीं तो क्या आपका ही घर है। बिंदास आइए…”
शंभू “शुक्रिया..” बोलता हुआ अंदर आ गया और सोफे पे बैठ गया।
शाजिया नाइट सूट वाले टाप और ट्राउजर में थी। शाजिया शंभू के लिए भी खाना बना ली। शंभू आज भी शाजिया को नहीं देख रहा था। शंभू शाहिद से बातें कर रहा था। शाजिया अभी तक शंभू के वीर्य लगी पैंटी को ही पहनी हुई थी। शंभू को सामने देखकर शाजिया की चूत गीली हो गई।
उसे लगा की शंभू ने उसे चोदकर अपना वीर्य उसकी चूत में भरा है और वही उसकी पैंटी में लगा है। वो शंभू की तरफ देखी जो आज भी उसे नहीं देख रहा था। उसे अपना दोपहर में लिया हुआ प्रण याद आ गया की उसे शंभू को मनाना है। शाजिया ने अपने टाप की ऊपर की एक बटन खोल दी।
खाना तैयार हो चुका था तो वोने शाहिद और शंभू का खाना सर्व करने लगी। जब वो झुकी तो शंभू की नजरों के सामने दो पके आम लटक रहे थे। शंभू की नजर शाजिया की झूलती चूची पे पड़ ही गई और उसका लण्ड एक झटके से टाइट हो गया। उसका मन हुआ की अभी दोनों हाथ बढ़ाए और रंडी के टाप के बटन को फाड़कर इसकी चूचियों को मसल दे।
उसने बड़ी मुश्किल से ये सोचकर खुद पे काबू किया की बस, कुछ दिन और, फिर बताऊँगा तुझे की मैं क्या चीज हूँ। इस चीज को शाहिद भी देख रहा था की उसकी बीवी कैसे उस बूढ़े हिंदू मर्द के लिए पागल हैं। उसे अपनी बीवी में पहले गुस्सा आया, फिर मजा आया। उसने सोचा की आज रात तो मेरी बीवी मेरे ही घर में इस बूढ़े से चुदवाकर ही मानेगी।
ये सोचकर उसका लण्ड टाइट हो गया की वो आज ही अपनी बीवी को एक बूढ़े हिंदू मर्द से चुदवाते देखेगा। खाना खाने के बाद शंभू वाश बेसिन के पास हाथ धो रहा था। शाजिया के किचेन में जाने के लिए वहाँ पे जगह कम थी। शाहिद टेबल पे ही बैठा हुआ था। शाजिया के मन में शैतानी ख्याल आया।
शाजिया शंभू की पीठ पे अपनी चूचियां रगड़ती हुई किचेन में चली गई। शंभू के लिए ये पहला मौका था जब उसने शाजिया के बदन का स्पर्श किया। उसकी लण्ड सनसनाता हुआ टाइट हो गया। शंभू ने कोई रिएक्सन नहीं दिया लेकिन अपनी पीठ पे शाजिया की गुदज चूचियों की छुअन को अभी तक महसूस कर रहा था।
शाजिया को शंभू की तरफ से कोई रिएक्सन ना आता देखकर गुस्सा भी आया। फिर शाजिया को लगा की ब्रा पहने होने की वजह से हो सकता है की शंभू को पता ही ना चला हो। वो अपने बेडरूम में गई और टाप को उतार कर ब्रा को उतार दी और आल्मिरा में रख दी और बिना ब्रा के बाहर आ गई।
टाप के ऊपर का बटन अभी भी खुला ही रखा था उसने पूरे रण्डीपने के मूड में आ गई थी शाजिया। अब उसने सोच लिया था की शंभू को मनाना है ताकी वो शाजिया के साथ फ्रैंक हो सके। शंभू सोफे पे जाकर बैठ गया और रिएक्सन तो उसपे ऐसा हुआ था की उसका लण्ड अब तक टाइट ही था।
वो तो आज आया ही इसलिए था की माहौल पता कर सके शाजिया के मन का। दोपहर में शाजिया नहीं आई थी इसलिए वो परेशान हो उठा था लेकिन यहाँ शाजिया की आग को देखकर वो निश्चिंत हो गया। उसे कुछ करने की जरूरत नहीं थी और उसका प्लान सही दिशा में जा रहा था। शाहिद भी अब हाथ धोकर वहीं सोफे पे आ गया।
शंभू का लण्ड टाइट हो चुका था और वो जान गया था की अब वो जब चाहे इस चिड़िया को पटक कर खा सकता है। लेकिन उसे कोई हड़बड़ी नहीं थी और वो बड़ा खेल खेलना चाह रहा था। उसने एक नजर में ताड़ लिए की शाजिया ब्रा के बिना घूम रही है। उसका भी जी चाह रहा था की अब शाजिया को चोद डाले।
एक मर्द के लिए तो फेसबुक पे लड़की की दोस्त रिक्वेस्ट रिजेक्ट करना मुश्किल कम होता है और यहाँ तो शंभू सामने परोसा हुआ खाना रिजेक्ट कर रहा था। शंभू शाजिया के दिमाग को इस अवस्था में ले आना चाहता था जिसमें वो उसकी हर बात माने। किसी भी कीमत पे शंभू को ना छोड़ पाए, चाहे और सब कुछ छोड़ना पड़े। इसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत थी और शंभू इसीलिए खुद पे काबू किए हुए बैठा था।
शाहिद ने भी ये नोटिस किया की उसकी बीवी ने ब्रा को उतार दिया है। वो सोचने लगा की कैसी है शाजिया जो इस बूढ़े मर्द के लिए पागल है? और कैसा है ये शंभू जो इस चिंगारी से खुद को बचाए हुए है? उसने सोचा की शायद मेरी वजह से शंभू घबरा रहा है या शाजिया खुलकर कुछ नहीं कर पा रही है। उसने सोचा की मैं थोड़ा दूर होकर इन लोगों की मदद कर देता हूँ ताकी मेरी रंडी बीवी अपने आशिक से चुद पाए।
शाहिद और शंभू वहीं बातें कर रहे थे और शाजिया किचेन की सफाई कर रही थी। थोड़ी देर बाद शंभू ने शाजिया से पानी माँगा। शंभू सोफे पे बैठ था। शाहिद उसी वक़्त फोन पे किसी से बात करता हुआ उठा और रूम में जाकर बात करने लगा। शाजिया पानी लेकर आई। उसके एक हाथ में जग और एक हाथ में ग्लास था। वो कुछ ऐसे लड़खड़ाई की शंभू की तरफ दोनों हाथ फैलाकर गिरने लगी।
शंभू ने उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और शंभू का हाथ शाजिया की चूचियों पे दब गया। शाजिया का रोम- रोम सिहर गया। शंभू का पूरा हाथ शाजिया की चूचियों की गोलाई को दबा गया था। शाजिया साड़ी थैंक्यू कहती हुई खड़ी हो गई। भले ही उसकी चूची दब गई थी, लेकिन उसने पानी नहीं गिरने दिया था, जग ग्लास से।
शंभू ने ये जानबूझ कर नहीं किया था लेकिन उसके पूरे हाथ में शाजिया की बिना ब्रा की चूची आ गई थी। शंभू को बहुत मजा आया था। हालाँकी शाजिया का प्लान सफल रहा था और आखिरकार वो अपनी चूची शंभू से मसलवा ही ली थी फिर भी उसे शर्म आ ही गई।
शाजिया नजरें झुकाए हुए शंभू को पानी दी और फिर किचेन में चली गई। शंभू अपने हाथ पै शाजिया की चूचियों को महसूस करता रहा और शाजिया अपनी चूची पे शंभू का सख्त हाथ। तभी लाइट कट गई। अंदर सबको गर्मी लगने लगी तो शाहिद ने ही कहा- छत पे चलते हैं…”
सब छत पे टहलने लगे और शाजिया शंभू के आस-पास ऐसे चक्कर काटने लगी की जिससे किसी तरह एक और बार वो अपने बदन को शंभू के बदन में सटा पाए। शाजिया और शंभू उसी जगह पे थे जहाँ शंभू शाजिया की पैंटी ब्रा पे अपना वीर्य गिराता था।
छत पे अंधेरा था। शाहिद अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था और शंभू से बात कर रहा था। शाजिया को मौका नहीं मिल रहा था। तभी शाहिद ने मोबाइल में एक वीडियो प्ले किया और शंभू को दिखाने लगा। शाजिया भी शंभू के साइड से आकर वीडियो देखने लगी। ये सबसे अच्छा मौका था।
शाजिया शंभू के बदन में चिपक गई। उसकी गोल-गोल मुलायम चूचियां शंभू के बाजू में दब रही थी। शाजिया को बड़ा सुकून मिल रहा था। अब शायद शंभू थोड़ा रिलैक्स हो पाएंगे। लेकिन शंभू ने वीडियो देखते हुए ही अपने जिश्म को थोड़ा आगे किया तो शाजिया भी आगे हुई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शंभू वीडियो देखता हुआ हँसने लगा और थोड़ा और आगे हुआ। शाजिया अब इससे आगे नहीं हो सकती थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अब। थोड़ी देर में सब सोने चले गये, लेकिन शाजिया की आँखों में नींद नहीं थी। वो समझ नहीं पा रही थी की क्या करे? वो अपनी चूचियों में शंभू का सख्त हाथ महसूस कर रही थी और चाह रही थी की शंभू अच्छे से आकर उसकी चूचियां मसल डाले।
लेकिन शंभू तो इतना शरीफ है की देखता तक नहीं, लेकिन इतना प्यासा है की पैंटी पे अपना वीर्य बर्बाद कर रहा है। उसे गुस्सा आ रहा था की जब अंदर से इतने बेचैन हो तो कुछ करो। इतना हिंट दे रही हूँ, इतनी तरह से कोशिश कर रही हूँ फिर भी कोई असर होता ही नहीं जनाब पे अब क्या करूँ? सीधा-सीधा जाकर बोल दूं की चोद लो मुझे। ये वीर्य मेरी पैंटी पे नहीं मेरी चूत में डालो। लगता है यही सुनकर मानेंगे शंभू जी।
शाजिया शंभू के खयालों में खोई थी तभी शाहिद उसकी तरफ करवट बदला और उसकी चूची पे हाथ रखता हुआ बोला- “ब्रा क्यों खोल दी ?”
शाजिया थोड़ा घबरा गई लेकिन तुरंत बोली- “बहुत गर्मी लग रही थी और पेट भी टाइट लग रहा था तो खोल दी। तब थोड़ा रिलैक्स हुई…”
शाहिद उसकी चूचियों को बाहर निकालकर मसलने लगा तो शाजिया शाहिद का हाथ हटा दी और उसे मना कर दी की तबीयत ठीक नहीं लग रही। शाजिया चाहती थी की अभी शंभू आकर उसकी चूचियों को मसलता तो ज्यादा मजा आता। शाहिद करवट बदलकर सोने की आक्टिंग करने लगा।
उसे लगा की उसके सोने के बाद शायद शाजिया और शंभू चुदाई करें। शंभू को नींद नहीं आ रही थी और वो शाजिया की चुदाई के सपने देख रहा था। शाजिया को भी नींद नहीं आ रही थी। क्योंकी वो चाहती थी की किसी तरह शंभू उसके नजदीक आए और उसके बदन से खेले।
आधे घंटे भी नहीं हुए की शाजिया पेट दर्द चिल्लाने लगी। उसने शाहिद को जगाया और जोर-जोर से कराहने लगी। वो मछली की तरह तड़पने लगी। शाहिद जाग गया और शंभू भी जागकर इसके रूम में आ गया। शाहिद को समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? घर में कोई दबाई भी नहीं थी और रात काफी हो चुकी थी। शाजिया इधर से उधर छटपटा रही थी। शाहिद अपनी बीवी से बहुत प्यार करता था और शाजिया को ऐसे देखकर वो घबरा गया था।
शंभू बोला- “मुझे देखने दो की कहाँ दर्द है?”
शाजिया सीधी लेटी हुई थी, वो अपने पेट से शर्ट को उठा ली और अब उसका चमकता हुआ पेट शंभू की नजरों के सामने था। शाजिया अभी मात्र 23 साल की थी और उसके पेट में अभी तक चर्बी जमा नहीं हुई थी, इसलिए उसका पेट पूरी तरह फ्लैट था। शाजिया का ट्राउजर नाभि से नीचे ही था, इसलिए बहुत सेक्सी सा दृश्य था।
शंभू ने अपना हाथ बढ़ाया और शाजिया के चिकने पेट को सहलाता हुआ दबाने लगा। शाजिया का पेट गैस की वजह से टाइट था और इसलिए वो दर्द से छटपटा रही थी। शंभू शाजिया के पेट को दबा दबाकर सहला रहा था। शाजिया की पेट पूरी गोरी चिकनी थी। शाजिया ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसने टाप को चूचियों तक उठा लिया था।
उसका ट्राउजर नाभि से नीचे था और शाजिया का पूरा नाभि क्षेत्र शंभू के सामने था और उसके लिए फुल अवेलबल था। शंभू के लिए खुद को रोकना बड़ा मुश्किल हो रहा था। उसने बड़ी मुश्किल से अपने एक्सप्रेशन को संभाल रखा था। वो शाहिद के सामने उसकी हसीन बीवी की नाभि को सहला रहा था।
शंभू शाजिया के पेट को सहला रहा था और शाजिया अपने बदन को ऐंठने लगी। शाजिया का जी चाह रहा था की शंभू अपना हाथ पैंट के अंदर चूत पे या फिर और ऊपर शर्ट के अंदर ले जाए जहाँ उसकी टाइट चूची बिना ब्रा के खड़ी थी। शाजिया पेट दर्द से जो भी परेशान हो लेकिन उसे मजा बहुत आ रहा था। उसके अंदर ये खुशी तो थी ही को आज शंभू ने उसकी चूचियों को भी छू लिया और पेट भी सहला लिया।
शाहिद परेशान सा चुपचाप खड़ा देख रहा था। उसे परेशानी में शंभू से पूछा- “क्या हुआ है इसे?”
शंभू बोला- “कुछ खास नहीं, गैस बन गई है पेट में..” फिर शंभू ने शाहिद को एक बोतल में गरम पानी भरकर लाने को कहा।
शाहिद दौड़ता हुआ किचेन की तरफ भगा और पानी गरम करने लगा।
अब रूम में सिर्फ शंभू और शाजिया थे। शाजिया अपने पेट को उघारे लेटी हुई थी और शंभू उसके पेट को सहला रहा था। शाहिद के जाते ही और तेज दर्द की आक्टिंग करते हुए शाजिया शंभू का हाथ पकड़ ली और ऊपर अपनी चूची पे रख ली। उफफ्फ … शंभू हड़बड़ा गया।
उसे शाजिया से इस बोल्डनेस की उम्मीद नहीं थी। शंभू हड़बड़ाते हुए हाथ नीचे खींचा की कहीं अगर शाहिद ने देख लिया तो पूरा खेल, पूरा प्लान चौपट हो जाएगा। लेकिन शाजिया की पकड़ मजबूत थी। उसने फिर से हाथ ऊपर खींच लिया। इस खींचा तानी में शाजिया का टाप थोड़ा सा और ऊपर उठ गया था और चूची के नीचे का हिस्सा चमकने लगा था।
शाजिया की चूचियां शंभू के हाथ से दब रही थी नीचे से अब शंभू खुद को रोक नहीं पाया और उसने हाथ को ढीला कर दिया। शाजिया फिर से शंभू के हाथ को ऊपर की, और अब शंभू के हाथ में शाजिया की नंगी चूचियां थी। उफफ्फ… शंभू ने ना चाहते हुए भी कस के एक बार दबा ही दिया और फिर हाथ हटा लिया।
शाजिया की प्यास और बढ़ गई। शंभू का मन तो नहीं था हाथ हटाने का, लेकिन उसे शाहिद का डर था की कहीं अगर उसने देख लिया तो हंगामा ना हो जाए और हाथ आया हुआ शिकार उससे दूर ना चला जाए। ये रिस्क वो नहीं ले सकता था। शंभू ने बहुत मेहनत और इंतजार किया था इसके लिए शंभू अलग होकर खड़ा हो गया, क्योंकी वो अगर शाजिया के पास रहता तो शाजिया उसे नहीं छोड़ती।
शाजिया भी हाथ से आए मौके को निकलता देखकर पागल हो गई। वो अपनी पीठ को उठाते हुए अपने टाप के ऊपर से अपनी चूचियां मसलने लगी। उसने चूची मसलते हुए टाप को भी ऊपर कर लिया। शंभू नजरें नीचे किए खड़ा था, लेकिन चूचियों के चमकते ही उसने कनखियों से देखा। शाजिया की गोल-गोल चूची और उसके बीच में ब्राउन कलर का निपल कयामत ढा रहा था। शाहिद के आने की आहट हुई और शाजिया टाप नीचे करके अपनी चूची ढक ली। शाहिद ने बोतल शंभू को दे दिया।
शंभू ने उसे बताया- “बोतल को पेट पे रखकर ऊपर से नीचे रोल करो…”
शाहिद हड़बड़ाया हुआ था, बोला- “मुझे ये सब नहीं आता, आप ही करिए ना शंभू जी , आप अच्छा करेंगे…”
शाजिया मन ही मन मुश्कुरा दी की फिर से शंभू जी उसके जिश्म को टच करेंगे। शंभू ऐसा नहीं करना चाहता था। क्योंकी उसे डर था की कहीं शाजिया शाहिद के सामने कुछ ऐसी वैसे हरकत ना कर दें। लेकिन और कोई उपाय नहीं था। शंभू फिर से बेड पे शाजिया के बगल में बैठ गया और बोतल को शाजिया के पेट पे ऊपर से नीचे रोल करने लगा।
शंभू पूरा ख्याल रख रहा था की वो शाजिया को कहीं से टच ना करे। थोड़ी देर में शाजिया का दर्द थोड़ा कम हो गया। शाहिद देख रहा था और अब उसका ध्यान गया की शंभू उसकी नजरों के सामने उसकी बीवी के पेट को सहला रहा है। जब शंभू ने एक बार शाजिया के पेट को दबाकर देखा की अब कैसा है यो अचानक शाहिद के लण्ड में हरकत हुई। उसका ककोल्ड मन जाग गया था।
शाहिद सोचने लगा। शाहिद की आँखों में जो दृश्य चल रहे थे उसमें शाजिया नंगी हो चुकी थी और शंभू उसकी चूचियां चूस रहा था। शाजिया का पेट दर्द कम हो गया लेकिन वो अब भी कुछ ऐसा ही चाह रही थी की शंभू उसके पेट को सहलाता रहे और चूचियों को मसले। लेकिन शंभू अपनी जगह से उठ गया और रूम से बाहर आ गया। शंभू बिल्कुल शातिर खिलाड़ी की तरह अपनी चाल में मस्त था।
सब सोने चले गये। शाजिया की एक तरह से जीत हुई थी। जैसा उसने सोचा था दोपहर में, उसने उसी तरह रंडियों की तरह की हरकत की थी शंभू के सामने उसने पहले ब्रा के ऊपर से फिर बिना ब्रा के टाप के ऊपर से और फिर अपनी नंगी चूचियों को शंभू से मसलवा लिया था और पेट तो बहुत देर तक सहलाया था शंभू ने।
शाजिया सोच रही थी की अब शंभू जी को रिलैक्स लग रहा होगा। अब तो मैंने अपनी तरफ से इतना न्योता दे दिया है। शायद अब वो मेरे से बात करें, मुझे देखें। अब शर्माना घबराना बंद कीजिए शंभू जी , अब आपको मेरी पैंटी खराब करने की जरूरत नहीं है।
शंभू बेड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली पे शाजिया की नंगी चूचियों की छुअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शाजिया की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ आग भर गई है रांड़ की चूत में अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे चोदना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए।
बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो तू मेरी पालतू कुतिया बनकर मेरे इशारों पे नाचेगी। शंभू अपने लण्ड को सहलाता हुवा सो गया। शाजिया रोज की तरह सवेरे जाग कर घर में झाड़ू की और फ्रेश होकर नहाने चली गई। शाहिद भी रोज की तरह सो रहा था लेकिन शाजिया की आहट सुनकर शंभू की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। शंभू सोने की आक्टिंग करता हुआ शाजिया पे ही नजर रखे हुए था।
थोड़ी देर में शंभू उठा तो उसे लग गया की शाजिया बाथरूम में है और शाहिद सो रहा है। उसके लिए मौका अच्छा था। शंभू छुप कर शाजिया के बाथरूम में झाँक कर देखने लगा। अंदर उसकी होने वाली रांड़ पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिश्म पानी में भीग कर चमक रहा था।
सुडौल चूचियां जवानी के नशे में टाइट थीं, जिसे कल शंभू ने मसला था, भले एक ही बार मसला हो मौका तो भरपूर था उसके पास लेकिन तब सही चाल नहीं होती वो चूची के नीचे चिकना सपाट पेट चूत तक जिसे रात में शंभू अच्छे से सहला चुका था, लेकिन मजा तब आता जब वो अपने हिसाब से पेट को सहलाते हुए चूमता भी और चूची चूत भी मसलता।
चूत पूरी चिकनी थी, एक भी बाल नहीं। शंभू के लण्ड के लिए सीधा चिकना रास्ता, चिकनी जांघें शाजिया शावर के नीचे थी और पानी उसके जिश्म को भिगोता हुआ नीचे उतर रहा था। शंभू ने एक नजर शाहिद पे डाला, तो वो सो रहा था। शंभू ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और सहलाने लगा। आज पहली बार उसने शाजिया के नंगे जिश्म को देखा था।
शंभू कई बार शाजिया के नाम की वीर्य गिरा चुका था। लेकिन आज वो नंगी उसके सामने थी। शंभू मूठ मारने लगा। अंदर शाजिया का नहाना हो चुका था और शंभू का वीर्य गिरने वाला था। शंभू ने बाथरूम के दरवाजा पे ही डोर मैट्रेस के बाद नीचे टाइल्स पे अपना वीर्य गिरा दिया। वीर्य बर्बाद नहीं होना चाहिए।
शाजिया को पता चलना चाहिए की यहाँ पे शंभू ने उसे नहाता देखकर फिर से अपना वीर्य गिराया है। शंभू अपने रूम में चला गया जिसमें वो रात में सोया था और छुपकर देखने लगा। थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और शाजिया नजर आई। शाजिया किसी अप्सरा की तरह नजर आ रही थी। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कमर के नीचे बँधी क्रीम कलर की साड़ी, स्लीवलेश ब्लाउज़ और उसके बीच में सिंगल लाइन में आँचल, जिससे शाजिया का एक उभर झाँक रहा था। गीले बाल इस हुश्न को और बढ़ा रहे थे। शाजिया बाथरूम से निकलकर मट्रेस पे पैर पोछी और जैसे ही कदम बढ़ाई की उसका पैर शंभू के वीर्य पे पड़ा।
चिपचिप करते ही वो नीचे देखी तो उसे कोई चमकदार सफेद लिक्विड जमीन पे गिरा हुआ दिखा। उसकी धड़कन तेज हो गई। वो अच्छे से देखने लगी और फिर कन्फर्म होने के लिए वो बैठकर देखने लगी। उफफ्फ … तो क्या शंभू जी मुझे नहाता देख रहे थे? ये सोचकर शाजिया गई की शंभू ने उसे नंगी नहाता हुआ देख लिया है।
उसे लगा की कल रात उन्होंने खुद को तो रोक लिया, इसलिए उनकी प्यास अब और बढ़ गई होगी। वो मेरे पेट को सहला तो रहे थे लेकिन मजा नहीं लिया, क्योंकी उन्होंने अपनी फीलिंग्स को दबा रखा है। कोई बात नहीं शंभू जी , मैं भी देखती हूँ की आप और कितना दबाते हैं खुद को।
कल रात तो आपने मेरी चूचियों से हाथ हटा लिया था, देखती हूँ की क्या-क्या हटाएंगे और खुद को कितना तड़पाएंगे? मुझसे दूर रहेंगे और छिपकर वीर्य गिराएंगे, ये कौन सी बात हुई? अगर अभी भी आपका डर और शर्म मुझसे खतम नहीं हुआ है तो अब होगा।
अब मेरा रण्डीपना और बढ़ेगा और तब देखूँगी की आप खुद को कितना रोकते हैं, और कैसे रोकते हैं? लेकिन एक बात तो तय है की आप बहुत महान इंसान हैं। इतने में तो कोई भी मर्द अब तक बिछ गया होता मेरे ऊपर इसलिए अब मुझे भी जिद होती जा रही है आपको खोलने की।
शाजिया उंगली से वीर्य को उठाई और उठाते हुए मुँह में चाटने लगी। वो फिर से ऐसा की और जब उसका मन नहीं भरा तो वो जमीन को चाटकर वीर्य चाटने लगी। उसकी चूत गीली होती जा रही थी। वो जब झुक कर वीर्य चाट रही थी तो उसके मंगलसूत्र पे भी शंभू का वीर्य लग गया था।
जब सारा वीर्य चाटने के बाद वो खड़ी हुई तो उसका ध्यान मंगलसूत्र पे लगे वीर्य में गया, जो ब्लाउज़ के ऊपर भी थोड़ा सा लग गया था। उसके सुहाग की निशानी पे किसी और का वीर्य लगा है, ये सोच ने उसे अंदर से पूरी तरह गीला कर दिया। वो मंगलसूत्र को साफ नहीं की। उसने सोचा की पैंटी ब्रा तो बहुत बार वीर्य से भरी थी, आज मंगलसूत्र को भी वीर्य लगा ही रहने देती हूँ।
शंभू शाजिया को अपने रूम से देख रहा था और शाजिया की हालत देखकर उसे खुद पे गर्व हुआ की अब शाजिया मन से उसकी रांड बन चुकी है, और अब बस उसके तन पे कब्जा करना बाकी है। शंभू ने अपने लण्ड को अड्जस्ट किया और बेड पे लेट गया।
शाजिया रूम में आकर चेहरे पे क्रीम लगाई और फिर आँखों में काजल और होठों पे लिप ग्लास। ये उसका रोज का नियम था। उसने सिंदूर की डिब्बी को हाथ में लिया और अपनी माँग में भरने जा रही थी की उसे कुछ ख्याल आया। वो अपने मंगलसूत्र पे लगी वीर्य को उंगली में लगाई और अपनी माँग में भर ली।
आहह…. पता नहीं क्या हुआ लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने पूरे मंगलसूत्र के वीर्य को अपनी माँग में भर लिया और फिर सिंदूर लगा ली। सिंदूर शाजिया की माँग में लगे वीर्य से चिपक गया। शाजिया माथे पे लाल कुमकुम लगा ली। वो आईने में खुद को निहार रही थी। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
शाजिया मन ही मन सोच रही थी- “लीजिए शंभू जी , अब तो मेरे मंगलसूत्र और माँग में भी आपका वीर्य लग गया। अब तो एक तरह से आप भी मेरे पति हुए। अब तो मेरे पूरे जिश्म पे आपका भी हक हैं और मैं चाहकर भी आपको मना नहीं कर सकती। अब तो मुझसे शर्माना छोड़ दीजिए और खुलकर जी लीजिये अपनी जिंदगी…” शाजिया मुश्कुराते और शर्माते हुए रूम से बाहर आ गई।
आज वो इबादत नहीं की और किचेन में जाकर चाय बनाने लगी। वो चाय लेकर पहले शंभू के कमरे में गई, जहाँ शंभू को सच में नींद आ गई थी। शाजिया उसे सोता देखकर सोच रही थी- “अभी मुझे नंगी नहाते देखे और वीर्य गिराए, तब तो बहुत मजा आ रहा होगा जनाब को। लेकिन अभी सोने की आक्टिंग कर रहे हैं.”
उसका मन हुआ की शंभू के साथ कुछ करे लेकिन फिर वो सोची की अभी सही वक़्त नहीं है। शाहिद घर में है, और ये कुछ बोले अगर तो मैं कुछ बोल नहीं पाऊँगी। दोपहर का वक़्त तो अपना है आज। उसने फार्मल आवाज में कहा- “शंभू जी गुड मार्निंग, उठिए चाय हाजिर है, उठिए उठिए.”
शंभू को बहुत मजा आया। बरसों से किसी ने उसे इस तरह नहीं जगाया था। वो आँखें खोलकर शाजिया को देखा तो मेकप के बाद शाजिया और हसीन लग रही थी। वो शाजिया को देखता ही रह गया की शाजिया गई। शंभू ने नजरें नीची कर ली और उठकर बैठ गया। शाजिया उस रूम से निकलकर अपने रूम में गई और शाहिद को भी जगाई। दोनों जाग कर बाहर आ गये और सोफे पे बैठ गये। शाजिया दोनों को मार्निंग चाय सर्व की। शंभू के कप उठाते ही शंभू का हाथ थोड़ा हिला।
शाजिया तुरंत ताना मारी- “संभाल कर शंभू जी, जमीन पे मत गिराइए..”
शंभू समझ गया की रांड़ क्या बोल रही है? लेकिन वो सिर झुकाए चाय पीने लगा। नाश्ता करके शाहिद और शंभू अपने-अपने कम पे चले गये और शाजिया सोचने लगी की क्या किया जाए? अब वो और देर नहीं करना चाह रही थी। उसने सोच लिया की आज दोपहर में उसे शंभू से बात कर ही लेनी है, क्योंकी कल सनडे है।
कल शाहिद घर में रहेंगे तो फिर बात नहीं हो पाएगी। अब उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी। शाजिया दोपहर का इंतजार करने लगी। दोपहर में जब शंभू घर आया, तब तक शाजिया मन बना चुकी थी। शंभू घर आया तो उसने आज भी शाजिया का दरवाजा अंदर से ही बंद देखा उसे आज बुरा नहीं लगा.
क्योंकी उसे 100 फीसदी यकीन था की आज शाजिया उसके पास जरूर आएगी। वो अपने रूम में गया और लुंगी गंजी पहनकर बाहर आ गया। शाजिया टाइम का अंदाजा लगाकर थोड़ी देर बाद छत पे चली आई। शंभू अभी शाजिया की पैंटी को हाथ में लिया ही था की शाजिया वहाँ पहुँच गई।
शाजिया- “शंभू जी ये क्या कर रहे हैं आप?”
शंभू ने ऐसी आक्टिंग की जैसे हड़बड़ा गया हो- “कुछ नहीं। ये तो बस नीचे गिर गया था तो उठा दे रहा था…”
शाजिया शंभू की हड़बड़ाहट देखकर मुश्कुरा दी। वो नहीं चाहती थी की उसके देख लेने से शंभू अपराधी महसूस करे। मुश्कुराती हुई शाजिया बोली – “मुझे सब पता है की रोज आप मेरी पैंटी के साथ क्या करते हैं? मुझे ये भी पता है की आज सुबह आपने क्या किया है?”
शंभू चुपचाप नजरें झुकाए खड़ा था। वो ये सब भाषण के लिए तैयार था। तभी तो वो अपनी चाल को और आगे बढ़ाता और शाजिया उसमें शंभू की पालतू कुतिया बनने के लिए अपने आपको फँसाती। शाजिया शंभू के करीब आते हुए बड़े प्यार से और समझाने के लहजे में बोली- “मुझे पता है शंभू जी की आप बहुत अरसे से अकेले हैं और मैंने यहाँ आकर आपकी सोई तमन्नाओं को जगा दिया है।
मुझे आपके बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए मैं जैसे रहती थी वैसे ही हमेशा रहती रही। मुझे पता है की हर मर्द को जिश्म की अपनी जरूरतें होती हैं, भला मैं क्या करती ? मेरी क्या गलती की मैं खूबसूरत हूँ? मैं बचपन से ऐसे ही कपड़े पहनती आई हूँ। लेकिन जब से मुझे आपकी हालत पता चली है मैं खुद को आपके सामने लाने से बचती रही…”
शंभू फिर भी चुप रहा।
शाजिया फिर आगे बोली- “फिर मैंने सोचा की इस तरह दूर रहकर मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती। एकलौता उपाय था की हम इस घर से चले जाते, और इसके लिए मैंने शाहिद से बात भी की। लेकिन उसने कहा की तुरंत दूसरा घर कहाँ मिलेगा और उसने बात को टाल दिया।
अब ये संभव नहीं था की यहाँ रहते हुए आपसे दूर रह पाऊँ। कपड़े मुझे छत पे ही देने होते सूखने के लिए। किसी ना किसी तरह आपकी नजर मुझपे पड़ती ही, आप मेरी आवाज भी सुनते ही। तब सिर्फ एक उपाय था की फिर आपसे छुपने से आपकी मदद नहीं होगी, बल्कि खुलकर आपके सामने आना होगा….”
शाजिया सांस लेने के लिए रुकी और फिर बोलना चालू की- “मैं कई बार सोची की आपको बोलूं, आपकी मदद करूँ लेकिन आप मेरी तरफ देखते ही नहीं हैं। मैं आपको कितना हिंट दी, कितनी तरह से कोशिश की की आप मुझे देखें, मेरे से बातें करे। लेकिन अकेले में तो आप बहुत कुछ कर लेते हैं, लेकिन सामने तो नजर भी नहीं उठाते। तब जाकर फाइनली मैंने सोचा की आज आपसे खुलकर बातें कर ही लूँ…”
अब शंभू के बोलने की बारी थी- “तो क्या करूँ मैं बोलो। सालों से मैं अपनी वीरान जिंदगी को अपनी तन्हाई के साथ गुजर रहा था। सब कुछ ठीक चल रहा था की अचानक तुम सूखी धरती पे पानी की फुहार बनकर यहाँ आ जाती हो। तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की एक ऐसे मर्द के सामने आ जाती है जो कई सालों से अकेला है, तो उसके अरमान नहीं जागेंगे क्या?
अरे तुम तो ऐसी हो की कोई भी तुम्हें देखकर खुद को ना रोक पाए, लेकिन मुझे खुद को रोकना पड़ा। देखो खुद को। तुम हूर अप्सरा को मात देने वाली हसीना हो और मैं बदसूरत। तुम दूध से भी गोरी हो और मैं बिल्कुल सांवला। तुम्हारी छरहरी काया किसी मुर्दे में भी जान डाल सकती है और मैं मोटा और तोंद निकला हुआ।
तुम अपनी कमसिन उम्र में हो और मैं बुढ़ापे की ओर जाता हुआ एक हारा हुआ इंसान। तुम किसी और की अमानत हो और मैं किसी का घर नहीं उजाड़ना चाहता तो मुझे यही रास्ता नजर आया की मैं तुमसे दूर रहने की कोशिश करूँ, और फिर भी खुद को रोक नहीं पाया तो अकेले में ऐसा किया। मुझे माफ कर दो। आगे से ऐसा कुछ नहीं करूँगा मैं, चाहे कुछ भी हो जाए…”
शंभू अपनी बात खतम करने के बाद अपने रूम की तरफ चल पड़ा, जैसे वो अपनी बात पे अब कायम रहना चाहता है। वो इंतजार कर रहा था की शाजिया पीछे से आकर उसे पकड़ लेगी। शाजिया शंभू को पीछे से पकड़ी तो नहीं लेकिन उसके सामने जरूर आ गई। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शाजिया बोली “तो आपने मुझसे कभी बात क्यों नहीं की? मुझसे बात करते हँसी मजाक करते तो शायद आप राहत महसूस करते। मैंने तो कितनी बार कोशिश की। मुझे आपके दर्द का अंदाजा है। तभी तो जब आपने बात नहीं की तो मैं ही आ गई बेशर्म बनकर आपसे बात करने। शंभू जी , मैं आपकी मदद करना चाहती हूँ। अब मैं क्या करूँ की मैं इतनी खूबसूरत हूँ?”
शंभू बोला- “और चिंगारी को हवा दूं। देखता भी नहीं हूँ तब भी तो इतना मुश्किल है, अगर बात करता या हँसी मजक करता तो शायद तुम्हें पकड़ ही लेता.”
शंभू अब अपने घर के अंदर आ गया। बाहर बात करने का काम हो चुका था। शाजिया भी शंभू के पीछे-पीछे उसके रूम में आ गई। आज वो रुकना नहीं चाहती थी। शाजिया आज वो अधूरी बात नहीं छोड़ना चाहती थी। बहुत हिम्मत जुटाकर वो आई थी और उसने फैसला किया हुआ था की अब शंभू को तड़पने नहीं देना है।
शाजिया शंभू के सामने आती हुई बोली- “तो पकड़ क्यों नहीं लिए। मैं तो आपको कितनी हिंट दी, कितने इशारे दिए। पकड़ लीजिए ना, उतार लीजिए अपने अरमान लेकिन इतने परेशान नहीं रहिए..” ऐसा बोलते हुए शाजिया शंभू के गले लग गई। शाजिया की चूचियां शंभू के सीने से दबने लगीं, कहा- “शंभू जी मैं आपको तड़पता नहीं देख सकती…”
शंभू का जी चाहा की वो भी शाजिया को कस के अपनी बाहों में दबा ले। लेकिन अभी खेल पूरा नहीं हुआ था। शंभू पीछे हटता हुआ बोला- “नहीं, ये मैं नहीं कर सकता। मैं शाहिद के साथ चीटिंग नहीं कर सकता की उसकी गैर हिजिरी में मैंने उसकी हसीन बीवी के साथ जिस्मानी संबंध बनाए। नहीं शाजिया मुझसे ये गुनाह मत करवाओ…”
शाजिया भी और आगे आ गई और फिर से शंभू से चिपक गई “कोई पाप नहीं कर रहे आप शंभू जी। मैं अपनी मर्ज़ी से आपके पास आई हूँ। मेरी वजह से आपकी ये हालत हुई तो मेरा फर्ज़ बनता है आपकी मदद करने का। मुझे अपना फर्ज़ पूरा करने दीजिए शंभू जी ” कहकर शाजिया शंभू से कसकर चिपक गई और उसकी छाती को चूमने लगी।
शंभू अभी भी पीछे हटना चाह रहा था, लेकिन अब उससे ऐसा हो ना सका। वो बस खड़ा रहा। शाजिया अब पागल हो रही थी। उसे शंभू से ये उम्मीद नहीं थी। उसने सोचा था की वो शंभू को खुद को आफर करेगी तो वो मना नहीं कर पाएगा और फिर धीरे-धीरे उससे बात करके उसकी फीलिंग्स को हल्का करेगी।
अपने जिश्म को पूरी तरह पेश करना तो आखिरी हथियार होता। लेकिन शंभू पे अभी तक बाकी अस्त्र-शस्त्र का असर तो हुआ ही नहीं था। लेकिन शाजिया आज फैसला करके आई थी की वो कुछ भी करेगी लेकिन शंभू को अब और नहीं तड़पने देगी। उसने फिर से सोच लिया की कुछ भी करना पड़े तो वो करेगी। कुछ भी मतलब कुछ भी।
शाजिया- “मुझे देखिए शंभू जी , मुझसे बातें कीजिए, जैसी चाहे वैसी बातें कीजिए, जो भी सोचते हैं वो बोलिए। अपने आपको रोकिए मत, अपनी भड़ास बाहर निकालिए। तभी आप खुद को हल्का कर पाएंगे…”
शंभू के लिए बड़ा मुश्किल वक़्त था। शाजिया अपनी पकड़ को थोड़ा ढीला की और अपने आँचल को हटाकर जमीन पे गिरा दी “आप मेरे जिश्म को देखना चाहते हैं तो देखिए। आप मुझसे गंदी बातें करना चाहते हैं तो करिए। बाहर निकालिए अपनी भड़ास अंदर ही अंदर मत घुटिए शंभू जी मुझसे आपका तड़पना नहीं देखा जाता…”
शंभू को अब खुद को रोकना जरुरी नहीं था। अब उसे शाजिया की प्यास बढ़ानी थी। उसने शाजिया को अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी नंगी पीठ को सहलाने लगा। शंभू ने शाजिया के चेहरे को ऊपर उठाया और उसके रसीले होठों को चूमने लगा। वो पागलों की तरह शाजिया को चूम रहा था और उसके बदन को सहला रहा था जैसे नदी का बाँध टूट गया हो आज।
शाजिया अपनी जीत मानकर शंभू का पूरी तरह साथ दे रही थी। शाजिया भी शंभू की गंजी को ऊपर कर दी और उसकी लुंगी को खोलकर गिरा दी। शंभू नीचे से नंगा था। शाजिया भी उसकी पीठ और गाण्ड को सहला रही थी। शंभू ने एक पल के लिए शाजिया के होठों को छोड़ा और फिर से चूसने लगा। वो शाजिया की जीभ को चूस रहा था। ये सब नया अनुभव था शाजिया के लिए और उसका जिश्म पिघलता जा रहा था।
शंभू ने शाजिया के होठों को छोड़ा और गाल गर्दन पे किस करता हुआ बोला- “हाँ शाजिया… मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूँ, चूमना चाहता हूँ, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ, मसलना चाहता हूँ, चाहता हूँ की वैसे चोदूं जैसे एक रंडी को चोदा जाता है लेकिन कोई गलत नहीं करना चाहता…”
शाजिया भरपूर साथ दे रही थी शंभू का। उसने अपनी साड़ी की गाँठ को खोल दिया तो साड़ी नीचे गिर पड़ी। शाजिया ने पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और वो भी शाजिया के कदमों में जा गिरी। 23 साल की शाजिया अब पैंटी और ब्लाउज़ में थी और 50 साल का शंभू सिर्फ गंजी में।
शाजिया- “तो देखिए ना, चूमिए, चूसिए, मसलिए, चोदिए मुझे रंडी की तरह चोदना चाहते हैं तो रंडी की तरह चोदिए। मैं आपके लिए रंडी बनने को भी तैयार हूँ। आपसे बात करने के लिए और आपको दिखाने के लिए रंडी बनी ही तो घूमती हूँ आजकल आपके आगे-पीछे..” कहकर शाजिया अपने ब्लाउज़ का हुक खोलने लगी।
शाजिया खुद से अपने कपड़े इसलिए उतार रही थी की शंभू को शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े। शंभू को ये ना लगे की उसने गलत किया है। शाजिया ब्लाउज़ का हुक खोल दी और अब उसकी ब्रा चूचियों को कैद किए दिख रही थी। शाजिया शंभू के लण्ड को हाथ में लेना चाहती थी लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाई। उसे शर्म आ रही थी।
शंभू फिर से शाजिया के होठ चूम रहा था और शाजिया के ब्लाउज़ और ब्रा को ऊपर उठा दिया और बाहर आ चुकी नंगी चूचियों को मसलने लगा। दोनों को करेंट जैसा लगा। शंभू कस के चूचियों को मसलने लगा। शाजिया आहह… करती हुई शंभू के लण्ड को पकड़ ली “उफफ्फ … देखने में जितना बड़ा लगता है ये तो उससे बहुत बड़ा है। ये चूत में जा पाएगा क्या?”
शंभू ने शाजिया को खड़े-खड़े ही गोद में उठा लिया और बेड पे गिरा दिया। शाजिया बेड पे सीधी लेट गई और शंभू ने भी अपनी गंजी को उतार दिया और शाजिया के ऊपर लेट गया। वो शाजिया की चूची चूसता हुआ उसके गोरे चिकने बदन को सहला रहा था। उसने शाजिया के ब्रा के हुक को खोल दिया और बाउज़ ब्रा को उतार दिया।
शाजिया अब ऊपर से नंगी थी। शंभू शाजिया के पेट जाँघ को सहला रहा था और चूचियों को चूस और मसल रहा था। शंभू ने शाजिया की पैंटी को भी नीचे खींच लिया तो शाजिया ने कमर उठाकर शंभू की हेल्प कर दी। शाजिया की पैंटी भी उतर गई और उसे भी शंभू ने नीचे फेंक दिया।
शाजिया और शंभू पूरी तरह नंगे थे और शंभू शाजिया के दोनों पैरों के बीच ने बैठकर उसकी चिकनी रसीली चूत को चाट रहा था। शंभू दोनों हाथों से शाजिया की चूत को फैला रहा था और जीभ को छेद के अंदर डालकर चूस रहा था।
शंभू – “आहह…. मेरी रानी, क्या रसीली चूत है तेरी क्या खुश्बू है, आहह…. मजा आ जाएगा इसे चोदकर मेरी रंडी…”
शाजिया को बहुत मजा आ रहा था। ये सब पहली बार हो रहा था उसके साथ। वो अपनी कमर उठाकर शंभू का चेहरा अपनी चूत पे दबा रही थी शंभू की उंगली चूत के अंदर थी और उसने अपनी उंगली में गरम पानी की धार को महसूस किया। रंडी शाजिया झड़ चुकी थी। शाजिया हाँफ रही थी।
अब शाजिया की बारी थी। वो उठी और शंभू को बेड पे लिटा दी और उसकी छाती को चूमती हुई पेट और जाँघ को सहलाने लगी। फिर शाजिया ने शंभू के लण्ड को फिर से हाथ में ले लिया। अब वो लण्ड को देख भी रही थी और सहला भी रही थी। शंभू के लण्ड के आगे शाहिद का लण्ड सच में बच्चा था।
शाजिया लण्ड पे हाथ आगे- पीछे कर रही थी और कटे हुए स्किन को और चमकते हुए सुपाड़े को देख रही थी। शंभू शांत सा लेटा हुआ था। उसकी चाल का अगला कदम आ गया था। लेकिन वो लालच में रुका हुआ था की शाजिया उसके लण्ड को मुँह में लेगी।
शाजिया ने सुपाड़े पे किस की तो उसे वही खुश्बू आई, जिसकी वो दीवानी थी। शाजिया उस खुश्बू को अच्छे से सूँघते हुए सुपाड़े पे जीभ लगाई और चाटी। शाजिया को अपना मुँह बड़ा सा खोलना पड़ा और वो शंभू के मूसल लण्ड के सुपाड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी।
जितना मजा शाजिया को आ रहा था, उससे ज्यादा मजा शंभू को आ रहा था। लेकिन अब वक़्त आ गया था शाजिया को रोकने का। शंभू ने शाजिया को खुद से अलग किया और खड़ा हो गया। शाजिया चकित सी उसे देखती रही की उससे कुछ गलती हो गई क्या?
शंभू ने अपनी लुंगी को लपेट लिया और गंजी पहनता हुआ शाजिया को बोला- “शाजिया तुम जाओ यहाँ से ये गलत है और मैं ये नहीं कर सकता। अपने कपड़े पहनी और चली जाओ यहाँ से, प्लीज…”
शाजिया अभी भी चकित ही थी- “क्या हुआ शंभू जी। मुझसे कुछ गलती हो गई क्या? पहली बार लण्ड चूस रही हूँ, इसलिए ठीक से चूसना नहीं आया होगा। अब मैं ठीक से करूँगी। आइए..”
शंभू दूसरी तरफ मुँह करके खड़ा था जैसे वो शाजिया के नंगे बदन को देखना नहीं चाहता हो। उसकी तरफ बिना देखे हुए शंभू बोला- “नहीं शाजिया, तुम अच्छे से चूस रही थी। कोई गलती नहीं की तुमने। लेकिन मैं गलत नहीं कर सकता। जितना मैंने किया उसके लिए मुझे माफ कर देना। तुम किसी और की अमानत हो। बीवी हो किसी और की। मैं दूसरे की बीवी के साथ छिपकर ऐसा नहीं कर सकता। ये बहुत बड़ा गुनाह है। तुम जाओ यहाँ से…”
शाजिया चिड़चिड़ा गई की उसके जैसी खूबसूरत औरत उसके सामने खुद को पेश कर रही है और ये पागल इंसान मना कर रहा है। शाजिया का नंगा जिश्म पूरी तरह गरम था और वो अपनी चूत में शंभू का लण्ड लेने का इंतजार कर रही थी और ये पागल शंभू फिर से पुराने राग को गाने लगा था। शाजिया बेड से उठकर शंभू की तरफ आगे बढ़ने लगी। लेकिन शंभू ने हाथ के इशारे से उसे रोक दिया। वो शाजिया की तरफ देख भी नहीं रहा था।
शाजिया खड़ी हो गई और उसे समझने के अंदाज में बोली- “आप कुछ गलत नहीं कर रहे शंभू जी। मैं खुद आपके पास आई, आपके बदन में सटी, खुद अपने कपड़े उतारी। आपने कोई गलत काम नहीं किया। मैं किसी और की बीवी हूँ तो क्या हुआ, आपके लिए बस एक रंडी हूँ। आप किसी और के बीवी को नहीं, एक रंडी के जिश्म को चूम रहे थे, आप शाहिद की बीवी शाजिया को नहीं, अपनी शाजिया रंडी को चोदिए। इसमें कुछ गलत नहीं है। आपकी कोई गलती नहीं है….”
और शाजिया ने तुरतं शंभू की लुंगी खीन्च कर निकाला और लंड को अपने मुंह में डाल ली. अब आनंद के सागर में गोते लगाने की बारी शंभू की थी। शाजिया की गीली जीभ का स्पर्श अपने लंड पर पाते ही शंभू के मंह से एक सिसकारी सी निकल गई। थोड़ी देर बाद शाजिया को भी शंभू का लंड चूसने में मजा आने लगा और वो बड़े चाव से उसका लंड चूसने लगी।
शंभू के मुंह से जोर-जोर से सिसकारियां निकलने लगी। कभी शाजिया उसके लंड को जोर-जोर से चूसने लगती तो कभी वो लंड के ऊपर की चमड़ी हटाकर चाटने लगती। शंभू को बहुत मजा आ रहा था कि तभी शाजिया को शरारत सूझी और उसने शंभू को लंड पर दांत गड़ा दिए। शंभू ने तड़पकर उसके मुंह से अपना लंड बाहर खींच लिया।
शाजिया ने पूछा, क्यों मजा नहीं आया?
मजा तो आ रहा था, लेकिन तुम्हारे दांतों ने सब किरकिरा कर दिया।
अचछा अब नहीं काटूंगी। कसम से शाजिया शंभू के लंड को प्यार से सहलाते हुए बोली।
ठीक है। शंभू ने कहा और शाजिया उसके लंड पर झुकने लगी तभी उसके मन में कोई विचार आया और वह रुक गई। शंभू ने उसकी तरफ प्रश्रवाचक नजर से देखा तो वह बोली, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि तुम मेरी चूत चाटो और उसी समय मैं तुम्हारा लंड भी चूंसू? दोनों को एक साथ मजा आएगा।
हो क्यों नहीं सकता। शंभू ने कहा फिर शाजिया को लेटा कर इस पोजिशन में आ गया कि उसका लंड शाजिया के मुंह के सामने था और शाजिया की चूत उसके मुंह के सामने। शंभू ने शाजिया की चूत पर अपना मुंह रख दिया और शाजिया ने उसका लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
शंभू कभी शाजिया की चूत को चाटने लगता तो कभी उसके बीच उभरे चने के दाने समान रचना को मुंह में दबा कर चूसने लगता। शाजिया भी कहां पीछे रहने वाली थी वो कभी शंभू के लंड को चूसने लगती तो कभी उसके ऊपर की चमड़ी हटाकर चाटने लगती। ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
शंभू के दोनों हाथ शाजिया के चूतड़ों पर घूम रहे थे। वह अपने हाथों से धीरे-धीरे उन्हें सहलाता जा रहा था। शंभू की जीभ शाजिया की चूत पर कमाल दिखा रही थी। शाजिया के शरीर में कंपकंपाहट सी हो रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि शंभू जिंदगी भर ऐसे ही शाजिया की चूत चाटता रहे और वह मुंह में उसका लंड लेकर पड़ी रहे।
अचानक शंभू ने जीभ से शाजिया की चूत के छेद को सहलाना शुरू किया। फिर जब जीभ को चूत के अंदर की तरफ ठेला तो शाजिया मस्ती में चूर होकर शंभू के लंड को लॉलीपॉप की तरह जोर-जोर से चूसने लगी। अचानक शंभू को ऐसा लगा कि उसके शरीर में लावा सा उबल रहा है उसने झट से शाजिया के मुंह से अपना लंड निकाल लिया तो शाजिया बोली, निकाल क्यों लिया? कितना मजा आ रहा था।
अगर मेरा लंड थोड़ी देर और तुम्हारे मुंह में रहता तो सारा वीर्य मुंह में ही चला जाता। शंभू ने उससे कहा कि उसकी कमर के दोनों तरफ अपने पैर करके बैठ जाए। शाजिया ने ऐसा ही किया तो शंभू ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और शाजिया की थोड़ा उठने को कहा। शाजिया के घुटने उसकी कमर के दोनों तरफ थे, वह घुटनों पर ही थोड़ा उठी तो शंभू ने उसकी चूत के छेद पर अपना लंड टिका दिया और बोला बस अब बैठ जाओ।
शाजिया जैसे ही बैठी, एक झटके में पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। शाजिया की चूत में अचानक दर्द की एक लहर सी उठी तो वह चिल्लाकर बोली मादरचोद यह क्या किया, फिर से मेरी चूत फाड़ दी। यह कहकर वह उठने लगी तो शंभू ने उसकी कमर को थामकर वापस बैठा लिया। शाजिया कुछ देर हाथ-पैर झटकती रही, मगर अचानक ही उसे चूत में राहत सी महसूस होने लगी और शंभू का लंड सुरसुरी पैदा करने लगा तो उसने हाथ-पैर पटकने बंद कर दिए।
क्यों मजा आने लगा, शंभू ने एक आंख मारते हुए कहा।
हां आ तो रहा है, मगर शुरुआत में तो जान ही निकाल दी थी। बोल नहीं सकते थे। एक झटके में पूरा डाल दिया।
शंभू हंसते हुए बोला, मैने कहां डाला, तुम्हीं ने तो किया है। और चुनौती दो।
चुनौती की तो बहन की चूत। शाजिया गाली बकते हुए बोली। अब जल्दी बताओ करना क्या है। मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
अब क्या करना है, बस मेरी कमर पर उछलो, मजा खुद-ब-खुद आने लगेगा।
शंभू के इतना कहते ही शाजिया उसकी कमर पर कूदने लगी और शंभू का लंड उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगा। शाजिया आनंद के सागर में गोते लगा रही थी और धीरे-धीरे उसकी कूदने की स्पीड भी बढऩे लगी। इधर शंभू अपने हाथ से उसकी दोनों चूंचियों को दबाकर, सहलाकर उसके मजे को और भी बढ़ा रहा था। शाजिया काफी देर शंभू के लंड पर कूदती रही, कमरे में उसकी चूत से निकलने वाली फचाफच-गचागच की आवाज गूंजती रही। अचानक शाजिया का सारा शरीर ऐंठने लगा।
उसे ऐसा लगा कि वह आनंद के चरम पर है, तभी शंभू के लंड से वीर्य की पिचकारी छूटी और शाजिया की चूत में गिरी। शाजिया आनंद के चरम पर पहुंच चुकी थी। उसने जमकर शंभू की कमर को अपनी टांगों के बीच कस लिया और निढाल होकर उसके ऊपर गिर गई। शाजिया पसीने से तरबतर हो रही थी। उसकी चूत में आनंद की लहरें उठ रही थीं, आंखें बंद करके वह उन्हें पी रही थी। काफी देर तक वह वैसे ही शंभू के लंड को चूत में लिए पड़ी रही। इधर शंभू का लंड सिकुड़कर उसकी चूत से अपने आप बाहर आ गया तो वह उठी.
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